प्रयागराज, 28 मार्च । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद लोकसभा सीट से प्रदेश सरकार में महिला, परिवार कल्याण और पर्यटन मंत्री डॉ. रीता बहुगुणा जोशी को टिकट दिया है। डॉ. जोशी का यह गृह जिला है और पार्टी को उम्मीद है कि वह इस वजह से यहां की सीट उसकी झोली में डाल सकती हैं।
डॉ. रीता बहुगुणा जोशी इलाहाबाद की महौपौर रह चुकी हैं और कांग्रेस से भाजपा में आयी हैं। उन्होंने भाजपा के टिकट पर 2017 में हुये प्रदेश विधानसभा चुनाव में लखनऊ की कैंट सीट से जीत हासिल की थी। डॉ. जोशी ने उस चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) संरक्षक मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा को पराजित किया था।
डॉ. जोशी के लिए यह शहर नया नहीं है। यह उनका गृह जिला है। वर्ष 2016 में भाजपा में शामिल होने से पहले 24 साल तक वह कांग्रेस में महत्वपूर्ण पदों पर रहीं।
राजनीति के जानकारों का मानना हैै कि भाजपा ने शायद लखनऊ में उनकी जीत से आशान्वित होकर ही इलाहाबाद संसदीय सीट से डॉ. जोशी को उतारा है। वर्ष 2014 में मोदी लहर थी। जिसका लाभ 2017 में हुए प्रदेश विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को मिला लेकिन अब 17वीं लोकसभा के चुनाव में 2014 की वह लहर नजर नहीं आ रही है।
उनका कहना है मतदाताओं में कई कारणों से श्री मोदी के प्रति रुझान कम दिख रहा है।
इलाहाबाद संसदीय सीट पर कांग्रेस ने अभी तक अपने किसी दावेदार के नाम की घोषणा नहीं की है। महागठबंधन में इलाहाबाद सीट सपा के खाते में है। उसने भी अपने प्रत्याशी के नाम की घोषणा नहीं की है। अब सबकी निगाह इस पर है कि दोनों पार्टियां किन कद्दावर नेताओं को इलाहाबाद से उतारती हैं।
भाजपा के लिए अब यह सीट श्यामाचरण के छोड़ने से प्रतिष्ठा का सवाल भी बन गयी है। वह यह भी दिखाना चाहेगी की किसी भी व्यक्ति की पहचान उसकी पार्टी से होती है न कि पार्टी की पहचान व्यक्ति से।
17वीं लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा काे श्यामाचरण गुप्त ने तगड़ा झटका दिया। वह पार्टी से बगावत कर अपने पुराने कुनबे सपा में पुन: शामिल होकर बांदा से उम्मीदवार बन गये। वर्ष 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में सपा छोड़कर भाजपा में आये श्री गुप्त ने इलाहाबाद संसदीय सीट पर अपने निकटतम प्रतिद्वन्द्वी सपा के कुंवर रेवती रमण सिंह को 62,009 मतों से पराजित किया था।
श्री गुप्त को 3,13,772 मत मिलेे थे जबकि श्री सिंह के खाते में 2,51,763 मत पड़े थे।
स्थानीय लोगों का इस बार के लोकसभा चुनावों के बारे में कहना है कि मतदाता अब जागरूक हो रहा है। वह बार-बार पाला बदलने वाले नेता पर विश्वास कैसे करे। नेता केवल अपने लाभ के लिए पाला बदलता है, मतदाताओं से उसका कोई लेना-देना नहीं है। जो नेता अपना पुराना घर एक झटके में छोड़कर दूसरे घर में पनाह लेता है उसका कोई विश्वास नहीं होता। उनका कहना है कि दूसरे के घर में पनाह तभी मिल सकती है जब उसकी जुबानी बोलना हो।
सिविल लाइंस क्षेत्र में रेलवे स्टेशन से बस अड्डे पर रिक्शा चलाने वाले बिहार के भागलपुर निवासी गयादीन (52) का कहना है कि उसने कई बार सवारियों को इस तरह की बातें करते सुना है। उसने बताया, “मेरी समझ में भी यह बात थोड़ी आने लगी है।”
attacknews.in