इंदौर, 08 मार्च । मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने खरगोन जिले स्थित अहिल्याबाई होल्कर के महेश्वर किले के मालिकाना हक को लेकर दायर एक पुनर्विचार याचिका पर राज्य शासन के एक दर्जन संबंधित जिम्मेदारों से आगामी दो सप्ताह में जवाब तलब किया है।
न्यायाधीश सुजॉय पॉल और न्यायाधीश शैलेन्द्र शुक्ला की युगलपीठ ने याचिकाकर्ता रिचर्ड होलकर के द्वारा शीघ्र सुनवाई के आग्रह पर आज सुनवाई की। इससे पहले गत 20 जनवरी को न्यायालय ने राज्य शासन को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में जवाब तलब किया था। निर्धारित समय सीमा में जवाब न देने पर आज अदालत दोबारा राज्य शासन से दो सप्ताह में जवाब देने के आदेश जारी किया है।
याचिका में कहा गया है कि तत्कालीन स्वर्गीय महाराजा यशवंत राव होल्कर द्वितीय की स्वर्गीय पत्नी और महारानी अनुराधा दुबे के मुख्यतारनामे (पॉवर ऑफ़ अटर्नी) के जरिये याची रिचर्ड होल्कर का महेश्वर के किले पर मालिकाना हक है।
लिहाजा किले के मालिकाना हक राज्य सरकार और खासगी ट्रस्ट से लेकर उन्हें सौंपा जाये।
इससे पहले अक्टूबर 2020 को उच्च न्यायालय की इंदौर खंडपीठ ने ही एक जनहित याचिका समेत संबंधित विषय पर दायर अन्य दो याचिकाओं को निराकृत करते हुए एक आदेश जारी किया था।
इस आदेश में अदालत ने तत्कालीन होलकर राजवंश की 250 से ज्यादा ऐसी संपत्तियों को जिसकी देखरेख करने का दायित्व खासगी ट्रस्ट के पास हैं, इन सभी संपत्तियों को मध्यप्रदेश शासन को अपने अधिकार में लेने का आदेश दिया था।
इसके फलस्वरूप राज्य शासन ने महेश्वर का किला सहित 150 से ज्यादा संपत्तियों को अपने अधिकार में ले लिया था।
इसी बीच खासगी ट्रस्ट ने उच्च न्यायालय के इस आदेश को उच्चतम न्यायालय के समक्ष चुनौती दी थी।
इस पर उच्चतम न्यायालय ने खासगी ट्रस्ट को अंतरिम राहत देते हुए यथास्थिति बनाये रखने के आदेश मध्यप्रदेश सरकार को दिए हैं।
रिचर्ड होलकर द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका में प्रमुख सचिव सामान्य प्रशासन विभाग, संभागीय आयुक्त इंदौर, कलेक्टर इंदौर और खरगोन समेत एक दर्जन जिम्मेदारों और संबंधितों को पक्षकार बनाया गया हैं।
याचिका की आगामी सुनवाई 01 अप्रैल 2021 को संभावित हैं।