वाशिंगटन,/बगदाद पांच जनवरी। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को चेतावनी दी है कि यदि उसने अपने शीर्ष सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने के लिए कोई जवाबी कार्रवाई की, तो उस पर अब तक का सबसे जोरदार हमला किया जाएगा। साथ ही, अमेरिका ने इस खाड़ी देश में 52 संभावित लक्ष्यों की पहचान भी की है।
दरअसल, ईरान ने शुक्रवार को अमेरिकी ड्रोन हमले में बगदाद में मेजर जनरल सुलेमानी (62) के मारे जाने के बाद बदला लेने का संकल्प लिया है। इस हमले में इराक के हशद अल शाबी अर्द्धसैनिक बल के उप प्रमुख भी मारे गए हैं।
सुलेमानी का मारा जाना ईरान और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ाने वाला अब तक सर्वाधिक नाटकीय घटनाक्रम है।
ट्रंप ने शनिवार रात ईरान को चेतावनी दी कि यदि ईरान अमेरिकी सैन्य कर्मियों या परिसम्पत्ति पर हमला करता है तो ईरान में 52 स्थानों को अमेरिका निशाना बनाएगा, जिनमें से कुछ स्थल ईरान और ईरानी संस्कृति के लिए बहुत अहम हैं।
ट्रम्प ने ट्वीट किया, ‘‘हमारे द्वारा उसके उस आतंकी नेतृत्वकर्ता से दुनिया को निजात दिलाने के बाद ईरान बदले की कार्रवाई के तहत कुछ खास अमेरिकी परिसंपत्तियों को निशाना बनाने के बारे में बोल रहा है…जिसने हाल ही में एक अमेरिकी की हत्या की थी और कई अन्य को बुरी तरह से घायल कर दिया था…यहां इस बात का जिक्र नहीं कर रहा कि उसने हाल ही में सैकड़ों ईरानी प्रदर्शनकारियों की हत्या करने सहित अपने पूरे जीवनकाल में कितने सारे लोगों की हत्या की।’’
उन्होंने कहा, ‘‘वह हमारे दूतावास पर पहले ही हमला कर चुका है और अन्य स्थानों पर हमले की तैयारी कर रहा है। ईरान कुछ और नहीं बल्कि कई बरसों से समस्या बना हुआ है।’’
ट्रंप ने कहा, ‘‘इसे चेतावनी समझा जाए कि यदि ईरान ने किसी अमेरिकी या अमेरिकी परिसंपत्ति पर हमला किया तो हम 52 ईरानी स्थलों (कई साल पहले ईरान द्वारा 52 अमेरिकी को बंधक बनाए जाने के प्रतीक के तौर पर) को निशाना बनाएंगे, जिनमें से कुछ स्थान बहुत उच्च स्तर के और ईरान एवं ईरानी संस्कृति के लिए अहम हैं तथा उन लक्ष्यों पर और ईरान पर बहुत तेजी से बहुत जोरदार तरीके से हमला किया जाएगा। अमेरिका कोई और खतरा नहीं चाहता है। ’’
ट्रंप ने 10 घंटे से भी कम समय के अंतराल में ईरान को एक और चेतावनी देते हुए कहा कि यदि तेहरान ने जवाबी कार्रवाई की तो ईरान पर अमेरिका अब तक सबसे जोरदार हमला करेगा।
ट्रंप ने तेहरान से बदले की कार्रवाई की टिप्पणी आने के बीच मध्य रात्रि में ट्वीट कर कहा, ‘‘उन्होंने (ईरान ने) हम पर हमला किया और हमने जवाबी हमला किया। यदि उन्होंने (ईरान ने) फिर से हमला किया, जो मैं उन्हें नहीं करने की सलाह देता हूं, तो हम अब तक का सबसे जोरदार हमला करेंगे।’’
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘अमेरिका ने सैन्य उपकरणों पर दो हजार अरब डॉलर अभी खर्च किए हैं। हम दुनिया में सबसे बड़े और सर्वश्रेष्ठ हैं। यदि ईरान अमेरिकी सैन्य अड्डे या किसी अमेरिकी पर हमला करता है तो हम अपने कुछ एकदम नए उपकरण… बिना किसी हिचकिचाहट के उनके खिलाफ इस्तेमाल करेंगे ।’’
ट्रंप की टिप्पणियों पर जवाब देते हुए ईरानी विदेश मंत्री जावेद जरीफ ने कहा कि सांस्कृतिक स्थलों को निशाना बनाना ‘‘युद्ध अपराध’’ है।
जरीफ ने अंतरराष्ट्रीय कानून के सिद्धांतों का जिक्र करते हुए ट्वीट किया, ‘‘ शुक्रवार के कायराना हमले में अंतरराष्ट्रीय कानून का घोर उल्लंघन किया गया। डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से ऐसा उल्लंघन करने की धमकी दी है, लेकिन सांस्कृतिक स्थलों को निशाना बनाना एक युद्ध अपराध है, चाहे जैसे भी हो पश्चिम एशिया में अमेरिका की मौजूदगी का खत्म होना शुरू हो गया है।’’
अमेरिकी ड्रोन हमले में सुलेमानी के मारे जाने के बाद अमेरिका और ईरान के बीच तनाव बहुत बढ़ गया है।
सुलेमानी को ईरान में वहां के सर्वोच्च नेता अयातोल्ला अली खामेनेई के बाद दूसरा सर्वाधिक शक्तिशाली व्यक्ति माना जाता था। सुलेमानी का कुद्स बल (ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की एक शाखा) सीधे खामेनेई को रिपोर्ट करता था और वह एक राष्ट्र नायक माने जाते थे।
खामेनेई ने अपने जनरल की हत्या का बदला लेने का संकल्प लेते हुए कहा है कि हमले के पीछे मौजूद अपराधियों के लिए गंभीर बदला इंतजार कर रहा है।
अमरीकी सेना को ईरान से बाहर करने की तैयारी:
बगदाद, से खबर है कि,इराक की संसद में सैन्य ठिकानों से अमेरिकी सैनिकों को हटाने के लिए मतदान होने की संभावना है। अमेरिकी हमले में शीर्ष ईरानी और इराकी कमांडरों के मारे जाने के बाद तेहरान समर्थक गुटों से इन सैन्य ठिकानों पर हमले की आशंका बढ़ गयी है।
कातिब हिजबुल्ला धड़े ने कहा, ‘‘हम देश में सुरक्षा बलों से रविवार को शाम पांच बजे से अमेरिकी बेस से कम से कम एक किलोमीटर दूर चले जाने को कहते हैं।’’
संयोग से समय सीमा ऐसे वक्त निर्धारित की गयी है, जब रविवार को संसद सत्र का समापन होगा जिसमें अमेरिकी सैनिकों को देश से बाहर करने के लिए मतदान हो सकता है।
इस्लामिक स्टेट जिहादी समूह के उभार को रोकने के लिए स्थानीय सैनिकों को प्रशिक्षित और मदद देने के लिए इराकी बेस में करीब 5200 सैनिक तैनात हैं।
इन सैनिकों की तैनाती व्यापक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन के तहत हुई थी, जिन्हें इराकी सरकार ने आईएस को इराकी क्षेत्र से खदेड़ने में मदद के लिए 2014 में बुलाया था।
हाशेड के शिया बहुल धड़ों का ईरान के साथ करीबी संबंध है और यह संगठन महीनों से अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी का विरोध कर रहा है ।
इराक की 329 सदस्यीय संसद की कार्यवाही स्थानीय समयानुसार अपराह्न एक बजे से शुरू होगी और कार्यसूची का कोई प्रकाशन नहीं हुआ है लेकिन सांसद विदेशी सैनिकों पर वोटिंग कराना चाहते हैं।