भारत के प्रति आक्रामकता के लिए चीन की निंदा वाला विधेयक बना कानून
वाशिंगटन, दो जनवरी। अमेरिकी कांग्रेस के एक द्विदलीय विधेयक में भारत के प्रति चीन के आक्रामक रुख की निंदा की गई है। यह विधेयक अब कानून का रूप ले चुका है क्योंकि सदन ने इस पर ट्रंप के वीटो को खारिज कर दिया।
सदन ने 740 अरब अमेरिकी डॉलर के रक्षा नीति विधेयक पर ट्रंप के वीटो को खारिज कर दिया। इस विधेयक में कई अन्य चीजों के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की निंदा भी शामिल है।
‘नेशनल डिफेंस ऑथोराइजेशन एक्ट’ (एनडीएए) शुक्रवार को कानून बन गया। इसमें एक ऐसा भी प्रस्ताव है जिसमें चीन सरकार से अपील की गई है कि वे वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत के प्रति सैन्य आक्रामक रुख को खत्म करें।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 23 दिसंबर को इस विधेयक पर वीटो इस्तेमाल किया था। हालांकि इस विधेयक को डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन सांसदों का समर्थन हासिल हुआ। वहीं राष्ट्रपति ट्रंप का कहना था कि इसमें ऐसे प्रावधान हैं, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है।
ट्रंप के कार्यकाल के अंतिम दिनों में उनके लिए यह झटके की तरह है।
भारतीय-अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘‘आज नए साल के अवसर पर सदन में वोट के साथ संसद ने नेशनल डिफेंस ऑथोराइजेशन एक्ट को कानून बना दिया है। इसमें मेरे प्रस्ताव की कुछ बातें भी शामिल हैं जिसमें चीन से भारत के प्रति और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आक्रामक रुख खत्म करने के लिए कहा गया है।’’
चीन और भारत के बीच पिछले साल मई से ही पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गतिरोध जारी है। इस गतिरोध को खत्म करने के लिए दोनों ही देशों के बीच कई चरणों की वार्ता हो चुकी है लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम निकलकर सामने नहीं आया है।
कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘‘वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत के साथ चीन की सेना का हिंसक आक्रामक रुख या कहीं भी इस तरह का रुख स्वीकार्य नहीं है। और इस कानून में अंकित बातें भारत और दुनिया के अन्य सहयोगियों को नव वर्ष में प्रवेश के साथ समर्थन और एकजुटता का स्पष्ट संदेश देती है।’’
चीन द्वारा सीमा पर लगातार भारत के प्रति आक्रामक रुख रखने को लेकर ‘नेशनल डिफेंस ऑथोराइजेशन एक्ट’ में ‘गंभीर चिंता’ प्रकट की गई है। एनडीएए में कहा गया है कि चीन को ‘भारत के साथ मौजूदा राजनयिक तंत्रों के जरिए तनाव कम करने की दिशा में काम करना चाहिए और विवाद को बल पूर्वक निपटाने की कोशिश से बचना चाहिए।’
अमेरिकी कांग्रेस ने रक्षा विधेयक पर ट्रंप के वीटो को किया खारिज
अमेरिकी कांग्रेस ने एक रक्षा नीति विधेयक पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के वीटो को खारिज करते हुए कार्यकाल के अंतिम दिनों में उन्हें बड़ा झटका दिया है।
नव वर्ष के दिन आयोजित विशेष सत्र में रिपब्लिकन बहुल सीनेट ने उनके वीटो को आसानी से खारिज कर दिया और 740 अरब डॉलर के विधेयक को लेकर ट्रंप की आपत्ति को दरकिनार करते हुए उन्हें ऐसे समय में झटका दिया है, जब उनका कार्यकाल महज कुछ ही सप्ताह में समाप्त होने जा रहा है।
ट्रंप ने इस हफ्ते की शुरुआत में ट्विटर पर रिपब्लिकन सांसदों पर गुस्सा निकाला था और कहा था कि ‘रिपब्लिकन पार्टी का थका हुआ और कमजोर नेतृत्व’ खराब रक्षा विधेयक को पारित होने देगा।
उन्होंने अपने वीटो की अवहेलना करते हुए हुई इस वोटिंग को ‘कायरतापूर्ण शर्मनाक कार्य’ करार दिया।
सीनेट ने 81-13 के बहुमत वोट से ट्रंप के वीटो को खारिज कर दिया। इस विधेयक में अमेरिकी सैनिकों के वेतन में तीन फीसदी बढ़ोतरी और रक्षा नीति से संबंधित नियम हैं जिससे सैनिकों की संख्या, नई हथियार प्रणाली, सैन्य तैयारियों और सैन्यकर्मियों से जुड़ी नीतियों और अन्य सैन्य लक्ष्यों से जुड़े फैसलों पर मुहर लगाई गई है।
इस विधेयक को मंजूरी मिलने पर ही सैन्य निर्माण समेत कई अन्य कार्यक्रम प्रभावी होते हैं।
सीनेट में बहुमत के नेता (रिपब्लिकिन) मिच मैक्कोनल ने मतदान से पहले कहा कि कांग्रेस पिछले 59 वर्षों से प्रत्येक साल ‘नेशनल डिफेंस अथॉराइजेशन एक्ट’ (एनडीएए) पारित करती आई है और ‘किसी भी रास्ते से हम 60वां वार्षिक एनडीएए पूरा करेंगे और रविवार को सत्र के समापन से पहले विधेयक पारित करेंगे।’’
ट्रंप ने पिछले सप्ताह रक्षा कदमों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि यह सोशल मीडिया कंपनियों के लिए सीमारेखा तय करने में विफल है। ये वही सोशल मीडिया कंपनियां हैं, जिसके बारे में ट्रंप का मानना है कि उनके पुन: चुनाव के प्रचार के दौरान ये पक्षपाती रही थीं।
सोशल मीडिया और सैन्य अड्डों के नामों को लेकर चिंताओं के अलावा ट्रंप ने यह भी कहा कि यह रक्षा विधेयक विदेश नीतियों के संचालन के उनके तरीकों में, ‘खासतौर पर सैनिकों की घर वापसी के प्रयासों में’ बाधा डालता है।
ट्रंप विधेयक के उस प्रावधान का हवाला दे रहे थे जिसमें अफगानिस्तान और जर्मनी से हजारों सैनिकों की वापसी की उनकी योजना पर शर्तें रखी गई हैं। ट्रंप ने आठ अन्य विधेयकों पर भी वीटो का इस्तेमाल किया था जिससे वे विधेयक कानून नहीं बन पाए। ट्रंप के हस्ताक्षर के बिना विधेयक के कानून बनने के लिए प्रत्येक चैम्बर में दो-तिहाई मतों की जरूरत पड़ती है।