लखनऊ 02 जून । इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खण्डपीठ ने एक अहम फैसला देते हुए नाबालिग से दुष्कर्म के बाद हत्या करने के आरोपी को सत्र अदालत से सुनाई गई फांसी की सजा से बरी कर दिया।
अदालत ने आरोपी को संदेह का लाभ देकर उसकी अपील को मंजूर कर यह फैसला सुनाया है ।
पीठ ने कहा कि अभियोजन घटना को संदेह से परे साबित करने में नाकाम रहा इस आधार पर अदालत सजायाफ्ता को दोषमुक्त करार देकर उसे तत्काल रिहा किए जाने का आदेश दिया है ।
यह मामला बाराबंकी जिले के देवा थाने से सम्बंधित था।
न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा और न्यायामूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने यह अहम फैसला उभान यादव उर्फ अभय कुमार यादव की अपील पर दिया।
सत्र अदालत ने 12 साल की नाबालिग के साथ दुष्कर्म करके हत्या करने के आरोपी उभान को फांसी की सजा सुनाई थी।
इसकी पुष्टि के लिए हाईकोर्ट को वर्ष 2014 में संदर्भ भेजा गया था और सजायाफ्ता की तरफ से अपील भी दायर की गयी थी।
अभियोजन के मुताबिक 30मार्च 2013 को 12 साल की बालिका के साथ दुष्कर्म के बाद गला दबाकर हत्या कर दी गई थी।
अदालत ने कहा “ हम इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि अभियोजन ने जिस तरीके से अपराध किए जाने को बताने की कोशिश की है वह संदेहास्पद है।
ऐसे में अभियोजन मामले को तर्क संगत संदेह से परे साबित करने में नाकाम रहा।
लिहाजा अपीलकर्ता संदेह का लाभ पाने का हकदार है और उसकी अपील मंजूर करने लायक है।