वाशिंगटन, 25 अप्रैल ।अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि अमेरिका दूसरे देशों के साथ मिलकर काम कर रहा है और उन्हें यह समझा रहा है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति चीन के वुहान से हुई है।
उन्होंने कहा कि वायरस कहां से आया यह समझाने की जिम्मेदारी चीन की है। उन्होंने बेन शापिरो शो में शुक्रवार को कहा कि चीन को दिसंबर 2019 से वायरस के बारे में पता था।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें अमेरिका में हुई मौतों और यहां जिस तरह के आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है उसके लिए जिम्मेदार पक्षों की जवाबदेही तय करनी होगी।’’
पोम्पियो ने कहा कि वैश्विक आर्थिक व्यवस्था बर्बाद हो गई।
उन्होंने कहा, ‘‘कूटनीतिक तौर पर हम दुनियाभर के देशों से बात कर रहे हैं, सही कदम उठाने में, अर्थव्यवस्थाओं को फिर से खोलने में और यह सुनिश्चित करने में मदद कर रहे हैं कि सही समय आने पर अंतरराष्ट्रीय यात्राएं शुरू की जा सकें ताकि वैश्विक व्यापार शुरू हो सके।’’
पोम्पियो ने कहा, ‘‘हम उन देशों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं ताकि उन्हें समझा सकें इस वायरस की उत्पत्ति चीन के वुहान में हुई और चीन की सरकार को इसके बारे में दिसंबर 2019 में निश्चित ही जानकारी थी। और एक राष्ट्र के रूप में वे अपने बुनिदायी कर्तव्यों का पालन करने में विफल रहे। यही नहीं, वे विश्व स्वास्थ्य संगठन के अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य नियमों का पालन करने में भी विफल रहे और उसके बाद इस सब को छिपाने के लिए उन्होंने बहुत कुछ किया।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि विश्व की इस महामारी से रक्षा करने के अपने मिशन में विश्व स्वास्थ्य संगठन भी असफल रहा है।
इस बीच राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रॉबर्ट ओ ब्रायन ने एनपीआर को दिए साक्षात्कार में कहा, ‘‘वायरस कहां से आया यह बताने की जिम्मेदारी चीन की है। लेकिन वुहान में एक प्रयोगशाला है जहां इस तरह के वायरस पर काम होता है। हम यह जानना चाहते हैं कि क्या यह वहां से निकला, शायद दुर्घटनावश ही।’’
पोम्पिओ का आरोप, चीन को नवंबर से ही वायरस के बारे में पता था
वाशिंगटन, में 24 अप्रैल को अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने आरोप लगाया कि चीन को शायद वायरस के बारे में नवंबर से ही पता था। इसी के साथ उन आरोपों को एक बार फिर बल मिला है कि चीन वायरस की जानकारी देने को लेकर पारदर्शी नहीं रहा है।
पोम्पिओ ने बृहस्पतिवार को एक साक्षात्कार में कहा, “आप याद करें तो इस तरह के पहले मामले के बारे में चीन को संभवत: नवंबर में ही पता चल गया था और मध्य दिसंबर तक तो निश्चित तौर पर।”
उन्होंने रेडियो प्रस्तोता लैरी ओकोन्नोर से कहा, “उन्होंने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) समेत विश्व में किसी और को इस बारे में बता पाने में बहुत देर की।”
पोम्पिओ ने कहा कि अमेरिका को चीन के वुहान शहर में पैदा हुए सार्स-सीओवी-2 वायरस के मूल नमूने के साथ ही और अधिक सूचनाओं की दरकार है।
उन्होंने कहा, “पारदर्शिता का मुद्दा नवंबर, दिसंबर और जनवरी में क्या हुआ? केवल उस ऐतिहासिक मामले को समझने भर के लिए आवश्यक नहीं है बल्कि यह आज भी उतना ही मायने रखता है।”
विदेश मंत्री ने कहा, “यह अब भी अमेरिका में और असल में पूरे विश्व में जिंदगियों को प्रभावित कर रहा है।”
चीन ने शुरुआत में वायरस की सूचना को बाहर नहीं आने दिया और इसका भंडाफोड़ करने वालों को हिरासत में ले लिया।
वैश्विक महामारी बनने से पहले इस वायरस के प्रकोप को 31 दिसंबर को आधिकारिक मान्यता दी गई जब वुहान में अधिकारियों ने निमोनिया के रहस्यमयी मामलों की जानकारी दी थी।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने चीन और डब्ल्यूएचओ दोनों की तीखी आलोचना की है और उन पर आरोप लगाया है कि दोनों ने दुनिया भर में 1,80,000 लोगों की जान लेने वाली बीमारी को रोकने के लिए कुछ नहीं किया।
पोम्पिओ ने इससे पहले उन खबरों से भी इनकार नहीं किया था कि कोरोना वायरस वुहान की विषाणु विज्ञान प्रयोगशाला से निकला है और प्रयोगशाला तक अंतरराष्ट्रीय पहुंच की मांग भी की थी।
अमेरिकी राज्य ने कोरोना वायरस से निपटने के मामले में चीन के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया
वाशिंगटन में 22 अप्रैल से खबर है कि को अमेरिका के एक राज्य ने चीन पर नोवेल कोरोना वायरस को लेकर सूचनाएं दबाने, इसका भंडाफोड़ करने वाले लोगों को गिरफ्तार करने तथा इसकी संक्रामक प्रकृति से इनकार करने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ मुकदमा दायर किया है और कहा है कि इससे दुनियाभर के देशों को अपूरणीय क्षति हुई है तथा मानवीय क्षति के साथ अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान हुआ है।
ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट मिसौरी की एक अदालत में मिसौरी के अटॉर्नी जनरल एरिक शिमिट की ओर से चीन की सरकार, वहां की सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और अन्य चीनी अधिकारियों एवं संस्थानों के खिलाफ अपनी तरह का पहला मुकदमा दायर किया गया है।
इसमें आरोप लगाया गया है कि कोरोना वायरस के फैलने के शुरुआती अहम सप्ताहों में चीन के अधिकारियों ने जनता को धोखा दिया, महत्वपूर्ण सूचनाओं को दबाया, इस बारे में जानकारी सामने लाने वालों को गिरफ्तार किया, पर्याप्त प्रमाण होने के बावजूद मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण की बात से इनकार किया, महत्वपूर्ण चिकित्सकीय अनुसंधानों को नष्ट किया, दसियों लाख लोगों को संक्रमण की जद में आने दिया और यहां तक कि निजी सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) की जमाखोरी की जिससे महामारी वैश्विक हो गयी।
शिमिट ने कहा, ‘‘कोविड-19 ने पूरी दुनिया के देशों को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है जिससे बीमारी बढ़ी है, लोगों की मौत हुई है, आर्थिक नुकसान के साथ मानवीय क्षति हुई है। मिसौरी में वायरस का असर बहुत भारी है जहां हजारों लोग प्रभावित हुए हैं और कई मर चुके हैं। परिवार अपने प्रियजनों से बिछड़ गए हैं। छोटे कारोबार बंद हो रहे हैं तथा रोजाना कमाकर खाने वाले पेट भरने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।’’
उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘चीनी सरकार ने कोविड-19 के खतरे और संक्रामक प्रकृति के बारे में दुनिया से झूठ बोला, जो इसके खिलाफ आवाज उठा रहे थे, उनकी आवाज दबा दी और बीमारी को रोकने के लिए कुछ नहीं किया।’’
मुकदमे के अनुसार दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों के पास मनुष्यों के बीच संक्रमण के पर्याप्त प्रमाण थे।