वाशिंगटन 01 मई । अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि उन्हें भरोसा है कि कोरोना वायरस चीन की प्रयोगशाला से उत्पन्न हुआ है और वह चीन के खिलाफ इस महामारी के अपर्याप्त प्रबंधन मामले में दंड के तौर पर आयात शुल्क बढ़ा सकते हैं।
श्री ट्रंप ने गुरूवार को पत्रकारों से कहा कि उन्होंने सभी सबूतों की जांच कर ली है और उन्हें पूरा भरोसा है कि कोरोना वायरस वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी से उत्पन्न हुआ है। हालांकि उन्होंने साक्ष्यों से संबंधित जानकारी साझा करने से इंकार किया है।
नेशनल इंटेलिजेंस के निदेशक के कार्यालय ने गुरूवार को घोषणा की कि यह वायरस मानव निर्मित नहीं है लेकिन यह निर्धारित करने के लिए और जांच की आवश्यकता है कि क्या संक्रमण जानवरों के संपर्क से शुरू हुआ या वुहान प्रयोगशाला में एक दुर्घटना का परिणाम था।
क्योडो न्यूज़ ने श्री ट्रम्प के हवाले से कहा “ ‘इस वायरस को चीन से बाहर जाने की अनुमति कभी नहीं दी जानी चाहिए थी और इसके स्रोत पर ही इसे काबू कर लिया जाना चाहिए था।”
अमेरिका ने हाल के दिनों में कोरोना वायरस से निपटने के लिए चीन से सवाल किये है और बुधवार को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने भी इस बात पर खेद व्यक्त किया था कि वायरस की उत्पत्ति के अध्ययन के लिये अंतरराष्ट्रीय समुदाय को वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी तक नहीं जाने दिया गया है।
श्री पोम्पियो ने कहा कि चीन में कई प्रयोगशालाएं संक्रामक रोगजनकों पर काम कर रही हैं और यह स्पष्ट नहीं है कि भविष्य में महामारियों की रोकथाम के लिए आवश्यक स्तर पर सुरक्षा मानकों का पालन किया जा रहा है या नहीं।
अमेरिका लगा सकता है चीन पर नये सीमा शुल्कः ट्रम्प
राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा है कि अमेरिका कोरोना वायरस (कोविड-19) को लेकर किये जा रहे प्रतिरोधात्मक कार्रवाई के तहत चीन पर नये सीमा शुल्क लगा सकता है।
श्री ट्रम्प ने व्हाइट हाउस में दैनिक मीडिया ब्रिफिंग के दौरान गुरुवार को वायरस के प्रकोप के कारण चीन को अमेरिका की ओर दी जाने वाली ऋण को रद्द करने को लेकर पूछे गये सवाल के जवाब में कहा, ” मैं इसे अलग तरीके से कर सकता हूं। मैं एक ही काम कर सकता हूं, वह है अधिक पैसे के लिए नये सीमा शुल्क लगाना। ”
इससे पहले मीडिया ने गुरुवार को मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि अमेरिका वैश्विक महामारी को लेकर चीन के खिलाफ प्रतिरोधात्मक कार्रवाई करने पर विचार कर रहा है।
चीन के खिलाफ ‘बेहद गंभीर जांच’ कर रहा है अमेरिका : ट्रंप
उधर 28 अप्रैल की रिपोर्ट है कि,राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि अमेरिका कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के संबंध में चीन के खिलाफ ‘बेहद गंभीरता से जांच’ कर रहा है।
ट्रंप ने इस कथन से संकेत दिया है कि अमेरिकी प्रशासन बीजिंग से जर्मनी द्वारा मुआवजे के रूप में मांगे गए 140 अरब डॉलर से कहीं बड़े मुआवजे के बारे में सोच रहे हैं।
चीन में पिछले साल मध्य नवंबर में उभरे इस घातक वायरस से पूरी दुनिया में दो लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है और तीस लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं। इनमें से बड़ी संख्या में अमेरिकी नागरिक हैं। अमेरिका में अभी तक इस वायरस की वजह से 56,000 लोगों की मौत हो चुकी है और दस लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हैं।
अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी के नेता लगातार कह रहे हैं कि अगर चीन शुरुआती चरण में इस वायरस के संबंध में जानकारी देने में पारदर्शिता रखता तो इतनी बड़ी संख्या में लोगों की मौत नहीं होती और वैश्विक अर्थव्यवस्था को इतना बड़ा नुकसान नहीं पहुंचता। कई देश चीन से मुआवजे वसूलने की बात करना शुरू कर चुके हैं।
ट्रंप ने सोमवार को रोज गार्डन के संवाददाता सम्मेलन में जर्मनी के मुआवजे संबंधी दावे के बारे में पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘हम उससे आसान चीजें कर सकते हैं। हमारे पास वैसा करने से भी आसान तरीके मौजूद हैं।’’
ट्रंप से पूछा गया था कि क्या अमेरिका भी जर्मनी की तरह ही क्षति के लिए 140 अरब डॉलर मुआवजे के रूप में मांगने जैसा कदम उठा सकता है।
ट्रंप ने कहा, ‘‘ जर्मनी भी कुछ विचार कर रहा है और हम भी कुछ देख रहे हैं और जर्मनी जितने मुआवजे की बात कर रहा है, हम उससे कहीं बड़ी राशि की बात कर रहे हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमने अभी अंतिम राशि निर्धारित नहीं की है लेकिन यह काफी बड़ी राशि होने वाली है।’’
अमेरिका के बाद इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित यूरोप है। वहीं भारत में कड़े सुरक्षा उपायों की वजह से मृतकों की संख्या अब भी 886 है और 28,000 लोग संक्रमित हैं।
राष्ट्रपति ने कहा कि इस वायरस की वजह से अमेरिका में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में व्यापक स्तर पर क्षति पहुंची है।
उन्होंने कहा की चीन को इस वायरस के प्रसार के लिए जिम्मेदार ठहारने के ‘कई रास्ते हैं’। उनका कहना है कि अमेरिका इस संबंध में गंभीरता से जांच कर रहा है और वह चीन से खुश नहीं है।
हाल के सप्ताह में चीन को इस वायरस के प्रसार के लिए जिम्मेदार ठहराए जाने के विचार को काफी समर्थन मिला है।