अमित शाह ने दिल्ली की शांति भंग करने में कांग्रेस के नेतृत्व वाली टुकड़े – टुकड़े गैंग को जिम्मेदार ठहराया attacknews.in

नयी दिल्ली, 26 दिसंबर।भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर हाल में दिल्ली में हुई हिंसक घटनाओं के लिए कांग्रेस जिम्मेदार है और राजधानी की जनता को उसे दंड देना चाहिए।

पूर्वी दिल्ली के कृष्णा नगर क्षेत्र में हजारों करोड़ रुपए की लागत से बनने वाले एकीकृत विकास हब का शिलान्यास करते हुए श्री शाह ने आज कहा कि सीएए को लेकर विरोध प्रदर्शन कांग्रेस के नेतृत्व में टुकड़े-टुकड़े गैंग ने किया। यह दिल्ली की अशांति के लिए जिम्मेदार है , उसे दिल्ली की जनता को दंड देना चाहिए । उन्होंने कहा कि सीएए पर विपक्ष ने दिल्ली की जनता को गुमराह कर राजधानी की शांति को भंग किया है ।

कांग्रेस पर निशाना साधते हुए श्री शाह ने कहा कि पार्टी का काम करने का घिसा-पिटा अंदाज नरेंद्र मोदी ने गुजरात से बदलना शुरु कर एक ऐसी कार्य संस्कृति देश के सामने रखी कि जो सरकार किसी काम का भूमि पूजन करेगी, वही सरकार उसका उद्धघाटन भी करेगी और पांच साल के अंदर ही जनता को उस काम का वास्तविक स्वरुप देखने को मिलेगा।कांग्रेस की सरकार इस बात के लिए मशहूर थी कि पांच साल एक सरकार कोई योजना बनाती थी, दूसरे पांच साल में दूसरी सरकार उसके लिए बजट मंजूर करती थी, तीसरे पांच साल में उसका भूमि पूजन करती थी और अगले पांच साल में कांग्रेस सरकार उसे भूल जाती थी । काम तो होता ही नहीं था । श्री मोदी ने दिल्ली के विकास का जो नक्शा खींचा है, समयबद्ध तरीके से उन कामों को पूरा करने की योजना भी बनाई गई है । विकास के काम करने की नयी संस्कृति देश की जनता के सामने प्रधानमंत्री ने रखी है ।

प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की 1984 में हुई हत्या के बाद राजधानी और देश के विभिन्न हिस्सों में सिखों के प्रति भड़के दंगों का जिक्र करते हुए श्री शाह ने कहा कि इतने वर्षों तक कांग्रेस की सरकार में पीड़ितों को कभी न्याय नहीं मिला । श्री मोदी की अगुवाई में केंद्र में सरकार बनते ही तुरंत विशेष जांच दल(एसआईटी) बनाई गई और आज दंगे करने वाले जेल के अंदर हैं। पूरा देश इस निर्मम हत्याकांड को नहीं भूल सकता । इन दंगों में हजारों सिख भाईयों का कत्ल कर दिया गया था।

सेना प्रमुख रावत ने हिंसा भड़काने और आगजनी फैलाने वाली भीड़ का नेतृत्व करने वाले नेताओं को नेता नहीं माना attacknews.in

नयी दिल्ली, 26 दिसम्बर । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की नागरिकता संशोधन अधिनियम के खिलाफ आगजनी और तोड़फोड़ करने वालों की कड़ी आलोचना के एक दिन बाद सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने भी कहा है कि आगजनी और हिंसा करने वाली भीड़ का नेतृत्व करने वाले नेता नहीं होते।

जनरल रावत के इस बयान से विवाद खड़ा हो गया क्योंकि कुछ राजनीतिक दलों ने कहा है कि सेना प्रमुख के पद पर आसीन सैन्य अधिकारी को राजनीतिक टिप्पणी करने से बचना चाहिए।

सेना प्रमुख ने गुरूवार को एक कार्यक्रम में नागरिकता संशोधन अधिनियम का विरोध करने वालों की परोक्ष निंदा करते हुए कहा कि नेतृत्व का मतलब अगुवाई करना है जब आप आगे बढते हैं तो सब आपका अनुसरण करते हैं लेकिन नेता वे होते हैं जो लोगों को सही दिशा में ले जाते हैं। वे नेता नहीं होते जो लोगों को अनुचित दिशा में ले जाते हैं जैसा कि विश्वविद्यालयों और कालेजों में छात्रों को शहरों तथा कस्बों में आगजनी तथा हिंसक भीड़ की अगुवाई करते देखा जा रहा है , यह नेतृत्व नहीं है।

श्री मोदी ने बुधवार को लखनऊ में कहा था, “ कुछ लोगों ने जिस तरह से विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंसा की और सरकारी सम्पत्ति को नुकसान पहुंचाया। वो लोग एक बार खुद से पूछें क्या उनका रास्ता सही था। हिंसा में जिनकी मृत्यु हुई, जो पुलिस वाले जख्मी हुए, उनके और उनके परिवार के प्रति सोचें कि उन पर क्या बीतती होगी। इसलिए उनका आग्रह है कि लोगबाग झूठी अफवाहों में न आयें।”

उल्लेखनीय है कि नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर देश भर में काफी हिंसा हुई है। विशेष तौर पर उत्तर प्रदेश में आगजनी की घटनाओं के साथ साथ कई लोगों की मौत भी हुई है। दिल्ली में भी आगजनी और हिंसा की घटनाएं हुई हैं।

कांग्रेस नेता दिग्वजिय सिंह ने जनरल रावत के बयान पर टि्वट करते हुए कहा है कि वह उनकी बात से सहमत हैं लेकिन यह बात भी उतनी ही सही है कि अपने समर्थकों को सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की अनुमति देने वाले भी नेता नहीं होते।

एआईएमआईएम के नेता असद्दुदीन अवैसी ने कहा है कि अपने पद की सीमाओं को जानना भी नेतृत्व का ही हिस्सा होता है।

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि नेता हमारे शहरों में आगजनी और हिंसा के लिए विश्वविद्यालयों और कॉलेज के छात्रों सहित जनता को उकसाते हैं, तो यह नेतृत्व नहीं है।

सेना प्रमुख ने यहां एक स्वास्थ्य सम्मेलन में आयोजित सभा में कहा कि नेता जनता के बीच से उभरते हैं, नेता ऐसे नहीं होते जो भीड़ को “अनुचित दिशा” में ले जाएं।’’

उन्होंने कहा कि नेता वह होते हैं, जो लोगों को सही दिशा में ले जाते हैं।

इस महीने की शुरुआत में संसद के दोनों सदनों द्वारा संशोधित नागरिकता विधेयक को मंजूरी दिए जाने के बाद से इस कानून के विरोध में देश भर में प्रदर्शन हो रहे हैं, और कहीं कहीं तो इन प्रदर्शनों ने हिंसक रूप भी ले लिया।

बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी घायल हुए और कई लोगों की मौत भी हुई। खासतौर से उत्तर प्रदेश और कर्नाटक में ऐसा देखने को मिला।

रावत ने अपने भाषण में कहा, “नेतृत्व यदि सिर्फ लोगों की अगुवाई करने के बारे में है, तो फिर इसमें जटिलता क्या है। क्योंकि जब आप आगे बढ़ते हैं, तो सभी आपका अनुसरण करते हैं। यह इतना सरल नहीं है। यह सरल भले ही लगता है, लेकिन ऐसा होता नहीं है।’’

उन्होंने कहा, “आप भीड़ के बीच किसी नेता को उभरता हुआ पा सकते हैं। लेकिन नेतृत्व वह होता है, जो लोगों को सही दिशा में ले जाए। नेता वे नहीं हैं जो अनुचित दिशाओं में लोगों का नेतृत्व करते हैं।”

इस समय चल रहे विश्वविद्यालयों और कॉलेज छात्रों के विरोध प्रदर्शनों का हवाला देते हुए सेना प्रमुख ने कहा कि जिस तरह शहरों और कस्बों में भीड़ को हिंसा के लिए उकसाया जा रहा है, वह नेतृत्व नहीं है।

ममता बनर्जी ने छात्रों को नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन जारी रखने के लिए भड़काया attacknews.in

कोलकाता 26 दिसंबर । पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को भारतीय जनता पार्टी पर धर्म के आधार पर देश को बांटने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए छात्रों से बिना किसी भय के नागरिकता संशोधन कानून (सीसीए) का विरोध जारी रखने का आग्रह किया।

सुश्री बनर्जी ने यहां सीएए और राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में आयोजित एक महारैली को संबोधित करते हुए यह बात कही। उन्होंने भाजपा नीत राज्य सरकारों पर छात्रों का उत्पीड़न करने और धर्म के आधार पर देश को बांटने का प्रयास करने का भी आरोप लगाया।

सुश्री बनर्जी ने भाजपा को ‘‘आग से नहीं खेलने’’ की सलाह देते हुए कहा कि जब तक संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को वापस नहीं लिया जाता, तब तक शांतिपूर्ण प्रदर्शन जारी रहेंगे।

तृणमूल कांग्रेस सुप्रीमो ने शहर में आयोजित प्रदर्शन रैली में भाजपा पर अपने वादे पूरे नहीं करने का आरोप लगाया । उन्होंने मंगलुरु में सीएए के खिलाफ प्रदर्शन में पुलिस गोलीबारी में मारे गए दो लोगों के परिवारों के लिए मुआवजा रोकने संबंधी कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा के बयान का भी जिक्र किया।

येदियुरप्पा ने बुधवार को संवाददाताओं से कहा था कि यदि जांच में 19 दिसंबर को प्रदर्शनों में हुई हिंसा में दोनों लोगों की संलिप्तता साबित होती है तो उनके परिवारों को एक भी रुपया नहीं दिया जाएगा।

बनर्जी ने छात्रों से प्रदर्शन जारी रखने को कहा। मुख्यमंत्री ने उनसे कहा कि वह हमेशा उनकी समर्थन में रहेंगी।

बनर्जी ने कहा, ‘‘किसी से डरे नहीं। मैं भाजपा को आगाह कर रही हूं कि वह आग से नहीं खेले।’’

मध्य कोलकाता में राजाबाजार से मलिक बाजार तक विरोध मार्च का नेतृत्व कर रहीं बनर्जी ने आरोप लगाया कि सीएए के खिलाफ बोल रहे छात्रों को भाजपा डरा रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम सीएए और एनआरसी का विरोध कर रहे जामिया मिल्लिया इस्लामिया, आईआईटी कानपुर और अन्य विश्वविद्यालयों के छात्रों के प्रति एकजुटता व्यक्त करते हैं। ’’

बनर्जी ने कहा कि छात्रों को अपने छात्रावासों के कमरों को भी खाली करने को कहा गया।

बृहस्पतिवार को हुई रैली 11 दिनों में बनर्जी की पांचवीं रैली है।

यह रैली संपन्न होने के बाद एक अन्य सभा में बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘अगर आप सबका पीछा करेंगे तो आप कैसे टिकेंगे।?”

उन्होंने भाजपा को ‘‘वाशिंग मशीन’’ बताते हुए कटाक्ष किया कि इस पार्टी में शामिल होकर सभी दाग धुल जाते हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा अन्य दलों पर कालिख पोतती है जबकि खुद को पाक-साफ दर्शाती है।

बनर्जी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस सभी समुदायों के लिए लड़ती रहेंगी, ‘‘क्योंकि यह हिंदुस्तान है। हम किसी भी पार्टी को अपने अधिकार नहीं छीनने देंगे… यदि जरूरत पड़ी तो हम सीएए के खिलाफ आंदोलन को बचाने के लिए अपनी जान तक दे देंगे।’’

उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल को कर्नाटक में पुलिस की कथित गोलीबारी में मारे गये पीड़ितों के परिवारों से मिलने के लिए वहां भेजा जायेगा।

उन्होंने कहा, ‘‘हमने पीड़ितों के परिवारों को चेक सौंपने का निर्णय लिया हैं। तृणमूल कांग्रेस ट्रेड यूनियन द्वारा ये चेक सौंपे जायेगे।’’

लखनऊ में हुई हिंसा का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में चार प्रतिनिधियों को भेजा लेकिन उन्हें सीआरपीसी की धारा 144 लागू होने का हवाला देते हुए हवाई अड्डे से बाहर नहीं जाने दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हम सभी जानते हैं कि जहां धारा 144 लागू होती है वहां चार लोग जा सकते हैं।’’

भाजपा पर अपना हमला जारी रखते हुए बनर्जी ने कहा, ‘‘हम भाजपा की तरह नफरत की राजनीति नहीं करते हैं बल्कि प्यार की राजनीति करते है।’’

मोदी के उस बयान पर निशाना साधते हुए, जिसमें उन्होंने कहा था कि सीएए के खिलाफ दंगाइयों की पहचान उनके कपड़ों से की जा सकती है, बनर्जी ने कहा, ‘‘सीएए के खिलाफ चल रहे आंदोलन को रोकने के लिए भाजपा इसी तरह के कपड़ों का इस्तेमाल करेगी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘देश के लोगों को रोटी, कपड़ा और मकान दीजिये। आप (भाजपा) ऐसा करने में विफल रहे हैं लेकिन घुसपैठियों की पहचान में व्यस्त हैं।’’

बनर्जी ने कहा, ‘‘लोगों को नौकरियां दीजिये।’’

उत्तरप्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हिंसा भड़काने वालों पर जारी हैं पुलिसिया कार्रवाई, लखनऊ,सम्भल,बहराइच समेत कई जिलों में नोटिस जारी कर फोटो चस्पा किये attacknews.in

लखनऊ, 26 दिसंबर ।उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध को लेकर राज्य के कई हिस्सों में हिंसा के बाद अब हालात सामान्य हो गये है। शुक्रवार को जुमे की नमाज को देखते हुये विशेष सतर्कता बरती जा रही है। कई शहरों में इंटरनेट सेवाए बंद।

आधिकारिक सूत्रों ने गुरूवार को यहां बताया कि अधिकारियों ने अब उन लोगों को नोटिस भेजना शुरू कर दिया है जो दंगा करने तथा सार्वजनिक एवं निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने में शामिल थे। राज्य में हिंसा के दौरान 21 से अधिक लोगों की जान चली गई थी और 50 से अधिक घायल हुए थे।

उन्होंने बताया कि राजधानी लखनऊ में उग्र प्रदर्शन में शामिल 110 प्रदर्शनकारियों नोटिस भेजे गये है और उन्हें तीन दिन के भीतर जवाब देने को कहा गया है। जवाब देने में असफल रहने पर अधिकारी उनके खिलाफ कार्यवाही करने की प्रक्रिया शुरू करेंगे। राजधानी में उन सभी लोगों को नोटिस भेजे गये है जिनकी पहचान हिंसा के दौरान वीडियो रिकॉर्डिंग या सीसीटीवी के जरिए मिली है।

उपद्रवियों को चिन्हित कर दिए गए नोटिस

उत्तर प्रदेश में नागरिकता कानून के खिलाफ जारी प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैलाने वाले उपद्रवियों को चिन्हित कर उन्हें नोटिस जारी किये जा रहे हैं और उनकी गिरफ्तारियों का सिलसिला जारी है तथा संपत्ति के नुकसान का आकलन हो रहा है ।

सम्भल में पुलिस ने नागरिकता कानून के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों के सिलसिले में 26 लोगों को चिन्हित कर नोटिस जारी किये गये हैं ।

पुलिस अधीक्षक यमुना प्रसाद ने गुरूवार को संवाददाताओं को बताया कि 55 उपद्रवियों को चिन्हित किया गया है तथा 150 उपद्रवियों के पोस्टर जारी किये गये हैं और चिन्हित लोगों की पहचान बताने के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया गया है।

अपर जिलाधिकारी कमलेश अवस्थी ने बताया कि पिछले दिनों सम्भल में हुई घटना में सरकारी संपत्ति के नुकसान का आकलन जारी है । अब तक के आकलन में 11 लाख 66 हजार का नुक़सान पाया गया है । अब तक 26 लोगों को चिन्हित कर उन्हे नोटिस जारी किए गए हैं । यदि वो लोग इसकी भरपाई नहीं कर पाएंगे तो उनकी कुर्की तक की जाएगी ।

पुलिस अधीक्षक यमुना प्रसाद ने संभल में हुए उपद्रव के संबंध में पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि अब तक 55 लोगों को चिन्हित किया गया है जबकि डेढ़ सौ लोगों के पोस्टर जारी किए गए हैं, जिन्होंने दंगा फसाद गोलीबारी की थी । अब तक इस घटना में 48 लोगों को गिरफ्तार किया गया है ।

उन्होंने बताया कि घटनास्थल के आसपास सर्च के दौरान अट्ठारह तमंचे, 109 कारतूस, तलवारें, चाकू बरामद किए गए हैं । अब तक 12 मुकदमे दर्ज किए गए हैं । साथ ही भड़काऊ वीडियो जारी करने के लिए तीन मुकदमे दर्ज किए गए हैं ।

प्रसाद ने बताया कि हिंसा के दौरान महिला पुलिसकर्मियों सहित कुल 55 पुलिसकर्मी घायल हो गये थे ।

बहराइच में गुरूवार तक कुल 43 लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है। वीडियो फुटेज के जरिए अभी तक 95 उपद्रवियों को चिह्नित किया गया है तथा बाकी लोगों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है।

पुलिस अधीक्षक गौरव ग्रोवर ने बताया कि शुक्रवार को जुमे की नमाज के बाद धारा 144 का उल्लंघन कर उपद्रव फैलाने व साजिश करने वालों को चिन्हित करने के लिए पुलिस की दस टीमें लगाई गई हैं। पुलिस के अधिकारी लगातार वीडियो फुटेज खंगालने में लगे हुए हैं। साथ ही आईटी विशेषज्ञ घटना से पूर्व सोशल मीडिया पर वाइरल हुए संदेशों की गहन जांच कर रहे हैं। एसपी ने बताया कि पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि दोषियों व खासतौर पर साजिश कर्ताओ के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाय लेकिन किसी निर्दोष को परेशान न होने दिया जाय।

उन्होंने बताया कि बहराइच में हजारों प्रदर्शनकारियों ने एकत्र होकर उग्र नारेबाजी व पुलिस बल पर पथराव तो किया था लेकिन पुलिस की सक्रियता के कारण उपद्रव करने वाले ना तो कहीं आगजनी कर सके थे और न ही किसी विशेष सार्वजनिक अथवा निजी सम्पत्ति को नुकसान पहुँचा सके थे।

ग्रोवर ने बताया कि शहर व जिले में शांति कायम रखने के दृष्टिगत लगातार पीस कमेटी की बैठकें की जा रही हैं। लोगों को नागरिकता संशोधन अधिनियम के तमाम पहलुओं पर जानकारी दी जा रही है। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी दिन रात गश्त कर माहौल पर सतर्क दृष्टि रखे हुए है।

बीते शुक्रवार नागरिकता संशोधन अधिनियम व संभावित एनआरसी के विरोध में मुस्लिम समुदाय के हजारों लोगो ने जुमे की नमाज खत्म होने के बाद सडकों पर उतरकर उग्र प्रदर्शन किया था। पुलिस द्वारा रोकने पर प्रदर्शन कर रहे लोगों ने पथराव किया जिससे 10 पुलिस कर्मियों को चोटें आई थीं। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस, पीएसी, अर्ध सैनिक बल व आसपास के जनपदों की पुलिस को बुला लिया गया था। पुलिस को लाठी चार्ज व आंसू गैस का प्रयोग करना पड़ा था। दो दिन तक इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थीं। दो हजार से अधिक प्रदर्शनकारियों के खिलाफ गंभीर धाराओं में छः मुकदमे दर्ज किए गए थे। 38 उपद्रवियों को 24 घंटे में ही गिरफ्तार कर लिया गया था। फिलहाल बीते चार दिनों में पुलिस ने पांच लोगों को और गिरफ्तार किया है।

फ़िरोज़ाबाद में पिछले शुक्रवार को हुए उपद्रव में आगजनी, तोड़फोड़ कर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर जिला पुलिस प्रशासन सख्त हो गया है। संपत्ति नुकसान का आकलन कराया जा रहा है और उपद्रव करने वालों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जा रही है।

एसएसपी सचिन्द्र पटेल ने बताया कि 13 लोगों को जेल भेजा जा चुका है और वीडियो, फ़ोटो जारी करके उपद्रव करने वालों को चिन्हित किया जा रहा है। सरकारी सम्पत्ति का नुकसान करने वालों से वसूली की कार्रवाई की जा रही है। कल शुक्रवार को शांति व्यवस्था बनाने के उद्देश्य से पुलिस प्रशासन सतर्क है। गैर ज़िले से आयी फ़ोर्स को वापस नहीं किया गया है। अतिरिक्त फ़ोर्स बुलाये जाने की मांग शासन की गई है जिससे ज़िले में पूरी तरह से अमन चैन बना रहे। एसएसपी एवं डीएम मुस्लिम धर्म गुरुओं के सहयोग से व स्वयं जनता से मिलकर अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील कर रहे हैं। फिलहाल शहर में पूर्णतः शांति का माहौल है। चूड़ी कारखाने खुले हैं और बाजार में रौनक नज़र आ रही है।

मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त संदीप पाण्डेय ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को उन्हें एक खुला पत्र लिखकर कहा कि लखनउ में प्रदर्शनों के दौरान हुई हिंसा में जो प्राथमिकियां दर्ज की गयीं, उनमें अधिकांश आरोपी मुसलमान हैं । अगर कार्रवाई में मुस्लिमों को लेकर भेदभाव होगा तो उनसे सरकार—प्रशासन में भरोसा रखने की अपेक्षा कैसे की जा सकती है ।

उन्होंने कहा कि हिंसा के लिए अराजक तत्व जिम्मेदार हैं जबकि कार्रवाई उन लोगों के खिलाफ की जा रही है, जिन्होंने अपने पूरे जीवन शांतिपूर्वक प्रदर्शन किये और जिनकी देश के संविधान में आस्था है ।

अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय :एएमयू: के लगभग 1200 अज्ञात लोगों के खिलाफ निषेधाज्ञा उल्लंघन के लिए मामला दर्ज किया गया है । इनमें छात्र, शिक्षक और गैर शिक्षण स्टाफ शामिल हैं ।

देश के विभिन्न हिस्सों में नागरिकता कानून के विरोध के दौरान जान गंवाने वालों के प्रति श्रद्धांजलि व्यक्त करने और नागरिकता कानून का विरोध के लिए उक्त लोगों ने कैण्डल लाइट मार्च किया था ।

एएमयू के लगभग 2000 लोगों ने 24 दिसंबर की शाम मार्च निकाला था और राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन प्रशासन के एक अधिकारी को सौंपा था ।

सिविल लाइंस के क्षेत्राधिकारी अनिल समानिया ने संवाददाताओं को बताया कि उक्त लोगों पर निषेधाज्ञा का उल्लंघन कर बिना अनुमति जुलूस निकालने का मामला दर्ज किया गया है ।

नागरिकता कानून विरोधी प्रदर्शनों के परिप्रेक्ष्य में एएमयू पांच जनवरी 2020 तक बंद है और हास्टल खाली करा लिये गये हैं ।

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने कहा कि सरकार हिन्दू—मुस्लिम एकता से डरी हुई है । वह जनता पर अपराधी होने का आरोप लगा रही है । लोगों के पहनावे पर टिप्पणी दे रही है । गरीब लोगों की संपत्ति को ज़ब्त करना चाह रही है । नागरिकों से बदला लेने की धमकी दे रही है ।

उन्होंने टवीट कर कहा कि सरकार को जनता को बताना चाहिए कि वह पुलिस बर्बरता के खिलाफ कार्रवाई कब शुरू करेगी ।

भाजपा सांसद रवींद्र कुशवाहा ने गुरूवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून नहीं लागू करने पर केंद्र सरकार पश्चिम बंगाल, राजस्थान सहित इसको लागू न करने की घोषणा कर रही राज्य सरकारों के खिलाफ अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए कार्रवाई करेगी ।

सलेमपुर से भाजपा सांसद कुशवाहा ने यहां संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि संविधान में स्पष्ट व्यवस्था है कि केंद्र सरकार संसद से पारित कराकर कोई कानून बनाती है तो सभी राज्य सरकारों को इसको लागू करना ही होगा ।

उन्होंने पश्चिम बंगाल व राजस्थान सरकार द्वारा इसे अपने राज्यों में लागू न करने की घोषणा पर कहा कि अपने वोट बैंक को बरगलाने के लिये भले कोई बयान दे लेकिन यदि यह लागू करने में बाधा डालेंगे तो केंद्र सरकार राज्य सरकारों के खिलाफ अपनी शक्ति का प्रयोग करते हुए कार्रवाई करेगी ।

सीएए और एनआरसी की व्यवस्था राष्ट्र हित में: रिजवी

उत्तर प्रदेश सेंट्रल शिया वक्फ बोर्ड ने गुरूवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून में मुसलमानों को न शामिल करना भारत की सुरक्षा के हित मे है, जो भारत का मुसलमान हैं, वो ही सिर्फ हिन्दुतानी हैं । जो मुसलमान घुसपैठिये हैं, उनको देश छोड़ना ही चाहिए।

बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने कहा कि एनआरसी और नागरिकता कानून का विरोध कांग्रेस और उसकी जैसी पार्टियों ने हिंदुस्तानी मुसलमानों से करवा कर सड़कों पर उनका खून बहाया है। जो अभी हाल में कई प्रदेशों में उग्र प्रदर्शन हुए हैं, वह साजिश कर दंगे कराए गए हैं ।

रिजवी ने लोगों से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में फैलाये जा रहे भ्रम से दूर रहने की अपील करते हुये कहा किया सीएए और एनआरसी की व्यवस्था राष्ट्र की सुरक्षा के हित में है।

श्री रिजवी ने कहा कि सीएए और एनआरसी की व्यवस्था राष्ट्र की सुरक्षा के हित में हैं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को नागरिकता संशोधन कानून में शिया मुसलमानों को भी शामिल किया जाना चाहिए। उन्होंने भारतीय मुसलमानों को अफवाहों और फैलाए जा रहे भ्रम से दूर रहने की अपील की।

वसीम रिजवी हिन्दुस्तानी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) का इस्तकबाल करते हुये कहा कि हिन्दुस्तानी मुसलमानों को नये कानून से कोई खतरा नहीं है और कांग्रेस,समाजवादी पार्टी (सपा) और तृणमूल कांग्रेस जैसे दल अपने राजनीतिक फायदे के लिये अल्पसंख्यकों के बीच भ्रम पैदा कर रहे है।

श्री रिजवी ने गुरूवार को कहा कि घुसपैठियों की पहचान के लिये अमल में लाये गये नये कानून का विरोध सपा, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस वोट बैंक के लिये कर रही है और मुसलमानों को कानून का डर दिखा रही है। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से घुसपैठ कर देश की सीमा में दाखिल हुये लोगों का वोटर आईडी कांग्रेस के कार्यकाल में बनाये गये। अब घबराहट घुसपैठियों की शक्ल सामने आने और उसके बेनकाब होने को लेकर है।

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ कार्रवाई करने के बाद कर्नाटक पुलिस को मिल रही हैं विदेशों से धमकियां attacknews.in

मेंगलुरु 25 दिसंबर । कर्नाटक केे मेंगलुरु में 19 दिसंबर को नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में आयोजित प्रदर्शनों को नियंत्रित करने के लिए तैनात कई पुलिसकर्मियों को कथित रुप से विदेशों तथा देश के विभिन्न इलाकों के फोन पर धमकियां दी जा रही हैं।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बुधवार को बताया कि विदेशों से इंटरनेट के जरिये पुलिसकर्मियों को धमकियां दी जा रही हैं। विरोध प्रदर्शनों के दौरान पुलिस कार्रवाई के आकर्षण का केंद्र रहे एक पुलिसकर्मी को अबतक कई बार फोन पर जान मारने की धमकी दी जा चुकी है जबकि एक पुलिसकर्मी को विदेशों से कई धमकी भरे फोन मिल चुके हैं। इनमें से कई कॉल विभिन्न थानों के लैंडलाइन फोन पर आ चुके हैं और यहां तक कि पुलिस आयुक्त के कार्यालय के फोन पर भी इस प्रकार के कॉल आ चुके हैं।

पुलिस गोलीबारी के पीड़ितों को मुआवजा नहीं मिलेगा : येदियुरप्पा

मेंगलुरु से खबर है कि, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने मेंगलुरु में पुलिस की गोलीबारी के दो पीड़ितों को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने के अपने आदेश को पलट दिया है।

श्री येदियुरप्पा ने बुधवार को संवाददताओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि 19 दिसम्बर को मेंगलुरु में हुयी हिंसा में पुलिस की गोली लगने से दो लोग मारे गये लोगों के परिजनों को मुआवजा नहीं देने का फैसला किया गया है। क्योंकि दोनों पीड़ित आपराधिक आरोपों का सामना कर रहे है और ये लोगों को मुआवजा दिये जाने की कोई परिपाटी नहीं है।

उन्होंने कहा, “मुआवजे के भुगतान का फैसला राज्य सरकार द्वारा निर्देशित सीआईडी और मजिस्ट्रेट जांच के पूरा होने के बाद ही लिया जाएगा। ”

पुलिस की गोलीबारी के पीड़ितों के परिजनों को क्षतिपूर्ति के भुगतान के अपने वादे पर वापस जाने के अपने फैसले का बचाव करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों पीड़ित दंगों की घटना में दो लोग मारे गये है।

उन्होंने कहा, “ जो लोग आपराधिक आरोप का सामना कर रहे हो, उन्हें मुआवजा देने का प्रावधान नहीं है।”

इससे पहले श्री येदियुरप्पा ने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक कर शहर की वर्तमान स्थिति की जानकारी ली।

बैठक में राज्य के गृहमंत्री बसवराज बोम्मई उपस्थित थे।

झारखंड में भाजपा-आजसू 13 सीटों पर एक-दूसरे के वोट काटकर झामुमो-कांग्रेस की जीत आसान बनाकर सत्ता से हाथ खो बैठे

रांची 25 दिसंबर । झारखंड में पांच वर्ष से सरकार में साथ रही भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और ऑल इंडिया झारखंड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) ने इस बार विधानसभा चुनाव में अलग लड़कर न सिर्फ एक दूसरे को 13 सीटों पर नुकसान पहुंचाया बल्कि सत्ता भी गंवा दी।

विधानसभा के चुनाव में इस बार अकेले अपने दम पर उतरी भाजपा 37 से 25 और आजसू पांच से दो सीट पर आ गई। अलग-अलग चुनाव लड़ने का खामियाजा दोनों दलों को उठाना पड़ा। दोनों ने राज्य की 13 सीटों पर एक दूसरे का वोट काट कर अपने विरोधी महागठबंधन के उम्मीदवार की जीत आसान कर दी।

इन 13 सीटों का लाभ यदि पांच साल तक सरकार में साथ रहे भाजपा-आजसू को मिल जाता तो इनकी सीटों की संख्या 40 हो जाती, जो सरकार बनाने के लिए जरूरी जादुई आंकड़े 41 से सिर्फ एक ही कम होती। इतना ही नहीं कई अन्य सीटों पर जहां भाजपा और आजसू के उम्मीदवार कम मतों के अंतर से हार गए वहां गठबंधन होने पर दोनों दलों के कार्यकर्ताओं का साथ मिलता तो इन दोनों को और अधिक सीटें मिल सकती थी।

आजसू के वोट काटने के कारण भाजपा नाला, जामा, गांडेय, घाटशिला, जुगसलाई, खिजरी, मधुपुर, चक्रधरपुर और लोहरदगा सीट हार गई वहीं भाजपा के वोट काटने के कारण आजसू के उम्मीदवार बड़कागांव, रामगढ़, डुमरी और इचागढ़ में पराजित हो गए।

क्रिसमस पर कड़ाके की सर्दी में ठिठुरा पूरा उत्तर भारत,कई स्थानों पर पाईप लाइनों में पानी जम गया attacknews.in

नयी दिल्ली, 25 दिसंबर । क्रिसमस के मौके पर देश के उत्तरी राज्यों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। श्रीनगर में तापमान शून्य से 4.3 डिग्री सेल्सियस नीचे जाने के बाद यह इस मौसम की अब तक की सबसे सर्द रात रही जहां कई जगहों पर पाइप लाइनों में पानी जम गया और आपूर्ति बाधित हो गयी।

वहीं हरियाणा सरकार ने घोषणा की है कि बृहस्पतिवार को स्कूल बंद रहेंगे।

भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने बताया कि पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और उत्तरी राजस्थान में बृहस्पतिवार को भी घने कोहरे के साथ कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना है।

मौसम कार्यालय ने बताया कि कुछ मैदानी इलाकों और हिमाचल प्रदेश के निचली पहाड़ी क्षेत्रों में गरज के साथ बारिश की संभावना है।

हरियाणा में नारनौल सबसे ठंडा स्थान रहा और वहां तापमान 3.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। राजस्थान में 2.5 डिग्री सेल्सियस के साथ सीकर सबसे ठंडा स्थान रहा और हिमाचल प्रदेश के केलांग में न्यूनतम तापमान शून्य से 12.4 डिग्री सेल्सियस नीचे दर्ज किया गया।

इस समय कश्मीर चिल्लई-कलां की गिरफ्त में है।

चिल्लई-कलां ठंड के मौसम में चालीस दिन का वक्त होता है जब भीषण ठंड पड़ती है। इस दौरान बर्फबारी की सबसे ज्यादा संभावना होती है।

चिल्लई-कलां 21 दिसंबर को शुरू हुआ और 31 जनवरी को खत्म होगा लेकिन शीतलहर उसके बाद भी जारी रहने की संभावना है।

दिल्ली में सुबह में मध्यम से घना कोहरा देखने को मिला और अधिकतम तापमान 12.7 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जो कि सामान्य से नौ डिग्री सेल्सियस कम है।

मौसम विभाग ने बताया कि शहर में शीत लहर का प्रकोप शुरू हो सकता है और सप्ताहांत में तापमान चार डिग्री सेल्सियस तक पहुंच सकता है। 16 दिसंबर से अब तक शहर में नौ सर्द दिन दर्ज हुए हैं जो 2003 के दर्ज आंकड़ों के बराबर हैं।

पंजाब में फरीदकोट सबसे ठंडा स्थान रहा। वहां न्यूनतम तापमान 4.6 डिग्री सेल्सियस. दर्ज किया गया।

लुधियाना (5.5 डिग्री से.), पटियाला (5.8 डिग्री से.), बठिंडा (5.9 डिग्री से.), हलवारा (5.8 डिग्री से.), आदमपुर (7.2 डिग्री से.) और अमृतसर (6.5 डिग्री से.) में भी रात को बहुत ठंड रही।

दोनों राज्यों की साझा राजधानी चंडीगढ़ में न्यूनतम तापमान 6.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया।

राजस्थान के बीकानेर में रात का तापमान 6.1 डिग्री सेल्सियस, जयपुर में 7.1 डिग्री सेल्सियस, अजमेर में 9.5 डिग्री सेल्सियस, जोधपुर में 10.2 डिग्री सेल्सियस और डबोक में 12.2 डिग्री सेल्सियस रहा। शुक्रवार को भी ऐसी ही स्थिति रह सकती है।

मौसम कार्यालय ने हिमाचल प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में इस साल के अंतिम दिन ताजा बर्फबारी का पूर्वानुमान लगाया है।

उत्तर प्रदेश के दूरदराज वाले स्थानों पर गरज के साथ हल्की बारिश हुई।

मौसम विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य के पश्चिमी हिस्सों और पूर्वी हिस्सों के कई स्थानों पर कड़ाके की ठंड पड़ रही है।

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने बताई देश में मौजूद खतरनाक लोगों की पहचान और बताया संघ के स्वयंसेवक करते क्या हैं attacknews.in

हैदराबाद, 25 दिसंबर ।राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बुधवार को कहा कि जो लोग आम जनता के मन में डर पैदा कर रहे हैं, वे देश के लिए खतरा हैं।

श्री भागवत ने सरूरनगर में आज शाम एक रैली को संबोधित करते कहा कि संघ ने हमेशा देश की जीत के लिए प्रयास किए हैं।

उन्होंने कहा कि आरआरएसएस के स्वयंसेवक समाज के हित के लिए काम करते हैं ना कि अपने फायदे के लिए। धर्म की जीत अपने आप में देश की जीत है और लोगों की तथा देश की रक्षा करना ही असली धर्म है।

श्री भागवत ने कहा कि समाज में परिवर्तन ही देश की प्रगति का रास्ता है और कभी भी निजी सफलता के प्रयास नहीं करने चाहिए। लोगों को देश की तरक्की के लिए एकजुट होकर आगे आना चाहिए। दुनिया को मार्गदर्शन की जरुरत है जो उसे भारत दे सकता है।

इस अवसर पर केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी कृष्ण रेड्डी, भारतीय जनता पार्टी के महासचिव मुरलीधर राव और तेलंगाना प्रदेश इकाई के अध्यक्ष के. लक्ष्मण सहित कई भाजपा नेता मौजूद थे।

उत्तरप्रदेश में हिंसा भड़काने और फैलाने वालों के खिलाफ चला अब कानून का डंडा,हिंसाईयों को भेजे जा रहें हैं पुलिस के नोटिस और चस्पां किये जा रहें हैं फोटो attacknews.in

रामपुर—गोरखपुर (उत्तर प्रदेश), 25 दिसंबर । रामपुर प्रशासन ने पिछले सप्ताह नागरिकता कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वाले 28 लोगों को नोटिस भेजा है और सार्वजनिक एवं निजी संपत्ति को हुए नुकसान को लेकर अपना पक्ष स्पष्ट करने या भुगतान करने को कहा है।

अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि रामपुर जिले में पुलिस प्रशासन ने लगभग 25 लाख रूपये के नुकसान का आकलन किया है। सभी लोगों को नोटिस मंगलवार को भेजा गया। पुलिस ने पहले कहा था कि नुकसान लगभग 15 लाख रूपये का है लेकिन अंतिम आकलन में यह 25 लाख रूपये निकला।

रामपुर के जिलाधिकारी आंजनेय कुमार सिंह ने बताया कि प्रदर्शन के दौरान हिंसा करने वाले 28 लोगों को नोटिस भेजा गया है। उन्हें जवाब के लिए सात दिन का समय दिया गया है। अगर उनका जवाब नहीं आता है तो सार्वजनिक और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उनसे धन की वसूली की जाएगी।

अधिकारियों ने बताया कि रामपुर में बीते शनिवार हिंसक प्रदर्शन के दौरान 22 साल के एक व्यक्ति की गोली लगने से मौत हो गयी थी। कई स्थानीय लोग एवं पुलिसकर्मी घायल हुए थे। पुलिस की एक मोटरसाइकिल सहित छह वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था।

पुलिस के मुताबिक रामपुर में हिंसा के सिलसिले में अब तक 33 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 150 से अधिक लोगों को चिन्हित किया गया है।

गोरखपुर में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शन में शामिल 33 लोगों को पुलिस ने नोटिस भेजा है। उनके खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी है जबकि 1000 अज्ञात लोगों के खिलाफ भी एफआईआर है। पुलिस ने हिंसा में शामिल लोगों के फोटो जारी किये हैं और ऐलान किया है कि उनके बारे सूचित करने वाले को इनाम दिया जाएगा।

पुलिस अधिकारियों ने बुधवार को बताया कि अब तक 26 लोगों को जेल भेजा जा चुका है। पुलिस की ओर से जारी फोटो के आधार पर अन्य कई लोगों को पकड़ा गया है। घर से भागे या फरार लोगों को नोटिस भेजा जा रहा है।

कोतवाली क्षेत्राधिकारी वी पी सिंह ने बताया कि आरोपियों को नोटिस भेजकर संबंधित थाने पहुंचने को कहा गया है और यह भी कहा गया है कि वह गुरूवार तक अपना पक्ष रख दें। अगर वे नहीं आते हैं तो उनकी संपत्तियां जब्त की जाएंगी।

जिला प्रशासन की एक टीम ने इस बीच आज हिंसा प्रभावित रेती, नक्खास और घंटाघर इलाकों का दौरा किया और हिंसा के दौरान सार्वजनिक संपत्तियों को हुए नुकसान का जायजा लिया।

उधर आने वाले शुक्रवार को जुमे की नमाज के मददेनजर पुलिस प्रशासन एलर्ट है और किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए रिहर्सल भी किया जा रहा है।

कानपुर में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के मामलों की जांच के लिए बुधवार को विशेष जांच टीम :एसआईटी: का गठन किया गया।

कानपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बताया कि एसआईटी का नेतृत्व अपर पुलिस अधीक्षक :अपराध: करेंगे और इसमें पांच पुलिस अधिकारी शामिल होंगे ।

उन्होंने बताया कि पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर एसआईटी का गठन किया गया है । एसआईटी को चार मामले हस्तांतरित कर दिये गये हैं, जिनमें तीन मामले बेकनगंज थाने के और एक मामला बाबूपुरवा थाने का है ।

अग्रवाल ने बताया कि एसआईटी दोषियों का पता लगाने के लिए आधुनिक इलेक्ट्रानिक उपकरणों का प्रयोग करेगी क्योंकि दंगाइयों ने सोशल मीडिया और व्हाटसऐप का भरपूर इस्तेमाल किया था ।

एसएसपी अनंत देव तिवारी ने बताया कि बेकनगंज और बाबूपुरवा के थाना प्रभारियों को एसआईटी के साथ पूर्ण सहयोग करने के लिए कहा गया है ।

शनिवार को हिंसक प्रदर्शनकारियों ने यतीमखाना पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया था और पुलिस पर जमकर पथराव किया था ।

शुक्रवार को हुए हिंसक प्रदर्शन में दो लोगों की मौत हो गयी थी । भीड को तितर बितर करने के लिए पुलिस को आंसू गैस के गोले दागने पडे और लाठीचार्ज करना पडा ।

उत्तर प्रदेश के कई जिलों में नागरिकता कानून के विरोध में बीते गुरूवार से ही हिंसक प्रदर्शन शुरू हो गये थे । इस दौरान कम से कम 17 लोगों की मौत हो गयी । वाहनों को आग के हवाले किया गया और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया गया ।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लखनउ में बुधवार को उन लोगों की आलोचना की, जिन्होंने उत्तर प्रदेश में प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया ।

हिंसा के मामलों की जांच के लिए एसआईटी गठित

कानपुर (उत्तर प्रदेश) से खबर है कि,संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा के मामलों की जांच के लिए बुधवार को विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है।

कानपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक मोहित अग्रवाल ने बताया कि एसआईटी का नेतृत्व अपर पुलिस अधीक्षक (अपराध शाखा) करेंगे। इसमें पांच पुलिस अधिकारी शामिल होंगे।

उन्होंने बताया कि पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर एसआईटी का गठन किया गया है। एसआईटी को चार मामले हस्तांतरित कर दिये गये हैं, जिनमें तीन मामले बेकनगंज थाने के और एक मामला बाबूपुरवा थाने का है।

अग्रवाल ने बताया कि एसआईटी दोषियों का पता लगाने के लिए आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का प्रयोग करेगी क्योंकि दंगाइयों ने सोशल मीडिया और व्हाटसऐप का भरपूर इस्तेमाल किया था।

एसएसपी अनंत देव तिवारी ने बताया कि बेकनगंज और बाबूपुरवा के थाना प्रभारियों को एसआईटी के साथ पूर्ण सहयोग करने के लिए कहा गया है।

सीएए विरोधी प्रदर्शनों में मारे गए बेकसूर लोगों के परिजनों की मदद करे योगी सरकार : मायावती

लखनऊ से खबर है कि, बसपा अध्यक्ष मायावती ने उत्तर प्रदेश सरकार से संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शनों के दौरान राज्य में पिछले दिनों हुई हिंसा में मारे गये लोगों के बारे में सही जांच पड़ताल कर, बेकसूर लोगों के परिजन की मदद करने की मांग की है।

मायावती ने बुधवार को ट्वीट कर कहा कि सीएए और एनआरसी विरोधी हिंसा में उत्तर प्रदेश में मारे गए लोगों की सही जांच-पड़ताल की जाए और उनमें से जो लोग निर्दोष थे, उनके परिवार की मदद के लिए सरकार आगे आए, तो बेहतर होगा।

मालूम हो कि सीएए के खिलाफ प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत विभिन्न जिलों में पिछले सप्ताह हुई हिंसा में कम से कम 17 लोग मारे गये थे।

मायावती ने पिछले दिनों यह भी कहा था कि बसपा के प्रदेश अध्यक्ष मुनकाद अली को अधिकृत किया है कि वह पार्टी के स्थानीय नेताओं के साथ प्रदेश भर में सीएए और एनआरसी के विरोध में हुए प्रदर्शनों के दौरान मारे गए लोगों के पीड़ित परिवारों के घर जाएं और उन्हें सांत्वना दें कि इस दुःख की घड़ी में पार्टी उनके साथ है।

सीएए पर वोट की राजनीति कर रहा विपक्ष :नित्यानंद

समस्तीपुर में केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर विपक्ष पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया और कहा कि विपक्षी पार्टियां केवल वोट की राजनीति कर रही है।

श्री राय आज यहां पूर्व प्रधानमंत्री स्व.अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जंयती के मौके पर आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि यह कानून नागरिकता देने वाला कानून है, न कि किसी का नागरिकता लेने वाला।

उन्होंने आरोप लगाया कि सत्ता पाने की चाहत में कांग्रेस जैसे विपक्षी दल इस पर गलत अफवाह फैला कर देश को बदनाम कर रहे हैं।

सम्भल हिंसा के मामले में 48 उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई,150 के फोटो जारी

उत्तर प्रदेश के सम्भल जिले में नागरिकता (संशोधन) कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान हुए बवाल में शामिल उपद्रवियों के खिलाफ कार्रवाई करते हुए पुलिस ने अब तक 48 उपद्रवियों को गिरफ्तार किया गया है।

पुलिस अधीक्षक जमुना प्रसाद ने आज यहां यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 19 दिसम्बर को नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान जिले में हिंसा एवं आगजनी आदि के सिलिसले में कुल 12 मुकदमें दर्ज किए गये हैं। पुलिस ने 150 उप्रदवियों के फोटो जारी किए हैं । अभी तक 48 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इस दौरान 18 तमंचे और 109 कारतूस भी बरामद किए गये हैं। सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट ड़ालने के आरोप में तीन के विरूद्ध रिपोर्ट दर्ज की गई है।

उत्तरप्रदेश में नरेन्द्र मोदी ने चुनौतियों को चुनौती देने की सामर्थ्य रखने की बात कहकर हिंसा फैलाने वालों को दी नसीहत attacknews.in

लखनऊ, 25 दिसम्बर ।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संशोधित नागरिकता कानून, रामजन्मभूमि मामला और अनुच्छेद 370 का जिक्र करते हुए बुधवार को कहा कि उनकी सरकार विरासत में मिली सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक समस्याओं के समाधान का निरन्तर प्रयास कर रही है और उसने ‘चुनौतियों को चुनौती’ देने का कोई मौका नहीं छोड़ा है।

प्रधानमंत्री ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन के मौके पर यहां आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘हमें विरासत में जो भी सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक समस्याएं और चुनौतियां मिली हैं, उनके समाधान की हम निरन्तर कोशिश कर रहे हैं।’

उन्होंने कहा, ‘अनुच्छेद 370 कितनी पुरानी बीमारी थी। कितनी कठिन लगती थी, मगर हमारा दायित्व था कि हम ऐसी कठिन चुनौतियों से पार पायें और यह आराम से हुआ… सबकी धारणाएं चूर-चूर हो गयीं। राम जन्मभूमि के इतने पुराने मामले का शांतिपूर्ण समाधान हुआ।’

मोदी ने कहा कि विभाजन के बाद लाखों गरीब लोग अपनी बेटियों की इज्जत बचाने के लिये पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत की तरफ आने को मजबूर हो गये। उन्हें नागरिकता देने का रास्ता साफ किया गया। ऐसी अनेक समस्याओं का हल देश के 130 करोड़ भारतीयों ने निकाला है।

उन्होंने कहा कि अभी जो चुनौतियां बाकी हैं, उनके समाधान के लिये भी पूरे सामर्थ्य से साथ हर भारतवासी प्रयास कर रहा है। चाहे हर गरीब को घर देना हो या फिर हर घर जल पहुंचाना हो। कितनी भी बड़ी चुनौती हो, हम चुनौती को चुनौती देने के स्वभाव के साथ निकले हैं।

प्रधानमंत्री ने संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ उत्तर प्रदेश के कई जिलों में हुए हिंसक प्रदर्शनों का जिक्र करते हुए कहा ‘यूपी में कुछ लोगों ने विरोध प्रदर्शन के नाम पर हिंसा की। वे खुद से सवाल पूछें कि क्या उनका यह रास्ता सही था? जो कुछ जलाया गया क्या वह उनके बच्चों के काम नहीं आने वाला था? हिंसा में जिन लोगों की मृत्यु हुई, जो लोग जख्मी हुए उनके परिवार पर क्या बीती होगी। मैं अफवाहों में आकर सरकारी सम्पत्ति को तोड़ने वालों से आग्रह करूंगा कि सार्वजनिक सम्पत्ति को बचाकर रखना उनका भी दायित्व है।’

इससे पहले, भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर यहां पहुंचे मोदी ने लोकभवन परिसर में स्थित उनकी करीब 25 फुट ऊंची कांस्य प्रतिमा का अनावरण किया और पुष्पांजलि अर्पित की।

प्रधानमंत्री ने अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय का शिलान्यास भी किया।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद के वर्षों में हमने सबसे ज्यादा जोर अधिकारों पर दिया है लेकिन अब हम आजादी के 75 साल पूरे होने की ओर बढ़ रहे हैं। समय की मांग है कि अब हम अपने कर्तव्यों पर भी उतना ही बल दें। सरकार का दायित्व है कि वह पांच साल नहीं बल्कि पांच पीढ़ियों को ध्यान में रखते हुए काम करने की आदत बनाये। उत्तर प्रदेश सरकार इस दायित्व को निभाने का भरपूर प्रयास कर रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सुशासन का एक ही मंत्र है, सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास। हमारा निरन्तर प्रयास रहा है कि सरकार से सत्ता सुख को निकालकर सेवा के संस्कार गढ़े जाएं। यह तभी सम्भव है जब आम आदमी के जीवन में सरकार का दखल कम से कम रखने की कोशिश हो। हमारा प्रयास है कि सरकार अटकाने, उलझाने के बजाय सुलझाने का माध्यम बने। आप अगर इस सरकार का मूल्यांकन करेंगे तो यही कोशिश हर कदम पर महसूस करेंगे।

हम सुशासन के उस दौर में बढ़ रहे हैं कि आपकों आवेदन करने की जरुरत ना पड़े, बल्कि सरकार खुद आकर आपसे पूछे कि कहीं कोई तकलीफ तो नहीं है।

मोदी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी कहते थे कि जीवन को टुकड़ों में नहीं बल्कि समग्रता में देखना होगा। यह बात सरकार के लिये भी उतनी ही सत्य है और सुशासन के लिये भी यही उपयुक्त मानदंड है। सुशासन भी तब तक सम्भव नहीं, जब तक हम समस्याओं को सम्पूर्ण, समग्रता में न सोचेंगे और न सुलझाने का प्रयास करेंगे। मुझे संतोष है कि योगी सरकार भी समग्रता की इस सोच को साकार करने का भरसक प्रयास कर रही है।

उन्होंने कहा कि हम नये वर्ष और नये दशक में प्रवेश करने जा रहे हैं, ऐसे में हमें अटल जी की एक बात जरुर याद रखनी चाहिये। वह कहते थे कि भारत की प्रगति में हर पीढ़ी के योगदान का मूल्यांकन दो मानदंडों पर होगा। पहला, हमने खुद को विरासत में मिली कितनी समस्याओं को सुलझाया है और दूसरा, राष्ट्र के भावी विकास के लिये हमने अपने प्रयासों से कितनी मजबूत नींव रखी है। इन दोनों सवालों की रोशनी में हम कह सकते हैं कि भारत साल 2020 में अभूतपूर्व उपलब्धियों के साथ प्रवेश कर रहा है।

मोदी ने अटल बिहारी वाजपेयी मेडिकल यूनीवर्सिटी का जिक्र करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय उत्तर प्रदेश में मेडिकल की पढ़ाई को समग्रता और सम्पूर्णता देगा। साथ ही पाठ्यक्रम से लेकर परीक्षा तक इसमें एकसूत्रता, एकरूपता और स्वाभाविक एकात्म भाव होगा। यह विश्वविद्यालय मेडिकल, डेंटल, पैरामेडिकल, नर्सिंग और चिकित्सा से जुड़ी हर डिग्री को आगे बढ़ायेगा। इससे यूपी में मेडिकल की पढ़ाई की गुणवत्ता में और सुधार होगा।

मोदी ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकार की कार्ययोजना के चार पहलू हैं। पहला प्रिवेंटिव हेल्थकेयर, दूसरा अफोर्डेबल हेल्थकेयर, तीसरा सप्लाई साइड इंटरवेंशन और चौथा मिशन मोड इंटरवेंशन। यानी स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं को मिशन मोड पर चलाना। बीमारियों पर होने वाले खर्च को बचाने का सबसे आसान तरीका है कि बीमार होने से ही बचा जाए। आम लोग स्वास्थ्य के प्रति जितने जागरूक होंगे, उनकी रोगरोधक क्षमता उतनी ही बढ़ेगी।

उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत के साथ—साथ योग भी एक तरह से मुफ्त हेल्थकेयर है। उज्ज्वला योजना, फिट इंडिया मूवमेंट भी प्रिवेंटिव हेल्थेकयर है। हर कोई दवाओं के साइड इफेक्ट से बचना चाहता है। इसमें आयुर्वेद बहुत बड़ी भूमिका निभा सकता है। प्रिवेंटिव हेल्थकेयर के लिये हम जितना बल देंगे, उतना ही स्वास्थ्य क्षेत्र के लिये हमारी चिंताएं कम होती जाएंगी। जीवनशैली के कारण जो बीमारियां आती हैं उन्हें दूर करने में भी यह कारगर हो रही है।

मोदी ने कहा कि आयुष्मान योजना से देश में 70 लाख से ज्यादा गरीबों का मुफ्त इलाज हो चुका है। अमेरिका, कनाडा और मेक्सिको की कुल आबादी से ज्यादा तो भारत में आयुष्मान योजना के लाभार्थी हैं। अकेले उत्तर प्रदेश में ही 11 लाख लोगों ने इसका लाभ लिया है।

उन्होंने कहा कि जैसे—जैसे गरीबों को स्वास्थ्य सेवा मिल रही है, हेल्थेकयर की मांग भी बढ़ रही है। पिछले पांच वर्षों में रिकार्ड संख्या में मेडिकल सीटें बढ़ायी गयी हैं। इसी साल पूरे देश में 75 नये मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी दी गयी है। यह हर तीन लोकसभा सीटों पर एक मेडिकल कॉलेज बनाने के हमारे विजन की दिशा में एक प्रयास है।

इससे पहले, लखनऊ से सांसद व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वाजपेयी का जिक्र करते हुए कहा कि सिर्फ प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू को ही नहीं बल्कि अनेक लोगों को भरोसा था कि वाजपेयी एक दिन जरूर भारत के प्रधानमंत्री बनेंगे। दूसरे दलों में भी उनका बहुत मान—सम्मान था।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी वाजपेयी को याद करते हुए अपनी सरकार के कार्यों का जिक्र किया।

क्या वाकई केंद्र सरकार से इतनी डरी हुई हैं औद्योगिक क्षेत्र की प्रमुख हस्तियां जो विरोध में आवाज नहीं उठाती attacknews.in

नयी दिल्ली, 24 दिसंबर ।अर्थव्यवस्था में जब भी सुस्ती का दौर आता है, सरकारी नीतियां कमजोर पड़ती दिखती हैं। उद्योग धंधे में लोगों की पीड़ा बढ़ती है तो सबसे पहले आवाज उद्यम क्षेत्र की मुखर हस्तियां उठाती हैं। लेकिन 2019 में मौजूदा भाजपा की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ सिर्फ कुछ एक ही आवाजें उठीं।

इनमें एक प्रमुख आवाज वयोवृद्ध उद्यमी राहुल बजाज की है जिन्होंने कहा कि कारोबार जगत के लोग मौजूदा सरकार की आलोचना में कुछ कहने से डरते हैं।

सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत के छह साल के निचले स्तर पर आ गई है। विनिर्माण उत्पादन घटा है और उपभोक्ता मांग के साथ साथ निजी निवेश भी कमजोर हुआ है। इसके बावजूद कॉरपोरेट जगत के बहुत कम नेता ऐसे रहे जिन्होंने इस पर अपनी बात रखी। पर मौजूदा स्थिति के बारे में आलोचना का स्वर उठाने वालों में बजाज के अलावा किरण मजूमदार शॉ और अजय पीरामल जैसे कुछ एक नाम प्रमुख हैं।

देश का वाहन क्षेत्र बिक्री में सबसे लंबी गिरावट के दौर में है। इस दौरान वाहन क्षेत्र में करीब 3.5 लाख नौकरियां कम हुई हैं। एफएमसीजी क्षेत्र इस बात को लेकर चिंतित है कि आज उपभोक्ता पांच रुपये का कोई पैक लेने से पहले भी दो बार सोचता है। दूरसंचार क्षेत्र तो दबाव में है ही, बिजली क्षेत्र की स्थिति भी ठीक नहीं है।

कभी जिन्हें ‘मौन’ प्रधानमंत्री कहा जाता था आज वही मनमोहन सिंह उद्योग की ओर से आवाज उठा रहे हैं। उद्योग कभी उन्हें नीतिगत मोर्चे पर सुस्ती के लिए जिम्मेदार ठहराता था।

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 18 नवंबर को ‘द हिंदू’ समाचार पत्र में एक लेख में कहा है कि आज हमारे समाज में भय का माहौल है।

सिंह ने लिखा है, ‘‘कई उद्योगपतियों ने मुझे बताया है कि आज वे सरकारी अधिकारियों की ओर प्रताड़ना के भय में रह रहे हैं। बैंकर नया कर्ज देने से कतरा रहे हैं। उद्यमी नयी परियोजनाओं को आगे बढ़ाते हिचकिचा रहे हैं। आर्थिक वृद्धि का नया इंजन कहा जाने वाले प्रौद्योगिकी स्टार्ट अप्स अब निगरानी और संदेह के बीच काम कर रहे हैं।

‘इकनॉमिक टाइम्स’ की ओर से 30 नवंबर को मुंबई में आयोजित एक कार्यक्रम में उद्योगपति राहुल बजाज ने सरकार द्वारा आलोचनाओं को दबाने का मुद्दा उठाया। इसके अलावा उन्होंने कई अन्य मुद्दे उठाए।

उद्योग जगत के दिग्गज ने कहा, ‘‘यह डर का माहौल है। निश्चित रूप से यह हमारे मन में है। आप यानी सरकार अच्छा काम कर रही है, लेकिन इसके बावजूद हमारे पास यह भरोसा नहीं है कि आप आलोचना को खुले मन से लेंगे।’’ इस मौके पर गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे।

बजाज ने जैसे कहा था कि सरकार आलोचना नहीं सुनना चाहती है, इसकी प्रतिक्रिया सीतारमण की ओर से देखने को मिली। बजाज के बयान के बाद सीतारमण ने कहा कि अपने विचारों का प्रसार करने से राष्ट्रीय हित प्रभावित हो सकता है।

बजाज को इस मामले में बायोकॉन की चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक किरण मजूमदार शॉ का समर्थन मिला। शॉ ने उम्मीद जताई कि सरकार उपभोग और वृद्धि को बढ़ाने के लिए उद्योग जगत से बातचीत करेगी। बजाज पर सीतारमण की प्रतिक्रिया के बाद शॉ ने जवाब दिया, ‘‘मैडम हम न तो राष्ट्र विरोधी हैं और न ही सरकार विरोधी।’’

हालांकि, आरपी-संजीव गोयनका समूह के चेयरमैन संजीव गोयनका ने इंडिया टुडे के सम्मेलन पूर्व-2019 को संबोधित करते हुए कहा कि उद्योगपतियों में किसी तरह का भय नहीं है। उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार की इस बात के लिए सराहना की कि वह विकास का लाभ आम आदमी तक पहुंचाने के लिए कदम उठा रही है।

जम्मू-कश्मीर के विकास मामलों और सुरक्षा स्थितियों को लेकर केंद्र सरकार की उच्च स्तरीय बैठक हुई attacknews.in

नयी दिल्ली, 24 दिसंबर ।केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू कश्मीर के विकास मामलों और सुरक्षा स्थिति पर चर्चा करने के लिए मंगलवार को एक उच्चस्तरीय बैठक हुई।

इस बैठक की अध्यक्षता राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने की और इसमें केन्द्रीय गृह सचिव अजय के भल्ला, जम्मू कश्मीर के उप राज्यपाल जी सी मुर्मू और केंद्र शासित क्षेत्र के लिए गृह मंत्रालय में वरिष्ठ सुरक्षा सलाहकार के विजय कुमार समेत अन्य अधिकारियों ने भाग लिया।

अधिकारियों के अनुसार केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी इस बैठक में कुछ समय के लिए मौजूद थे।

उन्होंने बताया कि कुमार केंद्र शासित क्षेत्र के हालात का जायजा लेने के लिए यात्रा करेंगे।

गौरतलब है कि गत पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को मिला विशेष दर्जा वापस लिये जाने और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों में विभाजित किये जाने के बाद से कश्मीर घाटी में कई पाबंदियां लागू की गई थीं, जिन्हें बाद में हटा लिया गया था

पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक वैज्ञानिक अब्दुल्ल कादिर खान ने सरकार की बेड़ियों से मुक्ति के लिए सुप्रीम कोर्ट में लगाई गुहार attacknews.in

इस्लामाबाद, 24 दिसंबर ।पाकिस्तान के शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक डॉ अब्दुल कदीर खान ने उच्चतम न्यायालय में एक याचिका दायर कर अपने मौलिक अधिकारों को अमल में लाने देने का अनुरोध किया है। मीडिया में मंगलवार को आई खबरों के मुताबिक उन्होंने देश भर में स्वतंत्र रूप से आ-जा सकने समेत तमाम अन्य मौलिक अधिकारों को लागू करने की गुहार लगाई है।

अधिवक्ता जुबैर अफजल राना ने खान की तरफ से सोमवार को यह याचिका दायर की। यह लाहौर उच्च न्यायालय के 25 सितंबर, 2019 के फैसले के खिलाफ दायर की गई है जिसमें इसी तरह की याचिका को इस आधार पर खारिज कर दिया गया था कि खान की सुरक्षा को लेकर देश द्वारा उठाए गए विशेष सुरक्षा कदमों के मद्देनजर वह इसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता।

‘डॉन न्यूज’ समाचारपत्र की खबर के मुताबिक खान ने उच्चतम न्यायालय से यह निर्णय सुनाने का आग्रह किया है कि आवाजाही की स्वतंत्रता समेत तमाम अन्य मौलिक अधिकारों को महज किसी को पसंद या नापसंद करने और उचित प्रतिबंधों की आड़ लेकर घटाया या उन्हें देने से इनकार नहीं किया जा सकता।

याचिकाकर्ता ने पूछा, “क्या सरकारी अधिकारियों को याचिकाकर्ता पर अपने प्रियजन, परिवार के सदस्यों, दोस्तों, पत्रकारों, विभिन्न कॉलेजों, विश्वविद्यालयों के शिक्षकों, उच्च अधिकारियों और नौकरशाहों से मिलने पर रोक लगा कर संवैधानिक उपायों का उल्लंघन करने की इजाजत दी सकती है?”

याचिका में सवाल उठाया गया कि क्या लाहौर उच्च न्यायालय की याचिकाकर्ता को अपनी समस्या के समाधान के लिए इस्लामाबाद उच्च न्यायालय का रुख करने की अकारण सलाह को न्यायसंगत ठहराया जा सकता है।

खान ने कहा कि वह पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम के जनक हैं और शीर्ष में बैठे लोगों के अथक प्रयासों के चलते देश को परमाणु शक्ति बनाने में वह सफल हुए थे।

खान ने कहा कि जब से वह पाकिस्तान आए और परमाणु परियोजना पर काम करना शुरू किया तब से उन्हें उनके दर्जे के अनुकूल निजी सुरक्षा मिली लेकिन अब स्थिति यह है कि सुरक्षा एजेंसियों के कर्मियों ने उनके बगल वाले घर में अड्डा जमा लिया है ताकि कोई उन तक न पहुंच सके।

याचिका में कहा गया कि खान को सुरक्षा अधिकारियों की पूर्व अनुमति के बिना कहीं भी जाने, देश के भीतर किसी सामाजिक या आकादमिक कार्यक्रम में शामिल होने की इजाजत नहीं दी जाती है।

इसमें कहा गया कि यह स्थिति याचिकाकर्ता को असल में बंधक बना कर रखने जैसी है।

खान ने कहा कि सुरक्षा अधिकारियों की यह हरकत गैरकानूनी है क्योंकि मेरे साथ ऐसे व्यवहार के किसी आदेश की मुझे अब तक कोई जानकारी नहीं दी गई है।

ब्रिटेन में ब्रेग्जिट से अलग होने के मुद्दे पर जाॅनसन की चुनाव में बड़ी जीत से भारत के साथ नये संबंधों की शुरुआत के शुभ संकेत attacknews.in

लंदन, 24 दिसम्बर । प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन की बड़ी चुनावी जीत के साथ ब्रेक्जिट को लेकर ब्रिटेन में जारी असमंजस खत्म हो गया। यह परिवर्तन भविष्य में ब्रिटेन-भारत के बीच रणनीतिक संबंधों के लिए भी एक अच्छा संकेत है।

जॉनसन के 31 जनवरी तक ‘ब्रेक्जिट करने’ के मुख्य वादे को लागू करने के समर्थन में मतदाताओं ने ऐतिहासिक जनादेश दिया।

ब्रिटेन में 12 दिसंबर को हुए मध्यावधि चुनाव के केंद्र में ब्रेक्जिट ही था। जून 2016 में जनमत संग्रह हुआ था जो ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने यानी ब्रेक्जिट के पक्ष में रहा था। तब से ब्रिटेन की राजनीति पर यह विषय हावी रहा।

जॉनसन ने टेरीजा मे से 10 डाउनिंग स्ट्रीट की कमान जुलाई में ली थी।

पूर्व प्रधानमंत्री टेरीजा मे ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से अलग कराने संबंधी विधेयक को संसद से पारित कराने में कई बार असफल रही थीं। हालांकि हाउस ऑफ कॉमन्स में जॉनसन को भी इस प्रस्ताव को लेकर इसी तरह का संघर्ष का सामना करना पड़ा।

इसके बाद उन्होंने क्रिसमस से पहले मध्यावधि चुनाव कराने का जोखिम उठाया लेकिन यह उनके लिए फलदायी रहा। इसमें उन्होंने 364 सीटें जीतीं।

उनकी जीत के साथ ब्रिटेन 28 सदस्यीय आर्थिक संघ से 31 जनवरी तक अलग होने की राह पर आगे बढ़ रहा है। वहीं, यह भारत के साथ ब्रिटेन के करीबी संबंधों की दिशा में प्रगति का सूचक भी है।

चुनाव से कुछ दिन पहले स्वामीनारायण मंदिर में माथे पर तिलक लगाए जॉनसन ने कहा था, ‘‘ मैं जानता हूं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नए भारत का निर्माण कर रहे हैं। और यहां हम, ब्रिटेन की सरकार इसमें उनका पूरा सहयोग करेगी।’’

उन्होंने कहा था, ‘‘ब्रिटेन के भारतीयों ने पहले भी कंजर्वेटिव दल को चुनाव जिताने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जब मैंने नरेंद्र भाई (मोदी) को यह बताया तो वह हंस पड़े और उन्होंने कहा कि भारतीय हमेशा विजेता पक्ष की ओर रहते हैं।’’

जॉनसन की जीत पर सबसे पहले बधाई देने वाले नेताओं में से एक प्रधानमंत्री मोदी भी थे।

जॉनसन के शासन ने ‘अध्ययन के बाद कामकाज संबंधी वीजा’ बहाल करने का फैसला लिया था जिसका असर यह पड़ा कि पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष पंजीयन कराने वाले भारतीय छात्रों की संख्या 63 फीसदी अधिक थी।

आने वाले वर्ष में हीरा कारोबारी नीरव मोदी और शराब कारोबारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामलों पर भी नजर रहेगी।

नीरव मोदी के प्रत्यर्पण मामले पर सुनवाई लंदन के वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट्स कोर्ट में मई 2020 में होगी।

वहीं, लंदन के उच्च न्यायालय में अपने प्रत्यर्पण के आदेश के खिलाफ अपील का अधिकार प्राप्त करने के बाद से माल्या जमानत पर है। इस अपील पर अगले साल फरवरी में सुनवाई होगी।

अमित शाह ने स्पष्ट किया,NPR का NRC से कोई संबंध नहीं है,अभी NRC को लागू करने पर कोई विचार नहीं किया attacknews.in

नयी दिल्ली 24 दिसम्बर ।राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) को लेकर देश भर में मचे बवाल के बीच केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि एनआरसी और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) में कोई संबंध नहीं है।

भारतीय जनता पार्टी ने श्री शाह के एक एजेन्सी को दिये साक्षात्कार के बाद सिलेसिलेवार ट्वीट में यह जानकारी दी है। इस साक्षात्कार में श्री शाह ने कहा है, “एनआरसी और एनपीआर में कोई संबध नहीं है। मैं स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि दोनों अलग-अलग चीज हैं। फिलहाल एनआरसी बहस का मुद्दा नहीं है क्योंकि अभी इसे देश भर में लागू करने पर कोई विचार नहीं किया गया है।”

उन्होंने कहा, “इस पर डिबेट की कोई जरूरत नहीं है। प्रधानमंत्री ने सही कहा है कि अभी इस पर कैबिनेट या संसद में कोई बात नहीं हुई है। अगर एनआरसी लागू करना होगा तो चोरी-छिपे थोड़े ही न किया जायेगा।”

श्री शाह ने कहा कि एनपीआर को लेकर किसी के मन में और खासकर किसी भी अल्पसंख्यक को यह शंका नहीं होनी चाहिए कि इसका इस्तेमाल एनआरसी बनाने के लिए होगा। इन दोनों का आपस में लेना-देना नहीं है। एनपीआर को लेकर कोरी अफवाह फैलाई जा रही है। इसे लेकर नया विवाद खड़ा करने की कोशिश की जा रही है।

उन्होंने कहा, “मैं यह बात बिल्कुल साफ कर देना चाहता हूं कि एनपीआर में किसी का नाम शामिल नहीं होने से किसी की नागरिकता नहीं जायेगी। यह एनआरसी से अलग है।”

श्री शाह ने कहा कि एनपीआर से लोगों को कोई तकलीफ नहीं है, यह पहले भी हो चुका है। नागरिकता कानून को लेकर जो अफवाह फैलाई गयी, उससे सवाल खड़ा हो गया है। अब नागरिकता कानून को लेकर विरोध खत्म हो रहा है इसलिए नया विवाद खड़ा करने की कोशिश की जा रही है। अफवाहें फैलायी जा रही हैं। विपक्ष नागरिकता कानून और एनपीआर को लेकर राजनीति कर रहा है।

एनपीआर को एनआरसी से जोड़ना चाहती है सरकार: कांग्रेस

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) को राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) से जोड़ना चाहती है और इस मामले में झूठ बोलकर भ्रम फैला रही है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने मंगलवार को कहा कि सरकार ने 2017 तथा 2018 में कह दिया था कि एनपीआर की प्रक्रिया एनआरसी से पहले की है।

उन्होंने कहा कि सरकार की यह घोषणा गृह मंत्रालय की वार्षिक रिपोर्ट में है।

श्री माकन ने कहा कि वार्षिक रिपोर्ट एक सरकारी दस्तावेज होता है जिसमें सरकार अपनी योजनाओं का खुलासा भी करती है और साल भर के अपने काम की जानकारी भी देती है। गृह मंत्रालय की पिछली दो साल की वार्षिक रिपोर्ट में साफ कहा गया है कि एनआरसी से पहले की प्रक्रिया एनपीआर है।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार जब यह योजना लेकर आई थी तब इसका मकसद इसे एनआरसी से लिंक करने का नहीं था जबकि मोदी सरकार इसे एनआरसी से लिंक कर रही है।

गौरतलब है केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के बाद सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संवाददाताओं से कहा था कि मंत्रिमंडल ने एनपीआर पर नियम के अनुसार काम करने को मंजूरी दी है। उन्होंने स्पष्ट किया था कि एनपीआर का एनआरसी से कोई संबंध नहीं है