वाशिंगटन, 19 जुलाई ।अमेरिका की डेमोक्रेटिक पार्टी के एक शीर्ष नेता ने कहा है कि तीन नवंबर को देश में होने वाले राष्ट्रपति पद के चुनाव में कई राज्यों में भारतीय-अमेरिकी ‘‘बड़ा अंतर पैदा करने वाले’’ मतदाता साबित हो सकते हैं।
देश में राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए करीब 100 दिन शेष हैं। ऐसे में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता मिशिगन, पेंसिल्वेनिया और विस्कॉन्सिन जैसे कई अहम राज्यों में प्रभावशाली भारतीय-अमेरिकी समुदाय को लुभाने की कोशिश कर रहे हैं।
डेमोक्रेटिक नेशनल कमेटी के अध्यक्ष थॉमस पेरेज ने कहा कि मिशिगन में 1,25,000 भारतीय-अमेरिकी मतदाता हैं।
उन्होंने राष्ट्रपति पद के पिछले चुनाव में डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार हिलेरी क्लिंटन की रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रम्प के हाथों हार का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हम 2016 में मिशिगन में 10,700 मतों से हारे थे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पेंसिल्वेनिया में 1,56,000 (भारतीय-अमेरिकी मतदाता) हैं। हम पेंसिल्वेनिया में 42,000 मतों से हारे थे। विस्कॉन्सिन में 37,000 (भारतीय-अमेरिकी) हैं। हम 2016 में विस्कॉन्सिन में 21,000 (मतों) से हारे थे।’’
पेरेज ने ‘एशियन अमेरिकन एंड पैसिफिक आइलैंडर्स’ (एएपीआई), ‘इंडियन-अमेरिकन इम्पैक्ट फंड’ और ‘साउथ एशियंस फॉर बाइडेन’ द्वारा आयोजित एक डिजिटल बैठक में कहा, ‘‘भारतीय-अमेरिकी मत, या और वृहद तौर पर देखें, तो एएपीआई के मत (2020 राष्ट्रपति पद के चुनाव में) बड़ा अंतर पैदा कर सकते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने जिन तीन राज्यों का जिक्र किया, उन्हीं के बारे में सोचिए। केवल भारतीय-अमेरिकी मत आगे बढ़ने के लिए बड़ा अंतर पैदा कर सकते हैं।’’
‘एएपीआई विक्टरी फंड’ के अध्यक्ष शेखर नरसिम्हन ने बताया कि एरिज़ोना (66,000), फ्लोरिडा (193,000), जॉर्जिया (150,000), मिशिगन (125,000), उत्तरी कैरोलिना (111,000), पेंसिल्वेनिया (156,000), टेक्सास (475,000) और विस्कॉन्सिन (37,000) में करीब 13 लाख भारतीय अमेरिकी मतदाता हैं।
उन्होंने बताया कि पार्टी 75 से 80 प्रतिशत भारतीय अमेरिकी मतदाताओं के मत हासिल करने की आकांक्षा रख सकती है।
बाइडेन चुनाव प्रचार मुहिम के लिए एएपीआई के राष्ट्रीय निदेशक अमित जानी ने कहा कि भारतीय अमेरिकी समुदाय का आकार और प्रभाव बढ़ा है। अब भारतीय-अमेरिकी बड़ी संख्या में राजनीति और सरकार का हिस्सा बन रहे है।
जानी ने कहा, ‘‘नवंबर में राष्ट्रपति पद का चुनाव ऐतिहासिक होगा और हमें अंतर पैदा करने के लिए भारतीय-अमेरिकी समुदाय के सहयोग की बहुत आवश्यकता है।’’
इससे पहले ‘ट्रम्प विक्टरी इंडियन अमेरिकन फाइनेंस कमेटी’ के सह अध्यक्ष अल मैसन ने एक साक्षात्कार में कहा था, ‘‘वे (भारतीय अमेरिकी) पहली बार बड़ा अंतर पैदा करेंगे।’’
मैसन ने आंकड़ों के गुरु कहे जाने वाले कार्तिक रामाकृष्णन के हवाले से कहा कि 2016 में हिलेरी क्लिंटन के लिए मतदान करने वाले 77 प्रतिशत भारतीय-अमेरिकी 2020 में ऐसा नहीं करेंगे।
उन्होंने दावा किया कि डेमोक्रेटिक पार्टी को मतदान देने वाले 50 प्रतिशत लोग इस बार ट्रम्प के लिए मतदान करेंगे।
अमेरिकी राष्ट्रपति बनने पर बाइडेन भारत को यूएनएसी का स्थायी सदस्य बनने में मदद करेंगे: वर्मा
इधर भारत में अमेरिका के पूर्व राजदूत रिचर्ड वर्मा ने शनिवार को कहा कि डेमोक्रेट पार्टी के राष्ट्रपति पद के संभावित उम्मीदवार जो बाइडेन अगर नवंबर में होने वाले चुनाव जीत जाते हैं तो वह संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को नया रूप देने में मदद करेंगे ताकि भारत को सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट मिल सके।
भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र तथा सुरक्षा परिषद में कई तरह के सुधार किए जाने पर जोर दे रहा है। उसका कहना है कि इसका स्वरूप वर्तमान वास्तविकताओं को नहीं दर्शाता है और ना ही उसका उचित प्रतिनिधित्व करता है।
वर्मा ने कहा, ‘‘ इसमें कोई संदेह नहीं है कि उनके (बाइडेन के) नेतृत्व में, वह संयुक्त राष्ट्र जैसी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं को नया रूप देने में मदद करेंगे ताकि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बन सकें। वह एक प्रमुख रक्षा भागीदार के रूप में भी भारत की स्थिति भी मजबूत करेंगे।’’ अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस,रूस और चीन इसके पांच स्थायी सदस्य हैं। इलमें केवल चीन ही भारत को यूएनएससी का स्थायी सदस्य बनाने का विरोध करता है।
उन्होंने कहा, ‘‘ वह (बाइडेन) हमारे नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए भारत के साथ मिलकर काम करेंगे। इसका मतलब है कि सीमा पार आतंकवाद के मामले में और जब उसके (भारत के) पड़ोसी यथास्थिति बदलने की कोशिश करेंगे तो वह भारत के साथ खड़े रहेंगे।’’