रिजर्व बैंक ने केवाईसी मानदंडों में ढील दी, दिसंबर अंत तक बैंक नहीं लगाएंगे कोई रोकटोक;केवाईसी अपडेट नहीं कराने वाले ग्राहकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जाएं attacknews.in

मुंबई, पांच मई। कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को बैंकों और अन्य विनियमित वित्तीय संस्थाओं से कहा कि केवाईसी अपडेट नहीं कराने वाले ग्राहकों के खिलाफ दिसंबर तक कोई दंडात्मक प्रतिबंध न लगाए।

आरबीआई ने प्रोप्राइटरशिप फर्मों, अधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं और कानूनी संस्थाओं के हितकारी मालिकों जैसी ग्राहकों की नई श्रेणियों के लिए वीडियो केवाईसी (अपने ग्राहक को जानें) या वी-सीआईपी (वीडियो-आधारित ग्राहक पहचान प्रक्रिया) का दायरा बढ़ाने का भी फैसला किया है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कोविड महामारी से निपटने के लिए कदमों की घोषणा करते हुए कहा, ‘‘देश के विभिन्न हिस्सों में कोविड से संबंधित प्रतिबंधों को ध्यान में रखते हुए विनियमित संस्थाओं को सलाह दी जाती है कि ग्राहक खातों के लिए जहां समय-समय से केवाईसी अपडेट (अद्यतन करने की प्रक्रिया) लंबित है, वहां ग्राहक खाते के संचालन पर कोई दंडात्मक प्रतिबंध 31 दिसंबर 2021 तक लागू न किया जाए।’’

ऐसे में बैंक या विनियमित वित्तीय संस्थान किसी अन्य विधिक कारण को छोड़कर ग्राहक खातों पर दंडात्मक प्रतिबंध नहीं लगाएंगे।

दास ने अपने संबोधन में कहा कि केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करने के लिए युद्ध स्तर पर काम करेगा कि वित्तीय हालात अनुकूल रहें और बाजार कुशलता से काम करता रहे।

उन्होंने कहा, ‘‘इस मुश्किल घड़ी में हमारे नागरिक जिस परेशानी का सामना कर रहे हैं, हम सरकार के साथ मिलकर उस हालात में सुधार के लिए काम करेंगे। जरूरत पड़ने पर हम अपरंपरागत उपायों और नई प्रतिक्रियाओं को आजमाने के लिए भी तैयार हैं। हमें अपने भविष्य को भी ध्यान में रखना होगा, जो इस मोड़ पर भी उज्ज्वल दिखाई दे रहा है, और भारत दुनिया की सबसे अधिक तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक के रूप में उभरने के लिए तैयार है।’’

रिजर्व बैंक ने कोरोना की दूसरी लहर में अर्थव्यवस्था को राहत की,की 12 घोषणाएं:सभी बैंक 31 मार्च 2022 तक अस्पतालों, ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ताओं, वैक्सीन आयातकों, कोविड दवाओं को 50,000 करोड़ रुपये का कर्ज देंगे attacknews.in

नयी दिल्ली, पांच मई । कोविड-19 संक्रमण की दूसरी लहर के बीच अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को एक अनिर्धारित संवाददाता सम्मेलन में कई महत्वपूर्ण घोषणाएं कीं, जिसकी मुख्य बातें इस तरह हैं –

नए उपाए:

  1. बैंकों 31 मार्च 2022 तक अस्पतालों, ऑक्सीजन आपूर्तिकर्ताओं, वैक्सीन आयातकों, कोविड दवाओं को 50,000 करोड़ रुपये का कर्ज देंगे।
  2. आरबीआई ने 25 करोड़ रुपये तक कर्ज लेने वाले व्यक्तिगत, छोटे उधारकर्ताओं को ऋण के पुनर्गठन का दूसरा मौका दिया, यदि उन्हें पहली बार में इस सुविधा का लाभ न लिया हो तो।

  3. राज्य सरकारों को 30 सितंबर तक ओवरड्राफ्ट सुविधा का लाभ उठाने के नियमों में ढील दी।

4.आरबीआई ने केवाईसी अनुपालन मानदंडों को तर्कसंगत बनाने की घोषणा की, कुछ श्रेणियों के लिए वीडियो-आधारित केवाईसी का प्रावधान किया।

  1. आरबीआई अर्थव्यवस्था में वित्तीय संसाधनों का प्रवाह बढ़ाने के लिए सरकारी प्रतिभूति खरीद कार्यक्रम (जी-सैप 1.0) के तहत 20 मई को 35,000 करोड़ रुपये की दूसरी खरीद करेगा।

अर्थव्यवस्था:

  1. अर्थव्यवस्था उबरना शुरू हो गयी थी पर स्थित अब बदल गई है, और ताजा संकट का सामना करना पड़ रहा है।

  2. आरबीआई कोविड-19 मामलों में फिर बढ़ोतरी से पैदा हुए हालात की लगातार निगरानी कर रहा है, सभी संसाधनों का इस्तेमाल किया जा रहा है। 8. वायरस से लड़ने के लिए संसाधनों का उचित प्रबंधन करना होगा। 9. खाद्य और ईंधन मुद्रास्फीति ने महंगाई को बढ़ा दिया है, हालांकि सामान्य मानसून के पूर्वानुमान से खाद्य मुद्रास्फीति में मदद मिलने की उम्मीद है।

  3. केंद्रीय बैंक कोविड से पैदा हुई चुनौतियों से निपटने के लिए अपरंपरागत तरीके अपने के लिए तैयार। 11. नागरिकों के तनाव को दूर करने के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करेगा आरबीआई।

  4. वैश्विक वृद्धि के पूर्वानुमान बेहद अनिश्चित हैं, गिरावट का जोखिम बरकरार। 13. तत्काल उद्देश्य जीवन को बचाना, आजीविका बहाल करना है। 14. केंद्रीय बैंक के परिचालन को जारी रखने के लिए 250 से अधिक आरबीआई के कर्मचारी और सेवाप्रदाता घर से दूर रहकर काम कर रहे हैं।

सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में ऑक्सीजन आपूर्ति के आदेश के अनुपालन में कोताही के कारण दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा जारी अवमानना नोटिस के खिलाफ केन्द्र सरकार की याचिका पर सुनवाई को सहमत attacknews.in

नयी दिल्ली, पांच मई । उच्चतम न्यायालय राजधानी में ऑक्सीजन की आपूर्ति के आदेश के अनुपालन में कोताही के कारण दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा जारी अवमानना नोटिस के खिलाफ दायर केन्द्र सरकार की याचिका पर बुधवार को सुनवाई के लिये सहमत हो गया।

इस याचिका में उच्च न्यायालय द्वारा केंद्र के अधिकारियों की व्यक्तिगत उपस्थिति के निर्देश को भी चुनौती दी गई है।

उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र सरकार को कारण बताओ नोटिस जारी कर पूछा था कि कोविड-19 मरीजों के उपचार के लिए ऑक्सीजन की आपूर्ति के बारे में उसके आदेश का अनुपालन करने में विफल रहने पर उसके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही क्यों नहीं की जाए।

सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता यह मामला प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष उठाया क्योंकि देश में कोविड-19 प्रबंधन पर स्वतं: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ बुधवार को उपलब्ध नहीं थी।

मेहता ने कहा, “मैंने इस मामले का उल्लेख मामले सूचीबद्ध करने वाले रजिस्ट्रार के समक्ष किया था। इसमें कुछ अत्यावश्यक है। इसे आज ही सुने जाने की जरूरत है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने ऑक्सीजन मुद्दे के संबंध में कल आदेश पारित किया था। उच्च न्यायालय ने….केंद्र सरकार के अधिकारियों से अवमानना के लिए व्यक्तिगत तौर पर मौजूद रहने को कहा था।”

प्रधान न्यायाधीश नीत पीठ ने कहा, “हम क्या कर सकते हैं” और मामले की तत्कालिकता के बारे में दोबारा बताए जाने पर पीठ ने कहा कि इसकी सुनवाई न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ करेगी।

शीर्ष अदालत ने 30 अप्रैल को पारित आदेश में केंद्र को दिल्ली में तीन मई की मध्यरात्रि तक ऑक्सीजन की कमी संबंधी स्थिति को दुरुस्त करने का निर्देश दिया था और इसका अनुपालन नहीं करने पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को मंगलवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

उच्च न्यायालय ने कहा था, “इसलिए हम, केंद्र सरकार को कारण बताने का निर्देश देते हैं कि हमारे मई के और उच्चतम न्यायालय के 30 अप्रैल के आदेश का अनुपालन नहीं करने के लिए अवमाना की कार्रवाई क्यों न की जाए। उक्त नोटिस का जवाब देने के लिए, हम पीयूष गोयल और सुमित्रा दावरा (केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी) की कल मौजूदगी का निर्देश देते हैं।”

अदालत ने कहा, “आप शुतुरमुर्ग की तरह रेत में अपना सिर छिपा सकते हैं, हम नहीं।” साथ ही कहा उच्चतम न्यायालय पहले ही निर्देश दे चुका है कि केंद्र को किसी भी तरीके से दिल्ली को रोजाना 700 मीट्रिक टन ऑक्सीजन रोजाना उपलब्ध करानी होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने मराठा समुदाय को शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में आरक्षण देने संबंधी महाराष्ट्र का कानून निरस्त किया attacknews.in

नयी दिल्ली, पांच मई । उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र की शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश और सरकारी नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने संबंधी राज्य के कानून को ‘‘असंवैधानिक’’ करार देते हुए बुधवार को इसे खारिज कर दिया।

न्यायालय ने कहा कि 1992 में मंडल फैसले के तहत निर्धारित 50 प्रतिशत आरक्षण सीमा के उल्लंघन के लिए कोई असाधारण परिस्थिति नहीं है।

न्यायालय ने आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत पर तय करने के 1992 के मंडल फैसले (इंदिरा साहनी फैसले) को पुनर्विचार के लिए वृहद पीठ के पास भेजने से भी इनकार कर दिया और कहा कि विभिन्न फैसलों में इसे कई बार बरकरार रखा है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अगुवाई वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने सुनवाई के दौरान तैयार तीन बड़े मामलों पर सहमति जताई और कहा कि मराठा समुदाय के आरक्षण की आधार एम सी गायकवाड़ आयोग रिपोर्ट में समुदाय को आरक्षण देने के लिए किसी असाधारण परिस्थिति को रेखांकित नहीं किया गया है।

पीठ ने चार फैसले दिए और मराठा समुदाय को आरक्षण देने को अवैध करार देने समेत तीन बड़े मामलों पर सर्वसम्मति जताई।

संविधान पीठ के सदस्य न्यायमूर्ति एल एन राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट ने 102वें संशोधन की संवैधानिक वैधता बरकरार रखने को लेकर न्यायमूर्ति भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर के साथ सहमति जताई, लेकिन कहा कि राज्य सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों (एसईबीसी) की सूची पर फैसला नहीं कर सकते और केवल राष्ट्रपति के पास ही इसे अधिसूचित करने का अधिकार है।

न्यायमूर्ति भूषण और न्यायमूर्ति नजीर ने अल्पमत के फैसले में कहा कि केंद्र एवं राज्य के पास एसईबीसी की सूची पर फैसला करने का अधिकार है।

इस संबंध में बहुमत के आधार पर लिए गए फैसले में केंद्र को एसईबीसी की एक ताजा सूची अधिसूचित करने का निर्देश दिया गया और कहा गया कि अधिसूचना जारी किए जाने तक मौजूदा सूची बरकरार रहेगी।

शीर्ष अदालत ने राज्य को असाधारण परिस्थितियों में आरक्षण के लिए तय 50 प्रतिशत की सीमा तोड़ने की अनुमति देने समेत विभिन्न मामलों पर पुनर्विचार के लिए मंडल फैसला बृहद पीठ को भेजने से सर्वसम्मति से इनकार कर दिया।

पीठ ने यह भी कहा कि आरक्षण के क्रियान्वयन पर रोक लगाने के शीर्ष अदालत के नौ सितंबर, 2020 के आदेश और मराठा आरक्षण को बरकरार रखने के 2019 के बंबई उच्च न्यायालय के आदेश के बाद सरकारी नौकरियों में की गई नियुक्तियां एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में किए गए दाखिले प्रभावित नहीं होंगे।

शीर्ष अदालत ने बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया। उच्च न्यायालय ने राज्य में शिक्षण संस्थानों और सरकारी नौकरियों में मराठों के लिए आरक्षण के फैसले को बरकरार रखा था।

2018 के 102वें संविधान संशोधन कानून से अनुच्छेद 338बी और अनुच्छेद 342ए को शामिल किया गया है। अनुच्छेद 338बी में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग की संरचना, कर्तव्यों एवं शक्तियों का जिक्र किया गया है और अनुच्छेद 342ए एसईबीसी के तौर पर किसी विशेष जाति को अधिसूचित करने की राष्ट्रपति की शक्ति और सूची में बदलाव की संसद की शक्ति से जुड़ा है।

शीर्ष अदालत ने आठ मार्च को छह प्रश्न बनाए थे, जिन पर फैसला किया जाना था और उसने 102वें संविधान संशोधन की व्याख्या के मामले को अति महत्वपूर्ण बताया था।

पीठ ने सभी राज्यों को नोटिस जारी करते हुए कहा था कि वह इस मुद्दे पर भी दलीलें सुनेगी कि क्या इंदिरा साहनी मामले में 1992 में आए ऐतिहासिक फैसले, जिसे ‘मंडल फैसला’ के नाम से जाना जाता है, उस पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता है।

उच्चतम न्यायालय ने 1992 में अधिवक्ता इंदिरा साहनी की याचिका पर ऐतिहासिक फ़ैसला सुनाते हुए जाति-आधारित आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 प्रतिशत तय कर दी थी।

उच्चतम न्यायालय ने पांच फरवरी को कहा था कि शिक्षा एवं नौकरियों में मराठा समुदाय को आरक्षण देने से संबंधित महाराष्ट्र के 2018 के कानून को लेकर दाखिल याचिकाओं पर वह आठ मार्च से अदालत कक्ष के साथ ही ऑनलाइन सुनवाई शुरू करेगा।

मामले की सुनवाई की तारीख तय करने वाली पीठ ने कहा था कि वह 18 मार्च को मामले की सुनवाई पूरी कर लेगी।

ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल में तीसरी बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद कहा कि,मैं नया प्रशासन तंत्र बनाउंगी और सुनिश्चित करुंगी कि,किसी को भी बख्शा न जाए attacknews.in

कोलकाता, पांच मई । राज्य विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सुप्रीमो ममता बनर्जी ने लगातार तीसरी बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री के तौर पर बुधवार को शपथ ली। उन्होंने भरोसा दिलाया कि चुनाव परिणाम घोषित होने के बाद से राज्य में हो रही राजनीतिक हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों को बख्शेंगी नहीं।

राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप के बीच राजभवन में आयोजित साधारण समारोह में उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई।

बनर्जी ने बांग्ला भाषा में शपथ ली।

शपथ ग्रहण समारोह तब भी हुआ जब राज्य में मुख्य विपक्षी पार्टी के तौर पर उभरी भाजपा ने हैस्टिंग्स दफ्तर में रविवार रात के बाद से कथित तौर पर टीएमसी द्वारा उसके कार्यकर्ताओं पर किए गए हमलों के खिलाफ प्रदर्शन किया।

पार्टी ने दावा किया है कि उसके कई कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है और पार्टी कार्यालयों को क्षतिग्रस्त किया गया है। प्रदर्शन में पार्टी अध्यक्ष जे पी नड्डा और प्रदेश इकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष भी उपस्थित थे।

टीएमसी सूत्रों ने बताया कि बुधवार को अकेले बनर्जी ने शपथ ली और उनके मंत्रिमंडल को नौ मई को यानि बंगाली सांस्कृतिक प्रतीक नोबेल पुरस्कार विजेता रबिंद्रनाथ टैगोर की जयंती के दिन अन्य मंत्रियों के शपथ के साथ विस्तार दिया जाएगा।

बनर्जी ने शपथ लेने के बाद कहा, “हमारी पहली प्राथमिकता कोविड स्थिति को नियंत्रित करने की है।’’

बनर्जी ने कहा कि वह राजभवन से निकलने के तुरंत बाद राज्य सचिवालय नाबन्ना में वैश्विक महामारी की स्थिति पर एक बैठक करेंगी।

हिंसा की घटनाएं जिनमें भाजपा और टीएमसी के कई कार्यकर्ताओं की जान जाने की खबर है, उनका जिक्र करते हुए बनर्जी ने कहा, “मैं आज से कानून-व्यवस्था को देखूंगी और सख्ती से इससे निपटूंगी। यह मेरी दूसरी प्राथमिकता है।”

उन्होंने शपथग्रहण के बाद पत्रकारों से कहा, “हम किसी को (हिंसा करने वालों को) बख्शने वाले नहीं हैं और कानून-व्यवस्था को बहाल करने के लिए सबकुछ करेंगे।”

उन्होंने सभी राजनीतिक दलों से शांति बनाए रखने में मदद की अपील की।

तीसरी बार मुख्यमंत्री बनने के लिए बनर्जी को बधाई देते हुए धनखड़ ने उम्मीद जताई कि वह कानून एवं संविधान के अनुरूप राज्य में शासन करेंगी।

धनखड़ ने कहा, “हम इस वक्त बहुत गंभीर संकट में हैं।” साथ ही कहा कि वह चुनाव के बाद हो रही हिंसा के मुद्दे को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाए हैं।

राज्यपाल ने कहा, “हमारी पहली प्राथमिकता बड़े पैमाने पर समाज को प्रभावित कर रही भयावह एवं निर्मम हिंसा को समाप्त करना है। चुनाव के बाद की हिंसा अगर प्रतिशोध में की जा रही है, तो यह लोकतंत्र विरोधी है।”

धनखड़ ने हिंसा के मुद्दे पर बार-बार राज्य सरकार की खिंचाई की है और कई मुद्दों पर बनर्जी के साथ उनके विवाद रहे हैं।

राज्यपाल ने उम्मीद जताई कि मुख्यमंत्री, तत्काल आधार पर कानून-व्यवस्था बहाल करने के लिए कदम उठाएंगी और सुनिश्चित करेंगी कि जो भी प्रभावित हैं, खासकर महिलाएं एवं बच्चे, उनतक राहत पहुंचे।

उन्होंने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा, “मैं नई सरकार से नई प्रतिबद्धता, सहकारी संघवाद के प्रति एक नये दृष्टिकोण की भी उम्मीद करता हूं।”

इस दौरान मुख्यमंत्री उनके बगल में ही खड़ी थीं।

उन्होंने बनर्जी से सामान्य से बेहतर करने की अपील की और उम्मीद जताई कि वह ऐसा करेंगी। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी व्यक्ति को तीसरी बार कार्यकाल मिलना सामान्य नहीं है।

बनर्जी को संबोधित करते हुए धनखड़ ने कहा, “ऐसी स्थितियां आती हैं जब राज्य संकट का सामना करता है, हमें पक्षपाती हितों से ऊपर उठना होगा।”

राज्यपाल का भाषण समाप्त होने के बाद, बनर्जी ने कहा कि उन्हें अभी-अभी प्रभार संभाला है और कहा कि पुलिस प्रशासन को तीन महीनों से निर्वाचन आयोग चला रहा है।

भाजपा जहां अपने कार्यकर्ताओं के खिलाफ हमले और उसके कार्यालयों को क्षतिग्रस्त करने का आरोप टीएमसी पर लगा रही है, वहीं सत्तारूढ़ पार्टी ने भी दावा किया है कि भगवा पार्टी जहां जहां जीती है वहां उसके समर्थकों पर हमला किया गया और उनकी हत्या की गई है।

पुलिस प्रशासन में बदलाव का संकेत देते हुए बनर्जी ने कहा, “मैं नया ढांचा बनाउंगी और सुनिश्चित करुंगी कि हिंसा में शामिल किसी को न बख्शा जाए।”

निर्वाचन आयोग ने चुनाव प्रक्रिया के दौरान कई पुलिस अधिकारियों का तबादला किया था जिसमें राज्य के एडीजी (कानून-व्यवस्था) और डीजीपी तथा कई जिलों के पुलिस अधीक्षक शामिल हैं।

बनर्जी ने दावा किया कि पिछले तीन महीने से उनकी सरकार के तहत पुलिस प्रशासन न होने के कारण कुछ अक्षमता थी।

इस बीच, नड्डा ने भाजपा के हैस्टिंग्स स्थित कार्यालय में एक अलग शपथग्रहण समारोह का नेतृ्त्व किया जहां पार्टी नेताओं ने लोकतंत्र को बचाने और पश्चिम बंगाल के लोगों को राजनीतिक हिंसा के दुष्चक्र से बचाने की शपथ ली।

नड्डा ने कहा, “मैं नॉर्थ 24 परगना जैसे जिलों में जा रहा हूं ताकि निर्मम हिंसा से प्रभावित अपने सदस्यों के साथ होने का भरोसा दिला सकूं, ऐसी हिंसा जो स्वतंत्र भारत में नहीं देखी गई। हम पूरे देश को इसके बारे में बताना चाहते हैं।”

पार्थ चटर्जी और सुब्रत मुखर्जी जैसे टीएमसी नेताओं के अलावा, टीएमसी की जीत में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर और बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी ममता के शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद थे।

भाजपा, वाम और कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों के नेता समारोह में शामिल नहीं हुए।

छत्तीसगढ़ बनने लगा है सोना तस्करी का गढ़:रायपुर में 42 करोड़ की विदेशी सोना तस्करी मामले में पांच गिरफ्तार attacknews.in

रायपुर, 5 मई । छत्तीसगढ़ में राजस्व आसूचना निदेशालय (डीआरआई) के अधिकारियों ने विदेशी सोने की तस्करी के आरोप में पांच लोगों को पकड़ा है तथा इनसे लगभग 42 करोड़ रुपए मूल्य का सोना, चांदी और नकद बरामद किया है।

डीआरआई ने सोमवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि निदेशालय की रायपुर इकाई ने कार्रवाई कर विदेशी सोने की तस्करी करने के आरोप में पांच लोगों को पकड़ा है। इस दौरान आरोपियों से 18.18 किलोग्राम सोना, 4545 किलोग्राम चांदी और 32 लाख रुपए नकद बरामद किया है। बरामद सोने, चांदी और नकद का मूल्य लगभग 42 करोड़ रुपए है।

विज्ञप्ति के अनुसार डीआरआई की रायपुर इकाई को क्षेत्र में भारी मात्रा में सोने की तस्करी होने की सूचना मिली थी। सूचना के बाद अधिकारियों ने कलकत्ता से राजनांदगांव जा रही रेलगाड़ी से दो व्यक्तियों को पकड़ा। उनकी तलाशी ली गई तो उनके पास से 13.53 किलोग्राम सोने के दो छड़ बरामद हुए। तस्करों ने सोने को कपड़ों में छिपा कर रखा था।

विज्ञप्ति में बताया गया है कि जब मामले की छानबीन की गई तब सोने को तस्करों से लेने वाले दो व्यक्तियों तथा आभूषण विक्रेता के बारे में भी जानकारी मिली।

डीआरआई के अधिकारियों ने सूचना के आधार पर एक आभूषण विक्रेता के परिसर में तलाशी अभियान चलाया जहां से 4545 किलोग्राम चांदी, 4.65 किलोग्राम सोना और 32.35 लाख रुपए नकद बरामद किया गया।

विज्ञप्ति में बताया गया है कि डीआरआई के अधिकारियों ने विदेशी सोने की तस्करी के आरोप में अभी तक पांच लोगों को पकड़ा है तथा जानकारी मिली है कि आरोपियों द्वारा पूर्व में भी भारी मात्रा में विदेशी सोने की तस्करी की गई है। डीआरआई ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

19 कंपनियों ने आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई योजना के तहत अपने आवेदन दायर किए,अगले 4 वर्षों में 1.60 लाख करोड़ रुपए का उत्पादन और 60 हजार करोड़ रुपए के निर्यात की उम्मीद attacknews.in

नईदिल्ली 5 मई । आईटी हार्डवेयर के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (पीएलआई) के अंतर्गत कुल 19 कंपनियों ने अपने आवेदन दायर किये हैं, इसे 03.03.2021 को अधिसूचित किया गया था। इस योजना में आवेदन दाखिल करने की अंतिम तिथि 30.04.2021 थी। योजना के अंतर्गत प्रोत्साहन 01.04.2021 से लागू हैं।

आईटी हार्डवेयर कंपनियों की श्रेणी के तहत आवेदन दायर करने वाली इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर निर्माण कंपनियों में डेल, आईसीटी (विस्ट्रॉन), फ्लेक्सट्रॉनिक्स, राइजिंग स्टार्स हाई-टेक (फॉक्सकॉन) और लावा शामिल हैं।

14 कंपनियों ने घरेलू कंपनियों के तहत आवेदन दायर किए हैं, जिनमें डिक्सन, इन्फोपावर (सहस्र और एमआईटीएसी की जेवी), भगवती (माइक्रोमैक्स), साइरमा, ऑर्बिक, नियोलिंक, ऑप्टिमस, नेटवेब, वीवीडीएन, स्माइल इलेक्ट्रॉनिक्स, पनाशे डिगलाइफ, एचएलबीएस, आरडीपी वर्कस्टेशन और कोकोनिक्स शामिल हैं। इन कंपनियों से आशा की जाती है कि वे अपने विनिर्माण कार्यों का विस्तार महत्वपूर्ण रूप से करेंगी और आईटी हार्डवेयर उत्पादन में राष्ट्रीय चैंपियन कंपनियों के रूप में विकसित होंगी।

आईटी हार्डवेयर के लिए उत्पादन लिंक्ड प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) 03.03.2021 को अधिसूचित की गई थी। पीएलआई योजना चार वर्ष की अवधि (वित्तीय वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2024-25) के लिए पात्र कंपनियों को भारत में निर्मित लक्ष्य खंडों के तहत माल की कुल वृद्धिशील बिक्री (वित्त वर्ष 2019-20 आधार वर्ष पर) पर 4 प्रतिशत से 2 प्रतिशत/ 1 प्रतिशत तक का प्रोत्साहन देती है।

योजना के तहत आवेदन विडों के समापन पर अपने संबोधन में, केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना-प्रौद्योगिकी, संचार, विधि और न्याय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आईटी हार्डवेयर के लिए पीएलआई योजना के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स हार्डवेयर उत्पादों के विनिर्माण में लगी वैश्विक के साथ-साथ घरेलू कंपनियां से प्राप्त आवेदनों के संदर्भ में यह बहुत बड़ी सफलता है। इस उद्योग ने वैश्विक स्तर के विनिर्माण गंतव्य के रूप में भारत की शानदार प्रगति में अपने विश्वास को दोहराया है और यह आत्म-निर्भर भारत- आत्मनिर्भर भारत के प्रधानमं त्री के स्पष्ट आह्वान के साथ इसकी दृढ़ता को प्रतिबिंबित करता है। उन्होंने कहा कि “हम आशावादी हैं और मूल्य श्रृंखला में एक मजबूत पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण करने और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं के साथ पूर्ण एकीकरण के प्रति आशान्वित हैं, जिससे देश में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत हो।”

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व और “डिजिटल इंडिया” और “मेक इन इंडिया” कार्यक्रमों जैसी उनकी दूरदर्शी पहल के तहत, भारत ने पिछले पांच वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है। इलेक्ट्रॉनिक्स 2019 की राष्ट्रीय नीति में भारत को इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम डिजाइन एंड मैन्युफैक्चरिंग (ईएसडीएम) के लिए वैश्विक केन्द्र के रूप में देखा जा रहा है जिसमें आकार और पैमाने पर ध्यान केंद्रित करते हुए निर्यात को बढ़ावा देने और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए उद्योग के लिए सक्षम वातावरण बनाकर घरेलू मूल्य संवर्धन को बढ़ावा दिया जा रहा है।

मोबाइल फोन (हैंडसेट और उपकरणों) के विनिर्माण में निवेश बढ़ाने में उत्पादन से जुड़ी इस प्रोत्साहन योजना की सफलता के बाद, प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आईटी उत्पादों के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) योजना को मंजूरी दी है। प्रस्तावित योजना के तहत लक्षित आईटी हार्डवेयर खंडों में लैपटॉप, टैबलेट, ऑल-इन-वन पर्सनल कंप्यूटर (पीसी) और सर्वर शामिल हैं। योजना घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और इन आईटी हार्डवेयर उत्पादों की मूल्य श्रृंखला में बड़े निवेश को आकर्षित करने के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन के प्रस्ताव भी देती है।

अगले 4 वर्षों में, इस योजना से कुल 1,60,000 करोड़ रुपए का उत्पादन होने की उम्मीद है। कुल उत्पादन में से, आईटी हार्डवेयर कंपनियों ने 1,35,000 करोड़ रुपए से अधिक के उत्पादन का प्रस्ताव दिया है, और घरेलू कंपनियों ने 25,000 करोड़ रुपए से अधिक के उत्पादन का प्रस्ताव दिया है।

इस योजना से निर्यात को काफी बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। अगले 4 वर्षों में 1,60,000 करोड़ रुपए के कुल उत्पादन में से 60,000 करोड़ रुपए के ऑर्डर के निर्यात के द्वार 37 प्रतिशत से अधिक का योगदान होगा।

इस योजना से इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में 2,350 करोड़ रूपए का अतिरिक्त निवेश आएगा।

यह योजना अगले 4 वर्षों में प्रत्यक्ष रोजगार के लगभग 3 गुना अतिरिक्त अप्रत्यक्ष रोजगार के सृजन के साथ लगभग 37,500 प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करेगी।

घरेलू मूल्य वृद्धि के वर्तमान 5-12 प्रतिशत से बढ़कर 16-35 प्रतिशत होने की उम्मीद है।

भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स की मांग 2025 तक कई गुना बढ़ने की उम्मीद के साथ, केंद्रीय मंत्री ने विश्वास व्यक्त किया कि इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए पीएलआई योजना और अन्य पहल भारत को न सिर्फ इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण के लिए एक प्रतिस्पर्धी गंतव्य बनाने में मदद करेगी बल्कि आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देगी। इस योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक्स विनिर्माण में घरेलू चैंपियन कंपनियों का निर्माण वैश्विक स्तर पर अपने को प्रतिस्पर्धी बनाने के लक्ष्य के साथ स्थानीय अथवा घरेलू निर्माण को मुखर करेगा।

कोविड19 के लिए क्लिनिकल परीक्षण में सफल आयुर्वेदिक दवा “आयुष -64” के बारे में आयुष मंत्रालय ने प्रायः पूछे जाने वाले सवालों के जवाब दिये attacknews.in

कई जड़ी-बूटियों से बनी दवा आयुष – 64 को कोविड 19 के हल्के और कम गंभीर मामलों के उपचार के लिये क्लीनिकल परीक्षण में कारगर पाया गया

“आयुष-64” कोविड 19 के हल्के और कम गंभीर मामलों में कारगर

नयी दिल्ली,05 मई। कईं जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनाई गई आयुष–64 दवा को कोविड 19 के उपचार के लिये भी उपयुक्त पाया गया है। इस दवा को मूलरूप से मलेरिया के उपचार के लिये 1980 में विकसित किया गया था।

आयुष मंत्रालय के तहत काम करने वाले केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) और वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने हाल में इस दवा का विस्तृत और गहन परीक्षण किया है। इसमें देश के अन्य अनुसंधान संगठनों और मेडिकल कॉलेजों का भी सहयोग लिया गया। देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों ने आयुष 64 का जो क्लीनिकल परीक्षण किया, उसमें पता लगा कि इस दवा में वाइरस के खिलाफ लड़ने, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और बुखार उतारने के गुण हैं। इसे लक्षण-रहित, हल्के और कम गंभीर कोविड 19 संक्रमण के उपचार के लिये भी कारगर पाया गया। परिणामस्वरूप, इस दवा को कोविड 19 के उपचार के लिये उपयुक्त मान लिया गया है।

कई जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनाई गई आयुष–64 दवा को इस महामारी के समय में विशेषज्ञों ने उम्मीद की किरण बताया है। इस दवा को मूलरूप से मलेरिया के उपचार के लिये 1980 में विकसित किया गया था। अब उसे कोविड 19 के उपचार के लिये भी उपयुक्त पाया गया है।

केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद (सीसीआरएएस) आयुष मंत्रालय के अधीन आयुर्वेद में शोध करने वाला एक अग्रणी संस्थान है। उसने वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के सहयोग से हाल में इस दवा का विस्तृत और गहन परीक्षण किया है। इसमें देश के अन्य अनुसंधान संगठनों और मेडिकल कॉलेजों का भी सहयोग लिया गया। देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों ने आयुष 64 का जो क्लीनिकल परीक्षण किया, उसमें पता लगा कि इस दवा में वाइरस के खिलाफ लड़ने, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और बुखार उतारने के गुण हैं। इसे लक्षण-रहित, हल्के और कम गंभीर कोविड 19 संक्रमण के उपचार के लिये भी कारगर पाया गया। परिणामस्वरूप, इस दवा को कोविड 19 के उपचार के लिये उपयुक्त मान लिया गया है।

आयुष मंत्रालय ने क्लीनिकल परीक्षण के नतीजों की घोषणा 29 अप्रैल, 2021 को एक प्रेस-कांफ्रेंस में की थी। उसके बाद आम जनता और चिकित्सा कार्य से जुड़े लोगों में आयुष – 64 के प्रति दिलचस्पी बढ़ी है। इस विषय में कई जिज्ञासायें मिली हैं।

मंत्रालय ने अब प्रायः पूछे जाने वाले प्रश्नों के रूप में जवाब जारी किये हैं, जिन्हें नीचे दिया जा रहा हैः

आयुष क्या है?

आयुष एक आयुर्वेदिक नुस्खा है, जिसे केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद ने विकसित किया है, जो आयुष मंत्रालय के अधीन आयुर्वेद अनुसंधान की प्रमुख संस्था है। मूल रूप से इसे 1980 में मलेरिया के उपचार के लिये विकसित किया गया था। अब इस दवा को कोविड 19 के उपचार के लिये भी उपयोगी माना गया है, क्योंकि इसमें वाइरस से लड़ने, शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने और बुखार उतारने के गुण हैं। आयुष 64 के वैज्ञानिक अध्ययन में पाया गया है कि इसके 36 घटकों में से 35 घटक ऐसे हैं, जो कोविड 19 के वाइरस के खिलाफ एक-जुट होकर उसका मुकाबला कर सकते हैं। इस नुस्खे में ऐसे भी घटक मौजूद हैं, जो फ्लू जैसी बीमारियों से भी लड़ सकते हैं।

देश भर में 64 क्लीनिकल परीक्षण हुये हैं। इन परीक्षणों से जो सबूत मिले हैं, उनसे साबित होता है कि लक्षण-रहित, हल्के और कम गंभीर कोविड 19 के इलाज में यह दवा बहुत कारगर है और इससे मरीज जल्द ठीक हो सकता है।

आयुष–64 कौन ले सकता है?

कोविड 19 के किसी भी स्तर का मरीज इसे ले सकता है। बहरहाल, वैज्ञानिक परीक्षणों से पता चला है कि यह दवा लक्षण-रहित, हल्के और कम गंभीर मालमों में ज्यादा कारगर है। इसके विपरीत नतीजे निकलने का कोई खतरा नहीं है। इसके अलावा जिन मरीजों को आपात चिकित्सकीय मदद या अस्पताल की जरूरत नहीं है, वे मरीज आयुष–64 ले सकते हैं। कोविड 10 के हल्के और कम गंभीर लक्षणों वाले जिन मरीजों में शुरूआत में बुखार, शरीर दर्द, नाक बंद होना, अस्वस्थ महसूस करना, नाक से पानी बहना, सिरदर्द, खांसी आदि शिकायतें होती हैं, वे दवा ले सकते हैं। साथ में, जिन मरीजों में कोई लक्षण नहीं होता, वे आरटी-पीसीआर जांच के सात दिन के अंदर आयुष–64 दवा ले सकते हैं। इससे बेहतर नतीजे मिलेंगे।

मैं आयुष–64 क्यों लूं?

रोग के निदान और गंभीरता के मद्देनजर आयुष–64 को बीमारी से उबरने में बहुत कारगर पाया गया है। इससे बीमारी से जल्दी ठीक हो सकते हैं। यह दवा आम सेहत, थकान, चिंता, तनाव, भूख न लगना, आरोग्य और नींद के लिये भी उपयोगी है।

क्या इसकी उपयोगिता कोविड 19 के संदर्भ में वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित है?

आयुष–64 कई जड़ी-बूटियों को मिलाकर बनाई गई दवा है। इसे हर चिकित्सकीय तकाजों के तहत बनाया गया है। आयुष मंत्रालय के अधीन आयुष अनुसंधान सम्बंधी केंद्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद द्वारा तय चिकित्सा मानकों के हवाले से इसकी गुणवत्ता और औषधीय गुणों का पूरा ध्यान रखा गया है।

वैज्ञानिक रूप से यह साबित हो चुका है कि यह लक्षण-रहित, हल्के और कम गंभीर कोविड 19 संक्रमण के उपचार में कारगर है। देश में इस दवा पर गहन क्लीनिकल परीक्षण किये गये हैं, जिसमें इसे उपयोगी पाया गया है।

मरीजों के लिये कोविड 19 की आदर्श खुराक क्या है?

लक्षण-रहित कोविड 19 के मामलों में इसकी खुराक के तहत खाना खाने के एक घंटे बाद 500 एमजी की दो गोली दो बार लेनी है। गर्म पानी के साथ दवा खानी है। चौदह दिनों तक गोलियां खानी हैं। हल्के और कम गंभीर मामलों में खुराक के तहत 500 एमजी की दो-दो गोलियां दिन में तीन बार लेनी हैं। गोलियां गर्म पानी के साथ खाना खाने के एक घंटे बाद लेनी हैं।

क्या आयुष-64 के साइड-इफेक्ट्स हैं?

कुछ मरीजों को पेचिश की शिकायत हो सकती है, जो अपने आप ठीक हो जायेगा। उसके लिये कोई दवा खाने की जरूरत नहीं है।

क्या आयुष-64 को बुखार उतारने वाली दवा के रूप में भी लिया जा सकता है?

इसे बुखार की दवा के रूप में लिया जा सकता है। इसके लिये 500 एमजी की दो गोली दिन में दो बार लेनी है। लेकिन बुखार की दवा के रूप में क्लीनिकल परीक्षण में इसके प्रभाव को नहीं जांचा गया था। अगर मरीज को कोविड 19 है, तो लक्षण दिखते ही इसे दिया जा सकता है। ऐसे मामलों में व्यक्ति की आरटी-पीसीआर या रैपिड एंटीजन जांच जरूरी है। मरीज को चिकित्सकीय देखरेख में रहना चाहिये।

क्या हल्के लक्षणों में सिर्फ आयुष-64 से काम चल जायेगा?

आयुर्वेदिक चिक्तिसक की देखरेख में हल्के लक्षणों वाले कोविड 19 के इलाज में आयुष-64 को अकेले लिया जा सकता है, बशर्ते कि आगे उचित इलाज की सुविधा मौजूद हो। बहरहाल, सलाह दी जाती है कि आयुष-64 को हल्के और कम गंभीर मामलों में चिकित्सकीय देखरेख के तहत लिया जाये, जब मरीज होम आईसोलेशन में हो। आयुष-64 को आयुष चिकित्सक की सलाह पर ही लिया जाये।

आयुष-64 को कितने दिनों तक लेना चाहिये?
आयुष-64 को कम से कम 14 दिनों तक लिया जा सकता है। बहरहाल, अगर जरूरत पड़े, तो योग्य आयुष चिकित्सक की सलाह पर उसे 12 हफ्तों तक भी लिया जा सकता है। क्लीनिकल परीक्षण में वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित हो चुका है कि इसे 12 हफ्तों तक लेना बिलकुल सुरक्षित है।

आयुष-64 को कैसे लिया जाये?

इसे गर्म पानी से ले सकते हैं। अच्छा होगा अगर खाना खाने के एक घंटे बाद लिया जाये।

जिन कोविड 19 मरीजों को अन्य बीमारियां (कोमॉर्बीटीज) भी हैं, क्या वे भी आयुष-64 ले सकते हैं?

जिन मरीजों को उच्च रक्तचाप, मधुमेह आदि अन्य बीमारियां हैं, वे भी लक्षण-रहित, हल्के और कम गंभीर कोविड मामलों में भी आयुष-64 ले सकते हैं। उन्हें सलाह दी जाती है कि वे इन बीमारियों की दवा बंद न करें।

टीकाकरण के बाद क्या आयुष-64 लेना सुरक्षित है?

हां। अगर व्यक्ति टीका लगवाने के बाद भी संक्रमित हो जाता है, तो वह आरटी-पीसीआर पॉजीटिव रहने पर आयुष चिकित्सक की सलाह से आयुष-64 ले सकता है। बहरहाल, वैज्ञानिक अध्ययन में इस विषय में कोई प्रमाण नहीं मिला है।

क्या गर्भवती और दुग्धपान कराने वाली माताओं के लिये यह सुरक्षित है?

वैज्ञानिक अध्ययन में ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला है कि आयुष-64 गर्भवती और दुग्धपान कराने वाली माताओं के लिये सुरक्षित है।

क्या आयुष-64 बाजार में उपलब्ध है?

यह बाजार में उपलब्ध है और आयुर्वेदिक फार्मेसी से इसे खरीदा जा सकता है। बहरहाल, यह सुनिश्चित कर लिया जाये कि इसे बिना चिकित्सक के पर्चे के न बेचा जाये और आयुर्वेदिक चिकित्सक की देखरेख में ही इसका इस्तेमाल किया जाये।

आयुष-64 लेने के बारे में किन मार्गदर्शनों का पालन किया जाना चाहिये?

आयुष-64 के इस्तेमाल के सम्बंध में किसी विशेष सावधानी की जरूरत नहीं है। बहरहाल, व्यक्ति को कोविड 19 के बारे में आयुष मंत्रालय और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिये।

मध्यप्रदेश में 18 पार वालों को बुधवार से लगना शुरू हुए कोविड-19 का टीका;पूरे प्रदेश में कोरोना मरीजों को मिलेगा नि:शुल्क भाेजन attacknews.in

भोपाल, 94 मई । मध्यप्रदेश में कल 5 मई से 18 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों को टीका लगना शुरू होगा।

श्रीमती अर्चना मुण्डीर, उप संचालक राज्य आईईसी ब्यूरो ने बताया कि टीकों की उपलब्धता के अनुसार पूरे प्रदेश में चरणबद्ध तरीके से टीकाकरण किया जाएगा। जैसे-जैसे टीके उपलब्ध होते जाएंगे टीकाकरण कार्यक्रम की रूपरेखा बनती जाएगीं। एक सेशन में 18 से 44 वर्ष तक के व्यक्तियों को वैक्सीन लगाई जाएगी। ऐसे व्यक्ति जिन्होंने 18 वर्ष की आयु पूर्ण कर ली है, वे वैक्सीन लगवाने के पात्र होंगे। दिनाँक 5 से 15 मई के बीच एक लाख 48 हजार वैक्सीन के डोज लगाए जायेंगे। टीकाकरण दिवस सोमवार, बुधवार, गुरुवार एवं शनिवार प्रात: 9 बजे से सायं 5 बजे तक होगा। नियमित टीकाकरण दिवस मंगलवार एवं शुक्रवार को कोविड-19 टीकाकरण नहीं होगा।

कोरोना मरीजों को मिलेगा नि:शुल्क भाेजन

इधर मध्यप्रदेश में कोरोना मरीजों के लिए अस्पताल में नि:शुल्क भोजन मिलेगा।

चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास कैलाश सारंग ने आज भोपाल के कोरोना मरीजों के लिए निःशुल्क स्वस्थ आहार सेवा योजना शुरू की। इस योजना के तहत अस्पताल में भर्ती को पौष्टिक आहार निःशुल्क मिलेगा।

मानवाधिकार आयोग ने बंगाल में चुनाव बाद हुयी हिंसा की जांच का दिया आदेश:नरेन्द्र मोदी ने बंगाल में चुनाव बाद हिंसा पर जतायी गंभीर चिंता attacknews.in

नयी दिल्ली/कोलकाता 04 मई । पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनावों के बाद हुयीं हिंसा पर स्वतः संज्ञान लेते हुए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने मंगवार को एक टीम का गठन करने तथा सच्चाई का पता लगाने के लिए राज्य में भेजने का आदेश दिया।

आयोग ने अपने आदेश में कहा, “कथित तौर पर निर्दोष नागरिकों के जीवन के अधिकार का हनन करने के मामले पर आयोग ने स्वतः संज्ञान लिया है और अपने उप महानिरीक्षक (जांच) से आयोग के जांच विभाग डिवीजन के अधिकारियों की एक टीम गठित करने, मौके पर तथ्य की जांच करने और जल्द से जल्द या दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने का अनुरोध किया है।”

पुलिस को राजनीतिक हिंसा खत्म करनी होगी: धनखड़

इधर पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को कहा कि पश्चिम बंगाल पुलिस को लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली राजनीतिक हिंसा, बर्बरता, आगजनी, हत्याएं और डराने-धमकाने जैसी गतिविधियों को समाप्त करना होगा।

मोदी ने बंगाल में चुनाव बाद हिंसा पर जतायी गंभीर चिंता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव बाद हिंसा को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की और पीड़ा का इजहार किया है।

राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को बताया कि श्री मोदी ने उन्हें फोन करके इस आशय की प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने कहा,“ प्रधानमंत्री ने फोन किया और राज्य की कानून-व्यवस्था की चिंताजनक स्थिति पर अपनी गंभीर पीड़ा और चिंता व्यक्त की। मैंने भी पीएमओ से गंभीर चिंताओं को साझा करते हुए कहा कि राज्य में हिंसक बर्बरता, आगजनी, लूट और हत्याएं बेरोकटोक जारी हैं। ”

पश्चिम बंगाल में निर्वाचित हुए बिना ममता बनर्जी लगातार तीसरी बार बुधवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी attacknews.in

कोलकाता, 04 मई । तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख लगातार तीसरी बार बुधवार को यहां राजभवन में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी।

सुश्री बनर्जी ने केवल अपने दम पर राज्य में हुए 292 क्षेत्रों में हुए चुनाव में से 213 सीटों पर शानदार जीत दिलवायी। यह उनका लगातार तीसरा कार्यकाल होगा।
राजभवन की ओर से जारी विज्ञप्ति में कहा गया, “

कोविड स्थिति की मौजूदा स्थिति को देखते हुए समारोह (शपथ ग्रहण समारोह) सीमित दर्शकों के साथ होगा।”
तृणमूल की तेजतर्रार नेता सुश्री बनर्जी ने जख्मी पांव होने के बावजूद पार्टी को अब तक की सबसे बड़ी जीत दिलायी। इस दौरान उन्हें हालांकि पूर्वी मिदनापुर जिले में स्थित नये विधानसभा क्षेत्र नंदीग्राम में अपने पुराने सहयोगी एवं भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार शिवेंदु अधिकारी के हाथों 2000 से कम मतों से हार का सामना भी करना पड़ा।

इस हार के बावजूद भारतीय संविधान सुश्री बनर्जी को अगले कार्यकाल के लिए मुख्यमंत्री बनने का अधिकार भी देता है। लेकिन इसके लिए उन्हें छह महीनों के भीतर विधानसभा (या विधान परिषद) के किसी भी सीट से निर्वाचित होना होगा।

यह पहली बार नहीं है, जब सुश्री बनर्जी बगैर विधानसभा सदस्य निर्वाचित हुए मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी। वर्ष 2011 में भी तत्कालीन वाम मोर्चा सरकार को अपदस्थ करने के बाद भी उन्होंने बिना विधानसभा का चुनाव लड़े मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। बाद में वह भवानीपुर सीट से चुनाव लड़कर जीतीं थी।

मध्यप्रदेश में सोशल मीडिया पर कोरोना के संबंध में भ्रामक जानकारियाँ पोस्ट करने वालों के खिलाफ होगी सख्त कार्यवाही;एम्बुलेंस की दरें होंगी तय, करेंगे कार्यवाही;नरोत्तम मिश्रा ने दी जानकारी attacknews.in

भोपाल, 04 मई । मध्यप्रदेश के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने बताया है कि कोरोना के आपदा काल में एम्बुलेंस संबंधी शिकायतें निरंतर प्राप्त हो रही हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा कोरोना नियंत्रण की समीक्षा बैठक में तय किया गया है कि राज्य स्तर से एम्बुलेंस की दरें तय की जायेंगी, जिससे जनता को अनावश्यक परेशानी न हो।

डॉ. मिश्रा ने बताया कि सोशल मीडिया पर कोरोना के संबंध में भ्रामक जानकारियाँ पोस्ट करने वालों के खिलाफ भी सख्ती से कार्यवाही करने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने 5 मई से प्रारंभ होने वाले 18 प्लस वैक्सीनेशन के लिये पंजीयन उपरांत ही वैक्सीनेशन सेंटर जाने की अपील की है।

मध्यप्रदेश में मंगलवार को कोरोना से 98 मरीजों की मौत और 12 हजार से अधिक लोगों में मिले संक्रमण के लक्षण;इंदौर और भोपाल सबसे ज्यादा संक्रमित attacknews.in

भोपाल, 04 मई । मध्यप्रदेश में आज भी बारह हजार से अधिक लोगों में कोरोना संक्रमण के लक्षण मिले हैं।

राज्य में इस महामारी के कारण 98 लोगों की मौत हो गई।इस महामारी का असर आज भी सबसे अधिक इंदौर में देखने को मिला।इंदौर में आज 18 सौ से अधिक लोग कोरोना संक्रमित मिले है।

राज्य के स्वास्थ्य संचालनालय की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार आज प्रदेश भर में जांचे गये 64054 सैंपल रिपोर्ट में 12,236 लोग कोरोना संक्रमित मिले हैं।

इस महामारी से अब तक राज्य भर में 6,12,666 लोग संक्रमित हो चुके हैं।

राहत की खबर है कि इनमें से 5,20,024 लोग विभिन्न अस्पतालों से स्वस्थ होकर घर पहुंच चुके है।वर्तमान में प्रदेश भर के विभिन्न अस्पतालों में 86639 लोगों का उपचार चल रहा है।

इस बीमारी से जंग जीत कर आज 11,249 लोग अपने घर रवाना हो गये है।

आज संक्रमण दर 19़ 1 प्रतिशत रहा।

राज्य में अब तक 6003 लोग जान गवा चुके है।राज्य के इंदौर जिले में 1805 लोगों में संक्रमण के लक्षण मिले है।

वहीं राजधानी भोपाल जिले में 1673 लोग कोरोना संक्रमित मिले है।कोरोना संक्रमण की चपेट में इंदौर के बाद दूसरा स्थान भोपाल का है।इसके अलावा ग्वालियर जिले में 1096, जबलपुर जिले में 711, उज्जैन जिले में 325, सागर जिले में 233, रतलाम जिले में 355, रीवा जिले में 330, धार जिले में 240, बैतूल जिले में 186, सतना जिले में 248, नरसिंहपुर जिले में 216, शिवपुरी जिले में 220 संक्रमित मिले हैं।

राज्य के बाकी जिलों में भी 8 से 199 के बीच कोरोना मरीज मिले हैं।

अल्मोड़ा में कुछ न्यूज चैनलों के खिलाफ पोक्सो के तहत दर्ज मामला attacknews.in

नैनीताल 04 मई । उत्तराखंड में नाबालिग लड़की की पहचान उजागर करने और उससे अनर्गल सवाल पूछने के मामले में अल्मोड़ा पुलिस ने कुछ न्यूज चैनलों के खिलाफ सोमवार को पोक्सो तथा किशोर न्याय अधिनियम की गंभीर धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।

अल्मोड़ा की दन्या पुलिस ने बाल कल्याण समिति अल्मोड़ा की शिकायत पर यह कदम उठाया है। समिति की ओर से तीन मई को लिखे गये पत्र में कहा गया कि कुछ न्यूज चैनलों की ओर से नाबालिग लड़की का इंटरव्यू प्रचारित कर और उससे अनर्गल सवाल करके उसकी पहचान उजागर की गयी है। यह उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है।

जेईई (मेन) की मई 2021 सत्र की परीक्षा स्थगित attacknews.in

नयी दिल्ली, चार मई । केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने मंगलवार को घोषणा की कि कोविड-19 की वर्तमान स्थिति को देखते हुए इंजीनियरिंग संकाय में प्रवेश से संबंधित जेईई (मेन) की मई 2021 सत्र की परीक्षा को स्थगित कर दिया गया है । यह सत्र 24 से 28 मई तक आयोजित होने वाला था ।

निशंक ने ट्वीट किया कि इस बारे में अधिक जानकारी राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) की आधिकारिक वेबसाइट से प्राप्त की जा सकती है ।

राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) परीक्षार्थियों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए जेईई (मेन) 2021 परीक्षा का आयोजन चार सत्र में कर रही है । इसमें से पहला सत्र 23 से 26 फरवरी के बीच और दूसरा सत्र 16 से 18 मार्च 2021 के दौरान आयोजित किया जा चुका है ।

परीक्षा के पहले सत्र में 6.2 लाख छात्र उपस्थित हुए जबकि दूसरे सत्र में 5.5 लाख परीक्षार्थी बैठे।

एनटीए की सार्वजनिक सूचना में कहा गया है कि जेईई (मेन) का तीसरा सत्र स्थगित कर दिया गया था जो 27,28 और 30 अप्रैल को आयोजित किया जाना था ।

इसमें कहा गया है कि जेईई (मेन) के मई 2021 सत्र को भी स्थगित करने का फैसला किया गया है जो 24,25,26,27 और 28 मई को आयोजित किया जाना निर्धारित था ।

एनटीए ने कहा कि नया कार्यक्रम बाद में निर्धारित किया जायेगा । मई सत्र के लिये पंजीकरण संबंधी घोषणा बाद में की जायेगी ।

एनटीए ने कहा कि छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे इस अवधि में परीक्षा की बेहतर तैयारी करें । वे (छात्र) एनटीए अभ्यास ऐप पर भी तैयारी कर सकते हैं ।

गौरतलब है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, कोरोना वायरस के एक दिन में 3,57,229 नए मामले आने से संक्रमण के मामले बढ़कर 2,02,82,833 पर पहुंच गए जबकि 3,449 और लोगों के जान गंवाने से मृतकों की संख्या 2,22,408 पर पहुंच गई है।