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आईआईएसईआर भोपाल के इनोवेटर्स ने विकसित किया ऑक्सीजन की कमी को दूर करने वाला सस्ता ऑक्सीजन कंसंट्रेटर ‘ऑक्सीकॉन’,20 हजार से भी कम होगी कीमत attacknews.in

भोपाल 12 मई ।भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर), भोपाल के इनोवेटर्स ने अपनी ही तरह का ऑक्सीजन कंसंट्रेटर ‘ऑक्सीकॉन’ विकसित किया है। कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच यह ऑक्सीजन की कमी के संकट को दूर करने में मददगार होगा। कोविड-19 की पहली लहर के विपरीत दूसरी लहर ने लोगों को कहीं अधिक प्रभावित किया है। इसमें संक्रमण बहुत तेजी से फैला है और बहुत से संक्रमित लोगों को आकस्मिक ऑक्सीजन की आवश्यकता हो रही है। ऐसे में देश भर में अस्पतालों को ऑक्सीजन सिलेंडर/कंसंट्रेटर की जरूरत है और बहुत ही अल्प समय में मांग में अत्यधिक वृद्धि हुई है। आईआईएसईआर, भोपाल के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस विभाग (ईईसीएस) के सहायक प्रोफेसर डॉ. मित्रदीप भट्टाचार्जी, रसायन इंजीनियरिंग विभाग के डॉ. वेंकटेश्वर राव, सहायक प्रोफेसर और डॉ. अर्धेन्दु शेखर गिरी के साथ ईईसीएस विभाग के डॉ. पी.बी. सुजीत और डॉ शांतनु तालुकदार ने यह सस्ता उपकरण विकसित किया है जो कि बीमारी की किसी भी अवस्था में मरीज की ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

‘ऑक्सीकॉन’ आसानी से ले जाया जाने वाला, अनुकूल ढालने और आसानी से उपयोग में लाने योग्य है। इसमें कंप्रेसर है जो आसपास के वातावरण से हवा लेता है और जिओलाइट नामक सामग्री से युक्त कॉलम के माध्यम से उस हवा को अधिकतम दबाव से गुजारा जाता है। वैकल्पिक चक्र में इस प्रकार के दो कॉलम का उपयोग किया जाता है और इस उद्देश्य से इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रण वाल्व का प्रयोग किया जाता है जिससे स्वत: और निरंतर ऑक्सीजन की आपूर्ति होती है। जिओलाइट हवा से नाइट्रोजन को सोख लेता है और वापस वातावरण में छोड़ देता है और इस प्रकार से आउटलेट की वायु में ऑक्सीजन की सांद्रता में वृद्धि होती है। माइक्रोकंट्रोलर आधारित सर्किट के प्रभाव का इस्तेमाल कर वाल्व नियंत्रित किए जाते हैं। यह उपकरण 3 लीटर प्रति मिनट प्रवाह दर से 93 से 95 प्रतिशत ऑक्सीजन प्रदान करने में सक्षम है और इसकी कीमत 20,000 रुपये से भी कम है।

आईआईएसईआर, भोपाल के निदेशक प्रोफ़ेसर शिवा उमापति इस बारे में कहते हैं, “ऑक्सीकॉन उपकरण का विकास ओपन सोर्स टेक्नोलॉजी और सामग्री का उपयोग करके किया गया है जिससे इसकी कीमत कम रखने में मदद मिली है और एक बार इस को स्वीकृति मिल जाने पर इसे छोटे गांव से लेकर बड़े शहर तक कहीं भी उपयोग किया जा सकता है। संस्थान अपने विज्ञान और समाज केंद्र के माध्यम से इस प्रौद्योगिकी को उद्योगों को हस्तांतरित करने के लिए भी तैयार है। उन्होंने कहा कि हम ऐसे उद्योग के साथ सहयोग करने की इच्छा रखते हैं जो कि उसे आगे ले जाएं और सामाजिक हित के लिए इसका निर्माण करें।”

प्रोफेसर उमापति ने कहा, “आईआईएसईआर, भोपाल ने पिछले वर्ष भीड़भाड़ और मास्क पहनने के दिशानिर्देशों के पालन की निगरानी के लिए उपकरण जैसे उत्पाद भी बनाये हैं और अब ऑक्सीजन की मांग की पूर्ति के लिए ऑक्सीकॉन तैयार किया है। इसके अतिरिक्त संस्थान ने संभावित दवा खोजी है जिसका कोविड-19 के उपचार के लिए परीक्षण किया जाना है। संस्थान की एक अन्य प्रयोगशाला में सार्स कोरोनावायरस-2 के खिलाफ एंटीबॉडी के आकलन की परीक्षण पद्धति विकसित की गई है। संस्थान कोविड-19 के समाधान और संबंधित खोजों को भारत के लोगों के लाभ के लिए प्रस्तुत करने में उद्योगों तथा अन्य संगठनों से सहयोग के लिए इच्छुक है। यह उत्पाद मांगों की पूर्ति करने में सक्षम हैं।

इनोवेशन एंड इन्क्यूबेशन सेंटर फॉर आत्रप्रेन्योरशिप (आईआईसीई), आईआईएसईआर, भोपाल के सीईओ डॉ. अमजद हुसैन का कहना है कि आईआईएसईआर ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स की टेक्नॉलजी एक नॉन एक्सक्लूसिव अग्रीमेंट के तहत मैन्यूफैक्चरर्स कंपनियों और स्टार्टअप्स को ट्रांसफर करेगा। नॉन एक्सक्लूसिव अग्रीमेंट का मतलब है कि इस टेक्नॉलजी का उपयोग ज्यादा से ज्यादा कंपनियां और स्टार्ट अप्स कर सकेंगे ताकि बड़े पैमाने पर इस सस्ते ऑक्सीजन कंसंट्रेटर्स का उत्पादन हो सके और लोगों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके। इस बारे में कुछ कंपनियों ने अपनी रुचि दिखाई है और उनसे बात की जा रही है। उन्होंने कहा कि जल्द ही सकारात्मक परिणाम सामने आ सकेंगे।

ईईसीएस विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. मित्रदीप भट्टाचार्जी ने इस नवोन्मेष के और सुधार और वाणिज्यिक उपयोग के संबंध में कहा कि इसके सिस्टम प्रोटोटाइप का विकास किया जा चुका है और बाजार में वर्तमान में उपलब्ध वाणिज्यिक प्रणालियों से तुलना भी की गई है और हमें सकारात्मक प्रतिक्रिया प्राप्त हुई है। हम इसमें सुधार और निर्माण के लिए औद्योगिक भागीदारी तथा आवश्यक परीक्षण तथा स्वीकृति के बाद इसे प्रयुक्त करने के इच्छुक हैं।

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