मुंबई, एक दिसंबर ।सौरव गांगुली की अगुवाई वाले बीसीसीआई ने रविवार को उसके पदाधिकारियों के कार्यकाल को सीमित करने वाले प्रशासनिक सुधारों में ढिलाई देने के लिए उच्चतम न्यायालय की स्वीकृति लेने का फैसला किया और साथ ही आईसीसी की मुख्य कार्यकारियों की समिति की बैठक में भाग लेने के लिये सचिव जय शाह को अपना प्रतिनिधि बनाया।
पूर्व भारतीय कप्तान गांगुली के कार्यकाल को आगे बढ़ाने के लिए कार्यकाल की सीमा से जुड़े नियम में ढिलाई के लिए उच्चतम न्यायालय की स्वीकृति और शाह को आईसीसी बैठक के लिए नियुक्त करने का फैसला यहां बीसीसीआई की 88वीं वार्षिक आम बैठक में किया गया।
गांगुली ने एजीएम के बाद संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘आखिर में फैसला अदालत ही करेगी। ’’
मौजूदा संविधान के अनुसार अगर किसी पदाधिकारी ने बीसीसीआई या राज्य संघ में मिलाकर तीन साल के दो कार्यकाल पूरे कर लिए हैं तो उसे तीन साल का अनिवार्य ब्रेक लेना होगा।
गांगुली ने 23 अक्टूबर को बीसीसीआई अध्यक्ष का पद संभाला था और उन्हें अगले साल पद छोड़ना होगा लेकिन छूट दिए जाने के बाद वह 2024 तक पद पर बने रह सकते हैं।
मौजूदा पदाधिकारी चाहते हैं कि अनिवार्य ब्रेक किसी व्यक्ति के बोर्ड और राज्य संघ में छह साल के दो कार्यकाल अलग-अलग पूरा करने पर शुरू हो।
इस कदम को अगर स्वीकृति मिलती है तो सचिव जय शाह के कार्यकाल को बढ़ाने का रास्ता भी साफ हो जाएगा। शाह के मौजूदा कार्यकाल में भी एक साल से कम समय बचा है।
इसके अलावा शाह को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद की मुख्य कार्यकारियों की समिति की भविष्य की बैठकों में हिस्सा लेने के लिए भारत का प्रतिनिधि चुना गया।
उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति (सीओए) जब बोर्ड का प्रशासनिक कामकाज देख रही थी तब बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी इन बैठकों में बीसीसीआई के प्रतिनिधि थे।
लेकिन अब पूर्ण बोर्ड के पदभार संभालने के बाद यह जिम्मेदारी एक बार फिर सचिव को सौंप दी गई है।
गांगुली ने कहा, ‘‘आईसीसी सीईसी में बोर्ड का प्रतिनिधि सचिव होगा, यह आईसीसी का नियम है। ’’
बीसीसीआई ने हालांकि आईसीसी के बोर्ड की बैठक के लिए अभी अपने प्रतिनिधि पर फैसला नहीं किया है।
इसके अलावा बोर्ड ने क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) की नियुक्ति को टालने का फैसला किया।
गांगुली ने कहा, ‘‘हम सीएसी गठित करेंगे और हम (लोकपाल) न्यायमूर्ति डी के जैन से मिलेंगे। मुझे और वीवीएस (लक्ष्मण) को इसमें शामिल नहीं पाया गया था। हमें इस पर स्पष्टता की जरूरत है कि हितों का टकराव क्या है और क्या नहीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह नियम सभी को रोकता है, इसलिए हम सीएसी का गठन नहीं कर सकते। टकराव (का नियम) केवल हमारे (पदाधिकारियों के) लिये होना चाहिए। ’’
नए संविधान में हितों के टकराव से जुड़े नियम के कारण सचिन तेंदुलकर, वीवीएस लक्ष्मण और गांगुली ने सीएसी से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद कपिल देव, शांता रंगास्वामी और अंशुमन गायकवाड़ ने पुरुष टीम के मुख्य कोच की निुयक्ति की थी।
पुरुष टीम के मुख्य कोच के रूप में रवि शास्त्री का कार्यकाल बढ़ाया गया था।
गांगुली ने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि सचिन और लक्ष्मण वापसी करना चाहेंगे। ’’
सीएसी हितों के टकराव के कथित मामले के कारण विवाद में घिर गई थी जिसके बाद इसके तीन शुरुआती सदस्यों तेंदुलकर, गांगुली और लक्ष्मण ने इस्तीफा दे दिया था।
रंगास्वामी और गायकवाड़ अब भारतीय क्रिकेटर्स संघ के प्रतिनिधि के रूप में शीर्ष परिषद का हिस्सा हैं। चयन समिति की नियुक्ति सीएसी का विशेषाधिकार है।
बोर्ड साथ ही चाहता है कि भविष्य में संवैधानिक संशोधनों से जुड़े फैसलों से अदालत को दूर रखा जाए और प्रस्ताव दिया है कि अंतिम फैसला करने के लिए एजीएम में तीन-चौथाई बहुमत पर्याप्त होगा।
अधिकारियों का मानना है कि प्रत्येक संशोधन के लिए उच्चतम न्यायालय की स्वीकृति लेना व्यावहारिक नहीं है लेकिन मौजूदा संविधान के तहत ऐसा करना जरूरी है।
गांगुली ने चयनसमिति को लेकर कहा, कार्यकाल से अधिक समय तक नहीं रह सकते:
बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली ने रविवार को संकेत दिये कि चयनसमिति के जिन सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो गया है उन्हें सेवा विस्तार नहीं दिया जाएगा क्योंकि ‘‘आप अपने कार्यकाल से अधिक समय तक पद पर नहीं रह सकते। ’’
बीसीसीआई पुराने संविधान में चयनसमिति के लिये अधिकतम कार्यकाल चार साल का था और इस आधार पर इसके अध्यक्ष एमएसके प्रसाद और उनके साथी गगन खोड़ा का कार्यकाल समाप्त हो चुका है। संशोधित संविधान में अधिकतम पांच साल के कार्यकाल का प्रावधान है।
प्रसाद और खोड़ा को 2015 में नियुक्त किया गया था जबकि जतिन परांजपे, शरणदीप सिंह और देवांग गांधी 2016 में चयनसमिति से जुड़े थे और उनके कार्यकाल का अभी एक साल बचा हुआ है।
संशोधित संविधान में हालांकि अधिकतम पांच साल के कार्यकाल का प्रावधान है।
गांगुली ने कहा, ‘‘कार्यकाल समाप्त हो गया है मतलब कार्यकाल समाप्त हो चुका है। आप कार्यकाल से अधिक समय तक पद पर नहीं रह सकते और उनमें से अधिकतर का कार्यकाल समाप्त नहीं हुआ है, इसलिए वे बने रहेंगे और मुझे नहीं लगता कि इसमें परेशानी होनी चाहिए। ’’
गांगुली ने कहा कि वे हर साल चयनकर्ताओं की नियुक्ति नहीं कर सकते।
उन्होंने कहा, ‘‘आपने जरूर सुना होगा कि आईसीसी प्रत्येक वर्ष टूर्नामेंट चाहती है, इसका मतलब यह नहीं है कि चयनकर्ता हमेशा बने रहेंगे। हमारे यहां कार्यकाल तय है और हमें उसका ध्यान रखना होगा। ’’
गांगुली के बयान से लगता है कि नये चयनकर्ताओं का कार्यकाल पांच साल का होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘उनका कार्यकाल पांच साल का है, वे पांच साल तक रह सकते हैं लेकिन हम यह करेंगे कि हम चयनकर्ताओं का कार्यकाल तय करके उनकी नियुक्ति करेंगे। ’’
प्रसाद की अगुवाई वाली चयनसमिति के कार्य के बारे में गांगुली ने कहा, ‘‘उन्होंने अच्छी भूमिका निभायी। टीम ने अच्छा प्रदर्शन किया और हमें किसी तरह की परेशानी नहीं है। ’’
भारतीय टीम ने पांच सदस्यीय पैनल के कार्यकाल के दौरान अच्छी सफलताएं हासिल की लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कम अनुभव के कारण उन्हें लगातार आलोचनाओं का सामना करना पड़ता था।