भोपाल 24 मई ।लोकसभा चुनाव के परिणामों के बाद शुक्रवार को कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि गांधी के हत्यारे की विचारधारा जीत गई और शांति दूत हार गया ( वैसे दिग्विजय सिंह ने विवादित इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक को शांति दूत कहा था) उन्हें इस बात की चिंता है कि देश में महात्मा गांधी के हत्यारे की विचारधारा जीत गयी।
भोपाल संसदीय सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर पराजय के एक दिन बाद यहां संवाददाताओं से चर्चा में श्री सिंह ने कहा कि वे लोकतंत्र में विश्वास करते हैं और इस नाते लोकसभा चुनाव में विजय हासिल करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बधाई देते हैं। वे भाजपा के अन्य विजय हासिल करने वाले अन्य प्रत्याशियों को भी बधाई देते हैं। वे भोपाल से विजय हासिल करने वालीं भाजपा प्रत्याशी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को बधाई कल ही दे चुके हैं।
श्री सिंह ने कहा कि वे जनादेश स्वीकार करते हैं, लेकिन उनकी निजी चिंता यह है कि देश में महात्मा गांधी के हत्यारे की विचाधारा जीत गयी। और शांतिदूत महात्मा गांधी की विचारधारा हार गयी। यही उनकी सबसे बड़ी निजी चिंता है।
श्री सिंह ने एक सवाल के जवाब में कहा कि कांग्रेस का एक ही मूल मंत्र सत्य, अहिंसा, प्रेम और सद्भाव रहा है और वे भी इसी को मानते हैं। और चाहते हैं कि देश भी इन्हीं आदर्शाें पर चले। एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि जो भी नतीजे आए हैं, इससे साफ है कि महात्मा गांधी की हत्या करने वालों के विचार जीते हैं।
उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान कांग्रेस कमजोर नहीं रही। लेकिन भाजपा की ओर से जिस तरह से चुनाव प्रचार किया गया। देश की सुरक्षा को ही मुख्य मुद्दा बना दिया गया। विकास संबंधी मुद्दे भाजपा की ओर से नहीं उठाए गए। इसी तरह भाजपा ने वर्ष 2014 में काले धन, रोजगार और अन्य मुद्दों को लेकर जो वादे किए थे, उन पर बिल्कुल बात नहीं की। इस प्रकार पेश किया गया कि देश को बचाना है तो मोदी ही बचा सकता है। इस तरह जनता ने देश की सुरक्षा के नाम पर वोट दे दिया। उन्होंने कहा कि जबकि स्थिति इससे बिल्कुल अलग हैं। पिछले पांच वर्षों के दौरान देश में सबसे ज्यादा हमले हुए और हमने अनेक जवानों और अधिकारियों को खोया।
बता दें कि भोपाल लोकसभा सीट पर बीजेपी उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने दिग्विजय सिंह को 3,64,822 वोटों के अंतर से हराया है।
दिग्विजय सिंह ने आगे कहा कि वे भोपाल की जनता से किए हर वादे को पूरा करेंगे। इस दौरान मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि 2014 के चुनाव में 280 का नारा दिया था इस बार 300 पर का नारा दिया, इनके पास कौन सी जादू की छड़ी है, जो अपने लक्ष्य को पूरा कर लेती है।
दिग्विजय ने कहा मैं जीत नही पाया लेकिन जो भी वादे किए पूरा करने का प्रयास करूंगा। उन्होंने कहा कि राजनीति में उतार चढ़ाव आते रहते हैं। हम अपना काम करते रहेंगे और जनता से जो वादे किए है पूरा करेंगे। भारत के लोकतंत्र पर हम सबका विश्वास है।
सिंह ने प्रदेश की जनता से कहा कि कांग्रेस के विजन डॉक्यूमेंट को भी पूरा किया जाएगा। इस मसले पर सीएम कमलनाथ से भी वो पहले ही चर्चा कर चुके हैं। वह भोपाल की जनता के बीच रहकर उस डॉक्यूमेंट पर अमल करेंगे।
राजधानी भोपाल में विकास के मुद्दे से इतर पूरे प्रचार के दौरान हिंदुत्व का मुद्दा छाया रहा। प्रज्ञा ठाकुर ने इस चुनाव को जहां ‘धर्म युद्ध’ करार दिया और कहा कि उन्हें ‘बाबरी मस्जिद को गिराने में सहयोग करने पर गर्व है।’ वहीं दिग्विजय सिंह ने चुनाव प्रचार के दौरान कई मंदिरों का दौरा किया और कंप्यूटर बाबा के नेतृत्व में सैकड़ों साधुओं ने ‘हठ योग’ किया। इसके जरिए दिग्विजय ने प्रज्ञा ठाकुर के हिंदुत्व के दांव को कुंद करने का प्रयास किया। लेकिन नतीजे साध्वी के पक्ष में गया।
दिग्विजय सिंह ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अभी भी नहीं पचा रहा है कि राज्य में कांग्रेस की सरकार आ गयी है।
श्री सिंह ने यहां पत्रकारों से चर्चा के दौरान एक सवाल के जवाब में कहा कि राज्य में हमारे विधायकों को तोड़ने के लिए करोड़ाें रूपयों का लालच दिया जा रहा है। लेकिन हमारे विधायक इससे प्रभावित नहीं हुए। हमें अपने विधायकों पर पूरा भरोसा है। बसपा के दो, समाजवादी पार्टी के एक और चार निर्दलीय विधायकों पर भी भरोसा है, जो राज्य की कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे हैं।
नवंबर दिसंबर 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने सरकार बनायी है। कुल 230 सीटों में से कांग्रेस 114 विधायकों के साथ सबसे बड़े दल के रूप में उभरा और उसे बसपा, सपा और निर्दलीय समेत सातों विधायकों का समर्थन हासिल है। पंद्रह सालों तक सत्ता में रही भाजपा के वर्तमान में 109 विधायक हैं।
लोकसभा चुनाव 2019 में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को कुल 8,66,482 और दिग्विजय सिंह को 5,01,660 वोट मिले। प्रज्ञा ठाकुर को इस सीट पर 60 पर्सेंट से भी ज्यादा वोट मिले हैं। बीएसपी कैंडिडेट माधो सिंह अहिरवार को 11,277 और नोटा को कुल 5,430 वोट मिले हैं।
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