नयी दिल्ली, 11 मई । अमेरिकी एरोस्पेस कंपनी बोइंग ने भारतीय वायुसेना को 22 अपाचे गार्जियन लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में से पहला हेलीकॉप्टर सौंप दिया है। अरबों डॉलर का यह हेलीकॉप्टर सौदा लगभग साढ़े तीन साल पहले हुआ था।
वायुसेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि एएच-64ई (आई) अपाचे हेलीकॉप्टर को शामिल करना बल के हेलीकॉप्टर बेडे़ के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उन्होंने कहा कि हेलीकॉप्टर को भारतीय वायुसेना की भविष्य की जरूरतों के हिसाब से तैयार किया गया है और यह पर्वतीय क्षेत्र में महत्वपूर्ण क्षमता प्रदान करेगा।
भारतीय वायुसेना के प्रवक्ता ग्रुप कैप्टन अनुपम बनर्जी ने कहा, ‘‘पहला एएच-64ई (आई) अपाचे गार्जियन हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना को 10 मई को अमेरिका के मेसा, एरिजोना स्थित बोइंग के उत्पादन प्रतिष्ठान में औपचारिक रूप से सौंपा गया।’’
एएच-64ई अपाचे एक अग्रणी बहुउद्देश्यीय लड़ाकू हेलीकॉप्टर है और इसे अमेरिकी सेना इस्तेमाल करती है।
भारतीय वायुसेना ने सितंबर 2015 में 22 अपाचे हेलीकॉप्टरों के लिए अमेरिका सरकार और बोइंग लिमिटेड के साथ अरबों डॉलर के सौदे पर दस्तखत किए थे। इन हेलीकॉप्टरों की पहली खेप इस साल जुलाई तक भारत भेजे जाने का कार्यक्रम है।
वायुसेना ने एक बयान में कहा, ‘‘चुनिंदा चालक दल सदस्यों और जमीनी कार्य सदस्यों ने फोर्ट रकर, अलबामा स्थित अमेरिकी सैन्य अड्डे के प्रशिक्षण प्रतिष्ठानों में प्रशिक्षण हासिल किया है। ये कर्मी भारतीय वायुसेना में अपाचे बेड़े के परिचालन का नेतृत्व करेंगे।’’
इसने कहा, ‘‘हेलीकॉप्टर में सटीक मार करने और जमीन से उत्पन्न खतरों के बीच प्रतिकूल हवाईक्षेत्र में परिचालित होने की क्षमता है।’’
वायुसेना ने कहा कि डेटा नेटवर्किंक के जरिए हथियार प्रणाली से और हथियार प्रणाली तक, युद्धक्षेत्र की तस्वीरें प्राप्त करने और भेजने की इसकी क्षमता इसकी खूबियों को और भी घातक बना देती है।
इसने कहा, ‘‘ये लड़ाकू हेलीकॉप्टर जमीनी बलों की सहायता के लिए भविष्य के किसी भी संयुक्त अभियान में महत्वपूर्ण धार उपलब्ध करांएगे।
रक्षा मंत्रालय ने इसके साथ ही 2017 में 4,168 करोड़ रुपये की लागत से बोइंग से हथियार प्रणालियों सहित छह और अपाचे हेलीकॉप्टरों की खरीद को मंजूरी दी थी।
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