वॉशिंगटन, 24 अगस्त । जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव को कम करने के लिए अमेरिका दो तरफा रणनीति पर काम रहा है। यह जानकारी यहां ट्रंप प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने दी।
उन्होंने बताया कि पहली रणनीति सीमा पार घुसपैठ रोकने और भारत में, खासतौर पर कश्मीर में आतंकवादी गतिविधियों के लिए वित्तीय और अन्य सहायता नहीं देने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाना है। दूसरी रणनीति भारत को जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य करने के लिए प्रोत्साहित करना और राज्य के लोगों के मानवाधिकार की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
अमेरिका सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘ (अमेरिका के) राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान को नियंत्रण रेखा पार आतंकवादियों की घुसपैठ रोकने और उसकी जमीन पर सक्रिय उन आतंकवादी समूहों के खिलाफ कार्रवाई करने को कहा है, जिन्होंने भारत में हमले किए हैं।’’
पहली रणनीति को प्रतिबिंबित करते हुए एक अन्य अधिकारी ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बीच यह अहम है कि इस्लामाबाद अपनी जमीन का इस्तेमाल सीमा पार आतंकवाद के लिए नहीं करने देने की प्रतिबद्धता दिखाए।
उन्होंने 1989 में पाकिस्तान की ओर से भारत में आतंकवादियों और राज्येतर तत्वों की घुसपैठ का हवाला देते हुए कहा कि अमेरिका ने इस्लामाबाद को इस तरह के हथकंडे दोहराने के प्रति चेतावनी दी है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘ 1989 का हथकंडा कश्मीरी लोगों और यहां तक की पाकिस्तान की नाकामी थी।’’
उन्होंने कहा कि अमेरिका नहीं चाहता कि पाकिस्तान भारत में आतंकवादियों और राज्येतर तत्वों की घुसपैठ के लिए भारत-पाकिस्तान के बीच मौजूदा स्थिति का लाभ उठाए।
अमेरिकी अधिकारियों ने पाकिस्तान को आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ प्रतिबद्धता पूरी नहीं करने की स्थिति में वित्तीय कार्रवाई कार्यबल (एफएटीएफ) की काली सूची में डालने की चेतावनी दी। फ्रांस आधारित एफएटीएफ अंतर सरकारी संगठन है जो धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ नीतियां बनाता है।
हाल में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से फोन पर हुई बातचीत में भारत के खिलाफ भड़काऊ भाषण नहीं देने और कश्मीर मुद्दे पर तनाव बढ़ाने से बचने को कहा था।
अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि दूसरी रणनीति के तहत ट्रंप प्रशासन जम्मू-कश्मीर में खासतौर पर घाटी में मानवाधिकार के मुद्दे पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अमेरिका क्षेत्र में लोगों को ‘‘हिरासत में लिए जाने’’ और प्रतिबंध जारी रहने पर चिंतित है।
उन्होंने कहा, ‘‘ अमेरिका निजी अधिकारों का सम्मान, कानूनी प्रक्रिया का अनुपालन और प्रभावित क्षेत्र में समावेशी संवाद का आग्रह करता है।’’
एक अन्य अधिकारी ने कहा कि फ्रांस में जी-7 शिखर सम्मेलन से इतर मोदी और ट्रंप के बीच होने वाली बैठक में मानवाधिकार का मुद्दा भी उठने की उम्मीद है।
अधिकारी ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति ट्रंप, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सुनना चाहेंगे कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के तौर पर भारत की क्षेत्र में तनाव कम करने और कश्मीर में मानवाधिकारों के प्रति सम्मान कायम रखने की क्या योजना है।’’
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