विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष जगदीश कुमार ने बुधवार को कहा कि चार वर्षीय स्नातक डिग्री वाले छात्र अब सीधे पीएचडी कर सकेंगे.
यूजीसी अध्यक्ष ने कहा है कि तीन साल के ग्रेजुएशन कोर्स को ‘4-वर्षीय कार्यक्रम’ के पूरी तरह से लागू होने तक बंद नहीं किया जाएगा. यूजीसी काफी समय से अंडर ग्रेजुएट प्रोग्राम के लिए नया करिकुलम और क्रेडिट फ्रेमवर्क तैयार करने में लगा हुआ था.
यूजीसी की ओर से जारी किया गया नया करिकुलम एनईपी 2020 पर आधारित है. इसके तहत नियमों में लचीलापन आएगा और छात्रों को भी पहले के मुकाबले अधिक सुविधाएं मिल पाएंगी. जिसके तहत अब चार साल का अंडर ग्रेजुएट करने के बाद छात्र पीएचडी कर सकेंगे. उन्हें मास्टर डिग्री प्रोग्राम में एडमिशन लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी.
क्या है नया करिकुलम:
यूजीसी की ओर से जारी किए गए नए करिकुलम और क्रेडिट फ्रेमवर्क में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (CBCS) को बदल दिया गया है. एक वर्ष या फिर दो सेमेस्टर की पढ़ाई पूरा करने वाले छात्रों को चुने गए फील्ड में सर्टिफिकेट मिलेगा. जबकि दो वर्ष या चार सेमेस्टर करने पर छात्रों को डिप्लोमा मिलेगा. वहीं, तीन वर्ष या 6 सेमेस्टर के बाद बैचलर डिग्री दी जाएगी.
इसके अलावा चार वर्ष या आठ सेमेस्टर पूरा करने पर छात्र को ऑनर्स की डिग्री दी जाएगी. चौथे साल के बाद जिन छात्रों ने पहले 6 सेमेस्टर में 75 प्रतिशत या इससे अधिक अंक पाए हैं, वे रिसर्च स्ट्रीम का चुनाव कर सकते हैं. ये शोध मेजर डिसिप्लिन में किया जा सकेगा.
राष्ट्र-चिंतन: मोदी के लिए भस्मासुर हैं जेपी नड्डा ? मोदी के 2024 मिशन के खलनायक साबित होंगे नड्डा □ विष्णुगुप्त
नरेन्द्र मोदी के अभियान 2024 के लिए नड्डा भस्मासुर साबित होंगे, खलनायक साबित होंगे, कमजोर कड़ी साबित होंगे? नड्डा के अंहकार, जातिवादी मानसिकताएं, अति महत्वाकांक्षाएं अब मोदी और भाजपा के लिए भारी नुकसान के कारण बन रहीं हैं। दिल्ली नगर निगम और हिमाचल में भाजपा की हार को नड्डा की कारस्तानी मानी जा रही है।
भाजपा के वर्तमान केन्द्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के संबंध में दो उदाहरणों को देखिये। पहला उदाहरण यह है, जब कद छोटा होता है, अनुभव छोटा होता है, निम्न और सीमित होता है, प्रबंधन कौशल औसत के नीचे होता है तथा प्रतिद्वंदी-प्रतिस्पर्द्धा में फिसड्डी होता है तब कोई करिशमा और चमत्कार करने या फिर कुशल नेतृत्व देने की उम्मीद ही नहीं बनती है।
दूसरा उदाहरण यह है, एक बार जंगल का राजा एक बंदर को चुन लिया गया। जंगल के परमपरागत राजा शेर को यह स्वीकार नहीं हुआ, स्वीकार भी कैसे होता,यह उसकी शक्ति के खिलाफ थी और उसके लिए अपमानजनक बात थी। उसने बंदर को राजा चुनने में मुख्य भूमिका निभाने वाले शियार के बच्चे को उठा लिया। शियार शिकायत लेकर राजा बंदर के पास पहुंचा, बंदर बोला मैं कुछ कर रहा हूं, बंदर की शक्ति शेर से टकराने की तो नहीं थी, वह कैसे टकराता, उसने एक पेड़ से दूसरे पेड़ पर दौड लगाने की भूमिका निभानी शुरू कर दी, यह देख कर शियार बोला, आप यहां उछल-कूद कर रहे हैं वहां शेर हमारे बच्चे को खा रहा होगा, इस पर शियार बोला कि हम उछल-कूद कर प्रयास तो कर रहे हैं अब शेर से मैं कैसे टकरा सकता हूं?
इन दोनों उदाहरणों का साफ संदेश है कि अक्षम और अनुभवहीन व्यक्ति को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल जाती है तो फिर वह उस जिम्मेदारी के साथ न्याय तो कर ही नहीं सकता और इसके अलावा जिम्मेदारी से संबंधित कोई प्रेरणादायी उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है, प्रतिपर्द्धी को पराजित करने की बात दूर रही।
सत्ताधरी पार्टी का केन्द्रीय अध्यक्ष होना एक बहुत बडी बात है और बहुत बड़ी उपलब्धि है। पर नड्डा अपनी जिम्मेदारी के साथ न्याय नहीं कर पा रहे हैं, नड्डा की घोर स्वच्छंता और जातिवादी मानसिकताएं भाजपा के उपर हावी हो रही हैं और भाजपा के लिए नुकसानकुन भी साबित हो रही हैं। दिल्ली के नगर निगम चुनाव में अरविन्द केजरीवाल की जीत और हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की जीत की कसौटी पर नड्डा खलनायक के तौर पर ही सामने हैं।
नड्डा अक्षम और अनुभवहीन क्यों और कैसे हैं? नड्डा हिमाचल प्रदेश जैसे छोटे राज्य की राजनीति के अनुभव रखते थे। छोटे प्रदेश की राजनीति और बड़े प्रदेश की राजनीति का अनुभव में जमीन-आसमान का अंतर होता है, विशेषकर केन्द्रीय राजनीति की कसौटी पर छोटे राज्य की राजनीति कोई उल्लेखनीय नहीं होती है। छोटे प्रदेश की राजनीति में भी नड्डा की राजनीति कोई बेहद ईमानदार, कर्मठ और प्रेरणादायी नहीं रही है। उनकी राजनीति ऐसी नहीं रही थी कि उन्हें केन्द्रीय राजनीति में इस तरह के प्रभावशाली और सर्वश्रेष्ठ पद को सुशोभित करने का पात्र समझ लिया जाये। ये हिमाचल प्रदेश में मंत्री थे। मंत्री के रूप में इनकी छवि कर्मठ और बेहद ईमानदार की नहीं रही थी। जब ये मंत्री थे तभी हिमाचल प्रदेश में भाजपा सत्ता में कमजोर हुई थी।
केन्द्रीय मंत्री के तौर पर इनका कामकाज औसत ही था। ये चरणवंदना संस्कृति के राजनीतिज्ञ हैं, इन्होंने चरणवंदना की शक्ति पहचानी। ये कभी हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री बनना चाहते थे। इनके लिए अवसर था। धूमल विधान सभा चुनाव हार चुके थे। लेकिन ये मुख्यमंत्री नहीं बन सके। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर बन गये।
इन्होंने यह खबर उड़ायी थी कि ब्राम्हण होने के कारण उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। भाजपा के लोग कहते हैं कि इन्होंने हिमाचल प्रदेश में भाजपा के ठाकुरों की राजनीतिक शक्ति को जमींदोज करने की कसमें खायी थी। जयराम ठाकुर की हार के बाद नड्डा के प्रतिज्ञा पूरी हो गयी।
हिमाचल प्रदेश में भाजपा की हार के लिए नड्डा को ही भस्मासुर और खलनायक माना जा रहा है। नड्डा पर सरेआम आरोप लग रहे हैं। हिमाचल प्रदेश के भाजपा नेताओं से पूछ लीजिये आपको पता लग जायेगा, नड्डा के खिलाफ भाजपा नेताओं की भस्मासुर वाली प्रतिक्रिया आपको सुनने के लिए मिल जायेगी। नड्डा ही नहीं बल्कि अनुराग ठाकुर भी भस्मासुर की श्रेणी में थे।
आपको याद होना चाहिए कि हिमाचल प्रदेश में भाजपा के कमजोर होने और सत्ता से बाहर होने के खतरे का अहसास काफी पहले से किया जा रहा था। मीडिया और भाजपा में हमेशा इस बात को लेकर चर्चा हो रही थी। जयराम ठाकुर ईमानदार मुख्यमंत्री थे। लेकिन नड्डा के हस्तक्षेप और विरोधियों के संरक्षण देने के कारण लाचार थे। वे गुटबाजी पर लगाम लगा नहीं पा रहे थे। गुटबाजी पर लगाम लगाने की जिम्मेदारी केन्द्रीय नेतृत्व को थी। लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व ने समय पर विरोधियों को सबक सिखाने या फिर उनकी शिकायतों को दूर करने की जिम्मेदारी नहीं निभायी। इसका दुष्परिणाम क्या हुआ, यह भी देख लीजिये। कोई एक नहीं बल्कि 22 बागी चुनाव में खडे हो गये। ये बागी भाजपा को हराने में बड़ी भूमिकाएं निभायी। बागियों पर नियंत्रण करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आगे आना पड़ा था। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। नरेन्द्र मोदी ने एक बागी को बैठने के लिए खुद कॉल किया था। यह पहला अवसर था जब प्रधानमंत्री ने किसी बागी को बैठने के लिए खुद कॉल किया था, इसके पहले नरेन्द्र मोदी बड़े से बड़े बागी को मनाने की परवाह तक नहीं की थी। वह बागी चुनाव में खड़ा रहा, इतना ही नहीं बल्कि उसने नड्डा के खिलाफ भी बहुत वीभत्स भड़ास निकाली थी।
हिमाचल प्रदेश में चुनाव में मंत्रियों को हराने की परम्परा है, इसलिए जयराम ठाकुर सभी मंत्रियों का टिकट काटना चाहते थे। लेकिन केन्द्रीय नेतृत्व ने बात नहीं मानी। जयराम ठाकुर मंत्रिमंडल के एक मंत्री को छोड़कर सभी मंत्री हार गये।
दिल्ली नगर निगम की हार के लिए भी नड्डा का ब्राम्हणवादी दृष्टिकोण रहा है। दिल्ली नगर निगम चुनाव का टिकट फाइनल नड्डा ने ही किया था। नड्डा ने दिल्ली प्रदेश के कुचर्चित संगठन महामंत्री सिद्धार्टन के साथ मिल कर टिकट बांटा था। कोई एक दो नहीं बल्कि लगभग पचास टिकट ब्राम्हण जाति को दिया था। 250 में 50 टिकट ब्राम्हणों को मिला था। यानि कि भाजपा का हर पाचवां उम्मीदवार ब्राम्हण था। इसका संकेत गलत गया। खासकर पिछडी और कमजोर राजनीति में यह प्रश्न काफी मुखर था। इस प्रश्न का लाभ अरविंद केजरीवाल खूब उठाया। भाजपा का परमपरागत वोट भी भाजपा के ब्राम्हणवाद के खिलाफ चला गया। दिल्ली में हार पर प्रदेश अध्यक्ष आदेश गुप्ता का इस्तीफा तो ले लिया गया पर दिल्ली और हिमाचल प्रदेश में हार पर नड्डा नैतिक जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा क्यों नहीं दिया ? यह प्रश्न आज भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं में खूब घूम रहा है।
उत्तराखंड में भी ब्राम्हण बनाम ठाकुर की राजनीति में भाजपा का नाश करने की पूरी कोशिश की गयी। ठाकुर जाति के बर्चस्व को समाप्त कर ब्राम्हण राजनीति स्थापित करने की पूरी कोशिश की गयी। पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत और फिर तीरथ सिंह रावत की हवा खराब की गयी। लेकिन कांग्रेस अपनी करतूतों के कारण हार गयी। अब पुस्कर सिंह धामी के खिलाफ भाजपा के केन्द्रीय कार्यालय से अनोली-बालोनी ब्राम्हण लॉबी सक्रिय है। उस बा्रम्हण लॉबी व नेता को नड्डा का संरक्षण और समर्थन भी प्राप्त है। भाजपाई और गैर भाजपाई ब्राम्हण पत्रकार भी उत्तराखंड में ठाकुरों की राजनीति को जमींदोज कर ब्राम्हण मुख्यमंत्री बनवाने के लिए अति सक्रिय है। यह सब मीडिया के लोगों को मालूम है।
भाजपा का केन्द्रीय कार्यालय स्वच्छंदता का प्रतीक बन गया है और जातिवाद का ही नहीं बल्कि मोदी विरोधियो का अड्डा भी बन गया है। विष कन्याओं, प्रोफेशनरों और जातिवादी तथा मोदी विरोधियों को भाजपा केन्द्रीय कार्यालय में विशेष सुविधाएं मिलती है। मीडिया विभाग में जाकर कोई इसका अध्ययण कर सकता है। गुजरात में नड्डा की कारस्तानी और जातिवादी हस्तक्षेप इसलिए नहीं चल सका कि नरेन्द्र मोदी और अमित शाह खुद चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी संभाली थी।
भाजपा कभी मध्य प्र्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ और महाराष्ट में हार चुकी थी। हरियाणा में भी भाजपा को बहुमत नहीं मिला था। अभी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ और राजस्थान में विधान सभा चुनाव होने वाले हैं। फिर 2024 में लोकसभा चुनाव होने वाले हैं। इसलिए नरेन्द्र मोदी खुशफहमी में नहीं रहें, किसी संगठन के भरोसे नहीं रहें। अन्यथा 2024 में बहुमत से वंचित भी हो सकते हैं। नड्डा निसंकोच भाजपा और मोदी के लिए भस्मासुर और खलनायक साबित हो सकते हैं।
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विष्णुगुप्त
— VISHNU GUPT
COLUMNIST
NEW DELHI
राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट का लाइसेंस रद्द,लाइसेंस जारी करने के सवाल पर गृह राज्य मंत्री ने जवाब दिया, ‘‘जी, नहीं” attacknews.in
लोकसभा में वी के श्रीकंदन और बेनी बेहनान के प्रश्नों के लिखित उत्तर में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने यह जानकारी दी। सदस्यों ने पूछा था कि क्या सरकार ने एफसीआरए के तहत राजीव गांधी फाउंडेशन और राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट का लाइसेंस रद्द कर दिया है? उन्होंने यह भी पूछा कि क्या सरकार का इन एनजीओ को फिर से लाइसेंस जारी करने का विचार है? इस पर गृह राज्य मंत्री ने कहा, ‘‘जी, हां।
राजीव गांधी फाउंडेशन के एफसीआरए लाइसेंस को विदेशी अभिदाय विनियमन अधिनियम 2010 की धारा 11 के प्रावधानों और धारा 12(4) (क) (6) के तहत पंजीकरण की शर्तों के उल्लंघन के कारण एफसीआरए की धारा 14 के तहत रद्द किया गया था।”
उन्होंने कहा कि राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट के एफसीआरए लाइसेंस को एफसीआरए 2010 की धारा 8 (1) (क), 11, 17, 18, और 19 के प्रावधानों तथा धारा 12 (4) (क) (6) के तहत पंजीकरण की शर्तों के उल्लंघन के कारण एफसीआरए की धारा 14 के तहत रद्द किया गया था। इन एनजीओ को फिर लाइसेंस जारी करने के सवाल पर गृह राज्य मंत्री ने जवाब दिया, ‘‘जी, नहीं।”
उन्होंने कहा कि एफसीआरए 2010 की धारा 14 (3) के प्रावधानों के अनुसार, जिस एसोसिएशन के एफसीआरए पंजीकरण को एफसीआरए 2010 की धारा 14 के प्रावधानों के अनुसार रद्द किया गया है, वह एसोसिएशन पंजीकरण रद्द किये जाने की तरीख से 3 वर्षों की अवधि के लिये पंजीकरण अथवा अनुमति दिये जाने हेतु पात्र नहीं होगा।
राज्यपाल को कुलाधिपति के पद से हटाने का कानून केरल विधानसभा में पारित,राज्य सरकार विश्वविद्यालयों को कम्युनिस्ट या मार्क्सवादी केंद्रों में बदलने पर अड़ी attacknews.in
इस विधेयक के कानून बनते ही केरल के विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति पद पर राज्यपाल की जगह किसी अन्य की नियुक्ति की जा सकेगी।
यदि ऐसा हुआ तो केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान अब राज्य के विश्वविद्यालयों के कुलपति नहीं रह जाएँगे।
इस मुद्दे को लेकर विपक्षी यूडीएफ ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया। विपक्ष ने विधेयक के संबंध में उनके सुझावों की अनदेखी का आरोप लगाया है। विधानसभा में घंटों की चर्चा के बाद इस विधेयक को पारित कर दिया गया।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, केरल के कानून मंत्री पी राजीव ने वीसी की नियुक्ति के लिए समिति गठित करने की बात कही है। समिति में मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता और विधानसभा अध्यक्ष शामिल हो सकते हैं। विधेयक में पाँच साल के कार्यकाल का प्रावधान किया गया है।
चर्चा के दौरान कॉन्ग्रेस की अगुवाई वाली यूडीएफ ने कहा कि वह चांसलर के पद से राज्यपाल को हटाए जाने के खिलाफ नहीं है, लेकिन इस पद के लिए सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जजों और केरल हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस में से चयन किया जाना चाहिए।
विपक्ष ने यह भी कहा कि हर विश्वविद्यालय के लिए अलग-अलग चांसलर की जरूरत नहीं है और चयन समिति में मुख्यमंत्री, विपक्ष के नेता के साथ-साथ केरल हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को होना चाहिए।
इस पर प्रदेश के कानून मंत्री पी राजीव ने असहमति जताते हुए कहा कि किसी जज को चयन समिति का हिस्सा नहीं होना चाहिए, बल्कि उनके स्थान पर विधानसभा अध्यक्ष बेहतर विकल्प होंगे।
सरकार के रुख पर विपक्ष ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष वीडी सतीशन ने कहा कि विधेयक में कुलपति के उम्र सीमा और शैक्षणिक योग्यता का जिक्र नहीं है। इससे यह साबित होता है कि राज्य सरकार केरल के विश्वविद्यालयों को कम्युनिस्ट या मार्क्सवादी केंद्रों में बदलने की कोशिश कर रही है। इसके लिए वीसी जैसे महत्वपूर्ण पद पर अपने पसंद के लोगों को बैठाने का प्रयास कर रही है।
उधर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान पूरे मामले पर पिछले महीने ही अपना रुख साफ कर चुके हैं। उन्होंने पत्रकारों को दिए एक जवाब में कहा था कि यदि राज्य सरकार मु झे निशाना बनाने की कोशिश करती है तो अध्यादेश राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा।
आपको बता दें कि राज्य के गवर्नर होने के नाते विधानसभा से पास विधेयक मंजूरी के लिए आरिफ मोहम्मद खान के पास ही आएगा। जिसे वो राष्ट्रपति के पास भेजने की बात कर रहे थे।
उज्जैन में सुनियोजित तरीके से आयोजित की जाने वाली थी गैर-मुस्लिमों के लिए पैगंबर मुहम्मद पर निबंध प्रतियोगिया, लगी रोक attacknews.in
डॉ मिश्रा ने इस संबंध में संवाददाताओं को बताया कि ‘पैगाम ए इंसानियत सोसाइटी’ की ओर से ये प्रतियोगिता आयोजित की थी, जिसमें गैर मुस्लिमों को भाग लेने को कहा गया था। ये कौन सा तरीका है, ये समझ से परे है।
उन्होंने कहा कि इस परीक्षा की नीयत पर सवाल खड़े हो रहे थे, इसलिए उन्होंने तत्काल पुलिस अधीक्षक को ये प्रतियोगिता रुकवाने के निर्देश दिए।
आरोप लग रहे थे कि ये प्रतियोगिता धर्मांतरण को बढ़ावा देने के लिए आयोजित की जा रही है। कई हिंदू संगठनों ने इसका विरोध किया था।
#महाकालकीनगरी उज्जैन में ‘पैगाम ए इंसानियत’ सोसायटी की तरफ से एक निबंध प्रतियोगिता आयोजित की जा रही थी। प्रतिभागियों को हजरत मोहम्मद पर निबंध लिखना था। लेकिन इस प्रतियोगिता में सिर्फ गैर मुस्लिम ही हिस्सा ले सकते थे।
प्रतियोगिता के बारे में जानकारी होते ही हिन्दू संगठनों ने इस पर रोक लगाने की माँग शुरू कर दी।
हिंदुत्ववादी संगठनों का कहना है कि प्रतियोगिता के माध्यम से हिंदुओं का धर्मांतरण कराने की योजना बनाई जा रही थी। प्रतियोगिता में गैर-मुस्लिमों को शामिल होना था, अर्थात उनका टारगेट हिंदू थे, जिन्हें पैगंबर मोहम्मद पर जीवनी लिखनी थी। इसके लिए आयोजकों द्वारा रजिस्ट्रेशन के बाद एक किताब उपलब्ध करवाई जा रही थी। किताब पैगंबर मोहम्मद की जीवनी पर आधारित थी।
स्थानीय बजरंग दल के नेता पिंटू कौशल ने जानकारी दी कि प्रतियोगिता के नाम पर यह लोग मोहम्मद साहब की जीवनी पढ़ाकर लोगों को धर्मांतरण की ओर ले जाने की कोशिश कर रहे थे। इतना ही नहीं, प्रतियोगिता में ज्यादा से ज्यादा लोगों को शामिल करने के लिए 21 हजार रुपए से लेकर 500 रुपए तक नकद पुरस्कार भी रखे गए थे। सभी के लिए प्रोत्साहन पुरस्कार की व्यवस्था थी।
प्रतियोगिता को लेकर हिंदू संगठनों ने राज्य के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा से शिकायत कर इस पर रोक लगाने की माँग की। गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने भी मामले पर संज्ञान लिया और उज्जैन के एसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ल को प्रतियोगिता स्थगित करने के निर्देश दिए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, मामला सामने आने के बाद पुलिस ने आयोजकों से प्रतियोगिता स्थगित करने के निर्देश दिए। जिसके बाद आयोजक ‘पैगाम-ए-इंसानियत’ संगठन ने तत्काल इस प्रतियोगिता को स्थगित कर दिया।
प्रतियोगिता के आयोजकों में शामिल सैयद नासिर ने बताया कि हर जाति व मजहब के लोगों को हजरत मोहम्मद के बारे में बताने के लिए इस प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा था। आपत्ति के बाद इसे स्थगित कर दिया गया है और इसकी सूचना सार्वजनिक कर दी गई है।
विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पाण्डेय, विज्ञान के क्षेत्र में किए गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित होंगे attacknews.in
चंडीगढ़ फुटवियर डिज़ाइन एवं डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट जो कि वाणिज्य एवं औद्योगिक मंत्रालय भारत सरकार की प्रतिष्ठित संस्थान है, में अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी दिनांक 23 एवं 24 दिसंबर 2022 को सस्टेनेबल डेवलपमेंट, टुवर्ड्स आत्मनिर्भर भारत (वी. एस. ए. एन. वी.) 2022 विषय पर आयोजित की जा रही है, इसमें देश विदेश की प्रतिष्ठित अग्रणी वैज्ञानिक, इंजीनियर, शैक्षणिक विशेषज्ञ एवं औद्योगिक इकाइयों की संचालक एवं प्रबंधक आदि उपस्थित रहेंगे।
उक्त अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में स्क्रीनिंग कमेटी की अनुशंसा के आधार पर “सोसाइटी फॉर साइंस एंड नेचर” द्वारा प्रो पाण्डेय कुलपति विक्रम विश्वविद्यालय को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जायेगा।
उक्त संस्था द्वारा प्रतिवर्ष देश एवं विदेश के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत चयनित वैज्ञानिकों को उनके उत्कृष्ट कार्यों हेतु सम्मानित किया जाता है, इसी सन्दर्भ में प्रो पाण्डेय द्वारा मशरुम के क्षेत्र में किये गए महत्वपूर्ण अनुसंधान कार्यों एवं उन कार्यों की आत्मनिर्भर भारत के लिए भविष्य में योगदान की संभावनाओं के आधार पर स्क्रीनिंग समिति द्वारा प्रो पाण्डेय को इस अवार्ड हेतु सर्वसम्मति से अनुशंसित किया गया है।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ प्रशांत पुराणिक ने बताया कि कुलपति जी द्वारा किए गए महत्वपूर्ण अनुसन्धान कार्य की उपयोगिता, आत्मनिर्भर भारत के लिए है, अतः एस एफ एस एन संस्था द्वारा कुलपति जी का चयन लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड के लिए किया जाना विक्रम विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है।
विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक प्रो शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने बताया कि विज्ञान के क्षेत्र में कुलपति जी द्वारा किये गए उत्कृष्ट कार्यों का परिणाम है कि कई प्रतिष्ठित संस्थानों द्वारा कुलपति जी को समय-समय पर सम्मानित किया गया है। इसी शृंखला में एस. एफ. एस. एन. द्वारा कुलपति जी को सम्मानित किया जा रहा है।
अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा का एक दिवसीय प्रांतीय अधिवेशन 25 दिसंबर को भोपाल में आयोजित होगा: अधिवेशन में चुनी जाएगी प्रांतीय कार्यकारिणी attacknews.in
यह जानकारी देते हुए महासभा के नगर जिलाध्यक्ष बलवीर सिंह पंवार बताया कि प्रांतीय अधिवेशन में प्रांतीय कार्यकारिणी का निर्वाचन होगा।
महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष श्री सुरेंद्र सिंह तोमर ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष द्वय श्री अंगद सिंह भदौरिया व श्री भेरू सिंह चौहान की अनुशंसा पर महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री श्री राजेश सिंह कुशवाह उज्जैन एवं श्री विजय सिंह सावनेर टिमरनी होशंगाबाद को निर्वाचन अधिकारी नियुक्त किया गया है।
निर्वाचन अधिकारी राजेश सिंह कुशवाह ने बताया कि निर्वाचन प्रक्रिया सुबह 10:00 बजे झंडा वंदन के बाद प्रारंभ होगी।सुबह 10:20 से 11:00 तक डेलीगेट एवं आजीवन सदस्यों की सूची जमा होगी।
11:00 से 11:30 तक प्रदेश अध्यक्ष, महामंत्री, उपाध्यक्ष, मंत्री, संगठन मंत्री, प्रचार मंत्री, कार्यालय मंत्री कार्यालय मंत्री एवं कोषाध्यक्ष तथा प्रदेशाध्यक्ष युवा व महिला विंग के लिए नामांकन भरे जाएंगे ।
11.30 से 12.00 नामांकन पत्रों की जांच। एक से अधिक नामांकन प्राप्त होने पर मतदान द्वारा निर्वाचन होगा ।
भोपाल में RSS के सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने भारत को परम वैभव पर पहुंचाने के लिए बताएं संघ के दो मुख्य काम और कहा:विश्वगुरु भारत अर्थात अपनी खुशहाली के साथ विश्व का कल्याण attacknews.in
भोपाल 11 दिसम्बर । संघ के दो मुख्य काम हैं– व्यक्ति निर्माण और समाज संगठन। यह दोनों कार्य एक ही लक्ष्य के लिए है– भारत को परम वैभव पर पहुंचाना। परम वैभव का अर्थ केवल भारत आर्थिक और सामरिक रूप से सक्षम बने, यहां के सभी नागरिकों को रोटी, कपड़ा और मकान मिले यहीं तक सीमित नहीं है बल्कि इससे भी अधिक है। भारत का लक्ष्य विश्व मंगल की कामना है। भारत के महापुरुषों ने हमेशा विश्व कल्याण की बात की है और उसके लिए प्रयास किए हैं।
यह बात राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माननीय सरकार्यवाह श्री दत्तात्रेय होसबाले ने रविवार को लालपरेड मैदान में भोपाल विभाग के शारीरिक प्रकट कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में अपने बौद्धिक में कही।
इस अवसर पर मंच पर मुख्य अतिथि भारत सरकार के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त श्री ओमप्रकाश रावत, मध्य क्षेत्र संघचालक श्री अशोक सोहनी, प्रांत संघचालक श्री अशोक पांडेय और भोपाल विभाग के संघचालक डॉ. राजेश सेठी उपस्थित रहे।
ञअपने उद्बोधन में सरकार्यवाह श्री होसबाले ने कहा कि संघ 95 वर्ष से राष्ट्र साधना में लगा हुआ है। संघ का काम सामूहिक कर्मयोग है। समाज को सामर्थ्यवान बनाने का काम है। भारत को विश्व में सम्मानजनक स्थान दिलाने का काम संघ का है।
उन्होंने कहा कि भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए पहले चरण में हमें अपने देश के नागरिकों की खुशहाली के लिए कार्य करना है और उसके अगले चरण में विश्व की मंगल कामना का कार्य भारत करे, इस कार्य में संघ लगा हुआ है।
उन्होंने कहा कि अनुशासित समाज का निर्माण किए बिना हम भारत को प्रगति के पथ पर दूर तक नहीं ले जा सकते हैं। इसलिए यह आवश्यक कार्य है। स्वास्थ्य, आर्थिक एवं विज्ञान के क्षेत्र में प्रगति करने के साथ ही प्रत्येक व्यक्ति शील संपन्न हो, यह भी विश्वगुरु बनने के लिए आवश्यक है। पिछले 15 अगस्त के भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देशहित सरकार अनेक योजनाएं बना रही है लेकिन नागरिकों के भी कुछ कर्तव्य हैं। हमें भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन करना चाहिए।
सरकार्यवाह श्री होसबाले ने कहा कि संघ व्यक्तियों में चरित्र निर्माण, अनुशासन, कर्तव्यबोध, सामूहिकता जैसे गुणों का विकास करने के लिए करता है। संघ व्यक्ति निर्माण का कार्य करता है ताकि उसकी व्यक्तिगत उन्नति हो और वह जगत के हित के लिए कार्य करे। भगिनी निवेदिता मानती थीं कि यदि देश के लोग सप्ताह में एक दिन आकर सामूहिक रूप से देश के बारे में विचार करें तो देश का वातावरण ही बदल जायेगा। संघ के संस्थापक डॉ. केशव हेडगेवार ने इस बात को समझा और संघ सामूहिक रूप एकत्र आकर देशहित में कार्य करता है। देश का सामान्य व्यक्ति कैसा है, उसके आधार पर उस देश का भविष्य निर्धारित होता है। विदेशी यात्रियों ने भी अपने यात्रा वृत्तांतों में भारत के सामान्य लोगों के रहन–सहन और उनके पास उपलब्ध संसाधनों का उल्लेख किया है।
उन्होंने कहा कि जो लोग समाज कंटक हैं, ऐसे लोग दूसरों को हराने, अपना अहंकार दिखाने और दूसरों का शोषण करने के लिए अपने ज्ञान, धन और बल का उपयोग करते हैं। जबकि सज्जन लोग इस सबका उपयोग समाज के उत्थान के लिए करता है। इसलिए संघ ने अपने कार्य में शारीरिक और बौद्धिक कार्यक्रमों को जोड़ा है।
सरकार्यवाह श्री होसबाले ने कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि भारत करवट ले रहा है। भारत की मान्यता पूरी दुनिया में बढ़ रही है। भारत के बारे में सकारात्मक सोचने की संख्या भी बढ़ रही है। अपने गांव और समाज का उत्थान करते हुए भारत की प्रगति में सहायक बन सकूं, ऐसा सोचने और करनेवाले लोगों की संख्या भी समाज में बढ़ रही है।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि एवं पूर्व चुनाव आयुक्त श्री ओमप्रकाश रावत ने कहा कि यशस्वी भारत की संकल्पना पूरी करने के लिए संघ सुदृढ़ नींव रख रहा है। संघ के कार्यक्रमों एवं उसके गीतों में इसकी झलक दिखती है।
उन्होंने कहा कि आभासी दुनिया की जगह हमें प्रत्यक्ष जुड़ने के प्रयास करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अपने स्वतंत्रता सेनानियों एवं क्रांतिकारियों के बलिदान के कारण आज हम स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव मना रहे हैं। उनके योगदान को हमें भूलना नहीं चाहिए।
कार्यक्रम में क्षेत्र, प्रांत एवं विभाग के अधिकारीगण, समाज के गणमान्य नागरिक, पत्रकारगण, मातृशक्ति, बंधुजन सहित लगभग 20 हजार नागरिक उपस्थित रहे।
शाखाओं में मिलने वाले प्रशिक्षण की दिखी झलक
संघ कार्य का मुख्य आधार शाखाएं हैं। शाखाओं में शारीरिक, बौद्धिक, व्यवस्था, सेवा, संपर्क एवं प्रचार आदि कार्यविभागों के माध्यम से स्वयंसेवकों का प्रशिक्षण किया जाता है।
इस प्रशिक्षण से कार्यकर्ताओं के गुणों का विकास होता है तथा उनकी योग्यता और कुशलता भी बढ़ती है, जिससे वे समाज संगठन और राष्ट्र उन्नति के कार्य में यथाशक्ति कुशलतापूर्वक योगदान देते हैं। शाखाओं में स्वयंसेवक जो प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं उसकी एक झलक स्वयंसेवक द्वारा इस कार्यक्रम में प्रस्तुत की गई।
स्वयंसेवकों ने घोष वादन से लेकर दंड प्रयोग तक की दी प्रस्तुति
प्रकट कार्यक्रम में स्वयंसेवकों ने घोष वादन, प्रदक्षिणा संचलन, दंड के प्रयोग, प्रगत प्रयोग, गण समता, दंड योग, व्यायाम योग, योगासन, बैठक योग जैसे प्रयोग गुणवत्ता के साथ प्रस्तुत किए।
इस अवसर पर तीन घोष दलों ने स्वास्तिक और ओंकार की रचनाओं का निर्माण किया।
214 शाखाओं पर 3300 स्वयंसेवकों ने तीन माह किया अभ्यास
इस कार्यक्रम की तैयारी के लिए विगत 3 माह से स्वयंसेवक प्रात शाखाओं पर अभ्यास कर रहे थे। साथ ही नगर केंद्र पर रात्रिकालीन अभ्यास हेतु 104 शाखाओं को अभ्यास केंद्र के रूप में चयन किया गया था। बाद में ये अभ्यास बढ़कर 214 शाखाओं तक पहुंचा। शारीरिक अभ्यास की दृष्टि से कुल 3300 स्वयंसेवकों ने अभ्यास प्रारंभ किया। गुणवत्ता के आधार पर अंतिम सूची 3166 चयनित स्वयंसेवकों की बनी। शाखा स्तर पर कुल 125 शिक्षकों ने प्रशिक्षण दिया। जिला केंद्र पर 2 बार एकत्रीकरण किए गए जिसमें कुल 1527 स्वयंसेवक उपस्थित रहे। विभाग स्तर पर भी दो बार एकत्रीकरण कर अभ्यास किया गया, जिसमें कुल संख्या 1603 स्वयंसेवकों की रही। घोष की तैयारी के लिए भी विभाग स्तर पर 3 शिविरों का आयोजन किया गया था जिसमें 213 स्वयंसेवक वादकों ने 10 रचनाओं का अभ्यास किया।
विक्रम विश्वविद्यालय में आयोजित हुआ अंतरराष्ट्रीय भारतीय भाषा उत्सव;15 से अधिक भाषा और बोलियों के प्रयोक्ताओं ने रचनाओं की प्रस्तुति से दिया अन्य भाषाओं को सीखने का संदेश attacknews.in
कार्यक्रम में पन्द्रह से अधिक भाषा और बोलियों के प्रयोक्ताओं ने अपनी बोलियों के माध्यम से गीत एवं रचना पाठ करते हुए देश की अन्य भाषाओं को सीखने का संदेश दिया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने की। मुख्य अतिथि ऑस्लो, नॉर्वे के वरिष्ठ साहित्यकार श्री सुरेश चंद्र शुक्ल शरद आलोक, कला संकायाध्यक्ष प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा, मराठीभाषी लेखक श्री अभय मराठे, प्रो गीता नायक, डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने अपने विचार व्यक्त किए।
संबोधित करते हुए कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने कहा कि सभी देशवासियों का दायित्व है कि वे अन्य भाषाओं के प्रति निष्ठा रखने के साथ अपनी अपनी मातृभाषा को संरक्षित करने की कोशिश करें। देश में कहीं भी जाएं वहां की भाषा और संस्कृति को जानने और उसके प्रति अपनत्व का भाव रखें। प्रत्येक परिवार में बच्चों को अपनी बोली में बात करना सिखाना चाहिए।
कुलानुशासक प्रो शैलेंद्रकुमार शर्मा ने कहा कि भारत की विभिन्न भाषाओं के बीच आदान-प्रदान और समन्वय का सिलसिला सदियों से चल रहा है। सदियों पहले परमार काल में रोड कवि द्वारा रचे गए काव्य राउलवेल में विभिन्न भाषाओं की छटा देखने को मिलती है। मालवा में बसे विभिन्न भाषा भाषियों ने सदियों से भाषाई एकता का संदेश दिया है। नई नई भाषाओं को सीखने से परस्पर सद्भाव, सांस्कृतिक चेतना और समावेशी चिंतन का विकास संभव है। नई प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए भारतीय भाषा और बोलियों में निहित ज्ञान और मूल्यों के प्रसार की आवश्यकता है।
श्री सुरेशचंद्र शुक्ल शरद आलोक, ओस्लो, नॉर्वे ने ऑनलाइन व्याख्यान में कहा कि युवा पीढ़ी को विभिन्न भाषाओं के महत्व को जानने के साथ उनका समन्वय करने की आवश्यकता है। भाषाओं के ज्ञान से हम व्यक्तिगत रूप से समृद्ध बनते हैं। प्रत्येक भारतवासी दक्षिण भारत एवं अन्य प्रांतों की भाषाओं को सीखे। नॉर्वे में वर्तमान में त्रिभाषा फार्मूला प्रचलित है। नॉर्वेजियन और अंग्रेजी भाषा के साथ मातृभाषा भी सिखाई जाती हैं। प्रो गीता नायक ने कहा कि अनेक सदियों से भारतीय भाषाओं में एकता के सूत्र मिलते हैं। किसी भी भाषा को जानने और सीखने के लिए उसमें प्रयुक्त सरल शब्द और वाक्यों का ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। सभी भारतीय अपनी अपनी भाषा के साथ किसी ने किसी एक बोली या भाषा को अवश्य सीखें।
डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने कहा कि महान कवि, स्वतंत्रता सेनानी और समाज सुधारक चिन्नास्वामी सुब्रमण्यम भारती के जयंती के अवसर पर भारतीय भाषा उत्सव का आयोजन देश के विभिन्न क्षेत्रों और भाषाओं के मध्य सेतु स्थापित करने में सहायक सिद्ध होगा।
भारतीय भाषा दिवस के मौके पर हुए इस आयोजन में देश की पन्द्रह से अधिक भाषाओं और बोलियों के प्रयोक्ताओं ने बहुभाषायी अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी एवं काव्य पाठ में अपनी भाषा का परिचय देते हुए उसमें कविता, लोक गीत आदि की सरस प्रस्तुति की।
सर्वप्रथम संस्कृत में मंगलाचरण एवं उसकी विशेषताओं को ज्योति शर्मा ने उद्घाटित किया। मराठी का प्रतिनिधित्व क्रांतिकारियों के जीवनी लेखक श्री अभय मराठे ने करते हुए कहा कि पुरातन काल से भारत की विभिन्न भाषाएं आपस में एक दूसरे को जोड़ती रही हैं। स्वाधीनता आंदोलन में भारत की विभिन्न भाषाओं और उन में अभिव्यक्त काव्य का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
श्री मराठे ने श्री विनायक दामोदर सावरकर की मराठी भाषा में निबद्ध राष्ट्रप्रेम की कविता सुनाई। उर्दू की विशेषता बताते हुए श्री मोहन तोमर ने कृष्णबिहारी नूर की रचना प्रस्तुत की। भिलाली एवं भीली भाषा का परिचय देते हुए ज्योति सोलंकी ने एक लोकगीत प्रस्तुत किया। मालवी गीतों की प्रस्तुति श्यामलाल चौधरी, जावरा ने की। राजस्थान के जगदीश कुमार, बाड़मेर ने मारवाड़ी भाषा और संस्कृति का परिचय देते हुए मायड़ भाषा को बोलने की महिमा बताई। सरिता फुलफगर ने निमाड़ी गणगौर गीत प्रस्तुत कर निमाड़ की संस्कृति का परिचय दिया। बुंदेली और उसकी उपबोली लोधान्ती का परिचय रणधीर आठिया, सागर ने दिया और लोकगीत सुनाए।
हरियाणवी भाषा का परिचय शिक्षा देवी, नई दिल्ली ने दिया। अवधी भाषा की विशेषताएं संदीप पांडेय और मनीषा शुक्ला ने प्रस्तुत की। श्रीमती अनिता पंवार ने निमाड़ी में रचित श्रीमती हेमलता उपाध्याय का गीत सुनाया। बारेली भाषा में प्रचलित नशा मुक्ति गीत की प्रस्तुति अनूप जमरे ने की। युगेश द्विवेदी, रीवा ने बघेली बोली का परिचय देते हुए उसमें रची व्यंग्यात्मक कविता प्रस्तुत की। मीणी भाषा का प्रतिनिधित्व कविता सुलानिया, भीली का प्रतिनिधित्व डॉ दयाराम नगेश, पंजाबी का प्रतिनिधित्व सपना अरोरा और गुजराती का प्रतिनिधित्व श्रुति देशपांडे ने किया। कार्यक्रम में अनेक प्राध्यापकों, साहित्यकारों और शोधार्थियों ने अलग अलग भाषा और बोलियों का प्रतिनिधित्व करते हुए भाषाई सौहार्द का संकल्प लिया।
कुलपति प्रो अखिलेश कुमार पांडेय ने उपस्थित जनों को अपनी भाषा और बोली के प्रयोग के साथ अन्य भाषा और बोलियों को सीखने की शपथ दिलाई।
प्रारंभ में वाग्देवी के चित्र पर पुष्पांजलि अतिथियों ने अर्पित की। कार्यक्रम में डॉ प्रतिष्ठा शर्मा, डॉ सुशील शर्मा सहित अनेक शिक्षक एवं शोधार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ जगदीश चंद्र शर्मा ने किया। आभार प्रदर्शन श्रीमती हीना तिवारी ने किया।
खुद को ‘पैगंबर’ बताते हुए कर ली 20 शादी, बेटी को भी बनाया बीवी:20 बीवियों वाला सैमुअल गिरफ्तार attacknews.in
वाशिंगटन 5 दिसम्बर ।अमेरिका के अरीजोना में बहुविवाह की पैरवी करने वाले सैमुअल रैपली बेटमैन नाम के कट्टरपंथी की 20 बीवियाँ निकली हैं।
आरोपित खुद को ‘पैगंबर’ बताते हुए अपनी बेटी से शादी कर चुका है। उसने ज्यादातर शादियाँ 15 साल से कम उम्र की लड़कियों से की है।
उसके ऊपर व्यभिचार, वयस्कों और बच्चों से ग्रुप सेक्स, बाल यौन तस्करी जैसे आरोप हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार सैमुअल ने 2019 में 50 लोगों का एक छोटे समूह का नेतृत्व शुरू किया था। समूह का नाम फंडामेंटालिस्ट चर्च ऑफ जीसस क्राइस्ट ऑफ लेटर-डे सेंट्स हैं। वो इस समूह को कंट्रोल करते-करते ही खुद को ‘पैगंबर’ बताने लगा। एक समय आया जब उसने अपनी ही बेटी से शादी करने की इच्छा व्यक्त की।
इसके अलावा उसने अपने तीन फॉलोवर्स को ये तक कहा कि वो लोग भी उसकी बेटियों के साथ सेक्स करें वो भी तब जब उनमें से एक लड़की सिर्फ 12 की थी।
सैमुअल लड़कियों से भी कहता था कि वो अपनी इज्जत ईश्वर के नाम पर त्यागें। ईश्वर फिर से उनके शरीर को सही कर देगा और उनके शरीर में दोबारा वो झिल्ली आ जाएगी।
एफबीआई दस्तावेजों के मुताबिक 46 साल का सैमुअल अब तक 20 औरतों से शादी कर चुका है। इनमें अधिकतर 15 से कम की थीं।
जब पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया उस समय भी राज्य में गाड़ियों से लड़कियों को इधर-उधर लेकर जा रहा था। गाड़ी में एक सोफा और टॉयलेट की बाल्टी थी। तब, पुलिस ने उसे पकड़ा था।
पुलिस ने कहा था कि इस बात के पर्याप्त सबूत हैं कि वो अरीजोना, उताह, नेवादा में लड़कियों को ट्रांस्पोर्ट कर रहा था। जब पुलिस ने उसकी गाड़ी रोकी तो उसमें दो लड़कियाँ थीं। इसके बाद ही पुलिस ने बाल शोषण करने पर उस पर मुकदमा दर्ज कर लिया।
पहले उसे इस केस में बेल मिल गई। लेकिन उसे दोबारा अन्य आरोपों में पकड़ा गया। सबूत जुटाने के लिए पुलिस ने छापेमारी की और 9 पीड़ितों को अपने संरक्षण में ले लिया।
एफबीआई ने छापेमारी के बाद उसको अरीजोना जेल में डाल दिया। सितंबर से उसके विरुद्ध सबूत जुटाए जा रहे हैं कि उसने कम उम्र की औरतों से शादी की और उनसे शारीरिक संबंध बनाए।
भारत के chief justice of India डीवाई चंद्रचूड़ शुरुआती दिनों में रेडियो जॉकी के तौर पर करते थे मूनलाइटिंग attacknews.in
नईदिल्ली 5 दिसम्बर ।भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ ने खुलासा किया कि वह ऑल इंडिया रेडियो (AIR) में एक रेडियो जॉकी के तौर मूनलाइटिंग कर चुके हैं।
सीजेआई ने शनिवार (3 दिसंबर, 2022) को इंडिया इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ लीगल एजुकेशन एंड रिसर्च, गोवा के पहले शैक्षणिक सत्र का उद्घाटन किया। इस मौके पर उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने ‘प्ले इट कूल, ए डेट विद यू और संडे रिक्वेस्ट’ जैसे कार्यक्रमों को भी होस्ट किया था।
डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, “बहुत से लोग इस बारे में नहीं जानते हैं कि मैं अपने शुरुआती दिनों (20वें दशक) में रेडियो जॉकी के तौर पर मूनलाइटिंग भी करता था। संगीत के लिए मेरा प्यार आज भी कायम है। कानून के क्षेत्र में संगीत सुनना मुश्किल होता है। इसलिए जब भी मैं अपने काम से फ्री होकर घर जाता हूँ, तो संगीत का आनंद जरूर लेता हूँ।”
उनकी वीडियो क्लिप को बार एंड बेंच ने अपने ट्विटर अकाउंट पर शेयर किया है। इस कार्यक्रम में उन्होंने 20 के दशक की शुरुआत में अपने जीवन, कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) के अलावा कई और मुद्दों पर भी चर्चा की।
उन्होंने कहा कि शायद नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज के सामने एक समस्या यह थी कि वे कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट (CLAT) को क्रैक करने के लिए छात्रों की क्षमता को जाँचते हैं। उनके अनुसार, जरूरी नहीं है कि जिन छात्रों ने सीएलएटी (CLAT) क्रैक कर लिया हो, वे कानून की पढ़ाई के लिए सही सोच रखते हों।
क्या है मूनलाइटिंग?
मूनलाइटिंग (Moonlighting), यानि एक समय में एक से अधिक कंपनी के लिए काम करना। विप्रो के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी ने इसको लेकर सितंबर 2022 में ट्वीट किया था।
उन्होंने ‘मूनलाइटिंग’ की तुलना धोखाधड़ी से करते हुए अपने ट्वीट में लिखा था, “तकनीक उद्योग में मूनलाइटिंग करने वाले लोगों के बारे में बहुत सारी बकवास है। सादा और सरल भाषा में यह धोखा है।”
वहीं, ऋषद प्रेमजी से उलट ‘टेक महिंद्रा’ के सीईओ सीपी गुरनानी ने ‘मूनलाइटिंग (Moonlighting)’ का समर्थन करते हुए लिखा था, “समय के साथ बदलते रहने के लिए मूनलाइटिंग जरूरी है।”
चीन स्थित ‘वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी’ में काम करने वाले वैज्ञानिक एंड्रयू हफ का दावा: कोविड-19 एक मानव निर्मित वायरस है, जो WIV से लीक हो गया था attacknews.in
बीजिंग 5 दिसम्बर । कोरोना की उत्पत्ति को लेकर तरह-तरह के दावे किए जाते रहे हैं। कई इसे जीव-जनित बताते हैं तो कई लोगों का मानना है कि यह चीन स्थित वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (WIV) से लीक हुआ था। अब इस दावे को और बल मिल रहा है। यहाँ काम कर चुके एक वैज्ञानिक ने इस संबंध में एक अहम खुलासा किया है।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान ‘द सन’ की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन स्थित ‘वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी’ में काम करने वाले वैज्ञानिक एंड्रयू हफ का दावा है कि कोविड-19 एक मानव निर्मित वायरस है, जो WIV से लीक हो गया था।
एंड्रयू हफ ने वायरस का अध्ययन करने वाले न्यूयॉर्क स्थित एक गैर-लाभकारी संस्था के लिए भी काम किया है।
उन्होंने कहा कि कोविड को ढाई साल से पहले चीन में वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से लीक किया गया। हफ ने इसे 9/11 के बाद की सबसे बड़ी अमेरिकी खुफिया विफलता बताया और इसके लिए अधिकारियों को दोषी ठहराया। यह प्रयोगशाला कोविड की उत्पत्ति के बारे में बहस के केंद्र रहा है।
हालाँकि, चीन के सरकारी अधिकारियों और प्रयोगशाला कर्मियों ने हमेशा इससे इनकार किया है कि वायरस लैब से लीक हुआ था।
महामारी वैज्ञानिक हफ ने अपनी नई पुस्तक ‘द ट्रूथ अबाउट वुहान’ में कहा कि चीन में कोरोना वायरस अमेरिकी सरकार के वित्त पोषण का परिणाम था।
उन्होंने कहा कि चीन में एक्सपेरिमेंट को LAX सुरक्षा के साथ किया गया, जिसके कारण वुहान लैब में लीक हुआ। ‘लॉस एंजिल्स एयरपोर्ट सिक्योरिटी (LAX सुरक्षा)’ लॉस एंजिल्स एयरपोर्ट पुलिस का एक प्रभाग है।
उन्होंने अपनी पुस्तक में कहा, “विदेशी प्रयोगशालाओं में बायो-सेफ्टी (खतरनाक रोगाणुओं से निपटने के उपाय), बायो-सिक्योरिटी (वायरस के प्रसार को रोकना) और को सुनिश्चित करने और जोखिम प्रबंधन के लिए जरूरी तैयारियाँ नहीं की गई थीं। अंततः यही चीजें WIV से वायरस लीक होने का कारण बनीं।
पिछले दो वर्षों में लगातार ऐसे सबूत सामने आए हैं जिससे पता चलता है कि वायरस लैब से लीक हो गया था।
हफ ‘इकोहेल्थ एलायंस’ के एक पूर्व उपाध्यक्ष हैं, जो न्यूयॉर्क स्थित एक गैर-लाभकारी समूह है। ये अमेरिका के ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (NIH)’ के साथ एक दशक से अधिक समय से चमगादड़ों में अलग-अलग कोरोना वायरस का अध्ययन कर रहा है और इस संस्था ने वुहान लैब से भी घनिष्ठ संबंध बनाए थे।
वैज्ञानिक हफ ने लिखा, “चीन पहले दिन से यह जानता था कि कोरोना वायरस को जेनेटिक इंजीनियरिंग के माध्यम से बनाया गया था। इसका जिम्मेदार अमेरिका को ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि बायोटेक्नोलॉजी की ये तकनीक उसी ने चीन को दी थी।”
बता दें कि ‘जेनेटिक इंजिनयरिंग’ के माध्यम से किसी जीव के जीन्स में छेड़छाड़ कर के उसके स्वभाव को बदला जा सकता है।
पंजाब में जनता को शराब की लत्त लगाने वाली आप पार्टी की सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार “34,000 FIR, मुकदमा किसी पर नहीं” पंजाब में अवैध शराब बिक्री पर SC- सरकार सिर्फ FIR करती है, कार्रवाई नहीं attacknews.in
कोर्ट ने कहा कि राज्य में ड्रग्स और शराब की समस्या एक गंभीर मुद्दा है। पंजाब सरकार ऐसे मामलों में केवल एफआईआर दर्ज कर रही है और आगे की कार्रवाई नहीं कर रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार से अवैध शराब बनाने के खतरे को रोकने के लिए उठाए गए विशिष्ट कदमों की सूची बनाने के लिए भी कहा।
कोर्ट ने चिंता जताते हुए यह भी कहा कि पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है और अगर कोई देश को खत्म करना चाहता है, तो वह सीमाओं से ही शुरुआत करेगा।
पंजाब सरकार से सवाल करते हुए कोर्ट ने जब्त किए गए पैसे के इस्तेमाल की जानकारी माँगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार को इस पैसे का इस्तेमाल नशा विरोधी अभियानों के लिए करना चाहिए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि अब तक 2 सालों में 34000 से ज्यादा एफआईआर हो चुकी है, लेकिन किसी पर मुकदमा नहीं हुआ है।
पंजाब सरकार की ओर से जवाब देते हुए एएसजी ने कहा कि चीजें आगे बढ़ रही हैं। उन्होंने कहा कि धारा 302 के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है और आगे कार्रवाई भी होगी।
वहीं भारतीय जनता पार्टी (BJP) के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने भी भगवंत मान सरकार पर इस मुद्दे को लेकर निशाना साधा है।
उन्होंने ट्वीट कर कहा, ”नशीले पदार्थों और शराब की बढ़ती समस्या के लिए सुप्रीम कोर्ट ने आप की अगुवाई वाली पंजाब सरकार को फटकार लगाई है। आप ने पंजाब और दिल्ली को नशामुक्त के बजाय नशायुक्त बना दिया है। नशा माफिया को खुली छूट दी गई है। उनके साथ संभवतः दिल्ली की तरह ही सौदा किया गया है। आप पंजाब के युवाओं को बर्बाद कर रही है।”
इसके साथ ही ट्वीट के साथ उन्होंने एक वीडियो भी पोस्ट किया, जिसमे उन्होंने कहा, ”आज सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को नशा, अवैध ड्रग्स फटकार लगाई है। आम आदमी पार्टी की सरकार जब से पंजाब में आई है, ड्रग्स से संबंधित मामलों में 168 लोगों की मौत हुई है। कई तरह के युवाओं के वीडियो सामने आ रहे हैं, जिसमें वह ड्रग्स की वजह से पैरों पर खड़े नहीं हो पाते। आम आदमी पार्टी ने कहा था कि एक महीने में शराब माफियाओं को समाप्त कर देंगे, लेकिन इन्होंने शराब माफियाओं को खुली छूट दी है, जिस वजह से घर-घर साफ़ पानी तो नहीं पहुँचा है बल्कि मोहल्ले-मोहल्ले नशा जरुर पहुँच चुका है।
उन्होंने आगे कहा, ”वहीं जब पुलिस इनसब पर कार्रवाई करती है तो आप के कार्यकर्ता पुलिस के सामने खड़े हो जाते हैं। आज आम आदमी पार्टी के तहत राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह से बर्बाद हो गई है। आज आप को सुप्रीम कोर्ट से जो फटकार मिली है, वह दिखाता है कि पार्टी ने दिल्ली और पंजाब को नशा मुक्त बनाने के बदले नशा युक्त बना दिया है।”
राहुल की जिद के आगे बेबस हुए दिग्गी-कमल;राहुल गांधी ने कमल नाथ और दिग्विजय सिंह को मिलाया गले attacknews.in
यहां नुक्कड़ सभा में राहुल गांधी ने पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ और दिग्विजय सिंह को गले मिलाया।
यह घटनाक्रम उस समय हुआ जब मंच संचालन कर रहे कांग्रेस नेता ने संबोधन के लिए कमल नाथ को बुलाया।
तभी राहुल गांधी भी कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के बीच पहुंचे और कहा पहले आप गले मिलो। इस पर दोनों नेता मुस्कुरा दिए। तो राहुल फिर बोले नहीं पहले आप गले मिलो, गले मिलो। फिर दोनों नेता हाथों में हाथ डालकर एक साथ आए।
इसके बाद राहुल गांधी भी साथ आए और तीनों ने सभा में मौजूद लोगों का अभिवादन किया।
दरअसल कमल नाथ और दिग्विजय सिंह के बीच खींचतान और मन मुटाव जैसी बातें सामने आती रहती हैं। भाजपा नेता भी कई बार इस बात को हवा दे चुके हैं। ऐसे में भारत जोड़ो यात्रा के मध्य प्रदेश में समापन के मौके पर नुक्कड़ सभा में दोनों नेताओं को गले मिलाना चर्चा का विषय बना हुआ है। attacknews.in
चीन में मुसलमानों की नजरबंदी पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार की रिपोर्ट में गंभीर तथ्यों पर भड़का चीन ने उइगर मुसलमानों से संबंधित रिपोर्ट को खारिज किया attacknews.in
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय ने बुधवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन ने अपनी आतंकवाद और उग्रवाद रोधी नीतियों के तहत मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन किया है।
संगठन ने संयुक्त राष्ट्र, विश्व बिरादरी और खुद चीन से इस पर ‘‘तत्काल ध्यान’’ देने का आह्वान किया है।
इस बीच, जिनेवा में चीन के राजनयिक मिशन ने तीखी प्रतिक्रिया देते संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का कड़ा विरोध किया।
चीन ने कहा कि इस रिपोर्ट में शिनजियांग में किए गए मानवाधिकार संबंधी कार्यों की उपलब्धियों और आबादी को आतंकवाद व उग्रवाद से हुए नुकसान की अनदेखी की गई है।
चीन के मिशन ने एक बयान में इस रिपोर्ट को “चीन विरोधी तत्वों” का कृत्य करार दिया और कहा कि यह गलत जानकारी व झूठ पर आधारित है, जिसका उद्देश्य चीन की छवि धूमिल करना है।
इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचलेट ने रिपोर्ट को रोकने के चीन के अनुरोध को खारिज कर दिया।
बैचलेट ने मई में शिनजियांग की यात्रा की थी, जिसके बाद यह रिपोर्ट आयी है। इस रिपोर्ट ने क्षेत्र के मूल उइगर और अन्य प्रमुख मुस्लिम जातीय समूहों के अधिकारों पर पश्चिमी देशों के साथ राजनयिक प्रभाव को लेकर रस्साकशी शुरू की है।
पश्चिमी राजनयिकों और संयुक्त राष्ट्र के अधिकारियों ने कहा कि रिपोर्ट लगभग तैयार थी, लेकिन बैचलेट का चार साल का कार्यकाल पूरा होने से कुछ ही मिनटों पहले इसे जारी किया गया।
कई पत्रकारों, स्वतंत्र मानवाधिकार समूहों ने शिनजियांग में वर्षों से मानवाधिकार उल्लंघन पर काफी कुछ लिखा है।
बैचलेट की इस रिपोर्ट पर संयुक्त राष्ट्र तथा उसके सदस्य देशों की मुहर लगी है। इसके जारी होने के बाद विश्व संस्था में चीन के प्रभाव पर बहस छिड़ गई।
रिपोर्ट जारी होने से कुछ देर पहले संयुक्त राष्ट्र में चीन के राजदूत झांग जून ने कहा था कि बीजिंग इस रिपोर्ट का ‘‘दृढ़ता से विरोध’’ करता है। जापान रिपोर्ट पर टिप्पणी करने वाले शुरुआती देशों में से एक था।
रिपोर्ट बृहस्पतिवार की सुबह एशिया में जारी की गयी थी। जापान के शीर्ष सरकारी प्रवक्ता ने चीन से शिनजियांग क्षेत्र में पारदर्शिता और मानवाधिकार की स्थिति में सुधार करने का आग्रह किया।
मानवाधिकार संगठनों ‘ह्यूमन राइट्स वॉच’ और ‘एमनेस्टी इंटरनेशनल’ ने संयुक्त राष्ट्र और सरकारों से मानवाधिकारों के हनन की एक स्वतंत्र जांच करने का आह्वान किया।
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