वाशिंगटन, 24 मई । राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप समेत अमेरिकी नेतृत्व ने आम चुनावों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मिली शानदार जीत पर बधाई दी और कहा कि उनके दूसरे कार्यकाल के दौरान भारत-अमेरिका रणनीतिक संबंधों के लिये ‘‘कई बड़ी चीजें’’ हमारे पास हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने 543 सदस्यों वाली लोकसभा में 542 सीटों पर हुए चुनाव में 302 सीटों पर जीत हासिल की है।
ट्रंप ने ट्वीट किया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी भाजपा पार्टी को बड़ी चुनावी जीत के लिये बधाई।”
उन्होंने गुरुवार को कहा, “प्रधानमंत्री मोदी की वापसी के साथ ही अमेरिका-भारत के रणनीतिक संबंधों में भी काफी कुछ अच्छा होने वाला है। मुझे, हमारे महत्वपूर्ण कामों को आगे जारी रखने का इंतजार है।”
उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने ट्वीट कर कहा, “अमेरिका के सहयोगी एवं मित्र प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारत के संसदीय चुनाव में पार्टी की जीत पर बधाई।”
उन्होंने कहा, ‘‘यह लोकतंत्र में भारत के लोगों की प्रतिबद्धता का जबरदस्त प्रदर्शन है। हम स्वतंत्र, सुरक्षित एवं ज्यादा समृद्ध क्षेत्र के लिए भारत के साथ काम करने की दिशा में देख रहे हैं।’’
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने भी प्रधानमंत्री को ट्विटर पर बधाई दी। उन्होंने कहा, ‘‘भारत के चुनाव में नरेंद्र मोदी एवं राजग को जीत के लिए और ऐतिहासिक संख्या में मतदान के लिए भारतीय लोगों को बधाई। भारत का चुनाव विश्वभर के लोगों के लिए प्रेरणा है।’’
इस बीच, अमेरिकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मोर्गन ओर्तागस ने पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत में कहा कि भारतीय चुनाव दुनिया में लोकतंत्र की सबसे बड़ी कवायद हैं, जिसमें काफी संसाधन लगते हैं और करीब 90 करोड़ मतदाताओं को ध्यान में रखकर योजना बनाई जाती है।
उन्होंने कहा, ‘‘हम बड़ी संख्या में मतदान की प्रशंसा करते हैं। करीब 66 प्रतिशत लोगों या करीब 60 करोड़ लोगों ने मतदान किया। हम भारत सरकार को इस बेहतरीन आयोजन के क्रियान्वयन की बधाई देते हैं।’’
भारतीय अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा कि इतने भारतीयों को अपने लोकतांत्रित अधिकार का इस्तेमाल करते देखना प्रेरणादायक है। उन्होंने कहा, “भारत-अमेरिका साझेदारी को मजबूत करने के लिये मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत सरकार के साथ आगे काम करने का इच्छुक हूं ।’’
भारतीय-अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने कहा कि मोदी की जीत से एक सबक यह है कि वंशवादी, स्थापित किये गए उम्मीदवार कमजोर साबित होते हैं।
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