संबलपुर (ओडिशा)/नईदिल्ली , 29 नवंबर ।सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देश को 2024 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रही है और आर्थिक नरमी के इस दौर से बाहर आने के लिए कदम उठा रही है। प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव प्रमोद कुमार मिश्रा ने शुक्रवार को यह बात कही।
मिश्रा ने यहां संबलपुर विश्वविद्यालय के 30वें दीक्षांत समारोह में कहा कि देश गतिशीलता की नयी भावना को महसूस कर रहा है और प्रधानमंत्री मोदी के ‘न्यू इंडिया’ के दृष्टिकोण को ध्यान में रखते हुए कई पहल की जा रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘आर्थिक मोर्च पर प्रधानमंत्री ने देश को 2024 तक पांच हजार अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। यद्पि यह एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य है। हम इसे पाने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं और इसी रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं।’’
देश की आर्थिक बुनियाद को मजबूत बताते हुए मिश्रा ने कहा कि 2014-19 में देश की औसत आर्थिक वृद्धि दर आजादी के बाद 7.5 प्रतिशत के सबसे उच्च स्तर पर रही है। यह जी-20 समूहों में भी सबसे ऊपर है।
जीडीपी में नरमी के मामले पर उन्होंने कहा कि वैश्विक उत्पादन की वृद्धि दर में नरमी का असर देश पर भी पड़ा है। वहीं अधिक पारदर्शिता लाने, व्यवस्था में लीकेज को रोकने और सरकार का प्रशासन बेहतर करने से भी कुछ व्यवधान हुआ है।
गौरतलब है कि शुक्रवार को सरकार द्वारा जारी आधिकारिक आंकड़ों में देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घटकर 4.5 प्रतिशत रह गयी है।
50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य हुआ दूर : गर्ग
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर के गिरकर 26 तिमाहियों के निचले स्तर 4.5 प्रतिशत आने से देश को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य करीब एक वर्ष पीछे हो गया है।
आर्थिक मामलों के विभाग के पूर्व सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को लेकर आँकड़े जारी किये जाने के बाद कहा कि 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य एक वर्ष पिछड़ गया है। उन्होंने अपने ब्लॉग में कहा कि रियल टाइम के मामले में जीडीपी वृद्धि दर एक दशक के निचले स्तर पर आ गयी है। दूसरी तिमाही में जीडीपी के 4.5 प्रतिशत बढ़ने के कारण चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में विकास दर 4.6 प्रतिशत रह गयी है।
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2024-25 तक देश को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है। उन्होंने बजट पेश करते समय कहा था कि इसके लिए 12 प्रतिशत की वार्षिक विकास दर की जरूरत होगी।
उन्होंने कहा कि वर्ष 1991 में आर्थिक उदारीकरण के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था कभी-कभार ही पाँच प्रतिशत से कम दर से बढ़ी है। उन्होंने लिखा कि तकनीकी तौर पर देखा जाये तो भारत मंदी के चपेट में नहीं है क्योंकि विकसित देशों की विकास दर 0.3 प्रतिशत है।
श्री गर्ग ने हालाँकि लिखा है कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं के नेतृत्वकर्ता के तौर पर भारत पिछले 20 वर्षाें में 7.5 प्रतिशत से अधिक की दर से बढ़ा है, लेकिन एक वर्ष में पाँच प्रतिशत से कम की वृद्धि दर आर्थिक सुस्ती नहीं मंदी से बढ़कर है।