संगम की रेती पर संयम,श्रद्धा एवं कायाशोधन का कल्पवास समाप्त:अमृत से सिंचित,पितामह ब्रह्मदेव के यज्ञ से पवित्र पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त स्वरूप सलिला के रूप में प्रवाहित सरस्वती के संगम क्षेत्र में माघी पूर्णिमा तक चला”कल्पवास” attacknews.in

प्रयागराज 27 फरवरी ।अमृत से सिंचित और पितामह ब्रह्मदेव के यज्ञ से पवित्र पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त स्वरूप सलिला के रूप में प्रवाहित सरस्वती के संगम क्षेत्र में माघी पूर्णिमा स्नान के साथ ही एक माह का संयम, अहिंसा, श्रद्धा एवं कायाशोधन का कल्पवास भी समाप्त हो गया।

पुराणों और धर्मशास्त्रों में कल्पवास को आत्मा शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति के लिए जरूरी बताया गया है। यह मनुष्य के लिए आध्यात्म की राह का एक पड़ाव है जिसके जरिए स्वनियंत्रण एवं आत्मशुद्धि का प्रयास किया जाता है। हर वर्ष श्रद्धालु एक महीने तक संगम के विस्तीर्ण रेती पर तंबुओं की आध्यात्मिक नगरी में रहकर अल्पाहार, तीन समय गंगा स्नान, ध्यान एवं दान करके कल्पवास करते है।

हांडिया के टेला ग्राम निवासी रमेश चतुर्वेदी संगम लोअर मार्ग पर शिविर में रहकर 20 साल से पत्नी के साथ सेवा का कल्पवास कर रहे हैं। सेवा परमोधर्म : का भाव लेकर लोकतंत्र में धर्मतंत्र की स्थापना के लिए प्रयासरत है। इनका मानना है कि अकेला चना भाड़ नहीं तोड सकता लेकिन किसी को तो आगे बढ़कर प्रयास करना ही होगा।

श्री चतुर्वेदी ने बताया कि संगम क्षेत्र में एक माह तक जो भी आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव मिलता है, उसका वर्णन नहीं जा किया जा सकता केवल महसूस किया जाता है। यह सौभाग्य अब फिर 11 माह बाद मिल सकेगा भी या नहीं कुछ नहीं कह सकते। यह जरूर कह सकते है कि वह जब जिसे चाहेंगी। किसी भी परिस्थिति में अपने पास बुला ही लेंगी।

उन्होने बताया कि कल्पवास के पहले शिविर के मुहाने पर तुलसी और शालिग्राम की स्थापना कर नित्य पूजा करते हैं। कल्पवासी परिवार की समृद्धि के लिए अपने शिविर के बाहर जौ का बीज अवश्य रोपित करता है। कल्पवास समाप्त होने पर तुलसी को गंगा में प्रवाहित कर देते हैं और शेष को अपने साथ ले जाते हैं।

श्री चतुर्वेदी ने बताया कि भारत की आध्यात्मिक सांस्कृतिकए सामाजिक एवं वैचारिक विविधताओं को एकता के सूत्र में पिरोने वाला माघ मेला भारतीय संस्कृति का द्योतक है। इस मेले में पूरे भारत की संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। उन्हाेने बताया कि शनिवार को माघी पूर्णिमा स्नान के साथ एक माह का कल्पवास समाप्त हुआ।

वैदिक शोध एवं सांस्कृतिक प्रतिष्ठान कर्मकाण्ड प्रशिक्षण केन्द्र के पूर्व आचार्य डा आत्माराम गौतम ने बताया कि प्रत्येक वर्ष फरवरी महीने के मध्य में कल्पवास खत्म हो जाता था। माघ अथवा कुंभ एवं अर्द्ध कुंभ मेले में दो कालखंड होते हैं। मकर संक्रांति से माघ शुक्लपक्ष की संक्रांति तक बिहार और झाारखंड के मैथिल ब्राह्मण कल्पवास करते हैं। दूसरे खण्ड पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक कल्पवास किया जाता है। माघ में कल्पवास ज्यादा पुण्यदायक माना जाता है। इसलिए 90 प्रतिशत से अधिक श्रद्धालु पौष पूर्णिमा से माघी पूर्णिमा तक कल्पवास करते हैं।पर इसबार कल्पवासियों और संतों की तपस्या कुछ अधिक खिंच गया। इसकी वजह यह है कि 37 साल बाद पौष पूर्णिमा जनवरी महीने के अंत में लगी। इसलिए माघ महीना पूरे फरवरी तक रहेगा। बीते कुछ वर्षों में पौष पूर्णिमा 10 जनवरी के आसपास पड़ती थी। मकर संक्रांति 14 अथवा 15 जनवरी को ही रहती है।

आचार्य डा आत्माराम गौतम ने बताया कि ऐसी स्थिति में 20 फरवरी से पहले कल्पवास खत्म हो जाता था। चालू में मकर संक्रांति 14 जनवरी और पौष पूर्णिमा 28 जनवरी को पड़ी। माघ शुक्लपक्ष की संक्रांति 13 फरवरी को थी और माघी पूर्णिमा 27 फरवरी को है, इस तरह लगभग फरवरी महीना तक कल्पवास चला।

कल्पवास का वास्तविक अर्थ है कायाकल्प। यह कायाकल्प शरीर और अन्तःकरण दोनों का होना चाहिए। इसी द्विविध कायाकल्प के लिए पवित्र संगम तट पर जो एक महीने का वास किया जाता है उसे कल्पवास कहा जाता है।

प्रयागराज मे कुम्भ बारहवें वर्ष पड़ता है लेकिन यहाँ प्रतिवर्ष माघ मास मे जब सूर्य मकर राशि मे रहते हैं तब माघ मेला एवं कल्पवास का आयोजन होता है।

मत्स्यपुराण के अनुसार कुम्भ में कल्पवास का अत्यधिक महत्व माना गया है।

आचार्य गौतम ने बताया कि आदिकाल से चली आ रही इस परंपरा के महत्व की चर्चा वेदों से लेकर महाभारत और रामचरितमानस में अलग अलग नामों से मिलती है। बदलते समय के अनुरूप कल्पवास करने वालों के तौर तरीके में कुछ बदलाव जरूर आए हैं लेकिन कल्पवास करने वालों की संख्या में कमी नहीं आई है। आज भी श्रद्धालु भयंकर सर्दी में कम से कम संसाधनों की सहायता लेकर कल्पवास करते हैं।

उन्होने बताया कि कल्पवास के दौरान कल्पवासी को जमीन पर सोना होता है। इस दौरान फलाहार या एक समय निराहार रहने का प्रावधान होता है। कल्पवास करने वाले व्यक्ति को नियम पूर्वक तीन समय गंगा में स्नान और यथासंभव अपने शिविर में भजन कीर्तन प्रवचन या गीता पाठ करना चाहिए।

आचार्य ने बताया कि मत्स्यपुराण में लिखा है कि कल्पवास का अर्थ संगम तट पर निवास कर वेदाध्यन और ध्यान करना। कुम्भ में कल्पवास का अत्यधिक महत्व माना गया है। इस दौरान कल्पवास करने वाले को सदाचारी शांत चित्त वाला और जितेन्द्रीय होना चाहिए। कल्पवासी को तट पर रहते हुए नित्यप्रति तप, हाेम और दान करना चाहिए।

समय के साथ कल्पवास के तौर-तरीकों में कुछ बदलाव भी आए हैं। बुजुर्गों के साथ कल्पवास में मदद करते-करते कई युवाए युवतियां माता.पिता, सास.ससुर को कल्पवास कराने और सेवा में लिप्त रहकर अनजाने में खुद भी कल्पवास का पुण्य पा जाते हैं। आचार्य गौतम ने बताया कि पौष कल्पवास के लिए वैसे तो उम्र की कोई बाध्यता नहीं है लेकिन माना जाता है कि संसारी मोहमाया से मुक्त और जिम्मेदारियों को पूरा कर चुके व्यक्ति को ही कल्पवास करना चाहिए क्योंकि जिम्मेदारियों से बंधे व्यक्ति के लिए आत्मनियंत्रण कठिन माना जाता है।

कुम्भ, अर्द्ध कुम्भ और माघ मेला दुनिया का सबसे बड़ा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक समागम है जिसकी दुनिया में कोई मिसाल नहीं मिलती। इसके लिए किसी प्रकार का न/न तो प्रचार किया जाता है और न ही इसमें आने के लिए लोगों से मिन्नतें की जाती हैं। तिथियों के पंचांग की एक तारीख पर करोड़ों लोगों को कुम्भ में आने के निमंत्रण का कार्य करती है।

आचार्य ने बताया कि प्रयागराज मे जब बस्ती नहीं थी, तब संगम के आस-पास घोर जंगल था। जंगल मे अनेक ऋषि-मुनि जप तप करते थे। उन लोगों ने ही गृहस्थों को अपने सान्निध्य मे ज्ञानार्जन एवं पुण्यार्जन करने के लिये अल्पकाल के लिए कल्पवास का विधान बनाया था। इस योजना के अनुसार अनेक धार्मिक गृहस्थ ग्यारह महीने तक अपनी गृहस्थी की व्यवस्था करने के बाद एक महीने के लिए संगम तट पर ऋषियों मुनियों के सान्निध्य मे जप तप साधना आदि के द्वारा पुण्यार्जन करते थे। यही परम्परा आज भी कल्पवास के रूप मे विद्यमान है।
महाभारत में कहा गया है कि एक सौ साल तक बिना अन्न ग्रहण किए तपस्या करने का जो फल मिलता है माघ मास में कल्पवास करने भर से प्राप्त हो जाता है।

कल्पवास की न्यूनतम अवधि एक रात्रि की है। बहुत से श्रद्धालु जीवनभर माघ मास गंगा यमुना और सरस्वती के संगम को समर्पित कर देते हैं। विधान के अनुसार एक रात्रि, तीन रात्रि,तीन महीना, छह महीना छह वर्ष, 12 वर्ष या जीवनभर कल्पवास किया जा सकता है।

डा गौतम ने बताया कि पुराणों में तो यहां तक कहा गया है कि आकाश तथा स्वर्ग में जो देवता हैं वे भूमि पर जन्म लेने की इच्छा रखते हैं। वे चाहते हैं कि दुर्लभ मनुष्य का जन्म पाकर प्रयाग क्षेत्र में कल्पवास करें।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने देश में मुकदमे से पहले न्यायाधीश के साथ मध्यस्थता कराने का इंतजाम करने को कहा;मध्यस्थता में संबंधित पक्षों के बीच समझौता कानून के दायरे के अंदर होना चाहिए attacknews.in

पटना 27 फरवरी। सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबेडे ने आज कहा कि अदालतों पर निर्भरता कम करने के लिए मुकदमे से पहले किसी न्यायाधीश के साथ मध्यस्थता कराकर समझौते का प्रयास किया जाना चाहिए ।

मुख्य न्यायाधीश श्री बोबेडे ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद की मौजूदगी में पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी भवन का उद्घाटन करने के बाद कहा कि यह समय है कि विवादों के निपटारे के लिए मुकदमे से पहले किसी न्यायाधीश के साथ मध्यस्थता कराने का इंतजाम किया जाना चाहिए । इससे दीवानी और अपराधिक मामलों के निपटारे में मदद मिलेगी तथा अदालत पर निर्भरता भी कम होगी ।

उन्होंने कहा कि मुकदमे से पूर्व मध्यस्थता में संबंधित पक्षों के बीच समझौता कानून के दायरे के अंदर होना चाहिए ।

न्यायमूर्ति श्री बोबेडे ने न्यायपालिका और न्यायिक फैसलों में तकनीक के महत्व की चर्चा करते हुए कहा कि न्याय व्यवस्था की विभिन्न प्रक्रियाओं की दक्षता में सुधार लाने के लिए हाल में भारी निवेश किया गया है । अब न्यायिक प्रक्रियाओं में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का इस्तेमाल आसानी से किया जा रहा है । कोरोना वैश्विक महामारी ने इस बारे में लोगों की सोच को बदला है ।

भारतीय न्यायिक सेवा (आईजेएस) का होगा गठन – रविशंकर

केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज कहा कि भारतीय न्यायिक सेवा (आईजेएस) का शीघ्र गठन किया जाएगा और इसकी परीक्षा केंद्रीय लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) लेगा ।

श्री प्रसाद ने शनिवार को पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी भवन के उद्घाटन समारोह में कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की तर्ज पर ही भारतीय न्यायिक सेवा (आईजेएस) का गठन किया जाएगा ताकि इस सेवा से कुशाग्र युवा प्रतिभा जुड़ सकें । उन्होंने कहा कि इस अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के लिए यूपीएससी परीक्षा लेगा, जो आईएएस और आईपीएस के लिए परीक्षा का आयोजन करता है।

कानून का राज कायम करना सिर्फ सरकार का काम नहीं,न्यायपालिका की भी बहुत बड़ी भूमिका – नीतीश

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लोगों को न्याय दिलाने के लिए सरकार की ओर से न्यायपालिका की जरूरतों को पूरा करने का वचन देते हुए कहा कि कानून का राज कायम करना सिर्फ सरकार का काम नहीं है, न्यायपालिका की भी बहुत बड़ी भूमिका है ।

श्री कुमार ने सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश शरद अरविंद बोबेडे और केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद की मौजूदगी में पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में कहा कि अपराध नियंत्रण के लिए जरूरी है कि ट्रायल का काम तेजी से चलता रहे।

उन्होंने कहा कि विधायिका कानून तो बना सकती है लेकिन सबसे बड़ी भूमिका न्यायपालिका की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2005 में जब उन्हें राज्य में काम करने का मौका मिला तब अपराध के मामले में ट्रायल की पटना उच्च न्यायालय के स्तर पर मॉनीटरिंग की गयी और तेजी से ट्रायल हुआ । न्यायाधीशगण को जिस जिले की जिम्मेवारी थी उस पर उन्होंने नजर रखा। न्यायालय ने काम किया और अपराधियों को सजा मिलनी शुरू हुई। इससे बिहार में अपराध की घटनाओं में कमी आयी।

भारतीय न्यायिक सेवा (आईजेएस) का होगा गठन :इसकी परीक्षा केंद्रीय लोकसेवा आयोग (UPSC) लेगा attacknews.in

पटना 27 फरवरी। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने आज कहा कि भारतीय न्यायिक सेवा (आईजेएस) का शीघ्र गठन किया जाएगा और इसकी परीक्षा केंद्रीय लोकसेवा आयोग (यूपीएससी) लेगा ।

श्री प्रसाद ने शनिवार को पटना उच्च न्यायालय के शताब्दी भवन के उद्घाटन समारोह में कहा कि भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) और भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) की तर्ज पर ही भारतीय न्यायिक सेवा (आईजेएस) का गठन किया जाएगा ताकि इस सेवा से कुशाग्र युवा प्रतिभा जुड़ सकें ।

उन्होंने कहा कि इस अखिल भारतीय न्यायिक सेवा के लिए यूपीएससी परीक्षा लेगा, जो आईएएस और आईपीएस के लिए परीक्षा का आयोजन करता है ।

प्रो रामराजेश मिश्र ने कुलपति रहते हुए विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन का वह कलंक मिटाया था जब इसके विद्यार्थियों को नौकरियों के लिए आवेदन नहीं करने का विज्ञापनों में लिखा रहता था;साथ ही विक्रम को अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलवाई attacknews.in

उज्जैन 27 फरवरी । विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन में ऐसा भी दौर आया था जब पूरे देशभर में सरकारी और निजी संस्थानों द्वारा नौकरी के लिए निकाली जानें वाली विज्ञापनों की विज्ञप्तियों में, ” विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के विद्यार्थी आवेदन नहीं करें”,लिखा रहता था और वर्ष 2004 से 2008 तक का ऐसा भी दौर आया जब विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन का नाम पूरे देश में गौरव के साथ लिखा गया और इस विश्वविद्यालय को विश्व के प्रथम गुरूकुल का स्थान दिलवाया कि,यही भगवान श्री कृष्ण ने आचार्य संदीपनी से 64 कलाओं में शिक्षा प्राप्त की थी।और इस गौरव को स्थापित करने में विश्वविद्यालय के 2004 में नियुक्त किए गए कुलपति प्रोफेसर रामराजेश मिश्र का नाम विश्वविद्यालय के इतिहास में गौरवशाली युग की शुरुआत करने के रूप मे दर्ज हैं ।

 

विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन की स्थापना के समय इसका कार्यक्षेत्र सम्पूर्ण मध्यप्रदेश,उत्तरप्रदेश,राजस्थान और दिल्ली तक फैला हुआ था,इस विश्वविद्यालय में अध्यापन करने वाले छात्रों की अनगिनत संख्या दर्ज हैं किन्तु इसे उस बुरे दौर से गुजरना पड़ा जब इसे चक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन के नाम से उच्चारित किया जाने लगा साथ ही इसकी उपाधियों को भी योग्यता के बाहर मान लिया गया।इसके अलावा वह दुर्दिन भी रहे कि,सम्पूर्ण परिसर जीर्ण-शीर्ण हो चला था,रखरखाव की हालत दयनीय हो गई थी,सुरक्षा के लिहाज से स्थिति भी अच्छी नहीं थी और तो और अपनी सम्मानजनक पहचान के लिए विश्वविद्यालय के पास कोई आधार नहीं था।

इसी बीच जुलाई 2004 में महामहिम राज्यपाल डा बलराम जाखड़ ने स्वनिर्णय लेकर ऊर्जावान और युवा प्रोफेसर रामराजेश मिश्र को कुलपति का दायित्व सौंपकर यह वचन भी लिया कि,जिस गौरव के साथ इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई है उससे आगे अब तुम्हें ले जांना है”,अंततोगत्वा प्रोफेसर रामराजेश मिश्र ने बहुत ही कम समय में वह कर दिखाया जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती धी और विक्रम विश्वविद्यालय उज्जैन का नाम देश ही नहीं विदेशों में भी सम्मान के साथ लिया जाने लगा ।

इस अप्रतिम गौरव को दिलवाने में प्रोफेसर रामराजेश मिश्र की यही मंशा थी कि,”यह मेरी मातृसंस्था हैं और इसका कर्ज जीवन की अंतिम सांस तक रहेगा,जिसे चुकाने के लिए मेरी अंतिम सांस भी इसे समर्पित है ।”

“ज्यों-की-त्यों धर दीन्हि चदरिया” इसी उक्ति को प्रो रामराजेश मिश्र ( Professor Ramrajesh Mishra) ने इस विश्वविद्यालय के लिए सार्थक किया हैं ।

उज्जैन में सम्राट विक्रमादित्य, भगवान श्री कृष्ण और महर्षि संदीपनी के नाम को अक्षुण्ण बनाए रखने के लिए और उच्च शिक्षा के क्षेत्र में शोध और अनुसंधान का कार्य सतत् जारी रखने के लिए पूर्व कुलपति और कवि तथा लेखक प्रो. राम राजेश मिश्र ने अथक परिश्रम किए ।

प्रो रामराजेश मिश्र ने ही विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के आयोजन की टूटी हुई परंपरा को वापस जीवित किया था ।

मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित विक्रम विश्वविद्यालय ( #Vikram #University #Ujjain)मध्य प्रदेश में प्रसिद्ध शिक्षण महाविद्यालयों में से एक है।

इसकी स्थापना 1 मार्च, 1957 को हुई जब इसने अपना कार्य करना प्रारंभ किया , इस विश्वविद्यालय में सामाजिक मानवशास्त्र का अध्ययन सर्वप्रथम प्रारम्भ हुआ था।

विश्वविद्यालय का पुस्तकालय ‘महाराजा जीवाजी राव पुस्तकालय’ के नाम से जाना जाता है।

उज्जैन के प्राचीन शहर में स्थित ‘विक्रम विश्वविद्यालय’, विपुल शासक विक्रमादितय के नाम पर है।

1957 में स्थापित यह विश्वविद्यालय मध्य प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में से एक माना जाता है।

इस विश्वविद्यालय का एक और महत्वपूर्ण भाग था विश्वविद्यालय की प्रेस , जो 1961 में स्थापित की गई थी। इसका परिसर उपग्रह से जुड़ा हुआ था और 500 से अधिक ऑनलाइन शोध पत्रिकाओं तक इसकी पहुँच थी।

विश्वविद्यालय के अलमा मेटर के रूप में कई प्रख्यात हस्तियाँ हैं। यहाँ के मेधावी छात्रों की सूची में कई वैज्ञानिक, शिक्षाविद और भारत के एक पूर्व न्यायाधीश हैं।

यह जानना काफ़ी दिलचस्प और आवश्यक भी होगा कि उज्जैन में दीक्षांत समारोह का इतिहास क्या था और विक्रम विश्वविद्यालय के विकास कार्यों में डॉ. मिश्र का क्या योगदान रहा ?

संक्षेप में कहें, तो 1956 में विवि की स्थापना हुई, जिसके लिए 23 हस्तियों ने आंदोलन चलाया। पंचाट बैठी और पं. जवाहरलाल नेहरू ने फ़ैसला सुनाया कि उज्जैन सांस्कृतिक राजधानी है, इसलिए उसे शिक्षा स्थल बनाया जाना चाहिए।

ग्वालियर रियासत के तत्कालीन महाराजा जीवाजी राव सिंधिया ने इसके लिए 300 एकड़ ज़मीन दी और कहा कि वे विश्वविद्यालय के विक्रम नामकरण से भी सहमत हैं। कमल विला के दो कमरों में विश्वविद्यालय प्रारंभ हो गया और पहले प्रशासक बने भाषा, संस्कृति, शिक्षा और साहित्य के विद्वान डॉ. बूलचंद।

प्रो. राम राजेश मिश्र का कुलपति पद का कार्यकाल वर्ष 2004 से 2008 तक है, जिसमें वे दो बार कुलपति रहे। इस दौरान विक्रम विश्वविद्यालय का काफ़ी अच्छा विकास हुआ। उन्होंने अध्ययन, अध्यापन, शोध और विस्तार कार्य पर ज़ोर दिया।

एक ऐसा भी दौर आया था जब विक्रम में 1975 से दीक्षांत समारोह बंद कर दिया गया था, जिसे, डॉ. मिश्र ने 2007 में पुनः प्रारम्भ किया।इसकी विशेषता यह थी कि यह वैदिक परंपराओं के साथ शुरू हुआ था, जैसा कि हमारे तैत्रीय उपनिषद में निर्देश किया गया है,इस नई परंपरा की शुरुआत की स्क्रिप्ट डॉ. मिश्र ने स्वयं तैयार की, जिसका सरकार ने अध्यादेश जारी किया और आज प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों में उसी परंपरा के अनुसार दीक्षांत समारोह आयोजित होता है।

इस दीक्षांत समारोह में भारत की पाँच बड़ी हस्तियों को मानद उपाधि से अलंकृत किया गया, जो सभी विक्रम से पढ़े हैं, ये हैं—न्यायमूर्ति श्री जीके लाहोटी, स्वामी अवधेशानंद जी, स्वामी गोकुलोत्सव महाराज, श्री उदय शंकर अवस्थी और श्री आलोक मेहता।

उज्जैन शैव परंपरा का स्थान है, इसलिए अवधेशानंद जी का नाम तय किया गया।उज्जैन श्रीकृष्ण भगवान की शिक्षा स्थली है, अतः गोकुलोत्सव जी महाराज का नाम सामने आया। जस्टिस लाहोटी सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। श्री अवस्थी कांडला उर्वरक के प्रसार के अग्रदूत हैं और श्री मेहता पत्रकारिता, साहित्य और शिक्षा में अग्रणी हैं।

17 विभागों के विश्वविद्यालय को प्रो. मिश्र ने 27 तक पहुंचाया, जिसमें वैदिक विज्ञान, लोक प्रशासन, माइक्रो-बायोलॉजी, समाज सेवा आदि प्रमुख हैं। इसी प्रकार कॉलेजों की संख्या 70 से 150 तक पहुँचाई। एकाधिक शोध संस्थान एवं अध्ययनशालाएँ स्थापित कीं, जिनमें वैदिक, फ़ार्मेसी और बायोकैमिस्ट्री की अध्ययनशालाएँ प्रमुख हैं।आपके ही कार्यकाल में युवासमारोह में विक्रम भारत के पश्चिम क्षेत्र का सिरमौर बना।इसी प्रकार पूर्व में वेस्ट ज़ोन की यहाँ पर दो खेलों की स्पर्धाएँ होती थीं, जिनमें चार खेल और बढ़ा दिए और इस तरह छह खेलों की स्पर्धाएँ होने लगीं।

विक्रम को पाण्डुलिपि के संग्रह के लिए देश का पाँचवाँ बड़ा रिसोर्स सेंटर बनाया गया । विश्वविद्यालय के अकादमिक और प्रशासनिक द्वार बनाए गए। महाराज विक्रमादित्य की प्रतिमा स्थापित की गई।पाँच एकड़ क्षेत्र में विक्रम सरोवर का निर्माण किया गया, जिससे पानी की आपूर्ति हो रही है और सिंचाई भी की जा रही है।बड़े आँवले के 11,000 पेड़ लगाए गए, जिससे क्विंटलों में आँवले की पैदावार हो रही है। इतना ही नहीं पूरे विश्वविद्यालय के चारों तरफ़ दीवार खड़ी की और उस पर मालवा के तीन हज़ार माँडने सजाए गए।यह कार्य शीर्ष चित्रकार प्रो. रामचंद्र भावसार के मार्गदर्शन में संपन्न हुआ।

प्रो. राम राजेश मिश्रा के कार्यकाल पर विस्तार से लिखा जाये , तो शोधपरक कई पुस्तकें प्रकाशित हो जाएगी ।

डॉ. मिश्र को उनके इसी शैक्षणिक नवाचार तथा शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए यूनेस्को अवार्ड और इंदिरा गांधी अवार्ड से सम्मानित किया गया है। ऐसे वे देश के पहले कुलपति हैं। उन्होंने कॉमनवेल्थ देशों के विश्वविद्यालय संघ के सम्मेलन और संयुक्त राष्ट्र के ऐसे ही एक अन्य सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व किया था। वास्तव में यह हमारे लिए अत्यंत गौरव की बात है।कवि, आलोचक, मप्र के पूर्व संस्कृति सचिव और हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा के पूर्व कुलपति अशोक वाजपेयी ने जब प्रो. राम राजेश द्वारा सँवारे-सजाए और नए सिरे से बनाए गए विक्रम विश्वविद्यालय को ध्यान से देखा, तो कहा—“ कुलपति हो तो ऐसा ! बूढ़े और थके-हारे के बजाय युवा और स्पष्ट एवं नई दृष्टि रखने वालों को ही कुलपति बनाया जाना चाहिए।”

#Dr. Sushil Sharma

बैंक घोटालों के भगोड़े नीरव मोदी को भारत में मुंबई की आर्थर रोड़ जेल में उसे पर्याप्त चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराई जाएगी attacknews.in

लंदन, 25 फरवरी । ब्रिटेन की एक अदालत ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले में आरोपी नीरव मोदी को भारत प्रत्यर्पित करने का गुरुवार को आदेश दिया।यह भी कहा कि मुंबई की आर्थर रोड़ जेल में उसे पर्याप्त चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराई जाएगी।

वह पीएनबी के दो अरब अमेरिकी डालर के घोटाले का आरोपी है। यह घोटाला फरवरी 2018 में सामने आया था और इसके बाद वह ब्रिटेन भाग गया था, जहां उसने राजनीतिक शरण दिए जाने की अर्जी दी थी।

वेस्टमिंस्टर की एक अदालत ने काफी दिनों से जारी कानूनी विवाद के बाद आखिरकार भारत के इस केस को स्वीकार कर लिया कि नीरव मोदी ने गवाहों को धमकाया है और सबूतों के साथ छेड़छाड़ की है।

ड्रिस्टिकट जज सैमुअल गोजे ने मानसिक हालत संबंधी उसकी अर्जी को ठुकराते हुए अदालत में उसे भारत को प्रत्यर्पित किए जाने का फैसला सुनाया और यह भी कहा कि मुंबई की आर्थर रोड़ जेल में उसे पर्याप्त चिकित्सा और मानसिक स्वास्थ्य देखभाल उपलब्ध कराई जाएगी।

प. बंगाल में आठ और असम में तीन चरणों में,3 राज्यों में एक चरण में विधानसभा चुनाव,सभी राज्यों में 824 विधानसभा सीटों पर 18 करोड़ 68 लाख मतदाता दो लाख 70 हजार मतदान केंद्रों पर करेंगे मतदान, साथ ही तमिलनाडु, केरल की दो लोक सभा सीटों पर उपचुनाव की घोषणा attacknews.in

नयी दिल्ली, 26 फरवरी । निर्वाचन आयोग ने तमिलनाडु और केरल की दो लोक सभा सीटों पर उपचुनाव की तारीखों का एलान किया है।

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने शुक्रवार को यहां संवाददाताओं को बताया कि तमिलनाडु और केरल में घोषित हुए विधानसभा चुनाव कार्यक्रमों के साथ ही तमिलनाडु के कन्याकुमारी और केरल के मल्लापुरम लोक सभा सीटों पर उपचुनाव सम्पन्न होंगे।

लोक सभा की इन दो सीटों पर छह अप्रैल को मतदान होगा और दो मई को मतगणना होगी। बारह मार्च को चुनाव की अधिसूचना जारी की जाएगी जबकि 19 मार्च को नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तारीख है। नामांकन पत्रों की जांच 20 मार्च को होगी और उम्मीदवार 22 मार्च तक अपना नामांकन वापस ले सकते हैं।

कन्याकुमारी के सांसद एच वसंतकुमार की मृत्यु हो जाने और मल्लापुरम के सासंद पी के कुन्हाली कुट्टी के इस्तीफे के कारण इन सीटों पर उपचुनाव हो रहे हैं।

प. बंगाल में आठ और असम में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव

इसके साथ ही निर्वाचन आयोग ने राजनीतिक रूप से संवेदनशील पश्चिम बंगाल में आठ चरणों तथा असम में तीन चरणों में विधानसभा चुनाव कराने की शुक्रवार को घोषणा कर दी।

मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने यहां संवाददाता सम्मेलन में पश्चिम बंगाल की 294 और असम की 126 विधान सभा सीटों पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था तथा कोविड दिशानिर्देशों के अनुरूप चुनाव कराने का ऐलान किया।

इसके साथ ही केरल, तमिलनाडु और केंद्र शासित प्रदेश पुड्डुचेरी में एक-एक चरण में विधानसभा चुनाव कराये जायेंगे। सभी मतदान केंद्रों की मतगणना दो मई को करायी जायेगी। चुनाव प्रक्रिया चार मई को पूरी हो जायेगी।

श्री अरोड़ा ने बताया कि पश्चिम बंगाल की 30 सीटों के पहले चरण के लिए दो मार्च को अधिसूचना जारी की जायेगी और नौ मार्च तक नामांकन पत्र दाखिल किये जा सकेंगे। नामांकन पत्रों की जांच 10 मार्च को होगी और 12 मार्च तक नाम वापस लिये जाएंगे। पहले चरण के लिए 27 मार्च को मतदान होगा।

बंगलादेश, झारखंड और बिहार की सीमा से सटे इस राज्य में दूसरे चरण में 30 सीटों के लिए अधिसूचना पांच मार्च को जारी की जायेगी और 12 मार्च तक नामांकन पत्र दाखिल किये जायेंगे। नामांकन पत्रों की जांच 15 मार्च को होगी और 17 मार्च तक नाम वापस लिये जायेंगे। दूसरे चरण का मतदान एक अप्रैल को होगा।

तमिलनाडु, केरल और पुड्डुचेरी में एक चरण में चुनाव कराये जायेंगे।

उन्होंने बताया कि पहले चरण का मतदान 27 मार्च को होगा, जबकि अंतिम चरण 29 अप्रैल को होगा। सभी विधानसभा क्षेत्रों की मतगणना दो मई को होगी। तमिलनाडु, केरल और पुड्डचेरी में एक ही चरण में छह अप्रैल को मतदान होगा।

श्री अरोरा के अनुसार, असम में पहले चरण के चुनाव के लिए दो मार्च को अधिसूचना जारी कर दी जायेगी, जबकि दो अन्य चरणों के लिए पांच मार्च और 10 मार्च को अधिसूचना जारी होगी। इस राज्य में 27 मार्च, एक अप्रैल और छह अप्रैल को मतदान कराये जायेंगे।

इन सभी राज्यों में 824 विधानसभा सीटों पर चुनाव कराये जायेंगे जिनमें 18 करोड़ 68 लाख मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। इसके लिए दो लाख 70 हजार मतदान केंद्र बनाये गये हैं।

श्री अरोरा ने बताया कि चुनाव कार्य सम्पन्न कराने वाले सभी अधिकारियों और कर्मचारियों को फ्रंटलाइन वॉरियर माना गया है।

भारत व्यापार बंद का मध्यप्रदेश में रहा मिलाजुला असर,कैट के बंद को लेकर व्यापारिक संगठनों में मतभेद उभरे और बार-बार के बंद से व्यापारियों का विरोध शुरू attacknews.in

भोपाल(मध्यप्रदेश)/नईदिल्ली , 26 फरवरी । वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के जटिल प्रावधानों के विरोध में कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के आज भारत व्यापार बंद का आह्वान का राजधानी भोपाल सहित प्रदेश भर में मिलाजुला असर देखा गया।

कैट के प्रदेश उपाध्यक्ष सुनील जैन ने बताया कि जीएसटी के जटिल प्रावधानों को लेकर आज भारत व्यापार बंद का एक दिवसीय आह्वान किया गया था। इसके समर्थन में व्यापारियों ने अपनी स्वेच्छा में बंद रखा। भोपाल के पुराने शहर जुमेराती, हनुमानगंज, रायल मार्केट सहित शहर के अन्य प्रमुख बाजार सुबह से बंद रहे। हालांकि दोपहर बाद कुछ दुकानें खुल गयी। उन्होंने बताया कि बंद पूरे दिन का रहा, जो सफल रहा।

कैट के बंद को लेकर व्यापारिक संगठनों में मतभेद

नयी दिल्ली, की रिपोर्ट के अनुसार, खुदरा कारोबारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में दोपहर दो बजे के बाद बाजार बंद रहेंगे।

उन्होंने अन्य राज्यों में बंद को मिली प्रतिक्रिया साझा करते हुए कहा कि महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में सभी प्रमुख बाजार बंद रहेंगे, जबकि दक्षिण भारत में इसका 70-80 प्रतिशत प्रभाव और पूर्वोत्तर राज्यों 80 प्रतिशत से अधिक प्रभाव रहने की उम्मीद है।

कैट ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) तथा ई-वाणिज्य से संबंधित मुद्दों को लेकर भारत बंद का आह्वान किया था ।

खंडेलवाल ने कहा कि कैट एक मार्च से जीएसटी संबंधित मुद्दों को लेकर विभिन्न राज्यों में मुख्यमंत्रियों को लक्ष्य कर एक आक्रामक अभियान शुरू करेगा।

हालांकि कैट के आह्वान को कई स्थानों पर व्यापारियों का समर्थन नहीं मिला । इंदौर में स्थानीय व्यापारी संगठनों के एक महासंघ ने कैट के आह्वान को समर्थन देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि कोविड-19 की पिछले एक साल से जारी मार के चलते पहले ही बड़ा घाटा झेल चुके कारोबारी अब अपने प्रतिष्ठान बंद रखना नहीं चाहते।

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के जिलाध्यक्ष मोहम्मद पीठावाला ने कहा, ‘‘मध्यप्रदेश के अन्य शहरों में हमारे बंद का असर देखा गया। लेकिन इंदौर में राजनीतिक कारणों या अन्य किसी दबाव के चलते व्यापारी संगठनों ने बंद को समर्थन नहीं दिया।’’

इस बीच, कारोबारी संगठनों के महासंघ अहिल्या चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने कहा, ‘‘हम जीएसटी प्रणाली की विसंगतियों को लेकर सरकार के सामने अपना विरोध लम्बे समय से दर्ज करा रहे हैं, लेकिन हम इस मुद्दे पर फिलहाल किसी भी बंद का समर्थन नहीं करते। व्यापारी पिछले एक साल से कोविड-19 की तगड़ी मार झेल रहे रहे हैं। वे अब किसी भी बंद में शामिल होकर अपना और नुकसान नहीं कराना चाहते।’’

फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल के राष्ट्रीय महासचिव वीके बंसल ने कहा कि सूरत में बाजार बंद रहेंगे, लेकिन देश भर के हिसाब से देखें तो बंद का बाजार पर 10 प्रतिशत असर होगा।

भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के दिल्ली के महासचिव राकेश यादव ने कहा कि उन्होंने बंद का समर्थन नहीं किया है और दिल्ली में बाजार के खुले रहने की उम्मीद है।

जम्मू ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष नीरज आनंद ने कहा कि स्थानीय बाजार खुले रहेंगे, लेकिन व्यापारी प्रदर्शन करेंगे।

उत्तर प्रदेश ट्रेडर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय पटवारी ने कहा कि राज्य में बंद का 50-60 प्रतिशत असर होगा।

मप्र की वाणिज्यिक राजधानी इंदौर में कैट का बंद नाकाम, रोज की तरह खुले बाजार

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) प्रणाली के प्रावधानों की समीक्षा की मांग को लेकर खुदरा व्यापारियों के संगठन कैट के शुक्रवार को आहूत “भारत बंद” का मध्यप्रदेश की वाणिज्यिक राजधानी कहे जाने वाले इंदौर में कुछ भी असर नजर नहीं आया और सभी प्रमुख बाजार रोज की तरह खुले रहे।

स्थानीय व्यापारी संगठनों के एक महासंघ ने कैट के आह्वान को समर्थन देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि कोविड-19 की पिछले एक साल से जारी मार के चलते पहले ही बड़ा घाटा झेल चुके कारोबारी अब अपने प्रतिष्ठान बंद रखना नहीं चाहते।

कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) के जिलाध्यक्ष मोहम्मद पीठावाला ने कहा, “मध्यप्रदेश के अन्य शहरों में हमारे बंद का असर देखा गया। लेकिन इंदौर में राजनीतिक कारणों या अन्य किसी दबाव के चलते व्यापारी संगठनों ने बंद को समर्थन नहीं दिया।”

इस बीच, कारोबारी संगठनों के महासंघ अहिल्या चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के अध्यक्ष रमेश खंडेलवाल ने कहा, “हम जीएसटी प्रणाली की विसंगतियों को लेकर सरकार के सामने अपना विरोध लम्बे समय से दर्ज करा रहे हैं। लेकिन हम इस मुद्दे पर फिलहाल किसी भी बंद का समर्थन नहीं करते।” खंडेलवाल ने कहा, “व्यापारी पिछले एक साल से कोविड-19 की तगड़ी मार झेल रहे रहे हैं। वे अब किसी भी बंद में शामिल होकर अपना और नुकसान नहीं कराना चाहते।”

भारत के क्षेत्र में दर्शन करने के लिए आसान बनाई जा रही है “छोटा कैलाश” की यात्रा,कैलाश—मानसरोवर यात्रा का आयोजन संभव न होने की परिस्थिति में महत्वपूर्ण होगा यह दर्शनीय स्थल attacknews.in

पिथौरागढ, 26 फरवरी । कैलाश—मानसरोवर यात्रा का आयोजन इस वर्ष भी संभव न होने की आशंकाओं के मददेनजर कुमांउ मंडल विकास निगम ने चीन के साथ लगती सीमा पर भारतीय क्षेत्र में स्थित शिव के धाम ‘छोटा कैलाश’ को एक प्रमुख तीर्थस्थल के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव तैयार किया है ।

निगम के अध्यक्ष केदार जोशी ने यहां बताया, ‘आदि कैलाश के रूप में भी विख्यात छोटा कैलाश को भगवान शिव का असली घर माना जाता है और देश भर के शिवभक्तों के लिए यह सर्वश्रेष्ठ तीर्थस्थल हो सकता है ।’

उन्होने कहा कि सीमा सडक संगठन द्वारा पिछले साल जून में व्यास घाटी को मोटर मार्ग से जोड दिए जाने के बाद छोटा कैलाश तक संपर्क (कनेक्टिविटी) भी बेहतर हुई है, इससे तीर्थयात्रियों का वहां तक जाना भी सुविधाजनक हो गया है ।

भारत—चीन सीमा पर स्थित लिपुलेख दर्रे के जरिए हर वर्ष होने वाली कैलाश—मानसरोवर यात्रा के लिए निगम नोडल एजेंसी है । पिछले साल कोविड 19 महामारी के कारण यह यात्रा नहीं हो पाई और इस बार भी अब तक इसके लिए तैयारी बैठकों के न होने के कारण इसके आयोजन की संभावनाएं नहीं लग रही हैं ।

यात्रा के संबंध में हर साल फरवरी के पहले सप्ताह में विदेश मंत्रालय तैयारी बैठकें करता है ।

निगम के अध्यक्ष जोशी ने बताया कि वह अप्रैल में स्वयं छोटा कैलाश जाने की योजना बना रहे हैं जिससे वहां आधारभूत संरचनाओं की स्थिति का जायजा लिया जा सके ।

जोशी का मानना है कि अगर सुविधाएं बढाई जाएं तो ज्यादा तीर्थयात्री छोटा कैलाश की यात्रा पर आएंगे । जून से शुरू होने वाली छोटा कैलाश की तीर्थयात्रा पर अभी करीब एक हजार श्रद्धालु प्रतिवर्ष पहुंच रहे हैं ।

उन्होंने कहा कि निगम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को छोटा कैलाश की यात्रा का निमंत्रण देना चाहता है जिससे इसे धार्मिक पर्यटन के एक गंतव्य के रूप में बढावा मिलेगा ।

राहुल गांधी के जीजा राबर्ट वाड्रा को अपने साले और पत्नी प्रियंका गांधी वाड्रा पर भरोसा है कि,यह दोनों देश में लायेंगे बदलाव और जल्द ही खुद भी राजनीति में होंगे शामिल attacknews.in

जयपुर 26 फरवरी । कांग्रेस की नेता प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा ने केन्द्र सरकार पर महंगाई बढने एवं किसानों की आवाज नहीं सुनने का आरोप लगाते हुए कहा है कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी एवं प्रियंका देश में प्रगति एवं बदलाव लायेंगे।

श्री वाड्रा आज यहां मोती डूंगरी गणेश मंदिर में दर्शन करने के बाद एक टीवी मीडिया से यह बात कही। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने वैश्विक महामारी कोरोना काल में बिना सोचे समझे लॉकडाउन लगा दिया। जिससे आज देश में हर दिन महंगाई बढ़ती जा रही है। इससे आम आदमी काे घर चलाना मुश्किल हो गया है। पेट्रोल एवं डीजल के दाम बढ़ते जा रहे हैं। एलपीजी के दाम बढ़ गये हैं। ऐसे में राहुल एवं प्रियंका को देश एक मौका देगी और इससे बदलाव आयेगा।

उन्होंने कहा कि राहुल एवं प्रियंका ने अपनी दादी से बहुत सीखा हैं और वे बहुत बदलाव ला सकते हैं। वे लोगों को कुछ देंगे ही उनसे लेंगे कुछ नहीं। उन्होंने कहा कि जरुर प्रगति लायेंगे। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी एवं इनमें अंतर यह है कि ये दोनों सबके साथ एकजुट होकर प्रगित के लिए चल सकते हैं, वे किसानों से बात करेंगे।

उन्होंने कहा कि वह साइकिल चलाकर लोगों को संदेश देना चाह रहे हैं कि वह उनकी आवाज उठाने का प्रयास कर रहे हैं और साइकिल पर इसलिए आये कि वह इससे महंगाई के बारे में सरकार के खिलाफ संदेश दे सके। लोगों को भी महंगाई के खिलाफ आवाज उठाने के लिए कह सके। उन्होंने कहा कि वह दबे मुद्दों को लोगों के सामने लाना चाहते हैं।

राजनीति में आने के सवाल पर श्री वाड्रा ने कहा कि वह पिछले पच्चीस वर्ष से गांधी परिवार से जुड़े हैं और लोगों की पुकार है लेकिन वह अभी राजनीति में सोच समझकर ही कदम रखेंगे। वह कुछ बदलाव ला पाने पर ही इसमें आगे बढ़ेगे।

अपने खिलाफ चल रहे मामले के बारे में उन्होंने इसे राजनीतिक मामला करार देते हुए कहा कि उनका यह मामला बिजनस से संबंधित नहीं हैं, क्योंकि उन्होंने इसमें कानूनी कार्रवाई के तहत एजेंसियों को सभी प्रकार के दस्तावेज उपलब्ध करा दिए हैं। सारे आरोप बेबुनियाद हैं। सब स्पष्ट हो गया हैं। लेकिन जब से यह सरकार आई हैं मुश्किले डालने की कोशिश की गई हैं।

उन्होंन कहा कि वह महंगाई, किसान एवं पेट्रोल आदि मुद्दों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं और वह बोर्डर पर जाकर किसानों से मिलेंगे। उन्होंने कहा कि किसानों के आंदोलन को नब्बे दिन से अधिक हो गए, कोई उनकी आवाज तो सुने। उन्होंने कहा कि जो दब जाता हैं, उस मुद्दे को वह उठानेे का प्रयास कर रहे हैं।

इससे पहले श्री वाड्रा ने प्रसिद्ध मोती डूंगरी गणेश मंदिर में दर्शन किए। महंत कैलाश शर्मा ने उन्हें पूजा-अर्चना कराई।

मध्यप्रदेश में गरीबों को सुस्वादु और पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाने के लिए दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजनांतर्गत सुदृढ़ीकृत-नवीन 100 रसोई केंद्र का शुभारंभ attacknews.in

भोपाल, 26 फरवरी । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि गरीबों को सुस्वादु और पौष्टिक भोजन उपलब्ध करवाकर अनमोल दुआएँ प्राप्त करें। नगरीय निकाय और जो स्वैच्छिक संस्थाएँ यह कार्य कर रही हैं, निश्चित ही बधाई की पात्र हैं।

श्री चौहान आज यहां मिंटो हाल में दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना के अंतर्गत प्रदेश में सुदृढ़ीकृत और नवीन 100 रसोई केंद्र का वर्चुअल शुभारंभ कर रहे थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि रोटी, कपड़ा, मकान, पढ़ाई-लिखाई और दवाई बुनियादी जरूरतें हैं। कहा भी गया है भूखे भजन न हो गोपाला। अन्न ही ब्रह्म है। अपने गाँव छोड़कर शहरों में आने वाले श्रमिक और अन्य लोग अपना और बच्चों का आसानी से पेट भर सकें, इस दृष्टि से रसोई केन्द्र उपयोगी हैं। वर्ष 2017 से प्रारंभ इस योजना का विस्तार किया जाए।

उन्होंने कहा कि प्रदेश के जिला मुख्यालयों के अलावा प्रमुख धार्मिक पर्यटन नगर योजना में जोड़े गए हैं। इसके अलावा अन्य कस्बों, नगरों में भी रसोई केन्द्र प्रारंभ किए गए हैं। इनका विस्तार किया जाए। यह मानवता के लिए महत्वपूर्ण कदम होगा।

उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने कोरोना काल में भी एक स्थान से दूसरे स्थान पर मध्यप्रदेश से होकर जाने वाले प्रवासी मजदूरों के भोजन की व्यवस्था की गई थी। सरकार ने संबल और अन्य अनेक योजनाएँ प्रारंभ की हैं, जो गरीबों के लिए अनाज, उनके इलाज और दुर्घटना की स्थिति में आर्थिक सहयोग जैसे सभी आवश्यक प्रबंध करती हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में गरीबों के उपचार के लिए दो करोड़ आयुष्मान कार्ड वितरित किए गए हैं। इसमें चिन्हित अस्पतालों में व्यक्ति को 5 लाख रुपए तक के उपचार की सुविधा उपलब्ध है। सभी गरीबों को आने वाले तीन वर्ष में पक्की छत मिलेगी। प्रदेश के करीब 3 लाख स्ट्रीट वेण्डर्स को अपना कारोबार विकसित करने के लिए 10 हजार रूपए प्रति हितग्राही के मान से ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करवाया गया है।

श्री चौहान ने कहा कि गरीबों की भोजन व्यवस्था और उन्हें सहायता देने से दुआएँ मिलती हैं। यह कार्य सरकार, सामाजिक संस्था और व्यक्तिगत स्तर पर सभी प्रकार से किया जाना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने कार्यक्रम में मुरैना के हाथठेला लगाने वाले शकील, धार के ऑटोचालक बाबू सिंह, उज्जैन के पुताई श्रमिक संतोष, छतरपुर के फल विक्रेता मोहन और इंदौर के श्रमिक कालू सिंह से बातचीत की।

श्री चौहान ने हितग्राहियों से उन्हें दीनदयाल रसोई केन्द्र से मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता के संबंध में भी पूछा। हितग्राहियों ने योजना में मिल रही सुविधा की जानकारी दी। मुख्यमंत्री ने छतरपुर जिला प्रशासन द्वारा सामाजिक संगठन को रसोई केन्द्र के आधुनिकीकरण में सहयोग के लिए बधाई दी। इसी तरह मुरैना नगर निगम को भी कोरोना काल में रसोई घर के नियमित संचालन के लिए बधाई दी।

श्री चौहान ने योजना के लिए बनाए गए पोर्टल का लोकार्पण किया। इस पोर्टल से योजना का नियमित और सतत पर्यवेक्षण किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री ने योजना के क्रियान्वयन में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग की सराहना की।

श्री चौहान की उपस्थिति में खनिज मंत्री बृजेन्द्र प्रताप सिंह और खनिज निगम के अध्यक्ष प्रदीप जायसवाल ने निगम की ओर से 10 लाख रूपए की राशि सीएसआर के तहत दीनदयाल अंत्योदय रसोई योजना के क्रियान्वयन के लिए सहयोग स्वरूप प्रदान की। इसके साथ ही विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा ने मध्यप्रदेश इलेक्ट्रानिक विकास निगम की ओर से 10 लाख रूपए की राशि का चेक नगरीय विकास और आवास मंत्री भूपेन्द्र सिंह और राज्य मंत्री ओपीएस भदौरिया को प्रदान किया।

शुभारंभ समारोह में योजना के क्रियान्वयन पर आधारित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। लघु फिल्म में योजना का लाभ लेने वाले हितग्राहियों के साक्षात्कार शामिल किए गए हैं। यह फिल्म पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय के विचार और मुख्यमंत्री द्वारा उसके मध्यप्रदेश में क्रियान्वयन पर केन्द्रित है।

नगरीय विकास एवं आवास मंत्री श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री चौहान गरीबों की सेवा के लिये हमेशा तत्पर रहते हैं। इनकी सोच का ही परिणाम है कि मध्यप्रदेश में गरीबों के कल्याण के लिये संबल, दीनदयाल रसोई और स्ट्रीट वेण्डर जैसी योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन किया जा रहा है। श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री का प्रयास है कि गरीबों की अधिक से अधिक मदद की जाये। उन्होंने कहा कि रसोई केन्द्रों में गाँव से शहर आने वाले श्रमिकों के साथ ही शहर के गरीबों को मात्र 10 रूपये में भरपेट भोजन उपलब्ध होगा।

नगरीय विकास एवं आवास राज्य मंत्री श्री भदौरिया ने कहा कि रैन बसेरा और दीनदयाल रसोई योजना से गाँव से शहर आने वाले गरीबों के रहने और खाने की व्यवस्था मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के प्रयासों से संभव हुई है। उन्होंने कहा कि आने वाले तीन साल में प्रदेश प्रगति और विकास की नई आधारशिला रखेगा।

कार्यक्रम में प्रमुख सचिव नगरीय विकास और आवास नीतेश व्यास ने स्वागत उद्बोधन दिया।आयुक्त नगरीय प्रशासन निकुंज श्रीवास्तव ने आभार व्यक्त किया। प्रारंभ में मध्यप्रदेश गान हुआ। कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्यमंत्री द्वारा बालिकाओं के पैर पूजन से हुआ। कार्यक्रम में पर्यटन मंत्री ऊषा ठाकुर, विधायक कृष्णा गौर, सहित अनेक जन-प्रतिनिधि, प्रमुख सचिव नगरीय विकास एवं आवास मनीष सिंह और योजना के क्रियान्वयन से संबंधित अधिकारी और भोपाल के योजना के हितग्राही उपस्थित थे।

कोयला घोटाले में ममता बनर्जी के परिवार के शामिल होने के खुलासे के बाद  CBI और ED ने पश्चिम बंगाल में कई जगहों पर मारे छापे attacknews.in

कोलकाता, 26 फरवरी । कोयला घोटाला और मवेशियों की तस्करी तथा उनसे संबंधित लेनदेन की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने शुक्रवार को कोलकाता सहित पूरे पश्चिम बंगाल में कई स्थानों पर संयुक्त छापे मारे।

सूत्रों ने बताया कि सीबीआई और ईडी के लगभग 100 कर्मियों ने आज तड़के कुछ स्थानों पर संयुक्त रूप से तथा कुछ अन्य जगहों पर अलग-अलग छापे मारे।

रिपोर्ट के अनुसार जांचकर्ताओं ने दक्षिण और मध्य कोलकाता के कुछ हिस्सों, दुर्गापुर और आसनसोल में लगभग 13-14 स्थानों पर छापे मारे।

सूत्रों ने बताया कि जांच एजेंसियों ने एक व्यवसायी रणवीर बर्नवाल के कार्यालय और घर पर भी छापा मारा जिस पर तस्करी और कोयला घोटाले से मिले पैसे के लेनदेन का आरोप है।

सीबीआई ने शहर के मध्य भाग में डलहौजी में एक चार्टर्ड फार्म पर भी छापे मारे। इसके अलावा चांदनी, काकुरगांची और मानिकतला के कुछ स्थानों पर भी छापे मारे गये।

कोयला तस्करी के आरोपी अनूप मांझी उर्फ ​​लाल, जयदेव मोंडल और उनके साथियों के ठिकानों पर भी छापे मारे गये। आसनसोल की एक विशेष अदालत ने 24 फरवरी को अनूप मांझी की संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया था।

नाथूराम गोडसे समर्थक नेता के कांग्रेस में प्रवेश के बाद अरुण यादव ने खोला मोर्चा,साथ देने के लिए आगे आए हैं दिग्विजय सिंह के भाई लक्ष्मण सिंह attacknews.in

भोपाल, 26 फरवरी । मध्यप्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की मौजूदगी में ग्वालियर के हिंदू महासभा से जुड़े नाथूराम गोडसे समर्थक एक नेता बाबूलाल चौरसिया के कांग्रेस में प्रवेश को लेकर चल रही राजनीति के बीच कांग्रेस के ही वरिष्ठ नेता एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव ने आज सामने आकर मोर्चा खोल दिया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री यादव ने ट्वीट के जरिए लिखा है ‘महात्मा गांधी और गांधी विचारधारा के हत्यारे के खिलाफ, मैं खामोश नहीं बैठ सकता हूं।’ इसके साथ ही उन्होंने एक पेज का अपना बयान भी पोस्ट किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि वे आरएसएस विचारधारा को लेकर लाभ हानि की चिंता किए बगैर जबानी जंग नहीं, सड़कों पर लड़ते हैं। उनकी आवाज कांग्रेस और गांधी विचारधारा को समर्पित एक सच्चे कांग्रेस कार्यकर्ता की आवाज है।

कथित गोडसे समर्थक चौरसिया के कांग्रेस में आने पर राजनीति शुरू

इससे पहले कल मध्यप्रदेश के ग्वालियर के हिंदू महासभा से जुड़े एक नेता बाबूलाल चौरसिया के कांग्रेस में शामिल होने के मामले को लेकर राजनीति प्रारंभ हो गयी थी । इस मामले में पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरुण यादव का ट्वीट भी चर्चा में आ गया था ।

कथित तौर पर नाथूराम गोडसे समर्थक बाबूलाल चौरसिया की कांग्रेस में आने संबंधी खबर को शेयर करते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव ने लिखा था ‘बापू हम शर्मिंदा हैं। महात्मा गांधी अमर रहें।’ श्री यादव ने इस ट्वीट के साथ एक खबर और फोटो भी पोस्ट की है, जिसमें वरिष्ठ नेता कमलनाथ श्री चौरसिया का अभिवादन करते हुए दिख रहे हैं।

गोडसे भक्त को पार्टी में शामिल करने से कांग्रेस का दोहरा चरित्र उजागर: नराेत्तम

इधर मध्यप्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने कांग्रेस पर हमला करते हुए आज कहा था कि नाथूराम गोडसे के पुजारी को कांग्रेस में शामिल करने से उसका दोहरा चरित्र सब के सामने आ गया है।

श्री मिश्रा ने अपने ट्वीट के जरिए कहा ‘गोडसे का पुजारी अब करेगा कांग्रेस की सवारी, नाथूराम गोडसे के पुजारी को पार्टी में शामिल करने से कांग्रेस का दोहरा चरित्र ही सामने आता है। उसके लिए तो गांधी के नाम पर सिर्फ तथाकथित गांधी परिवार ही अहम है, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी नहीं।’

मूल रुप से ग्वालियर निवासी बाबूलाल चौरसिया हिन्दू महासभा से जुड़े थे और उन्होंने दो दिन पहले यहां प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में कांग्रेस का दामन थाम लिया है। श्री चौरसिया ग्वालियर नगर निगम के पार्षद भी रह चुके हैं।

लक्ष्मण सिंह ने अरुण यादव की बात का किया समर्थन

मध्यप्रदेश के गुना जिले के चाचौड़ा से कांग्रेस विधायक एवं पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के अनुज लक्ष्मण सिंह, वरिष्ठ नेता एवं पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अरुण यादव का समर्थन करते हुए आज कहा कि नाथूराम गोडसे के समर्थक के लिए कांग्रेस नहीं, सेंट्रल जेल उपयुक्त स्थान है।

श्री सिंह ने अपने ट्वीट के जरिए श्री यादव की बात का समर्थन किया और कहा कि ‘गोडसे के उपासकों के लिए सेंट्रल जेल उपयुक्त स्थान है, कांग्रेस पार्टी नहीं। ग्रह मंत्रालय भी गोडसे समर्थकों की गतिविधियों पर नजर रखे तो उचित होगा।

विधानसभा में कमलनाध के सामने शिवराज सिंह चौहान ने कहा:अपने वादे पूरे नहीं करने के कारण गिरी थी कांग्रेस सरकार ;मोदी नाम ही ऐसा है, जिसे बार बार लेने को जी करता है attacknews.in

भोपाल, 26 फरवरी । मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज विधानसभा में कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार के पतन के परिप्रेक्ष्य में कहा कि उसने सत्ता में आने के बाद अपने वादे पूरे नहीं किए और इसलिए वह गिर गयी। साथ ही उन्होंने ‘आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश’ की अवधारणा से सदन को अवगत कराते हुए इस लक्ष्य को हासिल करने में सभी से सहयोग का आह्वान किया।

श्री चौहान ने राज्यपाल के अभिभाषण पर पेश किए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर दो दिनों तक चली चर्चा का आज सदन में उत्तर दिया। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ की मौजूदगी में लगभग 01 घंटे 45 मिनट तक अपनी बात रखी। श्री कमलनाथ भी बीच बीच में अपना पक्ष रखकर विभिन्न मुद्दों को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए दिखायी दिए।

विपक्षी सदस्यों की शुरूआती टोकाटाकी के बीच श्री चौहान ने कहा कि श्री कमलनाथ ने चर्चा के दौरान कहा था कि जनता ने कचरा 2018 ( विधानसभा चुनाव) में ही साफ कर दिया था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विधानसभा चुनाव के नतीजे एकतरफा नहीं थे। भाजपा को उस समय कांग्रेस से ज्यादा प्रतिशत मत मिले, हालाकि भाजपा की सीट कुछ कम रह गयी थीं। इसलिए हमने तुरंत ही मुख्यमंत्री पद छोड़ दिया था। कांग्रेस को भी स्पष्ट बहुमत (114 सीट) नहीं था और भाजपा को 109 सीट हासिल हुयी थीं। हमें उम्मीद थी कि 15 सालों बाद सत्ता में परिवर्तन हुआ है, तो नयी सरकार अपने वादे के अनुरूप कार्रवाई करेगी।

श्री चौहान ने किसी नेता का नाम लिए बगैर कहा कि उन्होंने चुनाव के पहले सार्वजनिक मंचों से बार बार कहा था कि दस दिनों में किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ तो 11 वें दिन मुख्यमंत्री को हटा दिया जाएगा। श्री चौहान ने कहा कि कांग्रेस को किसान कर्जमाफी के वादे के कारण ही बढ़त मिली थी, लेकिन उसने यह कार्य नहीं किया। इसके अलावा कांग्रेस सरकार के मुखिया ने अपने विधायकों की बात ही नहीं सुनी। भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ दमन की कार्रवाई प्रारंभ कर दी गयी। इन सब कारणों से हम और अधिक सक्रिय हुए तथा कांग्रेस सरकार का 15 माह में ही पतन हो गया।

श्री चौहान ने आकड़ों का विस्तार से हवाला देते हुए कहा कि किसान ऋण माफी का वादा पूरा करने के लिए 60 हजार करोड़ रुपयों के बजट की आवश्यकता थी, लेकिन इस मद में सात हजार करोड़ रुपए ही व्यय किए। जबकि भाजपा ने सत्ता में आते ही किसानों के खातों में विभिन्न मदों में 80 हजार करोड़ रुपयों से ज्यादा की राशि 11 माह में उपलब्ध करा दी। वहीं कांग्रेस सरकार ने फसल बीमा का प्रीमियम भी जमा नहीं किया। अन्य कल्याणकारी योजनाएं भी रोक दी गयीं।

शुरूआत में श्री कमलनाथ बार बार उठे और श्री चौहान की बात का तत्काल जवाब देने का प्रयास करते रहे। श्री चौहान ने भी तुरंत ही पूर्व मुख्यमंत्री की बात का जवाब दिया। आखिरकार श्री कमलनाथ को कहना पड़ा कि वे आकड़ों के मामले में श्री चौहान से नहीं जीत सकते हैं।

इसके अलावा श्री कमलनाथ ने श्री चौहान को भरोसा दिलाया कि वे रोजगार और निवेश लाने के मुद्दे पर सरकार की हरसंभव मदद करेंगे। श्री चौहान ने भी कहा कि राज्य के विकास संबंधी मामलों में हम सभी को मिलजुलकर कार्य करना होगा।

श्री चौहान के उत्तर के बाद ध्वनिमत के जरिए धन्यवाद प्रस्ताव स्वीकृत और संशोधन प्रस्ताव अस्वीकृत कर दिए गए।

सोमवार को बजट सत्र की शुरूआत राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के अभिभाषण से हुयी थी। इस पर धन्यवाद प्रस्ताव वरिष्ठ विधायक डॉ सीतासरन शर्मा की ओर से पेश किया गया था और विपक्ष की ओर से संशोधन लाए गए थे। तय समय के अनुरूप प्रस्ताव और संशोधनों पर बुधवार और गुरुवार को चर्चा हुयी और अध्यक्ष ने नेता प्रतिपक्ष के समय की अनुकूलता के मद्देनजर मुख्यमंत्री के जवाब के लिए आज शुक्रवार का दिन निर्धारित किया था, जिससे श्री कमलनाथ भी उत्तर के दौरान मौजूद रह सकें।

नरोत्तम जैसे ‘हीरा’ मेरे साथ 1990 से है – शिवराज

मध्यप्रदेश विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा चर्चा के उत्तर के दौरान हास परिहास के बीच सदस्यों की रोचक टिप्पणियां भी सुनने को मिलीं और सदन ठहाकों से गूंज उठा।

श्री चौहान ने अपने जवाब के दौरान एक अवसर पर कभी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे और वर्तमान में अपने मंत्रियों की ओर इशारा करते हुए कहा कि कांग्रेस सदस्य इन ‘हीरों’ को पहचान नहीं पाए। श्री चौहान ने कहा कि वे इनके साथ कार्य कर रहे हैं और इस आधार पर यह बात कह रहे हैं।

मोदी नाम ही ऐसा है, जिसे बार बार लेने को जी करता है – शिवराज

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज विधानसभा में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नाम ही ऐसा है, जिसे बार बार लेने का जी करता है।

श्री चौहान ने राज्यपाल के अभिभाषण पर पेश किए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर दो दिनों तक चली चर्चा का आज सदन में उत्तर देते हुए यह टिप्पणी की।

इस दौरान विपक्षी दल के सदस्यों की ओर से बार बार टोकाटाकी की गयी और इस बात को लेकर सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस के सदस्यों के बीच नोंकझोंक की स्थिति बनी।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने अपने उत्तर की शुरूआत में कहा कि श्री कमलनाथ ने चर्चा में शामिल होते हुए जानना चाहा था कि अभिभाषण में प्रधानमंत्री का नाम बार बार लाने की क्या आवश्यकता थी।

श्री चौहान ने कहा कि वे बताना चाहते हैं ‘मोदी नाम ही ऐसा है कि बार बार लेने को जी करता है।’ उन्होंने कहा कि श्री मोदी के नेतृत्व की चर्चा पूरी दुनिया में हो रही है। खासतौर से कोरोना संकटकाल में उन्होंने देश को नेतृत्व देकर जिस तरह से संकट से निकाला और वैक्सीन विकसित करवाकर देश विदेश में मुहैया करवाए, यह कदम अभूतपूर्व है। इस वजह से भारत का पूरी दुनिया में मान और बढ़ा है।

श्री चौहान ने विपक्ष के सदस्यों को सलाह देते हुए कहा कि वैसे भी प्रधानमंत्री किसी दल का नहीं, पूरे देश का होता है। मुख्यमंत्री ने एक वाक्या सुनाते हुए कहा कि एक बार वे अमरीका की यात्रा पर थे और वहां की प्रेस ने उनसे तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की उपलब्धियों को लेकर सवाल किया था। उस समय उन्होंने (श्री चौहान ने) श्री मनमोहन सिंह की उपलब्धियों की सराहना की थी। क्योंकि प्रधानमंत्री किसी दल का नहीं, पूरे देश का होता है।

श्री चौहान ने अपने जवाब के दौरान चर्चा में शामिल होने वाले श्री कमलनाथ समेत लगभग दो दर्जन सदस्यों की ओर से उठायी गयीं बातों का क्रमवार उत्तर देने का प्रयास किया। साथ ही उन्होंने कहा कि ‘आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश’ की परिकल्पना को साकार करना उनका लक्ष्य है और इसमें सभी विधायकों और नागरिकों के सहयोग की भी आवश्यकता है। उन्होंने सभी से सहयोग देने का आह्वान किया।

मजबूरी में कुचलने वाली मानसिकता को कुचलना पड़ा – शिवराज

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आज विधानसभा में कहा कि वर्ष 2018 में भाजपा ने पांच साल विरोध की राजनीति करने की इच्छा के साथ सत्ता छोड़ी थी, लेकिन नयी सरकार ने भाजपा कार्यकर्ताओं को कुचलने के कार्य शुरू कर दिए और हमें कुचलने वाली मानसिकता को कुचलना पड़ा।

आपकी उम्र का भी करना है लिहाज – शिवराज

विधानसभा में आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ के बीच साइकल को लेकर रोचक संवाद हुआ।

राज्यपाल के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का उत्तर देते श्री चौहान ने पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर तथ्य पेश किये। श्री चौहान ने कहा कि उनकी सरकार ने पेट्रोल डीजल पर वैट कम किया था, लेकिन कांग्रेस सरकार ने बढ़ा दिया था।

कांग्रेस पार्टी शुरू करने जा रही है केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में मध्यप्रदेश में किसान महापंचायतें का दौर चार मार्च से;राकेश टिकैत ने कहा:किसान आंदोलन अब हर वर्ग की लड़ाई attacknews.in

भोपाल/श्री छक, 26 फरवरी । मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने आज कहा कि केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में किसानों की महापंचायतों का आयोजन इस राज्य में चार मार्च से रतलाम जिले के रेनमहुचौपाटी गांव से प्रारंभ होगा।

राज्यसभा सांसद श्री सिंह ने यहां अपने निवास पर संवाददाताओं से चर्चा में दावा करते हुए कहा कि यह महापंचायतें पूरी तरह गैरराजनैतिक होंगी।
खच्चर

उन्होंने बताया कि चार मार्च को ही धार जिले के दीकथान गांव में महापंचायत होगी। अगले दिन पांच मार्च को उज्जैन जिले के बड़नगर और फिर शाजापुर में किसान महापंचायत होगी। छह मार्च को सीहोर जिले के श्यामपुर आैर भोपाल जिले के शाहपुर गांव में किसान महापंचायत होगी।

किसान आंदोलन अब हर वर्ग की लड़ाई – टिकैत

श्रीगंगानगर, से खबर है कि,किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा है कि तीन महीने से चल रहा किसान आंदोलन अब किसानों की लड़ाई नहीं रहा बल्कि अब यह हर वर्ग की लड़ाई बन गया है।

श्री टिकैत ने आज राजस्थान में श्रीगंगानगर जिले के पदमपुर कस्बे में आयोजित किसानों की महापंचायत में संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ शुरू हुआ यह संघर्ष अब हर वर्ग के लोगों का संघर्ष है बन गया है। सरकार ऐसे ही 17 और कानून लाने वाली है, जिससे हर वर्ग के लोग प्रभावित होंगे।

उन्होंने कहा कि सरकार से यह लड़ाई लंबी चलेगी। किसानों को मोर्चे मजबूत बनाए रखने होंगे। देश के दूसरे इलाकों में भी मोर्चाबंदी करनी होगी। बंगाल के किसान भी बहुत परेशान हैं। बंगाल में भी मोर्चा खोलना होगा।

महापंचायत को मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य जोगेंद्रसिंह उगरहां, गुरमीतसिंह चढूनी तथा रघुवीर सिंह आदि किसान नेताओं ने भी संबोधित किया। राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार गलतफहमी में है कि वह लोगों को गुमराह करके आंदोलन को दबा देगी, लेकिन यह अब जनता का आंदोलन बन गया है।

उन्होंने कहा कि सरकार की नजर खुदरा व्यापार पर है। वॉलमार्ट जैसी विदेशी कंपनियां खुदरा व्यापार को निगलने को तैयार बैठी हैं। शहरों में 5-7 मॉल में खुदरा व्यापार सिमट कर रह जाएगा। आने वाले दिनों में कोई दूध भी नहीं बेच सकेगा। दूध पहले कंपनियों को बेचना होगा। कंपनियां फिर मुनाफे के साथ दूध आम लोगों को बेचेंगी। इसी प्रकार बिजली को लेकर भी सरकार एक कानून लाने वाली है। इससे किसान खेतों में अपने पंपिंग सेट भी नहीं चला पाएंगे। लिहाजा यह लड़ाई बहुत लंबी चलेगी।

श्री टिकैत ने कहा कि इस आंदोलन से ट्रैक्टर किसानों का स्टेटस सिंबल बन गया है। इस संघर्ष में हल क्रांति भी होगी। खेती में काम आने वाले औजार भी किसान तैयार रखें। जरूरत पड़ी तो यह औजार भी निकालने दिखाने होंगे। किसान नेता ने केंद्र सरकार को सूचित किया कि वह इस आंदोलन को जात-धर्म और सांप्रदायिक रूप देकर दबाने की कतई चेष्टा नहीं करें। इस आंदोलन से देश में एक नए धर्म का सूत्रपात हुआ है। यह धर्म है-किसान धर्म।

संयुक्त मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य गुरमीत सिंह चढूनी ने कहा कि खेत बचेंगे तो किसान बचेंगे। सभी किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य एमएसपी फसलों का नहीं मिलता है। इसमें लगभग चार लाख करोड़ रुपये का अंतर है। किसान सोचे कि अगर हर फसल में यह चार लाख करोड़ और उनकी जेबों में आए तो न केवल उन्हें आर्थिक संबल मिलेगा बल्कि हर वर्ग की भी आर्थिक स्थिति सुधरेगी। यह चार लाख करोड़ किसानों के जरिए बाजार में आए तो अर्थव्यवस्था का पहिया तेजी से घूमेगा।

महापंचायत को राजस्थान जाट महासभा के प्रदेश अध्यक्ष राजाराम मील, ग्रामीण किसान मजदूर समिति (जीकेएस) के संयोजक रणजीतसिंह राजू, सहित अन्य नेताओं ने भी सम्बोधित किया।

एनआईए ने जासूसी को लेकर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के भारतीय एजेंट के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया attacknews.in

नयी दिल्ली, 26 फरवरी । एनआईए ने जासूसी में कथित तौर पर संलिप्त रहने को लेकर पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के एक भारतीय एजेंट के खिलाफ एक पूरक आरोपपत्र दाखिल किया है। एक अधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी।

गुजरात के पश्चिम कच्छ जिला निवासी राजाभाई कुंभर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून (यूएपीए) की संबद्ध धाराओं के तहत बृहस्पतिवार को पूरक आरोपपत्र दाखिल किया गया।

पाकिस्तान स्थित आईएसआई एजेंटों को सामरिक महत्व की संवेदनशील जानकारी, तस्वीरें और वीडियो भेजने के आरोप में उत्तर प्रदेश के चंदोली निवासी मोहम्मद राशिद को लखनऊ में गिरफ्तार किये जाने के बाद शुरूआत में पिछले साल जनवरी में एक मामला दर्ज किया गया था।

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने इसके बाद पिछले साल अप्रैल में मामला दर्ज किया और जांच की जिम्मेदारी अपने हाथों में ले ली।

इससे पूर्व, महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों एवं सुरक्षा बलों की गतिविधियों से संबंधित संवेदनशील और सामरिक रूप से अहम सूचनाएं पाकिस्तान स्थित आईएसआई के अपने आकाओं को भेजने में राशिद की भूमिका को लेकर पिछले साल जुलाई में एक आरोपपत्र दाखिल किया गया था।

एनआईए के एक अधिकारी ने बताया कि कुंभर को पिछले साल 30 सितंबर को गिरफ्तार किया गया। वह वैध दस्तावेजों पर दो बार पाकिस्तान गया था और अपनी दूसरी यात्रा से लौटने के दौरान वह पाकिस्तानी आईएसआई एजेंट हामिद के संपर्क में आया था और साजिश में भीगीदार बना था।

अधिकारी ने बताया कि मामले की जांच जारी है।