अयोध्या फैसले के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की पांच पुनर्विचार याचिकाएं attacknews.in

नयी दिल्ली, 06 दिसंबर ।अयोध्या विवाद में उच्चतम न्यायालय के गत नौ नवंबर के फैसले के खिलाफ शुक्रवार को कुल 6 पुनर्विचार याचिकाएं दायर की, जिनमें पांच याचिकाएं मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर की गयी हैं।

ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) के सूत्रों ने बताया कि यदि इन याचिकाओं को ओपन कोर्ट में सुनवाई के लिए मंजूर किया जाता है तो मुस्लिम पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ही जिरह करेंगे।

एक पुनर्विचार याचिका पीस पार्टी ने भी दाखिल की है। आज दायर पांच याचिकाओं के साथ ही अयोध्या के राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में शीर्ष अदालत के फैसले के खिलाफ अब तक कुल छह समीक्षा याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। सबसे पहले जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द ने पिछले दिनों याचिका दायर की थी।

सत्रह नवंबर को ही जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने कहा था कि न्यायालय के फैसले की समीक्षा के लिए वह अपने संवैधानिक अधिकारों का इस्‍तेमाल करेगा।

इस बीच, अखिल भारतीय हिन्दू महासभा ने भी अयोध्या मामले में पांच सदस्यीय संविधान पीठ के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दायर करने का फैसला लिया है। महासभा सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन दिए जाने का विरोध करेगी ।

अयोध्या में विवादित 2.77 एकड़ भूमि पर राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करने वाले उच्चतम न्यायालय के नौ नवंबर के फैसले पर पुनर्विचार के लिये शुक्रवार को शीर्ष अदालत में छह याचिकायें दायर की गयीं।

इस फैसले पर पुनर्विचार के लिये पांच याचिकायें मौलाना मुफ्ती हसबुल्ला, मोहम्मद उमर, मौलाना महफूजुर रहमान, हाजी महबूब और मिसबाहुद्दीन ने दायर की हैं जिन्हें आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का समर्थन प्राप्त है। छठी पुनर्विचार याचिका मोहम्मद अयूब ने दायर की है।

तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने सर्वसम्मति के फैसले में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि की डिक्री ‘राम लला विराजमान’ के पक्ष में की थी और अयोध्या में ही एक प्रमुख स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिये उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आबंटित करने का निर्देश केन्द्र सरकार को दिया था।

इन पुनर्विचार याचिकाओं में से एक में कहा गया है कि यह याचिका दायर करने का मकसद इस महान राष्ट्र की शांति को भंग करना नहीं है लेकिन इसका मकसद है कि न्याय के लिये शांति सुखदायी होनी चाहिए। इस मामले के संबंध में याचिका में कहा गया है कि मुस्लिम समुदाय हमेशा ही शांति बनाये रखता है लेकिन मुस्लिम और उनकी संपत्तियां की हिंसा और अन्याय का शिकार बनी हैं। यह पुनर्विचार न्याय की आस में दायर की गयी है।

इन सभी पांच याचिकाओं को वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन और जफरयाब जिलानी ने अंतिम रूप दिया है और इन्हें अधिवक्ता एम आर शमशाद के माध्यम से दायर किया गया है।

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकारों का प्रतिनिधत्व करने वाले वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने तीन दिसंबर को ही कहा था कि उन्हें इस मामले से हटा दिया गया है और अब वह इससे किसी भी तरह जुड़े नहीं है।

धवन ने इस बारे में फेसबुक पर एक पोस्ट भी लिखी थी और बाद में कहा था कि वह मुस्लिम पक्षकारों के बीच दरार नहीं चाहते थे, इसी बीच, तीन दिसंबर को आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा था कि उसे उम्मीद है कि पुनर्विचार याचिका दायर किये जाने पर यह वरिष्ठ अधिवक्ता उनके संगठन का प्रतिनिधित्व करेंगे।

शीर्ष अदालत के इस फैसले पर पुनर्विचार के लिये पहली याचिका दो दिसंबर को मूल वादकारियों में शामिल एम सिद्दीक के वारिस और उप्र जमीयत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैयद अशहद रशीदी ने दायर की थी। इस याचिका में 14 बिन्दुओं पर पुनर्विचार का आग्रह करते हुये कहा गया है कि बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण का निर्देश देकर ही इस प्रकरण में ‘पूरा न्याय’ हो सकता है।

हालाकि प्रमुख वादकारी उत्तर प्रदेश सुन्नी सेन्ट्रल वक्फ बोर्ड ने इस फैसले को चुनौती नही देने का निर्णय लिया था।

अयोध्या में छह दिसंबर, 1992 को ‘कार सेवकों’ द्वारा मस्जिद गिराये जाने की घटना के बाद देश में बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक दंगे हुये थे।

मौलाना मुफ्ती हसबुल्ला ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा है कि मालिकाना हक के इस विवाद में उनके समुदाय के साथ ‘घोर अन्याय’ हुआ है और न्यायालय को इस पर फिर से विचार करना चाहिए।

याचिका में कहा गया है कि समूचे स्थान का इस आधार पर मालिकाना अधिकार हिन्दू पक्षकारों को नहीं दिया जा सकता था कि यह पूरी तरह उनके कब्जे था जबकि किसी भी अवसर पर यह हिन्दुओं के पास नहीं था और यह भी एक स्वीकार्य तथ्य है कि दिसंबर, 1949 तक मुस्लिम इस स्थान पर आते थे और नमाज पढ़ते थे। इसमें आगे कहा गया है कि मुस्लिम समुदाय को बाद में ऐसा करने से रोक दिया गया क्योंकि इसे कुर्क कर लिया गया था जबकि अनधिकृत तरीके से प्रवेश की वजह से अनुचित तरीके से हिन्दुओं को पूजा करने की अनुमति दी गयी थी।

याचिका में कहा गया है कि नौ नवंबर के फैसले ने मस्जिद को नुकसान पहुंचाने और अंतत: उसे ध्वस्त करने सहित कानून के शासन का उल्लंघन करने, विध्वंस करने की गंभीर अवैधताओं को माफ कर दिया। यही नहीं, न्यायालय द्वारा इस स्थान पर जबर्दस्ती गैरकानूनी तरीके से मूर्ति रखे जाने की अपनी व्यवस्था के बाद भी फैसले में तीन गुंबद और बरामदे पर मूर्ति को न्यायिक व्यक्ति के अधिकार को स्वीकार करने को भी याचिका में गंभीर त्रुटि बताया गया है।

याचिका में कहा गया है कि यह निर्विवाद है कि 16 दिसंबर, 1949 तक मुस्लिम इस स्थान पर नमाज पढ़ते थे और बाहरी बरामदे से होते हुये मस्जिद में आते थे और यह तथ्य इस बात को साबित करता है कि इस पर कभी भी हिन्दुओं का पूरी तरह नियंत्रण नहीं था।

याचिका में कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 142 के अंतर्गत सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आबंटित करने का निर्देश देना भी गलत है क्योंकि इस मामले में कभी भी इसके लिये दलील पेश नही की गयी थी।

मोहम्मद अयूब ने अपनी पुनर्विचार याचिका में कहा है कि नौ नवंबर का न्यायालय का निर्णय त्रुटिपूर्ण है क्योंकि यह गैरकानूनी कृत्य पर आधारित अधिकार का सृजन करता है जिसकी स्थापित कानून के आलोक में इजाजत नहीं है।

रशीदी ने अपनी पुनर्विचार याचिका में नौ नवंबर के फैसले पर अंतरिम रोक लगाने का अनुरोध किया है जिसमे केन्द्र को अयोध्या में विवादित स्थल पर मंदिर निर्माण के लिये तीन महीने के भीतर एक न्यास गठित करने का निर्देश दिया गया है।

रशीदी ने अयोध्या में प्रमुख स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिये पांच एकड़ का भूखंड आवंटित करने का केन्द्र और राज्य सरकार को निर्देश देने संबंधी शीर्ष अदालत की व्यवस्था पर सवाल उठाया है और यह तर्क दिया है कि मुस्लिम पक्षकारों ने कभी भी इस तरह का कोई आग्रह किया ही नहीं था।

महाराष्ट्र के 70 हजार करोड़ के सिंचाई घोटाले में अजित पवार को उद्धव ठाकरे सरकार में मिली क्लीनचिट attacknews.in

नागपुर, 06 दिसंबर ।महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने विदर्भ सिंचाई घोटाला मामले में महाराष्ट्र के पूर्व जल संसाधन मंत्री एवं पूर्व उप मुख्यमंत्री अजीत पवार काे शुक्रवार को क्लीन चिट दे दी।

बाम्बे उच्च नयायलय में नागपुर पीठ के समक्ष 27 नवंबर को दाखिल पत्र के अनुसार श्री पवार पर लगे विदर्भ सिंचाई घोटाले से संबंधित सभी आरोप हटा दिये गये हैं।

पूर्व उप मुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता अजित पवार को बड़ी राहत मिली है. उन्हें सिंचाई घोटाले के 17 मामलों में क्लीन चिट मिल गई है।

भ्रष्‍टाचार रोधी ब्‍यूरो (ACB) ने 27 नवंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट में क्लीन चिट को लेकर हलफनामा दायर किया।एसीबी के हलफनामे के अनुसार विदर्भ सिंचाई विकास निगम के चेयरमैन रहे अजित पवार को एजेंसियों के कार्यों के लिए जिम्मेदार नहीं माना जा सकता. इसका मुख्य कारण ये है कि अजित के पास कोई भी कानूनी जिम्मेदारी नहीं है।

इससे पहले महाराष्ट्र में हुए करीब 70 हजार करोड़ के कथित सिंचाई घोटाले में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने नवंंबर 2018 में पूर्व उप मुख्यमंत्री और एनसीपी नेता अजित पवार को जिम्मेदार ठहराया था।

महाराष्ट्र भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया था कि करोड़ों रुपये के कथित सिंचाई घोटाला मामले में उसकी जांच में राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री अजित पवार और अन्य सरकारी अधिकारियों की ओर से भारी चूक की बात सामने आई है।

यह घोटाला करीब 70,000 करोड़ रुपये का है, जो कांग्रेस- राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के शासन के दौरान सिंचाई परियोजनाओं को मंजूरी देने और उन्हें शुरू करने में कथित भ्रष्टाचार व अनियमितताओं से जुड़ा हुआ है।

अजित पवार के पास महाराष्ट्र में 1999 से 2014 के दौरान कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन सरकार में सिंचाई विभाग की जिम्मेदारी थी. एसीबी के महानिदेशक संजय बारवे ने एक स्वयंसेवी संस्था जनमंच की ओर से दाखिल याचिका के जवाब में हाईकोर्ट की नागपुर पीठ के समक्ष एक हलफनामा दाखिल किया था।

हैदराबाद एनकाउन्टर पर पुलिस अधिकारियों के मतभेद सामने आए attacknews.in

बेंगलुरु/मुंबई, छह दिसंबर। हैदराबाद की पशु चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार एवं उसकी हत्या मामले के चार आरोपियों को मुठभेड़ में मार गिराने की घटना को शुक्रवार को जहां कई मौजूदा और पूर्व पुलिस अधिकारियों ने सही ठहराया है, वहीं कुछ ने इसकी निंदा की।

कर्नाटक में बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त भास्कर राव ने मुठभेड़ का बचाव करते हुए इसे ‘सही और वक्त पर की गई कार्रवाई’ करार दिया। राव ने कहा कि यदि आरोपी हिरासत से फरार हो जाते तो पुलिस पर बेहद दबाव बढ़ जाता।

राव ने कहा, ‘‘ हैदराबाद/साइराबाद पुलिस की कार्रवाई सही और समय पर की गई। कोई दूसरी राय नहीं हो सकती है। अगर वे (आरोपी) हिरासत से भाग जाते तो वे (पुलिस) जर्बदस्त दबाव में आ जाती। यह घटना जांच के दौरान हुई है और इसका बचाव करने की जरूरत है। साइबराबाद पुलिस ने जरूरी कार्रवाई की है।’’

उन्होंने बेंगलुरु में पत्रकारों से कहा, ‘‘ जांच के दौरान अपराध के घटनाक्रम की पुनर्रचना के दौरान आरोपियों ने पुलिस की हिरासत से भागने की कोशिश की जिसके बाद यह सख्त कार्रवाई की गई।’’

उन्होंने कहा कि तेलंगाना की राजधानी में पिछले महीने घटित हुई दिल दहला देने वाली घटना कहीं भी हो सकती है और पुलिस पर मामले को हल करने का दबाव होता है।

आईपीजी और बेंगलुरु नगर पुलिस के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (प्रशासन) निम्बलकर ने कहा, ‘‘ सोशल मीडिया थोड़ा सब्र करो! बलात्कार का अपराध और आज की मुठभेड़ दो अलग अलग तथ्य हैं। जैसा कहा गया है यह आत्म रक्षा में किया गया कदम है न कि बलात्कार के आरोपियों को सजा है। तेलंगाना पुलिस कानूनी जांच के दायरे में आती है। जिनका विश्वास लोकतंत्र और कानून की व्यवस्था में है, उन्हें इंतजार करना चाहिए।’’

उत्तर प्रदेश के बागपत से भाजपा के सांसद और मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त सत्यपाल सिंह ने मुठभेड़ को सही ठहराया ।

उन्होंने ट्विटर पर कहा, ‘‘ दिलेरी के साथ स्थिति से निपटने के लिए मैं हैदराबाद पुलिस को बधाई देता हूं। अगर आरोपी हिरासत से भाग जाते तो यह खाकी पर बड़ा धब्बा होता। जय हिंद।’’

वहीं, महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस महानिदेशक डी शिवानंदन ने हैदराबाद के बलात्कार एवं हत्या मामले के आरोपियों को ‘मुठभेड़’ में मार गिराए जाने की निंदा की। शिवानंदन ने कहा कि इस तरह के ‘शॉर्ट कट’ लंबे अरसे में अपराध को रोकने में मदद नहीं करेंगे।

1976 बैच के आईपीएस अधिकारी ने कहा, ‘‘ मुठभेड़ के बाद थोड़े समय के लिए पुलिस की तारीफ की जा सकती है लेकिन यह लंबे समय के लिए अच्छी नहीं है।’’

मुंबई में उनके कार्यकाल के दौरान 1990 के दशक में गैंगस्टरों के साथ कई मुठभेड़ें हुई थी।

26/11 आतंकी हमले के बाद मुंबई पुलिस की अगुवाई करने वाले शिवानंदन ने यह भी कहा कि प्रौद्योगिकी की मदद से महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के उपाय करना बेहतर है।

मुंबई पुलिस के एक अन्य शीर्ष अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘‘ जो भी हुआ वो नहीं होना चाहिए था, खासकर तब जब आरोपी पुलिस की हिरासत में थे।’’

गौरतलब है कि हैदराबाद में पशु-चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में गिरफ्तार किए गए चार आरोपी शुक्रवार सुबह पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए। पुलिस आरोपियों को घटनाक्रम की पुनर्रचना के लिए घटनास्थल पर ले गई थी।

साइबराबाद पुलिस आयुक्त सी वी सज्जनर ने संवाददाताओं को बताया कि उनके कर्मियों ने तब ‘‘जवाबी’’ गोलीबारी की जब दो आरोपियों ने पुलिसकर्मियों से हथियार छीनकर पुलिस पर गोलियां चलायीं।

उन्होंने कहा कि आरोपियों में शामिल मोहम्मद आरिफ ने सबसे पहले गोलियां चलायीं। वहीं आरोपियों को घटनास्थल पर लेकर गई 10 सदस्यीय पुलिस टीम पर पत्थर एवं अन्य चीजों से भी हमला किया गया।

दिल्ली पुलिस की अपराधा शाखा के पूर्व संयुक्त आयुक्त आलोक कुमार ने कहा कि जब भी न्यायिक जांच होगी चीजें साफ हो जाएंगी।

उन्होंने फोन पर कहा, ‘‘ दो पुलिस कर्मी जख्मी हुए हैं और उनमें से एक के सिर पर गंभीर चोट आई है। गोलीबारी आत्मरक्षा में की गई है। हमें चीजों को स्वीकार करना चाहिए। बाद में न्यायिक जांच होगी।’’

कुमार ने बताया कि दिशा-निर्देशों के मुताबिक, मामले की जांच दूसरी एजेंसी को करनी चाहिए।

दिल्ली के पूर्व पुलिस आयुक्त नीरज कुमार ने कहा, ‘‘ हर मुठभेड़ के बाद, सवाल उठते हैं और यह (हैदराबाद की घटना) आतंकवादी या गैंगस्टर के साथ मुठभेड़ नहीं थी। यह एक ऐसा मामले है जो सार्वजनिक जांच के तहत आता है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ असल में क्या हुआ था इसकी जांच करने और पता लगाने के लिए न्यायिक जांच होनी चाहिए जिसके आदेश दे दिए गए हैं। हमें क्या मुठभेड़ न्यायोचित थी या नहीं यह जानने के लिए न्यायिक जांच की पड़ताल का इंतजार करना चाहिए।’’

मुंबई पुलिस के एक अन्य शीर्ष अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, ‘‘ जो भी हुआ वो नहीं होना चाहिए था, खासकर तब जब आरोपी पुलिस की हिरासत में थे।’’

गौरतलब है कि हैदराबाद में पशु-चिकित्सक से सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में गिरफ्तार किए गए चार आरोपी शुक्रवार सुबह पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए। पुलिस आरोपियों को घटनाक्रम की पुनर्रचना के लिए घटनास्थल पर ले गई थी।

साइबराबाद पुलिस आयुक्त सी वी सज्जनर ने संवाददाताओं को बताया कि उनके कर्मियों ने तब ‘‘जवाबी’’ गोलीबारी की जब दो आरोपियों ने पुलिसकर्मियों से हथियार छीनकर पुलिस पर गोलियां चलायीं।

उन्होंने कहा कि आरोपियों में शामिल मोहम्मद आरिफ ने सबसे पहले गोलियां चलायीं। वहीं आरोपियों को घटनास्थल पर लेकर गई 10 सदस्यीय पुलिस टीम पर पत्थर एवं अन्य चीजों से भी हमला किया गया ।

भारत में बलात्कार की इन प्रमुख घटनाओं ने देश को हिलाकर रख दिया attacknews.in

नयी दिल्ली, छह दिसंबर ।हैदराबाद की 25 वर्षीय पशु चिकित्सक से सामूहिक दुष्कर्म कर हत्या करने के चारों आरोपियों के शुक्रवार को पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद न्याय देने की प्रक्रिया पर राष्ट्रव्यापी बहस छिड़ गई है। एक ओर लोग इसे त्वरित न्याय करार देकर समर्थन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर न्यायेतर उपाय को लेकर चिंता जता रहे हैं।

देश में दुष्कर्म के कई ऐसे मामले हैं जिन्होंने देश को झकझोर दिया था। जानते हैं अभी उनकी कानूनी स्थिति क्या है :

उन्नाव दुष्कर्म कांड

वर्ष 2017 में नाबालिग लड़की ने भाजपा से निष्कासित विधायक कुलदीप सिंह सेंगर पर अपहरण और सामूहिक दुष्कर्म का आरोप लगाया। उच्चतम न्यायालय के आदेश पर मामले की सुनवाई दिल्ली स्थानांतरित करते हुए सीबीआई को सात दिनों में जांच पूरी करने को कहा। न्यायालय ने इस साल दो अगस्त को सीबीआई को सात और दिन जांच के लिए दिए।

मामले की सुनवाई 11 सितंबर को दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में ही बंद कमरे में शुरू हुई जहां पर एक सड़क हादसे के बाद 28 जुलाई को पीड़िता को भर्ती कराया गया था। पीड़िता ने अपना बयान दर्ज कराया। मुख्य मामले के साथ पीड़िता से हादसे का मामला भी दिल्ली स्थानांतरित किया गया।

सामूहिक दुष्कर्म मामले में आरोपी नरेश तिवारी, ब्रिजेश यादव सिंह और सुभम सिंह जमानत पर जेल से बाहर हैं। अंतिम दौर की जिरह जिला न्यायाधीश धर्मेश शर्मा की अदालत में चल रही है जहां पर हाल में बचाव पक्ष ने बयान दर्ज कराने का कार्य पूरा किया और अब सीबीआई बहस करेगी।

मुजफ्फरपुर बाल गृह कांड

बिहार के मुजफ्फरपुर स्थित बाल गृह में कई नाबालिग बच्चियों का यौन एवं शारीरिक शोषण किया गया। इसका खुलासा टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (टीआईएसएस) की रिपोर्ट में हुआ जो बिहार सरकार के समक्ष 26 मई 2018 को जमा कराई गई थी। मामले में पूर्व विधायक ब्रजेश ठाकुर मुख्य आरोपी है।

मामले में निर्धारित समय से एक महीना पहले 12 दिसंबर को फैसला आने की उम्मीद है।

सीबीआई ने विशेष अदालत को बताया कि मामले के 20 आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल दो अगस्त को मामले पर संज्ञान लिया और 28 नंवबर 2018 को जांच सीबीआई को सौंप दिया। सात फरवरी 2019 को मामले की सुनवाई मुजफ्फरपुर से दिल्ली स्थिति साकेत जिला अदालत के पोक्सो अदालत स्थारांतरित की गयी।

पोक्सो अदालत ने सीबीआई के वकील और 11 अरोपियों का पक्ष सुनने के बाद 30 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया।

निर्भया सामूहिक दुष्कर्म कांड

दिल्ली में दिसंबर 2012 में 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म की घटना हुई। पिछले साल जुलाई में उच्चतम न्यायालय ने मौत की सजा पाए चार दोषियों में से तीन की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी। चौथे आरोपी ने पांच मई 2017 में उच्चतम न्यायालय की ओर से मिली मौत की सजा के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की थी।

हाल में तीन दोषियों ने जेल प्रशासन को पत्र लिखकर 29 अक्टूबर की अधिसूचना को वापस लेने की मांग की जिसमें राष्ट्रपति के समक्ष क्षमादान के लिए सात दिन की समय सीमा निर्धारित की गई थी। जेल प्रशासन ने कहा कि राष्ट्रपति से माफी मांगने की याचिका को छोड़ दोषियों के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो गए हैं। मामले में एक आरोपी राम सिंह ने सुनवाई के दौरान ही तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर खुदकशी कर ली थी। वहीं एक नाबालिग को बाल न्याय बोर्ड ने दोषी करार दिया और तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद छोड़ दिया।

कठुआ दुष्कर्म कांड

वर्ष 2018 में कठुआ में आठ वर्षीय बच्ची के साथ हुए सामूहिक दुष्कर्म और हत्या के मामले में छह लोगों को दोषी करार दिया गया। चार महीने बाद, अक्टूबर में हलांकि जम्मू की अदालत ने पुलिस को मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच टीम के छह सदस्यों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया। जांच दल के सदस्यों पर गवाहों को गलत गवाही देने के लिए दबाव बनाने और यातना देने का आरोप है।

इस साल जून में जिला एवं सत्र न्यायाधीश तेजविंदर सिंह की अदालत ने तीन आरोपियों को उम्र कैद की सुनाई जबकि बाकी तीन को सबूतों को नष्ट करने के आरोप में पांच-पांच साल कारावास की सजा सुनाई।

कठुओ में वकीलों द्वारा मामले में आरोप पत्र दाखिल करने से रोकने पर उच्चतम न्यायालय ने सुनवाई पंजाब के पठानकोट स्थानांतरित कर दी थी और करीब एक साल तक बंद कमरे में मामले की सुनवाई हुई।

हैदराबाद मे बलात्कारियों के एनकाउन्टर को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने संदिग्ध मानकर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए जांच शुरू की attacknews.in

हैदराबाद,/नईदिल्ली 06 दिसंबर । तेलंगाना में महिला पशु-चिकित्सक के साथ दुष्कर्म एवं हत्या मामले के सभी चारों आरोपी शुक्रवार तड़के यहां शादनगर के चटनपल्ली में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गये। इस दौरान दो पुलिसकर्मी भी घायल हो गए हैं।

साइबराबाद पुलिस आयुक्त वी. सी. सी. सज्जानर ने मुठभेड़ की पुष्टि करते हुए कहा कि यह घटना आज तड़के तीन और छह बजे के बीच हुई है। इस दौरान दो पुलिसकर्मी भी घायल हो गए हैं।

उन्होंने बताया कि चारों आरोपियों ने उस समय भागने की कोशिश की जब क्राइम सीन को रिक्रिएट करने के लिए उन्हें उस जगह ले जाया गया जहां महिला चिकित्सक का शव मिला था। इस दौरान आरोपियों ने पुलिस पर पत्थर फेंके और उनसे हथियार छीनकर उन पर गोली चलानी शुरू कर दी। पुलिस ने आत्म-रक्षा के लिए चारों आरोपियों- मोहम्मद अरीफ, नवीन, जोल्लु शिव और चिंताकुंता चेन्नाकेशवुलु को गोली मार दी।

मुठभेड़ उस स्थान से कुछ ही दूरी पर हुई जहां महिला पशु-चिकित्सक को जलाया गया था। पुलिस के सभी वरिष्ठ अधिकारी मुठभेड़ स्थल पर पहुंच गए थे ।

गौरतलब है कि राज्य के एक सरकारी अस्पताल में सहायक पशु-चिकित्सक के रूप में कार्यरत 26 वर्षीय महिला का शव 28 नवंबर की सुबह शादनगर में जली हुई हालत में मिला था। साइबराबाद पुलिस ने 29 नवंबर को इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया था और उन्हें 30 नवंबर को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।

महिला चिकित्सक के पिता ने चारों आरोपियों को मारने के लिए हैदराबाद पुलिस का आभार व्यक्त किया है।

महिला चिकिस्तक के पिता ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा, “नौ दिनों बाद आज मेरी बेटी की आत्मा को शांति मिली है।”

तेलंगाना सरकार ने मामले की जल्द से जल्द सुनवाई के लिए बुधवार को फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित करने के आदेश जारी किये थे। राज्य सरकार ने मामले की जल्द सुनवाई के लिए महबूबनगर जिले में प्रथम अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत को विशेष अदालत के रूप में नामित किया था।

दुष्कर्म एवं हत्या की इस घटना के बाद देश के लोगों ने आक्रोश था और जल्द से जल्द न्याय की मांग कर रहे थे।

सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं और आम लोगों ने हैदराबाद दुष्कर्म एवं हत्या मामले के चारों आरोपियों को मुठभेड़ के दौरान मारने पर साइबराबाद पुलिस आयुक्त वी. सी. सज्जानर की प्रशंसा करते हुए उन्हें ‘हीरो’ करार दिया।

गत 28 नवंबर को हुए इस दर्दनाक घटना के बाद आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं ने पीड़िता के लिए जल्द से जल्द न्याय दिलाने की मांग की थी।

इस दौरान दिसंबर 2008 के मामले का उदाहरण भी दिया गया जब वारंगल की दो इंजीनियरिंग छात्राओं पर एसिड से हमला करने वाले तीन संदिग्धों को आंध्र प्रदेश में पुलिस ने मुठभेड़ में मारा था।

संयोगवश उस समय वारंगल जिले के पुलिस अधीक्षक श्री सज्जानर ही थे। मुठभेड़ स्थल पर लोगों ने पुलिस के समर्थन में नारे लगाए और उनपर फूल भी बरसाए।

हैदराबाद दुष्कर्म के चार आरोपियों को पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटना का गुजरात में व्यापक तौर पर स्वागत किया गया है जबकि राज्य के एक उद्योगपति ने इसके लिए वहां की पुलिस को एक लाख रूपये का इनाम देने की घोषणा भी की है।

राज्य के भावनगर के महुवा के उद्योगपति और स्थानीय भाजपा नेता राजभा गोहिल ने कहा कि हैदराबाद की मुठभेड़ की घटना से उन्हें पुलिस पर गर्व का अनुभव हो रहा है। पुलिस ने देश की युवतियों और महिलाओं को सम्मान देने का काम किया है। वह इसके लिए हैदराबाद पुलिस को सलाम करते हैं और वहां जाकर उसे एक लाख रूपये का इनाम देंगे।

उधर मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि उक्त घटना को लेकर पूरे देश में रोष था जिसका एक तरह से जवाब मुठभेड़ की घटना से मिला है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता परेश धानाणी ने कहा कि पूरा देश इसका स्वागत कर रहा है। इस घटना से आरोपियों को समय से कुछ पहले ही सजा मिल गयी है। गृहराज्य मंत्री प्रदीपसिंह जाडेजा ने कहा कि हैदराबाद पुलिस ने परिस्थिति के अनुरूप योग्य कदम उठाया है।

इन चारों आरोपियों का मुठभेड स्थल पर ही पोस्टमार्टम किया गया और पोस्टमार्टम पूरा होने के बाद उनके शव परिजनों को सौंप दिए ।

मानवाधिकार आयोग का हैदराबाद पुलिस मुठभेड़ की जांच का आदेश:

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने हैदराबाद में एक महिला पशु चिकित्सक के साथ सामूहिक बलात्कार और उसे जलाने के आरोप में गिरफ्तार चारों लोगों की पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटना के जांच के आदेश दिये हैं।

आयोग ने इस घटना से संबंधित मीडिया रिपोर्टों का संज्ञान लेते हुए अपने महानिदेशक (जांच) को इसकी जांच कराने का अादेश दिया है।

आयोग ने रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा है कि इन चारों आरोपियों को तड़के तीन बजे हैदराबाद से 60 किलोमीटर दूर घटनास्थल पर ले जाया गया था। पुलिस जांच प्रक्रिया के दौरान अपराध के समय के सीन को समझने के लिए उन्हें वहां ले गयी थी। पुलिस के अनुसार उनमें से एक ने अन्य को वहां से भागने का इशारा किया और उन्होंने पुलिसकर्मियों से हथियार छीनने की भी कोशिश की। इस दौरान क्रास फायरिंग हुई और पुलिस की फायरिंग में वे चारों मारे गये।

आयोग ने कहा है कि उसका मानना है कि इस मामले की सावधानीपूर्ण जांच किये जाने की जरूरत है। इसे देखते हुए उसने अपनी जांच शाखा के महानिदेशक (जांच) को मौके का जायजा लेने तथा जांच के लिए एक दल तुरंत वहां भेजने का आदेश दिया है। यह टीम वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में जायेगी और जल्द से जल्द रिपोर्ट देगी।

आयोग ने कहा है कि इस घटना से पता चलता है कि आरोपियों को लेकर गये पुलिसकर्मी चौकस नहीं थे और इसके कारण हुए घटनाक्रम के चलते चार लोगों की मौत हो गयी। आयोग ने कहा है कि ये चारों व्यक्ति पुलिस की हिरासत में थे और उनकी मौत आयोग के लिए चिंता का विषय है।

इससे पहले आयोग ने महिलाओं के खिलाफ अपराध के बढते मामलों के मद्देनजर केन्द्र और राज्य सरकारों से भी रिपोर्ट मांगी थी।

दिशा दुष्कर्म मामले के आरोपी पुलिस की जवाबी कार्रवाई में मारे गए: पुलिस आयुक्त

तेलंगाना के पुलिस आयुक्त वी सी सज्जानार ने शुक्रवार को कहा कि हैदराबाद में पशु चिकित्सक की दुष्कर्म और जलाकर हत्या मामले के चारों आरोपी शुक्रवार को पुलिस की जवाबी कार्रवाई में मारे गये।

श्री सज्जानार ने यहां पत्रकारों को बताया कि इस मामले में पुलिस ने काफी संयम बरता था और चारों आरोपियों ने पुलिस पर पत्थरों और डंडों से हमला किया तथा पुलिसकर्मियों के हथियार छीन कर गोलीबारी की थी। यह घटना उस वक्त की है जब पुलिस दल इन चारों को घटनास्थल पर लेकर जाकर अपराध का सीन रिक्रिएट करा रहा था।

यह असली नहीं बल्कि नकली न्याय है:- महिला संगठन

आल इंडिया प्रोग्रेसिव वुमेन्स एसोसिएशन ने हैदराबाद बलात्कार कांड के चार संदिग्धों को सुबह ‘मुठभेड़’ में मार गिराने की घटना की कड़ी निंदा की है और इसकी जांच कराने की मांग की है।

एसोसिएशन की अध्यक्ष रति राव, महासचिव मीना तिवारी और सचिव कविता कृष्णन द्वारा शुक्रवार यहां जारी बयान में कहा गया है कि इस ‘मुठभेड़’ से अब यह बताया जाएगा कि बलात्कार कांड में ‘न्याय’ हो चुका है, पीड़िता का बदला ले लिया गया है लेकिन यह न्याय नकली है।

बयान में कहा गया है कि हमें यह भी याद रखना चाहिए कि ये चार लोग संदिग्ध थे। हम नहीं जानते कि हिरासत मे मारे गए चारों लोग वास्तव में हैदराबाद में डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या करने वाले हैं भी अथवा नहीं।

उन्होंने कहा कि हैदराबाद और तेलंगाना पुलिस इस प्रकार की हिरासत में हत्या के लिए कुख्यात हैं। 2008 में तेलंगाना पुलिस ने एक एसिड हमले के मामले में आरोपी तीन लोगों की हिरासत में हत्या कर दी थी। वह हत्या हैदराबाद, तेलंगाना या भारत में महिलाओं के खिलाफ अपराध की निवारक नहीं हुई। महिलाओं पर एसिड अटैक, बलात्कार, हत्याएं लगातार हो रही हैं।
हम इस कथित ‘मुठभेड़’ की गहन जांच की मांग करते हैं। जिम्मेदार पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए और अदालत में यह साबित करने के लिए कहा जाना चाहिए कि वो सभी चार लोग आत्मरक्षा में मारे गए। यह केवल मानवाधिकारों के लिए ही नहीं, बल्कि महिलाओं के अधिकारों के लिए भी क्यों महत्वपूर्ण है? क्योंकि एक पुलिस बल जो हत्या कर सकता है, जिससे कोई भी प्रश्न नहीं पूछा जा सकता।

चिदंबरम ने पहले ही दिन सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत की शर्तों का कर दिया उल्लंघन attacknews.in

नयी दिल्ली, 05 दिसंबर । भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के मामलों में जमानत पर रिहा हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मंत्री पी चिदंबरम ने अदालत की शर्तों का उल्लंघन किया है और कांग्रेस ने उनकी रिहाई पर ऐसे जश्न मनाया जैसे वह कोई स्वतंत्रता सेनानी हों।

भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने संसद भवन में संवाददाताअों से कहा कि श्री चिदंबरम ने पहले ही दिन अदालत के आदेश का उल्लंघन किया है। भ्रष्टाचार के आरोपों में 105 दिन जेल में बिताने के बाद जमानत मंजूर करते समय अदालत ने कहा था कि वह इस मुकदमे के बारे में कोई भी सार्वजनिक बयान नहीं देंगे। उन्होंने संवाददाता सम्मेलन में खुद को क्लीन चिट देते हुए कहा कि मंत्री के रूप में उनका रिकॉर्ड एकदम पाक साफ है। यह अदालत के आदेश का उल्लंघन है।

रीवा में फर्राटा रफ्तार से खड़े ट्रक में घुसी बस का ड्राइवर अधपकी नींद में हल्के कोहरे में संतुलन खो बैठा , 9 मरे 32 घायल attacknews.in

रीवा, 05 दिसंबर । मध्यप्रदेश के रीवा जिले के गुढ़ थाना क्षेत्र में आज सुबह एक बस के खड़े ट्रक से टकरा जाने से बस सवार नौ लोगों की मौत हो गयी और एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए, इनमें कुछ की हालत गंभीर बताई गयी है।

रीवा रेंज के पुलिस महानिरीक्षक चंचल शेखर ने बताया कि जबलपुर से सीधी जा रही बस रीवा जिले के गुढ़ कस्बे पर एक पुल के समीप सड़क किनारे खड़े एक ट्रक से टकरा गयी। दुर्घटना में एक बच्ची, दो महिला सहित नौ लोगों की मौत हो गयी और एक दर्जन से अधिक लोग घायल हो गए हैं। इनमें से कुछ की हालत गंभीर है। घायलों को रीवा के संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है।

बस में रीवा, सीधी और जबलपुर के लगभग पचास यात्री सवार बताए गए ।

बस के खड़े ट्रक से टकरा जाने से बस सवार नौ यात्रियों की मौत हो गयी और 32 अन्य यात्री घायल हो गए, इनमें से एक की हालत गंभीर है। घायलों को संजय गांधी स्मृति चिकित्सालय भर्ती कराया गया ।

पुलिस महानिरीक्षक शेखर ने बताया कि बस जबलपुर से सीधी जा रही थी। सुबह बस रीवा से सीधी के लिए निकली थी, तभी गुढ़ बाइपास पर एक पुल के समीप सड़क किनारे खड़े ट्रक से टकरा गयी। दुर्घटना में एक बच्ची, दो महिला सहित नौ यात्रियों की मौत हो गयी और 32 घायल हो गए। इनमें से एक की हालत गंभीर है।

उन्होंने बताया कि यात्रियों से पूछताछ में पता चला है कि बस काफी तेज गति से जा रही थी। हालांकि दुर्घटना की स्पष्ट वजहों का खुलासा नहीं हो सका है, लेकिन ऐसी संभावना है कि हल्के कोहरे या फिर चालक को झपकी आ जाने के चलते यह हादसा हुआ है। उन्होंने बताया कि बस चालक की तलाश की जा रही है।

मृतकों में आठ की पहचान हो गयी है, जबकि एक महिला अज्ञात है। मृतकों राघवेंद्र पांडेय, अशोक सिंह, शिवानी पटेल, वैभव पटेल, कृष्णकांत तिवारी, सुग्रीव पटेल, राजेन्द्र सिंह और श्यामकली शामिल हैं। एक महिला की अभी शिनाख्त नहीं हो सकी है।

चिदंबरम ने जेल से बाहर पत्रकारों को मोदी सरकार का डर दिखाया, भय दिखाया और दिखाई दहशत लेकिन खुद बिना डरे कोसते रहे attacknews.in

नयी दिल्ली, 05 दिसम्बर ।करीब साढे तीन माह बाद जमानत पर आए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व वित्त पी चिदम्बरम ने कहा है कि समाज में भय का माहौल व्याप्त है और मीडिया भी इससे अछूता नहीं है।

आईएनएक्स मामले में 106 दिन तक तिहाड़ जेल में रहने के बाद श्री चिदम्बरम ने गुरुवार को यहां पार्टी मुख्यालय में अपने पहले संवाददाता सम्मेलन में कहा कि देश में डर का माहौल है और मीडिया में भी यह भय देखने को मिल रहा है। एक प्रमुख उद्योगपति ने भी हाल में इस भय का सार्वजनिक रूप से उल्लेख किया है।

कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अर्थव्यवस्था की स्थिति को लेकर असामान्य रूप से मौन हैं और उन्होंने अपने मंत्रियों को ‘‘लोगों को बेवकूफ बनाने तथा शेखी बघारने’’ के लिए छोड़ दिया है।

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री ने कहा कि भाजपा सरकार का मानना है कि इस वित्त वर्ष के सात माह बाद भी अर्थव्यवस्था के सामने आ रही समस्याएं चक्रीय हैं।

चिदंबरम 106 दिन जेल में रहे और उन्हें बुधवार को जमानत पर रिहा किया गया।

उन्होंने कहा, ‘‘सरकार को अर्थव्यवस्था की कोई खबर नहीं है। वह नोटबंदी, त्रुटिपूर्ण जीएसटी, कर आतंकवाद जैसी भयानक गलतियों का बचाव करने पर अड़ी हुई है।’’

चिदंबरम ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री अर्थव्यवस्था पर असामान्य रूप से मौन हैं। उन्होंने इसे अपने मंत्रियों पर छोड़ दिया है जो ‘लोगों को बेवकूफ बनाने तथा शेखी बघारने’ में लगे हैं। अर्थव्यवस्था को सुस्ती से बाहर निकाला जा सकता है लेकिन यह सरकार ऐसा करने में अक्षम है।’’

पी चिदम्बरम ने देश के आर्थिक हालात को चिंताजनक बताते हुए सरकार पर इससे उबरने के लिए प्रबंधन क्षमता नहीं होने का आरोप लगाया और कहा कि इसमें सबसे ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चुप्पी हैरान करने वाली है।

श्री चिदम्बरम ने कहा कि वर्तमान आर्थिक मंदी से निपटा जा सकता है लेकिन मोदी सरकार यह मानने को तैयार ही नहीं है कि देश में आर्थिक मंदी है। दूसरी बार सत्ता में आने के सात माह बाद भी सरकार इसे सामान्य उतार-चढ़ाव वाली मंदी बता रही है और यह ठीक नहीं है।

उन्होंने कहा कि मंदी के इस दौर में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि श्री मोदी अर्थव्यवस्था पर असामान्य रूप से मौन हैं। वह कुछ नहीं बोल रहे हैं जबकि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के पिछली छह तिमाही के आंकड़े साफ बता रहे हैं कि स्थिति ठीक नहीं है। इन छह तिमाहियों के आर्थिक विकास के आंकड़ों में गिरावट क्रमश: 8.0, 7.0, 6.6, 5.8, 5.0 और अब 4.5 है। देश की अर्थव्यवस्था की इस तस्वीर पर सरकार मौन है।

पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार अर्थव्यवस्था को लेकर जो भी तर्क दे रही है वह गलत है। इस सरकार ने देश की अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है और इसकी बर्बादी के कारणों को खोजने में वह असमर्थ है। प्रधानमंत्री और उनका कार्यालय यह मानने को तैयार नहीं है कि अर्थव्यवस्था की इस बदहाली की वजह नोटबंदी, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी), कर आतंकवाद, संरक्षणवाद और केंद्रीकृत नियंत्रण जैसी नीतियां हैं। आश्चर्य है कि सरकार अपनी गलतियों का बचाव करने की जिद में लगी हुई है।

सौरव गांगुली को 4 साल ओर BCCI का अध्यक्ष बने रहने के लिए करना होगा नये साल का इंतजार attacknews.in

नयी दिल्ली, 05 दिसम्बर।भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के अध्यक्ष सौरभ गांगुली को अपना कार्यकाल 2024 तक बढ़ने के लिए नये साल का इंतजार करना होगा।

बीसीसीआई ने मुंबई में एक दिसंबर को आयोजित अपनी 88वीं वार्षिक आम बैठक में अपने पदाधिकारियों के कार्यकाल की सीमा में ढिलाई देने को मंजूरी देने के साथ-साथ अपने संविधान में कुछ और संशोधन भी किए थे। इसमें सबसे प्रमुख यह माना जा रहा है कि पदाधिकारी के तीन-तीन साल के दो कार्यकाल पूरा होने के बाद तीन साल की अनिवार्य कूलिंग अवधि को समाप्त कर दिया जाए। यदि ऐसा होता है तो गांगुली का कार्यकाल 2024 तक के लिए बढ़ सकता है।

फिलहाल उच्चतम न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई के लिए अस्थायी तौर पर 14 जनवरी की तारीख तय की है। बीसीसीआई लोढा समिति की कुछ प्रमुख सिफारिशों को वापस करवाना चाहता है लेकिन इसके लिए उसे उच्चतम न्यायालय की अनुमति की जरुरत है। सर्वोच्च न्यायालय के 14 जनवरी की तारीख तय किए जाने के कारण बोर्ड को फिलहाल अपनी एजीएम में लिए गए फैसलों पर कोई अंतिम निर्णय आने का इंतजार करना होगा। तब तक गांगुली को अपने भविष्य के लिए इंतजार करना होगा।

गांगुली ने 23 अक्टूबर को बीसीसीआई के नए अध्यक्ष का पद संभाला था और उन्हें अगले साल यह पद छोड़ना होगा लेकिन छूट दिए जाने के बाद वह 2024 तक बीसीसीआई के बॉस बने रह सकते हैं।

बीसीसीआई की एजीएम में यह फैसला लिया गया था। हालांकि इसके लिए बोर्ड को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी की जरूरत होगी।

एजीएम में लोढा कमेटी की सिफारिशों में बदलाव को मंजूरी दे दी गई थी। यह फैसला इसलिए लिया गया ताकि उच्च पदों पर बैठे अधिकारियों के कार्यकाल को बढ़ाया जा सके। बीसीसीआई के मौजूदा संविधान के अनुसार अगर किसी पदाधिकारी ने बीसीसीआई या राज्य संघ में कुल मिलाकर तीन साल के दो कार्यकाल पूरे कर लिए हों जो उसे तीन साल की कूलिंग अवधि में जाना पड़ेगा। भारत का पहला डे-नाईट टेस्ट कराने वाले गांगुली का कार्यकाल अगले साल जुलाई में खत्म हो रहा है और इसे 2024 तक बढ़ाया जा सकता है।
गांगुली बंगाल क्रिकेट संघ (सीएबी) के 5 साल 3 महीने तक अध्यक्ष रह चुके हैं। 23 अक्टूबर को उन्हें बीसीसीआई का नया अध्यक्ष चुना गया। इस लिहाज से उनके पास 9 महीने का कार्यकाल ही बचा था जो जुलाई में समाप्त हो रहा है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्वीकृत संविधान के अनुसार अगर कोई पदाधिकारी बीसीसीआई या राज्य संघ में तीन साल के दो कार्यकाल पूरा कर लेता है, तो उसे तीन साल का अनिवार्य ब्रेक (कूलिंग अवधि) लेना होगा। बीसीसीआई का नया प्रशासन इसी कूलिंग अवधि को समाप्त करना चाहता है।

भगौड़ा आर्थिक अपराधी कानून का दूसरा मुजरिम बना नीरव मोदी, अदालत ने किया घोषित attacknews.in

मुंबई, 05 दिसंबर। पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) के साथ अरबों रुपए के घोटालेबाज और देश से भाग चुके हीरा कारोबारी को गुरुवार मुंबई की एक विशेष अदालत ने भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया है।

विशेष अदालत ने यह फैसला प्रवर्तन निदेशालय(ईडी) की अपील पर सुनाया है। भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्य के बाद नीरव मोदी दूसरा कारोबारी है जिसे पिछले साल अस्तित्व में भगोड़ा आर्थिक अपराधी (एफईओ) कानून के तहत दोषी ठहराया गया है ।

प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर यहां स्थित एक विशेष अदालत ने पंजाब नेशनल बैंक से दो अरब डॉलर की धोखाधड़ी करने के मामले में मुख्य आरोपी हीरा कारोबारी नीरव मोदी को गुरुवार को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया।

नीरव मोदी विजय माल्या के बाद दूसरा ऐसा कारोबारी है जिसे नए भगोड़ा आर्थिक अपराधी (एफईओ) अधिनियम के तहत भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित किया गया है। यह अधिनियम पिछले साल अगस्त में प्रभाव में आया था।

विशेष धनशोधन रोकथाम कानून अदालत के न्यायाधीश वी सी बरदे ने हीरा कारोबारी और प्रवर्तन निदेशालय के वकीलों की दलीलें सुनने के बाद नीरव मोदी को भगोड़ा आर्थिक अपराधी घोषित कर दिया।

नीरव मोदी ने उसे भगोड़ा घोषित करने की प्रवर्तन निदेशालय की याचिका को खारिज करने का अदालत से आग्रह किया था।

वह (नीरव) और उसका मामा मेहुल चौकसी पीएनबी घोटाला मामले में मुख्य आरोपी हैं। दोनों जनवरी, 2018 में इस धोखाधड़ी के प्रकाश में आने से पहले भारत से भाग गए थे।

नीरव मोदी को इस साल मार्च में लंदन में गिरफ्तार किया गया था और उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया अभी लंबित है। जुलाई, 2018 में केंद्रीय एजेंसी ने नए एफईओ अधिनियम के तहत नीरव मोदी को भगोड़ा घोषित कराने के लिए आवेदन दिया था।

वह (नीरव) और उसका मामा मेहुल चोकसी पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) से 14,000 करोड़ रुपये का फर्जीवाड़ा करने के मामले में मुख्य आरोपी हैं जो गारंटी पत्र जारी करने में कथित धोखाधड़ी से जुड़ा है।

देशभर के हरेक पुलिस स्टेशन में महिला हेल्प डेस्क के लिए 100 करोड़ रुपये मंजूर attacknews.in

नयी दिल्ली, 05 दिसम्बर । महिलाओं के खिलाफ दिनों दिन बढ़ रही अपराध की घटनाओं के मद्देनजर पुलिस स्टेशनों को महिलाओं के प्रति संवेदनशील बनाने के लिये हर पुलिस स्टेशन में महिला हेल्प डेस्क बनाया जाएगा।

गृह मंत्रालय ने पुलिस स्टेशनों में महिला हेल्प डेस्क बनाने की योजना को मंजूरी देते हुए इसके लिए निर्भया निधि के अंतर्गत 100 करोड़ रुपयेे की राशि मंजूर की है।

जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में 40 साल बाद सरकार ने की शुल्क में बढ़ोतरी attacknews.in

नयी दिल्ली 05 दिसंबर । सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि लगभग 40 साल के बाद दिल्ली के जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रों को दी जाने वाली विभिन्न सुविधाओं और सेवाओं के शुल्क में वृद्धि की गयी है।

मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने सदन में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि जेएनयू के अनुसार विश्वविद्यालय ने छात्रावासों के रखरखाव पर बढ़ते व्यय को पूरा करने के लिए और उन्हें ‘न लाभ न हानि’ के आधार पर चलाने के लिए लगभग 40 वर्ष के बाद कमरों के किरायें में वृद्धि की है। एक कमरे (एकल) का किराया 10 रुपए बढ़ाकर 300 रुपए प्रति माह और कमरा (युगल) किराया 20 रुपए से बढ़ाकर 600 रुपए प्रति माह करने का प्रस्ताव किया गया है। अन्य सुविधाओं और सेवाओं का शुल्क 1000 रुपए प्रति माह करने का प्रस्ताव किया गया है। पहले यह शुल्क शून्य था। गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के बच्चों को सभी मदों में 50 प्रतिशत शुल्क देना होगा।

कराधान विधि संशोधन विधेयक पारित:विदेशी कंपनियों को लुभाने के लिए की गई कार्पोरेट करों में कटौती attacknews.in

नयी दिल्ली 05 दिसंबर ।वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को राज्यसभा में कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल पुथल, चीन और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव का फायदा उठाने तथा विदेशी कंपनियों को लुभाने के लिए कार्पोरेट कर में कटौती गयी है।

राज्यसभा में ‘कराधान विधि (संशोधन) विधेयक 2019’ पर लगभग चार घंटे की चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में हो रहे उतार चढ़ाव और चीन तथा अमेरिका के व्यापारिक तनाव देखते हुए बहुत सारी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपने विनिर्माण संयंत्र स्थल बदल रही हैं। कंपनी कर में कटौती इन कंपनियों को लुभाने के लिए की गयी है। इसका लाभ घरेलू तथा छोटी कंपनियों को मिलना तय किया गया है।

सदन ने इस विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर लाेकसभा को लौटा दिया। यह विधेयक सितंबर 2019 में लाये गये अध्यादेश के स्थान पर लाया गया है।

विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि देश की जनता का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर पूरा भरोसा है और वर्ष 2019 का जनादेश इसका प्रतीक है। प्रधानमंत्री ने भारतीय अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए एक के एक कदम उठायें हैं। उन्होंने अर्थव्यवस्था में सुधार नहीं होने के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि इसका कोई जादू नहीं है।

प्याज की आपूर्ति के लिए सभी प्रयास कर रही है सरकार:

वित्त मंत्री निर्मला ने नरेंद्र मोदी सरकार को गरीबों की सरकार करार देते हुए कहा कि प्याज की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास किये जा रहे हैं।

श्रीमती सीतारमण ने सदन में ‘ कराधान (संशोधन) विधेयक 2019’ पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि यह सरकार कुलीन वर्ग की नहीं है बल्कि गरीबों और आम आदमी की सरकार है। उज्जवला, आयुष्मान, जनधन और प्रधानमंत्री आवास योजना जैसे कल्याणकारी कार्यक्रमों के केंद्र में आम आदमी ही है। इनका उद्देश्य आम आदमी का सशक्तिकरण करना है।

मध्यप्रदेश में IAS अधिकारियों के तबादले,ओ पी श्रीवास्तव संचालक जनसम्पर्क और प्रतिभा पाल को आयुक्त नगर निगम से हटाया attacknews.in

भोपाल, 05 दिसंबर । मध्यप्रदेश सरकार ने आज भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों के तबादला किए, जिसमें कुछ जिलों के कलेक्टर भी प्रभावित हुए हैं। श्री ओ पी श्रीवास्तव को राज्य का जनसंपर्क संचालक बनाया गया है।

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार अभी तक रीवा कलेक्टर की जिम्मेदारी संभाल रहे श्री ओ पी श्रीवास्तव को जनसंपर्क संचालक की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गयी है। श्योपुर जिला कलेक्टर बसंत कुर्रे को रीवा जिला कलेक्टर बनाया गया है।वहीं प्रतिभा पाल आयुक्त नगर निगम उज्जैन से कलेक्टर श्योपुर पदस्थ किया गया है ।

श्री रजनीश कुमार श्रीवास्तव को नर्मदापुरम संभाग का आयुक्त बनाया गया है। पूर्व में उनका तबादला आयुक्त, भू अभिलेख एवं बंदोबस्त, ग्वालियर के पद पर किया गया था, जिसे आज निरस्त कर दिया गया। नर्मदापुरम संभाग के आयुक्त रवींद्र कुमार मिश्रा को जबलपुर संभाग में आयुक्त पदस्थ किया गया है।

भारतीय चिकित्सा पद्धति एवं होम्योपैथी, मध्यप्रदेश के आयुक्त् सह संचालक संजीव कुमार झा को आध्यात्म विभाग में सचिव पद पर भेजा गया है। सहकारी संस्थाएं के आयुक्त सह पंजीयक डॉ एम के अग्रवाल को अपने वर्तमान कर्तव्यों के साथ भारतीय चिकित्सा पद्धति एवं होम्याेपैथी, मध्यप्रदेश के आयुक्त सह संचालक की जिम्मेदारी भी सौंपी गयी है।

खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण, भोपाल के संचालक श्रीमन शुक्ला को कृषि उद्योग निगम में प्रबंध संचालक बनाया गया है। अभी तक निगम के प्रबंध संचालक रहे आलोक कुमार सिंह को योजना, आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग में उप सचिव बनाकर भेजा गया है।

वाणिज्यिक कर अपर आयुक्त, इंदौर अविनाश लवानिया को खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण भोपाल का संचालक पदस्थ किया गया है।

उन्नाव में शैतानों द्वारा जिंदा जलाने के बाद भी बलात्कार पीड़िता 1 किमी भागकर डायल 100 करके खुद को जिंदा रखने में लगी रही attacknews.in

उन्नाव/लखनऊ/नईदिल्ली 05 दिसम्बर। तेलंगाना में महिला चिकित्सक के साथ हुयी दंरिदगी से देश भर में उपजा जनाक्रोश अभी शांत भी नहीं हुआ था कि उत्तर प्रदेश के उन्नाव में दुष्कर्म की शिकार एक युवती को जिंदा जलाये जाने की घटना ने सभ्य समाज को झकझोर कर रख दिया है।

उन्नाव के बिहार क्षेत्र के हिन्दू भाटन खेड़ा गांव निवासी युवती को दुष्कर्म के आरोपियों ने गुरूवार तड़के उस समय केरोसिन डाल कर आग के हवाले कर दिया जब वह रायबरेली में अपने वकील से मिलने के लिये बैसवारा रेलवे स्टेशन को निकली थी।

लखनऊ के सिविल अस्पताल की आईसीयू में जिंदगी की जंग लड़ रही युवती काे देर शाम तक एयर एंबुलेन्स से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले जाया गया है। सिविल अस्पताल के चिकित्सकों के अनुसार युवती 90 फीसदी तक जल चुकी है और उसकी हालत बेहद नाजुक बनी हुयी है।

उन्नाव: 90% जलकर भी 1 किलोमीटर तक दौड़ी रेप पीड़िता, खुद ही 100 नंबर पर किया कॉल-

उन्नाव में रेप पीड़िता को जिंदा जलाने के मामले में एक चश्मदीद सामने आया है।चश्मदीद के मुताबिक जब वह सुबह अपने घर के बाहर कुछ काम कर रहा था, तभी आग की लपटों से घिरीं हुई पीड़िता मदद के लिए उसके पास पहुंची।

उन्नाव. गैंगरेप पीड़िता (Gangrape victim) को जिंदा जलाने (Burning Alive) के मामले में एक चश्मदीद रविंद्र प्रकाश सामने आया है. उनके अनुसार जिंदा जलाए जाने के बाद पीड़िता करीब एक किलोमीटर तक दौड़ते हुए उसके पास मदद के लिए पहुंची थी।

इसके बाद उसके फोन से पीड़िता ने खुद ही 100 नंबर पर डायल किया और पुलिस को घटना की सूचना दी. पीड़िता से बात के बाद पीआरवी और पुलिस मौके पर पहुंची।

रविंद्र प्रकाश ने बताया कि वह वहां से दौड़ती हुई चली आ रही थी और बचाओ-बचाओ चिल्ला रही थी. जब हमने पूछा कौन तो उसने बताया कि अपनी पहचान बताई. रविंद्र कहते हैं, ‘हम डर गए, वह पूरी तरह से जली हुई थी. हमें लगा ये चुड़ैल है. हम पीछे भागे और डंडा उठाया इस दौरान हमने कुल्हाड़ी लाओ, कुल्हाड़ी लाओ आवाज भी लगाई.’

रविंद्र आगे बताते हैं, ‘पहचान जानने के बाद भी हमारा डर कम नहीं हुआ और उससे दूर खड़ा रखा. इसके बाद पीड़िता ने हमसे फोन मांगा और खुद ही 100 नंबर पर बात की, जिसके बाद पुलिस मौके पर पहुंची और उसे लेकर चली गई.’ उधर, पुलिस ने इस मामले में 2 नामजद आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. पीड़िता के बयान के आधार पर आरोपियों को अभियुक्त बनाया गया है. उनके खिलाफ 307, 326, 506 धारा में केस दर्ज किया गया है।

इधर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना की तीव्र भर्त्सना करते हुये पीड़िता के मुफ्त इलाज के बंदोबस्त करने के साथ आरोपियों की गिरफ्तारी और कड़ी सजा सुनिश्चित करने के यथासंभव उपाय करने के निर्देश दिये हैं। पुलिस के अनुसार आग लगाने की घटना में शामिल सभी पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।

पुलिस के अनुसार दुष्कर्म के दो आरोपी जमानत पर रिहा होने के बाद पीड़िता से मामला वापस लेने का दवाब बना रहे थे जिसे नहीं मानने पर उन्होने अपने तीन साथियों के घिनौनी वारदात को अंजाम दिया। पीड़िता की तहरीर पर पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

गौरतलब है कि 11 जून 2017 को उन्नाव सामूहिक बलात्कार के मामले को लेकर देश भर में चर्चा का विषय बना था। दुष्कर्म पीड़ित युवती ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और विधायक कुलदीप सिंह सेंगर और उनके साथियों पर बलात्कार का आरोप लगाया था। बाद में रायबरेली में एक सड़क हादसे में बलात्कार पीड़िता गंभीर रूप से घायल हो गयी थी जिसे इलाज के लिये एयर एंबुलेंस से दिल्ली भेजा गया था। इस हादसे में पीडिता के दो रिश्तेदारों की मृत्यु हो गयी थी।

पुलिस सूत्रों ने बताया कि पीड़ित युवती और आरोपियों में एक ने पिछले साल परिजनो की मर्जी के बगैर विवाह किया था लेकिन कुछ समय बाद दोनो ने संबंध तोड़ लिये थे।

उन्नाव के पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीन ने बताया कि पिछली मार्च को लालगंज पुलिस स्टेशन पर युवती ने शिवम और शुभम के खिलाफ सामूहिक बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज करायी थी। दोनो को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। कुछ समय पहले दोनो जमानत पर रिहा होकर जेल से बाहर आये थे।

इस बीच विपक्षी दलों ने एक सुर में घटना की तीखी भर्त्सना करते हुये राज्य की योगी सरकार को निशाने पर लिया है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने ट्वीट किया “ कल देश के गृह मंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने साफ-साफ झूठ बोला कि यूपी की क़ानून व्यवस्था अच्छी हो चुकी है। हर रोज ऐसी घटनाओं को देखकर मन में रोष होता है। भाजपा नेताओं को भी अब फर्जी प्रचार से बाहर निकलना चाहिए। ”

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि महिला सुरक्षा में बुरी तरह विफल राज्य की योगी सरकार को सत्ता में रहने का कोई अधिकार नहीं है। सरकार को घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुये इस्तीफा दे देना चाहिये।

उन्नाव पीड़िता का सरकारी खर्च पर किया जायेगा उपचार : योगी

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्नाव के बिहार क्षेत्र में हुई घटना का संज्ञान लेते हुए अधिकारियों को सरकारी खर्च पर पीड़िता को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के गुरूवार को निर्देश दिये।

मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन व पुलिस के अधिकारियों को आरोपियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने और न्यायालय से प्रभावी दण्ड दिलाने कार्यवाही करने के निर्देश दिये है।

उन्नाव में बलात्कार पीड़िता को जलाने की घटना पर राज्यसभा में हंगामा और निन्दा

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के चर्चित बलात्कार कांड की पीड़िता को जिंदा जलाने की घटना को लेकर विपक्ष के भारी हंगामें के बाद राज्यसभा ने गुरुवार को इसकी निन्दा की और इस प्रकार की घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों को समाज से अलग-थलग करने पर जोर दिया।

सुबह सदन की कार्यवाही शुरु होने पर कांग्रेस समेत विपक्ष के सदस्यों ने इस मामले को उठाने की अनुमति नहीं मिलने पर हंगामा किया जिसके कारण सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गयी । भोजनावकाश के बाद सदन की कार्यवाही शुरु होने पर विपक्ष के सदस्यों ने फिर इस मुद्दे को लेकर हंगामा किया जिसके कारण सदन की बैठक आधे घंटे के लिए स्थगित कर दी गयी ।

इसके बाद इस मुद्दे पर सदन में हुई संक्षिप्त चर्चा के बाद सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि इस प्रकार की घटनाओं में तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिये, जिससे समाज में संदेश जाये। उन्होंने कहा कि पूरा सदन इस घटना की निन्दा करता है।

उन्होंने कहा कि कई सदस्यों ने उनके कक्ष में इस मामले की जानकारी दी थी। इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव से बात की। यह घटना आज सुबह साढे चार बजे की है। घटना के बाद कुछ लोगों को हिरासत में ले लिया गया है।

समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव ने चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि उन्नाव जिले के विहार में 12 दिसम्बर 2018 को बलात्कार की शिकार महिला को आज सुबह जलाने का प्रयास किया गया।

बलात्कार के तीन आरोपी जमानत पर जेल से रिहा हुये थे। उन्होंने कहा कि अभियुक्तों ने जलाने का प्रयास किया, जिसके कारण महिला 90 प्रतिशत जल गयी है और अस्पताल में भर्ती है ।

श्री यादव ने कहा कि कल चित्रकुट में बलात्कार की एक घटना को अंजाम दिया गया । इससे पहले संभल में बलात्कार के बाद एक महिला को जलाया गया था। महिलाओं पर यह अनाचार असहनीय है। राज्य सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह बलात्कार पीड़िता को सुरक्षा दे। उच्च्तम न्यायालय का इस संबंध में दिशानिर्देश भी है ।