औरंगाबाद , 12 मई । मध्य महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में दो समुदायों के बीच झड़प में दो लोगों की मौत हो गई और एक दर्जन पुलिसकर्मी सहित पचास लोग घायल हो गए। पुलिस ने यह जानकारी दी।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दोपहर के बाद से स्थिति नियंत्रण में है लेकिन जिला प्रशासन ने धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दिया है और लोगों के जुटने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दी गई है।
अधिकारी ने बताया कि मरने वालों में 17 वर्षीय एक किशोर भी है जिसकी मौत कथित तौर पर पुलिस की गोली से गई। वहीं 65 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत तब हुई जब पास में एक दुकान में दंगाइयों ने आग लगा दी जिसकी वजह से वह अपने घर में फंस गए।
अधिकारी ने बताया कि करीब 10 बजे मोती करांजा क्षेत्र में दंगा शुरू हो गया और यह गांधी नगर , राजा बाजार , शाह गंज और सफारा क्षेत्र तक फैल गया। इसके बाद पुलिस को मजबूरी में हवा में गोली चलानी पड़ी।
दंगाइयों ने 100 दुकानों और 80 वाहनों में आग लगा दी। कल रात से 37 लोगों को दंगा भड़काने और आग लगाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया।
स्थानीय सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ दिनों से मोती करांजा क्षेत्र में तनाव पसरा हुआ है क्योंकि यहां नगर निगम अवैध जल कनेक्शन के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है।
सूत्रों ने बताया कि एक पूजा स्थल पर अवैध जल कनेक्शन हटाने के बाद इस मामले ने सांप्रदायिक रंग ले लिया।
महाराष्ट्र विधान परिषद के विपक्ष के नेता धनंजय मुंडे ने आरोप लगाया कि यह हिंसा राज्य की खुफिया मशीनरी की विफलता को दिखाती है। उन्होंने इस मामले में न्यायिक जांच की मांग की है।
महाराष्ट्र में दंगे की जो वजह है, उसपर यकीन ही नहीं होता
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में सैकड़ों गाड़ियों और दुकानों में आग लगा दी गई है. दंगे में दो की मौत हो चुकी है.
महाराष्ट्र के औरंगाबाद में जो हुआ है, उसे जानने के बाद लोगों की इस बात पर यकीन जैसा होने लगा है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक औरंगाबाद के शाहजंग इलाके में 11 मई की शाम छह बजे एक फल की दुकान पर मामूली विवाद हो गया. विवाद मामूली था, लेकिन दोनों पक्ष अलग-अलग समुदाय से थे. इसलिए इसने सांप्रदायिक रंग ले लिया. हालांकि जबतक विवाद बढ़ता, उसे कंट्रोल कर लिया गया. लेकिन असली हिंसा इसके बाद शुरू हुई.
सोशल मीडिया से अफवाह:
वॉट्स ऐप, फोन और मैसेज के जरिए अफवाह फैलानी शुरू कर दी गई कि नगर निगम ने गांधीनगर इलाके में बने एक धार्मिक स्थल पर लगे पानी के कनेक्शन को जानबूझकर काट दिया है.
मैसेज में कहा गया कि नगर निगम जानबूझकर ऐसा कर रहा है और वहां के लोग निगम को मदद कर रहे हैं.
लोगों ने इस अफवाह पर यकीन कर लिया. उन्हें लगा कि उनके धर्म के साथ ज्यादती हो रही है और इसका बदला लेने के लिए वो हाथों में पत्थर और हथियार लेकर सड़क पर आ गए. दूसरा पक्ष भी तैयार बैठा था. वो भी सामने आ गया और नतीजा ये हुआ कि पूरा औरंगाबाद शहर दंगे की चपेट में आ गया. दोनों समुदायों ने एक दूसरे पर पत्थरबाजी की और फिर पूरे शहर में हिंसा शुरू हो गई.
हिंसा के दौरान 50 से ज्यादा दुकानों को आग के हवाले कर दिया गया. इसके अलावा 100 से ज्यादा गाड़ियों में आग लगा दी गई. भीड़ की पत्थरबाजी में 60 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जबकि 20 से ज्यादा पुलिसवालों को भी चोटें आईं.
हिंसा के दौरान एसीपी गोवर्धन काले के साथ ही पुलिस स्टेशन के चीफ हेमंत कदम और इंस्पेक्टर श्रीपद परोपकारी भी गंभीर रूप से घायल हो गए. इसके बाद जवाबी कार्रवाई के लिए उतरी पुलिस ने फायरिंग की, आंसू गैस के गोले दागे और भीड़ को काबू कर पूरे शहर में धारा 144 लगा दी. लेकिन जब तक पुलिस ऐक्शन में आती, दंगे की वजह से दो लोगों की मौत हो चुकी थी.
डीसीपी (जोन-वन) विनायक ढाकने ने कहा है कि शहर में फोर्स तैनात है और दंगा करने वालों के खिलाफ सख्त ऐक्शन लिया जा रहा है. पुलिस के मुताबिक अफवाहों की वजह से औरंगाबाद में ऐसे हालात बने हैं, जिन्हें रोकने की हर संभव कोशिश की जा रही है. वहीं महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री दीपक केसरकर ने दंगे में दो लोगों की मौत की पुष्टि की है. केसरकर ने भी पुलिस की उसी बात को दुहराया है कि दंगे को कंट्रोल कर लिया गया था, लेकिन अफवाहों की वजह से हिंसा फैली. दीपक केसकर के मुताबिक एक शख्स की मौत सांप्रदायिक हिंसा में हुई है, जबकि दूसरे की मौत प्लास्टिक की बुलेट लगने की वजह से हुई है.
भड़की हिंसा में जमकर उपद्रव मचा. रात भर लोग या तो डरे सहमे भागते रहे या उपद्रव मचाने वाले हिंसा फैलाते रहे. पथराव हुआ, दुकानें जला दी गईं, गाड़ियां फूंक दी गईं. और इस दौरान कहीं पुलिस का कोई नामो निशान नहीं. औरंगाबाद हिंसा को लेकर अब कई तरह की बातें सामने आ रही हैं और दोनों समुदायों के बीच मनमुटाव और हिंसा भड़कने की कई वजहें बताई जा रही हैं।
फिलहाल औरंगाबाद के पुराने हिस्से सहित कई इलाकों में धारा 144 लगा दी गई है और बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया है. शनिवार की सुबह से स्थिति काबू में है, शांति स्थापित होने लगा है, लेकिन माहौल अभी भी तनावपूर्ण बना हुआ है.
इस तरह भड़की हिंसा
दरअसल औरंगाबाद में दोनों समुदायों के बीच तनाव का माहौल गुरुवार से ही बनने लगा था. औरंगाबाद महानगर पालिका ने गुरुवार से पानी के अवैध कनेक्शन काटने का अभियान शुरू किया था. गुरुवार को औरंगाबाद के मोती कारंजा इलाके में नगर निगम ने अवैध पानी के कनेक्शन काटे.
लेकिन नगर निगम द्वारा पानी का कनेक्शन काटे जाने को लेकर एक समुदाय भड़क उठा और नगर निगम पर आरोप लगाए कि उसने उसी समुदाय विशेष के लोगों के पानी कनेक्शन काटे हैं, जबकि दूसरे समुदाय के अवैध पानी के कनेक्शन नहीं काटे गए. इसी बात को लेकर दोनों समुदायों के बीच तनाव की स्थिति पनपी. शुक्रवार की दोपहर से ही तनाव का माहौल बनने लगा था जो रात होते-होते हिंसा में बदल गई.
विधानसभा में उठ चुका है पाइप लाइन प्रोजेक्ट का मुद्दा
बताते चलें कि औरंगाबाद में एक एनक्लोज्ड पाइप लाइन का बड़ा प्रोजेक्ट शुरू होने वाला था, लेकिन निजीकरण के मुद्दो को लेकर इसका काफी विरोध हुआ था. इस प्रोजेक्ट की लागत 350 करोड़ से अचानक 1200 करोड़ रुपये किए जाने को लेकर महाराष्ट्र विधानसभा में भी यह मुद्दा उठा था.
व्यावसायिक वर्चस्व की थ्यौरी
इसके अलावा दोनों समुदायों के बीच तनाव के पीछे शहर में व्यावसायिक वर्चस्व को भी कारण बताया जा रहा है. साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि औरंगाबाद में एक खास राजनीतिक दल के सर्वाधिक पार्षद चुने गए, जिसे लेकर भी मनमुटाव की अफवाहें गर्म हैं.
दो महीने से कमिश्नर का पद है रिक्त
गौरतलब है कि औरंगाबाद में इस समय कमिश्नर का पद रिक्त है. जानकारी के मुताबिक, औरंगाबाद में कचरे के निपटान को लेकर कई महीने से तनाव की स्थिति बनी हुई थी. कचरे के निपटान के मुद्दे पर लोगों की नाराजगी संभालने में नाकाम रहने के बाद औरंगाबाद के कमिश्नर अमितेष कुमार को छुट्टी पर भेज दिया गया और बाद में उनका तबादला कर दिया गया. उसके बाद से बीते दो महीने से स्पेशल IG मिलिंद भरांबे ने ही औरंगाबाद के कमिश्नर का अतिरिक्त प्रभार संभाल रखा है.
मिलिंद भरांबे ने बताई ये वजह
औरंगाबाद कमिश्नर का प्रभार संभाल रहे स्पेशल IG मिलिंद भरांबे ने ‘आजतक’ को बताया कि दो समुदायों के बीच छोटे सी बात को लेकर झड़प शुरू हुआ. दोनों समुदायों के बीच पथराव हुआ, जिसके बाद यह हिंसा आस-पास के इलाकों में भी फैल गई. अफवाह भड़काने के चलते यह हिंसा और भड़की. लेकिन अब हालात पर काबू पा लिया गया है.
हिंसक भीड़ को काबू में करने के लिए पुलिस ने रबर बुलेट चलाए, जो एक व्यक्ति को संवेदनशील जगह जा लगी, जिससे उसकी मौत हो गई. यह दुर्भाग्यपूर्ण है. शांति बहाली के लिए दोनों समुदायों के नेताओं से बातचीत चल रही है. दोनों समुदायों के बीच कुछ चीजों को लेकर मनमुटाव की स्थिति है, जिसकी जांच की जा रही है.
हर साल पानी की किल्लत से जूझता है औरंगाबाद
गौरतलब है कि औरंगाबाद महाराष्ट्र के मराठवाड़ा इलाके में आता है और हर साल गर्मियों में मराठवाड़ा इलाके में पानी की किल्लत हो जाती है. मराठवाड़ा में पानी की इस किल्लत का सर्वाधिक खामियाजा औरंगाबाद को भुगतना पड़ता है.
दो महीने भी रामनवमी पर भड़की थी हिंसा
औरंगाबाद में इसी साल 27 मार्च को रामनवमी वाले दिन भी हिंसा भड़क उठी और स्थिति पर नियंत्रण पाने के लिए प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ा था. इसके बावजूद औरंगाबाद में बीते दो महीने से कमिश्नर की नियुक्ति नहीं की गई थी, जिसे राज्य सरकार की बड़ी लापरवाही के तौर पर देखा जा रहा है.attacknews.in