बैतूल, 09 जून । मध्यप्रदेश के बैतूल जिले में करीब आधा सैकड़ा गांवों के लोग वैक्सीन लगाने से परहेज कर रहे है, जिसका असर टीकाकरण अभियान पर पड़ रहा है।
जिला टीकाकरण अधिकारी डॉक्टर अरविंद भट्ट ने आज बताया कि जिले के दस विकासखंड के करीब 1400 गांव में करीब 47 ऐसे गांव चिन्हित किए है जहॉ पर अभी तक एक भी व्यक्ति ने वैक्सीन नही लगाई है। इनमें आदिवासी गांवों की संख्या बहुत ज्यादा है। यहॉ के ग्रामीणों के मन में यह धारणा भर गई है कि यदि उन्होंने वैक्सीन लगाई तो बीमार हो जाएंगे और जल्दी मौत हो जाएगी। वैक्सीन लगने से नपुंसक हो जाएंगे। आंख में दिखना बहुत कम हो जाएगा।
बैतूल जिले के 47 गांव में अब तक एक भी व्यक्ति ने वैक्सीन नहीं लगवाई । बैतूल के ये गांव आदिवासी बाहुल्य हैं जहां के एक भी शख्स ने वैक्सीन नहीं लगवाई ।
वैक्सीन को लेकर मध्य प्रदेश के आदिवासियों में इतना डर है कि गांव के गांव वैक्सीन लगवाने से मना कर चुके हैं। राजधानी भोपाल से करीब 250 किलोमीटर दूर बैतूल जिले के गुराड़िया गांव जो पहाड़ों के बीच है। गांव में कोरकू जनजाति के करीब 600 लोग रहते हैं लेकिन किसी ने भी वैक्सीन नहीं लगवाई ।
कोरकू आदिवासियों में वैक्सीन को लेकर डर भरा हुआ है और लोग वैक्सीन का नाम सुनते ही बिदक रहे हैं । एक महिला से जब इसे लेकर पूछा गया तो वह वहां से जाने लगी।महिला ने कहा कि हम कोरोना का टीका नहीं लगाते. हमारे जंगलों में कोरोना नहीं है।महिला ने कहा कि टीका लगाने वाला आ जाए तब भी हम नहीं लगवाएंगे।शहरों में लोग गंदगी में रहते हैं।
महिला ने यह भी दावा किया कि आप बता दो हमारे इलाके में कोई कोरोना से मरा हो।
एक आदिवासी युवक ने भी कहा कि यहां कोरोना-वोरोना नहीं है. जो कोरोना का टीका लगाते जा रहे वो आदमी मरते जा रहे हैं. युवक अभी बोल ही रहा था महिलाएं चिल्लाने लगीं और वह चला गया।
कड़क सिंह भी कोरोना का टीका नहीं लगवाए कहकर चले गए और पूछने पर दूर से हाथ हिलाकर मना कर दिया।गांव में एक शख्स ऐसा नहीं मिला जिसने वैक्सीन लगवाई हो।गांव में लोग बात करने से भी कन्नी काटते नजर आए।
सतपुड़ा के जंगलों में रहती हैं कोरकू जनजाति :
दरअसल, कोरकू जनजाति के लोग सतपुड़ा के जंगलों और पहाड़ों से घिरे इलाकों में पाए जाते हैं। इनमे से ज्यादातर या तो मक्के की छोटी-मोटी खेती करते हैं या तेंदूपत्ता की मजदूरी से अपना घर चलाते हैं।बेहद गरीबी में जीवन बिताने वाले कोरकू जनजाति के लोग ज्यादा पढ़े-लिखे भी नहीं होते और यही एक बड़ी वजह है कि वैक्सीन को लेकर इनके बीच यह डर इतनी तेजी से फैला है।
जिले के टीकाकरण अधिकारी भी यह मान रहे हैं कि वैक्सीन को लेकर आदिवासी बाहुल्य गांवों में अफवाहों का बाजार गर्म है और ऐसे गांवों की संख्या 47 है जहां एक भी शख्स ने अब तक वैक्सीन नहीं लगवाई है।
क्या कहते हैं टीकाकरण अधिकारी
बैतूल के जिला टीकाकरण अधिकारी डॉक्टर अरविंद भट्ट ने कहा कि जिले में करीब 14 सौ गांव हैं. इनमें से 47 गांव में एक भी आदमी ने वैक्सीन नहीं लगवाई है. उन्होंने बताया कि अकेले भीमपुर ब्लॉक में ही 33 गांव ऐसे हैं जहां आदिवासी आबादी अधिक है. डॉक्टर भट्ट ने कहा कि इन गांवों में गया भी हूं और बात भी की है. उन्होंने कहा कि इन गांवों के लोगों में वैक्सीन को लेकर भ्रम की स्थिति है. उनके मन यह बात घर कर गई है कि वैक्सीन लगवाने से लोग बीमार पड़ रहे हैं या मर रहे हैं।