मुंबई, 06 नवंबर ।बम्बई उच्च न्यायालय ने वर्ष 2018 में आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गिरफ्तार रिपब्लिक टीवी के मुख्य संपादक अर्णब गोस्वामी को शुक्रवार को भी कोई राहत नहीं दी।
खंडपीठ के न्यायाधीश एस एस शिंदे और न्यायाधीश एम एस कार्णिक ने आज कहा,” इस मामले में शनिवार को भी सुनवाई जारी रहेगी और हम इस मामले में कल 12 बजे भी सुनवाई करेंगे।”
अदालत ने कहा कि राज्य सरकार और शिकायतकर्ता अदन्या नाईक के पक्ष को कल सुना जायेगा। रायगढ़ की पुलिस ने सत्र अदालत के सामने चुनौती पेश की है और गोस्वामी ने अपनी गिरफ्तारी को गैरकानूनी बताया है।
अर्नब ने गिरफ्तारी को ‘गैरकानूनी’ बताते हुए अदालत में चुनौती दी
रिपब्लिक टीवी’ के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी ने इंटीरियर डिजाइनर को कथित तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में अपनी गिरफ्तारी को ‘‘गैरकानूनी’’ बताते हुए बंबई उच्च न्यायालय में इसके खिलाफ एक याचिका दायर की है।
उन्होंने महाराष्ट्र में अलीबाग पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द किए जाने की अपील की है।
न्यायमूर्ति एस.एस. शिंदे और न्यायमूर्ति एम.एस. कर्णिक की एक खंडपीठ बृहस्पतिवार दोपहर इस मामले पर सुनवाई की और शुक्रवार को सुनवाई तय की थी।
आर्किटेक्ट एवं इंटिरियर डिजाइनर अन्वय नाइक को कथित रूप से आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में गोस्वामी को मुम्बई के लोअर परेल स्थित उनके घर से बुधवार को गिरफ्तार कर पड़ोसी रायगढ़ जिले की अलीबाग पुलिस स्टेशन ले जाया गया था।
इसके बाद, अलीबाग की एक अदालत ने इस मामले में गोस्वामी और दो अन्य आरोपियों को 18 नवम्बर तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया था।
गोस्वामी को अभी एक स्थानीय स्कूल में रखा गया है, जिसे अलीबाग कारागार का कोविड-19 केन्द्र बनाया गया है।
गोस्वामी ने याचिका में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देते हुए, उसे ‘‘गैरकानूनी’’ बताया और मामले की जांच पर तुंरत रोक लगाने के साथ ही, पुलिस को उन्हें तत्काल रिहा करने का निर्देश देने का अनुरोध किया है।
याचिका में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने की भी मांग की गई है।
उसमें यह भी आरोप लगाया है कि बुधवार को पुलिस उनके घर में घुसी और पुलिस दल ने उन पर हमला भी किया।
याचिका में कहा, ‘‘ उन्हें एक प्रेरित, झूठे और बंद किए जा चुके मामले में गलत और गैरकानूनी तरीके से गिरफ्तार किया गया। यह याचिकाकर्ता और उनके चैनल की राजनीतिक रूप से छवि खराब करने और प्रतिशोध का मामला है।’’
इसमें कहा गया है, ‘‘ गिरफ्तारी याचिकाकर्ता (गोस्वामी) के जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकारों और उनकी गरिमा का उल्लंघन करते हुए की गई । जब गोस्वामी को गिरफ्तार किया गया तो याचिकाकर्ता और उनके बेटे पर हमला किया गया और पुलिस वैन में धकेला गया।’’
याचिका के अनुसार, मामले की जांच पिछले साल ही बंद कर दी गई थी और उसकी रिपोर्ट दाखिल की गई थी, जिसे 16 अप्रैल, 2019 के एक आदेश द्वारा अलीबाग अदालत के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा स्वीकार कर लिया गया था।
याचिका में कहा, ‘‘ यह चौंकाने वाली बात है, कि एक ऐसा मामला जो निर्णायक रूप से बंद कर दिया गया था, उसे शक्ति के दुरुपयोग, तथ्यों को मनमाने तरीके से पेश करने तथा प्रथम दृष्टया याचिकाकर्ता से महाराष्ट्र में सत्ता में बैठे लोगों से सवाल करने वाली उनकी समाचार कवरेज का बदला लेने और उनकी गिरफ्तारी के लिए दोबारा खोला गया।’”