पटना 17 मार्च । लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के पुत्र चिराग पासवान के लोकसभा चुनाव में जमुई (सुरक्षित) सीट से दोबारा किस्मत आजमाने की संभावनाओं को देखते हुये यह संसदीय क्षेत्र महत्वपूर्ण बन गया है और पूरे देश की निगाह यहां के चुनाव परिणाम पर टिकी रहेगी।
अभिनेता से नेता बने चिराग पासवान फिल्मी दुनिया में भले ही असफल रहे हों लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने कई दिग्गजों के दांत खट्टे कर दिये। वर्ष 2011 में प्रदर्शित उनकी पहली फिल्म ‘मिले ना मिले हम’ बॉक्स ऑफिस पर पूरी तरह से फ्लॉप रही थी और संभवत: यह उनकी आखिरी फिल्म बनकर रह गई।
इसके बाद चिराग ने दिग्गज राजनेता एवं पिता रामविलास पासवान के सहारे राजनीति का रुख कर लिया। उन्हें पहली बार जमुई (सुरक्षित) सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया, जिस पर 2009 के लोकसभा चुनाव में भी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का ही कब्जा रहा था।
वर्ष 2008 में हुये परिसीमन में सुरक्षित सीट होने के बाद वर्ष 2009 में पहली बार राजग के घटक जनता दल यूनाइटेड के उम्मीदवार भूदेव चौधरी ने यहां बाजी मारी थी। वर्ष 2014 में राजग की यह सीट लोजपा को मिली और वहां से चिराग ने मोदी लहर में आसानी से जीत हासिल कर ली। जमुई सीट के लिए मतदान प्रथम चरण के तहत 11 अप्रैल को होना है।
परिसीमन के बाद जमुई को अलग लोकसभा क्षेत्र का दर्जा मिलने के बाद प्रमुख दलों के उम्मीदवार स्थानीय न होकर दूसरे क्षेत्रों के ही रहे हालांकि सुरक्षित क्षेत्र होने के कारण यहां चुनावी घमासान कम रहा। वर्ष 2009 के चुनाव में जदयू के भूदेव चौधरी ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के श्याम रजक को पराजित किया। इस चुनाव में श्री चौधरी को 178560 जबकि श्री रजक को 148763 मत प्राप्त हुये। इसके बाद वर्ष 2014 के चुनाव में चिराग पासवान को 285354 मत जबकि उनके निकटम प्रतिद्वंद्वी राजद के सुधांशु शेखर भास्कर को 199407 वोट हासिल हुये।
सत्रहवें लोकसभा (वर्ष 2019) चुनाव के लिए राजद नीत महागठबंधन ने अभी तक उम्मीदवारों के नाम स्पष्ट नहीं किये हैं जबकि राजग की ओर से एक बार फिर चिराग पासवान ही रेस में है।
इस सीट पर कई बड़े नेताओं की नजर है। सुरक्षित सीट होने के कारण अनुसूचित जाति के कई बड़े नेता क्षेत्र से चुनावी किस्मत आजमाना चाहते हैं। इस सीट पर जदयू के कद्दावर नेता अशोक चौधरी, राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व सांसद भूदेव चौधरी, लोकतांत्रिक जनता दल (लोजद) के वरिष्ठ नेता एवं विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी समेत कई नेताओं की नजर है।
देखा जाए तो 2014 के लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की लहर ने लोजपा के चिराग पासवान की राह को आसान बना दिया था। साथ ही जदयू और राजद के अलग-अलग चुनाव लड़ने का लाभ भी लोजपा को लाभ मिला था।
जमुई संसदीय क्षेत्र के अंतर्गत तीन विधानसभा क्षेत्र जमुई, झाझा और चकाई आते हैं। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में जहां दो सीटों पर राजद का कब्जा रहा तो एक सीट भाजपा के खाते में गई। जमुई विधानसभा सीट पर राजद के विजय प्रकाश 66577 मत हासिल कर विजयी रहे जबकि उनके निकटम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के अजय प्रताप को 58328 वोट मिले। वहीं, चकाई सीट पर भी राजद की सावित्री देवी ने निर्दलीय उम्मीदवार सुमित कुमार सिंह को 12113 मतों के अंतर से पराजित किया। झाझा सीट पर भाजपा के रवींद्र यादव 65537 वोट हासिल कर विजयी रहे वहीं जदयू के दामोदर रावत को 43451 मतों से संतोष करना पड़ा।
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