विपक्षी दलों का प्रधानमंत्री पद का चेहरा बनने के लिए नीतीश कुमार कभी भी बिहार में भाजपा का साथ छोड़कर महागठबंधन की सरकार बना लेंगे;अस्पताल के वार्ड में लिखी गई उठापटक की पटकथा!attacknews.in

जेडीयू-बीजेपी में तनातनी के बीच बिहार के CM नीतीश कुमार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से संपर्क किया

पटना/नईदिल्ली 8 अगस्त।बहुत ही बड़ी रणनीति के तहत बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आगामी लोकसभा चुनाव में विपक्ष का प्रधानमंत्री पद के लिए सर्वमान्य चेहरा बनने के लिए सोनिया गांधी और लालू प्रसाद यादव को साधकर एनडीए से अलग होने की तैयारी कर ली हैं और कभी भी बिहार में महागठबंधन की सरकार बनाकर विपक्षी दलों का नेतृत्व कर सकते हैं ।

दिन बुधवार और तारीख थी छह जुलाई। यही कोई सुबह 11:00 बजे का वक्त था। पटना के पारस अस्पताल के बाहर अचानक सुरक्षा इंतजाम चाक-चौबंद होने लगे। पुलिस प्रशासन से लेकर सुरक्षा एजेंसियों का पूरा अमला चंद मिनट में अस्पताल को अपने घेरे में ले चुका था।

इतनी सतर्कता के बीच अचानक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पारस अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर बने वीवीआइपी वार्ड में लालू यादव से मिलने पहुंचते हैं।

वार्ड में ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा जाता है कि क्या लालू यादव को सरकारी खर्चे पर दिल्ली भेजा जाएगा। सवाल सुनते ही नीतीश कुमार ने कहा…यह कोई पूछने वाली बात है। लालू जी को तो सिंगापुर लेकर जाना था इलाज के लिए। फिलहाल दिल्ली एम्स में उनकी सभी जाचें होंगी और इलाज होगा। उसके बाद डॉक्टर तय करेंगे कि आगे क्या किया जाना है।

इसके बाद बिहार में सियासी अटकलों के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से फोन पर बात करने का दावा किया जा रहा है. बताया गया है कि दोनों नेताओं के बीच मौजूदा राजनीतिक हालात पर चर्चा हुई।

बताया जा रहा है कि आने वाले 48 घंटे बिहार में गठबंधन राजनीति के लिए बेहद अहम हैं. जेडीयू एक बार फिर महा गठबंधन के साथ फिर से सरकार बना सकता है. बीजेपी को छोड़कर सभी दलों ने विधायक दल की बैठक बुलाई है।

सूत्रों के मुताबिक, सांसदों और विधायकों की बैठक में अहम फैसला हो सकता है. 2017 में महागठबंधन से अलग होकर जेडीयू एनडीए में शामिल हुई थी. 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद महागठबंधन बना था, तब उसके साथ जदयू भी थी.

कांग्रेस प्रभारी पटना रवाना

इस बीच बिहार कांग्रेस प्रभारी पटना रवाना हो गए हैं. आरसीपी सिंह के इस्तीफे के बाद जेडीयू ने पार्टी सांसदों की बैठक बुलाई है, जिसके बाद सूबे की राजनीति में अटकलों का दौर तेज हो गया है. पार्टी ने सभी सांसदों को सोमवार शाम तक पटना आने को कहा है. इस बैठक में जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह भी मौजूद रहेंगे.

कई पार्टियों ने बुलाई बैठक

इसके अलावा मंगलवार को कांग्रेस ने भी विधायक दल की बैठक बुलाई है. जबकि आरजेडी ने भी अपने विधायकों से पटना में रहने को कहा है. इन सारे घटनाक्रमों से अटकलें लगाई जा रही हैं कि बिहार की राजनीति जल्द ही करवट लेने वाली है.

हालांकि जेडीयू यह भी कह रही है कि वह नरेंद्र मोदी कैबिनेट का हिस्सा नहीं बनेगी लेकिन दोनों पार्टियां साथ हैं. मगर राजनीतिक घटनाक्रम को देखते हुए अटकलें तेज हो गई हैं कि दोनों पार्टियों के बीच सब ठीक नहीं है.

पिछले महीने सीएम नीतीश कुमार राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के शपथ ग्रहण समारोह में भी नहीं आए थे. कल 7 अगस्त को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली नीति आयोग की बैठक से भी सीएम नीतीश कुमार नदारद रहे.

भाजपा-जद यू की दोस्ती टूटने की नौबत…

बिहार में चल रही भाजपा-जद यू की दोस्ती टूटने की नौबत किनारे पर है। बिहार में तेज हुई सियासी हलचल के बीच बड़े फेरबदल की भी संभावनाएं जताई जा रही हैं। साथ ही जेडीयू और भाजपा की राहें भी अलग होने के आसार हैं।

शनिवार को ही पूर्व केंद्रीय मंत्री ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच जदयू से इस्तीफा दे दिया था। बिहार में आरसीपी सिंह और कुमार के बीच बीते कुछ समय से मतभेद की खबरें हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, बीते साल केंद्रीय मंत्रिमंडल विस्तार में सिंह बगैर कुमार की सहमति के केंद्रीय मंत्री बन गए थे।जारी सियासी उथल-पुथल के बीच आज राज्य के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलने का वक्त मांगा है. बीते कुछ दिनों की सियासी घटनाओं के कारण शुरू हुए प्रतिक्रियाओं के दौर के बीच उपमुख्यमंत्री ने मुख्यमंत्री से मिलने का वक्त मांगा है. मुलाकात के दौरान राज्य की राजनीतिक स्थिति पर चर्चा होने की संभावना है. इधर, कांग्रेस ने भी अपने विधायकों की एक बैठक पटना में बुलाई है.

गौरतलब है कि इन दिनों बीजेपी और जेडीयू के बीच खूब खींचतान हो रही है. लेकिन दोनों पार्टियां इस बात को स्वीकार नहीं कर रहीं हैं. जेडीयू ने अपनी सहयोगी भारतीय जनता पार्टी बीजेपी के साथ अनबन की अटकलों को खारिज करते हुए उसके साथ सब कुछ ठीक होने का दावा किया है, लेकिन यह भी स्पष्ट कर दिया है कि वह फिर से केंद्रीय मंत्रिपरिषद में शामिल नहीं होगी.

जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन ने रविवार को पटना में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अनुपस्थिति के बारे में सवालों को खारिज करते हुए कहा, ”आपको मुख्यमंत्री से इस बारे में पूछना चाहिए.

नीति आयोग की बैठक में नीतीश की अनुपस्थिति को लेकर आधिकारिक तौर पर कोई स्पष्टीकरण अब तक नहीं आया है पर मुख्यमंत्री के करीबी सूत्रों के अनुसार कोरोना वायरस से संक्रमण के बाद की अपनी शारीरिक कमजोरी का हवाला देते हुए नीतीश ने उक्त बैठक में शामिल होने पर असमर्थता जताई. हालांकि, इस वजह से कयासों का गौर निकल पड़ा है.

उधर विपक्षी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने अपने विधायकों को अगले कुछ दिनों के लिए पटना में रहने का आदेश दिया है, जिससे अटकलें लगाई जा रही हैं कि राज्य में एक और महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम होने वाला है.

ललन ने बीजेपी के साथ सबकुछ ठीक होने का दावा करते हुए राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनावों में जेडीयू के समर्थन का हवाला दिया. उन्होंने कहा, ”हमारे पूर्व प्रदेश अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने व्हीलचेयर पर मतदान केंद्र पहुंचकर मतदान किया जेडीयू अध्यक्ष ने कहा, ”बीजेपी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग)के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का इससे मजबूत प्रदर्शन नहीं हो सकता.

अश्विनी चौबे ने कहा की बिहार में कोई संकट नही है;

अश्विनी चौबे केंद्रीय मंत्री,ने बिहार के राजनीतिक हालात पर कहा की कोई संकट नही है,गठबंधन है और रहेगा,अफवाहों का बाजार गर्म है,नीतीश दिल्ली नही आए कुछ कारण हो सकते है लेकिन गठबंधन बरकरार रहेगा।

नीतीश कुमार ने सोनिया गांधी को मिलाया फोन?

इधर नीतीश कुमार ने भारतीय जनता पार्टी से तकरार की खबरों के बीच विधायकों और सांसदों की बैठक बुलाई ।

उन्होंने रविवार को कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से भी बात की। खास बात है कि जनता दल यूनाइटेड के नेता पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कैबिनेट में शामिल होने के बात से इनकार कर चुके हैं।

कांग्रेस हो रही सक्रिय!-

रविवार को दिल्ली में पीएम मोदी की अध्यक्षता में नीति आयोग की बैठक हुई थी, जिसमें राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी समेत कई बड़े नाम शामिल हुए थे। खास बात है कि इस मीटिंग से कुमार गायब रहे थे। जबकि, खबरें हैं कि वह प्रदेश की राजधानी पटना में आयोजित दो कार्यक्रमों में शामिल हुए थे।विधायक दल की बैठक बुलाई है।

बिहार विधानसभा में दलीय स्थिति :

कुल सदस्य 243
भाजपा 77
जदयू 45
हम 4
निर्दलीय 1
कुल 127
महागठबंधन
राजद 80
कांग्रेस 19
भाकपा माले 12
भाकपा 2
माकपा 2
एआईएमआईएम 01
-कुल 115

अस्पतालों के वार्डों में लिखी गई राजनीतिक उठापटक की पटकथा!

दिन बुधवार और तारीख थी छह जुलाई। यही कोई सुबह 11:00 बजे का वक्त था। पटना के पारस अस्पताल के बाहर अचानक सुरक्षा इंतजाम चाक-चौबंद होने लगे। पुलिस प्रशासन से लेकर सुरक्षा एजेंसियों का पूरा अमला चंद मिनट में अस्पताल को अपने घेरे में ले चुका था।

इतनी सतर्कता के बीच अचानक बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पारस अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर पर बने वीवीआइपी वार्ड में लालू यादव से मिलने पहुंचते हैं।

वार्ड में ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से पूछा जाता है कि क्या लालू यादव को सरकारी खर्चे पर दिल्ली भेजा जाएगा। सवाल सुनते ही नीतीश कुमार ने कहा…यह कोई पूछने वाली बात है। लालू जी को तो सिंगापुर लेकर जाना था इलाज के लिए। फिलहाल दिल्ली एम्स में उनकी सभी जाचें होंगी और इलाज होगा। उसके बाद डॉक्टर तय करेंगे कि आगे क्या किया जाना है।
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लोकसभा चुनाव के पहले ही बिखर गया विपक्ष;राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति चुनाव से विपक्ष में उभरा मतभेद, कांग्रेस-टीएमसी में घमासान तेज attacknews.in

नयी दिल्ली 8 अगस्त । राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव की प्रक्रिया खत्म हो चुकी है लेकिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बीच जुबानी जंग शुरू होने के साथ विपक्षी दलों में कड़वाहट बढ़ती दिख रही है।

इन चुनावों में विपक्षी दलों के उम्मीदवारों की हार अपेक्षित थी, लेकिन कई लोगों को तब हैरानी हुई जब विपक्ष के बीच राजनीतिक मतभेद उजागर हो गया। विश्लेषकों का कहना है कि दोनों मुख्य विपक्षी दलों के वाकयुद्ध में उतरने और टीएमसी के उपराष्ट्रपति चुनाव से दूरी बनाने के फैसले से 2024 के आम चुनाव की लिए तैयारी कर रहे विपक्ष के मनोबल पर असर पड़ा है और उनकी राजनीतिक संभावना को भी नुकसान पहुंचने की आशंका है।

कांग्रेस और टीएमसी राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का साझा उम्मीदवार तय करने के लिए श्रेय लेने की होड़ में थी लेकिन उपराष्ट्रपति चुनाव के दौरान दोनों के मतभेद उजागर हो गए।

कांग्रेस की वरिष्ठ नेता मार्गरेट आल्वा को विपक्ष ने सत्तारूढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के जगदीप धनखड़ के खिलाफ उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए मैदान में उतारा, लेकिन ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी ने घोषणा की कि पार्टी चुनाव से दूर रहेगी क्योंकि उम्मीदवार पर फैसला करने से पहले कोई उचित परामर्श नहीं हुआ।

आल्वा की पहली प्रतिक्रिया कठोर थी , जिसमें उन्होंने कहा कि यह अहंकार या क्रोध का समय नहीं है, बल्कि साहस, नेतृत्व और एकजुटता का समय है। हालांकि, उन्हें उम्मीद थी कि बनर्जी साथ देंगी और उनका समर्थन करेंगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

हार के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सार्वजनिक टिप्पणी में टीएमसी को लेकर नाराजगी प्रकट की। रमेश ने ट्वीट कर कहा कि मार्गरेट आल्वा ने एक उत्साही अभियान चलाया और यह बहुत बुरा है कि टीएमसी ने उनका समर्थन नहीं किया। उन्होंने कहा कि भारत को अपनी पहली महिला उपराष्ट्रपति के लिए इंतजार करना होगा।

आल्वा ने चुनाव में उनका समर्थन नहीं करने को लेकर तृणमूल कांग्रेस पर परोक्ष रूप से निशाना साधते हुए कहा कि भाजपा का प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से समर्थन करके, कुछ दलों और उनके नेताओं ने अपनी विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाया है।

आल्वा ने कहा कि यह चुनाव विपक्ष के लिए साथ मिलकर काम करने, अतीत को भुलाने और विश्वास बहाल करने का अवसर था।

आल्वा ने कहा, ‘‘चुनाव संपन्न हो गया। हमारे संविधान की रक्षा करने, लोकतंत्र को मजबूत बनाने और संसद की गरिमा बहाल करने के लिए संघर्ष जारी रहेगा।’’

वहीं, टीएमसी नेता साकेत गोखले ने एक टीवी चैनल पर कहा कि कांग्रेस टीएमसी की सहयोगी नहीं है और वे समान विचारधारा वाली पार्टियां थीं।

उन्होंने उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद कहा, ‘‘कांग्रेस ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के साथ पश्चिम बंगाल में टीएमसी के खिलाफ लड़ाई लड़ी। जिस तरह से विपक्षी उम्मीदवार का फैसला किया गया था, उसके कारण हमने दूर रहने का फैसला किया।’’

टीएमसी के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने रविवार को धनखड़ को उनकी जीत पर बधाई दी और कहा, ‘‘आशा और कामना है तथा आग्रह है कि आप उन सभी लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरेंगे, जिन्होंने आपको वोट दिया और समर्थन किया और जो अनुपस्थित रहे या मतदान या समर्थन नहीं किया। जय हिंद!’’

विपक्षी दलों में मतभेद ही नहीं उजागर हुए बल्कि इन दलों को चुनावों में ‘क्रॉस वोटिंग’ का भी सामना करना पड़ा।

राष्ट्रपति चुनाव में झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने विपक्षी दलों के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा का समर्थन करने के बजाय राजग उम्मीदवार का साथ दिया।

असम, झारखंड और मध्य प्रदेश विधानसभाओं में बड़ी संख्या में विपक्षी दलों के विधायकों ने भाजपा के नेतृत्व वाले राजग की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू को वोट दिया।

उपराष्ट्रपति चुनाव में, शिशिर अधिकारी और उनके बेटे दिब्येंदु अधिकारी ने अपनी पार्टी टीएमसी के मतदान से दूर रहने का फैसला करने के बावजूद मतदान किया।

राजग उम्मीदवार मुर्मू और धनखड़, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में आराम से जीत गए और विपक्ष को अपेक्षित संख्या से भी कम समर्थन मिला।

राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई ने कहा कि चुनावों के परिणाम पहले से ही स्पष्ट थे, लेकिन विपक्षी दलों के बीच एकजुटता की कमी ने सत्तारूढ़ राजग को चुनौती देने वाली पार्टियों के लिए 2024 की राह को और कठिन बना दिया है।

किदवई ने कहा, ‘‘विपक्षी दलों में दरार उजागर हो गई है। इसने विपक्ष के लिए 2024 को लेकर बहुत सारी समस्याएं पैदा कर दी हैं क्योंकि इसने दो प्रमुख विपक्षी दलों के बीच संवाद की कमी को उजागर किया है तथा दोनों दलों के बीच एक-दूसरे के नेताओं को अपने पाले में करने का दौर फिर से शुरू होने की खबर है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इस स्थिति में पहुंचने के लिए दोनों दल जिम्मेदार हैं। कांग्रेस को यह समझना चाहिए कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पार्टी उसकी सबसे बड़ी ताकत है और इसी तरह टीएमसी को यह समझने की जरूरत है कि कांग्रेस देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी बनी हुई है।’’

इसी तरह के विचार व्यक्त करते हुए, राजनीतिक टिप्पणीकार और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के प्रोफेसर संजय के पांडे ने कहा कि राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों में जो हुआ वह विपक्षी दलों के लिए ठीक नहीं है। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों की आलोचना की सार्वजनिक टिप्पणियों ने कोई मदद नहीं की और असल में मतभेदों को बढ़ाया।

पांडे ने कहा ,उनकी एकजुटता से परिणाम पर कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन 2024 के चुनावों के लिए एक संदेश जाता।

उन्होंने कहा, ‘‘इससे पता चलता है कि उनमें से कोई भी एकता के बारे में चिंतित नहीं है, बल्कि केवल उन्हें अपने हित से मतलब है।’’
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एनआईए ने दाऊद इब्राहिम के दो सहयोगियों को किया गिरफ्तार attacknews.in


मुंबई 13 मई । राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के दो साथियों को गिरफ्तार किया है।

पकड़े गए आरोपियों की पहचान आरिफ अबुबकर शेख ( 59) और शब्बीर अबुबकर शेख (51) के तौर पर हुयी है। ये दोनों सगे भाई हैं।

जांच एजेंसी ने इन दोनों को गुरुवार शाम को शहर के उपनगरों में स्थित इनके आवासों से गिरफ्तार किया। इन दोनों को आज दोपहर में एनआईए की विशेष अदालत में पेश किया गया ।

एनआईए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि शेख भाइयों के नाम से जाने जाने वाले दोनों मुंबई के पश्चिमी उपनगरों में दाऊद की अवैध गतिविधियों और आतंकवादी वित्तपोषण को संभालने में शामिल रहे हैं।

विश्व में कोरोना से जान गंवाने वालों की संख्या पहुंची 58.62 लाख के पार,भारत में ही 4 लाख 28 हजार के करीब हुई मौतें attacknews.in

वाशिंगटन, 18 फरवरी । कोरोना वायरस महामारी की रफ्तार भारत सहित दुनिया के कई हिस्सों में भले ही धीमी पड़ती नजर आ रही है, लेकिन नये मामले और इससे होने वाली मौतों का क्रम अब भी बना हुआ है, जो चिंता का विषय है।


दुनिया भर में कोरोना वायरस संक्रमण की चपेट में आकर मरने वालों की संख्या बढ़कर 58,62,560 हो गयी है तथा संक्रमितों की संख्या बढ़कर 41,96,83,838 हो गयी है।

अमेरिका की जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के कोरोना वायरस रिसोर्स सेंटर की तरफ से दी गई जानकारी के मुताबिक, अब तक विश्व भर में कोराेना वैक्सीन की कुल 10,30,46,87,211 डोज दी जा चुकी है।

दुनिया भर में कोरोना संक्रमण के शीर्ष दस देशों में अमेरिका पहले स्थान पर है, जहां इस महामारी के कुल मामलों की संख्या 7,82,69,443 और अब तक कुल 9,31,741 लोगों की मौत हो चुकी है। दूसरे स्थान पर भारत है, जहां कोविड संक्रमितों की कुल संख्या 4,27,80,235 हो गई है जबकि कोविड-19 के कारण अब तक जान गंवाने वाले लोगों का आंकड़ा बढ़कर 5,10,905 हो गया है।

इसके बाद इटली तीसरे स्थान पर है, जहां संक्रमितों की कुल संख्या 1,23,23,398 है, जबकि देश में मृतकों का आंकड़ा 1,52,282 हो गया है।

ब्राजील में कोरोना से अब तक 2,79,40,119 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 6,42,156 लोगों की मौत हो चुकी है।

फ्रांस में कोविड-19 से 2,22,23,882 लोग संक्रमित हुए हैं तथा 1,37,143 लोगों की मौत हुई है।

जर्मनी में वैश्विक महामारी से अभी तक 1,33,09,040 लोग प्रभावित हुए हैं। देश में मृतकों का आंकड़ा 1,20,997 तक पहुंच गया है।

वहीं, ब्रिटेन में अभी तक करीब 1,86,28,702 लोग इस महामारी से प्रभावित हो चुके हैं, जबकि 1,60,785 लोगों की इस जानलेवा वायरस से मौत हो चुकी है।

स्पेन में कोरोना से अब तक 1,07,78,607 लोग प्रभावित हुए हैं तथा 97,710 लोगों की मौत हो चुकी है।

रूस में कोरोना के मामलों की संख्या बढ़कर 1,46,24,423 हो गई है और इस महामारी से अब तक 3,36,299 लोगों की मौत हो गयी है।

तुर्की में कोरोना संक्रमितों की कुल संख्या 1,32,66,265 हो गई है। देश में कोरोना संक्रमण से अब तक 91,646 लोग जान गंवा चुके हैं।

भारत रत्न लता मंगेशकर: जिनकी आवाज ही उनकी पहचान बन गई attacknews.in

मुंबई, छह फरवरी । देश के संगीत जगत की सबसे बड़ी हस्तियों में शुमार रहीं और स्वर कोकिला के नाम से जानी जाने वाली तथा ‘भारत रत्न’ से सम्मानित लता मंगेशकर का रविवार को निधन हो गया, लेकिन वह अपने सुरीले गीतों के जरिए संगीत प्रेमियों के दिलों में सदा अमर रहेंगी।


उनके गीतों ने कभी प्रेम, कभी खुशी, कभी दुख की भावनाओं को व्यक्त किया तो कभी संगीत की धुनों पर नाचने पर मजबूर कर दिया।

उन्होंने मनुष्य की हर भावना को अपनी आवाज के जरिए संगीत प्रेमियों के दिलों तक पहुंचाया। उनकी आवाज ने ग्रामोफोन की दुनिया से लेकर डिजिटल युग तक का सफर तय किया और कई गीतों को अविस्मरणीय बना दिया।

मंगेशकर का रविवार को यहां ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। वह 92 वर्ष की थीं। उन्होंने केवल हिंदी ही नहीं, बल्कि भारत की लगभग हर भाषा में गीत गाए।

मंगेशकर ने मधुबाला से लेकर प्रीति जिंटा तक कई पीढ़ियों के फिल्मी कलाकारों के लिए पार्श्व गायन किया। दक्षिण एशिया में लाखों लोग मंगेशकर की ‘स्वर्णिम आवाज’ से अपने दिन की शुरुआत करते हैं और सुकून देने वाली उनकी आवाज सुनकर ही अपना दिन समाप्त करते हैं।

उन्हें ‘सुर सम्राज्ञी’, ‘स्वर कोकिला’ और ‘सहस्राब्दी की आवाज’ समेत कई उपनाम दिए गए। उन्हें उनके प्रशंसक लता दीदी के नाम से संबोधित करते थे।

इंदौर में जन्मीं मंगेशकर ने मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिए मात्र 13 वर्ष की आयु में 1942 में अपना पहला गीत रिकॉर्ड किया था। इसके 79 वर्ष बाद पिछले साल अक्टूबर में विशाल भारद्वाज ने मंगेशकर का गाया ‘ठीक नहीं लगता’ गीत जारी किया था। इस गीत के बोल गुलजार ने लिखे हैं और ऐसा माना जा रहा था कि यह गीत खो गया था।

मंगेशकर ने यह गीत जारी होने के कुछ दिन बाद ‘पीटीआई-भाषा’ से एक साक्षात्कार में कहा था, ‘‘यह लंबी यात्रा मेरे साथ है और वह छोटी बच्ची अब भी मेरे अंदर है। वह कहीं गई नहीं है। कुछ लोग मुझे ‘सरस्वती’ कहते हैं या वे कहते हैं कि मुझ पर उनकी कृपा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह उनका आशीर्वाद है कि मेरे गाए गीत लोगों को पसंद आते हैं, अन्यथा मैं कौन हूं? मैं कुछ नहीं हूं।’’

लता मंगेशकर की इस बात से उनके लाखों प्रशंसक सहमत नहीं होंगे। न केवल उनके प्रशंसकों के लिए, बल्कि उनके संगीत से अपरिचित दुनियाभर के कई लोगों के लिए भी मंगेशकर उन कुछेक भारतीयों में से एक हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी खास पहचान बनाई है। संगीत जगत को दिया उनका योगदान अतुलनीय है।

ऐसा कहा जाता है कि मंगेशकर ने 1963 में पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत जवाहरलाल नेहरू की मौजूदगी में जब देश के जवानों के लिए ‘ऐ मेरे वतन के लोगो गीत’ गाया था, तो नेहरू अपने आंसू नहीं रोक पाए थे।

मंगेशकर ने ‘मोहे पनघट पे’ (मुगल-ए-आजम) जैसे शास्त्रीय गीतों, ‘अजीब दास्तां हैं ये’ (दिल अपना और प्रीत पराई) और ‘बांहों में चले आओ’ (अनामिका) जैसे रोमांटिक गीतों से सुरों का जादू बिखेरा।

उन्हें भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान भारत रत्न, दादा साहेब फाल्के पुरस्कार और कई अन्य पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। मृदुभाषी मंगेशकर अपने निजी जीवन पर सार्वजनिक रूप से बात करना पसंद नहीं करती थीं। वह आजीवन अविवाहित रहीं।

ऐसा कहा जाता था कि क्रिकेटर राज सिंह डूंगरपुर और मंगेशकर एक-दूसरे से प्रेम करते थे। राज सिंह ने इसे लेकर बात की, लेकिन मंगेशकर ने इस विषय पर कभी कुछ नहीं कहा।

अपनी बहन आशा भोसले के साथ कथित प्रतिद्वंद्वता को लेकर भी मंगेशकर कई बार सुखिर्यों में रहीं, लेकिन उन्होंने इस बात की कभी परवाह नहीं की और कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। दोनों बहनों ने इस बारे में कोई बात नहीं की और संगीत जगत पर राज किया।

इसके अलावा रॉयल्टी को लेकर गायक मोहम्मद रफी के साथ उनका झगड़ा और अभिनेता राज कपूर के साथ उनका विवाद भी चर्चा में रहा।

मंगेशकर का जन्म 28 सितंबर, 1929 को इंदौर में एक मराठी संगीतकार पंडित दीनानाथ मंगेशकर और गुजराती गृहिणी शेवंती के घर हुआ था। वह दीनानाथ और शेवंती के पांच बच्चों में सबसे बड़ी थीं। लता के अलावा मीना, आशा, उषा और हृदयनाथ उनके बच्चे थे।

मंगेशकर जब मात्र पांच साल की थीं, तभी उनके पिता ने उनके भीतर की महान गायिका को पहचान लिया था।

दीनानाथ मंगेशकर के अचानक निधन के कारण परिवार का आर्थिक बोझ 13 वर्षीय लता मंगेशकर के कंधों पर आ गया। ऐसे में उनके पारिवारिक मित्र मास्टर विनायक ने उनकी मदद की और लता मंगेशकर ने उनकी रंगमंच कंपनी में गाना और अभिनय करना शुरू कर दिया।

जब वह मुंबई गईं तो निर्माता एस मुखर्जी ने यह कहकर मंगेशकर को खारिज कर दिया था कि उनकी आवाज बहुत पतली है, लेकिन वह यह नहीं जानते थे कि यही आवाज कई भावी पीढ़ियों तक संगीत जगत पर राज करेगी।

लता मंगेशकर ने जब 1949 में फिल्म ‘महल’ के लिए ‘आएगा आने वाला’ गीत गाया, तो उस समय पार्श्व गायकों को अधिक तवज्जो नहीं दी जाती थी और यह सार्वजनिक नहीं किया गया था कि यह गीत किसने गाया है, लेकिन यह गीत इतना हिट हुआ कि लोग इसकी गायिका के बारे में जानने को उत्सुक थे, जिसके कारण रेडियो स्टेशन को यह जानने के लिए एचएमवी से संपर्क करना पड़ा कि इस गीत को आवाज किसने दी है।

मंगेशकर ने नसरीन मुन्नी कबीर के वृत्तचित्र ‘लता मंगेशकर: इन हर ओन वर्ड्स’ में इस बात का जिक्र किया था। रेडियो स्टेशन ने श्रोताओं को बताया कि यह गीत मंगेशकर ने गाया है और इसी के साथ देश को एक सितारा मिल गया।

मंगेशकर ने 1950 के दशक में शंकर जयकिशन, नौशाद अली, एस डी बर्मन, हेमंत कुमार और मदन मोहन जैसे महान संगीतकारों के साथ काम किया। उस समय गायकों को अधिक धन नहीं मिलता था, इसलिए मंगेशकर एक दिन में छह से आठ गीत गाती थीं और फिर घर जाकर कुछ घंटे सोने के बाद अगले दिन फिर ट्रेन से रिकॉर्डिंग स्टूडियो पहुंच जाया करती थीं।

उनकी आवाज सफलता का पर्याय बन गई थी और इसीलिए मुख्य अभिनेता इस बात पर जोर देते थे कि उनकी फिल्मों के गीत लता मंगेशकर ही गाएं और अपने अनुबंधों में यह शर्त भी रखते थे।

साठ के दशक में एक बार फिर मधुबाला मंगेशकर की आवाज का चेहरा बनीं। मंगेशकर ने ‘मुगल-ए-आजम’ के लिए ‘जब प्यार किया तो डरना क्या’ गीत गाकर संगीत जगत में तहलका मचा दिया।

इसी दशक में उन्होंने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के साथ मिलकर काम करना शुरू किया। मंगेशकर ने लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल के लिए 35 साल में 700 से अधिक गीत गाए, जिनमें से अधिकतर बहुत लोकप्रिय हुए।

मंगेशकर ने मुकेश, मन्ना डे, महेंद्र कपूर, मोहम्मद रफी और किशोर कुमार जैसे दिग्गज गायकों के साथ युगल गीत गाए। सत्तर के दशक में मंगेशकर ने अभिनेत्री मीना कुमारी की आखिरी फिल्म ‘पाकीजा’ और ‘अभिमान’ के लिए बेहतरीन गीत गाए। उन्होंने 80 के दशक में ‘‘सिलसिला’’, ‘‘चांदनी’’, ‘‘मैंने प्यार किया’’, ‘‘एक दूजे के लिए’’, ‘‘प्रेम रोग’’, ‘‘राम तेरी गंगा मैली’’ और ‘‘मासूम’’ फिल्मों के लिए गीत गाए।

वर्ष 1990 और 2000 के दशक में उन्होंने गुलजार निर्देशित फिल्म ‘लेकिन’ और यश चोपड़ा की फिल्मों ‘लम्हे’, ‘डर’, ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ और ‘दिल तो पागल’ के गीतों को अपनी सुरीली आवाज दी।

उन्होंने आखिरी बार 2004 में ‘वीर-जारा’ फिल्म की पूरी अलबम के गीत गाए।

लता मंगेशकर आज भले ही दुनिया में नहीं हैं, लेकिन अपनी आवाज के जरिए वह संगीत प्रेमियों के बीच सदा अमर रहेंगी।

मंगेशकर ने 1977 में ‘किनारा’ फिल्म के लिए ‘मेरी आवाज ही मेरी पहचान है’ गीत गाया था और वाकई आज उनकी आवाज किसी पहचान की मोहताज नहीं।

भारत रत्न लता मंगेशकर, “मेरी आवाज ही पहचान हैं ….”

लता मंगेशकर (28 सितंबर 1929 – 6 फ़रवरी 2022) भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका थीं, जिनका छ: दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। हालाँकि लता जी ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फ़िल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है। अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फ़िल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है।

लता की जादुई आवाज़ के भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ पूरी दुनिया में दीवाने हैं। टाईम पत्रिका ने उन्हें भारतीय पार्श्वगायन की अपरिहार्य और एकछत्र साम्राज्ञी स्वीकार किया है। लता दीदी को भारत सरकार ने ‘भारतरत्न’ से सम्मानित किया । इनकी मृत्यु कोविड से जुड़े कॉम्प्लिकेशन से 6 फरवरी 2022 में ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल मुंबई में हुई। वे एक अरसे से बीमार थीं। उनकी महान गायकी और सुरम्य आवाज के दीवाने पूरी दुनिया मे है।

लता का जन्म गोमंतक मराठा समाज परिवार में, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में सबसे बड़ी बेटी के रूप में पंडित दीनानाथ मंगेशकर के मध्यवर्गीय परिवार में हुआ। उनके पिता रंगमंच एलजीके कलाकार और गायक थे। इनके परिवार से भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनों उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपनी आजीविका के लिये चुना। हालाँकि लता का जन्म इंदौर में हुआ था लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र मे हुई. वह बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं।

बचपन में कुन्दन लाल सहगल की एक फ़िल्म चंडीदास देखकर उन्होने कहा था कि वो बड़ी होकर सहगल से शादी करेगी। पहली बार लता ने वसंग जोगलेकर द्वारा निर्देशित एक फ़िल्म कीर्ती हसाल के लिये गाया। उनके पिता नहीं चाहते थे कि लता फ़िल्मों के लिये गाये इसलिये इस गाने को फ़िल्म से निकाल दिया गया। लेकिन उसकी प्रतिभा से वसंत जोगलेकर काफी प्रभावित हुये।

पिता की मृत्यु के बाद (जब लता सिर्फ़ तेरह साल की थीं), लता को पैसों की बहुत किल्लत झेलनी पड़ी और काफी संघर्ष करना पड़ा। उन्हें अभिनय बहुत पसंद नहीं था लेकिन पिता की असामयिक मृत्यु की वज़ह से पैसों के लिये उन्हें कुछ हिन्दी और मराठी फ़िल्मों में काम करना पड़ा।

अभिनेत्री के रूप में उनकी पहली फ़िल्म पाहिली मंगलागौर (1942) रही, जिसमें उन्होंने स्नेहप्रभा प्रधान की छोटी बहन की भूमिका निभाई। बाद में उन्होंने कई फ़िल्मों में अभिनय किया जिनमें, माझे बाल, चिमुकला संसार (1943), गजभाऊ (1944), बड़ी माँ (1945), जीवन यात्रा (1946), माँद (1948), छत्रपति शिवाजी (1952) शामिल थी। बड़ी माँ, में लता ने नूरजहाँ के साथ अभिनय किया और उसके छोटी बहन की भूमिका निभाई आशा भोंसलेने। उन्होंने खुद की भूमिका के लिये गाने भी गाये और आशा के लिये पार्श्वगायन किया।

वर्ष 1942 ई में लताजी के पिताजी का देहांत हो गया इस समय इनकी आयु मात्र तेरह वर्ष थी. भाई बहिनों में बड़ी होने के कारण परिवार की जिम्मेदारी का बोझ भी उनके कंधों पर आ गया था. दूसरी ओर उन्हें अपने करियर की तलाश भी थी. जिस समय लताजी ने (1948) में पार्श्वगायिकी में कदम रखा तब इस क्षेत्र में नूरजहां, अमीरबाई कर्नाटकी, शमशाद बेगम और राजकुमारी आदि की तूती बोलती थी. ऐसे में उनके लिए अपनी पहचान बनाना इतना आसान नही था.

लता का पहला गाना एक मराठी फिल्म कीति हसाल के लिए था, मगर वो रिलीज नहीं हो पाया. 1945 में उस्ताद ग़ुलाम हैदर (जिन्होंने पहले नूरजहाँ की खोज की थी) अपनी आनेवाली फ़िल्म के लिये लता को एक निर्माता के स्टूडियो ले गये जिसमे कामिनी कौशल मुख्य भूमिका निभा रही थी। वे चाहते थे कि लता उस फ़िल्म के लिये पार्श्वगायन करे। लेकिन गुलाम हैदर को निराशा हाथ लगी। 1947 में वसंत जोगलेकर ने अपनी फ़िल्म आपकी सेवा में में लता को गाने का मौका दिया। इस फ़िल्म के गानों से लता की खूब चर्चा हुई। इसके बाद लता ने मज़बूर फ़िल्म के गानों “अंग्रेजी छोरा चला गया” और “दिल मेरा तोड़ा हाय मुझे कहीं का न छोड़ा तेरे प्यार ने” जैसे गानों से अपनी स्थिती सुदृढ की। हालाँकि इसके बावज़ूद लता को उस खास हिट की अभी भी तलाश थी। 1949 में लता को ऐसा मौका फ़िल्म “महल” के “आयेगा आनेवाला” गीत से मिला। इस गीत को उस समय की सबसे खूबसूरत और चर्चित अभिनेत्री मधुबाला पर फ़िल्माया गया था। यह फ़िल्म अत्यंत सफल रही थी और लता तथा मधुबाला दोनों के लिये बहुत शुभ साबित हुई। इसके बाद लता ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।

विविध

पिता दिनानाथ मंगेशकर शास्त्रीय गायक थे।

उन्होने अपना पहला गाना मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ (कितना हसोगे?) (1942) में गाया था।

लता मंगेशकर को सबसे बड़ा ब्रेक फिल्म महल से मिला। उनका गाया “आयेगा आने वाला” सुपर डुपर हिट था।

लता मंगेशकर अब तक 20 से अधिक भाषाओं में 30000 से अधिक गाने गा चुकी हैं।

लता मंगेशकर ने 1980 के बाद से फ़िल्मो में गाना कम कर दिया और स्टेज शो पर अधिक ध्यान देने लगी।

लता ही एकमात्र ऐसी जीवित व्यक्ति रही हैं जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाते रहे हैं।

लता मंगेशकर ने आनंद घन बैनर तले फ़िल्मो का निर्माण भी किया है और संगीत भी दिया है।

वे हमेशा नंगे पाँव गाना गाती थी ।

JNU के कुलपति प्रो एम जगदीश कुमार बने  विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के चेयरमैन: पढ़िये जीवन परिचय attacknews.in

नईदिल्ली 4 फरवरी ।जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के कुलपति प्रोफेसर एम जगदीश कुमार को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) का नया अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। 


शुक्रवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के उच्छ शिक्षा विभाग द्वारा जारी नोटिफिकेशन में कहा गया, ‘केंद्र सरकार जेएनयू के कुलपति जगदीश कुमार को यूजीसी के चेयरमैन के पद पर नियुक्त करती है।

उन्हें पे मैट्रिक्स लेवल-17 के तहत पांच वर्ष की अवधि तक या उनके 65 वर्ष की आयु पूरी कर लेने तक, जो भी पहले हो, तक नियुक्त किया जाता है।’

जगदीश कुमार को जनवरी 2016 में जेएनयू के कुलपति पद पर नियुक्त किया गया था।  जगदीश कुमार को ऐसे समय में यूजीसी अध्यक्ष बनाया गया है जब देश भर के उच्च शैक्षणिक संस्थानों में नई शिक्षा नीति को लागू किया जाना है। ऐसे में यह नियुक्ति बेहद अहम मानी जा रही है।

जीवन परिचय:

ममीडाला जगदीश कुमार एक शिक्षाविद, प्रशासक और लेखक हैं, जो जनवरी 2021 से जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के कार्यवाहक कुलपति हैं । वे IIT दिल्ली में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर हैं । 

एम जगदीश कुमार ने जनवरी 2016 में सुधीर कुमार सोपोरी से जेएनयू के वीसी के रूप में पदभार संभाला । वे 4 फरवरी 2022 को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के अध्यक्ष बने।

कुमार का जन्म तेलंगाना के नलगोंडा जिले के ममीडाला में हुआ था । उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में परास्नातक और पीएचडी की। इसके बाद कनाडा के वाटरलू विश्वविद्यालय में डॉक्टरेट के बाद शोध किया । 

वह नैनोसाइंस और नैनोटेक्नोलॉजी (नैनो-इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, नैनोस्केल डिवाइस, डिवाइस डिजाइन और पावर सेमीकंडक्टर डिवाइस) के क्षेत्र में काम करता है।  वह वर्तमान में इंस्टीट्यूशन ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियर्स , नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज, भारत में फेलो हैं और इंडियन नेशनल एकेडमी ऑफ इंजीनियरिंग सहित अन्य। 

वह राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद के शासी निकाय के अध्यक्ष हैं । उन्हें “आईएसए-वीएसआई टेक्नोमेंटर अवार्ड” प्राप्त हुआ है, पुरस्कार डॉ आर चिदंबरम ( भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार ) द्वारा प्रस्तुत किया जा रहा है। 

उन्हें रामेश्वर नाथ कौल बमेज़ई , वीरेंद्र सिंह चौहान और रामकृष्ण रामास्वामी सहित चार अन्य लोगों में से जेएनयू के वीसी के रूप में चुना गया था । 

वीसी के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, वह अक्सर अपनी घड़ी पर हो रहे कई विवादों जैसे कि 2016 के जेएनयू देशद्रोह विवाद , एक छात्र नजीब अहमद के लापता होने और 2020 के जेएनयू हमलों के लिए चर्चा में रहे हैं । 

आलोचकों का कहना है कि वह ” आरएसएस के एजेंडे को लागू कर रहे हैं “, यही वजह है कि उन्हें पहले स्थान पर वीसी बनाया गया है। जेएनयू छात्र संघों ने जनवरी 2020 में जेएनयू पर हुए हमलों के बाद उनके इस्तीफे की मांग की थी ।

राहुल गांधी ने अरुणाचल से एक लड़के के लापता होने के मामले में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बुज़दिल कहा attacknews.in

नयी दिल्ली, 20 जनवरी । कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अरुणाचल प्रदेश के एक किशोर का चीन के सैनिकों द्वारा अपहरण किए जाने संबंधी भाजपा सांसद तापिर गाव के दावे को लेकर बृहस्पतिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि इस मामले पर प्रधानमंत्री की चुप्पी से साबित होता है कि उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।

उन्होंने यह भी कहा कि वह इस किशोर के परिवार के साथ खड़े हैं।

गौरतलब है कि अरुणाचल प्रदेश से सांसद तापिर गाव ने बुधवार को कहा था कि चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने राज्य में भारतीय क्षेत्र के अपर सियांग जिले से 17 वर्षीय एक किशोर का अपहरण कर लिया है।

उन्होंने ट्वीट कर यह भी कहा कि अपहृत किशोर की पहचान मिराम तरोन के रूप में हुई है। उन्होंने दावा किया कि चीनी सेना ने सियुंगला क्षेत्र के लुंगता जोर इलाके से किशोर का अपहरण किया।

इस मामले पर राहुल गांधी ने ट्वीट किया, ‘‘गणतंत्र दिवस से कुछ दिन पहले भारत के एक भाग्य विधाता का चीन ने अपहरण किया है। हम मिराम तरोन के परिवार के साथ हैं और उम्मीद नहीं छोड़ेंगे, हार नहीं मानेंगे।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘प्रधानमंत्री की बुज़दिल चुप्पी ही उनका बयान है- उन्हें फ़र्क़ नहीं पड़ता!’’

भारतीय सेना ने अरुणाचल से लापता लड़के का पता लगाने के लिए पीएलए से मदद मांगी

इधर भारतीय सेना ने चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) से लापता एक लड़के मिराम टैरोन का पता लगाने और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार उसे वापस करने के लिए सहायता मांगी है। रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

अरुणाचल प्रदेश के सांसद तापिर गाव ने बुधवार को कहा था कि पीएलए ने मंगलवार को राज्य के अपर सियांग जिले में भारतीय क्षेत्र से 17 वर्षीय एक लड़के का अपहरण कर लिया। 

रक्षा प्रतिष्ठान के सूत्रों ने बृहस्पतिवार को कहा कि जब भारतीय सेना को टैरोन के लापता होने के बारे में सूचना मिली तो उसने तुरंत हॉटलाइन के स्थापित तंत्र के माध्यम से पीएलए से संपर्क करके सूचित किया कि जड़ी-बूटी इकट्ठा करने निकला एक लड़का रास्ता भटक गया है और उसका पता नहीं चल रहा है।

सूत्रों ने कहा कि पीएलए से उनके क्षेत्र में किशोर का पता लगाने और स्थापित प्रोटोकॉल के अनुसार उसे वापस करने के लिए सहायता मांगी गई है।

गाव ने बुधवार को कहा कि घटना उस स्थान के पास घटी जहां से सांगपो नदी अरुणाचल प्रदेश में भारत में प्रवेश करती है। सांगपो को अरुणाचल प्रदेश में सियांग और असम में ब्रह्मपुत्र कहा जाता है। सांसद ने यह भी कहा कि उन्होंने केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निशिथ प्रमाणिक को घटना से अवगत करा दिया है और उनसे इस संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने का अनुरोध किया है। सितंबर 2020 में पीएलए ने अरुणाचल प्रदेश के अपर सुबनसिरी जिले से पांच युवकों का अपहरण कर लिया था और लगभग एक सप्ताह के बाद उन्हें छोड़ा था। ताजा घटना ऐसे समय में हुई है जब भारतीय सेना का अप्रैल 2020 से पूर्वी लद्दाख में पीएलए के साथ गतिरोध जारी है। गतिरोध को हल करने के लिए भारत और चीन के बीच 14 दौर की सैन्य स्तर की वार्ता हो चुकी है। कई दौर की वार्ता के बाद गतिरोध वाले कुछ स्थानों से सैनिकों की वापसी हुई लेकिन पूर्वी लद्दाख में हॉट स्प्रिंग्स, देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया अभी बाकी है।

महात्मा गांधी पर अपमानजनक टिप्पणी मामले में अब ठाणे पुलिस ने कालीचरण महाराज को किया गिरफ्तार attacknews.in

ठाणे (महाराष्ट्र), 20 जनवरी । महाराष्ट्र के ठाणे शहर की पुलिस ने महात्मा गांधी के खिलाफ कथित रूप से अपमानजनक टिप्पणी करने के मामले में हिंदू धर्मगुरु कालीचरण महाराज को छत्तीसगढ़ से गिरफ्तार कर लिया है। अधिकारियों ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

नौपाड़ा थाने के एक अधिकारी ने बताया कि कालीचरण महाराज को बुधवार रात छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से गिरफ्तार किया गया, जहां वह ऐसे ही एक मामले में जेल में बंद था। उसे ट्रांजिट रिमांड पर ठाणे लाया जा रहा है और बृहस्पतिवार शाम तक स्थानीय अदालत में पेश किया जाएगा।

इससे पहले, पिछले साल 26 दिसंबर को छत्तीसगढ़ की राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम में महात्मा गांधी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणियां करने के आरोप में रायपुर पुलिस ने कालीचरण महाराज को गिरफ्तार किया था। वहीं, 12 जनवरी को महाराष्ट्र के वर्धा की पुलिस ने उसे इसी तरह के एक मामले में गिरफ्तार किया था।

नौपाड़ा थाने के अधिकारी ने बताया कि राष्ट्रपिता के खिलाफ कथित टिप्पणी को लेकर राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) नेता एवं महाराष्ट्र के मंत्री जितेंद्र अव्हाड की शिकायत के आधार पर कालीचरण के खिलाफ दर्ज मामले में रायपुर से उसे गिरफ्तार किया गया।

इससे पहले, पुणे पुलिस ने भी 19 दिसंबर 2021 को वहां आयोजित ‘शिव प्रताप दिन’ कार्यक्रम में कथित रूप से भड़काऊ भाषण के मामले में कालीचरण महाराज को गिरफ्तार किया था। छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा मुगल सेनापति अफजल खान को मारे जाने की घटना की याद में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था।

Video:छत्तीसगढ़ में कांग्रेसियो द्वारा ही मुस्लिम वोटरों को पक्का करने के लिए हिंदू धर्म सभा का आयोजन करके कालीचरण महाराज को षड्यंत्र से फंसा दिया;राहुल गांधी भी इसमें शामिल attacknews.in

लखनऊ 31 दिसम्बर । इस्लाम त्याग कर हिंदू धर्म ग्रहण कर वसीम रिजवी से जितेन्द्र नारायण सिंह त्यागी बनने के बाद हिंदुत्व पर अपने विचार रखने के साथ आज एक वीडियो जारी करते हुए संत कालीचरण महाराज के साथ कांग्रेस पार्टी द्वारा षड्यंत्र कर फंसाने का रहस्योद्घाटन करते हुए कांग्रेस पार्टी पर हिंदुओं को बदनाम करने और मुसलमानों का वोट बैंक सुरक्षित रखने का आरोप लगाया है।

श्री त्यागी ने बताया कि,छत्तीसगढ़ में धर्म सभा का आयोजन कांग्रेस पार्टी द्वारा ही किया गया और महात्मा गांधी पर टिप्पणी के कालीचरण महाराज भाषण के समय बैठे कांग्रेसियो ने आपत्ति क्यों नहीं ली,और अब मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने नाटकीय अंदाज में उन्हें गिरफ्तार करवा दिया ।

इस संबंध में प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर इस घटनाक्रम की निष्पक्ष जांच का अनुरोध करते हुए बताया कि,छत्तीसगढ़ में एक धर्म संसद हुई जिसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को भी आना था उक्त धर्म संसद का आयोजन एक वरिष्ठ कांग्रेसी द्वारा कराया गया जिसमें श्री कालीचरण जी को आमंत्रित
किया गया साजिश के तहत ऐसा प्रतीत होता है कि श्री कालीचरण जी के साथ साजिश करते हुए श्री राहुल गांधी द्वारा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री जी के माध्यम से श्री कालीचरण जी से महात्मा गांधी के संबंध में अभद्र भाषा का प्रयोग कराया
गया क्योंकि उक्त प्रोग्राम महात्मा गांधी से संबंधित नहीं था जब श्री कालीचरण महात्मा गांधी के विरुद्ध बोल रहे थे तो धर्म संसद में उपस्थित कांग्रेसियों द्वारा कोई भी आपत्ति नहीं की गई और ना ही उन्हें बोलने से रोका गया प्रोग्राम की समाप्ति के बाद उक्त प्रकरण तूल दिया गया और श्री कालीचरण को मुद्दा बनाकर और फंसा कर उनके विरुद्ध एफ आई आर दर्ज करा दी गई और फिर सभी नियमों की अनदेखी करते हुए उन्हें मध्य प्रदेश से बिना किसी नोटिस के तथा बिना प्रदेश के पुलिस विभाग को सूचित किए गिरफ्तार कर हिंदुत्व के ऊपर सवाल खड़े किए गए हैं।

Grievance Status

pgportal.gov.in

Jitendra narayan singh tyagi
Received By Ministry/Department

सेवा में
आदरणीय प्रधानमंत्री जी
भारत सरकार

विषय :- छत्तीसगढ़ में हुए धर्म संसद में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री एवं राहुल गांधी द्वारा साजिश करके श्री कालीचरण जी से महात्मा गांधी के विरुद्ध अभद्र भाषा का प्रयोग करवाते हुए हिंदुत्व के खिलाफ माहौल बनाकर श्री कालीचरण जी को गिरफ्तार करवा के देश में हिंदुत्व को अपमानित करने की साजिश की सीबीआई जांच कराए जाने के संबंध में...

महोदय

निवेदन यह है कि जैसा कि आप अवगत होंगे कि छत्तीसगढ़ में एक धर्म संसद हुई जिसमें छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को भी आना था उक्त धर्म संसद का आयोजन एक वरिष्ठ कांग्रेसी द्वारा कराया गया जिसमें श्री कालीचरण जी को आमंत्रित किया गया, साजिश के तहत ऐसा प्रतीत होता है कि श्री कालीचरण जी के साथ साजिश करते हुए श्री राहुल गांधी द्वारा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री जी के माध्यम से श्री कालीचरण जी से महात्मा गांधी के संबंध में अभद्र भाषा का प्रयोग कराया गया क्योंकि उक्त प्रोग्राम महात्मा गांधी से संबंधित नहीं था जब श्री कालीचरण ,महात्मा गांधी के विरुद्ध बोल रहे थे तो
धर्म संसद में उपस्थित कांग्रेसियों द्वारा कोई भी आपत्ति नहीं की गई और ना ही उन्हें बोलने से रोका गया ।प्रोग्राम की समाप्ति के बाद उक्त प्रकरण तूल दिया गया और श्री कालीचरण को मुद्दा बनाकर और फंसा कर उनके विरुद्ध एफ आई आर दर्ज करा दी गई और फिर सभी नियमों की अनदेखी करते हुए उन्हें मध्य प्रदेश से बिना किसी नोटिस के तथा बिना
प्रदेश के पुलिस विभाग को सूचित किए गिरफ्तार कर हिंदुत्व के ऊपर सवाल खड़े किए गए हैं।

श्री राहुल गांधी पहले से ही हिंदू और हिंदुत्व को आतंकवादी बता कर कट्टरपंथी मुस्लिम समाज के वोटों की राजनीति करते रहे और भगवा हिंदुत्व का प्रचार आतंकियों के रूप में करते रहे इस कारण इस प्रकरण की उच्च स्तरीय निष्पक्ष जांच अति आवश्यक है ताकि पर्दे के पीछे की कांग्रेसी भूमिका उजागर हो सके।

अतः आपसे अनुरोध है के उपरोक्त प्रकरण में सीबीआई के माध्यम से निष्पक्ष जांच कराएं और श्री कालीचरण के बयान भी निष्पक्ष रुप से लिए जाएं ताकि उपरोक्त मामले की असलियत असलियत देश और दुनिया के सामने निष्पक्ष रुप से आ सके।

धन्यवाद
भवदीय
जितेंद्र नारायण सिंह त्यागी
पूर्व अध्यक्ष सेंट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश लखनऊ
निवासी 394/13 ए कश्मीरी मोहल्ला सहआदतगंज लखनऊ
Mukul Dixit,Under Secretary (Public)
Public Wing 5th Floor, Rail Bhawan New Delhi

भारत ने कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत करते हुए, एक दिन में कोवोवैक्स, कोर्बेवैक्स टीके और दवा ‘मोलनुपिराविर’ को आपात स्थिति में उपयोग की अनुमति दी attacknews.in

नयी दिल्ली, 28 दिसंबर । प्रमुख वैक्सीन कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने मंगलवार को कहा कि कोविड-19 के टीके ‘कोवोवैक्स’ को मंजूरी मिलने से पूरे भारत के साथ ही टीकाकरण की रफ्तार तेज होगी।

एसआईआई के सीईओ अदर पूनावाला ने एक बयान में कहा, ‘‘डीसीजीआई द्वारा कोवोवैक्स को मिली मंजूरी से भारत और निम्न तथा मध्यम आय वर्ग के देशों में टीकाकरण के हमारे प्रयासों में मजबूती आएगी। हमें गर्व है कि 90 प्रतिशत असर के साथ हम अत्यधिक प्रभावी प्रोटीन आधारित कोविड-19 वैक्सीन मुहैया करा रहे हैं।’’

भारत की कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को व्यापक करते हुए केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने एसआईआई के कोविड-19 रोधी टीके ‘कोवोवैक्स’ और बायोलॉजिकल ई कम्पनी के टीके ‘कोर्बेवैक्स’ को कुछ शर्तों के साथ आपात स्थिति में उपयोग की अनुमति दे दी है।

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) की कोविड-19 संबंधी विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) द्वारा ‘कोवोवैक्स’ और ‘कोर्बेवैक्स’ को कुछ शर्तों के साथ आपात स्थिति में उपयोग की अनुमति देने की सिफारिश किए जाने के एक दिन बाद यह घोषणा की।

मांडविया ने ट्वीट किया, ‘‘मुबारक हो भारत। कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई को और मजबूत करते हुए, केन्द्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने एक दिन में तीन स्वीकृति दी हैं… कोवोवैक्स, कोर्बेवैक्स टीके और दवा ‘मोलनुपिराविर’ को कुछ शर्तों के साथ आपात स्थिति में उपयोग की अनुमति दे दी है।’’

इस मंजूरी के साथ, देश में आपात स्थिति में उपयोग होने वाले कोविड-19 रोधी टीकों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है।

उन्होंने कहा कि कोवोवैक्स का निर्माण पुणे के ‘सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया’ में ही किया जाएगा।

नव वर्ष से पहले ‘ओमीक्रोन’ के कारण कुछ देशों ने लगाए प्रतिबंध;ऑस्ट्रेलिया के दो राज्यों में कोविड-19 के एक दिन में रिकॉर्ड नए मामले attacknews.in

ब्रसेल्स/सिडनी , 28 दिसंबर (एपी) नव वर्ष से पहले कोरोना वायरस का नया स्वरूप ‘ओमीक्रोन’ लोगों को हतोत्साहित कर रहा है और इससे निपटने के लिए देश अलग-अलग कदम उठा रहे हैं। कुछ देशों ने पाबंदियों को तुरंत फिर से लागू कर दिया है और कुछ देश लोगों के जश्न का मजा किरकिरा करने से हिचकिचा रहे हैं।

ब्रिटेन में ‘ओमीक्रोन’ के कारण संक्रमण के मामले लगातार बढ़ रहे हैं और उनके स्वास्थ्य मंत्री साजिद जावेद ने सोमवार को कहा कि इंग्लैंड में नव वर्ष से पहले कोई अन्य पाबंदियां लागू नहीं की जाएंगी। हालांकि, इंग्लैंड में रोजाना करीब 1,00,000 मामले सामने आ रहे हैं और अस्पताल लगभग 70 प्रतिशत से अधिक भरे हैं।

जावेद ने कहा, ‘‘ नव वर्ष के बाद हम देखेंगे कि अन्य नियम लागू करने की जरूरत है या नहीं, लेकिन तब तक कम से कम अन्य पाबंदियां नहीं लगाई जाएंगी।’’

वहीं, ब्रिटेन में अन्य जगहों स्कॉटलैंड, नदर्न आयरलैंड और वेल्स में नाइट क्लब को बंद करने का आदेश दिया गया और अन्य समारोहों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिससे देश में संकट से निपटने की अलग-अलग रणनीतियां नजर आ रही है।

इस बीच, नीदरलैंड ने पहले ही सभी गैर-आवश्यक दुकानों, रेस्तरां और बार को बंद कर दिया है और स्कूल की छुट्टियां बढ़ा दी हैं। सोमवार से जारी किए गए नए नियमों के अनुसार, बड़े समूहों के साथ खरीदारी पर प्रतिबंध लगा दिया गया, सिनेमाघरों को बंद करने का आदेश दिया गया और संगीत समारोहों पर भी प्रतिबंध है।

वहीं, फ्रांस के प्रधानमंत्री ज्यां कास्टेक्स ने बताया कि अगले सप्ताह से बंद केन्द्रों में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में दो हजार और खुले में आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में पांच हजार लोग ही शामिल हो पाएंगे। संगीत समारोहों के दौरान लोगों से अपनी जगह पर बैठे रहने की अपील की गई है। बार में लोगों के खड़े होने की भी अनुमति नहीं होगी। सिनेमाघरों, खेल केन्द्रों और सार्वजनिक परिवहनों में खाने और पीने की सुविधाओं पर प्रतिबंध होगा। अगर संभव हो तो सप्ताह में तीन दिन घर से कार्य करने की सलाह दी गई है। ये नए नियम कम से कम तीन सप्ताह तक लागू रहेंगे। फ्रांस में एक दिन में सर्वाधिक 1,00,000 से अधिक संक्रमण के मामले सामने आने के बाद यह कदम उठाया गया है।

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन का प्रशासन टीकाकरण, ‘बूस्टर’ खुराक और त्वरित जांच पर जोर दे रहा है। वहीं, न्यूयॉर्क शहर में लगभग सभी व्यवसायों (बड़े तथा छोटे) को कार्यस्थल पर उन कर्मचारियों को प्रतिबंधित करने को कहा है, जिन्होंने टीके नहीं लगवाए हैं। यह नियम सोमवार से लागू हुआ।

अमेरिका में संक्रामक रोग के शीर्ष विशेषज्ञ डॉक्टर एंथनी फाउची का कहना है कि ‘‘स्थिति बेहतर होने से पहले बदतर होगी’’ और अमेरिका को घरेलू उड़ानों के यात्रियों के लिए भी टीकाकरण अनिवार्य करने पर विचार करना चाहिए।

फाउची ने ‘एमएसएनबीसी’ से कहा, ‘‘जब आप टीकाकरण को अनिवार्य बनाते हैं, तो इससे अधिक लोगों को टीका लगवाने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।’’

यूनान में, अधिकारियों ने अतिरिक्त प्रतिबंधों की घोषणा की है। स्वास्थ्य मंत्री थानोस प्लेवरिस ने कहा कि तीन जनवरी से सुपरमार्केट और सार्वजनिक परिवहन पर ‘हाई-प्रोटेक्शन’ या ‘डबल मास्क’ लगाना अनिवार्य होगा। मनोरंजन स्थल आधी रात को बंद हो जाएंगे और फुटबॉल स्टेडियम में दर्शकों की क्षमता को घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया जाएगा।

यूरोप के अन्य हिस्सों में हालांकि कड़े प्रतिबंध लगाने को लेकर हिचक दिखी। पोलैंड में नव वर्ष की पूर्व संध्या पर नाइट क्लब खुले रहेंगे।

वहीं, रूस में भी मामूली प्रतिबंध ही लगाए गए है। हालांकि, नए साल की पूर्व संध्या से शुरू होने वाले 10 दिनों के अवकाश की अवधि के दौरान कई सावधानियां बरती जाएंगी। रूस भी कोई अतिरिक्त यात्रा प्रतिबंध नहीं लगाएगा। बेल्जियम में, सिनेमाघर और कला केन्द्रों को बंद किया गया है।

ऑस्ट्रेलिया के दो राज्यों में कोविड-19 के एक दिन में रिकॉर्ड नए मामले

ऑस्ट्रेलिया के विक्टोरिया और क्वींसलैंड राज्यों में मंगलवार को कोरोना वायरस संक्रमण के रिकॉर्ड नए मामले सामने आए। संक्रमण के मामलों में वृद्धि के चलते जांच केंद्रों पर दबाव के कारण रैपिड एंटीजन जांच का व्यापक इस्तेमाल करने की अपील की गयी है।

क्वींसलैंड राज्य में 1,158 मामले सामने आए जो राज्य में पहली बार एक दिन में 1,000 से अधिक मामले हैं लेकिन अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या अब भी कम है। राज्य में कोविड-19 के 4,000 से अधिक उपचाराधीन मरीज हैं जिनमें से 257 मामले ओमीक्रोन स्वरूप के हैं।

राज्य के स्वास्थ्य मंत्री येत्ते दाथ ने मंगलवार को कहा कि राज्य के बाहर के यात्रियों को क्वींसलैंड में पहुंचने के पांच दिन बाद पीसीआर जांच कराने की आवश्यकता नहीं होगी। हाल में राज्य में हजारों लोगों में से केवल 0.6 प्रतिशत ही पांचवें दिन संक्रमित पाए गए हैं।

विक्टोरिया राज्य में मंगलवार को संक्रमण के 2,738 नए मामले आए जो अक्टूबर मध्य में आए 2,297 मामलों से अधिक हैं।

ऑस्ट्रेलिया के सबसे घनी आबादी वाले राज्य न्यू साउथ वेल्स में संक्रमण के मामलों में थोड़ी कमी देखी गयी है लेकिन यह क्रिसमस के आसपास जांच कम होने के कारण हो सकता है। राज्य में मंगलवार को संक्रमण के 6,062 नए मामले आए।

बनते- बिगड़ते भारत और नेपाल के संबंध फिर से हुए मजबूत attacknews.in

काठमांडू, 28 दिसंबर । राजनीतिक उथल-पुथल और कोरोना वायरस महामारी से प्रभावित रहे 2021 में नेपाल ने भारत के साथ अपने द्विपक्षीय संबंधों को उच्च स्तरीय वार्ता और यात्राओं के साथ फिर से मजबूत करने के प्रयास किए। यह सब हिमालयी राष्ट्र में शीर्ष नेतृत्व में बदलाव के बीच हुआ।

पिछले साल भारत-नेपाल द्विपक्षीय संबंधों को प्रभावित करने वाले सीमा विवाद की छाया से बाहर आते हुए, भारत ने 2021 की शुरुआत जनवरी में नेपाल को घरेलू रूप से निर्मित कोविशील्ड टीके की 10 लाख खुराक उपहार में उस समय दीं, जब वह कोरोना वायरस महामारी को फैलने से रोकने के लिए संघर्ष कर रहा था। घातक वायरस से नेपाल में अब तक 8,25,000 से अधिक लोग संक्रमित हुए हैं और लगभग 12,000 लोगों की मौत हुई है।

उसी महीने, भारत ने नेपाल को 2015 में आए विनाशकारी भूकंप के दौरान क्षतिग्रस्त हुए शैक्षणिक संस्थानों के पुनर्निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के हिस्से के रूप में 30.66 करोड़ नेपाली रुपये (19.21 करोड़ रुपये) की अनुदान सहायता प्रदान की। इस भूकंप में लगभग 9,000 लोगों की जान गई थी और लगभग 22,000 घायल हुए थे। इसके साथ, भारत ने शैक्षणिक क्षेत्र की पुनर्निर्माण परियोजनाओं के लिए नेपाल को 81.98 करोड़ नेपाली रुपये (51.37 करोड़ रुपये) की प्रतिपूर्ति की।

नेपाल द्वारा लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को अपने क्षेत्रों के रूप में दिखाते हुए एक नया नक्शा जारी करने के बाद 2020 में द्विपक्षीय संबंध नये निचले स्तर पर चले गए थे, जिस पर भारत ने काठमांडू को चेतावनी दी थी कि क्षेत्रीय दावों का ऐसा “कृत्रिम विस्तार” उसे स्वीकार्य नहीं होगा।

घरेलू राजनीतिक मोर्चे पर, नेपाल ने 2021 में शीर्ष नेतृत्व में बदलाव देखा, जिसमें नेपाली कांग्रेस (नेकां) के प्रमुख शेर बहादुर देउबा एक महीने तक चले नाटकीय घटनाक्रम के बाद जुलाई में रिकॉर्ड पांचवीं बार प्रधानमंत्री बने।

शीर्ष अदालत ने 12 जुलाई को एक ऐतिहासिक फैसले में, राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी को विपक्षी नेता देउबा को प्रधानमंत्री नियुक्त करने का निर्देश दिया और प्रतिनिधि सभा को भंग करने के उनके “असंवैधानिक” कदम को खारिज कर दिया।

देउबा 13 जुलाई को औपचारिक रूप से नेपाल के प्रधानमंत्री बने। हालांकि कुछ ही दिन बाद 18 जुलाई को 75 वर्षीय नए प्रधानमंत्री ने बहाल किए गए निचले सदन में विश्वास मत कराने की बात कर आश्चर्यचकित कर दिया और आराम से जीत हासिल कर ली, जिससे कोविड -19 महामारी के बीच हिमालयी राष्ट्र में एक आम चुनाव टल गया।

एक दिन बाद, 19 जुलाई को देउबा ने अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के साथ टेलीफोन पर बातचीत के दौरान सदियों पुराने ऐतिहासिक, सांस्कृतिक, परंपरागत और धार्मिक संबंधों पर आधारित द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूत करने पर अपने विचार साझा किए।

इस वर्ष मुख्य विपक्षी दल एवं नेपाल की सबसे बड़ी कम्युनिस्ट पार्टी सीपीएन-यूएमएल को अगस्त में आधिकारिक रूप से विभाजित होते देखा गया, जब वरिष्ठ नेता माधव कुमार नेपाल ने नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी-लेनिनवादी) छोड़ दी और सीपीएन-यूनिफाइड सोशलिस्ट की स्थापना की।

इस बीच, नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली ने भारत से संबंधित टिप्पणी करके विवाद भड़काने का अपना सिलसिला जारी रखा। जून में, प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए ओली ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य पर आयोजित एक कार्यक्रम में दावा किया कि योग की उत्पत्ति नेपाल में हुई थी, न कि भारत में।

हालांकि, ओली की इस बार की टिप्पणी द्विपक्षीय संबंधों को कोई बड़ा नुकसान पहुंचाने में विफल रही। उन्होंने 2020 में यह दावा करके एक विवाद खड़ा कर दिया था कि भगवान राम का जन्म नेपाल के चितवन जिले के माडी क्षेत्र में हुआ था, न कि भारत के अयोध्या में।

नेपाल के तत्कालीन विदेश मंत्री प्रदीप ज्ञावली ने जनवरी में नयी दिल्ली का दौरा किया और अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर से मुलाकात की। यात्रा के दौरान, उन्होंने कहा कि सीमा मुद्दे को हल करना नयी दिल्ली और काठमांडू दोनों की “साझा प्रतिबद्धता” है और सुझाव दिया कि दोनों पक्ष इससे निपटने के तौर-तरीकों पर काम कर रहे हैं।

देउबा प्रशासन में नेपाल-भारत द्विपक्षीय संबंधों में गति लाने और द्विपक्षीय जुड़ाव के स्तर को बढ़ाने के प्रयास जारी रहे। जुलाई में देउबा के सत्ता में आने के बाद से दोनों पक्षों के बीच कई दौर की बातचीत हो चुकी है।

सितंबर में, संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान, जयशंकर ने न्यूयॉर्क में अपने नए नेपाली समकक्ष डॉ नारायण खड़का से मुलाकात की और दोनों ने दोनों देशों के बीच विशेष संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए मिलकर काम करने पर सहमति व्यक्त की।

नवंबर की शुरुआत में, ग्लासगो में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के मौके पर, प्रधानमंत्री मोदी ने देउबा के हिमालयी राष्ट्र का प्रमुख बनने के बाद पहली बार उनसे मुलाकात की और द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने और जलवायु परिवर्तन, कोविड-19 का मुकाबला करने तथा महामारी के बाद उबरने के प्रयासों पर ‘सार्थक चर्चा’ की।

उसी महीने, नेपाल के सेना प्रमुख जनरल प्रभु राम शर्मा ने दो पड़ोसी देशों के बीच रक्षा संबंधों को बढ़ाने के लिए भारत की चार दिवसीय यात्रा शुरू की। अपने भारतीय समकक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे के निमंत्रण पर नयी दिल्ली आए जनरल शर्मा को राष्ट्रपति रामनाथ कोविद ने ‘भारतीय सेना के जनरल’ की मानद उपाधि से सम्मानित किया

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की बागडोर युवाओं को संभालने के लिए तैयार रहने को कहा attacknews.in

कानपुर (उत्तरप्रदेश) 28 दिसंबर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तकनीकी रूप से दक्ष युवाओं से आत्मनिर्भर और आधुनिक भारत के निर्माण में योगदान देने की अपील करते हुए मंगलवार को कहा कि आगामी 25 साल में भारत की विकास यात्रा की बागडोर उन्हें ही संभालनी है।

मोदी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी), कानपुर के 54वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए और उन्होंने छात्रों को उपाधि प्रदान करने के लिए ब्लॉकचेन तकनीक आधारित डिजिटल डिग्री देने की शुरुआत की। अब छात्रों को संस्थान में विकसित ब्लॉकचेन तकनीक के माध्‍यम से डिजिटल डिग्री जारी की जाएगी। यह डिजिटल डिग्री वैश्विक स्‍तर पर सत्‍यापित की जा सकती है।

प्रधानमंत्री ने समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि इस साल भारत ने अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश किया है और इस अवसर पर देश अमृत महोत्सव मना रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसे में, इस वर्ष आईआईटी से डिग्री लेने वाले छात्रों को इस सपने को साथ लेकर आगे बढ़ना चाहिए कि 2047 का भारत कैसा होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले 25 साल में भारत की विकास यात्रा की बागडोर आपको ही संभालनी है। आप सभी पर देश को अगले 25 वर्ष तक दिशा और गति देने का दायित्व है। आप कल्पना कीजिए, जब 1930 में दांडी यात्रा शुरू हुई तो उस यात्रा ने पूरे देश को कितना आंदोलित कर दिया था। 1930 के उस दौर में 20-25 साल के जो नौजवान थे, वह उनके जीवन का स्वर्णिम काल था।’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘जब आप अपने जीवन के 50 साल पूरे कर रहे होंगे, उस समय का भारत कैसा होगा। उसके लिए आपको अभी से ही काम करना होगा। मुझे पता है कि कानपुर आईआईटी ने, यहां के माहौल ने आपको वह ताकत दी है कि अब आपको अपने सपने पूरे करने से कोई रोक नहीं सकता।’

मोदी ने कहा कि 21वीं सदी प्रौद्योगिकी का युग है और यह तकनीक की स्पर्धा का युग है जिसमें ये छात्र जरूर आगे निकलेंगे।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आजादी के बाद 25 साल तक हमें देश को अपने पैरों पर खड़ा करने के लिए प्रयास करने चाहिए थे, लेकिन तब से लेकर अब तक बहुत देर कर दी गई है। देश बहुत समय गंवा चुका है, इसलिए हमें दो पल भी नहीं गंवाने हैं।’

उन्होंने कहा, ‘‘मेरी बातों में आपको अधीरता नजर आ रही है, लेकिन मैं चाहता हूं और मेरा मन करता है कि आप भी इसी तरह आत्मनिर्भर भारत के लिए अधीर हो जाइए। आत्मनिर्भर भारत पूर्ण आजादी का मूल स्वरूप है, जहां हम किसी पर निर्भर नहीं रहेंगे। यदि हम आत्मनिर्भर नहीं होंगे, तो हमारा देश अपने लक्ष्य कैसे पूरा करेगा।’’

मोदी ने कहा, ‘‘पहले अगर सोच काम चलाने की होती थी, तो आज कुछ कर गुजरने, काम करके नतीजे लाने की सोच है। पहले अगर समस्‍याओं से पीछा छुड़ाने की कोशिश होती थी, तो आज समस्याओं के समाधान के लिए स्थायी संकल्प लिए जाते हैं। आत्मनिर्भर भारत इसका सबसे बड़ा उदाहरण है।’

उन्होंने छात्रों के जीवन में माता-पिता, परिवार और अध्यापकों के योगदान की चर्चा करते हुए कहा, ‘‘आपने आईआईटी में प्रवेश लिया और अब आप यहां से निकल रहे हैं, तो तब और अब में आप अपने में बहुत बड़ा परिवर्तन महसूस कर रहे होंगे। पहले आपका ज्ञान और आपकी जिज्ञासा का दायरा आपके स्‍कूल, कॉलेज, आपके मित्रों, आपके परिवार और आपके अपनों के बीच सिमटा हुआ था। आईआईटी कानपुर ने उस दायरे से निकालकर आपको बहुत बड़ा कैनवास दिया है।’

उन्होंने कहा, ‘‘आपने अपनी युवावस्था के इतने महत्वपूर्ण वर्ष तकनीकी विशेषज्ञ बनने में लगाए हैं। आपके पास भारत के साथ ही पूरे विश्व में भी तकनीक के क्षेत्र में योगदान देने का अवसर है।‘‘

मोदी ने आईआईटी कानपुर के छात्रों के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि इस संस्थान का कार्य वैश्विक मानक का हिस्सा बन गया है।

इस कार्यक्रम को उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ समेत कई प्रमुख हस्तियों ने संबोधित किया

उत्तरप्रदेश और बिहार के परीक्षा माफियाओं ने पहले ही लीक कर दिया ‘उप्र टीईटी (अध्यापक पात्रता परीक्षा)-2021’का प्रश्न पत्र,परीक्षा स्थगित,26 गिरफ्तार; करीब 20 लाख परीक्षार्थी होने वाले थे शामिल attacknews.in

लखनऊ/प्रयागराज, 28 नवंबर । उत्तर प्रदेश में रविवार को होने वाली ‘उप्र टीईटी (अध्यापक पात्रता परीक्षा)-2021’ का प्रश्न पत्र लीक होने की वजह से परीक्षा स्थगित कर दी गई है और पुलिस ने इस मामले में प्रश्न पत्र लीक करने वाले गिरोह के 26 सदस्यों को राज्‍य के विभिन्‍न जिलों से गिरफ्तार किया है।

लोकभवन में अपर मुख्‍य सचिव, बेसिक शिक्षा दीपक कुमार और अपर पुलिस महानिदेशक (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने रविवार को पत्रकारों को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों के पास से बरामद प्रश्न पत्र की प्रति को शासन के साथ साझा किया गया, जिसमें लीक हुई सामग्री अध्यापक पात्रता परीक्षा के वास्तविक प्रश्न पत्र से मेल खाती थी।

अधिकारियों ने बताया कि इसी कारण परीक्षा स्थगित करने और अगले एक माह में दोबारा परीक्षा आयोजित करने का निर्णय लिया गया है। इसमें होने वाले खर्च का वहन राज्य सरकार करेगी और अभ्‍यर्थी को दोबारा फॉर्म नहीं भरना पड़ेगा।

उन्होंने बताया कि अभ्‍यर्थियों की सहूलियत के लिए राज्य सरकार ने तय किया है कि प्रवेश पत्र के आधार पर अभ्यर्थियों को सरकारी बसों में निशुल्क अपने गंतव्य तक जाने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा कि मामले में जांच की जिम्मेदारी विशेष कार्य बल (एसटीएफ) को सौंपी गई है और दोषियों को बख्‍शा नहीं जाएगा।

प्रशांत कुमार ने बताया कि सरकार द्वारा आयोजित उत्तर प्रदेश शिक्षक पात्रता परीक्षा-2021 (यूपी टीईटी-2021) की परीक्षाएं रविवार को दो पालियों में (दस से साढ़े 12 बजे और ढाई से पांच बजे तक) राज्‍य के सभी 75 जिलों के 2,736 परीक्षा केंद्रों पर होनी थी। उन्होंने बताया कि इसमें 19 लाख 99 हजार 418 परीक्षार्थी शामिल होने वाले थे।

परीक्षा में आयोजन में किसी प्रकार की गड़बड़ी को रोकने के मद्देनजर नकल माफिया और सॉल्वर गैंग पर नजर रखने के लिए जाल बिछाया गया और मुखबिर तथा खुफिया जानकारी के आधार पर शनिवार रात से अब तक 23 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

कुमार ने बताया कि मामले में लखनऊ से चार लोगों को पकड़ा गया है, वहीं पुलिस के विशेष कार्यबल (एसटीएफ) ने मेरठ से तीन लोगों को, एसटीएफ वाराणसी और गोरखपुर की टीम ने दो लोगों को, कौशांबी से एक और प्रयागराज से 16 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने बताया कि मामले में कुछ और लोगों को गिरफ्तार किए जाने की संभावना है। गिरफ्तार सदस्यों में कुछ बिहार के निवासी हैं।

एसटीएफ की प्रयागराज इकाई के पुलिस उपाधीक्षक नवेंदु कुमार ने बताया कि गिरोह के सरगना समेत 16 सदस्यों को विभिन्न थाना क्षेत्रों से रविवार को गिरफ्तार किया गया।

उन्होंने बताया कि नैनी थाना क्षेत्र से इस गिरोह के मुख्य सरगना राजेंद्र पटेल, निवासी रानीगंज, प्रतापगढ़ सहित सन्नी सिंह, टिंकू कुमार, नीरज शुक्ला, शीतल कुमार, धनंजय कुमार, कुनैन राजा और शिवदयाल को गिरफ्तार किया गया।

इसके अलावा, झूंसी थाना क्षेत्र के अंतर्गत अनुराग, अभिषेक सिंह और सत्य प्रकाश सिंह को गिरफ्तार किया गया। सत्य प्रकाश के मोबाइल फोन में व्हाट्सऐप में हल किया गया प्रश्न पत्र पाया गया है। सत्य प्रकाश प्राथमिक विद्यालय, करिया खुर्द, शंकरगढ़ में सहायक अध्यापक के पद पर कार्यरत है।

कुमार ने बताया कि जॉर्ज टाउन थाना क्षेत्र से चतुर्भुज सिंह, संजय सिंह, अजय कुमार, ब्रह्मा शंकर सिंह और सुनील कुमार सिंह को गिरफ्तार किया गया।

वाह रे लोकतंत्र! बिहार में मरने वाले उम्मीदवार ने जीता पंचायत चुनाव;अधिकारियों को तब पता चला जब वे जीतने का प्रमाणपत्र सौंपने के लिए आवाज लगाते रहे attacknews.in

जमुई (बिहार), 27 नवंबर । बिहार के जमुई जिले में एक मृत व्यक्ति ने अपनी ही मौत से पैदा हुयी “सहानुभूति” के कारण पंचायत चुनाव में जीत दर्ज की है। चुनाव बुधवार को हुए थे।

यह हास्यास्पद त्रासदी जिले में तब सामने आई जब अधिकारी 24 नवंबर को हुए चुनाव में विजय हासिल करने वाले उम्मीदवारों को प्रमाण पत्र सौंप रहे थे।

इस दौरान, खैरा ब्लॉक के अंतर्गत दीपकरहर गांव में वार्ड संख्या दो पर जीत दर्ज करने वाले सोहन मुर्मू कहीं नहीं मिले। खैरा के प्रखंड विकास अधिकारी (बीडीओ) राघवेंद्र त्रिपाठी ने कहा, “पूछताछ करने पर पता चला कि मतदान संपन्न होने से एक पखवाड़े पहले छह नवंबर को ही मुर्मू की मौत हो गई थी।”

दीपकरहर झारखंड की सीमा से लगते क्षेत्र में स्थित है जहां मुख्य रूप से आदिवासी लोग रहते हैं। बीडीओ ने कहा, “मुर्मू ने अपने प्रतिद्वंद्वी को 28 मतों से पराजित किया। मुर्मू के परिजनों ने कहा कि मुर्मू बीमार थे और चुनाव जीतना उनकी अंतिम इच्छा थी, इसलिए वे चुप रहे। गांव के किसी व्यक्ति ने भी हमें इसकी जानकारी नहीं दी। ऐसा लगता है कि उन सभी ने मुर्मू की अंतिम इच्छा पूरी करने के लिए उन्हें वोट दिया।”

मृतक के परिजनों और ग्रामीणों के भोलेपन के कारण अधिकारियों का काम बढ़ गया है। त्रिपाठी ने कहा, “जीत का प्रमाण पत्र किसी को भी नहीं दिया जा सकता। हम राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर इसकी जानकारी देंगे और अनुरोध करेंगे कि संबंधित वार्ड के चुनाव रद्द कर फिर से चुनाव कराया जाए।”