नयी दिल्ली, 26 जनवरी । देश के 72वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर यहां राजपथ पर परेड में हाल ही में वायुसेना में शामिल किये गए राफेल लड़ाकू विमान ने पहली बार हिस्सा लिया और एकल प्रदर्शन के तहत आकाश में ‘ब्रह्मास्त्र’ की आकृति और चार अन्य लड़ाकू विमानों के साथ ‘एकलव्य’ आकृति बनाने का अद्भत नजारा प्रस्तुत किया।
एकलव्य आकृति का निर्माण करते हुए राफेल विमान का साथ दो जगुआर और दो मिग-29 विमानों ने दिया । राफेल की अगुवाई में इन लड़ाकू विमानों ने आसमान में ‘वी’ आकृति उकेरी।
गणतंत्र दिवस परेड देखने करीब 25 हजार की संख्या में आए लोग आकाश की ओर टकटकी लगाये हुए थे । जब राफेल ने आसमान में ब्रह्मास्त्र की आकृति उकेरी और कुछ दूरी तक नीचे की ओर आकर फिर 90 डिग्री पर उड़ान भरी तब लोगों का उत्साह देखते ही बनता था ।
गौरतलब है कि पिछले वर्ष 10 सितंबर को भारतीय वायुसेना में पांच बहुभूमिका वाले राफेल लड़ाकू विमान शामिल किये गए जिससे भारत की वायु रक्षा क्षमता में काफी इजाफा हुआ है ।
मंगलवार को गणतंत्र दिवस परेड में भारतीय वायु सेना के 38 विमानों ने हिस्सा लिया जबकि भारतीय सेना के चार विमान इसमें शामिल हुए। इसमें ब्रह्मोस मिसाइल का भी प्रदर्शन किया गया।
गणतंत्र दिवस पर पारंपरिेक रूप से ही आकाशीय परेड (फ्लाई पास्ट) को दो हिस्सों में बांटा गया था । इसमें पहले हिस्से के तहत प्रदर्शन परेड के साथ हुआ जबकि दूसरे हिस्से में विमानों ने परेड के बाद अद्भुत करतब दिखाये ।
पहले हिस्से में चार एमआई 17 वी5 हेलीकॉप्टरों ने ‘निशान’ आकृति बनाई और राष्ट्र ध्वज के साथ तीनों सेनाओं के प्रतीक चिन्ह का प्रदर्शन किया ।
इसके बाद चार हेलीकाप्टरों ने ‘ध्रुव’ आकृति बनाई। फिर एक डकोटा विमान के साथ दो एमआई 17 वी5 हेलीकाप्टरों ने ‘रूद्र’ आकृति उकेरी। डकोटा विमान ने 1971 के युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी । भारत ने 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर विजय को मनाने के लिये एक वर्ष के कार्यक्रमों की श्रृंखला शुरू की है। इस युद्ध के बाद बांग्लादेश का निर्माण हुआ था ।
विमानों के प्रदर्शन के दूसरे हिस्से में नौ आकृतियों का निर्माण किया गया जिसमें सुदर्शन, रक्षक, भीम, नेत्र, गरूड़, एकलव्य, त्रिनेत्र, विजय और ब्रह्मास्त्र आकृतियां शामिल हैं ।
परेड में एक चिनूक और दो एमआई17 वी5 हेलीकाप्टरों ने सुदर्शन आकृति बनाई जबकि एक एमआई-35 और चार अपाचे हेलीकॉप्टरों ने रक्षक, तीन सी-130जे विमानों ने भीम आकृति तथा दो सुखोई विमानों के साथ स्वदेशी त्वरित चेतावनी और नियंत्रण विमान-नेत्र की आकृति उकेरी।
दो मिग-29 और दो सुखाई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों के साथ सी-17 ग्लोबमास्टर ने गरूड़ की आकृति का निर्माण किया जबकि तीन सुखोई-30 एमकेआई विमानों ने त्रिनेत्र आकृति बनाई। तीन उन्नत हल्के हेलीकॉप्टरों ने विजय आकृति का निर्माण किया ।
गणतंत्र दिवस परेड के दौरान हल्के लड़ाकू विमान तेजस और स्वदेशी टैंक रोधी मिसाइल ध्रुवास्त्र के मॉडल का भी प्रदर्शन किया गया। परेड के दौरान झांकी में विकिरण रोधी मिसाइल रूद्रम और अन्य हथियारों का भी प्रदर्शन किया गया ।
इसमें टैंक-रोधी प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकियों में भारत की सफलता को प्रदर्शित करते हुए डीआरडीओ की एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइल (एटीजीएम) सिस्टम के पूर्ण परिशिष्ट को दर्शाने वाली झांकी प्रस्तुत की गई ।
इसके अलावा झांकियों में नाग (एनएजी), हेलिना (एचईएलआईएनए), एमपीएटीजीएम, सैंट(एसएएनटी) आदि भी प्रदर्शित किये गए ।
परेड में भारतीय वायु सेना के मार्चिंग दस्ते में चार अधिकारी और 96 सैनिक शामिल थे। मार्चिंग दस्ते का नेतृत्व फ्लाइट लेफ्टिनेंट तानिक शर्मा ने किया और इसमें अन्य अधिकारियों में फ्लाइट लेफ्टिनेंट मनजीत सिंह, फ्लाइट लेफ्टिनेंट अपूर्वा यादव और फ्लाइट लेफ्टिनेंट कुटप्पा शामिल थे ।
गणतंत्र समारोह की रही धूम:
देश में मंगलवार को 72वें गणतंत्र दिवस की धूम रही और यहां राजपथ पर भारत ने एक बार फिर दुनिया के सामने अपने शौर्य एवं संस्कृति के वैभव का शानदार प्रदर्शन किया।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद,उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू , प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी , केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और अन्य मंत्रियों तथा गणमान्य हस्तियों ने देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं दी।
प्रधानमंत्री ने इंडिया गेट स्थित राष्ट्रीय समर स्मारक पर शहीद सैनिकों को श्रद्धांजलि देकर की। यहां शहीदों को गार्ड कमांडर द्वारा सलामी शस्त्र दिया गया तथा उनके सम्मान में दो मिनट का मौन रखा गया। मौन के समापन पर बिगुल वादकों ने ‘राउज’ धुन बजायी। इसके बाद प्रधानमंत्री मोदी और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने सलामी मंच की ओर प्रस्थान किया।
राष्ट्रपति 46 सजीले घुड़सवार अंगरक्षकों के साथ राजपथ पर पधारे, जहां प्रधानमंत्री मोदी ने उनकी अगवानी की। लेफ्टिनेंट कर्नल जितेन्दर सिंह मेहता के नेतृत्व में राष्ट्रपति को 21 तोपों की सलामी दी गई। श्री कोविंद ने यहां तिरंगा फहराया। भारतीय सेना के अधिकारी मेजर स्वामी नंदन ने झंडा फहराने में उनकी सहायता की। इसके बाद राष्ट्रगान शुरू हुआ।
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 के मद्देनजर इस बार कोई विदेशी हस्ती मुख्य अतिथि के तौर पर समारोह में शामिल नहीं हुई , हालांकि सरकार ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन को मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया था, लेकिन ब्रिटेन में कोरोना महामारी के कारण उत्पन्न प्रतिकूल स्थिति के मद्देनजर उन्होंने आने में असमर्थता व्यक्त कर दी थी।
राष्ट्रगान के समापन के बाद राष्ट्रपति भवन की ओर से 155 हेलिकाॅप्टर यूनिट के चारमी-17 वी-5 हेलिकाॅप्टर ‘वाइनग्लास’ के आकार में उड़ान भरते हुए सलामी मंच की ओर आए, जिसका नेतृत्व विंग कमांडर निखिल मेहरोत्रा ने किया। उनके पीछे एस्टर्न पोजीशन में विंग कमांडर मयंक पालीवाल थलसेना का ध्वज, उनके बाईं ओर विंग कमांडर कुणाल नौसेना और दायीं ओर तथा सलामी मंच की तरफ विंग कमांडर डबराल ने भारतीय वायुसेना का ध्वज लहरा रहे हेलिकाॅप्टर से फूलों की पंखुड़ियां बिखेरते हुए दर्शकों का अभिवादन किया।
गणतंत्र दिवस के मौके पर सुरक्षा के पुख्ता इंजाम किए गए थे। राष्ट्रीय राजधानी में चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाकर्मी तैनात थे। साथ ही दिल्ली पुलिस सीसीटीवी के माध्यम से शहर की हर गतिविधि पर नजर रख रही थी। गणतंत्र दिवस समारोह के बाद किसानों की ट्रैक्टर रैली के मद्देनजर पुलिस ने सुरक्षा के चाकचौबंद बंदोबस्त किये थे।
राजपथ पर परेड की शुरुआत परमवीर चक्र तथा अशोक चक्र विजेताओं ने की। इनमें सूबेदार मेजर योगेन्द्र सिंह यादव, पीवीसी 18 ग्रेनेडियर्स, सूबेदार संजय कुमार, पीवीसी, 13 जम्मू -कश्मीर राइफल्स तथा अशोक चक्र से सम्मानित विजेताओं में लेफ्टिनेंट कर्नल डी श्रीराम कुमार शामिल थे।
वहीं राजपथ पर पहली बार बंगलादेश की सशस्त्र सेनाओं के 122 सैनिकों के मार्चिंग दस्ते ने भी अपनी उपस्थिति दर्ज करायी। इस दस्ते का नेतृत्व लेफ्टिनेंट कर्नल अबु मोहम्मद शाहनूर शावोन, डिप्टी लेफ्टिनेंट फरहान इशराक और फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिबत रहमान कर रहे थे। इस दस्ते में बंगलादेश की थल सेना, नौसेना और वायुसेना के जवान शामिल थे। इससे पहले वर्ष 2016 में फ्रांस की सेना के दस्ते ने परेड की शान बढ़ायी थी।
परेड में कुल 18 मार्चिंग दस्तों ने हिस्सा लिया जिनमें 16 सैन्य और सुरक्षा बलों के तथा एक घुड़सवारों का तथा एक ऊंट पर सवार जवानों का था। परेड में सेना तथा सुरक्षा बलों के 36 बैंड भी अपनी स्वर लहरी से दर्शकों को मंत्रमुग्ध किया। वहीं इस साल राज्यों और विभिन्न विभागों की 32 झांकियां भी राजपथ पर निकाली गयीं। साथ ही पन्द्रह वर्ष से अधिक आयु के स्कूली बच्चों ने सांस्कृतिक तथा कला कार्यक्रम पेश किये। परेड में विभिन्न राज्यों ने अपनी झांकियां प्रस्तुत की।
समारोह में वैश्विक महामारी कोरोना का असर देखने को मिला। प्रत्येक वर्ष परेड राजपथ से शुरू होकर लालकिला तक यानी 8.2 किलोमीटर की दूरी तय करती थी, लेकिन इस बार राजपथ से चलकर इंडिया गेट के नेशनल स्टेडियम तक यानी सिर्फ 3.3 किलोमीटर के दायरे में ही समाप्त हो गयी। परेड के मौके पर राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेता बच्चों को भी नहीं बुलाया गया। हर साल जहां गणतंत्र दिवस परेड देखने के लिए लगभग एक लाख लोग मौजूद रहते थे, वहीं इस बार करीब 25 हजार लोग ही मौजूद रहें। अपने हैरतअंगेज करतबों से दर्शकों के रोंगटे खड़े कर देने वाले मोटरसाइकिल दस्ते के जांबाज जवान भी इस बार राजपथ की शान बढ़ाने के लिए मौजूद नहीं थे।