नयी दिल्ली 05 फरवरी । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अमित शाह ने राज्यसभा में अपने पहले संबोधन में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के जी एस टी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ बताने और ‘पकौड़ा रोजगार’ की आलोचना करने वालों को आड़े हाथों लेते हुए आज कहा कि पिछले तीन साल में मोदी सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी आरोप नहीं लगा और उसने देश के गरीबों, दलितों, पिछड़े और महिलाओं सबके लिए काम कर एक मिसाल कायम करके पिछली सरकार के ‘गड्ढे’ भरने का काम किया है।
श्री शाह ने सदन में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि जब भारतीय जनता पार्टी सत्ता में आयी थी तो उस समय देश में ‘पालिसी पैरालिसिस’ था और घोटालों का माहौल था ।
उन्होंने कहा कि इस सरकार को विरासत में क्या मिला ,उसे तो तीन साल का समय पिछली सरकार के गड्ढे भरने में लग गया ।
अमित शाह ने आज ‘गब्बर सिंह टैक्स’ से लेकर तीन तलाक विधेयक के ‘विरोध’ तक के मुद्दे पर कांग्रेस पर तीखा हमला बोला.
उन्होंने ‘वंशवाद, जातिवाद और तुष्टिकरण’ नासूर को प्रश्रय नहीं देने को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत केन्द्र सरकार की एक बड़ी उपलब्धि बताया और दावा किया कि जीएसटी से छोटे और मझोले व्यापारी मजबूत होंगे.attacknews.in
उन्होंने उच्च सदन में अपने पहले भाषण में उन तमाम योजनाओं और पहलों को विशेष तौर पर उल्लेख किया जिनके बारे में पिछले 70 साल में कुछ नहीं किया गया या बहुत कम प्रयास किये गये.
भाजपा अध्यक्ष ने एक कुशल राजनीतिक वक्ता के रूप में जहां विपक्ष और कांग्रेस नीत पुरानी सरकारों पर तीखे कटाक्ष और प्रहार किये वहीं अंत्योदय योजना, जनधन योजना, उज्ज्वला योजना, प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, स्वच्छता और शौचालय निर्माण, ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली पहुंचाने, सौभाग्य योजना, बीमा योजना सहित मोदी सरकार की तमाम योजनाओं की फेरिस्त गिनाते हुए उनकी आलोचनाओं का सटीक जवाब दिया.
जीएसटी को ‘गब्बर सिंह टैक्स’ बताये जाने की तीखी आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि देश में सभी राज्यों की सहमति से लगाये गये इस कर को डकैती कहना कहां तक सही है?
उन्होंने कहा कि इसके माध्यम से आने वाला धन शहीदों की विधवाओं को पेंशन, सैनिकों के वेतन और उज्ज्वला योजना सहित विभिन्न जनहित योजना में लगाया जा रहा है.attacknews.in
उन्होंने कहा कि जीएसटी से न केवल देश की अर्थव्यवस्था बेहतर होगी बल्कि छोटे और मझौले कारोबारी भी मजबूत होंगे.
जनधन बैंक खातों की योजना का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि देश की आजादी के 70 साल तक 60 प्रतिशत आबादी बैंक खातों से वंचित थी. उन्होंने कहा कि इस योजना के माध्यम से 37 करोड़ खाते खोले गये.
उन्होंने कहा कि शुरू में इसकी यह कहकर आलोचना की गयी कि शून्य धनराशि वाले बैंक खाते खोलने से क्या होगा. शाह ने कहा कि इन खातों में आज लोगों ने 73 हजार करोड रूपये जमा करवा रखे हैं. attacknews.in
शाह ने कहा कि पकौड़ा बेचना शर्मनाक नहीं है लेकिन इसकी तुलना भीख मांगने से करना शर्मनाक है।
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर दिए गए अपने भाषण में उन्होंने बेरोजगारी पर भी अपनी बात रखी। शाह ने कहा कि पकौड़े बेचना बेरोजगार रहने से ज्यादा बेहतर है।
उन्होंने कहा, “कुछ लोग पकौड़ा बेचने के बारे में कई बातें कह रहे हैं। मैंने भी पी. चिदंबरम का ट्वीट पढ़ा। हां, मेरा मानना है कि बेरोजगार रहने से ज्यादा बेहतर पकौड़ा बेचना है।”attacknews.in
अमित शाह ने कहा, “पकौड़ा बनाना व बेचना शर्म की बात नहीं है, लेकिन इसकी तुलना भीख मांगने से करना निश्चिय ही शर्मनाक है।”
उन्होंने विपक्ष के शोरगुल के दौरान कहा, “आज यदि एक व्यक्ति पकौड़ा बेचकर अपना जीविकोपार्जन कर रहा है तो आने वाले कल में उसका बेटा एक बड़ा उद्योगपति बन सकता है। एक चाय विक्रेता का बेटा देश का प्रधानमंत्री बन सकता है।”attacknews.in
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट सत्र से पहले एक टेलीविजन साक्षात्कार में कहा था कि जो लोग पकौड़ा बेचकर रोजाना 200 रुपये कमा रहे हैं, उन्हें रोजगार संपन्न माना जा सकता है।
मोदी के इस बयान की विपक्ष ने कड़ी निंदा की। विपक्ष ने कहा कि यह एक क्रूर मजाक है और यह भीख मांगने को भी रोजगार बताने जैसा है।attacknews.in
वरिष्ठ कांग्रेस नेता व पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री यदि पकौड़ा बेचने को नौकरी कहते हैं, तो उसी तर्क से भीख मांगना भी एक नौकरी है। इस तरह सभी गरीब व अक्षम व्यक्तियों की गणना रोजगार कर रहे व्यक्ति के रूप में की जाए, जो जीविका के लिए भीख मांगने को मजबूर हैं।”
शाह ने कांग्रेस के 55 साल के शासन को व्यापक रूप से बेरोजगारी के लिए जिम्मेदार ठहराया।attacknews.in
अमित शाह ने कहा कि देश में 55 साल कांग्रेस की सरकार थी। हम सात-आठ साल सत्ता में रहे है। यह समस्या (बेरोजगारी) ज्यादा भयावह नहीं हुई होती यदि 55 सालों के दौरान प्रभावी कदम उठाया गया होता।
अमित शाह ने कहा, “यह याद करना उचित होगा कि 2013 में क्या परिस्थितियां थीं। यहां तक कि सीमा पर सुरक्षा करने वाले जवान भी सरकार की दुविधा की स्थिति की वजह से अपने वीरता का प्रदर्शन नहीं कर पाते थे। पूरी तरह से नीतिगत अक्षमता व्याप्त थी।”attacknews.in