वॉशिंगटन, 21 अगस्त । अमेरिका के एक शीर्ष राजनयिक ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच अमेरिका सीधी बातचीत का समर्थन करता है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इस बिंदु पर अब सबसे ज्यादा जरूरी है कि इस्लामाबाद सीमा पार आतंकवाद रोकने का अपना संकल्प प्रदर्शित करे।
उन्होंने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान की इस प्रतिबद्धता का स्वागत किया कि पाकिस्तान आतंकवादी समूहों को अपनी अपनी सरजमीन का इस्तेमाल करने से रोकेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका आतंकवादी संगठनों और उनके सदस्यों को न्याय के कठघरे में लाने और उन्हें सजा दिलवाने जैसे कदम को प्रोत्साहित करना जारी रखेगा।
विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया, ‘‘ यह बहुत जरूरी है कि पाकिस्तान सीमापार आतंकवाद को रोकने के अपने संकल्प का प्रदर्शन करे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ निश्चित रूप से हमने देखा कि 1989 का ‘प्लेबुक’ कश्मीर की जनता के साथ-साथ पाकिस्तान के लिए भी नाकामी था।’’
उन्होंने यह कहते हुए इंगित किया कि अमेरिका नहीं चाहता है कि कश्मीर की मौजूदा स्थिति का इस्तेमाल कश्मीर में सीमापार आतंकवाद के लिए किया जाए।
दरअसल कश्मीर में 1989 में सशस्त्र संघर्ष शुरू हुआ और पाकिस्तान के समर्थन से कुछ आतंकवादी समूहों ने भारत से कश्मीर की आजादी की बात कही जबकि कुछ पाकिस्तान के साथ कश्मीर को मिलाना चाहते थे।
इस महीने की शुरुआत में भारत ने जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के ज्यादातर प्रावधानों को खत्म कर दिया, जिसके बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ गया।
उधर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने संकेत दिए हैं कि अफगानिस्तान से पूरी तरह से अमेरिकी सैनिकों की वापसी नहीं होगी। उनका कहना है कि अमेरिका को इस युद्ध ग्रस्त देश में ‘मौजूद’ रहना ही होगा।
ट्रंप ने अपने ओवल कार्यालय में मंगलवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारे पास खुफिया जानकारी रहेंगी, और हमारा कोई न कोई वहां हमेशा मौजूद रहेगा।
ट्रंप अफगानिस्तान में तालिबान के साथ चल रही शांति वार्ता पर संवाददाताओं के प्रश्नों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि वह कई विकल्पों पर गौर करना चाहेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘ एक विकल्प तो अभी चल ही रहा है। हम एक योजना के बारे में बात कर रहे हैं-मुझे नहीं पता कि मुझे यह योजना स्वीकार होगी या नहीं,हो सकता है कि वह उन्हें स्वीकार न हो। लेकिन हम बात कर रहे हैं। हमारी अच्छी बातचीत चल रही है और हम देखेंगे कि क्या होता है। अन्य राष्ट्रपतियों ने जो किया है, यह उससे ज्यादा है।’’
ट्ंरप ने अफगानिस्तान से पूरी तरह से अमेरिकी सैनिकों की वापसी से इनकार करते हुए कहा, ‘‘ हमने संख्या कम की है। हम अपने कुछ सैनिकों को वापस ला रहे हैं। लेकिन हमें वहां अपनी उपस्थिति रखनी होगी।