नयी दिल्ली, 13 सितंबर । ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर कोरोना वैक्सीन के निर्माण में जुटी दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने वैक्सीन का दूसरे तथा तीसरे चरण का मानव परीक्षण एक सप्ताह के अंतराल के बाद ब्रिटेन में दोबारा शुरु कर दिया है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने रविवार को बताया कि परीक्षण के दौरान करीब 18,000 व्यक्तियों को कोरोना वैक्सीन दी गयी। इस तरह के वृहद स्तर के परीक्षण में कुछ वालंटियर के अस्वस्थ होने की संभावना रहती है और प्रत्येक वालंटियर के स्वास्थ्य का सावधानी पूर्वक मूल्यांकन आवश्यक होता है ताकि वैक्सीन के सुरक्षा संबंधी पहलू का आकलन हो सके।
अगर लोगों को भरोसा नहीं तो मैं खुद कोरोना वैक्सीन का पहला डोज लेने काे तैयार: हर्षवर्धन
इधर केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ़ हर्षवर्धन ने आज कहा कि अगले साल मार्च तक कोरोना वैक्सीन तैयार हो सकती है और अगर लोगों को इसके सुरक्षा पहलू को लेकर आशंका है, तो वह खुशी-खुशी खुद वैक्सीन का पहला डोज लेने को तैयार हैं।
डॉ़ हर्षवर्धन ने ‘संडे संवाद’ के नाम से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर एक नया कार्यक्रम शुरु किया है, जहां वह लोगों के सवालों का जवाब देते हैं।
इस कार्यक्रम की शुरुआत गत रविवार को होनी थी लेकिन उनकी माताजी के निधन के कारण यह संवाद आज से शुरु हुआ। उन्होंने इस कार्यक्रम के दौरान कोरोना वायरस कोविड-19 के प्रबंधन और कोरोना वैक्सीन से संबंधित कईं सवालों के जवाब दिये।
भारत में जानवरों पर कोरोना वैक्सीन “कोवैक्सीन” का परीक्षण सफल
उधर भारत बायोटेक ने अपनी कोरोना वैक्सीन ‘कोवैक्सीन’ का बंदरों पर किये गये परीक्षण को सफल बताते हुए कहा है कि इससे बंदरों के शरीर में वायरस के खिलाफ एंडीबॉडीज बनी हैं।
भारत बायोटेक ने बताया है कि उसे मकाउ प्रजाति के 20 बंदरों पर कोवैक्सीन का परीक्षण किया था। बंदरों को चार अलग-अलग समूह में विभाजित करके एक समूह को प्लेसिबो और तीन समूह को अगल-अलग तरह की तीन वैक्सीन दी गयीं।
वैक्सीन का पहला डोज देने के 14वें दिन दूसरा डोज दिया गया। दूसरा डोज देने के 14 दिन बाद सभी बंदर कोरोना वायरस कोविड-19 से एक्सपोज हुए। जिन बंदरों को वैक्सीन दी गयी उनमें निमोनिया के लक्षण नहीं पाये गये जबकि प्लेसिबो दिये जाने वाले समूह के बंदरों में निमोनिया के लक्षण पाये गये।
रूस ने देश के विभिन्न क्षेत्रों में भेजी कोरोना वैक्सीन की पहली खेप
रूस ने कोरोना वायरस (कोविड-19) के खिलाफ तैयार की गयी वैक्सीन की पहली खेप को देश के विभिन्न क्षेत्रों में वितरण के लिए भेज दिया है।
रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय ने शुक्रवार को एक वक्तव्य जारी कर यह जानकारी दी। वक्तव्य के मुताबिक रूस के राष्ट्रीय महामारी अनुसंधान केन्द्र गैमेलिया की ओर से स्पूतनिक-5 नाम से विकसित वैक्सीन को रूस के विभिन्न क्षेत्रों में भेज दिया गया है। इससे देश में वैक्सीन की आपूर्ति सुनिश्चित होगी। पहले उन लोगों को वैक्सीन लगाई जायेगी जिन्हें कोरोना से सर्वाधिक खतरा है।
दरअसल, रूस 11 अगस्त को कोविड-19 की वैक्सीन को मंजूरी देने वाला दुनिया का पहला देश बन गया था। यह वैक्सीन अगले साल एक जनवरी से आम लोगों के लिए उपलब्ध होगी। रूस के गैमेलिया रिसर्च इंस्टीट्यूट और रक्षा मंत्रालय द्वारा संयुक्त रूप से विकसित ‘स्पूतनिक-5’ के नाम से जानी जाने वाली कोरोना वैक्सीन सबसे पहले कोरोना संक्रमितों के इलाज में जुटे स्वास्थ्य कर्मियों को दी जायेगी। इस वैक्सीन का उत्पादन संयुक्त रूप से रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष (आरडीआईएफ) द्वारा किया जा रहा है।