जकार्ता, 19 अगस्त । भारत के पहलवान बजरंग पूनिया ने अपने नाम के अनुरूप करिश्माई प्रदर्शन करते हुये 18वें एशियाई खेलों में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिला दिया। बजरंग ने कुश्ती मुकाबलों के 65 किग्रा फ्री स्टाइल वजन वर्ग के फाइनल में जापान के दाइची ताकातानी को 11-8 से पराजित कर एशियाई खेलों में अपना पहला स्वर्ण पदक जीत लिया।
बजरंग ने लगातार बेहतरीन प्रदर्शन किया और अपने रास्ते के सभी पहलवानों को धूल चटाते हुये खिताब अपने नाम किया। बजरंग ने चार साल पहले इंचियोन एशियाई खेलों में 61 किग्रा वर्ग में रजत पदक जीता था और इस बार उन्होंने 65 किग्रा वर्ग में उतरकर देश को सोना दिलाया।
पिता ने हालात के आगे सपनों से किया था समझौता
बजरंग के पिता बलवान पूनिया भी अपने समय के प्रसिद्ध पहलवानों की गिनती में शुमार हो सकते थे, लेकिन परिवार में छाई गरीबी और घर की जिम्मेदारी कंधों पर होने के कारण उन्हें अपना यह शौक बीच में छोड़ देना पड़ा।
बजरंग और उनके परिवार ने बड़ी करीब से गरीबी देखी है। दिल्ली के छत्रसाल स्टेडियम में कुश्ती का ककहरा सीख रहे पुत्र को देशी घी देने के लिए पिता बलवान बस का किराया बचाने के लिए कई बार साइकिल पर गए। तो बजरंग की मां ओमप्यारी ने चूल्हे की कालिख सहकर लाडले को शुद्ध दूध भिजवाया है लेकिन आज बजरंग ने उसी आग में तपकर अपने आप को सोने जैसा निखारा है।
ऐसे जीती प्रतियोगिता
इंडोनेशिया में हो रहे 18वें एशियन गेम्स के पहले दिन भारत को सुशील कुमार के शुरुआती राउंड में ही बाहर होने के बाद कुश्ती में जो निराशा मिली थी, बजरंग पूनियां ने उसे गोल्ड जीतकर दूर कर दिया।
बजरंग के दम के आगे जापानी पहलवान ज्यादा देर तक नहीं टिक सका और 65 किग्रा के फाइनल में जापान के ताकातानी को 11-8 के अंतर से हराकर बजरंग ने भारत का पहला दिन सुनहरा कर दिया। अगर मुकाबले की बात करें तो बजरंग ने शुरुआत काफी आक्रामक की थी और 6-0 की बढ़त बना ली थी। वहीं मुकाबला तब और रोमांचक हो गया था जब जापानी पहलवान ने एक समय स्कोर 6-6 से बराबरी पर ला दिया था। इसके बाद दोनों के बीच कांटे की टक्कर रही, जिसमें भारतीय खिलाड़ी ने बाजी मार ली।
बता दें कि इससे पहले बजरंग ने 2006 में महाराष्ट्र के लातूर में हुई स्कूल नेशनल चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। उसके बाद से बजरंग ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसके बाद लगातार सात साल तक स्कूल नेशनल चैंपियनशिप का स्वर्ण पदक उनके साथ रहा। 2009 में उन्होंने दिल्ली में बाल केसरी का खिताब भी जीता था। 2011 में बजरंग ने विश्व जूनियर चैंपियनशिप में भी गोल्ड की बाजी मारी थी।
सुशील कुमार ने किया निराश:
दो बार के ओलंपिक पदकधारी पहलवान सुशील कुमार को आज यहां 18वें एशियाई खेलों के 74 किग्रा वर्ग में बहरीन के एडम बातिरोव से उलटफेर का सामना करना पड़ा जिससे भारतीय कुश्ती टीम का अभियान निराशाजनक तरीके से शुरू हुआ।
सुशील को क्वालीफिकेशन दौर में बातिरोव से 3-5 से हार मिली।
सुशील पहले पीरियड में 2-1 से बढ़त बनाये थे लेकिन बहरीन के पहलवान ने मजबूत वापसी करते हुए भारतीय प्रशंसकों को चुप कर दिया।
लंदन ओलंपिक के रजत पदकधारी सुशील ने दूसरे पीरियड में स्कोर करने के दो मौके बनाये लेकिन वे इन्हें अंक में नहीं बदल सके जबकि बातिरोव ने कोई मौका नहीं गंवाया। वह 3-2 से आगे थे और फिर उन्होंने इस भारतीय को मैट से बाहर कर जीत दर्ज की।
सुशील हालांकि अभी टूर्नामेंट से बाहर नहीं हुए हैं और अगर बातिरोव फाइनल में पहुंचते हैं तो इस भारतीय के पास रेपेचेज के जरिये कांस्य पदक जीतने का मौका होगा।
इस बीच संदीप तोमर ने पुरूष 57 किग्रा फ्रीस्टाइल स्पर्धा के प्री क्वार्टरफाइनल में तुर्कमेनिस्तान के रस्तेम नाजारोव पर 12-8 से जीत दर्ज कर क्वार्टरफाइनल में प्रवेश किया।attacknews.in