वह झूठ का खुलासा जो फैलाया गया:भारत की टीकाकरण प्रक्रिया पर मिथक और तथ्य; ये मिथक ग़लत बयानों, आधे सच और खुलेआम बोले जा रहे झूठ के कारण फैल रहे हैं attacknews.in

नईदिल्ली 27 मई ।भारत के कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम को लेकर कई तरह के मिथक फैलाए जा रहे हैं। ये मिथक ग़लत बयानों, आधे सच और खुलेआम बोले जा रहे झूठ के कारण फैल रहे हैं।

नीति आयोग में सदस्य (स्वास्थ्य) और कोविड-19 (एनईजीवीएसी) के लिए वैक्सीन प्रबंधन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के अध्यक्ष डॉ. विनोद पॉल ने इन सभी मिथकों से जुड़े झूठ को एक सिरे से ख़ारिज करते हुए इन सभी मुद्दों पर सही तथ्य की जानकारी दी हैं।

यह मिथक और इनके सही तथ्य इस प्रकार हैः

मिथक 1: केंद्र विदेशों से टीके खरीदने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है

तथ्य: केंद्र सरकार 2020 के मध्य से ही सभी प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन निर्माताओं के साथ लगातार संपर्क बनाए हुए है। फाइजर, जेएंडजे और मॉडर्ना के साथ कई दौर का वार्तालाप हो चुका है। सरकार ने उन्हें भारत में उनके टीकों की आपूर्ति और/अथवा इन्हें बनाने के लिए सभी प्रकार की सहायता की पेशकश की है। हालांकि, ऐसा नहीं है कि उनके टीके निःशुल्क रूप से आपूर्ति के लिए उपलब्ध हैं। हमें यह समझने की जरूरत है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर टीके खरीदना ‘ऑफ द शेल्फ’ वस्तु खरीदने के समान नहीं है। विश्व स्तर पर टीके सीमित आपूर्ति में हैं, और सीमित स्टॉक को आवंटित करने में कंपनियों की अपनी प्राथमिकताएं, योजनाएं और मजबूरियां हैं। वे अपने मूल देशों को भी प्राथमिकता देती हैं जैसे हमारे अपने वैक्सीन निर्माताओं ने हमारे लिए बिना किसी संकोच के किया है। फाइजर ने जैसे ही वैक्सीन की उपलब्धता का संकेत दिया, इसके बाद से ही केंद्र सरकार और कंपनी वैक्सीन के जल्द से जल्द आयात के लिए मिलकर कार्य कर रही हैं। भारत सरकार के प्रयासों के परिणामस्वरूप, स्पूतनिक वैक्सीन परीक्षणों में तेजी आई और समय पर अनुमोदन के साथ, रूस ने हमारी कंपनियों को टीके की दो किश्तें भेजते हुए निपुण तकनीक-हस्तांतरण पहले ही कर दी हैं और अब बहुत जल्द ही ये कंपनियां इसका निर्माण भी शुरू कर देंगी। हम सभी अंतर्राष्ट्रीय वैक्सीन निर्माताओं से भारत में आने और भारत और दुनिया के लिए वैक्सीन बनाने के अपने अनुरोध को दोहराते हैं।

मिथक 2: केंद्र ने विश्व स्तर पर उपलब्ध टीकों को मंजूरी नहीं दी है

तथ्य: केंद्र सरकार ने अप्रैल में ही भारत में यूएस एफडीए, ईएमए, यूके की एमएचआरए और जापान की पीएमडीए और डब्ल्यूएचओ की आपातकालीन उपयोग सूची द्वारा अनुमोदित टीकों को प्राप्त करने की प्रक्रिया को आसान बना दिया है। इन टीकों को पूर्व ब्रिजिंग परीक्षणों से गुजरने की आवश्यकता नहीं होगी। अन्य देशों में निर्मित बेहतर तरीके से परीक्षित और जाँचे गए टीकों के लिए परीक्षण आवश्यकता को पूरी तरह से समाप्त करने के लिए प्रावधान में अब और संशोधन किया गया है। औषधि नियंत्रक के पास अनुमोदन के लिए किसी विदेशी विनिर्माता का कोई आवेदन लंबित नहीं है।

मिथक 3: केंद्र टीकों के घरेलू उत्पादन में तेजी लाने के लिए पर्याप्त प्रयास नहीं कर रहा है

तथ्य: केंद्र सरकार 2020 की शुरुआत से ही अधिक कंपनियों को टीके का उत्पादन करने में सक्षम बनाने के लिए एक प्रभावी सूत्रधार की भूमिका निभा रही है। केवल 1 भारतीय कंपनी (भारत बायोटेक) है जिसके पास आईपी है। भारत सरकार ने सुनिश्चित किया है कि भारत बायोटेक के अपने संयंत्रों को बढ़ाने के अलावा 3 अन्य कंपनियां/संयंत्र कोवैक्सीन का उत्पादन शुरू करेंगी, जो अब 1 से बढ़कर 4 हो गई हैं। भारत बायोटेक द्वारा कोवैक्सीन का उत्पादन अक्टूबर तक 1 करोड़ प्रति माह से बढ़ाकर 10 करोड़ माह किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त, तीनों सार्वजनिक उपक्रमों का लक्ष्य दिसंबर तक 4.0 करोड़ खुराक तक उत्पादन करने का होगा। सरकार के निरंतर प्रोत्साहन से, सीरम इंस्टीट्यूट प्रति माह 6.5 करोड़ खुराक के कोविशील्ड उत्पादन को बढ़ाकर 11.0 करोड़ खुराक प्रति माह कर रहा है। भारत सरकार रूस के साथ साझेदारी में यह भी सुनिश्चित कर रही है कि स्पूतनिक का निर्माण डॉ. रेड्डी के समन्वय के साथ 6 कंपनियों द्वारा किया जाएगा। केन्द्र सरकार जायडस कैडिला, बायोई के साथ-साथ जेनोवा के अपने-अपने स्वदेशी टीकों के लिए कोविड सुरक्षा योजना के तहत उदार वित्त पोषण के साथ-साथ राष्ट्रीय प्रयोगशालाओं में तकनीकी सहायता के प्रयासों का भी समर्थन कर रही है। भारत बायोटेक की एकल खुराक इंट्रानेसल वैक्सीन का विकास भी भारत सरकार के वित्त पोषण के साथ बेहतर रूप से आगे बढ़ रहा है, और यह दुनिया के लिए एक शानदार उपलब्धि हो सकती है। 2021 के अंत तक हमारे वैक्सीन उद्योग द्वारा 200 करोड़ से अधिक खुराक के उत्पादन का अनुमान ऐसे ही प्रयासों और निरंतर समर्थन एवं साझेदारी का परिणाम है। पारंपरिक के साथ-साथ अत्याधुनिक डीएनए और एमआरएनए प्लेटफार्मों में किए जा रहे इन प्रयासों के संबंध में न जान कितने देश इतनी बड़ी क्षमता के साथ निर्माण का सिर्फ सपना ही देख सकते हैं। भारत सरकार और वैक्सीन निर्माताओं ने दैनिक आधार पर निर्बाध जुड़ाव के साथ इस मिशन में एक टीम इंडिया के रूप में काम किया है।

मिथक 4: केंद्र को अनिवार्य लाइसेंसिंग लागू करनी चाहिए

तथ्य: अनिवार्य लाइसेंसिंग एक बहुत ही आकर्षक विकल्प नहीं है क्योंकि यह एक ऐसा ‘फॉर्मूला’ नहीं है जो अधिक मायने रखता हो, लेकिन सक्रिय भागीदारी, मानव संसाधनों का प्रशिक्षण, कच्चे माल की सोर्सिंग और जैव-सुरक्षा प्रयोगशालाओं के उच्चतम स्तर की आवश्यकता है। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण एक कुंजी है और यह उस कंपनी के नियंत्रण में होता है जिसने अनुसंधान और विकास किया है। वास्तव में, हम अनिवार्य लाइसेंसिंग से एक कदम आगे बढ़ चुके हैं और कोवैक्सीन के उत्पादन को बढ़ाने के लिए भारत बायोटेक और 3 अन्य संस्थाओं के बीच सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित कर रहे हैं। स्पूतनिक के लिए भी इसी तरह की व्यवस्था का पालन किया जा रहा है। इस बारे में सोचें: मॉडर्ना ने अक्टूबर 2020 में कहा था कि वह अपनी वैक्सीन बनाने वाली किसी भी कंपनी पर मुकदमा नहीं करेगी, लेकिन फिर भी एक भी कंपनी ने ऐसा नहीं किया है, जिससे पता चलता है कि लाइसेंसिंग सबसे छोटी समस्या है। अगर वैक्सीन बनाना इतना आसान होता, तो विकसित देशों में भी वैक्सीन की खुराक की इतनी कमी क्यों होती?

मिथक 5: केंद्र ने राज्यों पर अपनी जिम्मेदारी को छोड़ दिया है

तथ्य: केंद्र सरकार वैक्सीन निर्माताओं को फंडिंग से लेकर उन्हें भारत में विदेशी टीके लाने के लिए उत्पादन में तेजी लाने हेतु शीघ्रता से मंजूरी देने से लेकर हर तरह के जरूरी कार्यों को अंजाम दे रही है। केंद्र द्वारा खरीदा गया टीका लोगों को निःशुल्क रूप से लगाने के लिए राज्यों को पूरी तरह से आपूर्ति की जाती है। यह सब राज्यों के संज्ञान में है। भारत सरकार ने केवल राज्यों को उनके ही स्पष्ट अनुरोध करने के बाद, स्वयं टीकों की खरीद का प्रयास करने में सक्षम बनाया है। राज्यों को देश में उत्पादन क्षमता और विदेशों से सीधे टीके खरीदनें में क्या कठिनाइयाँ आती हैं, इसके बारे में अच्छी तरह से पता था। वास्तव में, भारत सरकार ने जनवरी से अप्रैल तक संपूर्ण टीका कार्यक्रम चलाया और मई की स्थिति की तुलना में यह काफी बेहतर तरीके से प्रशासित था। लेकिन जिन राज्यों ने इन 3 महीनों में स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कार्मिकों के टीककरण की दिशा में अच्छा कवरेज हासिल नहीं किया था, वे टीकाकरण की प्रक्रिया को खोलना चाहते थे और इसका अधिक विकेंद्रीकरण चाहते थे। स्वास्थ्य राज्य का विषय है और उदारीकृत टीका नीति राज्यों द्वारा उन्हें अधिक अधिकार देने के लिए किए जा रहे लगातार अनुरोधों का ही परिणाम थी। तथ्य यह है कि उनकी वैश्विक निविदाओं का कोई परिणाम नहीं निकला, और यह इस बात की भी पुष्टि करता है जिसे हम राज्यों को पहले दिन से बता रहे हैं: कि दुनिया में टीके की आपूर्ति कम मात्रा में हैं और उन्हें कम समय में खरीदना आसान नहीं है।

मिथक 6: केंद्र राज्यों को पर्याप्त वैक्सीन नहीं दे रहा है?

तथ्य: केंद्र राज्यों को तय दिशा-निर्देशों के अनुसार पारदर्शी तरीके से पर्याप्त टीके आवंटित कर रहा है। दरअसल, राज्यों को भी वैक्सीन की उपलब्धता के बारे में पहले से ही सूचित किया जा रहा है। निकट भविष्य में वैक्सीन की उपलब्धता बढ़ने वाली है और बहुत अधिक आपूर्ति संभव होगी। गैर-सरकारी माध्यम में, राज्यों को 25% खुराक मिल रही है और निजी अस्पतालों को 25% खुराक मिल रही है। हालाँकि, राज्यों द्वारा लोगों को इन 25% खुराकों को देने में ही हो रही मुश्किलों और समस्याओं को बहुत अधिक करके बताया जाता है। हमारे कुछ नेताओं का व्यवहार, जो टीके की आपूर्ति पर तथ्यों की पूरी जानकारी के बावजूद, प्रतिदिन टीवी पर दिखाई देते हैं और लोगों में दहशत पैदा करते हैं, बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। यह समय राजनीति करने का नहीं है। हम सभी को इस लड़ाई में एकजुट होने की जरूरत है।

मिथक 7: केंद्र बच्चों के टीकाकरण के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है

तथ्य: अभी तक दुनिया का कोई भी देश बच्चों को वैक्सीन नहीं दे रहा है। साथ ही, डब्ल्यूएचओ ने बच्चों का टीकाकरण करने की कोई सिफारिश नहीं की है। बच्चों में टीकों की सुरक्षा के बारे में अध्ययन किए गए हैं, और यह उत्साहजनक रहे हैं। भारत में भी जल्द ही बच्चों पर ट्रायल शुरू होने जा रहा है। हालांकि, बच्चों का टीकाकरण व्हाट्सएप ग्रुपों में फैलाई जा रही दहशत के आधार पर तय नहीं किया जाना चाहिए और क्योंकि कुछ राजनेता इस पर राजनीति करना चाहते हैं। परीक्षणों के आधार पर पर्याप्त डेटा उपलब्ध होने के बाद ही हमारे वैज्ञानिकों द्वारा यह निर्णय लिया जाना है।

18 से 44 आयु के कोविड-19 टीकाकरण के लिए नवीन निर्देश जारी,100 % ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन पर किये जायेंगे,शेष वैक्सीन का उपयोग शाम 4 बजे बाद ऑनसाईट बुकिंग के आधार पर किया जाएगा attacknews.in

भोपाल, 27 मई । मध्यप्रदेश में शासकीय संस्थाओं में संचालित किये जा रहे 18 से 44 आयु संवर्ग के कोविड-19 टीकाकरण के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन संचालक श्रीमती छवि भारद्वाज ने समस्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी एवं जिला टीकाकरण अधिकारी को नवीन दिशा निर्देश जारी किये हैं।

मिशन संचालक श्रीमती भारद्वाज द्वारा जारी परिपत्र में 18 से 44 आयु संवर्ग के कोविड-19 टीकाकरण के लिए प्रदेश के 4 महानगरों में भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और 12 नगर निगम क्षेत्रों बुरहानपुर, छिंदवाड़ा, सतना, रीवा, देवास, कटनी, खण्डवा, मुरैना, रतलाम, सागर, सिंगरौली एवं उज्जैन में 100 प्रतिशत टीकाकरण ऑनलाईन रजिस्ट्रेशन के आधार पर किये जायेंगे। स्लॉट बुकिंग के बाद भी लाभार्थी टीका लगाने उपस्थित नहीं होते हैं ऐसी स्थिति में टीकाकरण केन्द्रों पर शेष वैक्सीन का उपयोग शाम 4 बजे के उपरांत ऑनसाईट बुकिंग के आधार पर किया जाए। इसकी संख्या 20 प्रतिशत से अधिक न हो।

सशस्त्र बल कार्मिकों एवं पूर्व सैनिकों को टेली-मेडिसिन सेवाएं प्रदान करने के लिए सेहत ओपीडी पोर्टल का शुभारंभ attacknews.in

 

नईदिल्ली 27 मई ।रक्षा मंत्री  राजनाथ सिंह ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से ‘सर्विसेज़ ई-हेल्थ असिस्टेन्स एवं टेली-कंसल्टेशन (सेहत) ओपीडी पोर्टल शुरू किया। यह पोर्टल सेवारत सशस्त्र बलों कार्मिकों, पूर्व सैनिकों तथा उनके परिवारों को टेली-मेडिसिन सेवाएं प्रदान करता है। वेबसाइट

पर रजिस्ट्रेशन कराकर इन सेवाओं का लाभ उठाया जा सकता है। यह उन्नत सुरक्षा सुविधाओं के साथ सेहत ओपीडी पोर्टल का अंतिम संस्करण है। इसका परीक्षण संस्करण अगस्त 2020 में शुरू किया गया था। सैन्य सेवा के डॉक्टरों द्वारा बीटा संस्करण पर 6500 से अधिक चिकित्सा परामर्श पहले ही दिए जा चुके हैं।

इस अवसर पर श्री राजनाथ सिंह ने सैन्य मामलों के विभाग (डीएमए), सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाएं (एएफएमएस), एकीकृत रक्षा स्टाफ (आईडीएस), प्रगत संगणन विकास केन्द्र (सी-डैक) मोहाली और पोर्टल के विकास में शामिल अन्य संगठनों की सराहना करते हुए कहा कि यह डिजिटल इंडिया और ई-गवर्नेंस के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। उन्होंने रेखांकित किया, ‘हमेशा से हमारा प्रयास रहा है कि हमारे देशवासियों को बेहतर, तेज और पारदर्शी सुविधाएं प्रदान की जाएं। रक्षा मंत्री ने सेहत ओपीडी पोर्टल को नवाचार का एक बड़ा उदाहरण बताया, खासकर ऐसे समय में जब राष्ट्र कोविड-19 महामारी से लड़ रहा है। उन्होंने बताया कि इस पोर्टल से अस्पतालों का भार कम करने में मदद मिलेगी और मरीज आसान और प्रभावी तरीके से संपर्क रहित परामर्श प्राप्त कर सकेंगे।

रक्षा मंत्री ने एएफएमएस से आग्रह किया कि वे इस पोर्टल पर विशेषज्ञ डॉक्टरों को जोड़ने पर विचार करें और सेवाकर्मियों के घरों में दवाओं के वितरण की सेवा को शामिल करें। उन्होंने कहा कि इससे अतिरिक्त सेवाएं उपलब्ध होंगी और सशस्त्र बलों के कर्मियों को अधिक सुविधा सुनिश्चित होगी। श्री राजनाथ सिंह ने सुझाव दिया कि सेवाओं के बेहतर वितरण के लिए लाभार्थियों का नियमित फीडबैक लिया जाना चाहिए।

श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) और सशस्त्र बलों द्वारा दूसरी कोविड-19 लहर के खिलाफ लड़ाई में निभाई जा रही भूमिका की सराहना की। उन्होंने डीआरडीओ द्वारा दिल्ली, लखनऊ, गांधीनगर और वाराणसी सहित देश भर में कई स्थानों पर स्थापित किए जा रहे कोविड अस्पतालों और ऑक्सीजन उत्पादन संयंत्रों के साथ-साथ वायरस से लड़ने के लिए 2-डीजी दवा के विकास का विशेष उल्लेख किया। उन्होंने कोविड अस्पतालों में अतिरिक्त चिकित्सा पेशेवरों की तैनाती और मामलों में वृद्धि से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एएफएमएस की भी सराहना की। श्री राजनाथ सिंह ने देश-विदेश के भीतर से समय पर ऑक्सीजन और अन्य महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरणों के परिवहन के लिए अथक परिश्रम करने के लिए भारतीय वायु सेना और भारतीय नौसेना की सराहना की। उन्होंने उनसे आग्रह किया कि वे अपनी मुहिम में ढिलाई न लाएं और कोविड-19 के खिलाफ युद्ध जीतने तक समर्पण के साथ अपने प्रयास जारी रखें।

इस अवसर पर रक्षा प्रमुख जनरल बिपिन रावत, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह, सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे, रक्षा सचिव डॉ. अजय कुमार, डीजी एएफएमएस सर्जन वाइस एडमिरल रजत दत्ता, डिप्टी चीफ आईडीएस (मेडिकल) लेफ्टिनेंट जनरल माधुरी कानितकर और रक्षा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ सिविल तथा सैन्य अधिकारी मौजूद रहे।

पेंपा सीरिंग ने ली तिब्बती सिक्योंग यानी प्रधानमंत्री पद की भारत में शपथ;तिब्बती सुप्रीम जस्टिस कमिश्नर सोनम नोरबू डगपो ने उन्हें शपथ दिलवाई attacknews.in

 

धर्मशाला, 27 मई । पेंपा सीरिंग ने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के सिक्योंग यानी प्रधानमंत्री पद की सादे एवं गरिमामय समारोह में शपथ ग्रहण की ।

इस अवसर पर तिब्बती सुप्रीम जस्टिस कमिश्नर सोनम नोरबू डगपो ने उन्हें शपथ दिलवाई व पेंपा को खता भेंट किया।

सबसे बडी बात शपथ ग्रहण के दौरान ये रही कि तिब्बती धार्मिक गुरू दलाई लामा ने पेंपा को वर्चुअली आशीर्वाद दिया।

इससे पहले निर्वतमान सिक्योंग डाॅ लोबसंग सांग्ये ने पेंपा सीरिंग को कदम सिशि डेकी की मुहर सौंपी।

ये मुहर सातवें दलाई लामा की मानी जाती है।

इसे सत्ता हस्तांतरण के वक्त सिक्योंग के सुपुर्द किया जाता है।

इसके साथ ही सांग्ये ने पेंपा को खता भेंट किया।

उल्लेखनीय है कि पेंपा सीरिंग निर्वासित तिब्बतियों के अगले पांच साल के लिए सिक्योंग यानी प्रधानमंत्री चुने गए हैं।

पेंपा सीरिंग को 34,324 मत मिले जबकि उनके प्रतिद्वंदी केलसंग दोरजे औकातत्संग को 28,960 मत हासिल हुए।

11 अप्रैल 2021 को दुनिया भर में निर्वासित तिब्बतियों के चुनाव का अंतिम दौर पूरा होने के बाद 14 मई को आधिकारिक तौर पर चुनाव नतीजे घोषित किए गए थे।

शपथ ग्रहण समारोह के साथ ही पेंपा आधिकारिक तौर पर केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के पांच साल के लिए प्रधानमंत्री बन गए हैं।

इन्हें तिब्बती समुदाय में सिक्योंग कहा जाता है।

कोविड नियमों की पालना के तहत शपथ ग्रहण में चार ही लोग मौजूद थे।

प्रो़ सुनील कुमार  राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय भोपाल के कुलपति नियुक्त attacknews.in

 

भोपाल, 27 मई । मध्यप्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय का कुलपति प्रो. सुनील कुमार को नियुक्त किया है।

राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति के रुप में प्रो. सुनील कुमार का कार्यकाल, कार्यभार ग्रहण करने की तिथि से चार वर्ष की कालावधि के लिए होगा।

राज्यपाल ने यह कार्रवाई राजीव गाँधी प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय अधिनियम, 1998 की धारा 12 की उपधारा (1) में प्रदत्त शक्तियों के तहत की है।

मध्यप्रदेश के सभी खेल अलंकरण पुरस्कारों के आवदेन की तिथि बढ़ी,आवेदन 15 जून तक आमंत्रित attacknews.in

 

भोपाल,27 मई ।मध्यप्रदेश के खेल एवं युवा कल्‍याण विभाग ने विक्रम, एकलव्‍य, विश्‍वामित्र, प्रभाष जोशी और लाईफ टाईम एचीवमेंट पुरस्‍कार के लिये आगामी 15 जून तक आवेदन पत्र आमंत्रित किये हैं।

जिला खेल एवं युवा कल्‍याण अधिकारी ने बताया कि पात्र एवं इच्‍छुक खिलाड़ी निर्धारित तिथि तक जिला खेल और युवा कल्याण कार्यालय अथवा संचालनालय खेल और युवा कल्याण टी.टी.नगर स्टेडियम भोपाल में ऑफलाईन आवेदन 15 जून तक कर सकते

मध्यप्रदेश में खेल और युवा कल्याण विभाग द्वारा वर्ष 2020 के एकलव्य पुरस्कार, विक्रम पुरस्कार, विश्वामित्र पुरस्कार, लाइफ टाईम एचीव्हमेंट एवं स्व. प्रभाष जोशी खेल पुरस्कार के लिए आवदेन करने की अंतिम तिथि अब 15 जून तक बढ़ा दी गई है।

संचालक खेल और युवा कल्याण पवन जैन ने बताया कि वर्ष 2020 के एकलव्य पुरस्कार, विक्रम पुरस्कार, विश्वामित्र पुरस्कार, लाइफ टाईम एचीव्हमेंट एवं स्व. प्रभाष जोशी खेल पुरस्कार के लिए पूर्व में 30 जून 2020 तक ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए थे, लेकिन कोविड-19 संक्रमण को ध्यान में रखते हुए आवदेन की तिथि में बढ़ोतरी की गई है। जिन खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों एवं खेल हस्तियों ने पूर्व में किन्हीं कारणों के चलते आवेदन नहीं कर पाए वह अपने जिले के जिला खेल और युवा कल्याण कार्यालय अथवा संचालनालय खेल और युवा कल्याण, टी.टी. नगर स्टेडियम भोपाल में ऑफलाईन आवेदन 15 जून तक प्रस्तुत कर सकते हैं। ऐसे आवेदक जिन्होंने वर्ष 2020 के अवार्ड हेतु ऑनलाईन आवेदन पूर्व में जमा करा दिए हैं उन्हें दोबारा आवेदन करने की जरूरत नहीं है। आवेदन-पत्र विभागीय वेबसाइट से भी डाउनलोड किया जा सकता है।

इटावा में मंडप समारोह मे ही सात फेरो से पहले दूल्हन की दर्दनाक मौत, मांग भरी जा चुकी थी फेरों की तैयारी थी,अचानक बेहोश होकर मंडप में दम तोड़ दिया attacknews.in

 

इटावा 27 मई । उत्तर प्रदेश में इटावा के भर्थना इलाके के समसपुर से एक अकल्पनीय घटना सामने आई है जहाॅ पर मंडल समारोह मे ही सात फेरो से पहले दूल्हन की हदयघात से दर्दनाक मौत ने हर किसी को सन्न कर दिया ।

दुल्हन की मौत के कुछ ही देर में दोनों पक्षों में सहमति बनी कि दुल्हन की छोटी बहन निशा के साथ जल्दी से शादी की रस्मों को करा दिया जाए ।

सहमति के बाद मृत दुल्हन की बहन दुल्हन बनी ।

बहन जो कुछ देर पहले तक दूल्हे को जीजा कह रही थी।उससे आनन फानन में उसकी शादी हो गई ।

वैवाहिक कार्यक्रम विधिवत हिन्दू रीति रिवाज के साथ सम्पन्न हो रहा था ।बारात स्वागत, बारात भ्रमण, जयमाला, दावत, गोद भराई, माॅग भराई सहित कई रस्में हो चुकी थी ।

सात फेरों से पहले अचानक दुल्हन की तबियत बिगड़ी और कुछ ही मिनट में उसकी मौत हो गई ।

बरात आई ।

खूब स्वागत सत्कार हुआ ।शादी की रस्में हुईं।दूल्हा दुल्हन ने एक दूसरे को स्टेज पर जयमाला पहनाई ।
दुल्हन की मांग भरी जा चुकी थी ।

रात के करीब ढाई बजे मंडप में सात फेरों की तैयारी चल रही थी ।

दुल्हन मंडप में थी ।तभी अचानक दुल्हन बेहोश हुई और मंडप में ही तोड़ दिया ।

बेहद गम के बीच मृत दुल्हन की छोटी बहन को दूल्हे के साथ विदा कर दिया गया ।

राजस्थान में सौतेले बाप ने तीन बच्चियों के साथ कर दी बलात्कार और गंभीर लैंगिक छेड़छाड़ की घटना, पुलिस प्रकरण दर्ज attacknews.in

चित्तौड़गढ़ 27 मई । राजस्थान में चित्तौड़गढ़ स्थित सामाजिक अधिकारिता मंच के शेल्टर होम में रह रही तीन नाबालिग बच्चियों के साथ उनके ही सौतेले पिता द्वारा ज्यादती किये जाने का मामला सामने आने के बाद पुलिस में मामला दर्ज करवाया गया है।

सदर थानाधिकारी दर्शनसिंह ने बताया कि बाल कल्याण समिति द्वारा इस आशय की एक रिपोर्ट डाक से मिलने के बाद यहां के आश्रय स्थल में पिछले पांच माह से रह रही तीन बच्चियों के साथ उनके ही सौतेले पिता द्वारा ज्यादती करने का मामला पाॅक्सो अधिनियम के तहत दर्ज किया गया है जिसकी जांच की जा रही है, बालिकाओं का मेडिकल भी करवाया गया है।

आरोपी पिता भीलवाड़ा जिला निवासी फरार है।

इस बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए बाल कल्याण समिति एवं किशोर न्याय बोर्ड के अध्यक्ष एडवोकेट रमेशचंद्र दशोरा ने बताया कि पांच माह पूर्व इन बच्चियों का लालन पालन करने में असमर्थ इनकी माता जो खुद विशेष आवश्यकता के अंतर्गत है लेकर एक समाजसेवी संस्था के जरिये हमारे पास लेकर आई थी जिन्हें यहां स्थित आश्रय स्थल पर रखा हुआ था।

इसी बीच कोई पंद्रह रोज पूर्व इनका सौतेला पिता शराब के नशे में आश्रय स्थल आया और बच्चियों को अपने साथ ले जाने के लिए हंगामा करने लगा लेकिन बच्चियों ने उसके साथ जाने से इंकार कर दिया।

इसके बाद अधीक्षक ललिता उपाध्याय ने तीनों बच्चियों से काउंसलिंग की जिसमें सामने आया कि सौतेला पिता महेंद्रसिंह ने एक बच्ची के साथ कई बार ज्यादती की जबकि दोनों बच्चियों के साथ गंभीर लैंगिक छेड़छाड़ की जिसके बाद हमने पुलिस अधीक्षक को डाक के माध्यम से 11 मई को रिपोर्ट भिजवाई थी।

उन्होंने बताया कि संभवतः इन बच्चियों की मां को भी सौतेले पिता की हरकतों का पता था और इसी वजह से उसने यह बात छिपाते हुए अपने एकल नारी का हवाला दे इन बच्चियों को उन्हें सौंपा था।

भारत ने कहा कि वह नेपाल में हाल के राजनीतिक घटनाक्रम को उस देश के आंतरिक मामलों के रूप में देखता है और उसकी प्रगति, शांति, स्थिरता और विकास की यात्रा में समर्थन देता रहेगा attacknews.in

 

नयी दिल्ली, 26 मई । भारत ने बुधवार को कहा कि वह नेपाल में हाल के राजनीतिक घटनाक्रम को उस देश के आंतरिक मामलों के रूप में देखता है और नेपाल को उसकी प्रगति, शांति, स्थिरता और विकास की यात्रा में समर्थन देता रहेगा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अपने बयान में कहा, ‘‘ हमने नेपाल में हाल के राजनीतिक घटनाक्रम को देखा है । हम इसे नेपाल के आंतरिक मामलों के रूप में देखते हैं जिससे उन्हें अपने घरेलू ढांचे और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के तहत निपटना है। ’’

उन्होंने कहा कि एक पड़ोसी और मित्र के रूप में भारत, नेपाल और वहां के लोगों को उनकी प्रगति, शांति, स्थिरता और विकास की यात्रा में निर्वाध रूप से समर्थन देता रहेगा ।

उल्लेखनीय है कि नेपाल के विपक्षी गठबंधन ने राष्ट्रपति द्वारा प्रतिनिधि सभा को भंग करने के फैसले को ‘असंवैधानिक’ बताते हुए इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में रिट याचिका दाखिल की है। इससे पहले राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी ने प्रधानमंत्री के. पी. शर्मा ओली की सिफारिशों पर सदन को भंग कर दिया था। ओली की सरकार सदन में विश्वास मत में हारने के बाद अल्पमत में आ गई थी।

नेपाल के विपक्षी दलों के पूर्व सांसद रविवार और सोमवार को एकत्र हुए थे तथा उन्होंने प्रधानमंत्री पद के लिए शेर बहादुर देउबा के दावे के समर्थन में अपने हस्ताक्षर सौंपा था ।

राष्ट्रपति भंडारी ने प्रधानमंत्री ओली की सिफारिश पर शनिवार को पांच महीने में दूसरी बार 275 सदस्यीय सदन को भंग कर दिया था तथा 12 और 19 नवंबर को मध्यावधि चुनाव की घोषणा की थी।

फेसबुक के स्वामित्व वाले व्हाट्सऐप ने भारत में लागू किए गए नए सोशल मीडिया नियमों पर सरकार के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में दाखिल की याचिका, इन नियमों में यह पता लगाना जरूरी है कि किसी संदेश की शुरुआत किसने की attacknews.in

 

नयी दिल्ली, 26 मई । फेसबुक के स्वामित्व वाले व्हाट्सऐप ने नए सोशल मीडिया मध्यवर्ती नियमों पर सरकार के खिलाफ दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है, जिसके तहत संदेश सेवाओं के लिए यह पता लगाना जरूरी है कि किसी संदेश की शुरुआत किसने की।

व्हाट्सऐप के एक प्रवक्ता ने पुष्टि की कि कंपनी ने हाल ही में लागू किए गए आईटी नियमों के खिलाफ 25 मई को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया।

यह कदम ऐसे वक्त में उठाया गया है, जबकि नए सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती संस्‍थानों के लिए दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021, के जरिए सोशल मीडिया कंपनियों को अधिक से अधिक जवाबदेह और जिम्मेदार बनाने की कवायद चल रही है।

व्हाट्सऐप के एक प्रवक्ता ने कहा कि मैसेजिंग ऐप के लिए चैट पर निगाह रखने की आवश्यकता, उन्हें व्हाट्सऐप पर भेजे गए हर एक संदेश का फिंगरप्रिंट रखने के लिए कहने के बराबर है।

प्रवक्ता ने कहा कि यह एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को तोड़ देगा और लोगों के निजता के अधिकार को कमजोर करेगा।

प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम दुनिया भर में लगातार नागरिक समाज और विशेषज्ञों के साथ उन अनिवार्यताओं का विरोध कर रहे हैं, जो हमारे उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता का उल्लंघन करेंगे। इस बीच, हम लोगों को सुरक्षित रखने के उद्देश्य से व्यावहारिक समाधानों पर भारत सरकार के साथ बातचीत जारी रखेंगे।’’

नये सूचना प्रौद्योगिकी नियम बुधवार 26 मई से प्रभाव में आएंगे और इनकी घोषणा 25 फरवरी को की गयी थी। इस नए नियम के तहत ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और व्हाट्सएप जैसी बड़े सोशल मीडिया मंचों को अतिरिक्त उपाय करने की जरूरत होगी। इसमें मुख्य अनुपालन अधिकारी, नोडल अधिकारी और शिकायत अधिकारी की नियुक्ति आदि शामिल हैं।

प्रमुख सोशल मीडिया मंचों को नये नियमों के अनुपालन के लिये तीन महीने का समय दिया गया था। इस श्रेणी में उन मंचों को रखा जाता है, जिनके पंजीकृत उपयोगकर्ताओं की संख्या 50 लाख से अधिक है।

नियमों का पालन न करने के परिणामस्वरूप इन सोशल मीडिया कंपनियों को अपनी मध्यस्थ की स्थिति खोनी पड़ेगी। यह स्थिति उन्हें किसी भी तीसरे पक्ष की जानकारी और उनके द्वारा ‘होस्ट’ किए गए डाटा के लिए दायित्वों से छूट और सुरक्षा प्रदान करती है। दूसरे शब्दों में, उन पर कार्रवाई की जा सकती है।

फेसबुक के एक प्रवक्ता ने मंगलवार को कहा कि कंपनी परिचालन प्रक्रियाओं को लागू करने के लिए काम कर रही है और इसका उद्देश्य आईटी नियमों के प्रावधानों का पालन करना है।

सोशल मीडिया की दिग्गज कंपनी ने कहा कि वह कुछ मुद्दों पर स्पष्टता को लेकर सरकार के लगातार संपर्क में है। फेसबुक के पास फोटो साझा करने का मंच इंस्टाग्राम भी है।

हालांकि, फेसबुक और गूगल दोनों ने मंगलवार तक अनुपालन के नए स्तर को पूरा करने के बारे में चीजें स्पष्ट नहीं की।

दिल्ली में सरेआम हो रही गायों की हत्या;बाहरी दिल्ली में गौ हत्या के तीन अलग-अलग मामलों में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है attacknews.in

नयी दिल्ली 26 मई । बाहरी दिल्ली में गौ हत्या के तीन अलग-अलग मामलों में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस ने बुधवार को बताया कि मंगलवार को जामिया नगर इलाके से आसिफ (36) उसके भाई मोहनीश (24) और उनके एक अन्य रिश्तेदार नईम (20) को गिरफ्तार किया गया। आसिफ और मोहनीश पर 50-50 हजार रुपये का इनाम घोषित था।

पुलिस ने बताया कि तीनों आरोपी कथित रूप से गायों की हत्या कर उनका मांस 100 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव पर बेचते थे, उन्हें पकड़ने के लिए पांच टीमों का गठन किया गया था।

पुलिस के मुताबिक गौ हत्या का पहला मामला 16 मई को सामने आया था जब बापरोला गांव के एक खाली प्लाट में गाय की हड्डियां एवं अन्य अवशेष मिले थे।

दूसरा मामला भी उसी दिन उसी गांव से सामने आया। पुलिस के मुताबिक तीसरा मामला 20 मई का निहाल विहार का है।

इन तीनों घटनास्थलों की जांच के बाद उनके बीच आपस में तार जुड़ते नजर आये और इन्हीं लोगों की संलिप्तता का संकेत मिला।

पुलिस ने बताया कि पोस्ट मार्टम के बाद भारतीय दंड संहिता, दिल्ली कृषि पशु संरक्षण अधिनियम और पशु क्रूरता रोकथाम अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया।

बाहरी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त परविंदर सिंह ने कहा कि करीब एक सप्ताह तक 600 से अधिक सीसीटीवी कैमरों की फुटेज की जांच करने के बाद इस अपराध में इस्तेमाल में लाये गये वाहन की पहचान की गयी।

पुलिस उपायुक्त ने कहा, ‘‘हमारी टीमों ने 1350 से अधिक सीसीटीवी कैमरों को खंगाला और संदिग्ध वाहन के मार्ग पता लगाया। जांच से मिली जानकारी के आधार पर जांच दल जामिया नगर पहुंचा। दिल्ली और उसके आस-पास के करीब 110 संदिग्धों से पूछताछ की गयी। तकनीकी विशेषज्ञों की मदद से संदिग्ध लोगों के बारे में पता चला। इसके बाद बाटला हाउस और जामिया नगर से उन्हें पकड़ लिया गया।’

CBI ने बम्बई हाईकोर्ट को बताया:पुलिस तैनाती और तबादलों में कथित भ्रष्टाचार के बारे में महाराष्ट्र सरकार से मांगी जानकारी पर नौ जून तक कार्रवाई नहीं करेंगे attacknews.in

मुंबई, 26 मई । सीबीआई ने बुधवार को बम्बई उच्च न्यायालय को बताया कि वह पुलिस तैनाती और तबादलों में कथित भ्रष्टाचार के बारे में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी रश्मि शुक्ला द्वारा दर्ज करायी शिकायतों से संबंधित दस्तावेजों की मांग करते हुए महाराष्ट्र सरकार को भेजे पत्रों पर नौ जून तक कोई कार्रवाई नहीं करेगी।

सीबीआई की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति एस पी तावड़े की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष यह बात कही। यह पीठ राज्य सरकार की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है।

सरकार ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) को महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ 21 अप्रैल को एजेंसी द्वारा दर्ज प्राथमिकी से दो पैराग्राफ रद्द करने और इनके संबंध में कोई जांच न करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।

सीबीआई ने पांच अप्रैल को उच्च न्यायालय के एक आदेश पर राकांपा नेता देशमुख के खिलाफ प्रारंभिक जांच करने के बाद प्राथमिकी दर्ज की थी।

राजू ने बुधवार को अवकाशकालीन पीठ से कहा कि राज्य सरकार की याचिका पर उसी पीठ को सुनवाई करनी चाहिए जिसने पांच अप्रैल का आदेश पारित किया था।

न्यायमूर्ति कथावाला ने कहा कि अगर मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ इस मामले की सुनवाई करती है तो उन्हें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन तब तक सीबीआई को जांच में राज्य सरकार से सूचना लेने के संबंध में ‘‘अपनी कार्रवाई रोकनी’’ चाहिए।

राजू ने कहा, ‘‘हम इस याचिका को दूसरी पीठ के समक्ष पेश किए जाने तक सीबीआई द्वारा महाराष्ट्र सरकार से मांगे दस्तावेजों को पेश करने के संबंध में कार्रवाई नहीं करेंगे। यह राज्य सरकार से मांगी जानकारियों तक ही सीमित होगा न कि पूरी जांच के संबंध में।’’

अदालत ने यह बयान स्वीकार कर लिया और उच्च न्यायालय के पंजीयक कार्यालय को याचिका को आठ जून को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की पीठ के समक्ष पेश करने का निर्देश दिया।

मध्यप्रदेश में बुधवार को कोरोना के 2182 नए मरीज आए सामने, 72 की मृत्यु,अबतक संक्रमितों की संख्या 7,71,878 और मृतकों की संख्या 7758 हुई attacknews.in

भोपाल, 26 मई । मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले भले ही कम हो रहे हैं, लेकिन संक्रमण के कारण मृत्यु के मामलों में अपेक्षित गिरावट नहीं आ पा रही है।आज भी 72 लोगों की मृत्यु दर्ज की गयी।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार 70195 मामलों की जांच में 2182 मामले पॉजीटिव, 68,013 निगेटिव रहे और 198 सैंपल रिजेक्ट किए गए।

इस तरह संक्रमण दर 3़ 1 प्रतिशत रही।

वहीं 7479 संक्रमितों के स्वस्थ होने पर एक्टिव केस की संख्या घटकर 43265 पर आ गयी है।

प्रदेश में 72 संक्रमितों की मृत्यु दर्ज की गयी है, जिसमें पांच पांच मामले भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और सागर जिले में दर्ज किए गए।

इसके अलावा सात लोगों की मृत्यु जबलपुर जिले में हुयी।

राज्य में अब तक कोरोना के कारण 7758 लोगों की मृत्यु दर्ज की गयी।

बुलेटिन के अनुसार सबसे अधिक प्रकरण 623 इंदौर में, 433 भोपाल में, ग्वालियर में 88, जबलपुर में 82, सागर में 108, रतलाम में 52, उज्जैन में 45, दमोह में 38 और बैतूल में 39 मामले दर्ज किए गए।

राज्य में अब तक 7,71,878 व्यक्ति संक्रमित हुए हैं, जिनमें से 72,0855 कोरोना को मात देने में सफल रहे।

सबसे अधिक सक्रिय मामले इंदौर में 8488, भोपाल में 8244 और ग्वालियर में 2043 हैं।

शेष 49 जिलों में एक्टिव मामले दो हजार से कम ही हैं।

सबसे कम एक्टिव केस 46 अलिराजपुर जिले में हैं।

खरगोन जिले के बलकवाड़ा थाना क्षेत्र से विस्फोटक  2000 जिलेटिन रॉड और अन्य सामग्री के साथ 3 लोगों की गिरफ्तारी  attacknews.in

 

खरगोन, 26 मई। मध्यप्रदेश के खरगोन जिले के बलकवाड़ा थाना क्षेत्र में 2000 जिलेटिन रॉड और अन्य सामग्री के साथ 3 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

बलक्वाड़ा थाना के नगर निरीक्षक वरुण तिवारी ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर बेगंदी मिर्जापुर रोड पर ग्राम मिर्जापुर के पास एक पिकअप वाहन से कल 2000 जिलेटिन रॉड, आठ फ्यूज वायर तथा 300 नग आईईडी बरामद की गई।

पिकअप वाहन में बैठे शोभा लाल जाट निवासी भीलवाड़ा जिला, हाल मुकाम ठीकरी (बड़वानी) देवी सिंह उदावत निवासी जोधपुर जिला बिलाड़ा थाना राजस्थान को गिरफ्तार किया गया।

आरोपियों के पास इस विस्फोटक सामग्री के वैध दस्तावेज या लाइसेंस नहीं प्राप्त हुए और तीनों सामानों को एक साथ परिवहन करना बेहद खतरनाक था।

उन्होंने बताया कि आरोपियों की निशानदेही पर इस सामग्री खरीदने वाले भारत निवासी रसवा थाना बलकवाड़ा को भी गिरफ्तार किया गया है।

उसके पास भी इन विस्फोटकों को खरीदने बेचने अथवा रखने का कोई दस्तावेज नहीं पाया गया।

आरोपियों ने बताया कि वह इनकी मदद से कुएं और नहर में विस्फोट कर उसे गहरा करते हैं।

तीनों को आज कसरावद स्थित न्यायालय के समक्ष पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है।

चक्रवाती तूफान यास ने ओड़िशा तट को पार किया, भारी बारिश हुई;धीरे धीरे कमजोर पड़ा, सुबह बाद झारखंड की तरफ जाते जाते एक गहरे दबाव के क्षेत्र में तब्दील हो जाएगा attacknews.in

भुवनेश्वर, 26 मई। भीषण चक्रवाती तूफान यास आज सुबह ओडिशा में बालासाेर तट से टकराया और उस समय इसकी रफ्तार 130 से 150 किलोमीटर प्रति घंटा थी लेकिन इससे कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ जितनी पहले आशंका जताई जा रही थी।

भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युजंय मोहपात्रा ने बताया कि चक्रवाती तूफान यास बालासोर-भद्रक तट पर केन्द्रित था और यह बालासोर तट के दक्षिण में 20 किलोमीटर के समीप तट से टकराया तथा यह प्रकिया तीन घंटों तक जारी रही।

इसने सुबह 10.30 से 11.30 के बीच ओडिशा तट को पार किया और यह फिर मयूरभंज जिले की तरफ बढ़ गया तथा उस समय इसकी रफ्तार 120 से 130 किलोमीटर प्रतिघंटा था जिसकी वजह से भारी बारिश हुई थी।

उन्होेंने बताया कि यह धीरे धीरे कमजोर पड़ जाएगा और कल सुबह तक झारखंड की तरफ जाते जाते एक गहरे दबाव के क्षेत्र में तब्दील हो जाएगा तथा उस समय इसकी रफ्तार 60 किलोमीटर प्रतिघंटा होगी और इसकी वजह से भारी से बहुत भारी बारिश होगी।

यास तूफान की वजह से बालासोर और भद्रक जिलों में अनेक स्थानों पर पेड़ उखड़ गए तथा हजारों कच्चे मकान तथा अस्थायी आवास नष्ट हो गए। इसकी वजह से सड़क यातायात बाधित हुआ और दो मीटर से ऊंची लहरों के कारण अनके गांवों में समुद्र का पानी घुस गया।

विशेष राहत आयुक्त पीके जेना ने बताया जगतसिंहपुर, केन्द्रपाड़ा और जाजपुर जिलों में कोई अधिक नुकसान नहीं हुआ है और यहां काफी संख्या में पेड़ उखड़ गए हैं। बालासाेर और भद्रक जिलों में एनडीआरएफ, ओडीआरएफ और दमकल विभाग की टीमों ने उखड़े हुए पेड़ों को हटाना शुरू कर दिया है।

तूफान की वजह से सिमलीपाल में भारी बारिश 161 मिमी हुई और इसकी वजह से बूढाबालांग नदी में अचानक बाढ़ की आशंका जताई जा रही है।
श्री मोहापात्रा ने बताया कि उत्तर ओडिशा में दिन में भारी से बहुत भारी बारिश होगी और कईं स्थानों पर यह 20 सेंटीमीटर भी होगी।