नयी दिल्ली 21 जनवरी । दिल्ली में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) को आज उस समय करारा झटका लगा जब राष्ट्रपति ने लाभ के पद मामले में उसके 20 विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की निर्वाचन आयोग की सिफारिश पर अपनी मुहर लगा दी।
सत्तर सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में अब आप के विधायकों की संख्या 66 से घटकर 46 रह गयी है, हालाँकि इस निर्णय से पार्टी के बहुमत पर कोई असर नहीं पड़ा है।
इस निर्णय से दिल्ली में इन सीटों पर उप चुनाव का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
मनोज तिवारी ने राष्ट्रपति के फैसले का किया स्वागत
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दिल्ली इकाई के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने लाभ के पद के मामले में राष्ट्रपति की ओर से आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों अयोग्य ठहराये जाने का स्वागत किया है।
श्री तिवारी ने कहा कि राष्ट्रपति ने विधायकों के मामले में तेजी से निर्णय लेकर लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए बड़ा योगदान किया है।attacknews.in
उन्होंने कहा कि दिल्ली के लोगों को उम्मीद है कि आप के सभी विधायक अयोग्य करार दिये जाने के बाद मिलने वाली वित्तीय लाभ वापस कर देंगे।
लाभ के पद मामले में भाजपा-आप के बीच हुई ‘डील’ : कांग्रेस
कांग्रेस ने लाभ के पद मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आम आदमी पार्टी (आम) के बीच ‘डील’ होने का अारोप लगाते हुए आज कहा कि यदि चुनाव आयोग ने दिल्ली में राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद ही इसका फैसला दे दिया होता तो अंदरूनी फूट के कारण ‘आप’ टूट गयी होती।attacknews.in
कांग्रेस प्रवक्ता एवं दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन ने यहां पार्टी मुख्यालय में प्रेस ब्रीफिंग के दौरान इस मामले को लेकर चुनाव आयोग को भी लपेटे में लेते हुये आरोप लगाया कि उसने ‘आप’ को फायदा पहुंचाने के लिए उसके 20 विधायकों के लाभ के पद के मामले में फैसला देने में जान-बूझकर देर की।
उन्होंने कहा कि यदि इस मामले में फंसे उसके 20 विधायक उसी समय अयोग्य करार दे दिये गये होते तो वे राज्यसभा में चुनाव में वोट नहीं दे सकते थे।attacknews.in