सेना प्रमुख रावत ने हिंसा भड़काने और आगजनी फैलाने वाली भीड़ का नेतृत्व करने वाले नेताओं को नेता नहीं माना attacknews.in

नयी दिल्ली, 26 दिसम्बर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ आगजनी और तोड़फोड़ करने वालों की कड़ी आलोचना के एक दिन बाद सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने भी कहा है कि आगजनी और हिंसा करने वाली भीड़ का नेतृत्व करने वाले नेता नहीं होते।

जनरल रावत के इस बयान से विवाद खड़ा हो गया क्योंकि कुछ राजनीतिक दलों ने कहा है कि सेना प्रमुख के पद पर आसीन सैन्य अधिकारी को राजनीतिक टिप्पणी करने से बचना चाहिए।

सेना प्रमुख ने गुरूवार को एक कार्यक्रम में नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध करने वालों की परोक्ष निंदा करते हुए कहा कि नेतृत्व का मतलब अगुवाई करना है जब आप आगे बढते हैं तो सब आपका अनुसरण करते हैं लेकिन नेता वे होते हैं जो लोगों को सही दिशा में ले जाते हैं। वे नेता नहीं होते जो लोगों को अनुचित दिशा में ले जाते हैं जैसा कि विश्वविद्यालयों और कालेजों में छात्रों को शहरों तथा कस्बों में आगजनी तथा हिंसक भीड़ की अगुवाई करते देखा जा रहा है , यह नेतृत्व नहीं है।

श्री मोदी ने बुधवार को लखनऊ में कहा था, “ कुछ लोगों ने जिस तरह से विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंसा की और सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया। वो लोग एक बार खुद से पूछें क्या उनका रास्ता सही था। हिंसा में जिनकी मृत्यु हुई, जो पुलिस वाले जख्मी हुए, उनके और उनके परिवार के प्रति सोचें कि उन पर क्या बीतती होगी। इसलिए उनका आग्रह है कि लोगबाग झूठी अफवाहों में न आयें।”

उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर देश भर में काफी हिंसा हुई है। विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश में आगजनी की घटनाओं के साथ साथ कई लोगों की मौत भी हुई है। दिल्ली में भी आगजनी और हिंसा की घटनाएं हुई हैं।

कांग्रेस नेता दिग्वजिय सिंह ने जनरल रावत के बयान पर टि्वट करते हुए कहा है कि वह उनकी बात से सहमत हैं लेकिन यह बात भी उतनी ही सही है कि अपने समर्थकों को सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की अनुमति देने वाले भी नेता नहीं होते।

एआईएमआईएम के नेता असद्दुदीन अवैसी ने कहा है कि अपने पद की सीमाओं को जानना भी नेतृत्व का ही हिस्सा होता है।

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि नेता हमारे शहरों में आगजनी और हिंसा के लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेज के छात्रों सहित जनता को उकसाते हैं, तो यह नेतृत्व नहीं है।

सेना प्रमुख ने यहां एक स्वास्थ्य सम्मेलन में आयोजित सभा में कहा कि नेता जनता के बीच से उभरते हैं, नेता ऐसे नहीं होते जो भीड़ को “अनुचित दिशा” में ले जाएं।’’

उन्होंने कहा कि नेता वह होते हैं, जो लोगों को सही दिशा में ले जाते हैं।

इस महीने की शुरुआत में संसद के दोनों सदनों द्वारा संशोधित नागरिकता विधेयक को मंजूरी दिए जाने के बाद से इस कानून के विरोध में देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं, और कहीं कहीं तो इन प्रदर्शनों ने हिंसक रूप भी ले लिया।

बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी घायल हुए और कई लोगों की मौत भी हुई। खासतौर से उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में ऐसा देखने को मिला।

रावत ने अपने भाषण में कहा, “नेतृत्व यदि सिर्फ लोगों की अगुवाई करने के बारे में है, तो फिर इसमें जटिलता क्या है। क्योंकि जब आप आगे बढ़ते हैं, तो सभी आपका अनुसरण करते हैं। यह इतना सरल नहीं है। यह सरल भले ही लगता है, लेकिन ऐसा होता नहीं है।’’

उन्होंने कहा, “आप भीड़ के बीच किसी नेता को उभरता हुआ पा सकते हैं। लेकिन नेतृत्व वह होता है, जो लोगों को सही दिशा में ले जाए। नेता वे नहीं हैं जो अनुचित दिशाओं में लोगों का नेतृत्व करते हैं।”

इस समय चल रहे विश्वविद्यालयों और कॉलेज छात्रों के विरोध प्रदर्शनों का हवाला देते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि जिस तरह शहरों और कस्बों में भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया जा रहा है, वह नेतृत्व नहीं है।