वाशिंगटन/नयी दिल्ली, 31 अक्टूबर ।अमेरिका ने कहा कि उसके राजदूत का अरुणाचल प्रदेश दौरा भारत की संप्रभुत्ता के प्रति अमेरिकी समर्थन को रेखांकित करने के लिए लिए था। अमेरिका की इस टिप्पणी से चीन भड़क सकता है जो अरुणाचल प्रदेश के अधिकतर हिस्सों पर दावा करता है।
भारत में अमेरिका के राजदूत केनेथ जस्टर सोमवार को त्वांग उत्सव में शामिल होने के लिए अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती शहर त्वांग गए थे।
अमेरिकी सरकार के दक्षिण एवं मध्य एशिया ब्यूरो में सहायक मंत्री की भूमिका निभा रही एलिस जी वेल्स ने गुरुवार को ट्वीट किया, ‘‘ राजदूत का त्वांग दौरा अमेरिका की भारत की संप्रभुता के प्रति दृढ़ समर्थन एवं क्षेत्रीय साझेदारी की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।’’
उन्होंने बताया कि दक्षिण फ्लोरिडा विश्वविद्यालय एवं राजीव गांधी विश्वविद्यालय संयुक्त रूप से लोक स्वास्थ्य एवं सामाजिक विज्ञान से जुड़े कार्य कर रहे हैं जिसका समर्थन वित्तपोषण के जरिये अमेरिका कर रहा है।
वेल्स ने जस्टर का ट्वीट भी साझा किया जिसमें उन्होंने त्वांग उत्सव की तस्वीर पोस्ट की थी और लिखा था, ‘‘ त्वांग उत्सव का मुख्य अतिथि बनना और इस उत्सव के सातवें संस्करण का उद्घाटन करना सम्मान की बात है।# अमेरिका भारत दोस्ती।’’
अरुणाचल प्रदेश का पर्यटन विभाग हर साल त्वांग उत्सव का आयोजन करता है।
उल्लेखनीय है कि चीन ने 2016 में अमेरिका के भारत में राजदूत रिचर्ड वर्मा के अरुणाचल दौरे पर नाराजगी जताते हुए चेतावनी दी थी कि तीसरे पक्ष के आने से बीजिंग और नयी दिल्ली के बीच विवाद और जटिल होगा।
चीन की आपत्ति को खारिज करते हुए भारत ने कहा था कि रिचर्ड के भारतीय राज्य के दौरे में कुछ भी असामान्य नहीं है क्योंकि वह भारत का अभिन्न हिस्सा है।
चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिण तिब्बत का हिस्सा मानता है और नियमित रूप से दलाई लामा, भारतीय नेताओं और यहां तक कि विदेशी हस्तियों के अरुणाचल दौरे पर आपत्ति जताता है।
चीन और भारत के बीच सीमा विवाद सुलझाने के लिए 21 चरण की बातचीत हो चुकी है
अमेरिका ने तिब्बत के लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करने के लिए भारत की सराहना की:
अमेरिका ने तिब्बत के लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता का समर्थन करने के लिए भारत की असाधारण उदारता की सराहना की है। साथ ही उसने चीन के इस दावे को ‘‘महत्वहीन’’ कहकर खारिज किया कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी के चुनाव में चीन के कानूनों और नियमों का पालन होना चाहिए।
अंतराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अमेरिकी राजदूत सैम ब्राउनबैक ने सोमवार को धर्मशाला में दलाई लामा से मुलाकात की। ब्राउनबैक ने चीन द्वारा तिब्बती लोगों के विश्वास के पर ‘‘अत्याचार’’ की बात कहते हुए कहा कि उन्हें अपने धार्मिक नेताओं को चुनने का अधिकार है।
दक्षिण और मध्य एशिया ब्यूरो के लिए कार्यवाहक सहायक विदेश मंत्री एलिस वेल्स ने कहा कि धर्मशाला में दलाई लामा के साथ ब्राउनबैक की बैठक में तिब्बती लोगों के लिए अमेरिका के स्थायी समर्थन पर जोर दिया गया।
वेल्स ने ट्वीट किया, ‘‘भारत ने तिब्बत की धार्मिक आजादी का बहुत अधिक समर्थन किया है, और अमेरिका भारत की इस असाधारण उदारता की अत्यधिक प्रशंसा करता है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘चीन की कम्युनिस्ट पार्टी का यह दावा ‘महत्वहीन’ है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चयन चीन के कानूनों और नियमों के अनुरूप होना चाहिए।’’