लोकसभा में किसान आंदोलन पर समस्त विपक्षी दलों का सरकार पर ‘बहुमत के बाहुबल’ का आरोप, भाजपा ने कहा..नये भारत की नींव रखी जा रही attacknews.in

नयी दिल्ली, आठ फरवरी । कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक सहित विपक्षी दलों ने सोमवार को लोकसभा में सरकार पर ‘बहुमत के बाहुबल’ के जरिये किसानों, कृषि सहित अन्य मुद्दों पर अपनी बात थोपने का आरोप लगाया, जबकि सरकार से किसानों से बातचीत करके विवादित कृषि कानूनों से जुड़े मामले का समाधान निकालने की अपील की।

वहीं भाजपा ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार संसद के माध्यम से नए भारत की नींव रख रहे हैं।

सत्तारूढ़ पार्टी ने कहा कि मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 को समाप्त करने, नोटबंदी लागू करने, जीएसटी लागू करने, तीन तलाक कहकर संबंध तोड़ने की कुप्रथा को समाप्त करने जैसे बड़े कदम उठाये हैं, वहीं कोरोना वायरस महामारी के दौर में भी बहुत काम किया है।

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर सदन में चर्चा में हिस्सा लेते हुए लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाया, ‘‘आप एक तरफ मुसलमान और दूसरी तरफ किसान के खिलाफ जंग छेड़े हुए हैं।’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘ संसद से कुछ किलोमीटर की दूरी पर हजारों किसान दो महीने से बैठे हैं। 200 से ज्यादा किसानों की जान चली गई। प्रधानमंत्री को किसानों के साथ बातचीत करने की फुर्सत नहीं है क्या? इतना अहंकार क्यों है?’’

किसानों की स्थिति को दयनीय बताते हुए उन्होंने सरकार से कहा, ‘‘ आप बहुमत का बाहुबल बंद करिए।’’

चौधरी ने सरकार पर किसानों के खिलाफ जंग छेड़ने का आरोप लगाया, साथ ही बालाकोट एयर स्ट्राइक से पहले कथित तौर पर जानकारी लीक होने और गणतंत्र दिवस पर कुछ उपद्रवी तत्वों के लाल किले में घुसने एवं धार्मिक ध्वज लगाने से जुड़े घटनाक्रम की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग की ।

वहीं, भाजपा सांसद लॉकेट चटर्जी ने लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव रखते हुए विभिन्न क्षेत्रों में मोदी सरकार के कार्यों एवं उपलब्धियों तथा केंद्रीय योजनाओं को गिनाया, वहीं अपने गृह राज्य पश्चिम बंगाल की सरकार को आड़े हाथ लेते हुए उस पर केंद्रीय योजनाओं को राज्य के नागरिकों तक नहीं पहुंचाने का आरोप भी लगाया।

चटर्जी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार इस सदन के माध्यम से नए भारत की नींव रख रहे हैं।

भाजपा सांसद ने राज्य में तृणमूल कांग्रेस पार्टी की शह पर भाजपा कार्यकर्ताओं की कथित तौर पर हत्या किये जाने, खास वर्ग का तुष्टीकरण करने, 30 प्रतिशत वोटों की राजनीति करने और भगवान राम-सीता का अपमान करने का सोमवार को आरोप लगाया और कहा कि 2021 के विधानसभा चुनाव में राज्य की जनता इसका जवाब देगी।

भाजपा के ही सांसद वीरेंद्र कुमार ने कहा कि कोरोना की वैश्विक महामारी के संकट से निपटने में सरकार, वैज्ञानिकों और स्वास्थ्यकर्मियों ने मुख्य भूमिका निभाई। देश के लोगों ने भी इस संकट का मजबूती से मुकाबला किया।

उन्होंने कहा कि इस महामारी के बाद स्वास्थ्य सुविधओं में इजाफा हुआ तथा पीपीई किट, मास्क और दूसरे चिकित्सा उपकरणों के विनिर्माण में तेजी आई।

कुमार ने कहा कि कांग्रेस के एक नेता की अध्यक्षता वाली गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना की है। इसी तरह स्वास्थ्य संबंधी समिति ने भी सरकार के प्रयासों की तारीफ की है। सरकार ने कई दूसरे देशों की भी मदद की। कोरोना वायरस के टीके की कई देशों को आपूर्ति की जा रही है।

उन्होंने कहा कि सरकार ने कई सामाजिक योजनाओं के माध्यम से देश के गरीबों की मदद की गयी। श्रम सुधारों का कदम उठाकर मजदूरों के हितों की रक्षा की।

चर्चा में हिस्सा लेते हुए तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने सरकार पर ‘कायरता को साहस के रूप में परिभाषित’ करने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून लाना, अर्थव्यवस्था की स्थिति, बहुमत के बल पर तीन कृषि कानून लाना इसके उदाहरण हैं।

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान महुआ मोइत्रा ने उच्चतम न्यायालय के एक पूर्व प्रधान न्यायाधीश को लेकर एक टिप्पणी की। इसका भाजपा सदस्यों और सरकार की ओर से जोरदार विरोध किया गया।

भाजपा के उदय प्रताप सिंह ने आरोप लगाया कि कृषि कानूनों के विरोध के जरिये ‘हिंदुस्तान में आग लगाने, किसानों को बरगलाने’ का काम हो रहा है।

उन्होंने कहा कि इन कानूनों से किसानों को नहीं बल्कि बिचौलियों को सबसे ज्यादा परेशानी है।

सिंह ने कहा कि सबसे अधिक मंडी कर पंजाब में है और भाजपा शासित राज्यों में यह सबसे कम है। लेकिन पंजाब के नेता दोहरा मापदंड अपना रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं जिम्मेदारी से कह रहा हूं कि किसान के मन में कोई संदेह नहीं है, लेकिन कुछ बिचौलिये और नेता उन्हें भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं।’’

सिंह ने कहा कि किसानों को परंपरागत खेती से हटकर व्यावसायिक कृषि को भी अपनाना होगा।

निर्दलीय सदस्य नवनीत कौर राणा ने कहा कि कोरोना काल में 80 करोड़ से अधिक गरीबों को अनाज और उज्ज्वला योजना के तहत महिलाओं को गैस देकर सरकार ने उल्लेखनीय कार्य किया है।

उन्होंने महाराष्ट्र सरकार पर कोरोना काल में असंवेदनशीलता का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार की नाकामी और लापरवाही के कारण राज्य के नागरिकों को बहुत नुकसान झेलना पड़ा है।

राणा ने कुछ विदेशी हस्तियों द्वारा भारत में किसान आंदोलन का समर्थन करने के खिलाफ पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और गायिका लता मंगेशकर के ट्वीट का जिक्र करते हुए कहा कि दोनों भारत रत्न विभूतियों के खिलाफ महाराष्ट्र में आरोप लग रहे हैं और उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराये जाने की बात कही जा रही है।

भाजपा के पीपी चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में कोरोना संकट के समय जो कदम उठाए गए, उनकी पूरी दुनिया में सराहना हुई है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता आनंद शर्मा की अध्यक्षता वाली गृह मामलों से संबंधित संसदीय समिति और सपा नेता रामगोपाल यादव की अध्यक्षता वाली स्वास्थ्य मामलों से संबंधित समिति ने सरकार के प्रयासों की सराहना की।

चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश को नयी दिशा प्रदान की है और देश के विकास के मार्ग पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।

कांग्रेस के गुरजीत सिंह औजला ने कहा कि प्रधानमंत्री जी ने 200 किसानों की मौत पर एक शब्द नहीं बोला। अगर उन्हें पंजाब के लोगों को लेकर दर्द है तो फिर लोगों की जीविका पर वार क्यों किया जा रहा है।

उन्होंने दावा किया कि इस सरकार ने अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया और आम लोगों पर महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है।

राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के डा. अमोल कोल्हे ने कहा कि हिंसा के आड़ में किसान आंदोलन को बदनाम करने की साजिश रची गई।

उन्होंने कहा कि आज देश को ‘आंदोलनजीवी’ शब्द मिला है। कल को महाराष्ट्र में विपक्ष के नेता आंदोलन करेंगे तो क्या वो भी ‘आंदोलनजीवी’ होंगे।

उन्होंने कहा कि जिस देश में स्वतंत्रता की बुनियाद ही आंदोलन हो, उस देश में इस तरह के शब्द का इस्तेमाल नहीं हो सकता।

कांग्रेस के जसबीर गिल और अन्नद्रमुक के सांसद पी रवींद्रनाथ कुमार ने भी चर्चा में भाग लिया।

चर्चा अधूरी रही ।

भारत के सभी राज्यों में लागू होने जा रही है”एक देश, एक राशन-कार्ड”योजना के तहत अतिरिक्त कर्ज के लिए राज्यों से 15 फरवरी तक प्रस्ताव मांगे गए attacknews.in

नयी दिल्ली, आठ फरवरी । केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित क्षेत्रों के प्रशासन से ‘ एक राष्ट्र एक राशन कार्ड’ (ओएनओआरसी) योजना के कार्यान्वन के लिए अतिरिक्त बाजार ऋण जुटाने के प्रस्ताव 15 फरवरी तक भेजने को कहा है।

इस योजना के तहत राशन कार्डधारक अपने कोटे का राशन देश में किसी भी राज्य में सरकारी सस्ते गल्ले की दुकान से ले सकते हैं जहां बिक्री ऑनलाइन इलेक्ट्रॉनिक मशीन (ईपीओएस) के जरिए की जाती है। इसके लिए उंगली की छाप से पहचान (बॉयोमेट्रिक) की जाती है।

सरकारी विज्ञप्ति के अनुसार केंद्रीय खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुंधाशु पांडे ने सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के साथ एक बैठक की और इस योजना की प्रगति की समीक्षा की। सचिव ने सभी संबंधित राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से ओएनओआरसी के तहत अतिरिक्त कर्ज जुटाने के लिए आवश्यक प्रस्ताव अपने विभाग में 15 फरवरी 2021 तक जमा कराने का आग्रह किया।

उन्होंने राज्यों से इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल (ईपीओएस) डिवाइसों की स्थापना करने, सभी लाभार्थियों के आधार लिंक, पीडीएस लेन-देन और पोर्टेबिलिटी लेन-देन के बायोमीट्रिक सत्यापन (दोनों अंतरराज्यीय और राज्यांतरिक) की प्रगति को आगे बढ़ाने के लिए कहा।

बैठक में इस परियोजना के कार्यान्वन, इससे संबंधित जागरुकता योजनाओं और संचार रणनीतियों की प्रगति की समीक्षा की गयी राज्यों को इस योजना में प्रगति के आर पर राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 0.25% के बराबर अतिरिक्त उधार लेने की छूट के दावे के लिए उनके प्रस्तावों की स्थिति की समीक्षा की।

ओएनओआरसी का उद्देश्य सभी प्रवासी लाभार्थियों को देश में कहीं भी अपने एनएफएसए खाद्यान्न/लाभों तक पहुंच के लिए सशक्त बनाना है। विज्ञप्ति के अनुसार वर्तमान में, यह प्रणाली 32 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में मूल रूप से लागू है और इन राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में लगभग 69 करोड़ लाभार्थी (86% एनएफएसए आबादी) को कवर करती है।

भारत में नये श्रम कानून अप्रैल से हो जाएंगे लागू: श्रम संहिताओं पर अमल के नियमों को इसी सप्ताह दिया जा सकता है अंतिम रूप attacknews.in

नयी दिल्ली आठ फरवरी । श्रम मंत्रालय चार नयी श्रम संहिताओं को लागू करने के लिए उनसे संबंधित नियमों को इस सप्ताह अंतिम रूप दे सकता है। इन संहिताओं को लागू करने से देश के श्रम बाजार में सुधरे नियमों-अधिनियमों का नया दौर शुरू होगा।

इसके अलावा मंत्रालय असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के पंजीकरण एवं कल्याण के लिए एक इंटरनेट-पोर्टल तैयार कर रहा है। अधिकारियों के अनुसार यह पोर्टल जून तक तैयार हो सकता है। इस पोर्टल पर असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों के पंजीकरण और उनके लिए अन्य सुविधाएं प्रदान की जा सकती हैं। इनमें ठेके या मुक्तरूप से काम करने वाले श्रमिकों और ‘प्लेटफार्म’ श्रमिकों जैसे कर्मियों का पंजीकरण किया जाएगा।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने भाषण में इस प्रकार के वेब-पोर्टल की स्थापना का उल्लेख किया था।

श्रम सचिव अपूर्व चंद्र ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, ‘‘ नियम बनाए जा रहे हैं और उम्मीद है कि इस काम को आने वाले सप्ताह में पूरा कर लिया जाएगा। इस संबंध में सभी संबद्ध पक्षों से विचार विमर्श किया गया है।’’

उन्होंने कहा यह मंत्रालय जल्दी ही इस स्थिति में होगा कि चारो नयी संहिताओं को लागू किया जा सके। इनमें वेतन/मजदूरी संहिता, औद्योगिक संबंधों पर संहिता, काम विशेष से जुड़ी सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यस्थल की दशाओं (ओएसएच) पर संहिता, तथा सामाजिक सुरक्षा संहिता शामिल हैं।

श्रम मंत्रालय ने चारों संख्याओं को अप्रैल से लागू करने की योजना बनाई है।

मंत्रालय ने श्रम कानूनों में सुधार के लिए कुल 44 तरह के पुराने श्रम कानूनों को चार वृहद संहिताओं में समाहित किया है और उन्हें लागू करने की प्रक्रिया के आखिरी चरण में है। अधिकारियों के अनुसार मंत्रालय इन कानूनों को एक ही साथ लागू करना चाहता है।

पोर्टल के बारे में चंद्रा ने बताया कि पोर्टल तैयार करने का काम चालू है और यह जून तक शुरू किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस पोर्टल पर अल्पकालिक ठेकों या काम के आधार पर सेवाएं देने वाले कर्मियों, निर्माण क्षेत्र में कार्यरत मजदूरों और दूसरे राज्यों से मजदूरी के लिए आने वाले श्रमिकों से संबंधित सूचनाएं जुटायी जाएगी।

इस पर ऐसे मजदूरों के पंजीकरण की सुविधा होगी। उन्हें एक साल के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत मुफ्त बीमा संरक्षण दिया जाएगा।

चंद्रा ने यह भी बताया कि श्रम ब्यूरो ने चार नए सर्वे कराएगा जो दूसरे राज्यों से आने वोले मजदूरों , घरेलू श्रमिकों , पेशेवरों तथा परिवहन क्ष्रेत्र द्वारा सृजित रोजगार से संबंधित होंगे। ब्यूरो प्रतिष्ठानों पर आधारित एक अखिल भारतीय रोजगार सर्वेक्षण (एआईईईएस) शुरू कराएगा।

उत्तराखंड ग्लेशियर हादसे के बाद बढ़ रही है मृतकों की संख्या ,26 शव बरामद,202 लापता,हादसे में कई पुल बहे, गांवों का संपर्क कटा attacknews.in

चमोली/देहरादून 08 फरवरी। उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से आई जल आपदा के लगभग 36 घंटे में राहत बलों ने 26 शव बरामद कर लिये हैं, जबकि दो पुलिसकर्मियों सहित 171 व्यक्तियों की तलाश जारी है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत दोबारा प्रभावित क्षेत्र में पहुंच गये हैं। वह रात्रि को भी यहीं रुकें हैं।

राज्य आपदा नियंत्रण केन्द्र द्वारा सोमवार शाम आठ बजे जारी सूचना के अनुसार, बरामद 26 शवों में दो की शिनाख्त हो गई है। यह दोनों व्यक्ति ग्राम तपोवन के निवासी हैं। जबकि अन्य 24 अज्ञात हैं। लापता लोगों में ऋत्विक कम्पनी के 21, उसकी सहयोगी कम्पनी के कुल 94, एचसीसी कम्पनी के 03, ओम मेटल के 21, रिनगी गांव के 02, करछो गांव के 02 और रैणी गांव के 06 व्यक्ति लापता हैं। इसके अतिरिक्त, 02 पुलिस कर्मियों सहित कुल 46 व्यक्ति ऋषि गंगा कम्पनी के भी अभी तक लापता हैं। इस तरह समाचार लिखे जाने तक कुल 197 व्यक्ति लापता माने गये हैं। जिनमें से 26 शव मिलने के बाद अब 171 व्यक्तियों की तलाश की जा रही है।

सूचना के अनुसार, प्रभावित 13 ग्रामों में हवाई मार्ग से खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई गई है। बचाव कार्य में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ, एसएसबी, आईटीबीपीतल, सेना, वायु सेना, जल सेना और हेप्टिस की टीमें लगी हैं। कुल छह मेडिकल टीम और तीन हेलीकॉप्टर भी प्रभावित क्षेत्रों में उपलब्ध हैं।

उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने के बाद 202 लोग लापता

इससे पहले बताया था कि,उत्तराखंड के चमोली जनपद में ग्लेशियर टूटने के बाद आई जल प्रलय में लापता लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और सोमवार अपराह्न तक यह संख्या बढ़ कर 202 तक पहुंच गयी।

राज्य आपदा परिचालन केन्द्र की ओर से आज जारी रिपोर्ट के अनुसार राज्य में अभी तक 202 लोग लापता हैं और 18 शव बरामद हो चुके हैं। इस दौरान पांच पुल क्षतिग्रस्त हुये हैं।

उत्तराखंड में क्षतिग्रस्त सुरंग में मलबा भरा, 170 लापता

प्राकृतिक ग्लेशियर टूटने से उत्पन्न परिस्थितियों से सोमवार सुबह तक निजात नहीं मिल सकी और अब तक लगभग 170 व्यक्तियों के लापता होने की जानकारी मिली है। राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) ने आज सुबह फिर सुरंग के अंदर का रास्ता खोलने का काम शुरू किया।इस बीच अलकनन्दा नदी से एक शव भी बरामद हुआ है।

एसडीआरएफ के सेनानायक (कमांडेंट) नवनीत भुल्लर ने बताया कि सुरंग के अंदर का रास्ता बुरी तरह मलबा भरे होने के कारण अभी अवरूद्ध है जिसे जेसीबी द्वारा खोलने का प्रयास किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि बेला गांव के करीब अलकनन्दा में एक अज्ञात शव मिला है। उन्होंने बताया कि भारत-चीन सीमा को जोड़ने वाला विष्णु प्रयाग पुल आपदा में नष्ट हो गया है।

श्री भुल्लर ने बताया कि अभी तक लगभग 170 व्यक्तियों के लापता होने की सूचना है। इनमें 22 व्यक्ति बाण गंगा परियोजना और 148 एनटीपीसी परियोजना के हैं। अभी तक कुल आठ शव बरामद हुए हैं, जबकि 12 व्यक्तियों को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी)के सहयोग से सुरक्षित निकाला गया है।

उन्होंने बताया कि आठ व्यक्ति घायल हुए हैं, जबकि 30 व्यक्ति सुरंग के अंदर फंसे हैं, जिन्हें निकालने का प्रयास किया जा रहा है।

ग्लेशियर हादसे में कई पुल बहे, गांवों का संपर्क कटा

उत्तराखंड के चमोली जिले में ग्लेशियर के एक हिस्सा टूट जाने से भारत-चीन सरहद के मलारी आदि इलाकों को मुख्य धारा से जोड़ने वाला सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा निर्मित पक्का सीसी पुल भी इस ऋषि गंगा में उफान की भेंट चढ़ गया है। जिस कारण से मलारी नीति बार्डर में सुरक्षा में लगी सेना एवं भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) मुख्य धारा से कट गई है।

सेना के अतिरिक्त घाटी के छह गांवों की आवाजाही भी इस वाहन पुल के टूटने से ठप हो गई है। पुल के बहने की खबर मिलते ही बीआरओ की टीम ने मेजर परसुराम के नेतृत्व में मौके का निरीक्षण किया।

उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से मेला क्षेत्र में अलर्ट जारी

प्रयागराज से खबर है कि ,उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने से धौली गंगा में आई बाढ़ का प्रयागराज के माघ मेला में तीसरे सबसे बड़े स्नान पर्व “ मौनी अमावस्या” पर इसका कोई असर पड़ने की उम्मीद नहीं है फिर भी इसे लेकर अलर्ट जारी किया गया है ।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि वर्तमान स्थिति को देखते हुए प्रयागराज में गंगा के जलस्तर में लगभग 60 से 70 सेंटीमीटर की वृद्धि 5 से 6 दिनों में हो सकती है। अतः 11 फरवरी को होने वाले मौनी अमावस्या के स्नान पर इसका कोई असर पड़ने की उम्मीद नहीं है ।

दोबारा शुरु होगा तपोवन परियोजना का कामः सिंह

केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर के सिंह ने सोमवार को आपदा प्रभावित क्षेत्र तपोवन का दौरा करने के बाद कहा कि तपोवन-विष्णुगाड़ जल विद्युत परियोजना का काम दोबारा शुरू किया जाएगा।

श्री सिंह ने चमोली जिले के दौरे पर यहां पहुंचने के बाद स्थानीय लोगों से आपदा के बारे में जारकारी ली। उन्होंने एनटीपीसी के अधिकारियों से परियोजना के बारे में जानकारी भी ली।

उत्तराखंड आपदा: श्रीनगर का इंजीनियर लापता

उत्तराखंड में ग्लेशियर के एक हिस्से के टूट जाने की घटना के बाद से लापता लोगों में कश्मीर का एक इंजीनियर भी शामिल है।

अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए बताया कि बशरत अहमद जरगर श्रीनगर के सौरा इलाके के रहने वाले हैं और वे एक निजी कंपनी के सिविल इंजीनियर के तौर पर उत्तराखंड के ऋषि गंगा बिजली परियोजना में काम कर रहे थे। वह रविवार की सुबह इस त्रासदी के बाद से लापता हैं।

उन्होंने बताया कि जरगर का अब भी पता नहीं चला है।

जम्मू कश्मीर आपदा प्रबंधन निदेशक आमिर अली ने बताया, ‘‘हमने इस मुद्दे को उत्तराखंड सरकार के समक्ष उठाया है। हम वहां के आपदा प्रबंधन प्राधिकारियों के संपर्क में हैं। बचाव अभियान जारी है।’

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ CBI जांच के आदेश के विरुद्ध दायर याचिका पर फरवरी के अंतिम हफ्ते में सुनवाई करेगा उच्चतम न्यायालय attacknews.in

नयी दिल्ली, आठ फरवरी । उच्चतम न्याायलय ने सोमवार को कहा कि उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा दायर याचिका पर वह फरवरी के अंतिम हफ्ते में सुनवाई करेगा। रावत ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच के राज्य के उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी है।

उच्चतम न्यायालय ने पिछले वर्ष 29 अक्टूबर को उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा था कि रावत का पक्ष सुने बगैर इसे पारित किया गया।

दो पत्रकारों ने भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं, जो रावत के कथित रिश्तेदारों के खाते में 2016 में धन स्थानांतरित करने से जुड़ा हुआ है। रावत उस वक्त भाजपा की झारखंड इकाई के प्रभारी थे और वहां ‘गौ सेवा आयोग’ के प्रमुख के तौर पर एक व्यक्ति की नियुक्ति के लिए कथित तौर पर इन पैसों का लेन-देन हुआ था।

रावत ने इन आरोपों से इंकार किया है।

न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति आर. एस. रेड्डी की पीठ इन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी। इसमें पिछले वर्ष 27 अक्टूबर को उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ रावत की याचिका भी शामिल है।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘मामले को फरवरी के अंतिम हफ्ते के लिए सूचीबद्ध किया जाए। इस बीच अतिरिक्त दस्तावेज पेश करने की भी छूट दी जाती है

महाराष्ट्र में भाजपा और ठाकरे सरकार के बीच ट्विटर विवाद गहराया:किसान आंदोलन पर मशहूर हस्तियों के ट्वीट के संबंध में जांच करेगी महाराष्ट्र सरकार attacknews.in

मुंबई/नयी दिल्ली, आठ फरवरी । महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने सोमवार को कहा कि राज्य का खुफिया विभाग कुछ हस्तियों पर किसान आंदोलन को लेकर ट्वीट करने का दबाव डाले जाने के आरोपों के संबंध में जांच करेगा। इस पर भाजपा ने नाराजगी जताते हुए राज्य सरकार पर पलटवार किया।

देशमुख ने एक ऑनलाइन मंच पर राज्य सरकार के सहयोगी दल कांग्रेस की तरफ से इस संबंध में मांग किये जाने के बाद यह टिप्पणी की।

इस बीच, भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि उसके शासन का अंदाज बहुत निराला है जो विदेशों की ‘‘अराजक आवाजों’’ की सराहना करती है लेकिन देश के हित में आवाज उठाने वाले राष्ट्रभक्त भारतीयों को ‘‘प्रताड़ित’’ कर रही है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘महाराष्ट्र में एमवीए (महाराष्ट्र विकास आघाड़ी) सरकार का शासन का अनोखा मॉडल है। विदेशों से आ रही अराजक आवाजों की सराहना कर रही है जो भारत की खराब छवि प्रस्तुत करती हैं लेकिन राष्ट्रभक्त भारतीयों को प्रताड़ित कर रही है, जो देश हित में खड़े हुए हैं। यह निर्णय कर पाना मुश्किल है कि कौन ज्यादा दोषपूर्ण है-उनकी प्राथमिकताएं या उनकी मानसिकता।’’

सोमवार को बैठक के दौरान महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रवक्ता सचिन सावंत और पार्टी के कुछ अन्य नेताओं ने किसान आंदोलन को लेकर कुछ हस्तियों के ट्वीट का भाजपा से कथित तौर पर संबंधित होने का आरोप लगाया था।

हाल ही में अमेरिकी गायिका रिहाना और स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने किसान आंदोलन के समर्थन में ट्वीट किए थे। इसके बाद क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर और गायिका लता मंगेशकर ने सरकार के समर्थन वाले हैशटेग के साथ जवाबी ट्वीट किए थे।

देशमुख के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस बैठक के बाद सावंत ने ट्वीट किया, ‘ मशहूर हस्तियों द्वारा किए गए ट्वीट का भाजपा के साथ संबंध होने की जांच करने और आवश्यकतानुसार हमारे राष्ट्रीय नायकों को सुरक्षा प्रदान किए जाने की मांग की गई। साथ ही इस बात की भी जांच की मांग की गई कि कहीं भाजपा ने इन हस्तियों पर ट्वीट करने का दबाव तो नहीं डाला? ‘

देशमुख ने इस बात का उल्लेख किया कि बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल और अभिनेता अक्षय कुमार द्वारा किए गए ट्वीट में समानता थी।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस का सवाल है कि कहीं दोनों हस्तियों ने एक ही तरह के ट्वीट एक साथ किसी दबाव में तो नहीं किए?

उधर, महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस प्रमुख नाना पटोले ने मुंबई में संवाददताओं से बातचीत में केंद्र सरकार पर मशहूर हस्तियों पर ‘‘अंडरवर्ल्ड की तरह’’ दबाव डालने का आरोप लगाया।

उधर, भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने इस कदम को ‘‘घृणास्पद और अत्यंत निंदनीय’’ बताया और कहा कि सत्तारूढ़ महा विकास आघाडी (एमवीए) सरकार को भारत रत्न विजेताओं के लिए ‘‘जांच’’ शब्द का इस्तेमाल करते हुए शर्मिंदगी महसूस होना चाहिए।

उन्होंने कहा ऐसा लगता है कि उन सबकी ‘‘मानसिक हालत’’ की जांच होनी चाहिए जिन्होंने इस जांच की मांग की है और इसका आदेश दिया है।

फडणवीस ने ट्वीट किया, ‘‘क्या यह एमवीए सरकार सारा विवेक खो चुकी है? एमवीए को भारत रत्न विजेताओं के लिए जांच शब्द के इस्तेमाल पर शर्मसार होना चाहिए। भारत रत्न विजेताओं के खिलाफ इस तरह की मांग और ऐसे आदेश देने वालों के मानसिक स्वास्थ्य की जांच कराने की जरूरत है।’’

पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने शिवसेना के नेतृत्व वाली सरकार पर परोक्ष हमला करते हुए कहा, ‘‘आपका मराठी गौरव अब कहां गया? आपका महाराष्ट्र धर्म अब कहां है? देश के लिए एकजुट होने वाले ‘भारत रत्न’ के खिलाफ जांच का आदेश देने वाले ऐसे ‘रत्न’ हमें देश भर में नहीं मिलेंगे।’’

सुप्रीम कोर्ट ने सिविल सेवा परीक्षा में कोविड-19 के कारण अवसर गंवा चुके परीक्षार्थियों को केंद्र सरकार से आयु सीमा पर एक बार की राहत देने विचार करने को कहा attacknews.in

नयी दिल्ली, आठ फरवरी । उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को केंद्र से कहा कि वह ऐसे यूपीएससी सिविल सेवा अभ्यर्थियों को आयु सीमा को लेकर एक बार की राहत के तौर पर अतिरिक्त मौका देने पर विचार करे, जो कोविड-19 महामारी के बीच 2020 की परीक्षा में अपने अंतिम प्रयास में शामिल हुए थे और उनकी परीक्षा में बैठने की आयु सीमा समाप्त हो चुकी है।

इससे पहले केंद्र ने पांच फरवरी को उच्चतम न्यायालय से कहा था कि वह ऐसे यूपीएससी सिविल सेवा अभ्यर्थियों को एक बार की राहत के तौर पर अतिरिक्त मौका देने पर सहमत है, जो कोविड-19 महामारी के बीच 2020 की परीक्षा में अपने अंतिम प्रयास में शामिल हुए थे और उनकी आयु सीमा समाप्त नहीं हुई है।

उन्होंने कहा था, “ राहत खासतौर पर केवल सिविल सेवा परीक्षा-2021 (सीएसई) के लिए ऐसे अभ्यर्थियों तक ही सीमित रहेगी जोकि सीएसई-2020 में अपने अंतिम प्रयास में शामिल हुए थे और सीएसई-2021 में बैठने के लिए जिनकी आयु समाप्त नहीं हुई है। ऐसे अभ्यर्थियों को एक और बार परीक्षा में शामिल होने का अवसर दिया जाएगा।”

सोमवार को सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति दिनेश महेश्वरी की पीठ के समक्ष याचिकाकर्ताओं के वकील ने कहा कि आयु सीमा संबंधी शर्त को लेकर दिक्कत है क्योंकि इसके चलते खासतौर पर सबसे अधिक प्रभावित ऐसे अभ्यर्थी होंगे जोकि दिव्यांग, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से संबंध रखते हैं।

पीठ ने पाया कि महामारी के चलते असाधारण परिस्थिति थी और अधिकारियों को कठोर रुख नहीं अपनाना चाहिए।

केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने पीठ से कहा, “ हम कठोर नहीं हैं। जब इस अदालत ने हमें सुझाव दिया, तब हमने राहत प्रदान की।”

पीठ द्वारा आयु सीमा में एक बार की राहत प्रदान करने के बारे में कहा गया।

इस पर राजू ने पीठ से कहा कि यह संभव नहीं हो सकता है लेकिन वह अधिकारियों से चर्चा करने के बाद अदालत को सूचित करेंगे।

केंद्र द्वारा पांच फरवरी को दाखिल दस्तावेज में कहा गया था कि सीएसई-2021 के दौरान ऐसे अभ्यर्थियों को राहत प्रदान नहीं की जाएगी, जिनका अंतिम प्रयास समाप्त नहीं हुआ है अथवा ऐसे उम्मीदवार जोकि विभिन्न श्रेणियों में निर्धारित आयु सीमा को पार कर चुके हैं। इसके अलावा, अन्य कारणों से परीक्षा में शामिल होने के लिये अयोग्य अभ्यर्थियों को भी सीएसई-2021 में राहत नहीं मिलेगी।

केंद्र ने पीठ से यह भी कहा कि यह राहत केवल एक बार के अवसर के तौर पर सीएसई-2021 के लिए ही लागू रहेगी और इसे मिसाल के तौर पर नहीं देखा जाएगा।

उन्होंने कहा कि भविष्य में इस राहत को आधार बनाकर किसी तरह के निहित अधिकार का दावा पेश नहीं किया जाएगा।

पीठ ने राजू से इस दस्तावेज को वितरित करने को कहा और साथ ही याचिकाकर्ताओं को इस बारे में अपना जवाब दाखिल करने को कहा था।

पीठ उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें ऐसे यूपीएससी सिविल सेवा अभ्यर्थियों को एक और अवसर प्रदान करने का अनुरोध किया गया था जोकि महामारी के कारण इस परीक्षा के अपने अंतिम अवसर को गंवा बैठे।

उल्लेखनीय है कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक फरवरी को उच्चतम न्यायालय से कहा था कि वह यूपीएससी परीक्षा 2020 में कोविड-19 के कारण शामिल नहीं हो सके या ठीक से तैयारी नहीं कर पाने वाले ऐसे अभ्यर्थियों को अतिरिक्त मौका नहीं देगी। सरकार ने कहा था कि 2020 में अंतिम मौका गंवा चुके अभ्यर्थियों को अतिरिक्त अवसर देना अन्य के साथ भेदभाव होगा।

गंगा की सहायक नदियों की यात्रा:उत्तराखंड की सबसे बड़ी ग्लेशियर झील वसुधारा ताल से निकलने वाली धौली गंगा सर्पिले बहाव के कारण नंदादेवी नेशनल पार्क के बीच से होकर गुजरती है attacknews.in

नयी दिल्ली, 8 फरवरी । उत्तराखंड की संभवत: सबसे बड़ी ग्लेशियर झील वसुधारा ताल से निकलने वाली धौली गंगा अपने सर्पिले बहाव के कारण नंदादेवी नेशनल पार्क के बीच से होकर गुजरती है।

अपने सुन्दर मनोरम रास्ते और सफेद पानी में राफ्टिंग के लिए मशहूर यह नदी रविवार को उस वक्त लोगों कि लिए काल बन गई जब नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटकर उसमें गिरा और उससे विस्थापित पानी से नदी में अचानक बाढ़ आ गई।

धौली गंगा आगे चलकर अलकनंदा नदी में मिल जाती है। अलकनंदा पत्रिव गंगा नदी की उन सहायक नदियों में से एक है जो उसके मैदानी भाग में पहुंचने से पहले उसमें लीन हो जाती हैं। ये सहायक नदियां पांच राज्यों से गुजरने के दौरान एक दूसरे का रास्ता काटते हुए, सर्पिले बहाव और एक-दूसरे में मिलते हुए अपने रास्ते पर बढ़ती हैं।

उत्तराखंड में गंगा और उसकी सहायक नदियां ऋषिकेश, हरिद्वार, रुद्रप्रयाग और कर्णप्रयाग जैसे मनोरम पर्यटन स्थलों से होकर गुजरती हैं।

रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने के कारण अचानक हुए पानी के विस्थापन से धौली गंगा में बाढ़ आ गई और इससे ऋषि गंगा और अलकनंदा भी प्रभावित हुईं।

इसने लोगों को राज्य में 2013 में केदारनाथ में बादल फटने से अचानक आयी बाढ़ की भी याद दिला दी। त्रासदी में 5,000 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी और क्षेत्र का एक बड़ा हिस्सा पानी के तेज बहाव के साथ बह गया था।

धौली गंगा रेणी में ऋषि गंगा में मिलती है जहां आज की त्रासदी में पूरी पनबिजली परियोजना बह गई है और उसमें काम करने वाले 150 लोगों के मरने की आशंका जतायी जा रही है।

रेणी से नदी ‘वी टर्न’ लेती है और फिर से धौली गंगा के नाम से 30 किलोमीटर तक उत्तर की ओर बहती है। इस दौरान वह तपोवन से गुजरते हुए जोशीमठ के निकट विष्णुप्रयाग में अलकनंदा में विलीन हो जाती है।

यहां से दोनों नदियां एक होकर अलकनंदा बन जाती हैं और दक्षिण-पश्चिम में बहते हुए चमोली, मैथाणा, नंदप्रयाग, कर्णप्रयाग से गुजर कर अंत में रुद्रप्रयाग में उत्तर से आ रही मंदाकिनी में मिल जाती है।

मंदाकिनी से मिलने के बाद अलकनंदा श्रीनगर से गुजरते हुए केदारनाथ के पास देवप्रयाग में गंगा में मिलती है। यहां से अलकनंदा का रास्ता समाप्त हो जाता है और वह गंगा में विलीन होकर पूरे देश में अपनी यात्रा जारी रखती है। यहां से पहले दक्षिण और पश्चिम की ओर बहते हुए वह ऋषिकेश के रास्ते अंतत: हरिद्वार में सिंधू-गांगेय मैदान में उतरती है।

यहां से दक्षिण की ओर यात्रा जारी रखते हुए गंगा बिजनौर पहुंचती हैं और वहां से अपनी बहाव पूरब की ओर करते हुए कानपुर पहुंचती हैं।

इस दौरान हिमालय से निकलने वाली यमुना, रामगंगा और घाघरा नदियां भी गंगा में मिलती हैं।

धौली गंगा, अलकनंदा की महत्वपूर्ण सहायक नदियों में से एक है। अन्य नदियां हैं नंदकिनी, पिंढर, मंदाकिनी और भागीरथी।

हिमालय से निकलने वाली नदियां पर्यावरणीय रूप से संवेदनशील इलाकों से होकर गुजरती हैं। अन्य हिमालयी नदियों की तरह धौली गंगा पर भी बांध बने हुए हैं। इस नदी पर उत्तराखंड के पिथौरागढ़ में 280मेगावाट की पनबिजली परियोजना लगी हुई है।

उत्तराखंड में आईं प्राकृतिक आपदाएं

उत्तराखंड में पिछले तीन दशक में आईं प्राकृतिक आपदाएं इस प्रकार हैं:

वर्ष 1991 उत्तरकाशी भूकंप: अविभाजित उत्तर प्रदेश में अक्टूबर 1991 में 6.8 तीव्रता का भूकंप आया। इस आपदा में कम से कम 768 लोगों की मौत हुई और हजारों घर तबाह हो गए।

वर्ष 1998 माल्पा भूस्खलन: पिथौरागढ़ जिले का छोटा सा गांव माल्पा भूस्खलन के चलते बर्बाद हुआ। इस हादसे में 55 कैलाश मानसरोवर श्रद्धालुओं समेत करीब 255 लोगों की मोत हुई। भूस्खलन से गिरे मलबे के चलते शारदा नदी बाधित हो गई थी।

वर्ष 1999 चमोली भूकंप: चमोली जिले में आए 6.8 तीव्रता के भूकंप ने 100 से अधिक लोगों की जान ले ली। पड़ोसी जिले रुद्रप्रयाग में भारी नुकसान हुआ था। भूकंप के चलते सड़कों एवं जमीन में दरारें आ गई थीं।

वर्ष 2013 उत्तर भारत बाढ़: जून में एक ही दिन में बादल फटने की कई घटनाओं के चलते भारी बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं हुईं थीं। राज्य सरकार के आंकलन के मुताबिक, माना जाता है कि 5,700 से अधिक लोग इस आपदा में जान गंवा बैठे थे। सड़कों एवं पुलों के ध्वस्त हो जाने के कारण चार धाम को जाने वाली घाटियों में तीन लाख से अधिक लोग फंस गए थे।

बीएसएफ ने जम्मू के सांबा सेक्टर में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठिये को मार गिराया attacknews.in

नयी दिल्ली, आठ फरवरी । सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने सोमवार को जम्मू में भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एक घुसपैठिये को मार गिराया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।

उन्होंने कहा कि घटना सुबह के समय सांबा सेक्टर में हुई।

जम्मू-कश्मीर के सांबा सेक्टर में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के सतर्क जवानों ने सोमवार को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर एक पाकिस्तानी घुसपैठिये को मार गिराया।

बीएसएफ प्रवक्ता ने यहां बताया कि सुबह लगभग 09:45 बजे बीएसएफ जवानों ने जम्मू के सांबा सेक्टर में सीमा चौकी चक फकीरा के क्षेत्र में एक पाकिस्तानी घुसपैठिये को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लगी बाड़ की ओर बढ़ते हुए देखा। उन्होंने बताया कि बार-बार चेतावनी के बावजूद घुसपैठिया संदिग्ध परिस्थितियों में घूमता रहा और बाद में बीएसएफ बाड़ की तरफ आक्रामक तरीके से बढ़ने लगा जिस पर बीएसएफ सैनिकों ने उस पर गोलियां चलायीं।

नरेन्द्र मोदी ने किसानों से आंदोलन खत्म कर कृषि सुधारों को एक मौका देने का आग्रह करते हुए कहा: “आंदोलनजीवी”नई जमात सामने आईं जो इसके बिना नहीं जी सकते इन्हें पहचानने, इनसे बचने की जरूरत है attacknews.in

नयी दिल्ली, आठ फरवरी । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसानों से अपना आंदोलन समाप्त कर कृषि सुधारों को एक मौका देने का आग्रह करते हुए कहा कि यह समय खेती को ‘‘खुशहाल’’ बनाने का है और देश को इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।

राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जब देश में सुधार होते हैं तो उसका विरोध होता है। उन्होंने कहा कि जब देश में हरित क्रांति आई थी उस समय भी कृषि क्षेत्र में किए गए सुधारों का विरोध हुआ था।

उन्होंने कहा, ‘‘हम आंदोलन से जुड़े लोगों से लगातार प्रार्थना करते हैं कि आंदोलन करना आपका हक है, लेकिन बुजुर्ग भी वहां बैठे हैं। उनको ले जाइए, आंदोलन खत्म करिए। यह, खेती को खुशहाल बनाने के लिए फैसले लेने का समय है और इस समय को हमें नहीं गंवाना चाहिए। हमें आगे बढ़ना चाहिए, देश को पीछे नहीं ले जाना चाहिए।’’

मोदी ने आंदोलनरत किसानों के साथ विपक्षी दलों से भी आग्रह किया कि इन कृषि सुधारों को मौका देना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें एक बार देखना चाहिए कि कृषि सुधारों से बदलाव होता है कि नहीं। कोई कमी हो तो हम उसे ठीक करेंगे, कोई ढिलाई हो तो उसे कसेंगे।’’

प्रधानमंत्री ने किसानों को भरोसा दिलाया कि मंडियां और अधिक आधुनिक बनेंगी और इसके लिए इस बार के बजट में व्यवस्था भी की गई है।

उन्होंने जोर देकर कहा, ‘‘एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) है, एसएसपी था और एमएसपी रहेगा।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि हर कानून में कुछ समय बाद सुधार होते रहे हैं और अच्छे सुझावों को स्वीकार करना तो लोकतंत्र की परंपरा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘अच्छे सुझावों के साथ, अच्छे सुधारों की तैयारी के साथ आगे बढ़ना चाहिए। मैं आप सब को निमंत्रण देता हूं कि देश को आगे ले जाने के लिए साथ आएं। कृषि क्षेत्र की समस्याओं का समाधान करने के लिए, आंदोलनकारियों को समझाते हुए, देश को आगे ले जाना होगा।’’

मोदी ने कहा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर लगातार किसानों से बातचीत कर रहे हैं और अभी तक वार्ता में कोई तनाव पैदा नहीं हुआ है।

उन्होंने कहा, ‘‘एक दूसरे की बात को समझने, समझाने का प्रयास चल रहा है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि इतना बड़ा देश है और जब भी कोई नई चीज आती है तो थोड़ा बहुत असमंजस होता है, हालांकि असमंजस की भी स्थिति थोड़ी देर होती है।

उन्होंने कहा, ‘‘हरित क्रांति के समय जब कृषि सुधार हुए तब भी ऐसा हुआ था। आंदोलन हुए थे। लाल बहादुर शास्त्री जी प्रधानमंत्री थे और कैबिनेट में भी विरोध के स्वर उठे थे। लेकिन शास्त्री जी आगे बढ़े। उन पर अमेरिका के इशारे पर चलने के आरोप लगे। कांग्रेस के नेताओं को अमेरिका का एजेंट तक करार दिया गया था। ’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि कृषि क्षेत्र में समस्याएं हैं और इन समस्याओं का समाधान सबको मिलकर करना होगा।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं मानता हूं कि अब समय ज्यादा इंतजार नहीं करेगा, नये उपायों के साथ हमे आगे बढ़ना होगा।’’

राष्ट्रपति का अभिभाषण ‘आत्मनिर्भर भारत’ की राह दिखाने वाला है: मोदी

प्रधानमंत्री मोदी ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अभिभाषण को विश्व में एक नयी आशा जगाने वाला और आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला करार दिया।

राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को कहा कि कोरोना महामारी के इस कालखंड में आज पूरे विश्व की नजर भारत पर है और वह भारत से अपेक्षाएं भी रखता है।

उन्होंने कहा, ‘‘पूरा विश्व आज अनेक चुनौतियों से जूझ रहा है। शायद ही किसी ने सोचा होगा कि मानव जाति को ऐसे कठिन दौर से गुजरना होगा, ऐसी चुनौतियों के बीच….। इन चुनौतियों के बीच इस दशक के प्रारंभ में ही राष्ट्रपति ने संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में जो अपना उद्बोधन दिया, वह अपने आप में इस चुनौती भरे विश्व में एक नई आशा जगाने वाला, नयी उमंग पैदा करने वाला और नया आत्मविश्वास पैदा करने वाला है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘यह आत्मनिर्भर भारत की राह दिखाने वाला और और इस दशक के लिए मार्ग प्रशस्त करने वाला है।’’

धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेने वक्ताओं का धन्यवाद करते हुए प्रधानमंत्री ने अभिभाषण का बहिष्कार करने पर विपक्षी दलों पर भी निशाना साधा।

उन्होंने कहा, ‘‘अच्छा होता, राष्ट्रपति जी का भाषण सुनने के लिए सब होते… तो लोकतंत्र की गरिमा और बढ़ जाती।’’

मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में ताकत इतनी थी कि न सुनने के बावजूद भी विपक्षी सदस्य सदन में ‘‘बहुत कुछ’’ बोल पा रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘यह अपने आप में उनके भाषण की ताकत है, उन विचारों की ताकत है, उन आदर्शों की ताकत है जो न सुनने के बाद भी पहुंच गई।’’

कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की लड़ाई का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आज पूरे विश्व की नजर भारत पर है और वह भारत से अपेक्षाएं भी रखता है।

उन्होंने कहा कि भारत के प्रति दुनिया का विश्वास बढ़ा है।

‘आंदोलनजीवी’ लोगों से बचे देश: मोदी

किसान आंदोलन के चलते देश और दुनिया में सरकार की आलोचना करने वालों को आडे हाथों लेते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि लोगों को गुमराह करने वाली ताकतों को पहचानने तथा इनसे बचने की जरूरत है।

राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए श्री मोदी ने सोमवार को राज्यसभा में कहा कि श्रमजीवी और बुद्धिजीवी जैसे शब्द तो सबने सुने होंगे लेकिन अब एक नयी जमात और एक नयी बिरादरी सामने आयी है और वह है ‘आंदोलनजीवी’।

उन्होंने कहा कि ये लोग हर आंदोलन में नजर आयेंगे चाहे वह वकीलों , छात्रों या किसी अन्य का आंदोलन हो। उन्होंने कहा कि ये हर आंदोलन में घुस जाते हैं कहीं आगे से तो कहीं पीछे से और यह पूरी टोली है।

उन्होंने कहा, “ ये लोग आंदोलन के बिना नहीं जी सकते इन्हें पहचानने तथा इनसे बचने की जरूरत है। देश आंदोलनजीवी लोगों से बचें। ”

प्रधानमंत्री ने इन लोगों को परजीवी की संज्ञा देते हुए कहा कि ये परजीवी हर राज्य में होते हैं और वहां की सरकारों को भी विभिन्न आंदोलनों के समय इनसे दो-चार होना पड़ता है।

हाल ही में कुछ विदेशियों द्वारा किसान आंदोलन को लेकर सरकार पर की गयी टिप्पणियों का परोक्ष रूप से जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने इसका करारा जवाब दिया। उन्होंने कहा कि वैसे तो प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) से देश में विकास होता है लेकिन अभी देश को एक नये तरह के एफडीआई से दो-चार होना पड़ रहा है।

उन्होंने कहा कि यह एफडीआई ‘फोरन डिस्ट्रक्टीव आइडियोलॉजी’ है और देश को इससे बचना है। इसके लिए सभी को जागरूक रहने की जरूरत है।

उल्लेखनीय है कि कृषि सुधारों को लेकर बनाये गये कानूनों के विरोध में देश के किसान और कुछ संगठन लंबे समय से आंदोलन कर रहे हैं। इस आंदोलन की आड में कुछ निहित स्वार्थी तत्व भी अपना एजेंडा चला रहे हैं और वे किसान आंदोलन के बहाने सरकार पर हमला कर रहे हैं। कुछ विदेशियों ने भी किसानों के समर्थन में टिप्पणी की हैं।

पेशावर में दिलीप कुमार, राज कपूर के पुश्तैनी मकानों के मालिकों का सरकारी मूल्य पर घर बेचने से इनकार, दिलीप कुमार के मकान के 25 करोड़ और राज कपूर के मकान के 200 करोड़ ₹ मांगें attacknews.in

पेशावर, आठ फरवरी (एपी) बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता दिलीप कुमार और राज कपूर के पाकिस्तान स्थित पुश्तैनी घरों के मालिकों तथा खैबर पख्तूनख्वा सरकार के बीच इन दोनों ऐतिहासिक संपत्तियों को संग्रहालय में बदलने के वास्ते खरीद के लिए तय दर को लेकर आपसी सहमति कायम नहीं हो पा रही है।

दिलीप कुमार के पेशावर स्थित प्रवक्ता फैजल फारूकी ने यहां रविवार को मीडिया कर्मियों को बताया कि ‘पेशावर कुमार के दिल में बसता है’ और वह मोहल्ला खुदादाद स्थित अपने घर के बारे में मधुर स्मृतियों को लेकर हमेशा बात करते रहते हैं।

दिलीप कुमार का जन्म 1922 में पेशावर में हुआ था और वह 1935 में भारत आ गए थे।

फारूकी ने कहा कि कुमार और कपूर के परिजन और प्रशंसक उनके पुश्तैनी घरों को संग्रहालय में बदलने को लेकर काफी उत्साहित हैं।

उन्होंने कहा कि इससे न केवल पेशावर का महत्व बढ़ेगा बल्कि पाकिस्तान के पर्यटन उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा।

इस महीने प्रांतीय सरकार ने पेशावर में स्थित दोनों घरों को खरीदने के लिए 2.35 करोड़ रुपये जारी करने को मंजूरी दी थी।

दिलीप कुमार के चार मारला (101 वर्ग मीटर) के घर की कीमत 80.56 लाख रुपये तय की गई है और राज कपूर के छह मारला (151.75 वर्ग मीटर) के पुश्तैनी घर का मूल्य डेढ़ करोड़ निर्धारित किया गया है।

दोनों घरों को खरीदने के बाद प्रांतीय पुरातत्व विभाग उन्हें संग्रहालय में बदल देगा।

हालांकि, दोनों संपत्तियों के मालिकों ने सरकार द्वारा तय कीमत पर इन्हें बेचने से यह कहते हुए मना कर दिया कि उक्त मकान बहुत अच्छी जगह पर हैं और उनका वास्तविक मूल्य तय कीमत से कहीं अधिक है।

दिलीप कुमार के पुश्तैनी मकान के मालिक ने 25 करोड़ रूपये मांगे हैं वहीं राज कपूर के पुश्तैनी मकान के मालिक ने 200 करोड़ रूपये की मांग की है।

उत्तराखंड के आपदाग्रस्त चमोली जिले में सोमवार को बचाव और राहत अभियान में तेजी आने के साथ ही कुल लापता 153 लोगों में से 10 के शव बरामद; संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने सहयोग की इच्छा जताई attacknews.in

देहरादून, आठ फरवरी । उत्तराखंड के आपदाग्रस्त चमोली जिले में सोमवार को बचाव और राहत अभियान में तेजी आने के साथ ही कुल लापता 153 लोगों में से 10 के शव बरामद हो चुके हैं ।

ऋषिगंगा घाटी में हिमखंड टूटने से रविवार को अचानक आई भीषण बाढ़ से प्रभावित 13.2 मेगावाट ऋषिगंगा और 480 मेगावाट तपोवन विष्णुगाड पनबिजली परियोजनाओं में लापता हुए लोगों की तलाश के लिए सेना, भारत तिब्बत सीमा पुलिस, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के जवान जुटे हुए हैं ।

उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने सोमवार को कहा कि चमोली में आई आपदा में अब तक कुल 153 लोगों के लापता होने की सूचना है जिनमें से 10 के शव बरामद हो चुके हैं ।

उन्होंने बताया कि ऋषिगंगा परियोजना स्थल पर 32 लोगों के तथा तपोवन विष्णुगाड परियोजना स्थल पर 121 लोगों के लापता होने की सूचना मिली है । दस शवों में से 7 तपोवन क्षेत्र में जबकि तीन अन्य व्यक्तियों के शव प्रवाह के साथ नीचे (डाउनस्ट्रीम) से मिले हैं ।

कुमार ने बताया कि बचाव और राहत अभियान पुरजोर तरीके से जारी है जिसमें बुलडोजर, जेसीबी आदि भारी मशीनों के अलावा रस्सियों और खोजी कुत्तों का भी उपयोग किया जा रहा है ।

उन्होंने बताया कि तपोवन क्षेत्र में स्थित बड़ी सुरंग में बचाव और राहत अभियान चलाने में मुश्किल आ रही है क्योंकि सुरंग सीधी न होकर घुमावदार है ।

धौली गंगा नदी में एक बार फिर से जलस्तर बढ़ा

तपोवन, से खबर है कि , नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने के कारण उत्तराखंड में आई आपदा के बाद धौली गंगा नदी का जलस्तर रविवार की रात एक बार फिर बढ़ गया। इसके चलते आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों में घबराहट पैदा हो गई।

रविवार रात करीब आठ बजे अचानक धौली गंगा का जलस्तर बढ़ जाने के चलते अधिकारियों को एक परियोजना क्षेत्र में जारी राहत एवं बचाव कार्य को कुछ समय के लिए रोकना पड़ा।

परियोजना के महाप्रबंधक (जीएम) ने कहा कि जलविद्युत परियोजना क्षेत्र की एक सुरंग में श्रमिकों एवं अन्य कर्मचारियों समेत करीब 30-35 फंसे लोगों को बचाने का अभियान सोमवार की सुबह फिर से शुरू किया जाएगा।

उत्तराखंड में जरूरत पड़ने पर बचाव एवं राहत कार्यों में मदद देंगे : संरा महासचिव

भारत में उत्तराखंड राज्य के चमोली जिले में रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट जाने के कारण ऋषिगंगा घाटी में अचानक आई भीषण बाढ़ में जानमाल के नुकसान पर संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनिया गुतारेस ने दुख जताया और कहा कि यदि जरूरत पड़ती है तो उत्तराखंड में जारी बचाव एवं राहत कार्यों में संगठन सहयोग देने के लिए तैयार है।

भीषण बाढ़ से वहां दो पनबिजली परियोजनाओं में काम कर रहे कम से कम 10 लोगों की मौत हो गई और 125 से ज्यादा मजदूर लापता हैं। गंगा की सहायक नदियों-धौली गंगा, ऋषि गंगा और अलकनंदा में बाढ़ से उच्च पर्वतीय क्षेत्रों में दहशत फैल गयी और बड़े पैमाने पर तबाही हुई।

एनटीपीसी की तपोवन-विष्णुगाड पनबिजली परियोजना और ऋषिगंगा परियोजना पनबिजली परियोजना को इस आपदा में बड़ा नुकसान हुआ है।

इस हादसे के बारे में गुतारेस के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने कहा, ‘‘रविवार को भारत के उत्तराखंड राज्य में ग्लेशियर टूटने और उसके परिणामस्वरूप आई बाढ़ में कई लोगों की मौत एवं दर्जनों लोगों के लापता होने की खबर से महासचिव बेहद दुखी हैं।’’

उन्होंने एक वक्तव्य में कहा, ‘‘महासचिव ने पीड़ितों के परिवारों, भारत के लोगों एवं सरकार के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है। यदि आवश्यकता पड़ती है तो संयुक्त राष्ट्र वहां जारी बचाव कार्य एवं मदद के प्रयासों में सहयोग देने के लिए तैयार है।’’

गुतारेस के वक्तव्य के बाद संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टी.एस. तिरुमूर्ति ने कहा कि उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने की घटना पर ‘‘संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने जो संवेदनाएं व्यक्त की हैं उनकी हम सराहना करते हैं।’’

इससे पहले संरा महासभा के अध्यक्ष वोल्कन बाजेकिर ने कहा था कि उत्तराखंड में हालात पर वह नजर रख रहे हैं जहां ग्लेशियर टूटने के कारण विकराल बाढ़ आई है। अधिकारियों का कहना है कि सात शव मिल चुके हैं जबकि कम से कम 125 लोग लापता हैं।

बोजकिर ने संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी मिशन को टैग करते हुए ट्वीट किया, ‘‘मैं भारत के उत्तराखंड की घटना से संबंधित खबरों पर नजर रख रहा हूं, जहां ग्लेशियर टूटने के कारण कम से कम नौ लोगों की मौत हो गई तथा 140 लोग लापता हैं।

उतराखण्ड के  चमोली जिले में जोशीमठ के पास तपोवन क्षेत्र में ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट पर एक बड़ा ग्लेशियर गिरने से बांध टूटने से अलकनंदा में भारी तबाही,150 श्रमिकों की मौत की आशंका attacknews.in

देहरादून/नयी दिल्ली, सात फरवरी ।उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ के पास तपोवन क्षेत्र में ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट पर एक बड़ा ग्लेशियर गिरने से बांध टूटने से अलकनंदा में भारी तबाही हुई ।ग्लेशियर टूटने और बाढ़ आने से यहां विनाश के निशान इस आपदा की कहानी खुद ही बयां कर रहे हैं।

बांध के आसपास बड़ी संख्या में लोग कार्यरत थे तथा गंगा किनारे भी काफी लोगों के जान माल के नुकसान की भी भारी आशंका है।

उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में रविवार को नंदादेवी ग्लेशियर के एक हिस्से के टूट जाने से धौली गंगा नदी में विकराल बाढ़ आई और पारिस्थितिकीय रूप से नाजुक हिमालय के हिस्सों में बड़े पैमाने पर तबाही हुई।

भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के एक प्रवक्ता ने तपोवन-रेनी में एक विद्युत परियोजना प्रभारी को उद्धृत करते हुए कहा कि परियोजना में काम करने वाले 150 से अधिक मजदूरों की मौत की आशंका है। उन्होंने बताया कि सात शव बरामद किये गए हैं।

राज्य के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने स्थिति को नियंत्रण में बताते हुए कहा कि बिजली परियोजना पूरी तरह से बह गई है।

पहाड़ों के किनारे पानी के तेज बहाव में आने से रास्ते में आने वाले घर भी बह गए। अधिक आबादी वाले क्षेत्रों सहित नीचे की ओर स्थित मानव बस्तियों में नुकसान होने की आशंका है। कई गांवों को खाली कराया गया है और लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में पहुंचाया गया है।

घटना का अवलोकन करने के बाद मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने बताया कि इस आपदा में प्रारम्भिक अनुमान के अनुसार लगभग 125 लोग लापता हैं। रैणी क्षेत्र के पांच लोगों को भी इसमें अपनी जान गवानी पडी है। अब तक सात लोगों के शव बरामद किये जा चुके हैं।

श्री त्रिवेन्द्र ने रविवार को चमोली के जोशीमठ के रैणी क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने से उत्पन्न हुई भीषण आपदा के तुरन्त बाद आपदा स्थल का निरीक्षण कर स्थिति का जायजा लिया। घटना स्थल से लौटने के बाद सचिवालय स्थित मीडिया सेन्टर में उन्होंने कहा कि जोशीमठ क्षेत्र में ग्लेशियर फटने की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन एवं एसडीआरएफ की टीम राहत एवं बचाव कार्यों के लिए घटना स्थल पर पहुंची हुयी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि वह गढ़वाल कमिश्नर रविनाथ रमन एवं डीआईजी गढ़वाल नीरू गर्ग के साथ प्रभावित क्षेत्रों में पहुंचे। उन्होंने जिलाधिकारी चमोली से पूरी जानकारी ली।

मुख्य सचिव ओम प्रकाश एवं आपदा प्रबंधन सचिव एस.ए.मुरूगेशन ने आपदा प्रबन्धन केन्द्र सचिवालय में मौजूद रहकर लगातार स्थिति पर नजर रखी तथा आवश्यक दिशा निर्देश भी जिलाधिकारियों को दिये। उन्होंने कहा कि इस आपदा से रैणी के समीप स्थित ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना को भारी नुकसान के साथ ही तपोवन स्थित एनटीपीसी की विद्युत परियोजना का भी कुछ नुकसान हुआ है। उन्होंने कहा कि मृतको के आश्रितों को तात्कालिक रूप में चार-चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता मंजूर की गई है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा पहला उदेद्श्य जान माल की सुरक्षा का है। ऋषिगंगा व एनटीपीसी द्वारा उन्हे हुए नुकसान का आकलन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने बताया कि इस क्षेत्र में एक बड़ा तथा चार छोटे पुलों को नुकसान पहुंचा है। इससे प्रभावित लगभग 11 गांवों को आवश्यक सहायता आदि उपलब्ध कराने के लिये आर्मी हेलीपैड एवं एसडीआरएफ के जवानों के साथ ही आर्मी एवं राज्य सरकार के हेलीकाप्टरों की व्यवस्था के साथ ही आवश्यक चिकित्सा सुविधा के लिये डाक्टरो की भी व्यवस्था की गई है।

श्री त्रिवेंद्र ने बताया कि रैणी के निकट नीति घाटी को जोडने वाले जिन सड़कों एवं पुलों को हुए नुकसान से जिन गांवों का सड़क से सम्पर्क टूट गया है। उनमें गहर, भंग्यूल, रैणी पल्ली, पैंग, लाता, सुराईथोटा, तोलमा, फगरासु आदि गांव शामिल है, तथा पुलों में रैणी मे जुगजू का झूला पुल, जुवाग्वाड-सतधार झूलापुल, भग्यूल-तपोवन झूलापुल तथा पैंग मुरण्डा पुल बह गया है। रैणी मे शिवजी और जुगजू मे मां भगवती मंदिर भी आपदा मे बह गए है।

श्री त्रिवेंद्र ने कहा कि अब स्थिति नियंत्रण में है। खतरे वाली बात नहीं है। विद्युत परियोजना की सुरंग में मलबा अंदर तक जमा है और सुरंग तक पहुंचना अत्यंत कठिन था। मशीन का सुरंग में जाना मुश्किल था, इसलिए आईटीबीपी के जवान रोप के सहारे वहां पहुंचे। सुरंग में 35-40 फीट गाद जमा है। करीब 250 मीटर लंबी इस सुरंग में अपने हौसले के जरिये जवान 150 मीटर तक पहुंच चुके हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि एनडीआरएपफ की टीम दिल्ली से आई है। कल और जवान आएंगे। आर्मी, पैरा मिलिट्री फोर्स और हमारे डाॅक्टर आपदा स्थल पर तैनात किए गए हैं। ऐरियल सर्वे कर उन्होंने स्वयं स्थिति का जायजा लिया। किसी भी प्रकार की जरूरत पड़ने पर वहां आर्मी, वायुसेना और राज्य के हेलीकाॅप्टर तैनात कर दिए हैं। उन्होंने कहा कि हमारी मेडिकल टीम हर परिस्थिति के लिए तैयार है और 90 जवानों को भी वहां पहुंचा दिया गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जब खबर लगी तो उन्होंने उनसे फोन पर बात कर चिंता व्यक्त की और कहा कि मदद की जरूरत पड़ने पर वे मदद के लिए तैयार हैं। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने मृतक आश्रितो को 02-02 लाख रूपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा भी की है।

श्री त्रिवेंद्र ने बताया कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द के साथ ही गृहमंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार, सीडीएस जनरल विपिन रावत आदि ने भी हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया। उन्होंने बताया कि पतंजलि योगपीठ के आचार्य बालकृष्ण ने सहयोग का आश्वासन देते हुए कहा कि वे अनाथ बच्चों को गोद लेने के लिए तैयार हैं और हर स्थिति में सरकार के साथ हैं। शान्तिकुंज एवं विवेकानन्द अस्पताल पीपलकोटी ने भी सहयोग का आश्वासन दिया है। उन्होंने इस भीषण आपदा से उत्पन्न स्थिति के सम्बन्ध में अफवाह फैलने से बचाने में योगदान देने के लिए मीडिया को भी धन्यवाद दिया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हर जरूरत की पूर्ति करने की पूरी व्यवस्था हमारे पास है। हमारे पास रेस्क्यू टीम, मेडिकल, हेलीकाॅप्टर, एक्सपर्ट पर्याप्त मात्रा में है। सरकार का पूरा ध्यान जिनका जीवन बचा सकते हैं, उनकी ओर है। उन्होंने बताया कि रूद्रप्रयाग के करीब पानी स्वच्छ है। उन्होंने कहा कि आपदा की सूचना मिलते ही श्रीनगर जल विद्युत परियोजना के बांध से पानी खाली कर दिया गया था। साथ ही गंगा व अलकनंदा के किनारे तुरंत हाई अलर्ट जारी कर दिया गया था।

इससे पूर्व मुख्यमंत्री ने सचिवालय स्थित आपदा प्रबन्धन केन्द्र का भी निरीक्षण किया तथा शासन के उच्चाधिकारियों के साथ आपदा से उत्पन्न स्थिति पर विचार विमर्श किया। उन्होंने निर्देश दिये कि आपदा प्रभावित क्षेत्र में राहत एवं बचाव कार्यो की निरन्तर निगरानी की जाय। उन्होंने कहा कि इसके लिये वांछित धनराशि की अविलम्ब व्यवस्था सुनिश्यित की जाय।

बैठक में अपर मुख्य सचिव राधा रतूड़ी, सचिव अमित नेगी, एस.ए मुरूगेशन, आयुक्त गढ़वाल रविनाथ रमन, डीआइजी, डिजास्टर रिद्धिम अग्रवाल, महानिदेशक सूचना डाॅ. मेहरबान सिंह बिष्ट आदि उपस्थित थे।

दूसरी ओर, जोशीमठ के रैणी क्षेत्र में आई इस भीषण आपदा में बचाव व राहत कार्यो के सम्बन्ध मेंआईटीबीपी के कमांडेंट शेंदिल कुमार ने बताया कि आईटीबी के 250 जवान रेस्क्यू स्थल पर पहुंच कर रेस्क्यू ऑपरेशन कर रहे हैं। जिसमें मेडिकल ऑफिसर सहित आठ ऑफिसर भी शामिल है। एनटीपीसी पाॅवर हाऊस के आस पास के ईलाके में कार्य कर रहे हैं। दस से 15 लोग टनल में कहीं फंसे हैं, अभी अनुमान है कि ये लोग जिंदा है। इनको निकालने के प्रयास किये जा रहे हैं। गौचर में आईटीबीपी की आठवीं बटालियन की दो टीमें जिसमें 90 जवान हैं, घटना स्थल के लिए निकल चुके हैं।

इसके अलावा गौचर एवं देहरादून में एक-एक कम्पनी आदेश की प्रतीक्षा कर रही है। उत्तरकाशी में मातली एवं महिडाण्डा में भी एक-एक कम्पनी इस टास्क के लिए तैयार है। इसके अलावा स्पेशलिस्ट माउंटयरिंग एवं स्कीइंग इंस्ट्टीयूट औली की दो टीमे तपोवन एरिया में पहुंच चुकी है।

सेना के कर्नल एस. शंकर ने बताया कि जोशीमठ से सेना के 40 जवानों का एक दल तपोवन पहुंच गया है। एक दल जोशीमठ में है। दो सैन्य दल औली से जोशीमठ के लिए रिलीफ ऑपरेशन के लिए आ चुके हैं। रूद्रप्रयाग में दो सैन्य दल तैयार रखे गये है। एक इंजिनियरिंग टास्क फोर्स जोशीमठ से तपोवन पहुंच गया है। दो मेडिकल ऑफिसर एवं दो एम्बुलेंस तपोवन पहुंच चुके हैं। आर्मी का हैलीपैड सिविल एडमिनिस्ट्रेशन के लिए चालू है। कम्यूनिकेशन के लिए सिविल लाईन चालू है। बरेली से दो हैलीकाॅप्टर भी जोशीमठ पहुंच गये हैं।

आईटीबीपी के एक प्रवक्ता ने कहा कि रेनी गांव के पास एक पुल ढहने के कारण कुछ सीमा चौकियों के साथ सम्पर्क ‘‘पूरी तरह से टूट’’ गया है।

पौड़ी, टिहरी, रुद्रप्रयाग, हरिद्वार और देहरादून सहित कई जिलों के प्रभावित होने की आशंका है और इन जिलों को हाई अलर्ट पर रखने के साथ ही आईटीबीपी और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) को राहत और बचाव कार्यो में लगाया गया है।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उत्तराखंड के चमोली में हिमखंड टूटने के कारण अचानक आई बाढ़ की स्थिति पर गहरी चिंता व्यक्त की और लोगों की सुरक्षा की कामना की।

राष्ट्रपति भवन ने कोविंद के हवाले से ट्वीट किया, ‘‘उत्तराखंड में जोशीमठ के पास ग्लेशियर टूटने के करण क्षेत्र में हुए नुकसान को लेकर काफी चिंतित हूं। लोगों की सुरक्षा और कुशलता की कामना करता हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘पूरा विश्वास है कि वहां राहत एवं बचाव कार्य अच्छे ढंग से चल रहा होगा।’’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘मैं उत्तराखंड में दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति की लगातार निगरानी कर रहा हूं। भारत उत्तराखंड के साथ खड़ा है, सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता है।’’

इससे पहले दिन में खबर आयी थी कि ऋषि गंगा पर परियोजना में लगे 150 मजदूर प्रभावित हुए हैं।

राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल डीआईजी रिद्धिम अग्रवाल ने कहा, ‘‘बिजली परियोजना के प्रतिनिधियों ने मुझे बताया कि वे परियोजना स्थल पर अपने लगभग 150 कर्मियों से संपर्क नहीं कर पा रहे हैं।’’

अधिकारी ने कहा कि गंगा की सहायक नदी धौली गंगा में पानी सामान्य से दो से तीन मीटर ऊपर बह रहा है।

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से बात की और उन्हें ग्लेशियर के फटने और उससे उत्पन्न बाढ़ की स्थिति से निपटने के लिए हरसंभव सहयोग का आश्वासन दिया।

शाह ने कई ट्वीट करके कहा कि एनडीआरएफ की टीमों को प्रभावित लोगों के बचाव और राहत कार्यों के लिए तैनात किया गया है जबकि बल के अतिरिक्त जवानों को दिल्ली से हवाई मार्ग से रवाना किया जा रहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा की सूचना के संबंध में मैंने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, आईटीबीपी के महानिदेशक और एनडीआरएफ के महानिदेशक से बात की है। सभी संबंधित अधिकारी लोगों को सुरक्षित करने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं। एनडीआरएफ की टीमें बचाव कार्यों के लिए रवाना की गई हैं। देवभूमि को हर संभव मदद प्रदान की जाएगी।’’

शाह ने कहा कि केंद्र सरकार उत्तराखंड की स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए है।

उन्होंने कहा, ‘‘एनडीआरएफ की कुछ और टीमों को दिल्ली से हवाई मार्ग से उत्तराखंड भेजा जा रहा है। हम वहां के हालात पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।’’

गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि एनडीआरएफ की चार टीमें (लगभग 200 कर्मी) को हवाई मार्ग से देहरादून भेजा गया है और ये टीमें वहां से जोशीमठ जाएंगी।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रावत ने लोगों से पुराने बाढ़ के वीडियो के जरिए अफवाह न फैलाने की भी अपील की।

उन्होंने कहा कि गंगा की एक अन्य सहायक नदी अलकनंदा में जल स्तर सामान्य से एक मीटर ऊपर है, लेकिन प्रवाह धीरे-धीरे कम हो रहा है। उन्होंने कहा कि संबंधित सभी जिलों को सतर्क कर दिया गया है और लोगों को गंगा के पास नहीं जाने के लिए कहा गया है।

रावत ने ट्वीट किया, ‘‘मैंने अपने सभी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया है और स्थिति का सीधे तौर जायजा लेने के लिए प्रभावित क्षेत्र में पहुंच गया हूं। सरकार के सभी स्तरों पर चमोली जिला प्रशासन की मदद की जा रही है। घबराने की कोई बात नहीं है। मैं सभी से अफवाहों पर यकीन नहीं करने की अपील करता हूं।’’

उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘‘वर्तमान में कोई अतिरिक्त जल प्रवाह नहीं देखा जा रहा है और कहीं भी बाढ़ की स्थिति नहीं है। जल सैलाब नंदप्रयाग से आगे निकल गया है और नदी सामान्य स्तर से एक मीटर ऊपर बह रही है। अलकनंदा के किनारे स्थित गांवों में कोई नुकसान नहीं हुआ है।’’

उन्होंने ट्वीट में कहा, ‘‘राज्य के मुख्य सचिव, आपदा प्रबंधन विभाग और मेरी टीम नियंत्रण केंद्र में मौजूद है और वास्तविक समय के आधार पर स्थिति की निगरानी कर रही है और उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएं।’’

इससे पहले रावत ने ट्वीट कर कहा था, ‘‘राहत की खबर ये है कि नंदप्रयाग से आगे अलकनंदा नदी का बहाव सामान्य हो गया है। नदी का जलस्तर सामान्य से अब एक मीटर ऊपर है लेकिन बहाव कम होता जा रहा है। राज्य के मुख्य सचिव, आपदा सचिव, पुलिस अधिकारी एवं मेरी समस्त टीम आपदा कंट्रोल रूम में स्थिति पर लगातार नज़र रख रही है।’’

उत्तराखंड के डीजीपी ने ऊर्जा संयंत्र के नुकसान और लापता लोगों की दी जानकारी:

इससे पहले चमोली जिले में हिमखंड (ग्लेशियर) टूटने के कारण रविवार को आई विकराल बाढ़ के बाद उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने कहा कि तपोवन-रैणी क्षेत्र में स्थित ऊर्जा परियोजना में काम करने वाले करीब 50-100 कर्मी लापता हैं।

कुमार ने बताया कि राज्य आपदा मोचन बल के कर्मी प्रभावित इलाकों तक पहुंच चुके हैं। उन्होंने बताया कि यहां कम से कम दो लोगों के शव मिले हैं जबकि कई घायलों को बचाया गया है।

उन्होंने कहा कि तपोवन-रैणी स्थित ऊर्जा संयंत्र पूरी तरह से बह गया है।

राज्य के पुलिस प्रमुख ने कहा, ‘‘अब स्थिति नियंत्रण में है। श्रीनगर में एक बांध है जिसने पानी के तेज प्रवाह को नियंत्रित कर लिया है। ऊर्जा संयंत्र को नुकसान पहुंचा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा शुरुआती आकलन है कि ऊर्जा परियोजना तथा इसके इर्द-गिर्द काम कर रहे करीब 50 से 100 लोग लापता हैं।’’

कुमार ने बताया कि बचाव दल जोशीमठ से करीब 20 मिनट की दूरी पर स्थित घटनास्थल पर तत्काल पहुंच गए और उन्होंने कुछ घायलों को बचाया है। दो शव भी मिले हैं।

उन्होंने कहा कि तस्वीर शाम तक साफ हो पाएगी।

ग्लेशियर टूटने से अलकनंदा नदी का जल स्तर बढ़ा:

सुबह ग्लेशियर टूटने से अलकनन्दा नदी का जल स्तर बढ़ने के साथ ही अनिष्ट की आशंका को देखते हुए हरिद्वार जिले तक के गंगा किनारे की बस्तियों को खाली कराया गया ।

राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) के प्रवक्ता ने बताया कि पोस्ट जोशीमठ से हेड कांस्टेबल मंगल सिंह ने कहा कि जोशीमठ थाने में 10:55 बजे सूचना मिली की रैणी गांव में ग्लेशियर टूट गया है। जिसके बाद राहत और बचाव कार्य के लिए दो टीम मौके को रवाना किया गया । धौल गंगा (अलकनन्दा) में पानी बहाव इतना तेज था कि वह डेढ़ घण्टे में चमोली को पार कर चुका था ।

पुलिस ने इस प्राकृतिक आपदा के बाद हरिद्वार जिले सहित सभी संबंधित जिलों में अलर्ट जारी किया तथा गंगा के किनारे बस्तियों को खाली कराया गया । मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आपदा प्रबंधन सचिव और चमोली के जिलाधिकारी से इस बारे में पूरी जानकारी ली तथा वह लगातार पूरी स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं। चमोली जिला प्रशासन, एसडीआरएफ के अधिकारी और कर्मचारी मौके पर पहुंच गये हैं। लोगों से गंगा नदी के किनारे नहीं जाने की अपील की गई है।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सुबह लगभग 10 बजे यह प्राकृतिक आपदा आई। जिससे 13.3 मेगावाट की ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना का बांध नष्ट हो गया। इस परियोजना से वर्ष 2016 में भी उत्पादन बन्द हो चुका है। वर्ष 2020 में ही इसे पुनः शुरू किया गया था। परियोजना के अधिकारी के अनुसार, 50 से अधिक लोग लापता हैं। सूत्रों ने बताया कि अलकनन्दा पर बने टिहरी बांध परियोजना को कोई क्षति नहीं हुई है।

मुख्य सचिव ने दी जानकारी:

मुख्य सचिव ओमप्रकाश ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया इस घटना में कम से कम 100 से 150 लोगों के हताहत होने की आशंका है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इस घटना के बाद टिहरी बांध से पानी रोक दिया गया है जबकि श्रीनगर बांध परियोजना से पानी पूरी तरह छोड़ दिया गया है और सभी गेट खोल दिए गए हैं ताकि पहाड़ों से आ रहा पानी बांध को क्षति ना पहुंचा सके।

मुख्यमंत्री ने दी जानकारी:

मुख्यमंत्री ने बताया कि अलकनंदा नदी के मार्ग से सभी परियोजनाएं जिसमें रेल के कार्य के अलावा चार धाम सड़क मार्ग पर योजना के कार्य भी रोक दिए गए हैं। इसके अलावा गंगा नदी में राफ्टिंग को भी रोक दिया गया है आसपास के कैंप खाली करा लिए गए हैं ।

उन्होंने बताया कि एसडीआरएफ की टीम में पहुंच चुकी हैं। केंद्र से राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की टीम आवश्यकता पड़ने पर लगाई जा सकती है। इस घटना के बाद उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश में अलर्ट जारी कर दिया गया है। चमोली, रुद्रप्रयाग, कर्णप्रयाग, ऋषिकेश और हरिद्वार में सभी घाट खाली करा लिए गए है तथा आसपास रहने वाले लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने को कहा गया है तथा नदी के तटों पर बसी बस्तियों को खाली कराया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि पहाड़ों पर भारी बारिश के बाद ग्लेशियर के सात पहाड़ धौली गंगा में गिरने से वहां का बांध टूट गया। जिस पर काम चल रहा था और वहां पर कार्यरत करीब डेढ़ सौ लोग लापता है जिनमें में अधिकांश गंगा में आ रहे मलबे पर बह गए हैं जिनके बचने की संभावना बहुत कम है।

मुख्यमंत्री ने भी भारी जानमाल के नुकसान की आशंका व्यक्त की है, हालांकि उन्होंने कहा कि चमोली तक आते-आते गंगा नदी में जल का प्रवाह काफी कम हो चुका है और आगे स्थिति अब नियंत्रण में है।

ऐसा था तबाही का मंजर जब चमोली में ग्लेशियर टूटने से कम से कम 150 लोगों के मरने की रिपोर्ट आई:

ग्लेशियर टूटने और बाढ़ आने से यहां विनाश के निशान इस आपदा की कहानी खुद ही बयां कर रहे हैं।

प्राप्त रिपोर्टों के अनुसार ग्लेशियर के टूटने के कारण 13.3 मेगावाट ऋषिगंगा जल विद्युत परियोजना पूरी तरह से ध्वस्त हो गई और अलकनंदा नदी में जलस्तर बढ़ने से बाढ़ आ गयी।

पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अशोक कुमार ने कहा कि ऋषिगंगा पावर परियोजना में काम करने वाले कई लोग बह गए, गाद और मलबे में फंसे लोगों को बचाया जा रहा है। पुलिस और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीमें घटना स्थल पर पहुंच गई हैं। बाढ़ का पानी कर्णप्रयाग तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि हम जानमाल के नुकसान को रोकने के लिए हरस्तर पर सर्वश्रेष्ठ प्रयास कर रहे हैं।

डीजीपी ने कहा कि तपोवन बांध में फंसे हुए 16 लोगों को पुलिस ने बाहर निकाल लिया है और उन्हें सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया गया है। उन्होंने कहा कि यह आपदा आज सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर आयी और चमोली में दो बांध को इससे नुकसान पहुंचा है। आपदा के बाद राज्य का आपदा तंत्र राहत बचाव अभियान के लिए जुट गया है।

श्री कुमार ने कहा कि नदी किनारे स्थित कई घरों और झोपड़ियां तेज बहाव में बह गई हैं और बाढ़ के रास्ते में आने वाले कई पेड़ बह गए हैं।

ऋषि गंगा और अलकनंदा के बढ़ते जल स्तर को कम करने के लिए देश के सबसे ऊंचे टिहरी बांध से पानी का प्रवाह फिलहाल रोक दिया गया है। श्रीनगर बांध से पानी का बहाव तेजी से बढ़ने और तेज जल प्रवाह के मद्देनजर नदी के किनारों के सभी गांवों और निचले इलाकों को तुरंत खाली करवा लिया गया है।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत मौके पर पहुंच गये हैं और लोगों से अनुरोध किया कि वे आपदा की वीडियो साझा करके अफवाह न फैलाएं।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी फोन पर मुख्यमंत्री से स्थिति की जानकारी ली है।

श्री मोदी ने ट्वीटर पर कहा, “पूरा भारत उत्तराखंड के साथ खड़ा है और राष्ट्र सभी की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता है। वरिष्ठ अधिकारी लगातार और एनडीआरएफ की तैनाती, बचाव कार्य और राहत कार्यों के बारे में जानकारी दे रहे है। ”

श्री शाह ने मुख्यमंत्री रावत को हर संभव मदद का आश्वासन दिया और अधिकारियों को देहरादून से जोशीमठ तक एनडीआरएफ की चार टीमों को हेलीकॉप्टर से भेजने का निर्देश दिया।

एक रिपोर्ट में बताया गया कि राष्ट्रीय आपदा माेचन बल की मौके पर पहुंची गयी और युद्धस्तर पर राहत और बचाव कार्य शुरू किया गया

चमोली पुलिस ने लोगाें को चेतावनी दी है कि वह बाढ़ वाले सभी इलाकाें से सुरक्षित स्थानों पर पहुंच जाएं। हालांकि श्रीनगर में बाढ़ का पानी सामान्य स्तर पर पहुंच गया है।

गौरतलब है कि वर्ष 2013 में बादलों के फटने से रुद्रप्रयाग जिले के बाद मंदाकनी नदी में विनाशकारी बाढ़ आने से सैंकड़ों लोगों की जान चली गयी थी।
राज्य सरकार ने किसी तरह की आपातकालीन स्थिति के मद्देनजर मदद के लिए 1070, 1905 और 9557444486 पर संपर्क साधने को कहा है।।

मुख्तार अब्बास नकवी ने विपक्ष को शब्दों से जूता मारा; “पिटे पॉलिटिकल प्राणियों”,”साजिशी सुपारी का संदूक”,”दुष्प्रचारों के पॉलिटिकल पलीते” ,“गुमराही गैंग”, “साजिशी सुपारी”,”साजिशी शातिरों” ,”सूजे सूपड़े” , “भारत बैशिंग ब्रिगेड” के “नापाक गिरोह”,”सामंती गुरुर- सत्ता का सुरूर”,”बेसुरी बकवास बहादुरी” और “पाखंडी प्रयासों के शूरवीर” attacknews.in

कानपुर 06 फरवरी। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं केंद्रीय मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी ने आज यहाँ कहा कि “पिटे पॉलिटिकल प्राणियों” और “भारत बैशिंग ब्रिगेड” के “नापाक गिरोह” पिछले 6 वर्षों से भारत की छवि खराब करने की साजिश में लगे हैं।

आज कानपुर में केंद्रीय बजट 2021-22 के सम्बन्ध में गोष्ठी एवं प्रेस वार्ता को सम्बोधित करते हुए श्री नकवी ने कहा कि ऐसे “साजिशी सुपारी” का देश की जनता के संकल्प ने समय-समय पर सूपड़ा साफ़ किया है। ऐसे “साजिशी शातिरों” के “सूजे सूपड़े” इस बात का प्रमाण है कि इनके सभी “पाखंडी प्रयासों” को जनता ने परास्त किया है।

श्री नकवी ने कहा कि कभी तथाकथित असहिष्णुता पर बवाल तो कभी सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल, तो कभी CAA पर भ्रम; तो कोरोना काल में लोगों की सेहत-सलामती के लिए किये गए कामों पर पलीते का प्रयास और अब कृषि कानूनों पर “गुमराही गैंग” द्वारा “साजिशी सुपारी का संदूक” और कुछ किसानों के “कंधे पर बन्दूक” के जरिये देश को बदनाम करने और किसानों के हितों का अपहरण करने की साजिश की जा रही है।
कुछ लोगों का “सामंती गुरुर- सत्ता का सुरूर” अभी भी नहीं उतरा, रस्सी जल गई-बल नहीं गया। तमाम दुष्प्रचारों- पॉलिटिकल पलीते” के बावजूद जनता ने 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और एनडीए पर विश्वास जताया । प्रचंड बहुमत से सरकार बनी। 2019 में दोबारा उससे बढ़कर जनादेश दिया। इस दौरान हुए विधानसभा, पंचायत, स्थानीय निकाय चुनावों में मोदी सरकार की नीतियों पर मुहर लगाई।

श्री नकवी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के “सबका साथ, सबका विकास” के संकल्प ने हमेशा ऐसी “क्रिमिनल कांस्पीरेसी के कैरेक्टर्स” को बेनकाब किया। दुनिया श्री मोदी के “सर्वस्पर्शी विकास” की कायल हुई, एक तरफ अल्पसंख्यकों की तथाकथित असुरक्षा के नाम पर “भारत बैशिंग ब्रिगेड” की “बेसुरी बकवास बहादुरी” चल रही थी, दूसरी तरफ समाज के सभी वर्गों को तरक्की का बराबर का हिस्सेदार-भागीदार बनाने के लिए श्री मोदी बिना रुके-बिना झुके काम करते रहे।
श्री नकवी ने कहा कि जब हमारे सुरक्षा बलों ने घुस-घुस कर आतंकवादी कैम्पों का सफाया किया, तब सीमापार से सुबूत मांगे जाने लगे, और इधर से ग्रैंड ओल्ड पार्टी के नेता सवाल दागने लगें, “कमाल की सुबूत और सवाल की जुगलबंदी” थी।

भाजपा सरकार द्वारा माफियाओं के खिलाफ अभियान के बावजूद सरकारी अमले पर माफियाओं के नहीं रूक रहे हमले,शिवराज सिंह चौहान ने ली आपात बैठक attacknews.in

भोपाल, 06 फरवरी । मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की ओर से माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई की तमाम कोशिशों के बावजूद सरकारी अमले पर हमले की घटनाएं नहीं रुक पा रही हैं। देवास जिले में वनरक्षक की गोली मारकर हत्या और ग्वालियर चंबल अंचल में हाल के दिनों में पुलिस पर हमले की प्रकाश में आयी घटनाओं की आज यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समीक्षा कर अधिकारियों को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार श्री चौहान ने अपने निवास पर वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में कहा कि देवास जिले में काल कवलित हुए वनरक्षक को शहीद के समकक्ष दर्जा दिया जाएगा और आवश्यक सुविधाएं परिवार की दी जाएंगी। उन्होंने वनरक्षक की मृत्यु के मामले में वन और गृह विभाग के अधिकारियों से आवश्यक जानकारी हासिल की।

ड्यूटी पर तैनात कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित हों-शिवराज

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने देवास जिले में वनरक्षक और ग्वालियर में पुलिस निरीक्षक पर अपराधी तत्वों द्वारा हमले की घटना को बेहद दु:खद बताया है।

श्री चौहान ने आज सुबह आपात बैठक में कल देवास और ग्वालियर में वन और पुलिस अमले पर हुई हमले की घटनाओं पर चर्चा कर उच्च अधिकारियों को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाए।

उन्होंने कहा कि दायित्व में संलग्न वन स्टाफ की आवश्यक सुरक्षा के प्रबंध सुनिश्चित किए जाएं। इसके लिए गृह, वन, राजस्व आदि विभाग मिलकर संयुक्त प्रयास करें।

उन्होंने कहा कि अवैध उत्खनन करने वाले माफिया को किसी स्थिति में नहीं छोड़ा जाए । प्रदेश में सभी तरह के माफिया पर पूरी तरह से अंकुश लगाया जाए।

बैठक में निर्णय लिया गया कि देवास में हमले में मृत वनरक्षक को शहीद के समकक्ष दर्जा दिया जाएगा। परिवार को सभी आवश्यक सुविधाएँ भी दी जाएंगी।

श्री चौहान ने ग्वालियर में पुलिस निरीक्षक पर हुए हमले के बारे में पूर्ण जानकारी प्राप्त की और अपराधियों के विरुद्ध सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए।

बैठक में पुलिस महानिदेशक विवेक जौहरी, एडीजी इन्टेलीजेंस आदर्श कटियार, मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव मनीष रस्तोगी, प्रमुख सचिव वन अशोक वर्णवाल, ओएसडी मुख्यमंत्री कार्यालय मकरंद देऊस्कर और सचिव मुख्यमंत्री एम. सेलवेंद्रन उपस्थित थे।