नयी दिल्ली, 29 नवंबर । भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने लोकसभा में बुधवार को अपनी विवादास्पद टिप्पणी पर विपक्षी दलों के बिना शर्त माफी मांगने पर जोर देने के बाद शुक्रवार को सदन में दोबारा बयान दिया और कहा कि उन्होंने नाथूराम गोडसे को देशभक्त नहीं कहा था लेकिन फिर भी किसी को ठेस पहुंचती हो तो वह क्षमा चाहती हैं ।
भोपाल से लोकसभा सदस्य प्रज्ञा सिंह ठाकुर की बुधवार को लोकसभा में की गयी टिप्पणी को लेकर उनसे माफी मांगने की मांग करते हुए विपक्षी सदस्यों ने शुक्रवार को सदन में भारी हंगामा किया। इससे पहले प्रज्ञा ने शून्यकाल के दौरान इस विषय पर सदन में माफी मांगी थी और साथ ही कहा कि उनके बयान को ‘‘तोड़-मरोड़कर पेश किया गया’’।
हालांकि प्रज्ञा के माफी वाले बयान पर विपक्षी दल संतुष्ट नहीं हुए तथा बिना शर्त माफी की मांग पर अड़े रहे। लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने इस विषय का समाधान निकालने के लिए भोजनावकाश में सभी दलों के नेताओं की बैठक बुलाई थी।
भोजनावकाश के बाद बैठक शुरू होने पर भाजपा सदस्य प्रज्ञा ने दोबारा बयान दिया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने 27 नवंबर को एसपीजी विधेयक पर चर्चा के दौरान नाथूराम गोडसे को देशभक्त नहीं कहा, नाम ही नहीं लिया, फिर भी किसी को ठेस पहुंचती हो तो मैं क्षमा चाहती हूं।’’ इसके बाद सदन की बैठक सुचारू रूप से आगे बढ़ी और शून्यकाल को लिया गया ।
ढाई बजे सदन की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्षी सदस्यों ने साध्वी प्रज्ञा के बयान देने की मांग करने लगे। लोकसभा अध्यक्ष ने व्यवस्था देते हुए कहा कि साध्वी प्रज्ञा के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक में निर्णय लिया गया। इसमें सभी दलों के बीच साध्वी प्रज्ञा के लिए सदन में एक वक्तव्य देने पर सहमति बनी है।
उन्होंने कहा कि सदन उनसे अपेक्षा करेगा कि वह सिर्फ वही वक्तव्य सदन के समक्ष पढे जिस पर सभी दलों ने सहमति जतायी है।
गौरतलब है कि प्रश्नकाल के बाद साध्वी प्रज्ञा की टिप्पणी पर उनसे पूरा विपक्ष बिना शर्त माफी की मांग पर अड़ गया था। इस पर साध्वी प्रज्ञा ने नियम 222 के तहत बोलने की अनुमति माँगी।
उन्होंने कहा “बीते घटनाक्रम में …यदि मेरी किसी टिप्पणी से किसी को ठेस पहुँची हो तो मैं इस पर खेद प्रकट करती हूँ और क्षमा माँगती हूं। संसद में पेश मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया। मेरा संदर्भ कुछ और था। जिस तरह मेरे बयान को तोड़ा-मरोड़ा गया वह निंदनीय है।”
इसके बाद उन्होंने आरोप लगाया कि इसी सदन के सदस्य द्वारा उन्हें आतंकवादी कहा गया जबकि अदालत में उनके खिलाफ कोई आरोप सिद्ध नहीं हुआ है। अदालत के फैसले से पहले उन्हें आतंकवादी कहना गलत है। एक सांसद और एक महिला पर इस तरह के आरोप लगाना गलत है।
उनके इतना कहते ही सदन में भारी हँगामा शुरू हो गया। सत्ता पक्ष के सदस्यों और विपक्ष के नोक-झोंक के बाद अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन की कार्यवाही भोजनावकाश के लिए स्थगित करते हुये इस दौरान इसी मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की घोषणा की थी।