कलाबुर्गी/नईदिल्ली , 20 फरवरी । ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के राष्ट्रीय प्रवक्ता वारिस पठान ने सरकार के खिलाफ मुसलमानों के प्रदर्शन पर आपत्ति जताने वालों पर हमला करते हुए बिना किसी धर्म का नाम लिये कहा कि देश में मुसलमानों की संख्या भले ही 15 करोड़ से कम हो लेकिन जरूरत पड़ने पर वे 100 करोड़ लोगों पर भारी पड़ेंगे।
श्री पठान ने कलबुर्गी में एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अभी तो केवल मुस्लिम महिलाएं बाहर निकली हैं तो पूरा देश परेशान हो गया। जब पूरा समुदाय एकजुट होकर बाहर निकलेगा, तब बहुत बड़ा असर पड़ेगा।
नहीं मांगूंगा माफी
विवादित बयान बयान को लेकर विरोध होना शुरू हो गया है। बीजेपी के नेताओं का कहना है कि उन्हें अपने बयान पर माफी मांगनी चाहिए. नहीं तो उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए. लोगों के विरोध के बाद विवादित टिप्पणी पर वारिस पठान ने सफाई दी है. उन्होंने कहा कि वे माफी नहीं मांगेंगे।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक कर्नाटक के गुलबर्गा में जनसभा को संबोधित करते हुए वारिस पठान ने कहा, ‘हमने ईंट का जवाब पत्थर से देना सीख लिया है. मगर हमको इकट्ठा होकर चलना पड़ेगा. आजादी लेनी पड़ेगी और जो चीज मांगने से नहीं मिलती है, उसको छीन लिया जाता है. हमको कहा जा रहा है कि हमने अपनी मां और बहनों को आगे भेज दिया है. हम कहते हैं कि अभी सिर्फ शेरनियां बाहर निकली हैं, तो आपके पसीने छूट गए. अगर हम सब साथ में आ गए, तो सोच लो क्या होगा. हम 15 करोड़ ही 100 करोड़ लोगों पर भारी हैं. यह बात याद रख लेना.’
#WATCH AIMIM leader Waris Pathan: …They tell us that we’ve kept our women in the front – only the lionesses have come out&you’re already sweating. You can understand what would happen if all of us come together. 15 cr hain magar 100 ke upar bhaari hain, ye yaad rakh lena.(15.2) pic.twitter.com/KO8kqHm6Kg
— ANI (@ANI) February 20, 2020
वारिस पठान के इस बयान पर जब विवाद बढ़ा तो उन्होंने इस पर सफाई भी दी, लेकिन माफी मांगने से इनकार कर दिया. उन्होंने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘मैंने देश और किसी धर्म के खिलाफ कुछ भी नहीं कहा है. सीएए के खिलाफ हर धर्म के लोग प्रदर्शन कर रहे हैं. बीजेपी के नेता तो गोली मारने की बात तक कहते हैं. बीजेपी देश के लोगों को अलग करना चाहती है. यह लोगों को समझना जरूरी है. मैं अपने बयान पर माफी नहीं मांगूंगा.’
इससे पहले 5 फरवरी को पठान ने स्वीकार किया था कि उन्होंने मुंबई के नागपाड़ा इलाके में शाहीन बाग की तरह से विरोध प्रदर्शन आयोजित किया था. वारिस पठान के इस बयान के बाद राजनीति गरम हो गई है. वीएचपी ने वारिस पठान के बयान की आलोचना की है. उधर, मुस्लिम मौलवियों ने भी वारिस पठान के इस बयान की आलोचना की है. उन्होंने कहा कि इस तरह के बयान घृणा को जन्म देते हैं।
गौरतलब हो वारिस पठान मुंबई के भायखला विधानसभा सीट से एआईएमआईएम से विधायक रह चुके हैं. 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी एआईएमआईएम के टिकट पर चुनाव लड़े. लेकिन हार का मुंह देखना पड़ा।
शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों से लगातार दूसरे दिन वार्ताकारों ने बातचीत की
उधर उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त वार्ताकारों ने गुरूवार को लगातार दूसरे दिन शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की जहां लोग संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ पिछले दो महीने से अधिक समय से धरने पर बैठे हैं।
वार्ताकार वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन मीडिया की मौजूदगी में बातचीत शुरू नहीं करना चाह रहे थे।
प्रदर्शनकारियों ने उन्हें मनाने की कोशिश की कि वे अपनी बात मीडिया के सामने रखना चाहते हैं, लेकिन पत्रकारों को बाद में जाने को कहा गया।
रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आपने बुलाया हम चले आये।’’
उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा था कि शाहीन बाग में सड़क बंद होना परेशानी पैदा करने वाला है और प्रदर्शनकारियों को किसी दूसरी जगह जाना चाहिए जहां कोई सार्वजनिक स्थान अवरुद्ध नहीं हो। हालांकि शीर्ष अदालत ने प्रदर्शनकारियों के विरोध के अधिकार को बरकरार रखा।
शीर्ष अदालत ने हेगड़े से प्रदर्शनकारियों को किसी वैकल्पिक स्थान पर जाने के लिए मनाने में भी सकारात्मक भूमिका निभाने को कहा। उसने कहा कि वार्ताकार इस मामले में पूर्व नौकरशाह वजाहत हबीबुल्ला की मदद मांग सकते हैं।
हेगड़े ने कहा कि शीर्ष अदालत ने उनके प्रदर्शन के अधिकार को माना है।
हेगड़े ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब शाहीन बाग भारत में प्रदर्शन का उदाहरण बन गया है तो हमें ऐसे प्रदर्शन की मिसाल पेश करनी चाहिए जो किसी को परेशान नहीं करे। आप सभी इस बात को लेकर आश्वस्त रहें कि हम यहां आपके लिए लड़ने आये हैं। यह मत सोचिए कि जगह बदलने से आपकी लड़ाई कमजोर हो जाएगी।’’
वरिष्ठ वकील ने कहा, ‘‘हमने देखा है कि कई प्रधानमंत्री आये और चले गये। जो भी सत्ता में आता है और देश चलाता है, उनमें से कई बार कुछ सही हो सकते हैं तो कुछ गलत हो सकते हैं। आप जो कह रहे हैं, उसे पूरा देश सुन रहा है और प्रधानमंत्री भी।’’
प्रदर्शनकारी नागरिकता संशोधन कानून को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।
रामचंद्रन ने कहा कि वह उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं जब देश का माहौल बदलेगा।
इस मौके पर एक बुजुर्ग ने अपने बच्चों की हिफाजत को लेकर फिक्र जताते हुए कहा, ‘‘मैं बहुत डरा हुआ हूं। मैं अपने बच्चों के लिए डरा हुआ हूं। मैडम मुझे बचाइए।’’
जब रामचंद्रन ने उनके डर के बारे में और पूछा तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं अकेला पिता हूं। मैं मर जाऊंगा लेकिन मेरे बच्चों को यहां हक के साथ रहने देना चाहिए। मेरी बच्चियां स्कूल जाती हैं जहां उनसे कहा जा रहा है कि आपको देश से निकाला जाएगा।’’
दोनों वार्ताकारों ने बुधवार को भी शाहीन बाग का दौरा किया था और प्रदर्शनकारियों से बातचीत शुरू करते हुए कहा था कि शीर्ष अदालत ने विरोध प्रदर्शन के उनके अधिकार को बरकरार रखा है लेकिन इससे अन्य नागरिकों के अधिकार प्रभावित नहीं होने चाहिए।