नयी दिल्ली, 27 जनवरी । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को पता चला है कि उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शनों का केरल के संगठन पीएफआई के साथ आर्थिक लेन-देन था।आधिकारिक सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी।
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की धनशोधन रोकथाम कानून के तहत 2018 से जांच कर रहे ईडी ने पता लगाया है कि संसद में पिछले साल कानून पारित होने के बाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अनेक बैंक खातों में कम से कम 120 करोड़ रुपये जमा किए गए।
सूत्रों ने ईडी की जांच रिपोर्ट के निष्कर्षों के हवाले से कहा कि शक है और आरोप हैं कि पीएफआई से जुड़े लोगों ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में सीएए विरोधी प्रदर्शनों को प्रोत्साहित करने के लिए इस पैसे का इस्तेमाल किया।उन्होंने कहा कि ईडी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ इन निष्कर्षों को साझा किया है।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने पिछले दिनों पीएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया था। इससे कुछ दिन पहले ही सीएए के खिलाफ राज्य में हुए हिंसक प्रदर्शनों में उसकी संदिग्ध संलिप्तता की बात सामने आई थी।इन प्रदर्शनों के दौरान करीब 20 लोगों की मौत हो गई थी।
सूत्रों ने बताया कि ईडी को पता चला है कि बैंक खातों में जमा किया गया धन कुछ विदेशी स्रोतों से भी आया और कुछ निवेश कंपनियों के खातों में भेजा गया।ईडी ने पीएफआई के खिलाफ राष्ट्रीय जांच एजेंसी की प्राथमिकी और आरोपपत्र को उसके खिलाफ पीएमएलए का मामला दर्ज करने के लिए आधार बनाया।पीएफआई का गठन केरल में 2006 में नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट (एनडीएफ) के उत्तराधिकारी के तौर पर हुआ था।
CAA against movement के दौरान PFI ने ट्रांसफर किए करोड़ों रुपये,कपिल सिब्बल और इंदिरा जयसिंह का भी नाम;
नागरिकता संशोधन कानून 2019 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन को लेकर यह चौंकाने वाला खुलासा है जिसमें पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) ने पिछले साल दिसंबर में उत्तर प्रदेश में सीएए के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन के लिए 120 करोड़ रुपये का फंड मुहैया कराया था।जानकारी के अनुसार यह पैसा कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल,वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह, दुष्यंत ए दवे और अब्दुल समंद सहित कई नामचीन हस्तियों को ट्रांसफर किया गया। जबकि 1.65 करोड़ रुपये पीएफआइ कश्मीर को ट्रांसफर किए गए।इस दौरान 77 लाख रुपये कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल को दिए गए। दुष्यंत दवे को 11 लाख रुपये, इंदिरा जयसिंह को 4 लाख और अब्दुल समंद को 3.10 लाख रुपये दिए गए। यह लेन-देन 73 बैंक खातों के माध्यम से हुआ है। जानकारी के अनुसार सिब्बल ने इसे लेकर कहा है कि उन्हें यह रकम फीस के तौर मिली है
पीएफआइ हाथ सामने आने के बाद जांच एजेंसियां सतर्क हो गईं थी:
बता दें कि उत्तरप्रदेश समेत कई राज्यों में सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के पीछे पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) का हाथ सामने आने के बाद जांच एजेंसियां सतर्क हो गईं थी।
इसके बाद प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पीएफआइ के खिलाफ पहले से चली आ रही मनी लांड्रिंग की जांच को और तेज कर दिया था। उसके खातों की पड़ताल में आयकर विभाग भी जुट गया था।
इसी के बाद यह खुलासा हुआ है।जांच में पता चला कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के नाम से 27 बैंक खाते खोले गए। 9 बैंक खाते रिहैब इंडिया फाउंडेशन के हैं, जो पीएफआइ से जुड़े संगठन हैं और इसी संगठन ने 17 अलग-अलग लोगों और संगठन के नाम पर 37 बैंक खाते खोले हैं।जांच एजेंसियों को चकमा देने के लिए, 73 खातों में लगभग 120 करोड़ रुपये जमा किए गए थे, लेकिन खातों में मामूली राशि छोड़ दी गई थी। ऐसा प्रतीत होता है कि पैसा जमा करने वालों को एक बार में 50 हजार रुपये से कम जमा करने का निर्देश दिया गया था।
लेनदेन की तारीखें हिंसा की तारीखों से मेल खाती हैं
पीएफआइ के 15 बैंक खातों में लेनदेन की तारीखें भी हिंसा की तारीखों से मेल खाती हैं। इससे हिंसक विरोध और पीएफआइ के बीच एक स्पष्ट संबंध साबित होता है।सीएए के पास होने के बाद पीएफआइ के 15 बैंक खातों में 1. 04 करोड़ जमा किए गए। दिसंबर से जनवरी के बीच इन बैंक खातों से 1.34 करोड़ रुपये निकाले गए। निश्चित दिनों (21 दिसंबर और 12 दिसंबर) पर पीएफआइ के एक खाते से 80-90 बार निकासी की गई
सूत्रों के अनुसार ईडी ने दो भागों में अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपी है। एक भाग केवल चार दिसंबर, जिस दिन नागरिकता संशोधन विधेयक संसद में पेश से हुआ था, से लेकर छह जनवरी के बीच पीएफआइ व उसके सहयोगी संगठनों के खातों में हुए लेन-देन को लेकर है। वहीं दूसरे भाग में पिछले कई सालों में दौरान पीएफआइ व उसके सहयोगी संगठनों व व्यक्तियों के खातों में हुए लेन-देन का ब्यौरा है।पुरानी लेन-देन के सिलसिले में पीएफआइ के खाते से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल को कुल 77 लाख रुपये, इंदिरा जयसिंह को चार लाख रुपये और दुष्यंत दबे को 11 लाख रुपये दिये जाने के साथ-साथ एनआइए द्वारा आरोपित अब्दुल समद को 3.10 लाख रुपये और न्यू जोथी ग्रुप को एक करोड़ 17 लाख रुपये दिये जाने का जिक्र है। इसमें पीएफआइ कश्मीर को भी एक करोड़ 65 लाख रुपये दिये जाने का जिक्र है।
वैसे पीएफआइ और कपिल सिब्बल दोनों ने साफ कर दिया है कि ये पैसे हदिया केस के सिलसिले में फीस के रूप में दिये गए थे और इसका सीएए के खिलाफ ताजा विरोध प्रदर्शनों से कोई लेना-देना नहीं है। वहीं इंदिरा जयसिंह ने पीएफआइ से किसी तरह से धन लेने से साफ इनकार दिया है। पीएफआइ ने ईडी की अनाधिकारिक रूप लीक की गई रिपोर्ट को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा कि पीएफआइ कश्मीर नाम की उसकी कोई इकाई है ही नहीं।
उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार ईडी ने चार दिसंबर से छह जनवरी के बीच कुल 15 खातों में हुए लेन-देन की जांच की। इनमें 10 बैंक खाते पीएफआइ के और पांच खाते उसके सहयोगी संगठन रिहैब इंडिया फाउंडेशन के थे। इस दौरान इन 15 बैंक खातों में कुल 1.04 करोड़ रुपये जमा कराये गए थे। जमाकर्ता की पहचान छुपाने के लिए जमा की राशि को 50 हजार रुपये से कम रखा गया। ये जमा या तो नकद किये गए या फिर मोबाइल के माध्यम से आइएमपीएस किया गया।जमा राशि पांच हजार रुपये 49 हजार रुपये के बीच है। सभी 15 बैंक खाते में जिस तरह से पैसे जमा कराये गए थे उसी तरह से नकद या मोबाइल से एनईएफटी और आइएमपीएस के माध्यम से पैसे निकाले भी गए। ईडी की रिपोर्ट के अनुसार इस दौरान कुल एक करोड़ 34 लाख रुपये निकाले गए। मजेदार बात यह है कि अधिकांश निकासी दो हजार रुपये से पांच हजार रुपये तक की गई।एक बैंक एकाउंट से एक दिन में कई-कई बार पैसे निकाले गए। उदाहरण के तौर पर 12 दिसंबर को एक खाते से कुल 90 बार निकासी की गई थी। यहीं, निकासी के पैटर्न से साफ है कि हिंसक विरोध प्रदर्शन के दिन या उससे एक दिन पहले बड़ी मात्रा में निकासी की गई है।
ईडी के अनुसार इसमें कोई संदेह नहीं है कि छह जनवरी तक सीएए के खिलाफ हिंसक प्रदर्शनों के लिए पीएफआइ ने धन की व्यवस्था की थी। छह जनवरी के बाद की जांच अभी जारी है।सूत्रों के अनुसार एनआइए के केस के बाद ईडी ने पीएफआइ के खिलाफ मनी लांड्रिंग की जांच शुरू की थी। उसके व उसके सहयोगी संगठनों से 73 बैंक खातों की बारीकी से पड़ताल की गई। इनमें 27 पीएफआइ के, नौ रिहैब इंडिया फाउंडेशन के और 17 अलग-अलग बैंकों में उससे संबंधित व्यक्तियों व इकाइयों के 37 खाते शामिल हैं।इन खातों में कुल 120 करोड़ रुपये जमा कराये गए थे और एक-दो दिन के भीतर ही उससे अधिकांश रकम को निकाल भी लिया गया। इनमें जमा का तरीका भी वही नकद, आरटीजीएस और एनईएफटी है। चेक के माध्यम से लेन-देन एक-आध बार ही हुआ है।
खातों के विश्लेषण से साफ हुआ कि नई दिल्ली के नेहरू प्लेस स्थित खाते में पश्चिम उत्तर प्रदेश के बहराइच, बिजनौर, हापुड़, शामली, डासना जैसी जगहों से भारी मात्रा में बार-बार नकदी जमा किये गए हैं। ईडी इसकी पड़ताल में जुटा है। वहीं जोशी ग्रुप तमिलनाडु में पंजीकृत एक साझेदारी फर्म है, जो प्लास्टिक बैग के क्षेत्र में काम करती है। पीएफआइ के साथ उसके लेन-देन के कारणों की पड़ताल की जा रही है।इसी तरह रिहैब इंडिया फाउंडेशन के खाते में दुबई की पीएमए इंटरनेशनल से आए 20 लाख रुपये की जांच की रही है कि आखिर ये पैसे किस बात के लिए दिये गए थे। खुफिया रिपोर्टो में बताया गया है कि पीएफआइ को थानल फाउंडेशन से सक्रिय सहयोग मिलता है। थानल फाउंडेशन पीएफआइ के एक नेता द्वारा चलाया जा रहा एक धार्मिक व धर्मार्थ ट्रस्ट है। जाहिर है थानल फाउंडेशन के वित्तीय स्त्रोतों की जांच भी शुरू हो गई है।