ऐसा है उन्नाव बलात्कार कांड का घटनाक्रम और पीड़िता को अंततः मिला न्याय:विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को उम्र कैद की सजा attacknews.in

नयी दिल्ली, 20 दिसंबर । दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने उत्तर प्रदेश के उन्नाव बलात्कार एवं अपहरण मामले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को शुक्रवार को उम्रकैद की सजा सुनायी।

सत्र न्यायाधीश धर्मेश सिंह ने सेंगर को सोमवार को इस मामले में दोषी ठहराया था। अदालत ने इस मामले में एक अन्य आरोपी महिला शशि सिंह को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। शशि सिंह पर पीड़िता को बहला-फुसला कर विधायक के घर ले जाने का आरोप था।

सेंगर उत्तर प्रदेश में उन्नाव जिले की बांगरमऊ विधानसभा सीट से भाजपा के टिकट पर जीते थे। उनके खिलाफ एक लड़की के साथ बलात्कार और उसके अपहरण के मामले की सुनवाई यहां की तीस हजारी अदालत में चल रही थी। इसके अलावा सेंगर पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत में तीन मामले चल रहे हैं।

यह मामला 2017 का है जिसमें सेंगर के विरुद्ध पीड़िता के साथ दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया था। सीबीआई को यह मामला 2018 में हस्तांतरित किया गया था।

तीस हजारी अदालत में पांच अगस्त को इस मामले की सुनवाई शुरू हुई थी। दोनों आरोपियों के विरुद्ध नौ अगस्त को आरोप तय किए गए थे। इस मामले की चार माह से अधिक सुनवाई चली। अदालत ने दुष्कर्म पीड़िता को नाबालिग माना है।

सेंगर पर आरोप था कि नौकरी देने का वादा करके उसने अपने आवास पर पीड़िता के साथ दुष्कर्म किया। पीड़िता का अपहरण कर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म भी किया गया।

पीड़िता और उसकी मां के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ के लखनऊ स्थित आवास के बाहर आत्मदाह करने की कोशिश के बाद इस मामले ने तूल पकड़ था और सेंगर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गयी थी। इसके बाद पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत हो गयी थी। पीड़िता और उसके वकील इसी वर्ष सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गये थे। ऐसे आरोप लगे थे कि इस दुर्घटना में सेंगर का हाथ है। इसके बाद उच्चतम न्यायालय के आदेश से उन्नाव कांड के नाम से चर्चित इस मामले की जांच लखनऊ से दिल्ली स्थानांतरित की गई थी।

अंतत: उन्नाव बलात्कार पीडिता को मिला न्याय:

उन्नाव की बलात्कार पीडिता को अंतत: अदालत से शुक्रवार को न्याय मिल गया ।

पीड़िता ने जब थाने में शिकायत दी तो पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज करने से इंकार किया । पीडिता के पिता को यातना दी गयी और मौत के घाट उतार दिया गया । चाचा को एक अन्य मामले में फंसाया गया और फिर पीडिता के परिवार वाले दुर्घटना का शिकार बने, जो स्पष्ट रूप से किसी साजिश का हिस्सा लगा । ऐसे में पीडिता का जीवन काफी कष्टमय बीता ।

भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को शुक्रवार को दिल्ली की एक अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनायी । सेंगर पर 2017 में उन्नाव में नाबालिग से बलात्कार का दोष सिद्ध हुआ । इस घटना को लेकर पूरे देश में जबर्दस्त गुस्सा था और संसद के भीतर एवं बाहर विरोध प्रदर्शन हुआ ।

सेंगर उन्नाव जिले की बांगरमऊ सीट से विधायक थे । उसे 13 अप्रैल 2018 को गिरफ्तार किया गया था और उसके बाद भाजपा से निष्कासित कर दिया गया था ।

पीडिता ने आठ अप्रैल 2018 को लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास के सामने आत्मदाह का प्रयास किया था । वह उसके साथ बलात्कार के आरोपी विधायक के खिलाफ पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं किये जाने का विरोध कर रही थी ।

पीडिता का आरोप था कि विधायक ने जून 2017 में अपने आवास पर उसका यौन शोषण किया । पीडिता का यह भी आरोप था कि उसके परिवार वालों को धमकी दी गयी ।

उन्नाव पुलिस ने कहा कि पीडिता का आरोप था कि 11 जून 2017 को दो युवक उसे उसके गांव से अपहरण कर ले गये थे । उसके बाद 20 जून को मामला दर्ज किया गया ।

पीडिता की शिकायत पर तीन लोगों के खिलाफ गैंगरेप और पाक्सो कानून के तहत मामला दर्ज किया गया क्योंकि जिस समय पीडिता के साथ बलात्कार हुआ था, वह नाबालिग थी ।

पुलिस ने बताया कि पीडिता के पिता और चाचा अपराधी थे । पिता के खिलाफ 28 मामले थे, जिनमें हत्या और लूट के मामले शामिल थे । चाचा के खिलाफ भी 15 मामले थे ।

पीडिता ने एक अंग्रेजी अखबार को दिये इंटरव्यू में बताया था कि 2017 में चार जून को उसे एक कमरे में ले जाया गया, जहां विधायक ने उसके साथ बलात्कार किया । बाद में उसे धमकाया गया कि अगर मुंह खोला तो पिता और परिवार वालों को मार डालेंगे । ‘मैंने मुंह नहीं खोला लेकिन कुछ दिन बाद 11 जून को मुझे विधायक के लोग अपहरण कर ले गये और कुछ दिन तक गैंगरेप किया । उसके बाद किसी को बेच दिया, जहां से मैं बरामद हुई थी ।’ सेंगर ने हालांकि इन आरोपों से इंकार किया था ।

पीडिता के पिता की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में बताया गया कि उनके शरीर पर घाव के 14 निशान पाये गये थे । दस अप्रैल को 2018 को छह पुलिसकर्मी निलंबित किये गये । विधायक के भाई अतुल सिंह को गिरफ्तार किया गया । बलात्कार के आरोप की जांच के लिए विशेष जांच टीम का गठन किया गया ।

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निर्देश पर 12 अप्रैल 2018 को जांच सीबीआई को सौंपी गयी । सीबीआई ने अगले दिन सेंगर को गिरफ्तार कर लिया । उच्च न्ययालय के निर्देश पर पुलिस ने 14 अप्रैल को शशि सिंह को गिरफ्तार किया । शशि पर आरोप था कि वह ही पीडिता को बहला फुसलाकर सेंगर के आवास पर ले गयी थी ।

मई 2018 में सीबीआई ने सेंगर और अन्य के खिलाफ पीडिता के पिता को फर्जी मामले में फंसाने की साजिश के लिए मामला दर्ज किया और दो पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार किया ।

उच्च न्यायालय के निर्देश पर सेंगर और शशि को उन्नाव जेल से सीतापुर जेल भेज दिया गया । उसके बाद सीबीआई ने सेंगर और अन्ल्य के खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किये ।

जुलाई 2019 में पीडिता के चाचा को हत्या के प्रयास के एक मामले में दोषी ठहराया गया और उन्हें दस साल की कैद हो गयी । इस साल 28 जुलाई को पीडिता और उसके वकील रायबरेली के गुरूबक्शगंज क्षेत्र में सडक दुर्घटना में घायल हो गये । दुर्घटना में पीडिता की चाचियों की मौत हो गयी । वे जिस कार से जा रहे थे, उसे एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी ।

पीडिता के चाचा ने आरोप लगाया कि दुर्घटना साजिश थी तो सेंगर के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया । इस मामले की जांच भी सीबीआई के पास गयी ।

इस मामले में तीस हजारी अदालत के जिला जज धर्मेश शर्मा ने शुक्रवार को सेंगर को उसके शेष जीवन काल के लिये आजीवन कारावास की सजा सुनायी ।

देशभर में राजनीतिक दलों ने फैला दी नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आग attacknews.in

नयी दिल्ली, 19 दिसम्बर ।नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए) के खिलाफ पूर्वोत्तर राज्यों में भड़के विरोध प्रदर्शनों की चिंगारी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के साथ-साथ आज अन्य राज्यों में भी फैल गयी और कुछ जगहों पर इसने उग्र रूप धारण कर लिया।

राजधानी दिल्ली में गुरुवार को विभिन्न राजनीतिक दलों और छात्र संघठनों ने सीएए के विरोध में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन किये। प्रदर्शनकारियों ने निषेधाज्ञा के बावजूद लाल किला, मंडी हाउस और जंतर-मंतर पर जोरदार प्रदर्शन किया। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) के महासचिव सीताराम येचुरी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव डी राजा, स्वराज इंडिया के नेता योगेन्द्र यादव, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता संदीप दीक्षित को मंडी हाउस के निकट पुलिस ने हिरासत में ले लिया। माकपा नेता प्रकाश करात, वृन्दा करात, हन्नान मुल्ला और कांग्रेस के तहसीन पूनावाला समेत कई नेताओं को भी हिरासत में लिया गया, हालांकि बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया।

नागरिकता कानून का विरोध कर रहे कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित को आज पुलिस ने राजधानी के मंडी हाउस के निकट हिरासत ले लिया ।

मंडी हाउस के निकट जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय के छात्र – छात्राओं और अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया । श्री दीक्षित ने कहा कि वह लालकिला जा रहे थे लेकिन पुलिस ने उन्हें वहां नहीं जाने दिया और हिरासत में ले लिया । उन्होंनें कहा कि वह कल भी यहां आएंगे और विरोध प्रदर्शन करेंगे ।

श्री दीक्षित ने कहा कि सरकार को नागरिकता संशोधन कानून वापस लेना चाहिये और घबराहट में लोगों को उनके अधिकारों से वंचित नहीं करना चाहिये ।

मंडी हाउस के निकट धारा 144 लागू है इसके बावजूद छात्र छात्रायें वहां आ रहे हैं जिन्हें पुलिस हिरासत में ले रही थी । प्रदर्शनकारी कुछ स्थानों पर तख्तियां लिये हुये थे और वे मोदी सरकार के खिलाफ नारे लगा रहे थे ।

लाल किले के आसपास निषेधाज्ञा, कईं मेट्रो स्टेशन बंद

नागरिकता कानून के खिलाफ दिल्ली के कई इलाकों में प्रदर्शन को देखते हुए और लोगों को जंतर मंतर तथा लाल किला जाने से रोकने के कई मेट्रो स्टेशन बंद किए गए ।

जामिया नगर इलाके के जामिया मिल्लिया इस्लामिया मेट्रो स्टेशन के अलावा ओखला विहार, जशोला विहार मेट्रो स्टेशन को बंद किया गया है। मुनिरका मेट्रो स्टेशन भी बंद रहा।

विरोध प्रदर्शन को देखते हुए लालकिले के आसपास निषेधाज्ञा लगाई गई क्योंकि प्रदर्शनकारियों ने लालकिला से शहीद पार्क तक मार्च निकालने आह्वान किया था।

लोगों के प्रदर्शन की आशंका को देखते हुए लाल किला, जामा मस्जिद, चांदनी चौक ,विश्वविद्यालय, पटेल चौक, लोक कल्याण मार्ग, उद्योग भवन, आईटीओ, प्रगति मैदान, केन्द्रीय सचिववालय और खान मार्किट मेट्रो स्टेशन बंद कर दिये गये ।

सचिवालय के सभी एंट्री और एक्जिट गेट बंद किए गए लेकिन यहां से ट्रेनों को बदलने की सुविधा जारी रही ।

सीएए विरोध प्रदर्शन की वजह से कुछ इलाकों में घंटों तक निलंबित रहीं मोबाइल सेवाएं

दिल्ली में गुरुवार को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में प्रदर्शनों को देखते हुए कुछ इलाकों में कई घंटों तक मोबाइल सेवाएं निलंबित रहीं।

दिल्ली पुलिस के विशेष शाखा के उपायुक्त पी एस कुशवाह की तरफ से सीएए के विरोध प्रदर्शन को ध्यान में रखते हुए दूरसंचार कंपनी रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, वोडा-आइडिया, बीएसएनएल और एमटीएनएल को राजधानी के कुछ हिस्सों में मोबाइल सेवाएं निलंबित करने के लिए कहा गया था। मोबाइल कंपनियों इसके बाद इंटरनेट, एसएमएस और वाइस काल सेवाओं को निलंबित कर दिया।

देश में अघोषित आपातकाल जैसे हालात: कांग्रेस

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार ने नागरिकता (संशोधन) कानून के विरोध में उठ रही आवाज को दबाने के लिए दमन का रास्ता अपना लिया है और पूरे देश में अघोषित आपातकाल की स्थिति पैदा कर दी गयी है।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने गुरुवार को यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पूरे देश में इस कानून के विरोध में लोग सड़कों पर उतरकर इसे वापस लेने की मांग कर रहे हैं लेकिन सरकार इस दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही है। देश के कई हिस्से जल रहे हैं तथा चारों तरफ अशांति का माहौल है और लगता है कि अब शांति भाजपा सरकार के जाने के बाद ही बहाल हो पाएगी।

उन्होंने कहा कि दिल्ली में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता डी राजा, कांग्रेस नेता अजय माकन एवं संदीप दीक्षित, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी तथा रामचंद्र गुहा सहित कई लोगों को हिरासत में लिया गया है। दिल्ली में मेट्रो के 18 से 20 स्टेेशन बंद कर दिए गये, इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गयीं और कई क्षेत्रों में धारा 144 लागू कर दी गयी है।

प्रवक्ता ने कहा कि इन स्थितियों के बावजूद मोदी सरकार कहती है कि दिल्ली में स्थिति सामान्य है। सरकार इन स्थितियों के बावजूद अगर दिल्ली के हालात सामान्य बता रही है तो इससे जम्मू-कश्मीर के बारे में स्थिति सामान्य होने के उसके दावे की सच्चाई सामने आ जाती है।

कर्नाटक में नागरिकता कानून मसले पर मुख्यमंत्री ने स्थिति की समीक्षा की

बेंगुलुरू से खबर है कि,कर्नाटक में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विभिन्न छात्र संगठनों और राजनीतिक दलों के विराेध प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री बी एस येद्दियुरप्पा ने प्रशासन और पुलिस विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक कर कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा की ।

प्राप्त जानकारी के अनुसार इस बैठक में पुलिस महानिदेशक श्रीमती नीलमणि राजू, शहर पुलिस आयुक्त भास्कर राव और अन्य अधिकारी मौजूद थे। मुख्यमंत्री ने इस दौरान राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने के निर्देश दिए।

आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि बेंगलुरू शहर और राज्य में संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त पुलिस बलों को तैनात किया गया है। राज्य के जिलों में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी गई ताकि किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से निपटा जा सके।

इस बीच पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता सिद्दारमैया ने इन प्रतिबंधों को लगाए जाने पर राज्य सरकार की कड़ी आलोचना की है। उन्होंने एक ट्वीट कर कहा कि राज्य सरकार इस कानून पर विरोध प्रदर्शन करने के लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचल रही है।

इतिहासकार रामचन्द्र गुहा हिरासत में लिए गए

बेंगलुरु, के टाउन हॉल में नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजी के खिलाफ प्रदर्शन करने को लेकर प्रख्यात इतिहासकार रामचन्द्र गुहा सहित अन्य लोगों को पुलिस ने धारा 144 का उल्लंघन करने के आरोप में गुरुवार को हिरासत में लिया।

पुलिसकर्मी गुहा को अपने साथ पास में ही खड़े वाहन तक ले कर गए।

पुलिस का कहना है कि इन लोगों ने शहर में प्रदर्शनों के खिलाफ लगी निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया।

खुद को हिरासत में लिए जाने पर गुहा ने कहा कि यह ‘‘बिल्कुल अलोकतांत्रिक है’’ कि पुलिस शांतिपूर्ण तरीके से भी प्रदर्शन नहीं करने दे रही है, जबकि यह नागरिकों का मौलिक अधिकार है।

भाकपा ने भी शहर में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन किया।

कलाबुर्गी में धारा 144 लागू

इधर कर्नाटक के कलाबुर्गी जिले में गुरुवार को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में बंद को देखते हुए प्रशासन ने धारा 144 के तहत प्रतिबंध लगा दिये है तथा सभी स्कूल और शैक्षणिक संस्थानों को अगले तीन दिनों के लिये बंद कर दिया है।

कलाबुर्की के पुलिस आयुक्त एम एन नागार्जुन ने यहां बताया कि जिले में कानून-व्यवस्था को बनाये रखने के लिए सभी स्कूल और कॉलेजो को आज से तीन दिनों के लिए बंद कर दिया गया है और शहर में धारा 144 लागू कर दी गयी है। शहर में हिंसा करने वालों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जायेगी। पुलिस पूरी तरह है चाैकस है और स्थिति पर नजर बनाये हुए है।

केरल के मुख्यमंत्री विजयन ने कहा:संविधान को बचाने के लिए केरल लड़ेग:

तिरुवनंतपुरम में केरल के मुख्यमंत्री विजयन ने संशोधित नागरिकता अधिनियम के विरोध के दौरान वामपंथी नेताओं और बेंगलुरु में इतिहासकार रामचंद्र गुहा को हिरासत में लेने की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा है कि केरल संविधान की रक्षा के लिए संघर्ष करेगा।

विजयन ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि एनडीए सरकार तानाशाही प्रवृत्ति दिखा रही है। ऐसे हालात तो आपातकाल (1975-77) के दौरान भी नहीं देखे गये थे।

विजयन ने कहा, ‘‘हम दिल्ली में माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, पोलित ब्यूरो के सदस्य प्रकाश करात और बृंदा करात, भाकपा महासचिव डी राजा और बेंगलुरु में इतिहासकार रामचंद्र गुहा को हिरासत में लेने की कड़ी निंदा करते हैं।’’

उन्होंने यह भी कहा, “संवैधानिक मूल्यों की हत्या करने वालों के खिलाफ बड़े पैमाने पर हो रहे विरोध प्रदर्शनों में भारतीयों के मन में उनके प्रति गुस्सा और उनकी सच्ची भावनाएं देखने को मिल रही हैं।मैं उन लोगों को सलाम करता हूं जो देश की स्वतंत्रता, धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे आए हैं।”

उन्होंने ट्वीट किया, “केरल ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि हम सामने खड़े होकर संविधान की रक्षा के लिए लड़ेंगे।”

उन्होंने दावा किया कि सरकार विरोध करने वालों को धमका रही है और उन्हें गिरफ्तार कर रही है।

विजयन ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय राजधानी में केंद्र सरकार ने इंटरनेट और मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है।

उन्होंने कहा, ‘‘केंद्र को प्रमुख विश्वविद्यालयों और उसके छात्रों पर हमला करना बंद करना चाहिए। सरकार को संवैधानिक मूल्यों और नागरिकों के अधिकारों का हनन करके आगे बढ़ने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि इतिहास गवाह है कि बड़े पैमाने पर शुरू हुए विद्रोह दमन की कोशिशों से, यात्राएं बाधित करने से और गिरफ्तारी से कभी हारे नहीं हैं।

उन्होंने सरकार से संशोधित नागरिकता कानून को वापस लेने के लिए कहा है।

राज्य में सीएए के खिलाफ विभिन्न राजनीतिक दलों द्वारा विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।

गुजरात में नागरिकता संशोधन कानून विरोधी बंद के दौरान हिंसक प्रदर्शन

नागरिकता संशोधन कानून तथा राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के विरोध में आयोजित बंद का गुजरात में मिला जुला असर रहा हालांकि इस दौरान राज्य की वाणिज्यिक राजधानी कहे जाने वाले सबसे बड़े शहर अहमदाबाद के अल्पसंख्यक बहुल मिरजापुर और शाहआलम इलाकों में हिंसक विरोध प्रदर्शन भी हुए।

शाहआलम में भीड़ के पथराव में एक सहायक पुलिस आयुक्त तथा महिला पुलिसकर्मी समेत कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गये। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले भी दागे और लाठी चार्ज भी किया। कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया है। पुलिस के वाहनों पर भी पथराव किया गया है। एक सिटी बस को भी निशाना बनाया गया।

राजस्थान में नागरिकता कानून के समर्थन और विरोध में प्रदर्शन

राजस्थान में नागरिक संशोधन कानून के विरोध में कई स्थानों पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) सहित कई संगठनों ने रैली निकाली और ज्ञापन दिये।

जयपुर में सीपीएम, सीपीआई, सीपीआई (एमएल ) और जन संगठनों ने विशाल रैली निकालकर,जिलाधीश कार्यालय पर जोरदार प्रदर्शन किया तथा राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन दिया। कलेक्ट्रेट पर आयोजित सभा में वक्ताओं ने नागरिक कानून में संशोधन को सरकार की विभाजनकारी नीति बताते हुए कहा कि इससे वर्षों से चली आ रही सौहार्दपूर्ण परम्परा को धक्का लगा है।

कर्नाटक में सैंकड़ों प्रदर्शनकारी हिरासत में

कर्नाटक में नागरिकता (संशाेधन) कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे सैकड़ों आंदोलनकारियों को गुरुवार को हिरासत में ले लिया गया।

शहर में प्रदर्शनकारियों को विरोध प्रदर्शन करने पर एसबीएम सर्किल और टाउन हॉल में हिरासत में लिया। एसबीएम सर्किल में प्रदर्शनकारियों में वाम दलों के सदस्यों की पुलिस के साथ झड़प भी हुई। टाउन हाल में प्रदर्शकारियों ने ‘नो वॉयलेंस, नो साइलेंस’ के नारे लगाये और पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया।

मध्यप्रदेश में ऐहतियातन 40 से अधिक जिलों में निषेधाज्ञा लागू

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ देश में अनेक स्थानों पर प्रदर्शन के मद्देनजर मध्यप्रदेश में भी ऐहतियातन 40 से अधिक जिलों में धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है।

प्रदेश पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य में इस कानून के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन की सूचनाएं नहीं हैं। पुलिस प्रशासन कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए और अधिक सचेत है। इसके मद्देनजर ही 52 में से 40 से अधिक जिलों में कल और आज में निषेधाज्ञा स्थानीय स्तर पर जिला प्रशासन ने लागू की है। इसके तहत सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक पोस्ट डालने और भीड़ के रूप में एकत्रित होने पर मुख्य रूप से प्रतिबंध लगाया गया है।

सीएए और एनआरसी के खिलाफ बिहार में भी प्रदर्शन, रेलगाड़ियां भी रोकी गई

बिहार में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में वामदल, जन अधिकार पार्टी (जाप) और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) समेत कुछ मुस्लिम संगठनों के आह्वान पर आज बिहार बंद के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन किया तथा रेल गाड़ियों का भी परिचालन बाधित किया।

जाप के नेता और पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने बेड़ियां पहनकर यहां डाकबंगला चौराहे पर प्रदर्शन किया । उनके साथ पार्टी कार्यकर्ताओं ने सड़क पर टायर जलाकर आवागमन को बाधित कर दिया ।

श्री यादव ने कहा कि सरकार ने पहले ही बेटियों को कैद कर दिया है । वहीं, युवा बेरोजगारी के कारण घरों में कैद हैं और अब सरकार काला कानून लाकर एक बड़े वर्ग को कैद करना चाहती है । उन्होंने कहा कि इस कानून से सबसे ज्यादा परेशानी गरीब, दलित, पिछड़ों को होना है, जिनके पास खाने के लिए दो वक्त की रोटी नहीं है वे कहां से जमीन या अन्य कोई दस्तावेज दिखाकर अपने को भारतीय नागरिक साबित कर पायेंगे ।

श्री यादव और उनके समर्थकों को बाद में पुलिस ने हिरासत में लेकर सड़क पर से जाम समाप्त कराया। बाद में पुलिस ने श्री यादव और उनके समर्थकों को छोड़ दिया । बंद के समर्थन में वामदलों के नेताओं के साथ कांग्रेस और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) के नेता भी सड़कों पर उतरे । बंद समर्थकों ने एनआरसी और सीएए के खिलाफ नारे भी लगाये । नेताओं ने कहा कि देशहित में सरकार को ये कानून वापस लेना पड़ेगा। सरकार के गलत फैसले की वजह से आज पूरा देश जल रहा है। जगह-जगह छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं और सरकार उनके खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई कर रही है। सरकार का कदम देश को पीछे धकेलने वाला है।

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ उत्तरप्रदेश में कांग्रेस-सपा और वाम ने फैला दी हिंसा,लखनऊ जला आग में,जगह-जगह आगजनी और तोड़फोड़ से तनाव attacknews.in

लखनऊ, 19 दिसंबर ।नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ राजधानी लखनऊ में हिंसा भड़क उठी। उपद्रवियों ने पथराव किया, वाहनों को आग लगा दी जबकि संभल में दो सरकारी बसों को आग के हवाले कर दिया।समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन ने गुरूवार को गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल कहे जाने वाले नवाबों के शहर लखनऊ पर हिंसा का दाग लगा दिया वहीं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संभल में उपद्रवियों ने आगजनी और तोड़फोड़ कर तनाव फैलाने की कोशिश की।

सूबे की योगी सरकार ने नये कानून की आड़ में विरोध प्रदर्शन की आशंका के मद्देनजर पहले से ही राज्य भर में धारा 144 लागू कर दी थी और शुक्रवार तक जुलूस एवं धरना प्रदर्शन पर रोक लगा दी थी लेकिन सुरक्षा बलों के तमाम इंतजामों को धता बताते हुये उपद्रवी बीच सड़क पर निकले और जमकर तांडव किया। पुलिस ने हिंसा पर उतारू भीड़ को तितर बितर करने के लिये आंसू गैस के गोले दागे और लाठिया भांजी।

सीएए के विरोध में सपा का राज्यव्यापी प्रदर्शन

कड़े सुरक्षा इंतजाम और निषेधाज्ञा लागू होने के बीच नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने गुरूवार को राज्यव्यापी प्रदर्शन किया।

कानपुर,देवरिया,कन्नौज,वाराणसी और लखनऊ समेत राज्य के विभिन्न जिलों में सीएए के विरोध में सपा कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान कई स्थानों पर रेल और सड़क यातायात बाधित करने का प्रयास किया गया हालांकि सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को लाठी पटक कर खदेड़ दिया। सपा के उग्र प्रदर्शन के मद्देनजर कुछ स्थानों पर पार्टी नेताओं को उनके घरों से बाहर नहीं निकलने दिया गया।

हिंसा करने वालों से सख्ती से निपटा जायेगा : योगी

नागरिता संशोधन कानून के विरोध में गुरूवार को लखनऊ और सम्भल में हुई हिसंक घटनाओं को गंभीरता से लेते उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उपद्रवियों से सख्ती से निपटने के निर्देश अधिकारियों को दिये हैं।

श्री योगी ने यहां कहा कि लोकतंत्र में हिंसा का कोई स्थान नहीं है। समाजवादी पार्टी, कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टी ने आज महाबंद का आह्वान किया था। इस बंद की आड़ में किए गये प्रदर्शन के दौरान लखनऊ और सम्भल में आगजनी और तोडफोड की घटनाये हुयीं और सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया गया। बंद का आवाहन करने वालों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज कर उनकी सम्पति जब्त कर नुकसान की भरपाई की जायेगी।

श्री योगी ने कहा कि अगर किसी को कोई आपत्ति है तो उसे आपसी बातचीत से ही सुलझाया जाना चाहिये। आरोपियों को चिन्हित कर उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जायेगी। पूरे प्रदेश में धारा 144 लागू है और धरना प्रदर्शन करने पर सख्त मनाही थी। इसके बावजूद बडी तादाद में लोग सड़कों पर निकले और उपद्रव शुरू हो गया। इस बारे मे जिम्मेदारों से जवाब तलब किया जायेगा और पूरे मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी। इस बीच घटना के बाद लखनऊ विश्वविद्यालय की कल होने वाली परीक्षा स्थगित कर दी गई हैं।

सम्भल में नागरिकता कानून के विरोध में प्रदर्शनकारियों ने परिवहन निगम की बस में आग लगा दी और तोड़फोड़ की। प्रदर्शनकारियों का जुलूस चौधरी सराय पहुँचा तो अचानक नारेबाजी कर रही भीड़ उग्र हो गई। भीड़ में मौजूद कुछ अराजक तत्वों ने सड़क किनारे खड़ी रोडवेज की बसों में तोड़फोड़ कर आग लगा दी। बवाल को बढ़ते देखकर शहर के बाजार आनन-फानन में बंद हो गये।

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम काला कानून है जो धर्म के आधार पर देश को बांटने की कोशिश है। कुर्सी की खातिर लागू किये गये इस कानून का विरोध उनकी पार्टी हर स्तर पर करेगी। संविधान में हर धर्म के लोगों को समान अधिकार दिये गये है जबकि अल्पसंख्यकों को निशाने पर रख कर इस कानून को अमल में लाया गया है।

जिला प्रशासन ने विरोध प्रदर्शन की आशंका से बुधवार को ही रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शोयेब और वामदलों के अलावा सामाजिक संगठनों के कुछ नेताओं को नजरबंद कर दिया था।

वाराणसी के जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने जिले में धारा 144 लागू होने का हवाला देते हुए जनता से किसी प्रकार के जुलूस, धरना, प्रदर्शन आदि में भाग नहीं लेने की अपील की और नहीं मानने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई के लिये तैयार होने की चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि कुछ लोगों द्वारा सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों से अफवाह फैलाकर बेनियाबाग एवं लोहता में लोगों को इकटठा होने का संदेश दिया जा रहा है। कुछ लोग छात्रों को गुमराह कर शांति व्यवस्था प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं।

उन्होंने विश्वविद्यालय, हॉस्टल, मदरसा आदि के छात्र-छात्राओं से विशेष अपील की है कि उन्हें कोई गुमराह करता है तो बहकावे में नहीं आयें, अपने पढाई पर ध्यान दें।

सीएए के विरोध में प्रयागराज में प्रदर्शन करने जा रहे करीब 300 समाजवादी पार्टी (सपा) कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेकर पुलिस लाइन भेजा गया। सपा नेता, पदाधिकारी एवं कार्यकर्ताओं ने जैसे ही पार्टी के जिला कार्यालय जॉर्ज टाउन से कचेहरी की ओर कूच किया, पहले से ही मौजूद सैकड़ों की संख्या में पुलिस बल ने उन्हें आगे बढ़ने से रोका। सभी कार्यकर्ता सड़क पर ही धरने पर बैठ गए। इस दौरान पुलिस की सपाइयों से धक्कामुक्की भी हुई। लगभग आधे घंटे तक चली जद्दोजहद के बाद मौके पर पहुंचे अपर जिलाधिकारी (नगर) अशोक कुमार कन्नाैजिया ने ज्ञापन लिया और सपा कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर बसों में बैठाकर पुलिस लाइन भेजा।

असामाजिक तत्वों ने निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया।

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक ओ पी सिंह के मुताबिक 19 दिसंबर को किसी भी तरह के जमावड़े की अनुमति नहीं दी गई है।

डीजीपी ने कहा, ‘‘पुलिस को राजधानी के मदेयगंज क्षेत्र में भीड़ को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पडे़। करीब 20 लोगों को हिरासत में लिया गया है।’’

शहर के अन्य कई हिस्सों में तनाव व्याप्त है। विशेषकर पुराने लखनऊ के मुस्लिम बहुल इलाकों में तनाव है। कानून व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।

हसनगंज क्षेत्र में पथराव कर रही भीड़ को तितर बितर करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़ने पडे़।

कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को हिरासत में ले लिया गया है। वह नागरिकता कानून के खिलाफ परिवर्तन चौक पर प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे थे।

परिवर्तन चौक स्थित के डी सिंह बाबू स्टेडियम के मेट्रो स्टेशन के गेट बंद कर दिये गये हैं क्योंकि पथराव कर रही भीड़ बड़ी संख्या में यहां जमा हो गयी थी।

भीड़ ने एक टीवी चैनल की ओ बी वैन में तोड़फोड़ की और उसे कथित तौर पर आग के हवाले कर दिया।

विपक्षी सपा एवं कांग्रेस विधायकों ने विधान भवन में नये कानून के खिलाफ प्रदर्शन और नारेबाजी की।

सपा विधायक सुबह ही विधान भवन में एकत्र हो गये हालांकि इस दौरान सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे। सपा विधायकों ने सीएए के खिलाफ नारेबाजी की। उसी समय कांग्रेस विधायकों ने भी प्रदर्शन किया।

सपा नेता चौधरी चरण सिंह की प्रतिमा के निकट एकत्र हुए और वहां नारेबाजी की। कांग्रेस विधायक भी निकट की सीढ़ियों पर प्रदर्शन कर रहे थे।

सपा का एक विधायक विरोध प्रकट करने के लिए मुख्य द्वार पर ही चढ़ गया। कांग्रेस के कुछ विधायक सड़क पर आये लेकिन पुलिस की अनुमति नहीं मिलने पर वे वापस विधान भवन परिसर में चले गये।

सदन में सपा विधायकों ने पुलिस की ज्यादती का मुद्दा उठाना चाहा। उनका कहना था कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन करने के उनके लोकतांत्रिक अधिकार का हनन किया जा रहा है। इस मुद्दे पर सपा विधायकों ने जमकर हंगामा किया।

सपा नेताओं ने मंगलवार को सीएए, कानून व्यवस्था, महिलाओं के प्रति अपराध सहित विभिन्न मुद्दों को लेकर विधानभवन के बाहर प्रदर्शन किया।

देश के विभिन्न हिस्सों में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के बीच राज्य पुलिस ने बुधवार को कहा था कि किसी को भी प्रदेश भर में निषेधाज्ञा का उल्लंघन करने की अनुमति नहीं है।

संभल के जिलाधिकारी अविनाश के सिंह ने कहा, ‘‘जिले में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गयी हैं। यहां भीड़ ने एक बस को आग लगा दी जबकि एक अन्य को क्षतिग्रस्त कर दिया।’’

उन्होंने बताया, ‘‘एक थाने पर भी प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया। इंटरनेट सेवाएं एहतियात के तौर पर बंद की गयी हैं।’’

मऊ में भीड़ ने पथराव किया, जिसके बाद आरएएफ और पीएसी सहित बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया। यहां भी इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गयी हैं।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कई शिक्षकों ने मौन जुलूस निकाला। प्रदर्शनकारियों में बड़ी संख्या में महिलाएं शामिल थीं।

कानून का विरोध कर रहे छात्रों का रविवार को पुलिस से संघर्ष हुआ था, जिसमें 60 लोग घायल हो गये थे। प्रशासन ने विश्वविद्यालय को पांच जनवरी तक बंद कर दिया है।

कैबिनेट मंत्री श्रीकांत शर्मा ने कहा, ‘‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सपा, बसपा और कांग्रेस लोगों को गुमराह कर रही है। मुसलमानों के कंधों को साजिश के तहत इस्तेमाल किया जा रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘भाजपा सरकार में किसी को डरने की जरूरत नहीं है। हम किसी का अधिकार नहीं छीन रहे हैं। समूचे देश में जिस तरह आग लगाने की कोशिश की जा रही है, वह दुर्भाग्यपूर्ण है। विपक्ष से आग्रह है कि लोगों विशेषकर छात्रों को गुमराह नहीं किया जाए। लखनऊ में कानून को हाथ लेने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’’

शर्मा ने कहा कि लोग सरकारी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाएं, लोगों के बहकावे में नहीं आयें। आपके स्वाभिमान और सम्मान के लिए राज्य सरकार संकल्पित है।

इस बीच लखनऊ के मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम ने कहा, ‘‘वीडियोग्राफी के जरिए जो लोग चिन्हित होंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिन लोगों ने नुकसान किया है, उसकी भरपायी उनसे करायी जाएगी।’’

सीएए के विरोध में सपा का राज्यव्यापी प्रदर्शन

कड़े सुरक्षा इंतजाम और निषेधाज्ञा लागू होने के बीच नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) ने गुरूवार को राज्यव्यापी प्रदर्शन किया।

कानपुर,देवरिया,कन्नौज,वाराणसी और लखनऊ समेत राज्य के विभिन्न जिलों में सीएए के विरोध में सपा कार्यकर्ताओं ने धरना प्रदर्शन किया। इस दौरान कई स्थानों पर रेल और सड़क यातायात बाधित करने का प्रयास किया गया हालांकि सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को लाठी पटक कर खदेड़ दिया। सपा के उग्र प्रदर्शन के मद्देनजर कुछ स्थानों पर पार्टी नेताओं को उनके घरों से बाहर नहीं निकलने दिया गया।

हंगामे की भेंट चढ़ा उत्तरप्रदेश विधानसभा की शीतकालीन सत्र

नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के विरोध में समाजवादी पार्टी (सपा) और कांग्रेस के जोरदार हंगामे के चलते गुरूवार को राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही दूसरा अनुपूरक बजट पारित होने के बाद अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दी गयी।

विपक्ष ने योगी सरकार पर अलोकतांत्रिक रवैये का आरोप लगाते हुये कहा कि इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ कि सदन की कार्यवाही शुरू होने के मात्र आधे घंटे के भीतर प्रश्नकाल के दौरान बजट प्रस्तावों को पारित कराया गया हो। सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सपा और कांग्रेस के सदस्य वेल पर आ गये और सीएए को वापस लेने की मांग करने लगे। सपा सदस्य सरकार विरोधी नारे लगा रहे थे।

निर्दोषों को फंसा सकती है योगी सरकार: अखिलेश

नागरिकता संशोधन अधिनियम को काला कानून करार देते हुये समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरूवार को आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण तरीके से धरना दे रहे कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया और निर्दोषों को फंसाने की साजिश रची जा रही है।

श्री यादव ने कहा कि उनकी पार्टी ने विधान भवन परिसर से लेकर सड़कों तक शांतिपूर्ण धरना दिया और राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा। शांतिपूर्ण एवं अहिंसात्मक धरना के लिए कार्यकर्ताओं को बधाई देते हुये उन्होने कि भाजपा को लोकतंत्र और संविधान की परवाह नहीं है। भाजपा सरकार ने आपातकाल जैसे हालात पैदा कर दिए हैं। भाजपा सरकार जानबूझकर सत्ता पर काबिज रहने के लिए काला कानून लाई है। धर्म के आधार पर नागरिकता की बात स्वीकार नहीं की जा सकती है। भाजपा भाईचारा तोड़ने और नागरिकों के बीच खाई पैदा करना चाहती है।

संविधान की खातिर मरते दम तक जारी रहेगी लड़ाई: लल्लू

उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि संविधान की मूल आत्मा को चोट पहुंचाने वाले नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ उनकी लड़ाई मरते दम तक जारी रहेगी।

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में शामिल श्री लल्लू को गुरूवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। पुलिस हिरासत में लल्लू ने कहा कि यह कानून देश के संविधान के खिलाफ है जिसमें एक धर्म को निशाना बनाया गया है जो कि संविधान की मूल आत्मा के खिलाफ है। भाजपा देश मे संघी विधान लागू करना चाहती है, पर संघ परिवार का सपना कभी पूरा नहीं होगा।

लखनऊ हिंसा आगजनी के आरोप में 112 लोगों को लिया गया हिरासत में

उत्तर प्रदेश में आज समाजवादी पार्टी (सपा)कांग्रेस और अन्य राजनीति दलों द्वारा नागरिक संशोधन कानून के विरोध में लखनऊ में आगजनी और तोड़फोड के विरोध में 112 लोगों को हिरासत में लिया गया ।

पुलिस प्रवक्ता ने यहां यह जानकारी दी । उन्होंने बताया कि राज्य प्रदेश व्यापी विभिन्न जिलों में आज हुए धरना-प्रदर्शन में सम्भल और लखनऊ को छोड़कर प्रदेश के अन्य जिलों में धरना-प्रदर्शन शान्तिपूर्ण ढंग से सम्पन्न हुआ, कुछ जिलों में छुट-पुट विरोध-प्रदर्शन किया गया, जिसे वहां पर उपस्थित पुलिस बल द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए हिंसात्मक कार्रवाई करते हुए नियंत्रण रखा गया।

वाम दलों ने लखनऊ समेत समूचे प्रदेश में किया धरना प्रदर्शन

नागरिकता संशोधन विधेयक और छात्रों पर हुयी पुलिस कार्रवाई के विरोध में वामपंथी दलों ने गुरूवार को लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के अन्य स्थानों पर प्रदर्शन किया।

लखनऊ में सफेद बारादरी के निकट भाकपा (माले), माकपा समेत वाम दलों और संगठनों के कार्यकर्ता एकत्र हुए और परिवर्तन चौक की ओर मार्च कर दिया। कार्यकर्ता संविधान-विरोधी नागरिकता संशोधन कानून रद्द करो, एनआरसी नहीं चलेगा, जामिया-अलीगढ़ में छात्रों पर पुलिस दमन क्यों जैसे नारे लगा रहे थे। परिवर्तन चौक के निकट पहले से बैरिकेड लगाए प्रशासन ने उन्हे रोक दिया।

बिजनौर में जज के सामने पेशी पर आए हत्यारोपी की हत्या से माहौल गर्माया; चौकी प्रभारी समेत 18 पुलिस वाले निलंबित,विधानसभा में गूंजा मामला attacknews.in

बिजनौर 18 दिसम्बर।उत्तर प्रदेश के बिजनौर की एक अदालत में गोलिया बरसाकर हत्या के मामले में चौकी प्रभारी समेत 18 पुलिस कर्मियों को निलंबित किया गया है।

पुलिस अधीक्षक संजीव त्यागी ने बुधवार को यहां यहां बताया कि अदालत में गोलिया बरसाकर हत्या के मामले में चौकी प्रभारी समेत 18 पुलिस कर्मियों को कर्तव्य में लापरवाही बरतने के आरोप में निलंबित किया गया है। इसमें 13 पुरुष व चार महिला पुलिसकर्मी शामिल हैं।

उच्च न्यायालय ने डीजीपी और प्रमुख सचिव गृह काे किया तलब

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बिजनौर जिला अदालत में पेशी पर आये हत्यारोपी की ताबड़तोड़ फायरिंग कर हत्या के मामले की घटना को गंभीरता से लिया है।

न्यायालय ने इस मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुये प्रदेश के प्रमुख सचिव गृह, पुलिस महानिदेशक समें आला पुलिस अधिकारियों को 20 दिसंबर को तलब किया है।

बिजनौर प्रकरण को लेकर विधानसभा में हंगामा

बिजनौर में अदालत परिसर में हुयी दुस्साहिक वारदात को लेकर विपक्ष ने बुधवार को राज्य विधानसभा में जोरदार हंगामा किया।

विधानपरिषद में भी प्रश्नकाल के दौरान इसी मुद्दे को लेकर कार्यवाही बाधित हुयी।

कल बिजनौर गैंगवार में पेशी पर आए बदमाशों पर हमला कर सीजेएम कोर्ट में ताबड़तोड़ गोलियां मारी गई और इस गोलीबारी में 2 की मौत हो गई ।

यह घटना बिजनौर में सीजेएम अदालत में पेशी के दौरान हुई ।इसमें हत्या के आरोपी तीन बदमाशों पर कोर्ट में शार्प शूटरों ने हमला किया, इस हमले में दो आरोपियों की मौके पर ही मौत हो गई थी ।

पुलिस ने हमलावर आरोपियों को कोर्ट परिसर में ही घेर लियाथा ।इस दौरान जज को भी भागकर अपनी जान बचानी पड़ी । इसके बाद कोर्ट परिसर को पूरी तरह से सील किया गया

घटनाक्रम का कारण यह था कि 28 मई को प्रॉपर्टी डीलर हाजी अहसान व उनके भांजे शादाब की नजीबाबाद में गोलियां बरसाकर हत्या हुई थी ।

इस मामले में गांव कनकपुर निवासी शूटर दानिश सहित कई लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार किया था ।

इसके बाद दिल्ली पुलिस ने गैंग के सरगना शाहनवाज व शूटर अब्दुल जब्बार को भी गिरफ्तार किया था।

प्रियंका गांधी वाड्रा ने दी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को चुनौती attacknews.in

पाकुड़ (झारखंड) 18 दिसंबर ।कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी ने अर्थव्यवस्था के हर मोर्चे पर विफल होने के बाद नए-नए कानून लाकर मुख्य मुद्दे से ध्यान भटकाने का केंद्र की मोदी सरकार पर आरोप लगाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देश में बढ़ती बेरोजगारी, भूख, बलात्कार, भ्रष्टाचार और गायब रोजगार पर जवाब देने की चुनौती दी ।

श्रीमती गांधी ने आज यहां श्रीकुंड में महागठबंधन प्रत्याशी के पक्ष में चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र की मोदी सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है। यह सरकार रोजगार देने में फेल, अर्थव्यवस्था में फेल, किसान को सक्षम बनाने में फेल, छात्रों की आवाज सुनने में फेल, महिलाओं की सुरक्षा में फेल, महंगाई को रोकने में फेल है ।

उन्होंने कहा कि उनके पास इन सबके लिए बहाना एकमात्र कांग्रेस पार्टी है जबकि वास्तविकता यह है कि पांच साल में भाजपा सरकार ने कुछ नहीं किया। वह केवल प्रचार में हीरो है, काम के नाम पर वह जीरो है।

कांग्रेस महासचिव ने कहा कि अर्थव्यवस्था के स्तर पर यह सरकार फेल हुई तो नए-नए कानून लाकर लोगों को मुद्दे से ध्यान भटकाने का प्रयास कर रही है । जब देश में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) फेल हो गया तब मोदी सरकार नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लेकर आई। इस कानून के किए गए प्रावधानों के विरोध में असम समेत पूरा पूर्वोत्तर जल रहा है। दिल्ली के जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं ने इसके विरोध में आवाज उठाई तो उन्हें पुलिस से पिटवाया। सच्चाई यह है कि सारी जिम्मेदारी भाजपा और प्रधानमंत्री श्री मोदी की है।

श्रीमती गांधी ने कहा, “हर मोर्चे पर विफल प्रधानमंत्री श्री मोदी के पास कोई जवाब नहीं है। अब वह केवल खोखली चुनौती ही दे सकते हैं। आज झारखंड की जनता की तरफ से मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काे चुनौती देती हूं कि वह बेरोजगारी, भूख, बलात्कार, भ्रष्टाचार और गायब रोजगार पर जवाब दें। आप ‘जोड़’ के प्रधानमंत्री हैं या ‘तोड़’ के प्रधानमंत्री हैं, इस पर जवाब दीजिए। मुझे पता है इन सब प्रश्नों के जवाब आपके पास नहीं है।”

उत्तरप्रदेश में सरकार को परेशानी में डालने वाले भाजपा विधायक नंदकिशोर गुर्जर के अपराधों की फाइल योगी आदित्यनाथ के पास पहुंचीं attacknews.in

लखनऊ 18 दिसम्बर ।नौकरशाहों के खिलाफ उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा में आवाज बुलंद कर विधायकों को एकजुट करने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सदस्य नंद किशोर गुर्जर पर आपराधिक मामलों की रिपोर्ट सरकार को सौंपी गयी है।

आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि गाजियाबाद पुलिस ने लोनी विधायक नंदकिशोर गुर्जर की रिपोर्ट सरकार को भेजी है। श्री गुर्जर पर 12 अपराधिक मामले दर्ज हैं। हाल ही में खाद्य सुरक्षा अधिकारी से मारपीट के मामले में नामजद भाजपा विधायक नंद किशोर गुर्जर को पिछली एक दिसम्बर को पार्टी ने कारण बताओ नोटिस जारी किया था और सात दिन के भीतर जवाब मांगा था।

इस बीच झारखंड में चुनाव प्रचार कर लौटे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने विधायक मामले के बारे मे जानकारी हासिल की और उचित कार्रवाई का भरोसा दिलाया।

संसदीय कार्यमंत्री सुरेश खन्ना और उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा ने श्री योगी को मंगलवार को विधानसभा में हुयी घटना की जानकारी दी। इस मौके पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह भी मौजूद रहे।

भाजपा विधायक का आरोप, भ्रष्ट हैं अधिकारी

उत्तर प्रदेश राज्य विधानसभा में पुलिस उत्पीड़न को लेकर धरने पर बैठने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सदस्य नंद किशोर गुर्जर ने राज्य में भ्रष्टाचार बढने का आरोप लगाकर योगी सरकार को सकते में डाल दिया।

गाजियाबाद में लोनी के विधायक ने मंगलवार को अधिकारियो पर उत्पीडन का आरोप लगाते हुये धरना दिया था।

गुर्जर ने बुधवार को कहा कि अधिकारी विकास कार्यो के लिये मिलने वाले धन में कमीशन लेते है और कमीशन की दरें बढकर अब 22 फीसदी के करीब पहुंच गयी है। भाजपा सदस्य के वक्तव्य के दौरान विपक्ष ने शर्म करो शर्म करो के नारे लगाये।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाजपा विधायक के बयान को लेकर कहा कि उन्हे प्रसन्नता है कि विपक्ष उनकी पार्टी के समर्थन में आगे आया है।

उन्होने कहा “ मै संपूर्ण विपक्ष का भाजपा में शामिल होने का स्वागत करता हूं। ”

विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन मंगलवार को सरकार के लिये असहज स्थिति हो गयी थी जब गुर्जर के समर्थन में समूचा विपक्ष आ गया था और बाद में भाजपा के भी करीब 50 सदस्य धरने पर बैठ गये थे। उनका कहना था कि जनप्रतिनिधियों की अफसर नहीं सुनते है और उनका उत्पीडन करते हैं।

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के छात्रों को निष्कासित करने का मामला विधानसभा में गूंजा attacknews.in

भोपाल, 18 दिसंबर । मध्यप्रदेश विधानसभा में आज मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों का मुद्दा उठाते उनके खिलाफ की गयी कार्रवाई को वापस लेने की मांग की।

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने शून्यकाल के दौरान यह मामला उठाते हुए आरोप लगाया कि विद्यार्थियों के खिलाफ पहले प्राथमिकी दर्ज करायी गयीं और अब 23 को निष्कासित कर दिया गया है।

श्री चौहान ने इस कार्रवाई का विरोध करते हुए कहा कि विद्यार्थियों के खिलाफ की गयी कार्रवाई को वापस लिया जाना चाहिए।

संसदीय कार्य मंत्री डॉ गोविंद सिंह ने कहा कि सरकार पूरी तरह से छात्रों के साथ हैं और घटनाक्रम से जुड़ी जानकारियां विश्वविद्यालय से मंगायी जा रही है। उन्होंने सदन को भरोसा दिलाया कि विद्यार्थियों के हितों का संरक्षण किया जाएगा।

छात्रों का निष्कासन निरस्त किया जाये-एनएसयूआई

भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (एनएसयूआई) ने आज यहां माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय प्रशासन को ज्ञापन सौंपकर छात्रों का निष्कासन निरस्त करने की मांग की।

एनएसयूआई के प्रदेश सचिव अभिमन्यु तिवारी के नेतृत्व में छात्रों ने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय के प्रशासन को ज्ञापन सौपा।

ज्ञापन में कहा गया कि छात्रों को प्रदर्शन का तरीका या अपनी बात रखने का तरीका गलत हो और छात्रों द्वारा उठाया गया मुद्दा भी वाजिब या गैर वाजिब हो सकता है यह भी जांच पड़ताल का विषय है, किन्तु छात्रो के साथ हुए निष्कासन का हम विरोध करते हैं। छात्रों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए आदेश पर सहानुभूति पूर्वक विचार कर छात्रों के निष्कासन को निरस्त किया जाये एवं इन छात्रों पर विश्वविद्यालय की शिकायत पर पुलिस द्वारा जो कार्यवाही की गई है उसे भी विश्वविद्यालय द्वारा वापस लिया जाये।

माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के 23 विद्यार्थी निष्कासित

कल के घटनाक्रम में मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय परिसर में हाल में घटित घटनाक्रम के मद्देनजर 23 विद्यार्थियों को निष्कासित कर दिया गया।

विश्वविद्यालय प्रशासन के अनुसार विश्वविद्यालय परिसर में हाल में प्रदर्शन आदि की घटनाओं के मद्देनजर एक समिति ने संपूर्ण मामले की जांच की। इन घटनाओं के वीडियो फुटेज और इससे जुड़े घटनाक्रमों के आधार समिति ने अपनी रिपोर्ट पेश की। इसके मद्देनजर 23 विद्यार्थियों को निष्कासित कर दिया गया।

दिल्ली पुलिस ने CAA के विरोध में भड़की हिंसा पर मीडिया कंपनियों से मांगी अफवाह फैलाने वालों की जानकारी attacknews.in

नयी दिल्ली, 18 दिसम्बर । जामिया मिल्लिया विश्वविद्यालय और जाफराबाद तथा सीलमपुर में हुए हिंसक प्रदर्शनों पर सख्त रूख अपनाते हुए दिल्ली पुलिस ने व्हाट्सएप सहित विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म से अफवाह फैलाने वालों तथा फेक वीडियो डालने वाले लोगों की जानकारी देने को कहा है।

पुलिस विरोध प्रदर्शन के दौरान ड्रोन की फुटेज के विश्लेषण और अन्य एजेन्सियों की मदद से भी विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा करने और लोगों को उकसाने वालों की पहचान कर रही है।

गृह मंत्रालय के सूत्रों ने आज यहां बताया कि दिल्ली पुलिस सोशल मीडिया पर खुद भी कड़ी निगरानी रख रही है और सोशल मीडिया कंपनियों को भी आपत्तिजनक पोस्ट और वीडियो पर नजर रखने को कहा गया है।

उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया के आपत्तिजनक पोस्ट और वीडियो को खंगाला जा रहा है जिससे कि दोषियों की पहचान की जा सके। लोगों को उकसाने और भ्रमित करने वाले पोस्ट कौन भेज रहा है इसका भी पता लगाया जा रहा है। इस मामले में कुछ लोगों की पहचान कर ली गयी है तथा अन्य की प्रक्रिया जारी है। उन्होंने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी।

सूत्रों ने बताया कि राजधानी में ड्रोन की मदद से विभिन्न क्षेत्रों पर नजर रखी जा रही है और ड्रोन से ली गयी तस्वीरों और वीडियो की फुटेज का गहन विश्लेषण किया जा रहा है जिससे कि दोषियों का पता लगाकर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सके। उन्होंने यह बताने से इंकार कर दिया कि इस काम में कितने ड्रोन की मदद ली जा रही है। इसके अलावा प्रभावित क्षेत्रों में लगे सीसी टीवी की फुटेज का भी विश्लेषण किया जा रहा है।

उन्होंने कहा कि राजधानी में आज स्थिति शांतिपूर्ण तथा नियंत्रण में है। कहीं से भी हिंसा की खबर नहीं है। पूर्वोत्तर दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में एहतियात के तौर पर धारा 144 लगायी गयी है। इनमें हर्ष विहार और सोनिया विहार आदि कुछ क्षेत्र शामिल हैं। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी लोगों और शांति समितियों से मिल कर बात कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि जामिया में मार्ग संख्या 13 पर आज भी कुछ लोगों ने एकत्र होकर विरोध प्रदर्शन किया। जाफराबाद और सीलमपुर तथा ब्रजपुरी में हुए प्रदर्शनों के सिलसिले में कुल तीन मामले दर्ज किये गये हैं और 8 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस ने लोगों से अफवाहों से सतर्क रहने और दुष्प्रचार से दूर रहने की अपील करते हुए शांति बनाये रखने में मदद करने की अपील की है।

जामिया हिंसा में पुलिस फायरिंग का वीडियो वायरल:

नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ न्यू फ्रेंड्स कालोनी और जामिया विश्वविद्यालय के पास हुई हिंसक झड़पों में पुलिस की ओर से गोली चलाए जाने का वीडियो वायरल हो रहा है।

दक्षिण पूर्वी दिल्ली के पुलिस उपायुक्त चिन्मय विश्वाल ने कहा कि वीडियो की जांच करने के बाद ही किसी निर्णय पर पहुंच सकते है। रविवार को हुई हिंसा के बाद से ही लगातार पुलिस पर गोली चलाने का आरोप लगाया जा रहा है लेकिन पुलिस गोलीबारी की घटना को सिरे से खारिज करती रही है।

पुलिस के द्वारा गोली चलाये जाने का मामला उस समय सामने आया जब जब होली फैमिली में इलाज करा रहे एक घायल की रिपोर्ट में यह बात सामने आई हालांकि बाद में डॉक्टरों ने कहा कि इलाज के शुरुआत में मरीज के द्वारा जो लिखवाया जाता है उसे ही रिपोर्ट में लिखा जाता है।

वायरल वीडियो में तीन पुलिसकर्मी भीड़ के पथराव से बचने का प्रयास कर रही है और इसी दौरान एक पुलिसकर्मी अपनी पिस्तौल से फायरिंग कर रहा है।
जामिया में रविवार को हुई हिंसक झड़पों में घायल कम से कम तीन लोगों का दावा है कि उन्हें गोली लगी है, लेकिन दिल्ली पुलिस लगातार दावा कर रही है कि लोगों के प्रदर्शन के दौरान उन्होंने किसी तरह की फ़ायरिंग नहीं की थी।

इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने भी दिल्ली पुलिस का बचाव करते हुए मंगलवार को कहा कि उस दिन पुलिस ने किसी प्रकार की गोलीबारी या फायरिंग नहीं की।

दिल्ली हाईकोर्ट जामिया हिंसा पर तथ्य अन्वेषण समिति के जांच की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई को राजी attacknews.in

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर । दिल्ली उच्च न्यायालय जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में हुई हिंसा की घटना की जांच के लिए तथ्य अन्वेषण समिति गठित करने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए बुधवार को सहमत हो गया।

याचिका अधिवक्ता रिजवान ने मुख्य न्यायाधीश डी.एन. पटेल और न्यायमूर्ति रेखा पल्ली की पीठ के समक्ष पेश की। अदालत ने इसे बृहस्पतिवार के लिए सूचीबद्ध करने की इजाजत दी।

याचिका में आरोप लगाया गया कि दिल्ली पुलिस ने कानून-व्यवस्था को बहाल करने के नाम पर ‘‘जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के छात्रों, खासकर छात्राओं के खिलाफ मनमाने, अत्यधिक, भेदभावपूर्ण तथा गैरकानूनी तरीके से बल प्रयोग किया।’’

इसमें आगे कहा गया कि छात्र और शिक्षक संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे थे लेकिन पुलिस ने इसे रोकने के लिए ‘‘अन्यायपूर्ण, अत्यधिक, मनमाना और बर्बर बल प्रयोग किया।’’

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा था कि हिंसा से संबंधित याचिकाएं संबद्ध उच्च न्यायालयों में लगाई जाएं जिसके बाद यह याचिका दिल्ली उच्च न्यायालय में लगाई गई।

इसमें मांग की गई कि जब तक पैनल अपनी रिपोर्ट न दे दे, तब तक हिंसा के मामलों में छात्रों के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की जाए और जो शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं उनमें कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाए।

याचिका में पुलिस को निर्देश देने की मांग की गई है कि वह संबद्ध अधिकारियों की इजाजत के बगैर विश्वविद्यालय परिसरों में प्रवेश न करें।

इस याचिका में छात्रों पर कथित रूप से गोली चलाने समेत पुलिस की कार्रवाई की न्यायिक जांच की मांग की गई है। इसमें घायल छात्रों को उचित चिकित्सकीय उपचार और मुआवजा देने की भी मांग की गई है।

अधिकारियों ने बताया कि संशोधित नागरिकता कानून के विरोध में जामिया विश्वविद्यालय के निकट न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच झड़प हो गई थी। इसमें प्रदर्शनकारियों ने चार सरकारी बसों और पुलिस के दो वाहनों को आग लगा दी थी। इस घटना में छह पुलिसकर्मी और दो दमकलकर्मी घायल हो गए थे।

यह घटना जामिया विश्वविद्यालय के छात्रों के प्रदर्शन के दौरान हुई। हालांकि छात्र संघ ने बाद में कहा कि हिंसा और आगजनी से उनका कोई लेनादेना नहीं है और प्रदर्शन में गड़बड़ी फैलाने के लिए कुछ तत्व इसमें घुस आए थे।

नागरिकता संशोधन कानून पर रोक नहीं लगाएगा सुप्रीम कोर्ट,केंद्र को जागरूकता फैलाने पर विचार करने को कहा attacknews.in

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर ।उच्चतम न्यायालय ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 के खिलाफ याचिकाओं पर केंद्र सरकार से बुधवार को जवाब तलब किया, हालांकि उसने इस कानून पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया। मामले की अगली सुनवाई 22 जनवरी को होगी।

मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की खंडपीठ ने नागरिकता (संशोधन) अधिनियम 2019 को चुनौती देने वाली कम से कम 59 याचिकाओं की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा।

न्यायालय ने नोटिस के जवाब के लिए जनवरी 2020 के दूसरे सप्ताह तक का समय दिया।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश, तृणमूल कांग्रेस की संसद महुआ मोइत्रा और अन्य नेताओं, निजी और गैर सरकारी संगठनों की ओर से पेश हो रहे वकीलों का वह अनुरोध ठुकरा दिया जिसमें इस कानून पर रोक लगाने की मांग की गई थी।

सीएए के बारे में जागरूकता फैलाने पर विचार करे केन्द्र : शीर्ष न्यायालय

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को केन्द्र से कहा कि वह नागरिकता संशोधन कानून के बारे में फर्जी खबरों पर अंकुश पाने के लिए इस कानून के विवरण और उद्देश्यों को प्रचारित प्रसारित करने पर विचार करे।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने नागरिकता संशोधन कानून की संवैधानिक वैधता पर विचार करने का निश्चय करते हुये भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय के इस कथन पर भी गौर किया कि वह कानून के खिलाफ नहीं है। किंतु चाहते हैं कि इसके बारे में नागरिकों को जागरूक बनाने का निर्देश केन्द्र को दिया जाये।

उपाध्याय ने दावा किया, ‘‘मैं जामिया और सीलमपुर कल गया था। प्रदर्शनकारियों में से 95 फीसदी को नागरिकता संशोधन कानून के बारे में जानकारी नहीं थी। वे समझते हैं कि कानून उनकी नागरिकता वापस ले लेगा। शरारती तत्व फर्जी खबरें फैला रहे हैं।’’

पीठ ने न्यायालय में उपस्थित अटार्नी जनरल से कहा कि यह अनुरोध थोड़ा हटकर है, लेकिन महत्वपूर्ण है। क्या आपको न्यायालय के आदेश की आवश्यकता है?

केन्द्र की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने इस कथन से सहमति व्यक्त की और कहा, ‘‘इस न्यायालय के आदेश की आवश्यकता नहीं है। मुझे ऐसा करने में बहुत प्रसन्नता होगी। यह बहुत ही आवश्यक है। इसे लेकर तमाम गलतफहमी हैं।’’

इससे पहले, न्यायालय बुधवार को इस कानून के उद्देश्यों और इसके लाभ के बारे में जनता को जागरूक करने और फर्जी खबरों पर अंकुश के लिये केन्द्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल सरकारों को निर्देश देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत हो गया था।

मुख्तार अब्बास नकवी ने नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वालों को जनतंत्र से परास्त गुण्डातंत्र कहा attacknews.in

नयी दिल्ली, 18 दिसम्बर ।अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने बुधवार को कहा कि जनतंत्र से परास्त लोग ‘गुंडातंत्र’ के जरिए देश के सौहार्द और विश्वास के माहौल को नुकसान पहुंचाने की साजिश कर रहे हैं जिसे जनतंत्र और सौहार्द की ताकत से परास्त करना होगा।

श्री नकवी ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की ओर से यहां आयोजित अल्पसंख्यक दिवस कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि नागरिकता कानून से किसी भारतीय नागरिक की नागरिकता पर कोई प्रश्न चिह्न या खतरा नहीं है। हमें ‘दुष्प्रचार के दानवों’ से होशियार रहना चाहिए। नागरिकता कानून नागरिकता देने के लिए है, नागरिकता छीनने के लिए नहीं। देश में अल्पसंख्यक तरक्की के बराबर के हिस्सेदार हैं।

भय और भ्रम का भूत खड़ा कर अफवाहों से अमन को अगवा करने की कोशिश: नकवी

श्री नकवी ने बुधवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर भय और भ्रम का भूत खड़ा कर अफवाहों से अमन को अगवा करने की कोशिश की जा रही है।

समाचार टेलीविजन चैनल न्यूज-18 के चौपाल कार्यक्रम में आज श्री नकवी एक महिला की दास्तां सुनकर भावुक हो गए और कहा नागरिकता कानून के नाम भय और भ्रम का भूत खड़ा कर अफवाहों से अमन को अगवा करने की कोशिश की जा रही है ।

श्री नकवी ने कहा कि सुबह एक बुजुर्ग महिला मिलने आई तो दुआएं दी । महिला ने कहा कि वह हज गई थी तो नरेंद्र मोदी के लिए दुआएं की । इसके बाद भावुक हुए श्री नकवी ने कहा,“ महिला ने कहा मैं इसी मुल्क में पैदा हुई। यही दफन हो जाऊंगी। कांग्रेस के लोग क्यों कह रहे हैं कि तुम्हें मुल्क छोड़कर जाना पड़ेगा । ”

श्री नकवी ने कहा कि उन्होंने महिला को आश्वस्त किया कि मुल्क का मुसलमान कहीं नहीं जायेगा।

केंद्रीय मंत्री ने कहा जब से केंद्र की सत्ता में श्री मोदी जी आए हैं तब से हताश-निराश आत्माएं उनके प्रयासों का विरोध कर रही हैं। उन्होंने कांग्रेस पर तेज हमला करते हुए कहा कि जनतंत्र को गुंडातंत्र में बदलने की कोशिश हो रही है , जनतंत्र से हारे लोग ऐसी कोशिश कर रहे हैं, जनता कभी उन्हें माफ नहीं करेगी ।

जयपुर में 2008 में सीरियल बम धमाकों में 70 से अधिक मौतों के जिम्मेदार सैफ,सरवर,सलमान एवं सैफुर्रहमान को कोर्ट ने दोषी ठहराया,सजा बाद में attacknews.in

जयपुर 18 दिसम्बर । राजस्थान की राजधानी जयपुर में विशेष अदालत ने श्रृंखलाबद्ध बम विस्फोट मामले में आज चार आतंकवादियो को दोषी करार दिया जबकि एक आरोपी को बरी कर दिया।

न्यायाधीश अजय कुमार शर्मा (प्रथम) ने यह फैसला सुनाया। अदालत ने जिन आरोपियों को दोषी करार दिया उनमें आरोपी मोहम्मद सैफ, मोहम्मद सरवर आजमी, सैफुर्रहमान एवं सलमान खान शामिल हैं जबकि ओरापी शाहबाज हुसैन को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया। शाहबाज पर ई मेल करने का आरोप था और वह धमाकों के दौरान जयपुर आया ही नहीं, इसलिए अदालत ने उसे संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया ।

इससे पहले कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच पांचों आरोपियों को अदालत में पेश किया गया। दोषी करार इन लोगों को सजा बाद में सुनाई जायेगी।

उल्लेखनीय हैकि 13 मई 2008 जयपुर के परकोटे में एक के बाद एक आठ धमाके किये गये जिनमें सत्तर से अधिक लोगों की मौत हुई और 180 से अधिक लोग घायल हो गये थे। इस हमले में कुल 13 आरोपी शामिल थे। इनमें पांच आरोपियों पर यह फैसला आया है। इस मामले में तीन आरोपी अब तक फरार हैं जबकि दो आरोपी बाटला हाउस मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं।

मध्यप्रदेश सरकार ने 1 साल में लिया 19 हजार करोड़ रुपये का ॠण;मंत्री को विधानसभा अध्यक्ष ने फटकारा attacknews.in

भोपाल, 18 दिसंबर । मध्यप्रदेश विधानसभा में आज वित्त वर्ष 2019-20 के पहले अनुपूरक बजट को पेश किया गया, जिसमें 23 हजार तीन सौ उन्नीस करोड़ रूपयों से अधिक धनराशि का प्रावधान किया गया है।

वित्त मंत्री तरुण भनोत की ओर से पेश किए गए अनुपूरक बजट में प्राकृतिक आपदाओं एवं सूखाग्रस्त क्षेत्रों में राहत पर व्यय के लिए सबसे अधिक तेरह हजार तीन सौ 85 करोड़ रूपयों का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा ऊर्जा के क्षेत्र में दो हजार एक सौ 30 करोड़ रूपयों का और लोक निर्माण कार्य (सड़कें और पुल) के लिए लगभग छह सौ करोड़ रूपयों का प्रावधान किया गया है।

अनुपूरक बजट में उच्च शिक्षा के लिए 226 से अधिक करोड़ रूपयों का और स्कूल शिक्षा (प्रारंभिक शिक्षा) के लिए लगभग 1600 करोड़ रूपयों का बजट प्रावधान किया गया है।

अनुपूरक बजट पर चर्चा सदन में गुरूवार को होगी और इसके बाद इसके पारित होने की संभावना रहेगी।

एक साल में लगभग 19 हजार करोड़ रुपयों का ऋण लिया मध्यप्रदेश सरकार ने:

मध्यप्रदेश विधानसभा में आज वित्त मंत्री तरुण भनोत ने कहा कि राज्य सरकार ने एक वर्ष के दौरान अठारह हजार आठ सौ दस करोड़ रुपयों का ऋण लिया है।

श्री भनोत ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य भूपेंद्र सिंह के सवाल के लिखित जवाब में यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने दिसंबर 2018 से 04 दिसंबर 2019 तक 21 बार में कुल 18 हजार आठ सौ दस करोड़ रुपयों का बाजार ऋण लिया है। बाजार ऋण के अतिरिक्त अन्य ऋणों के संबंध में महालेखाकार से अंकेक्षित आंकड़े प्राप्त नहीं हुए हैं।

उन्होंने बताया कि किसान कर्जमाफी सहित सभी योजनाओं के लिए बजट प्रावधान वर्ष 2019-20 के बजट में किया गया है। फसल ऋण माफी योजना के लिए 8000 करोड़ रुपयों का बजटीय प्रावधान किया गया है। उन्होंने कहा कि आकस्मिक निधि तथा रिजर्व फंड के नियमों में हाल में कोई संशोधन नहीं किए गए हैं। निराश्रित निधि में संशोधन करने की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।

अब सिंचाई पंचायतों का कार्यकाल 5 वर्ष होगा:

विधानसभा ने आज मध्यप्रदेश सिंचाई प्रबंधन में कृषकों की भागीदारी (द्वितीय संशोधन) विधेयक 2019 सर्वसम्मति से पारित कर दिया।

जल संसाधन मंत्री हुकुम सिंह कराड़ा ने यह विधेयक विधानसभा में आज ही प्रस्तुत किया था। बाद में इस पर चर्चा भी हुयी। चर्चा उपरांत इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया गया।

किसान कर्जमाफी को लेकर भाजपा ने किया बहिर्गमन:

मध्यप्रदेश विधानसभा में आज किसान कर्जमाफी के मुद्दे पर सत्तारूढ़ दल और विपक्षी सदस्यों के बीच नोंकझोंक की स्थिति के बीच विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्यों ने सरकार के उत्तर पर असंतोष जताते हुए बहिर्गमन किया।

प्रश्नकाल के दौरान भाजपा के विश्वास सारंग ने होशंगाबाद जिले में किसानों की कर्जमाफी का मुद्दा उठाते हुए आरोप लगाया कि सरकार ने अपने वादे के अनुरूप किसानों के कर्ज माफ नहीं किए हैं।

सहकारिता मंत्री डॉ गोविंद सिंह ने कहा कि सरकार ने किसानों के कर्ज माफ किए हैं और शेष किसानों के कर्ज भी माफ किए जाएंगे। इसकी प्रक्रिया चल रही है।

इस बात को लेकर विपक्षी दल के सदस्य एकसाथ बोलने लगे। वहीं सत्तारूढ़ दल के सदस्यों ने भी विपक्षी दल के सदस्यों की बातों का प्रतिकार किया। दोनों पक्षों के सदस्यों के एकसाथ बोलने पर सदन में शोरगुल बढ़ गया और एक अवसर पर साफतौर पर कुछ भी सुनायी नहीं दिया।

अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने सदस्यों को किसी तरह शांत कराया। इसके बाद मंत्री डॉ सिंह ने विस्तार से उत्तर देना प्रारंभ किया। विपक्षी दल के सदस्य एक बार फिर एकसाथ बोलने लगे। विपक्ष के नेता गोपाल भार्गव ने कहा कि सरकार ने किसानों के दो लाख रुपयों तक के कर्ज माफ करने का वादा किया था, लेकिन इस पर अमल नहीं किया जा रहा है। उन्होंने सरकार के किसान विरोधी होने का भी आरोप लगाया। इसके साथ ही श्री भार्गव की घोषणा पर भाजपा सदस्यों ने सदन से बहिर्गमन किया।

प्रजापति ने दी मंत्री तोमर को चेतावनी:

मध्यप्रदेश विधानसभा में आज अध्यक्ष एन पी प्रजापति ने प्रश्नकाल के दौरान व्यवधान उत्पन्न करने के कारण खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर को चेतावनी दी।

प्रश्नकाल के दौैरान पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मुख्यमंत्री मेधावी छात्रवृत्ति योजना को लेकर पूरक प्रश्र किए। इसी दौरान श्री तोमर अपने स्थान पर खड़े होकर तीखे तेवर दिखाकर बोलने लगे। अध्यक्ष ने मंत्री से शांत रहने के लिए कहा। बार बार के अनुरोध के बावजूद मंत्री शांत नहीं हुए। इस पर अध्यक्ष ने श्री तोमर को चेतावनी देते हुए कहा कि उनके चेहरे और भाषा के जो भाव हैं, वह उचित नहीं हैं। यह सदन है, कोई सभा नहीं है।

श्री प्रजापति ने इस दौरान कहा कि यह उनके लिए अंतिम चेतावनी है। अध्यक्ष ने संसदीय कार्य मंत्री से मंत्रियों को व्यवस्थित करने के लिए भी कहा। इसी प्रश्र के दौरान कुछ देर के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों के बीच आरोप प्रत्यारोप और नोंकझोंक भी चली।

इसके पहले श्री चौहान ने आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री मेधावी छात्रवृत्ति योजना के तहत उच्च शिक्षा के लिए संबंधित विद्यार्थियाें को मदद मुहैया नहीं करायी जा रही है। उन्होंने इस संबंध में सरकार से सवाल भी किए।

दिल्ली और सीलमपुर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसा भड़काने में कांग्रेस के पूर्व विधायक और अन्य नेता समेत 15 गिरफ्तार attacknews.in

नयी दिल्ली 18 दिसंबर ।नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ रविवार को न्यू फ्रेंड्स कालोनी के पास हुई हिंसक झड़पों में कांग्रेस के पूर्व विधायक आसिफ मोहम्मद खान के अलावा विश्वविद्यालय के तीन छात्र नेताओं और तीन अन्य स्थानीय नेताओं के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

जामिया नगर थाने में 16 दिसम्बर को दर्ज की गई प्राथमिकी में श्री खान के अलावा तीन स्थानीय नेताओं के भी नाम शामिल है जिनकी पहचान आशु खान, मुस्तफा और हैदर के रूप में हुई है।

जामिया के जिन छात्र नेताओं के नाम प्राथमिकी में है उनमें आईसा के चंदन कुमार, स्टूडेंड इस्लामिक आर्गेनाइजेशन (एसआईओ) के आसिफ तनहा तथा आम आदमी पार्टी की छात्र इकाई के कासिम उस्मानी शामिल हैं।

प्राथमिकी में कहा गया है कि पूर्व विधायक और आशु खान ने हिंसा से दो दिन पहले घूम घूम कर लोगों को भड़काया। हिंसा वाले दिन छात्रों के बीच घूम घूमकर नारेबाजी कर रहे थे। पुलिस ने दंगा भड़काने, आगजनी तथा सरकार के काम में बाधा डालने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की है।

श्री खान का एक वीडियो भी वायरल हुआ है जिसमें वह कह रहे हैं कि जामिया नगर के एसएचओ यहां के निवासियों में दहशत फैला रहे है।

श्री खान ने इस वीडियो में कहा कि एसएचओ साहब 15 हजार पुलिस की धमकी न दें यहां पांच लाख मुसलमान रहते हैं और जरूरत पड़ी तो हम उनका नेतृत्व करेंगे।

इन नेताओं में से किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है लेकिन इससे पहले एक अन्य प्राथमिकी में दस लोगो को सोमवार रात को गिरफ्तार किया गया था जिसमें तीन की आपराधिक पृष्ठभूमि है।

जामिया के बाहर तीसरे दिन भी प्रदर्शन जारी

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और देश भर में राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) लागू करने के प्रस्ताव के खिलाफ जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के बाहर बुधवार को तीसरे दिन भी प्रदर्शन जारी रहे।

प्रदर्शनकारियों ने विश्वविद्यालय के प्रवेश द्वार संख्या सात के बाहर भारत का एक बड़ा सा मानचित्र टांगा जिसमें उन स्थानों को चिह्वित किया गया जहां अन्य विश्वविद्यालयों के छात्र भी सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। इन प्रदर्शनकारियों में छात्र एवं स्थानीय लोग दोनों शामिल हैं।

एक और बड़े से पोस्टर में प्रदर्शनकारियों से, “बिना किसी हिंसा के इस गति को बरकरार रखने” की अपील की गई।

सीलमपुर हिंसा मामले में आठ गिरफ्तार

दिल्ली पुलिस ने सीलमपुर में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में प्रदर्शन के बाद हुई हिंसा के संबंध में बुधवार को दो और लोगों को गिरफ्तार किया, जिससे मामले में गिरफ्तार लोगों की संख्या बढ़कर आठ हो गई है।

पुलिस इस संबंध में पहले ही छह लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है।

इस संबंध में मंगलवार को प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

इससे पहले राष्ट्रीय राजधानी के सीलमपुर इलाके में नागरिकता (संशोधन) कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया और उत्तर-पूर्वी जिले में धारा 144 भी लगा दी गई है।

पुलिस के अनुसार मामले में कल तक छह लोगों को गिरफ्तार किया गया । इस बीच पुलिस हिंसक गतिविधियों में संलिप्त और लोगों की पहचान करने की कोशिश कर रही है।

उत्तर पूर्वी जिला पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यूनीवार्ता को बताया कि सीलमपुर जफराबाद हिंसा मामले में पांच लोगों तथा ब्रिजपुरी हिंसा मामले में एक गिरफ्तारी हुई है। इनमें से कुछ लोग आपराधिक पृष्ठभूमि के हैं।

उन्होंने कहा कि हिंसा में शामिल अन्य लोगों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।

पुलिस ने हिंसा भड़काने, तोड़फोड़ करने तथा सरकारी काम में रुकावट डालने के मामलों में अलग-अलग थानों में तीन प्राथमिकी दर्ज की हैं।

दिल्ली के सीलमपुर में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन हुआ था हिंसक:

कल के घटनाक्रम में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ उत्तर पूर्व दिल्ली के सीलमपुर इलाके में हो रहे प्रदर्शन ने मंगलवार को हिंसक रूप ले लिया, जहां स्थानीय लोगों ने कई मोटरबाइकों को आग लगा दी, पुलिस पर पथराव किया और कई बसों को नुकसान पहुंचाया।

प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया।

कम से कम दो मोहल्लों से धुएं का गुबार उठता दिखा।

पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने यातायात पुलिसकर्मियों की दो बाइकों को जला दिया। साथ ही इलाके में एक पुलिस बूथ को भी नुकसान पहुंचाया गया।

हिंसा के बाद से भारी संख्या में पुलिसकर्मियों को वहां तैनात किया गया है ।

इस संबंध में एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया था कि सीलमपुर टी प्वाइंट पर लोग एकत्र हुए और दोपहर करीब बारह बजे विरोध प्रदर्शन शुरू हुआ। प्रदर्शनकारी सीलमपुर से जाफराबाद की ओर बढ़ रहे थे।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक प्रदर्शन दोपहर 12 बजे के करीब शुरू हुए थे। प्रदर्शनकारियों ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए), राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) और सरकार के विरोध में नारे लगाए।

सीलमपुर चौक पर सुरक्षाकर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को आगे बढ़ने से रोकने की कोशिश की तब उनके बीच संघर्ष हुआ।

जाफराबाद थाने के बाहर भी प्रदर्शन हुआ और पुलिस के खिलाफ नारे लगाए गए।

यह हिंसा ऐसे समय में हो रही है, जब दो दिन पहले ही जामिया मिल्लिया इस्लामिया के पास दक्षिणी दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी इलाके में प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी।

बसपा ने की राष्ट्रपति से सीएए वापस लेने, छात्रों पर पुलिस कार्रवाई की न्यायिक जांच की मांग:

बसपा सांसदों ने संशोधित नागरिकता क़ानून (सीएए) को विभाजनकारी बताते हुए बुधवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से इसे वापस लेने तथा इसका विरोध करने वालों के ख़िलाफ़ कथित पुलिस कार्रवाई की न्यायिक जाँच कराने की माँग की है।

राज्यसभा में बसपा संसदीय दल के नेता सतीश मिश्रा और लोकसभा में पार्टी के नेता दानिश अली की अगुवाई में पार्टी सांसदों के प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति से मुलाक़ात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। मुलाक़ात के बाद अली ने बताया कि लोकसभा और राज्यसभा में बसपा के 13 सांसदों के हस्ताक्षर वाला ज्ञापन राष्ट्रपति को सौंप कर यह माँग की गई है।

उन्होंने कहा, “हमने राष्ट्रपति को बताया कि पार्टी अध्यक्ष मायावती ने सीएए सम्बंधी विधेयक संसद में पेश किए जाने से पहले ही इसे देश के लिए विभाजनकारी बताते हुए आगाह किया था। उन्होंने कहा था कि इसे जनता स्वीकार नहीं करेगी। इस क़ानून को लेकर आज देशव्यापी आंदोलनों के कारण उपजे हालात ने हमारी नेता की आशंका को सही साबित किया है।”

अली ने कहा कि पार्टी सांसदों ने राष्ट्रपति को बताया कि बसपा अध्यक्ष मायावती ने मंगलवार को भी सीएए को विभाजनकारी बताते हुए इसे वापस लेने की माँग की है।

उन्होंने कहा कि देश के मौजूदा हालात के मद्देनज़र बसपा सांसदों ने राष्ट्रपति से सरकार को सीएए वापस लेने का निर्देश देने की माँग की।

पार्टी ने राष्ट्रपति से दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, उत्तर प्रदेश में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय और लखनऊ के नदवा कॉलेज सहित देश के अन्य इलाक़ों में इस क़ानून के विरोध में किए गए आंदोलन के दौरान पुलिस की कथित कार्रवाई की उच्च स्तरीय न्यायिक जाँच की मांग भी की।

पार्टी सांसदों ने 15 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया विवि में दिल्ली पुलिस द्वारा बिना इजाज़त के प्रवेश कर पुस्तकालय में पढ़ रहे छात्रों पर कथित लाठीचार्ज को ग़ैरक़ानूनी बताते हुए इसके ख़िलाफ़ उचित कार्रवाई करने की भी राष्ट्रपति से माँग की है।

प्रतिनिधिमंडल में लोकसभा में बसपा संसदीय दल के नेता दानिश अली और निचले सदन में पार्टी के अन्य सदस्य और मिश्रा सहित चारों राज्यसभा सदस्य भी शामिल थे

सिर्फ तीन देशों के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का अधार बताए सरकार: कांग्रेस

कांग्रेस ने नागरिकता (संशोधन) कानून (सीएए) को समान नागरिक होने के संवैधानिक सिद्धांत के विरुद्ध बताते हुए कहा है कि सरकार बताए कि उसने सिर्फ तीन देशों के अल्पसंख्यकों को ही इस कानून के दायरे में लाने का निर्णय किस आधार पर लिया है।

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने बुधवार को यहां पार्टी की नियमित प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि इस कानून का देशभर में विरोध हो रहा है और कई जगह हिंसक घटनाएं भी हुई हैं। सरकार सिर्फ तीन देशों पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने के लिए इस गैर संवैधानिक कानून के लाने का आधार नहीं बता रही है, इसलिए लोग इस कानून का विरोध कर रहे हैं।

दिल्ली का अमन चैन बिगाड़ने की कोशिश: तिवारी

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने मंगलवार को आरोप लगाया है कि राजधानी में साजिश के तहत अमन-चैन बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है और झूठा वीडियो प्रसारित करने के लिए उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया जाना चाहिए।

श्री तिवारी ने समाचार चैनल टी 18 के चौपाल कार्यक्रम में कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार देश के अल्पसंख्यकों को एक खरोंच भी नहीं आने देगी। उन्होंने कहा कि नागरिकता (संशोधन) कानून (सीएए) दूसरे देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों के लिए लाया गया है।

निर्भया के बलात्कारियों को मौत की सजा की पुष्टि सुप्रीम कोर्ट ने की,अब तिहाड़ जेल प्रशासन दोषियों से आगे और कानूनी कार्रवाई करने के बारे में आखिरी बार पूछेगा attacknews.in

नयी दिल्ली, 18 दिसंबर ।उच्चतम न्यायालय ने निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में चार दोषियों में से एक की मौत की सजा की पुष्टि करते हुये बुधवार को 2017 के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दायर याचिका खारिज कर दी।

मुजरिम अक्षय कुमार सिंह की पुनर्विचार याचिका खारिज होने के साथ ही अब निर्भया मामले में मौत की सजा का फैसला बरकरार रखने के शीर्ष अदालत के निर्णय के खिलाफ चारों दोषियों की पुनर्विचार याचिकायें खारिज हो गयी हैं।

इन दोषियों के पास अभी सुधारात्मक याचिका दायर करने का एक अंतिम कानूनी विकल्प उपलब्ध है। न्यायाधीश सामान्यतया इस तरह की याचिकाओं पर अपने चैंबर में ही विचार करते हैं।

शीर्ष अदालत ने पिछले साल नौ जुलाई को मौत की सजा बहाल रखने के फैसले पर पुनर्विचार के लिये दोषी मुकेश कुमार, पवन गुप्ता और विनय शर्मा की याचिकायें खारिज कर दी थीं।

न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने अक्षय की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुये अपने 20 पन्नों के फैसले में कहा कि 2017 के शीर्ष अदालत के निर्णय में कोई ऐसी खामी नहीं है जिसकी वजह से उस पर फिर से विचार किया जाये।

पीठ ने कहा, ‘‘पुनर्विचार याचिका बार-बार सारे साक्ष्यों की विवेचना के लिये फिर से अपील पर सुनवाई करना नहीं है। कोई पक्षकार अपील पर फिर से सुनवाई और नये निर्णय के लिये फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध करने का हकदार नहीं है।’’

पीठ ने कहा, ‘‘सारी परिस्थितियों और यह मामला ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ श्रेणी में आने के मद्देनजर मौत की सजा की पुष्टि की जाती है।’’

शीर्ष अदालत ने अक्षय की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करने के एक घंटे के भीतर ही अपना फैसला सुनाया। इस याचिका पर सुनवाई के दौरान निर्भया के माता-पिता भी न्यायालय में मौजूद थे।

पीठ ने पुनर्विचार याचिका में ‘कलियुग’ में व्यक्ति के मृत शरीर से बेहतर नहीं होने और दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर की वजह से जीवन छोटा होने के कारण मौत की सजा सुनाने को व्यर्थ बताने जैसे आधार रखे जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।

पीठ ने कहा कि उसे पांच मई, 2017 के फैसले के निष्कर्षों और साक्ष्यों में किसी प्रकार की कोई खामी नजर नहीं आती। पुनर्विचार याचिका में बताया गया एक भी कारण पांच मई, 2017 के फैसले पर विचार के योग्य नहीं है। इसलिए, इसे खारिज किया जाता है।

पीठ ने कहा कि अक्षय ने भी पुनर्विचार याचिका में ठीक वैसे ही आधार बताये हैं जो तीन अन्य दोषियों ने अपनी याचिकाओं में उठाये थे।

पीठ द्वारा पुनर्विचार याचिका खारिज करने का फैसला सुनाते ही मुजरिम अक्षय के वकील वकील ए. पी सिंह ने राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने के लिए तीन सप्ताह का समय मांगा।

दिल्ली सरकार की ओर से सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि कानून में दया याचिका दायर करने के लिये एक सप्ताह के समय का प्रावधान है।

पीठ ने कहा, ‘‘हम इस सबंध में कोई राय व्यक्त नहीं कर रहे हैं। यदि कानून के अनुसार याचिकाकर्ता को कोई समय उपलब्ध है तो यह याचिकाकर्ता पर निर्भर है कि वह इस समय सीमा के भीतर दया याचिका दायर करने के अवसर का इस्तेमाल करे। ’’

पीठ ने अपना निर्णय सुनाते हुये कहा कि दोषी ने एक बार फिर अभियोजन के मामले और अदालतों के निष्कर्षों को उठाया है लेकिन इसकी अनुमति नहीं दी जा सकती।

दोषी के वकील ने जांच में खामियों का मुद्दा उठाया तो पीठ ने कहा कि इन सब पर निचली अदालत, उच्च न्यायालय और शीर्ष अदालत पहले ही विचार कर चुकी है।

सिंह ने आरोपियों को गिरफ्तार करने और उनकी शिनाख्त परेड की प्रक्रिया पर भी सवाल उठाये और कहा कि मीडिया का दबाव अभी भी है। इस संबंध में उन्होंने हाल ही में तेलंगाना में सामूहिक बलात्कार और हत्या के आरोपियों की मुठभेड़ का भी जिक्र किया।

इससे पहले, दिल्ली सरकार की ओर से अदालत में याचिका का विरोध करते हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ से कहा कि कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिनमें ‘‘मानवता रोती’’ है और यह मामला उन्हीं में से एक है।

मेहता ने कहा था, ‘‘ कई ऐसे अपराध होते हैं जहां भगवान बच्ची (पीड़िता) को ना बचाने और ऐसे दरिंदे को बनाने के लिए शर्मसार होते होंगे। ऐसे अपराधों में मौत की सजा को कम नहीं करना चाहिए। ’’

उन्होंने यह भी कहा कि जो होना तय है उससे बचने के लिए निर्भया मामले के दोषी कई प्रयास कर रहे हैं और कानून को जल्द अपना काम करना चाहिए।

वहीं, दोषी की ओर से पेश हुए वकील ए. पी सिंह ने कहा था कि दिल्ली-एनसीआर में वायु और जल प्रदूषण की वजह से पहले ही लोगों की उम्र कम हो रही है और इसलिए दोषियों को मौत की सजा देने की कोई जरूरत नहीं है।

दक्षिण दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 की रात में चलती बस में छह व्यक्तियों ने 23 वर्षीय छात्रा से सामूहिक बलात्कार के बाद उसे बुरी तरह जख्मी करके सड़क पर फेंक दिया था। निर्भया की बाद में 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के माउन्ट एलिजाबेथ अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी।

इस सनसनीखेज अपराध के सिलसिले में पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार किया था। इनमें से एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी जबकि एक अन्य आरोपी नाबालिग था। इस नाबालिग आरोपी पर किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष मुकदमा चला था और उसे तीन साल तक सुधार गृह में रखा गया था।

निर्भया की मां ने दोषी की पुनर्विचार याचिका खारिज करने के फैसले का स्वागत किया:

निर्भया की मां ने दिल्ली के सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड मामले के चार में से एक दोषी की पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने के उच्चतम न्यायालय के फैसले का बुधवार को स्वागत किया।

निर्भया की मां ने कहा, “मैं इससे बहुत खुश हूं। आरोपियों के लिए फांसी का फरमान जारी करने के संबंध में पटियाला हाउस अदालत में एक सुनवाई होनी है और हमें उम्मीद है कि वह फैसला हमारे पक्ष में जाएगा।”

गौरतलब है कि इस घटना की निर्ममता के बारे में जिसने भी पढ़ा-सुना उसके रोंगटे खड़े हो गए। इस घटना के बाद पूरे देश में व्यापक प्रदर्शन हुए और महिला सुरक्षा सुनिश्चित करने को लेकर आंदोलन शुरू हो गया था।

निर्भया मामले में डेथ वारंट पर सुनवाई सात जनवरी तक टली:

दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत ने निर्भया मामले के दोषियों के डेथ वारंट पर सुनवाई सात जनवरी तक टाल दी है।

न्यायालय ने तिहाड़ जेल प्रशासन से चारों दोषियों को नोटिस जारी करने काे कहा है ताकि दोषी सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर सकें। इसे देखते हुए अब इनकी फांसी की सजा सात जनवरी तक टल गई है।

दरअसल निर्भया के माता- पिता ने न्यायालय से दोषियों को जल्द से जल्द फांसी की सजा की मांग करते हुए डेथ वारंट जारी करने की गुहार लगाई थी।
तिहाड़ जेल प्रशासन अब दोषियों को नोटिस जारी कर पूछेगा कि क्या वे नये सिरे से दया याचिका दायर करना चाहते हैं।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सतीश कुमार अरोड़ा की अदालत ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए की थी।

निर्भया मामले से जुड़े घटनाक्रम

उच्चतम न्यायालय ने निर्भया मामले में चार में से एक अभियुक्त अक्षय कुमार सिंह की मौत की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। सात साल पहले 16 दिसंबर को 23 वर्षीय एक लड़की से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले का पूरा घटनाक्रम इस प्रकार है:

-16 दिसंबर, 2012: अपने पुरुषमित्र के साथ जा रही एक पैरामेडिकल छात्रा के साथ एक बस में छह लोगों ने बर्बरता पूर्वक सामूहिक दुष्कर्म करने और बर्बर हमला करने बाद जख्मी हालत में उसे उसके दोस्त के साथ चलती बस से बाहर फेंक दिया। पीड़ितों को सफदरगंज अस्पताल में भर्ती कराया गया।

-17 दिसंबर: आरोपियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए देश भर में भारी विरोध प्रदर्शन शुरु हो गए।

  • पुलिस ने चारो आरोपियों- बस चालक राम सिंह, उसके भाई मुकेश, सहयोगी विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पहचान की।

-18 दिस‍ंबर: राम सिंह सहित चारों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया।

  • 20 दिस‍ंबर: पीड़िता के दोस्त का बयान दर्ज किया गया।
  • 21 दिस‍ंबर: दिल्ली के आनंद विहार बस अड्डे से नाबालिग आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया। पीड़िता के दोस्त ने आरोपियों में से एक मुकेश की पहचान की। छठे आरोपी अक्षय कुमार सिंह को पकड़ने के लिए हरियाणा और बिहार में छापेमारी की गई।

-21-22 दिसंबर: अक्ष्रय को बिहार के औरंगाबाद जिले से गिरफ्तार कर दिल्ली लाया गया। पीड़िता ने अस्पताल में एसडीएम के सामने अपना बयान दर्ज कराया।

-23 दिसंबर: निषेधाज्ञा की अवहेलना कर प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए। विरोध प्रदर्शन को नियंत्रित करने में दिल्ली पुलिस के सिपाही सुभाष तोमर को गंभीर चोटें आयीं।

-25 दिसंबर: पीड़िता की हालत गंभीर हो गई।

-26 दिसंबर:दिल का दौरा पड़ने के बाद पीड़िता की हालत और गंभीर हो गई जिसे देखते हुए सरकार ने पीड़िता को विमान से सिंगापुर के माउण्ट एलिजाबेथ अस्पताल में स्थानांतरित किया गया।

  • 29 दिस‍ंबर: पीड़िता ने गंभीर चोटों और शारीरिक समस्यायों से जुझते हुए सुबह 2 बजकर 15 मिनट पर दम तोड़ दिया। पुलिस ने आफआईआर में हत्या की धाराएं जोड़ दीं।
  • दो जनवरी 2013: तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश अल्तमस कबीर ने यौन उत्पीड़न मामलों की त्वरित सुनवाई के लिए त्वरित अदालत का उद्घाटन किया।

  • तीन जनवरी, 2013: पुलिस ने पांच वयस्क आरोपियों के खिलाफ हत्या, सामूहिक बलात्कार, हत्या का प्रयास, अपहरण, अप्राकृतिक यौनाचार और डकैती की धाराओं में आरोप पत्र दायर किए।

  • पांच जनवरी: अदालत ने आरोप पत्रों पर संज्ञान लिया।

  • सात जनवरी: अदालत ने बंद कमरे में सुनवाई के आदेश दिए।

  • 17 जनवरी: त्वरित अदालत ने पांचों वयस्क आरोपियों के खिलाफ सुनवाई शुरू की।

  • 28 जनवरी: किशोर न्याय बोर्ड ने कहा कि आरोपी का नाबालिग होना सबित हो चुका है।

  • दो फरवरी: त्वरित अदालत ने पांचों वयस्क आरोपियों के खिलाफ आरोप तय किए।

  • 28 फरवरी: किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी के खिलाफ आरोप तय किए।

  • -11 मार्च: राम सिंह ने तिहाड़ जेल में अत्महत्या कर ली।

    • 22 मार्च: दिल्ली उच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय मीडिया को अदालत की कार्यवाही को रिपोर्ट करने की अनुमति दी।
  • पांच जुलाई: किशोर न्याय बोर्ड में नाबालिग आरोपी के खिलाफ सुनवाई पूरी हुई। किशोर न्याय बोर्ड ने 11 जुलाई के लिए फैसला सुरक्षित कर लिया।

  • आठ जुलाई: त्वरित अदालत ने अभियोजन पक्ष के गवाहों की गवाही दर्ज की।

  • 11 जुलाई: किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को सामूहिक बलात्कार की घटना से एक रात पहले 16 दिसंबर को एक बढ़ई की दुकान में घुसकर चोरी करने का दोषी पाया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीन अन्तर्राष्ट्रीय समाचार एजेंसियों को मामले की सुनवाई को कवर करने की अनुमति दी।

  • -22 अगस्त: त्वरित अदालत में चारों वयस्क आरोपियों के मुकदमे में अंतिम दलीलों पर सुनवाई शुरू की।

    • 31 अगस्त: किशोर न्याय बोर्ड ने नाबालिग आरोपी को सामूहिक बलात्कार और हत्या का दोषी ठहराते हुए सुधार गृह में तीन साल गुजारने की सजा दी।
  • तीन सितंबर: त्वरित अदालत ने सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित कर लिया।

  • 10 सितंबर: अदालत ने मुकेश, विनय, अक्षय और पवन को सामूहिक बलात्कार, अप्राकृतिक यौनाचार और लड़की की हत्या और उसके पुरुष मित्र की हत्या का प्रयास सहित 13 अपराधों में दोषी करार दिया।

  • 13 सितंबर: अदालत ने चारों अपराधियों को मौत की सजा सुनाई।

  • 23 सितंबर: उच्च न्यायालय ने निचली अदालत द्वारा अपराधियों को मौत की सजा दिए जाने के फैसले के खिलाफ अपील पर सुनवाई शुरू की।

  • तीन जनवरी 2014: उच्च न्यायालय ने अपराधियों की याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित कर लिया।

  • 13 मार्च: उच्च न्यायालय ने चारों अपराधियों की मौत की सजा बरकरार रखी।

  • 15 मार्च: दो अभियुक्तों मुकेश और पवन की याचिका पर उच्चतम न्यायलय ने सजा पर रोक लगा दी। बाद में सभी अभियुक्तों की सजा पर रोक लगा दी गई।

  • -15 अप्रैल: उच्चतम न्यायलय ने पुलिस से पीड़िता द्वारा मृत्यु पूर्व दिये गए बयान को पेश करने के लिए कहा।

    • तीन फरवरी 2017: उच्चतम न्यायालय ने कहा कि अभियुक्तों की मौत की सजा पर फिर से सुनवाई होगी।
  • 27 मार्च: उच्चतम न्यायालय ने दोषियों की याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया।

  • पांच मई: सुप्रीम कोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सजा बरकरार रखी। सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया कांड को सदमे की सुनामी और दुर्लभतम अपराध करार दिया.

  • आठ नवंबर: एक दोषी मुकेश ने उच्चतम न्यायालय में फांसी की सजा बरकरार रखने के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर की।

  • 12 दिसंबर: दिल्ली पुलिस ने उच्चतम न्यायालय में मुकेश की याचिका का विरोध किया।

  • 15 दिसंबर: अभियुक्त विनय शर्मा और पवन कुमार गुप्ता ने अपनी मौत की सजा पर पुनर्विचार के लिए उच्चतम न्यायालय का रुख किया।

  • चार मई 2018: उच्चतम न्यायालय ने दो अभियुक्तों विनय शर्मा और पवन गुप्ता की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित कर लिया।

  • 9 जुलाई: उच्चतम न्यायालय ने तीनों अभियुक्तों की पुनर्विचार याचिका खारिज की।

  • -10 दिसंबर 2019: चौथे अभियुक्त अक्षय ने उच्चतम न्यायालय में अपनी मौत की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल की।

    • 18 दिसंबर: उच्चतम न्यायालय ने अक्षय की पुनर्विचार याचिका खारिज की।

    -दिल्ली की एक अदालत ने तिहाड़ प्रशासन को निर्देश दिया कि वे शेष कानूनी विकल्प हासिल कर लें।