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लालू प्रसाद यादव की बढ़ी मुश्किलें;शुरू हुई चारा घोटाले के सबसे बड़े केस में रोजाना सुनवाई,डोरंडा कोषागार से करोडों रुपये की अवैध निकासी मामले में लालू समेत 110 आरोपियों पर लटकी तलवार attacknews.in

लालू प्रसाद यादव

रांची, 25 जुलाई । अविभाजित बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भले ही इस वक्त जेल से बाहर हैं। भले ही उन्हें झारखंड हाई कोर्ट ने जमानत दे दी हो लेकिन लालू से जुड़े चारा घोटाला मामले में सबसे बड़े केस के अंदर 6 महीने में फैसला आने वाला है।

लालू प्रसाद से जुड़े चारा घोटाले के पांचवें और अंतिम मामले में 6 महीने के अंदर फैसला आने की संभावना है। चार मामलों में लालू प्रसाद को सजा हो चुकी है।

गौरतलब है कि कि 25 साल पुराने चारा घोटाले के सबसे बड़े मामले आरसी 47ए/96 की सुनवाई वर्चुअल मोड पर शुरू हो चुकी है। हर दिन एक घंटे सुनवाई के लिए निर्धारित है। इसके साथ ही डोरंडा कोषागार से लगभग 139.5 करोड़ रुपये की अवैध निकासी मामले में लालू प्रसाद समेत अन्य 110 आरोपियों की मुश्किलें बढ़ गयी हैं।

कोरोना के कारण पिछले 15 महीने में केवल 12 डेट पर सुनवाई हुई थी। लेकिन अब तीन महीने बाद मामले की सुनवाई फिर से सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एसके शशि के कोर्ट में वर्चुअल मोड पर शुरू हो गयी है। फिलहाल इस मामले में सीबीआई की तरफ से स्पेशल पीपी बीएमपी सिंह बहस कर रहे हैं। इस मामले में 26 फरवरी को बचाव पक्ष की गवाही पूरी होने के बाद मामला बहस पर चला गया था।

छह महीने में पूरी करनी है सुनवाई

मार्च में राज्य के न्यायिक अफसरों का प्रमोशन और तबादला किया गया था। इसमें विशेष न्यायाधीश एसके शशि का भी नाम शामिल था। उन्हें न्यायायुक्त के पद पर पदोन्नत देते तबादला किया गया है। लेकिन चारा घोटाला कांड संख्या आरसी 47ए/96 की सुनवाई पूरी होने तक वह सीबीआई के विशेष न्यायाधीश बने रहेंगे। साथ ही न्यायायुक्त को मिलनेवाली सुविधा भी मिलेगी।

मिली जानकारी के अनुसार छह महीने में मामले की सुनवाई पूरी करनी है। न्यायिक प्रकिया के तहत सीबीआई की ओर से जारी बहस पूरी होने के बाद बचाव पक्ष को बहस करने का मौका दिया जाएगा। दोनों पक्षों की बहस पूरी होने के बाद मामला फैसला पर चला जाएगा।

170 आरोपियों पर हुआ था चार्जशीट

प्रारंभ में 170 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गयी है। पहली चार्जशीट आठ मई 2001 को 102 आरोपियों को एवं सात जून 2003 को पूरक चार्जशीट में 68 आरोपियों के खिलाफ दाखिल किया था। आरोप तय सितंबर 2005 को किया गया था। सीबीआई ने 11 मार्च 1996 को प्राथमिकी दर्ज करायी थी। इस मामले के सात आरोपी को सरकारी गवाह बनाये गये, दो आरोपियों ने अपना गुनाह कबूल कर लिया। पांच आरोपी फरार चल रहे हैं।

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