रांची, 29 मई। रांची की एक विशेष सीबीआई अदालत ने 1990 में चाईबासा कोषागार से धोखाधड़ी करके 37 करोड़ रुपये निकालने के मामले में चारा घोटाले के 16 दोषियों को बुधवार को तीन से चार साल की जेल की सजा सुनाई।
बचाव पक्ष के वकील संजय कुमार ने बताया कि एस एन मिश्रा की अदालत ने आरसी 20ए/96 मामले के संबंध में दोषियों पर 25 हजार रुपये से लेकर सात लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया।
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद समेत 44 लोगों को 2013 में इस मामले में दोषी ठहराया गया था।
प्रसाद करोड़ों रुपये के चारा घोटाले के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद यहां जेल की सजा काट रहे हैं।
वकील ने बताया कि जिन लोगों को बुधवार को जेल की सजा सुनाई गई उनमें पूर्व कोषागार मैसेंजर और तकनीकी सहायक लाल मोहन गोपे, कोषागार के पूर्व लेखा सहायक भरत नारायण दास और कोषागार के पूर्व सहायक लेखाकार सहदेव प्रसाद शामिल हैं। जब इस घोटाले का पर्दाफाश हुआ, उस वक्त सभी चाईबासा कोषागार के कर्मचारी थे।
उन्होंने बताया कि बाकी लोग आपूर्तिकर्ता हैं।
वकील ने बताया कि सीबीआई ने 20 लोगों के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दायर किया था।
उन्होंने बताया कि एक व्यक्ति फरार है जबकि तीन की मुकदमे के दौरान मौत हो गई।
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद समेत कुल 44 आरोपियों को इस मामले में 30 सितंबर 2013 को दोषी ठहराया गया था।
इसके बाद प्रसाद को चारा घोटालों के तीन अन्य मामलों में दोषी ठहराया गया था। इनमें से एक मामले में उन्हें अधिकतम 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई। वह रांची में चारा घोटाले के पांचवें मामले में मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
ये घोटाले 1990 में अविभाजित बिहार में किए गए।
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