नई दिल्ली 22 मार्च । देश में आधार कार्ड जारी करने वाली अथॉरिटी यूआईडीएआई को खुद पता नहीं है कि आधार न होने के कारण कितने लोग लाभ से वंचित रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को जब यह पूछा कि क्या ऐसा कोई आधिकारिक डेटा है कि जिससे यह पता चल सके कि कितने लोगों को आधार न होने या आधार ऑथेंटिकेशन न होने की वजह से लाभ से वंचित किया गया। इस पर आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के सीईओ अजय भूषण पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में ऐसी कोई जानकारी होने से मना कर दिया।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में पांच जजों की बेंच के सामने अजय भूषण पांडे ने पावर पॉइंट प्रजेंटेशन दी। पांच जजों की बेंच में सीजेआई के अलावा ऐके सीकरी, एएम खानविलकर, डीवाई चंद्रचूढ़ और अशोक भूषण शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट के आधार के कारण लाभ से वंचित रहने के सवाल के अलावा डेटा की सिक्यॉरिटी के बारे में भी पूछा। इस पर यूआईडीएआई के सीईओ ने कहा कि आधार ने नागरिकों को एक मजबूत, जीवन पर्यंत, पुन: उपयोग करने योग्य और राष्ट्रीय स्तर पर ऑनलाइन सत्यापन करने वाला आईडी कार्ड प्रदान किया।
डेटा की सुरक्षा के मुद्दे पर सीईओ अजय भूषण पांडे ने कहा कि नामांकन एजेंसी के नामांकन के बाद बायॉमेट्रिक डीटेल सब्मिट करने के बाद डेटा एन्क्रिप्ट किया जाता है और उसे सेंट्रल आइडेंटिटीज डेटा रिपॉजिटरी में जमा किया जाता है। ऑथेंटिकेशन प्रोसेस के बाद यूआईडीएआई आधार को इस्तेमाल कर की गई किसी भी ट्रांजेक्शन को ट्रैक नहीं करता है।
पांडे ने बताया कि यदि कोई व्यक्ति आधार कार्ड का इस्तेमाल कर बैंक अकाउंट खुलवाता है या फोन की सिम लेता है तो यूआईडीएआई उसका फोन नंबर या बैंक खाता नंबर पता नहीं लगा सकता है।
इस दौरान बेंच ने इस बात का भी जिक्र किया कि यह सॉफ्टवेयर देश से बाहर बना है, ऐसे में डेटा की टेंपरिंग की संभावना भी है। इस पर सीईओ ने कहा कि ये हमारे सॉफ्टवेयर हैं और इन्हें हमने ही डेवेलप किया है। सिर्फ बायोमेट्रिक मैचिंग सॉफ्टवेयर तीन कंपनियों से खरीदे गए हैं। इसके अलावा उन्होंने बताया कि आधार सॉफ्टवेयर इंटरनेट से लिंक नहीं है, क्योंकि हमें इस बात की जानकारी थी कि कुछ लोग सिस्टम हैक कर सकते हैं।attacknews.in