नई दिल्ली 22 जून । अहमदाबाद जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (डीसीसीबी) में नोटबंदी के दौरान करोड़ों के पुराने नोट जमा होने की खबरों के बीच भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह निशाने पर आ गए हैं। इसकी वजह है कि अमित शाह इस बैंक के निदेशक हैं।
भाजपा की ओर से फिलहाल इस पर कोई सफाई नहीं आई है, लेकिन सहकारी बैंकों के विनियामक राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने जरुर अपना रुख साफ किया है।
नाबार्ड ने कहा है कि नोटों की तादाद बैंक के आकार के हिसाब से ठीक है, लेकिन इसके साथ ही बैंक ने ‘ग्राहक को जानें ’ संबंधी सभी नियमों का पालन भी किया है।
नाबार्ड की यह सफाई ऐसे वक्त आई है, जब अहमदाबाद डीसीसीबी में नोटबंदी के दौरान असामान्य रूप से बड़ी तादाद में पुराने नोट जमा होने की खबरें मीडिया में सुर्खियां बना रही हैं।
नाबार्ड का कहना है, ‘अहमदाबाद डीसीसीबी के कुल 17 लाख खातों में से महज 1.60 लाख खातों में पुराने नोट जमा किए गए या बदले गए जो सभी जमा खातों का सिर्फ 9.37 फीसद है।’ इन अकाउंटों के 98.94 फीसदी खातों में 2.5 लाख रुपये से कम रकम जमा कराई गई है। लेकिन, विपक्ष 9.37 फीसदी खातों को लेकर ही सवाल उठा रहा है। आखिर ये खाते किसके हैं और इनमें इतनी बड़ी रकम कैसे बदली गईं।
नाबार्ड द्वारा किए गए सत्यापन में खुलासा हुआ कि अकमदाबाद डीसीसीबी में औसतन 46,795 रुपये प्रति खाता पुराने नोट जमा कराए गए जो गुजरात के 18 डीसीसीबी में जामा नोटों के औसत से कम है।
नाबार्ड ने कहा कि 10-14 नवंबर 2016 के दौरान 1.60 लाख उपभोक्ताओं ने बैंक में 746 करोड़ रुपये के पुराने नोट जमा कराए या बदले जो कि बैंक के कुल जमा का महज 15 फीसदी है।attacknews.in