अमेरिकी आयोग द्वारा नागरिकता विधेयक पर टिप्पणी के बाद भारत का जवाब:इस मामले में उसे बोलने का कोई अधिकार नहीं है attacknews.in

नयी दिल्ली/ वाशिंगटन , 10 दिसंबर।भारत ने नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (यूएससीआईआरएफ) की टिप्पणी को मंगलवार को यह कहकर खारिज कर दिया कि उसे इस मामले में बोलने का कोई अधिकार नहीं है और उसकी टिप्पणी पूर्वाग्रह प्रेरित है।अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संघीय अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक ‘‘गलत दिशा में बढ़ाया गया एक खतरनाक कदम’’ है और यदि यह भारत की संसद में पारित होता है तो भारत के गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने यहां इस बारे में सवालों के जवाब में कहा,“ यूएससीआईआरएफ द्वारा की गयी टिप्पणी से हमें कोई हैरानी नहीं हुई है क्योंकि उसका पिछला रिकॉर्ड भी ऐसा ही रहा है। यह हालांकि दुर्भाग्यपूर्ण है कि इस संस्था ने केवल पूर्वाग्रहों एवं पक्षपातपूर्ण ढंग से उस विषय पर टिप्पणी की है जिसकी उसे काेई जानकारी नहीं है तथा उस पर उसे बोलने का अधिकार भी नहीं है।”

यूएससीआईआरएफ अमेरिका की संघीय सरकार का आयोग है जो 1998 के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता कानून के द्वारा गठित किया गया था।

श्री कुमार ने कहा कि अमेरिका सहित हर देश को नागरिकता की वैधता को निश्चित करने तथा इस संबंध में विभिन्न नीतियों के माध्यम से क्रियान्वित करने का अधिकार है। भारत के नागरिकता संशोधन विधेयक पर यूएससीआईआरएफ की टिप्पणी न तो सटीक है और न ही वांछित है। यह विधेयक भारत में पहले से ही रह रहे कुछ देशों से प्रताड़ता के कारण भागे धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता दिलाने की प्रक्रिया को तेज करने के लिए है।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक में उनक वर्तमान कठिनाइयों के समाधान और उनके मूल मानवाधिकारों के संरक्षण की व्यवस्था की गयी है। धार्मिक स्वतंत्रता के लिए प्रतिबद्ध लोगों द्वारा ऐसी किसी भी पहल का स्वागत होना चाहिए ,न कि आलोचना।

प्रवक्ता ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक किसी भी समुदाय को वर्तमान में उपलब्ध नागरिकता हासिल करने अवसरों का लाभ उठाने से रोकता नहीं है। नागरिकता प्रदान करने के हाल के रिकॉर्ड से भारत सरकार की वस्तुपरकता को रेखांकित करता है। न तो नागरिकता संशोधन विधेयक और न ही राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर किसी भी धर्म को मानने वाले किसी भी व्यक्ति की नागरिकता को खत्म नहीं करेगा। ऐसे कोई भी तर्क स्वार्थप्रेरित एवं गैर न्यायोचित हैं।

यूएससीआईआरएफ ने अपने बयान में कहा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक से भारत के धर्मनिरपेक्ष बहुलतावादी समृद्ध इतिहास और संविधान के विपरीत है जो कानूनन आस्था के आधार पर समानता की गारंटी देता है।

अमेरिकी संघीय आयोग ने ‘कैब’ के संसद में पारित होने की स्थिति में अमित शाह पर प्रतिबंध की मांग की:

अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संघीय अमेरिकी आयोग (यूएससीआईआरएफ) ने कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक ‘‘गलत दिशा में बढ़ाया गया एक खतरनाक कदम’’ है और यदि यह भारत की संसद में पारित होता है तो भारत के गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए।

यूएससीआईआरएफ ने सोमवार को एक बयान में कहा कि विधेयक के लोकसभा में पारित होने से वह बेहद चिंतित है।

लोकसभा ने सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब) को मंजूरी दे दी, जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है।

आयोग ने कहा, ‘‘ अगर कैब दोनों सदनों में पारित हो जाता है तो अमेरिकी सरकार को गृह मंत्री अमित शाह और मुख्य नेतृत्व के खिलाफ प्रतिबंध लगाने पर विचार करना चाहिए।’’

उसने कहा, ‘‘ अमित शाह द्वारा पेश किए गए धार्मिक मानदंड वाले इस विधेयक के लोकसभा में पारित होने से यूएससीआईआरएफ बेहद चिंतित है ।’’

नागरिकता संशोधन विधेयक के पक्ष में 311 मत और विरोध में 80 मत पड़े, जिसके बाद इसे लोकसभा से मंजूरी दे दी गई। अब इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा।

गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक को ऐतिहासिक करार देते हुए सोमवार को कहा था कि यह भाजपा के घोषणापत्र का हिस्सा रहा है तथा 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में देश के 130 करोड़ लोगों ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनाकर इसकी मंजूरी दी है।

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने हालांकि इसका विरोध किया।

यूएससीआईआरएफ ने आरोप लगाया कि कैब आप्रवासियों के लिए नागरिकता प्राप्त करने का मार्ग प्रशस्त करता है हालांकि इसमें मुस्लिम समुदाय का जिक्र नहीं है। इस तरह यह विधेयक नागरिकता के लिए धर्म के आधार पर कानूनी मानदंड निर्धारित करता है।

उसने कहा, ‘‘ कैब गलत दिशा में बढ़ाया गया एक खतरनाक कदम है। यह भारत के धर्मनिरपेक्ष बहुलवाद के समृद्ध इतिहास और भारतीय संविधान का विरोधाभासी है जो धार्मिक भेदभाव से ऊपर उठकर कानून के समक्ष समानता की गारंटी देता है।’’

आयोग ने असम में चल रही राष्ट्रीय नागरिकता पंजी (एनआरसी) की प्रक्रिया और गृह मंत्री शाह द्वारा प्रस्तावित राष्ट्रव्यापी एनआरसी के बारे में कहा, ‘‘ यूएससीआईआरएफ को यह डर है कि भारत सरकार भारतीय नागरिकता के लिए धार्मिक परीक्षण के हालात पैदा कर रही है जिससे लाखों मुस्लिमों की नागरिकता पर संकट पैदा हो सकता है।’’

उसने यह भी कहा कि भारत सरकार करीब एक दशक से अधिक समय से यूएससीआईआरएफ के वक्तव्यों और वार्षिक रिपोर्टों को नजरअंदाज कर रही है।

संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) शासन के दिनों से ही भारत लगातार कहता आ रहा है कि वह अपने आतंरिक मामलों में किसी तीसरे देश के विचारों या रिपोर्ट को मान्यता नहीं देता है।

जम्मू-कश्मीर में केंद्र सरकार द्वारा किसी भी नेता को जेल में रखने की इच्छा नहीं,कांग्रेस पार्टी नेताओं की बजाय आमआदमी की चिंता करें attacknews.in

नयी दिल्ली, 10 दिसंबर । गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को लोकसभा में कांग्रेस को राजनीतिक नेताओं से ज्यादा आम आदमी की चिंता करने की नसीहत देते हुए कहा कि नेताओं को हिरासत से छोड़ने का निर्णय स्थानीय प्रशासन की ओर से लिया जायेगा ।

निचले सदन में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के पूरक प्रश्न के उत्तर में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘‘ जम्मू-कश्मीर में हिरासत में लिए गए नेताओं को छोड़ने का निर्णय स्थानीय प्रशासन की ओर से लिया जाएगा तथा वहां के मामले में केंद्र सरकार दखल नहीं देगी। ’’

उन्होंने कहा कि जिन राजनीतिक नेताओं को प्रतिबंधित आदेश के तहत जेल में रखा गया है, सरकार की उनमें से किसी को एक दिन भी ज्यादा जेल में रखने की कोई इच्छा नहीं है । ‘‘ जब भी प्रशासन तय करेगा, उनकी रिहाई होगी। ’’

अमित शाह ने आरोप लगाया कि फारूख अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला को 11 साल तक जेल में रखा गया और यह कांग्रेस और इंदिरा गांधी के समय में हुआ ।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा उनके नक्शे कदम पर चलने का कोई इरादा नहीं है और जब भी स्थानीय प्रशासन तय करेगी, उन्हें रिहा कर दिया जायेगा ।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम फोन पर प्रशासन को निर्देश नहीं देते । यह आप (विपक्ष की पूर्व सरकार) कर सकते हैं, हम नहीं ।’’

कश्मीर घाटी में सामान्य स्थिति को लेकर विपक्ष के सवालों पर उन्होंने कहा कि सभी थाना क्षेत्र से कर्फ्यू हटाया लिया गया, धारा 144 हटा ली गई लेकिन यह इनको (विपक्ष) सामान्य स्थिति नहीं लगती है ।

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 को समाप्त करने के बाद पुलिस गोलीबारी में एक भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं हुई, यातायात व्यवस्था सुचारू रूप से चल रही है लेकिन यह उन्हें (कांग्रेस को)सामान्य नहीं लगता है ।

कांग्रेस पर प्रहार करते हुए शाह ने कहा, ‘‘ इनकी चिंता यह है कि राजनीतिक गतिविधि कब शुरू होगी । इनके लिये सामान्य स्थिति यही है । इनको राजनीतिक गतिविधि शुरू होने की चिंता है। ’’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस घाटी के नेताओं की चिंता कर रही है। उन्होंने कहा कि इसके बजाय यदि ज्यादा चिंता घाटी के लोगों की करते तो लगता कि कांग्रेस पार्टी को वहां के लोगों की चिंता है ।

गृह मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार ने राजनीतिक गतिविधि की भी चिंता की है । वहां 40 हजार पंच सरपंचों के चुनाव हुए जो वर्षो से नहीं हुए थे । इसके अलावा तालुका और ब्लाक स्तर के चुनाव भी हुए । इसमें लोगों ने बड़े पैमाने पर मतदान भी किया ।

सदन में प्रश्नकाल के दौरान कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी के पूरक प्रश्न के उत्तर में शाह ने मुख्य विपक्षी दल पर निशाना साधते हुए यह भी कहा कि जम्मू-कश्मीर की स्थिति सामान्य है, लेकिन वह कांग्रेस की स्थिति सामान्य नहीं कर सकते।

उन्होंने कहा कि कहा कि कांग्रेस के लोग कह रहे थे कि 370 हटाने पर रक्तपात हो जाएगा, लेकिन वहां एक गोली भी नहीं चली।

शाह ने कहा कि स्थिति पूरी तरह सामान्य है।

उन्होंने कहा कि जब स्थानीय प्रशासन को लगेगा कि नेताओं को रिहा करने का उचित समय है तो इस बारे में निर्णय लिया जाएगा। केंद्र किसी तरह का दखल नहीं देगा।

दरअसल, चौधरी ने सवाल किया था कि जम्मू-कश्मीर में फारूक अब्दुल्ला और दूसरे नेताओं को कब रिहा किया जाएगा तथा क्या वहां राजनीति गतिविधि बहाल है ? इससे पहले गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि पड़ोसी देश पाकिस्तान जम्मू-कश्मीर को लेकर गलत प्रचार कर रहा है, लेकिन सरकार वहां स्थिति सामान्य बनाए रखने को प्रतिबद्ध है।

रेड्डी ने कहा कि पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 के अधिकांश प्रावधान हटाए जाने के बाद से एक व्यक्ति भी पुलिस गोलीबारी में नहीं मारा गया।

उन्होंने कहा कि 190 थानों में धारा 144 नहीं लगी है तथा कुछ जगहों पर ऐहतियातन सुरक्षा संबंधी कदम उठाए गए हैं।

रेड्डी ने कहा कि सभी अस्पताल, चिकित्सा केंद्र और स्कूल खुले हैं।

उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में सभी जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति हो रही है।

चार महीने में सीमा पार से घुसे 59 आतंकवादी:

सरकार ने मंगलवार को बताया कि पिछले चार महीने में जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा के रास्ते 59 आतंकवादियों के देश में घुसने का अनुमान है।

गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान एक पूरक प्रश्न के उत्तर में बताया कि जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा पर आतंकवादियों द्वारा किये जाने वाले घुसपैठ के नियमित प्रयास सीमा पार से प्रायोजित और समर्थित हैं। अगस्त 2019 से अब तक सीमा पार से ऐसे 84 प्रयास किये गये हैं और अनुमान है कि ऐसे 59 आतंकवादी देश की सीमा में घुस आये हैं।

उन्होंने बताया कि वर्ष 1990 से 01 दिसंबर 2019 तक सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड 22 हजार 557 आतंकवादी मारे गये हैं। सुरक्षा बलों की प्रभावशाली चौकसी के कारण वर्ष 2005 से 31 अक्टूबर 2019 तक सीमा पास से घुसपैठ के प्रयासों के दौरान 1,011 आतंकवादी मारे गये, 2 आतंकवादी गिरफ्तार किये गये और 2,253 आंतकवादियों को वापस भागने पर विवश किया गया है।

श्री शाह ने कहा कि दुश्मन द्वारा घुसपैठ के प्रयास जम्मू-कश्मीर में हिंसा पैदा करने और मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने के अपने इरादे में सफल होने के लिए, घाटी में आतंकवादियों की घटती हुई संख्या को बढ़ाने हेतु एक छद्म युद्ध के रूप में उनके एजेंडे का हिस्सा है। घुसपैठ के प्रयासों को विफल करने के लिए निरंतर प्रभुत्व कायम रखने, घात लगाने और गश्त लगाने की कार्रवाई की जा रही है

जम्मू कश्मीर में 80 हजार 68 करोड रुपए की 63 विकास परियोजना:

जम्मूू कश्मीर में सड़क, विद्युत, स्वास्थ्य, पर्यटन, कृषि, बागवानी और कौशल विकास तथा अन्य क्षेत्रों से संबंधित 80 हजार 68 करोड़ रुपए की 63 प्रमुख विकास परियोजनायें चल रही है।

वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी।

उन्होंने बताया कि राज्य में पिछले 70 साल से संविधान के अनुच्छेद 35 ए लागू होने के कारण अनेक विकास योजनाओं का लाभ आम जनता को नहीं मिल रहा था। फिलहाल राज्य में 80 हजार 68 करोड़ रुपए के प्रधानमंत्री पैकेज के तहत 63 प्रमुख विकास परियोजनाओं पर काम चल रहा है। ये योजनायें सड़क, विद्युत, स्वास्थ्य, पर्यटन, कृषि, बागवानी और कौशल विकास से संबंधित हैं। इनका उद्देश्य राज्य के लोगों को सामाजिक और आर्थिक रुप से सशक्त बनाना है।

श्री ठाकुर ने कहा कि अनेक प्रावधानों के कारण जम्मू कश्मीर की पूरी क्षमता और अर्थव्यवस्था का उपयोग नहीं हो पाया है।

उन्होंने कहा कि अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से राज्य में एहतियाती कदम उठाये गये थे लेकिन अब इनमें ढील दी जा रही है।

हनीट्रेप मामले में इंदौर में प्रशासनिक धमाकों पर कैलाश विजयवर्गीय ने कहा:वे इन धमाकों से बच नहीं पाएंगे attacknews.in

इंदौर, 10 दिसंबर ।भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने आज दावा करते हुए कहा कि हनीट्रैप मामले में बड़े अधिकारी संलग्न हैं और यह गंभीर बात है।

राज्य के पूर्व मंत्री श्री विजयवर्गीय ने यहां पत्रकारों से चर्चा में कहा कि इस संबंध में उन्हें जानकारी मिली है। यदि अधिकारी संलग्न हों और वे अपने आप को बचाने के लिए इस प्रकार के ‘धमाके’ करें, जिस प्रकार से इंदौर में किए हैं, तो वे इस धमाकों से बच नहीं पाएंगे।

श्री विजयवर्गीय ने चेतावनी देते हुए कहा कि ऐसे अधिकारी बेनकाब होंगे और यदि सरकार ने नहीं किया तो वे (श्री विजयवर्गीय) ऐसे अधिकारियों को बेनकाब करेंगे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री इस मामले में राज्य के अधिकारियों के इशारे पर कार्य कर रहे हैं।

इंदौर में हाल ही में होटल और अखबार व्यवसाय से जुड़े कारोबारी जीतू सोनी और सहयोगियों के खिलाफ प्रशासन ने गैरकानूनी गतिविधियों में लिप्त होने के आरोप में कार्रवाई की है। उसके पुत्र और एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है, जबकि जीतू सोनी फरार है। इस कार्रवाई के कुछ दिन पहले जीतू सोनी ने हनीट्रैप से संबंधित खबरें प्रकाशित की थीं।

एनआरसी मुद्दे पर विजयवर्गीय ने साधा ममता पर निशाना;

श्री विजयवर्गीय ने नागरिकता संशोधन बिल (एनआरसी) पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के रुख को आड़े हाथों लिया है।

श्री विजयवर्गीय ने कहा कि हमारे देश का संघीय ढांचा है, जिसमें राज्य सरकार की जिम्मेदारी राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार की जिम्मेदारी केंद्र सरकार निभाता है।
उन्होंने कहा कि ममताजी को संभवत: स्मरण नहीं है कि नागरिकता देना राज्य सरकार का विषय न होकर केंद्र सरकार का अधिकार क्षेत्र है।

पश्चिम बंगाल भाजपा के प्रभारी श्री विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर तंज कसते हुए कहा कि ममताजी कह रही हैं कि नागरिकता संशोधन बिल वे पश्चिम बंगाल में लागू नहीं होने देंगी। लेकिन यह उनका एक अपरिपक्व बयान है।

उन्होंने दोहराया नागरिकता देना अथवा न देना पूरी तरह केंद्र सरकार का विषय है। लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया है।

पानीपत का राजस्थान में विरोध से टाॅकीजों से उतरी फिल्म,भरतपुर के महाराजा सूरजमल का चरित्र चित्रण गलत तरीके से किया गया attacknews.in

जयपुर 10 दिसम्बर । राजस्थान में फिल्म निदेशक आशुतोष गोवारिकर की फिल्म पानीपत के विरोध के चलते राजधानी जयपुर में सिनेमा हॉल में तोड़फोड़ के बाद अब कोटा के सभी तथा जयपुर एवं कुछ अन्य स्थानों पर कुछ सिनेमाघरों में फिल्म का प्रदर्शन रोक दिया गया हैं।

बॉलीवुड फिल्म ‘पानीपत’ में भरतपुर के तत्कालीन महाराजा सूरजमल के किरदार को गलत तरीके से फिल्माये जाने के विरोध के चलते राजधानी जयपुर के कई सिनेमाघरों ने हाल में रिलीज हुई इस फिल्म के शो सोमवार से रद्द कर दिये।

जयपुर के राजमंदिर, सिनेपोलिस, आईनॉक्स सिनेमाघरों में शो रद्द किये गये। वहीं राज्य सरकार ने लोगों की आपत्तियों को लेकर फिल्म के वितरकों से जवाब मांगा ।

राजमंदिर सिनेमाघर के प्रबंधक अशोक तंवर ने बताया कि प्रशासन के आगामी आदेश तक फिल्म ‘पानीपत’ के सभी शो रद्द कर दिये गये । उन्होंने बताया कि सोमवार को 12 बजे वाले फिल्म के शो को भी विरोध के चलते बीच में ही रद्द कर दिया गया। पुलिस की मौजूदगी के कारण हांलाकि सिनेमाघर में किसी प्रकार की तोड़फोड़ नहीं हुई।

वहीं जयपुर के सभी आईनॉक्स सिनेमाघरों में भी विरोध के बाद फिल्म पानीपत के शो रद्द कर दिये गये। आईनॉक्स सूत्रों के अनुसार जयपुर के सभी छह मल्टीप्लैक्स में लगी फिल्म पानीपत के शो को आगामी आदेश तक रद्द कर दिया गया ।

राजस्थान फिल्म ट्रेड एंड प्रोमोशन काउंसिल के महासचिव राज बंसल ने कहा,’ कुछ सिनेमाघरों ने विरोध को देखते हुए फिल्म पर्दे से उतार ली । सेंसर बोर्ड से मंजूरी के बाद फिल्म दिखाई जा रही है लेकिन विरोध की मार तो सिनेमाघरों को झेलनी पड़ी है।’

वहीं राज्य सरकार ने फिल्म को लेकर जताई जा रही आपत्तियों पर वितरकों के जरिए फिल्म निर्माताओं से जवाब मांगा है। जाट समुदाय का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्य सचिव (गृह) राजीव स्वरूप से मिला और फिल्म पर प्रतिबंध की मांग की।

अधिकारी ने कहा,’ समुदाय के नेताओं ने फिल्म के विरोध में अपनी भावनाएं प्रकट की हैं। हम फिल्म वितरकों के माध्यम से निर्माताओं से उनका जवाब मांग रहे हैं।’ सरकार कानूनी पहलू के हिसाब से इस पर विचार करेगी।

बीकानेर, जयपुर एवं भरतपुर में कुछ लोगों ने फिल्म के विरोध में नारेबाजी की और फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। भरतपुर में पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह, विधायक वाजिब अली व मुकेश भाकर व रामस्वरूप गावड़िया ने फिल्म पर प्रतिबंध लगाने की मांग की।

एक नागरिक रामावतार पलसानिया ने फिल्म के निर्माताओं खिलाफ यहां मानसरोवर थाने में शिकायत दी है। इसमें ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ तथा तत्कालीन महाराजा सूरजमल की छवि को धूमिल करने का आरोप है। थाना प्रभारी सुनील कुमार ने कहा कि शिकायत को जांच के लिए रखा गया है और कोई एफआईआर फिलहाल दर्ज नहीं हुई है।

अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (जयपुर) अजय पाल लांबा ने कहा कि जिन सिनेमाघरों में यह फिल्म दिखाई जा रही है वहां सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त किए गए हैं। उन्होंने कहा,’ किसी को कानून व्यवस्था बिगाड़ने की अनुमति नहीं दी जाएगी।’

इससे पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने संवाददाताओं से कहा कि समाज के लोगों की भावनाओं को ठेस नहीं पहुंचे, वो संतुष्ट हो जाये उसके बाद फिल्म चले तो ज्यादा बेहतर रहेगा।

उन्होंने कहा, “अतिरिक्त मुख्यसचिव (गृह) से बात हो चुकी है। अधिकारी आपस में समन्वय कर वितरकों से बातचीत कर रहे हैं.. उम्मीद है कोई न कोई हल निकलेगा।’

फिल्म में भरतपुर के पूर्व महाराजा सूरजमल पर गलत चित्रण करने को लेकर सोमवार को जयपुर, भरतपुर, कोटा एवं श्रीगंगानगर में विरोध प्रदर्शन किये गये और इस दौरान जयपुर में वैशाली नगर क्षेत्र में स्थित आइनॉक्स सिनेमा हॉल में कुछ प्रदर्शनकारियों ने तोड़फोड़ की तथा फिल्म के पोस्टर फाड़ डाले। पुलिस ने मौके पर पहुंच कर स्थिति को संभाला। इसके बाद जयपुर के कुछ सिनेमाघरों एवं कोटा के सभी सिनेमा घरों में फिल्म का प्रदर्शन रोक दिया गया वहीं पुलिस एवं प्रशासन ने क्षेत्र में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई।

कोटा के गोल्ड सिनेमा सूत्रों के अनुसार कोटा में सभी सिनेमाघरों में पानीपत के शो रोक दिये गये है। ऑनलाइन बुकिंग भी स्थगित कर दी गई है। विरोध के चलते अजमेर जिले के किशनगढ़ के सिनेमाघरों ने भी फिल्म का प्रदर्शन रोक दिया गया है।

इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि फिल्म सेंसर बोर्ड को इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। डिस्ट्रीब्यूटर्स को जाट समाज के लोगों से शीघ्र बात की जानी चाहिए। इसके बाद मंगलवार को श्री गहलोत ने कहा कि ,एक फिल्म के निर्माण से पहले फिल्म के एक विशेष चरित्र का सही तरीके से चित्रण करने के लिए अध्ययन किया जाना चाहिए, जिससे कि बाद में कोई विवाद नहीं हो।

पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे एवं राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) के संयोजक एवं सांसद हनुमान बेनीवाल ने भी फिल्म में विवादित दृश्य दिखाये जाने की निंदा की और इसका विरोध किया है।

उल्लेखनीय है कि फिल्म पानीपत में पूर्व महाराजा सूरजमल के चित्रण को गलत तरीके से दिखाये जाने को लेकर जाट समाज सहित कई लोगों में रोष है। सूरजमल के वंशज एवं राज्य के पर्यटन मंत्री विश्वेन्द्र सिंह ने इस पर रोक लगाने की मांग की है। मंगलवार को सर्व ब्राह्मण महासभा भी इसके विरोध में उतर आई।

भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र के अमीरों की सूची में एम पी लोढ़ा का परिवार सबसे ऊपर, DLF के राजीव सिंह दूसरे नंबर पर attacknews.in

नयी दिल्ली, नौ दिसंबर । देश के रीयल एस्टेट क्षेत्र के सबसे अमीर उद्यमियों की सूची में लोढ़ा डेवलपर्स के एम पी लोढ़ा और उनके परिवार का नाम सबसे ऊपर है। उनकी कुल संपत्ति 31,960 करोड़ रुपये आंकी गई हैं। इस सूची में डीएलएफ के राजीव सिंह दूसरे और एम्बैसी ग्रुप के संस्थापक जितेंद्र विरवानी तीसरे स्थान पर हैं।

हुरुन रिपोर्ट और ग्रोही इंडिया ने सोमवार को ‘ग्रोही हुरुन इंडिया रीयल एस्टेट रिच लिस्ट 2019’ का तीसरा संस्करण जारी किया। इस रिपोर्ट में देश के रीयल एस्टेट क्षेत्र के 100 सबसे अमीर उद्यमियों की जानकारी दी गई है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 31,960 करोड़ रुपये की धन-दौलत के साथ मंगल प्रभात लोढ़ा और मैक्रोटेक डेवलपर्स का परिवार (पुराना नाम लोढ़ा डेवलपर्स) सूची में पहले स्थान पर रहा है। यह लगातार दूसरा साल है जबकि लोढ़ा परिवार इस सूची में शीर्ष पर है।

एम पी लोढ़ा इस समय भाजपा की मुंबई इकाई के प्रमुख हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि लोढ़ा परिवार की संपत्ति 2019 में 18 प्रतिशत बढ़ी है। सूची में शामिल 99 अन्य भारतीयों की कुल संपत्तियों के मुकाबले 12 प्रतिशत लोढ़ा परिवार के पास है।

इस सूची में डीएलएफ के राजीव सिंह 25,080 करोड़ रुपये की संपदा के साथ दूसरे स्थान पर हैं। वर्ष 2019 में उनकी संपत्तियां 42 प्रतिशत बढ़ीं। पिछले साल वह इस सूची में तीसरे स्थान पर थे। बेंगलुरु की एम्बैसी प्रॉपर्टी डेवलपमेंट्स के जितेंद्र विरवानी 24,750 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ तीसरे स्थान पर हैं। यह सूची इन उद्यमियों की 30 सितंबर, 2019 तक के संपत्ति आकलन के आधार पर तैयार की गई है।

सूचीबद्ध कंपनियों के मामले में उनके बाजार पूंजीकरण के आधार पर सूची में स्थान दिया गया है। वहीं गैर- सूचीबद्ध कंपनियों के मामले में उनके ताजा वित्तीय ब्योरे को लिया गया है।

रीयल एस्टेट क्षेत्र के अमीर उद्यमियों की सूची में हीरानंदानी कम्युनिटीज ग्रुप के निरंजन हीरानंदानी 17,030 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ चौथे, के रहेजा के चंद्रू रहेजा एवं परिवार 15,480 करोड़ रुपये के साथ पांचवें, ओबरॉय रीयल्टी के विकास ओबरॉय 13,910 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ छठे और बागमाने डेवलपर्स के राजा बागमाने 9,960 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ सातवें स्थान पर हैं।

हाउस आफ हीरानंदानी, सिंगापुर के सुरेंद्र हीरानंदानी 9,720 करोड़ रुपये की निवल संपत्ति के साथ आठवें, मुंबई के रनवाल डेवलपर्स के सुभाष रनवाल और परिवार 7,100 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ नौवें और पीरामल रीयल्टी के अजय पीरामल एवं परिवार 6,560 करोड़ रुपये की संपत्ति के साथ दसवें स्थान पर हैं।

रीयल एस्टेट क्षेत्र के 100 सबसे अधिक अमीर उद्यमियों की कुल संपत्ति 2,77,080 करोड़ रुपये या 39.5 अरब डॉलर रही हैं। यह 2018 की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है।

रिपोर्ट कहती है कि ऐसे समय जबकि भारतीय रीयल एस्टेट क्षेत्र चुनौतियों का सामना कर रहा है, सुस्ती के अलावा उसे नकदी संकट से भी जूझना पड़ रहा है। इसके बावजूद क्षेत्र के 100 सबसे अमीर भारतीयों की धन- दौलत औसतन 16 प्रतिशत बढ़कर 2,743 करोड़ रुपये पर पहुंच गई।

रिपोर्ट में कहा गया है कि रीयल एस्टेट क्षेत्र के दस सबसे अमीर उद्यमियों में से छह मुंबई के हैं जबकि क्षेत्र के सौ अमीरों में से 37 मुंबई के हैं। इस सूची में दिल्ली और बेंगलुरु के 19-19 उद्यमियों के नाम हैं।

दिलचस्प तथ्य यह है कि रीयल एस्टेट क्षेत्र के सबसे अमीर भारतीयों में से 75 प्रतिशत इन्हीं तीनों शहरों से हैं। एक और खास बात यह है कि सूची में शामिल 59 प्रतिशत व्यक्तिगत लोग पहली पीढ़ी के उद्यमी हैं। इस बार सूची में आठ महिलाएं भी शामिल हैं।

गोदरेज प्रॉपर्टीज की स्मिता वी कृष्णा सूची में शामिल सबसे अमीर महिला हैं। उनकी कुल संपत्तियां 3,560 करोड़ रुपये आंकी गई है। सूची में शामिल लोगों की औसत आयु 56 साल है। चार की उम्र 40 साल से कम और तीन की 80 साल से अधिक है।

छत्तीसगढ़ में पदोन्नति में आरक्षण पर हाईकोर्ट ने लगाई रोक attacknews.in

बिलासपुर 09 दिसम्बर । छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार के पदोन्नति पर आरक्षण के निर्णय पर रोक लगा दी है।

मुख्य न्यायाधीश रामचन्द्रन और न्यायाधीश पीपी साहू की खण्डपीठ ने इस मामले में आज सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश जारी करते हुए यह निर्देशित किया कि सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के लिए शासन पदोन्नति जारी रखे,जबकि अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए उच्चतम न्यायालय एवं केन्द्र सरकार के निर्देशों के तहत कार्रवाई करे।

हैदराबाद में महिला डाक्टर की हत्या के आरोपियों के मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की SIT जांच शुरू attacknews.in

हैदराबाद, नौ दिसम्बर। हैदराबाद में एक महिला पशु चिकित्सक के बलात्कार और उसकी हत्या के चारों आरोपियों के कथित तौर पर पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने की घटना की जांच के लिए तेलंगाना सरकार द्वारा गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने सोमवार को जांच शुरू कर दी।

इस बीच, तेलंगाना उच्च न्यायालय ने सोमवार को अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे चारों आरोपियों के शवों को 13 दिसंबर तक संरक्षित रखें।

पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘‘एसआईटी ने जांच शुरू कर दी है।’’

इस संबंध में रविवार को एक सरकारी आदेश जारी किया गया था। आदेश में कहा गया है कि रचाकोंडा पुलिस आयुक्त महेश एम भागवत के नेतृत्व वाले एसआईटी दल को इस मामले और उच्चतम न्यायालय के निर्देशानुसार राज्य में दर्ज संबंधित अन्य मामलों की जांच अपने हाथों में ले लेनी चाहिए।

तेलंगाना उच्च न्यायालय ने सोमवार को अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे महिला पशुचिकित्सक मामले में पुलिस के साथ कथित मुठभेड़ में मारे गए चारों आरोपियों के शवों को 13 दिसंबर तक संरक्षित रखें।

मुख्य न्यायाधीश आर एस चौहान की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने इस संबंध में निर्देश दिये।

अदालत ने कहा कि अगर महबूबनगर के सरकारी अस्पताल में शवों को 13 दिसंबर तक सुरक्षित रखने की व्यवस्था न हो तो उन्हें हैदराबाद में सरकार द्वारा संचालित गांधी अस्पताल में स्थानांतरित किया जा सकता है।

ये शव फिलहाल छह दिसंबर को हुई कथित मुठभेड़ के बाद महबूबनगर के सरकारी अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद से रखे हुए हैं।

एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने पूछा कि मुठभेड़ में शामिल पुलिसवालों के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज की गई है या नहीं।

अदालत की राय थी कि उच्चतम न्यायालय के दिशानिर्देश के मुताबिक उन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की जरूरत होती है जो मुठभेड़ में शामिल होते हैं।

महाधिवक्ता बी एस प्रसाद ने अदालत को बताया कि उच्चतम न्यायालय में इसी मुद्दे पर दो जनहित याचिकाएं दायर की गई हैं और न्यायालय बुधवार को इन पर सुनवाई करेगा।

इसके मद्देनजर उन्होंने इस मामले की सुनवाई बुधवार बाद तक स्थगित करने का अनुरोध किया।

इस पर अदालत ने मामले में सुनवाई की अगली तारीख 12 दिसंबर तय की।

अदालत ने छह दिसंबर को राज्य सरकार को इन शवों को नौ दिसंबर रात आठ बजे तक सुरक्षित रखने का निर्देश दिया था।

कथित पुलिस मुठभेड़ में मारे गए चारों आरोपियों पर 25 वर्षीय पशु चिकित्सक से सामूहिक दुष्कर्म कर उसकी हत्या करने का आरोप था।

चारों आरोपियों को 29 नवम्बर को गिरफ्तार किया गया था।

इस बीच, इस कथित मुठभेड़ की जांच कर रहे राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) की एक टीम ने घटना में घायल हुए दो पुलिसकर्मियों के बयान दर्ज किये।

गुणवत्तापूर्ण पानी भारत में देने की तैयारी:पाइपलाइन से सप्लाई पीने के पानी के लिए बीआईएस मानक अनिवार्य attacknews.in

नयी दिल्ली, नौ दिसंबर । राज्य सरकारें लोगों को पाइपलाइन से आपूर्ति किये जाने वाले पीने के पानी के लिये बीआईएस मानक ‘अनिवार्य’ बनाने पर सहमत हो गईं हैं। उपभोक्ता मामलों के मंत्री राम विलास पासवान ने सोमवार को यह जानकारी देते हुये कहा कि इससे लोगों को सुरक्षित और बेहतर गुणवत्ता वाला पानी उपलब्ध हो सकेगा।

इस समय, पाइप से आपूर्ति किये जाने वाले पेयजल के लिए बीआईएस मानक अपनाना स्वैच्छिक है। केंद्र इसे अनिवार्य बनाने पर विचार कर रहा है और इसके लिए उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने इस संबंध में जल शक्ति मंत्रालय को लिखा है।

भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) द्वारा पीने के पानी पर किए गए परीक्षणों के बीच यह प्रस्ताव सामने आया है। इस परीक्षण में पाया गया कि पाइपलाइन से आपूर्ति किये जाने वाले पानी की गुणवत्ता मुंबई में मानक के अनुरूप थी जबकि दिल्ली सहित कई राज्यों की राजधानियों में पानी की गुणवत्ता खराब थी।

पासवान ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमने राज्य सरकारों के साथ विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि वे बीआईएस मानकों का पालन करते हैं और यहां तक कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) ने भी कहा कि वह बीआईएस मानकों का पालन करता है। …. चर्चा के बाद, बीआईएस मानक अनिवार्य बनाने के बारे में एक राय बनी। दिल्ली जल बोर्ड ने कहा कि उन्हें इस बात पर आपत्ति नहीं है।’’ पासवान यहां राज्य सरकार के अधिकारियों को पेयजल के लिए बीआईएस मानक की आवश्यकता के बारे में जागरूक करने के लिए आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला के बाद मीडिया को संबोधित कर रहे थे। कार्यशाला में उत्तर प्रदेश सहित तीन- चार राज्यों को छोड़कर बैठक में ज्यादातर राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

दिल्ली में पीने के पानी की गुणवत्ता के बारे में, मंत्री ने कहा कि घरों में आगे की आपूर्ति के लिए ट्रीटमेंट प्लांट में पानी छोड़े जाने से पहले पानी के स्रोत की जाँच की जानी जरूरी है।

पासवान ने कहा, ‘‘इसमें हमारा कोई निजी हित नहीं है। हमारा इरादा गरीबों को पीने के पानी की बेहतर गुणवत्ता सुनिश्चित करना है।’’ उन्होंने कहा कि इस संबंध में राज्यों की सरकारों के साथ चर्चा का एक और दौर दो-तीन महीने बाद चलेगा।

पानी की गुणवत्ता की जांच करने के लिए, बीआईएस ने परीक्षण के दो चरण आयोजित किए हैं तथ नमूना संग्रह और परीक्षण के दो और दौर चलाने की योजना बनाई है।

पहले चरण में, दिल्ली भर के 11 विभिन्न स्थानों से पीने के पानी के नमूने लिए गए थे और दूसरे चरण में, 20 राज्यों की राजधानियों में 10 स्थानों से 10 नमूने लिए गए थे।

पासवान ने 16 नवंबर को, बीआईएस अध्ययन के दूसरे चरण को जारी किया जिसमें कहा गया था कि कोलकाता और चेन्नई के साथ साथ दिल्ली के पीने के पानी के 11 गुणवत्ता मानकों में से लगभग 10 पर नमूने विफल साबित हुए है।

तीसरे चरण में, पूर्वोत्तर राज्यों की राजधानी और 100 स्मार्ट शहरों में पाइप से आपूर्ति होने वाले पेयजल के नमूनों का परीक्षण किया जाएगा और उनके परिणाम 15 जनवरी, 2020 तक आने की उम्मीद है।

जबकि चौथे चरण में, देश के सभी जिला मुख्यालयों से नमूनों का परीक्षण करने का प्रस्ताव है और परिणाम 15 अगस्त, तक आने की उम्मीद है।

कर्नाटक उपचुनावों में लहराया भाजपा का परचम,कांग्रेस की हार के बाद सिद्धरमैया और गुंडुराव ने पार्टी के पदों से दिये इस्तीफे attacknews.in

बेंगलुरु( कर्नाटक)/ हजारीबाग ( झारखंड), 09 दिसंबर ।कर्नाटक में बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली सरकार के लिए अग्नि परीक्षा के रूप में देखे जा रहे राज्य विधानसभा की 15 सीटों पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को शानदार प्रदर्शन करते हुए 12 सीटें जीतकर कांग्रेस और अन्य दलों का लगभग सफाया करने के साथ ही स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया।

कांग्रेस की झोली में केवल दो सीटें गयी हैं जबकि जनता दल (एस) का खाता भी नहीं खुल पाया है। एक सीट पर निर्दलीय विजयी हुआ है।

कर्नाटक उपचुनावों में बड़ी जीत के साथ विस में भाजपा का स्पष्ट बहुमत

कर्नाटक में बी एस येदियुरप्पा के नेतृत्व वाली सरकार के लिए अग्नि परीक्षा के रूप में देखे जा रहे राज्य विधानसभा की 15 सीटों पर हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने सोमवार को शानदार प्रदर्शन करते हुए 12 सीटें जीतकर और कांग्रेस और अन्य दलों का लगभग सफाया करने के साथ ही स्पष्ट बहुमत हासिल कर लिया। कांग्रेस की झोली में केवल दो सीटें गयी हैं जबकि जनता दल (एस) का खाता भी नहीं खुल पाया है। एक सीट पर निर्दलीय विजयी हुआ है।

एच डी कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली गठबंधन सरकार के पतन के बाद श्री येदियुरप्पा ने इस वर्ष 26 जुलाई को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। इन उपचुनावों में श्री येदियुरप्पा को अपनी सरकार के लिए साधारण बहुमत हासिल करने के लिए कम से कम छह सीटों को जीतने की जरूरत थी। भाजपा ने उपचुनाव में बड़ी सफलता हासिल कर राज्य में स्थायी बहुमत वाली सरकार बनाने का मार्ग प्रशस्त कर लिया। यह उपचुनाव कर्नाटक विधानसभा के 15 अयोग्य ठहराए गए विधायकों के राजनीतिक भाग्य के लिए भी निर्णायक था। श्री येदियुरप्पा ने जीतने वाले विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह देने का वादा किया है। पार्टी हाई कमान से हालांकि अभी इसकी मंजूरी लेनी होगी।

निवर्तमान विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार के कांग्रेस और जद (एस) के विधायकों को स्वीकार नहीं करने और उन्हें अयोग्य ठहराये जाने के बाद यह उपचुनाव महत्वपूर्ण माना जा रहा था। बाद में विधायकों ने अपने को अयोग्य ठहराये जाने को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी और शीर्ष अदालत से इन्हें उपचुनाव लड़ने की अनुमति मिली थी।

भाजपा गोकाक, येल्लापुर, रानीबेन्नूर, विजयनगर, चिकबल्लारपुर, महालक्ष्मी लेआउट, कृष्णाराजपेट, अथानी, कगवा हीरेकेरुर और यशंवतपुर सीटें जीत चुकी है और के आर पुर में उसके प्रत्याशी बी ए बासवराजा निर्णायक बढ़त बनाये हुए हैं। श्री बासवराज को एक लाख 39 हजार 833 मत मिले हैं जबकि कांग्रेस के एम. नारायणस्वामी को 76 हजार 428 मत मिले हैं। इस प्रकार श्री बासवराज करीब 64 हजार मतों से आगे हैं।

कांग्रेस शिवाजी नगर और हुनाशुरु में जीती है। होसाकोटे क्षेत्र से निर्दलीय उम्मीदवार शरद कुमार बचेगोड़ा ने 81 हजार 667 वोट हासिल कर भाजपा के नागराजू को हराया। नागराजू को 70183 वोट प्राप्त हुए हैं।

कर्नाटक विधानसभा में 224 सीटें हैं। सत्रह विधायकों को अयोग्य ठहराने जाने के बाद 207 सदस्य रह गए थे। इस लिहाज से बहुमत के लिए 104 सीटों की जरूरत थी। भाजपा के पास वर्तमान में 105 सीटों के अलावा एक निर्दलीय उम्मीवार का समर्थन प्राप्त था। पंद्रह सीटों पर उपचुनाव होने के बाद विधायकों की संख्या 222 हो जाती और ऐसी स्थिति में भाजपा को बहुमत के लिए 112 सदस्य चाहिए। भाजपा को सत्ता में बने रहने के लिए कम से कम छह सीटों की जरूरत थी।

भाजपा को कुल प्राप्त मतों में आधे से अधिक 50.32 प्रतिशत वोट मिले हैं। कांग्रेस को 31.50 और जनता दल एस को 11.90 प्रतिशत वोटों से ही संतोष करना पड़ा है। करीब एक प्रतिशत शून्य दशमलव 94 प्रतिशत मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया जबकि बहुजन समाज पार्टी को शून्य दशमलव शून्य नौ प्रतिशत,राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) को शून्य दशमलव शून्य दो प्रतिशत और अन्य को 5.23 प्रतिशत वोट हासिल हुए हैं।

कांग्रेस की चोर दरवाजे से जनादेश चुराने की है पुरानी आदत: मोदी

इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक विधानसभा उप चुनाव परिणाम को लेकर कांग्रेस पर निशाना साधते हुए आज कहा कि उसकी न केवल चोर दरवाजे से जनादेश चुराने की पुरानी आदत है बल्कि वह अपने सहयोगियों का कठपुतली की तरह इस्तेमाल भी करती है इसलिए अब जनता उसे सबक सिखा रही है।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता श्री मोदी ने झारखंड में बरही के रसोइधमना मैदान में आयोजित चुनावी जनसभा में अपने संबोधन में कहा,“कर्नाटक ने गद्दारों को बड़ी सजा दी है। चोर दरवाजे से जनादेश चुराने वालों को सबक सिखाया है। कांग्रेस गठबंधन का कभी पालन नहीं करती। वह अपने सहयोगियों का कठपुतली की तरह इस्तेमाल करती है। वह भ्रष्‍टाचार के लिए किसी भी हद तक जा सकती है।”

श्री मोदी ने झारखंड के लोगों से कर्नाटक से सबक लेने की नसीहत देते हुए कहा कि झारखंड की जनता अपने भविष्‍य के लिए कर्नाटक के परिणामों को याद रखते हुए उठापटक की राजनीति करने वाली कांग्रेस एवं उसके सहयोगियों के प्रत्याशियों को हराए। उन्होंने कहा कि कर्नाटक की जनता ने कांग्रेस को सबक सिखा दिया है और अब झारखंड की बारी है।

सिद्दारमैया और दिनेश गुंडु राव ने इस्तीफा दिया

कर्नाटक विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सिद्दारमैया और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिनेश गुंडु राव ने सोमवार को उप चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के बाद इसकी जिम्मेदारी लेते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

दोनों नेताओं ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि कांग्रेस को उम्मीद के अनुरुप नतीजे नहीं मिलने पर वे अपने-अपने पदों से इस्तीफा दे रहे हैं।

लोकसभा में पारित हुआ नागरिकता संशोधन विधेयक,पक्ष में 311 और विरोध में 80 मत पड़े,असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक की प्रति फाड़ी attacknews.in

नयी दिल्ली 09 दिसंबर ।लोकसभा ने नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दे दी । विधेयक के पक्ष में 311 मत और विरोध में 80 मत पड़े । लोकसभा ने आज रात पाकिस्तान, बंगलादेश तथा अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताड़ित हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी और ईसाई संप्रदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने वाला विधेयक पारित कर दिया।

गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को विधेयक पर करीब छह घंटे चली चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक 1950 के नेहरू लियाकत समझौते की गलती को सुधारने के लिए लाया गया है। उन्होंने साफ किया कि इस विधेयक का भारत में रहने वाले मुसलमानों से कोई लेना देना नहीं है। भारत में पहले भी मुसलमान बराबरी के अधिकार से रहते रहे हैं, वे आगे भी ऐसे ही बराबरी के हक से रहते रहेंगे।

नागरिकता विधेयक: 2015 से पहले से भारत में रहने वालों को मिलेगी नागरिकता

सरकार द्वारा संसद में सोमवार को पेश नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 में वर्ष 2015 से पहले से अवैध रूप से देश में रह रहे पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी और ईसाई संप्रदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव किया गया है।

गृह मंत्री अमित शाह ने सोमवार को लोकसभा में यह विधेयक पेश किया। इसके उद्देश्यों एवं कारणों में बताया गया है कि विधेयक के जरिये नागरिकता अधिनियम की अनुसूचि तीन में संशोधन कर इन तीनों देशों के उपरोक्त छह संप्रदायों के लोगों के लिए स्थायी नागरिकता के आवेदन की शर्तों को आसान बनाया गया है। पहले कम से कम 11 साल देश में रहने के बाद इन्हें नागरिकता के लिए आवेदन का अधिकार था। अब इस समय सीमा को घटाकर पाँच साल किया जा रहा है।

इसमें कहा गया है कि 31 दिसंबर 2014 तक बिना वैध दस्तावेजों के इन तीन देशों से भारत में प्रवेश करने वाले या इस तिथि से पहले वैध रूप से देश में प्रवेश करने और दस्तावेजों की अवधि चूक जाने के बाद भी अवैध रूप से यहीं रहने वाले छह संप्रदायों के लोग नागरिकता के आवेदन के पात्र होंगे।

साथ ही यह भी व्यवस्था की गयी है कि उनके विस्थापन या देश में अवैध निवास को लेकर उन पर पहले से चल रही कोई भी कानूनी कार्रवाई स्थायी नागरिकता के लिए उनकी पात्रता को प्रभावित नहीं करेगी तथा नागरिकता आवेदन पर विचार करने वाले अधिकारी इन मामलों पर ध्यान दिये बिना आवेदन पर विचार करेंगे।

इस विधेयक के जरिये ‘ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया’ (ओसीआई) कार्डधारकों द्वारा अधिनियम की शर्तों या किसी अन्य भारतीय नियम का उल्लंघन करने की स्थिति में उनका कार्ड रद्द करने का अधिकार केंद्र सरकार को मिल जायेगा। साथ ही कार्ड रद्द करने से पहले कार्डधारक को उसकी बात रखने का मौका देने का भी प्रस्ताव विधेयक में किया गया है।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान में राष्ट्रीय धर्म है जिसे वहाँ के संविधान द्वारा मान्यता दी गयी है। इन देशों में हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी एवं ईसाई धर्म के लोगों पर अत्याचार किया जाता है। इनमें से कई लोगों ने भारत आकर शरण ली है और लंबे समय से अवैध रूप से यहीं रह रहे हैं तथा उन्हें अवैध प्रवासी माना जाता है। अब उन्हें भारतीय नागरिकता के योग्य बनाने के लिए यह विधेयक लाया गया है।

ओवैसी ने लोकसभा में फाड़ी नागरिकता विधेयक की प्रति

आल इंडिया मजलिस ए इतिहादुल मुसिलमीन (एआईएमआईएम) के असदुद्दीन ओवैसी ने ‘नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019’ का विरोध करते हुए लोकसभा में सोमवार को विधेयक की प्रति को फाड़ दिया।

श्री ओवैसी ने विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए इसे भारतीय संविधान की आत्मा के विरुद्ध बताया और कहा कि यह कानून मजहब की बुनियाद पर तैयार किया गया है और मुसलमानों के खिलाफ है। उन्होंने सरकार से पूछा कि वह बताए कि उसे मुसलमानों से किस बात की नफरत है।

अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाक से आए अल्पसंख्यकों को नागरिकता का पात्र बनाने वाले विधेयक में यह हैं प्रावधान –

लोकसभा में सोमवार को नागरिकता संशोधन विधेयक पेश किया गया जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान हे ।

निचले सदन में विपक्षी सदस्यों के भारी विरोध के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने यह विधेयक पेश किया । विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि ऐसे अवैध प्रवासियों को जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, उन्हें अपनी नागरिकता संबंधी विषयों के लिए एक विशेष शासन व्यवस्था की जरूरत है । विधेयक में हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के प्रवासियों को भारतीय नागरिकता के लिये आवेदन करने से नहीं वंचित करने की बात कही गई है । इसमें कहा गया है कि यदि कोई ऐसा व्यक्ति नागरिकता प्रदान करने की सभी शर्तो को पूरा करता है तब अधिनियम के अधीन निर्धारित किये जाने वाला सक्षम प्राधिकारी, अधिनियम की धारा 5 या धारा 6 के अधीन ऐसे व्यक्तियों के आवेदन पर विचार करते समय उनके विरूद्ध अवैध प्रवासी के रूप में उनकी परिस्थिति या उनकी नागरिकता संबंधी विषय पर विचार नहीं करेगा ।

भारतीय मूल के बहुत से व्यक्ति जिनमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान के उक्त अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्ति भी शामिल हैं, वे नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 5 के अधीन नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं। किंतु यदि वे अपने भारतीय मूल का सबूत देने में असमर्थ है, तो उन्हें उक्त अधिनियम की धारा 6 के तहत ‘‘देशीयकरण’’ द्वारा नागरिकता के लिये आवेदन करने को कहा जाता है । यह उनको बहुत से अवसरों एवं लाभों से वंचित करता है ।

इसमें कहा गया कि इसलिए अधिनियम की तीसरी अनुसूची का संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है जिसमें इन देशों के उक्त समुदायों के आवेदकों को ‘‘देशीयकरण द्वारा नागरिकता के लिये पात्र बनाया जा सके’’। इसके लिए ऐसे लोगों मौजूदा 11 वर्ष के स्थान पर पांच वर्षो के लिए अपनी निवास की अवधि को प्रमाणित करना होगा ।

इसमें वर्तमान में भारत के कार्डधारक विदेशी नागरिक के कार्ड को रद्दे करने से पूर्व उन्हें सुनवाई का अवसर प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है ।

विधेयक में संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले पूर्वोत्तर राज्यों की स्थानीय आबादी को प्रदान की गई संवैधानिक गारंटी की संरक्षा करने और बंगाल पूर्वी सीमांत विनियम 1973 की ‘‘आंतरिक रेखा’’ प्रणाली के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को प्रदान किये गए कानूनी संरक्षण को बरकरार रखने के मकसद से है ।

इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान से सीमापार लोगों का आना निरंतर होता रहा है । वर्ष 1947 में भारत का विभाजन होने के समय विभिन्न धर्मो से संबंध रखने वाले अविभाजित भारत के लाखों नागरिक पाकिस्तान सहित इन क्षेत्रों में ठहरे हुए थे । पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के संविधान में राज्य धर्म का उपबंध किया गया है । इसके परिणामस्वरूप हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के बहुत से व्यक्तियों ने इन देशों में धर्म के आधार पर अत्याचार का सामना किया । बहुत से ऐसे व्यक्ति भारत में शरण के लिये घुसे और ठहरे हुए हैं, भले ही उनके यात्रा दस्तावेज समाप्त हो गए हों।

ऐसे लोगों को अवैध प्रवासी समझा जाता है और वे अधिनियम की धारा 5 और 6 के अधीन भारतीय नागरिकता के लिये आवेदन करने के लिये अपात्र हैं ।

दिल्ली की अनाज मंडी अग्निकांड में निकला अरविंद केजरीवाल से कनेक्शन,अदालत ने मालिक को रिमांड पर भेजा attacknews.in

नयी दिल्ली, 09 दिसम्बर ।मध्य दिल्ली के रानी झांसी रोड के निकट अनाज मंडी इलाके में भीषण अग्नि हादसे में 43 लोगों की दर्दनाक मौत पर राजनीति तेज हो गयी है,इस अग्निकांड के हीरो का कनेक्शन अरविंद केजरीवाल के रूप में सामने आया है ।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष मनोज तिवारी ने सोमवार को आरोप लगाया कि जिस इमारत में आग लगी, उसके मालिक का मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) से संबंध है।

दिल्ली अग्निकांड पर आयोग ने मांगी रिपोर्ट

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राजधानी के अनाज मंडी क्षेत्र में हुए अग्निकांड में 43 लोगों की मौत से संबंधित मीडिया रिपोर्टों का संज्ञान लेते हुए दिल्ली के मुख्य सचिव , पुलिस आयुक्त और उत्तरी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त को नोटिस जारी कर छह सप्ताह में जवाब देने को कहा है।

आयोग ने इन अधिकारियों से इस मामले में अब तक की गयी कार्यवाही और राहत तथा पुनर्वास के लिए उठाये गये कदमों की जानकारी देने को भी कहा है। शहरी विकास मंत्रालय के सचिव को भी नोटिस जारी कर नियमों के उल्लंघन के मामले का पता लगाने के लिए एक समिति का गठन करने को कहा है।

अनाज मंडी आग हादसा: आरोपी 14 दिन की पुलिस हिरासत में

दिल्ली की तीस हजारी अदालत ने मध्य दिल्ली के रानी झांसी रोड के निकट अनाज मंडी क्षेत्र में भीषण आग की चपेट में आयी फैक्ट्री के मालिक रेहान और प्रबंधक फुरकान को सोमवार को पूछताछ के लिए 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया।

रविवार को हुए इस भीषण आग हादसे में 43 लोगों की दम घुटने या झुलसने से मौत हो गयी थी। कई घायलों का अभी उपचार चल रहा है।

रेहान और फुरकान को पुलिस ने कल शाम गिरफ्तार किया था। दोनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और धारा 285(आग या ज्वलनशील पदार्थ के संदर्भ में लापरवाही) के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।

दोनों को आज तीस हजारी अदालत में पेश किया गया जहां से उन्हें पूछताछ के लिए 14 दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया।

पुलिस ने रेहान और फुरकान की हिरासत की मांग की जिसे मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट मनोज कुमार ने मंजूर कर लिया।

अदालत ने कहा कि घटना की विभीषिका को देखते हुए इसकी बहुआयामी जांच की जरूरत है और इसलिए आरोपियों को पुलिस हिरासत में भेजे जाने की जरूरत है।

पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ गैर इरादतन हत्या और आग के संदर्भ में लापरवाह रवैया अपनाने के लिए भादंसं की संबंधित धाराओं में मामला दर्ज किया था। मामला अपराध शाखा के पास भेज दिया गया है।

सुनवाई के दौरान पुलिस ने अदालत से कहा कि शुरुआती जांच से पता चला है कि कुछ अन्य आरोपी थे और उनकी भूमिका का पता लगाने के लिए दोनों को हिरासत में लेकर पूछताछ करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इमारत में प्राधिकरणों से मंजूरी के बगैर फैक्टरी चलती थी।

पुलिस ने कहा कि भवन के तीन मालिक थे और उन्होंने अलग-अलग लोगों को भवन किराये पर दे रखा था जिनकी भूमिका की भी जांच किया जाना है।

पुलिस ने अदालत में कहा, ‘‘यह संवेदनशील मामला है। अधिकतर लोग दूर दराज के इलाकों से थे। अभी तक मृतकों के नाम और पते की भी पहचान नहीं हुई है। यह जटिल प्रक्रिया है। रेहान और फुरकान बचपन के दोस्त हैं और वे 2003 से एक साथ व्यवसाय कर रहे हैं। दोनों आरोपियों को पुलिस हिरासत में लेना जरूरी है। अन्यथा न्याय नहीं हो पाएगा।’’

रेहान और फुरकान के वकील ने रिमांड के आग्रह का विरोध किया और कहा कि पुलिस पहले ही सभी दस्तावेजों और संपत्ति के समझौता पत्रों को जब्त कर चुकी है।

वकील ने अदालत से कहा, ‘‘जरूरत पड़ने पर आरोपी दूसरे दस्तावेज भी मुहैया करा देंगे। पुलिस रिमांड की जरूरत नहीं है।’’

पुलिस ने अदालत को यह भी सूचित किया कि मामले को अपराध शाखा को स्थानांतरित करने के लिए उन्हें कोई लिखित आदेश प्राप्त नहीं हुआ है।

दिल्ली सरकार ने अग्निकांड की जांच के लिए मजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए थे और सात दिनों के अंदर रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा। 1997 में हुए उपहार अग्निकांड के बाद यह सबसे भीषण आग त्रासदी थी।

मरने वाले अधिकतर लोग बिहार और उत्तरप्रदेश के प्रवासी मजदूर है ।

अनाज मंडी आग हादसे के लिए दिल्ली के ऊर्जा मंत्री, कंपनी जिम्मेदार, हत्या का मुकदमा दर्ज हो: चोपड़ा

दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने अनाज मंडी इलाके में आग हादसे के लिए सोमवार को ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन और बिजली कंपनियों को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा है कि इनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जाए।

श्री चोपड़ा ने आज यहां प्रदेश के मुख्य प्रवक्ता मुकेश शर्मा के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि फिल्मिस्तान में हुए इस दर्दनाक हादसे के लिए ऊर्जा मंत्री और बिजली कंपनियां दोषी हैं और उनके खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया जायेगा।

दोनों ने कहा कि स्थानीय विधायक और पर्यावरण मंत्री इमरान हुसैन और उत्तरी दिलली नगर निगम महापौर को भी इस त्रासदी की जिम्मेदारी लेते हुए तुरंत अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। गौरतलब है कि रविवार को हुए इस भीषण अग्निकांड में 43 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई।

श्री चोपड़ा ने कहा कि इस वर्ष सरकार और निगम की लापरवाही की वजह से हुए अग्निकांडों में 94 लोगों की जान जा चुकी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के ऊर्जा मंत्री और बिजली कंपनियों की सांठगांठ से इन क्षेत्रों में बुनियादी सुविधा ढांचे को मजबूत करने के लिए 825 करोड़ रुपए की धनराशि बिजली कंपनियों ने खर्च करने का दावा किया है जो पूरी तरह गलत है।

श्री चोपड़ा ने कहा कि कंपनी का यह दावा कि 650 किलोमीटर केबल सिस्टम को मजबूत किया है, सत्य से परे हैं। उन्होंने कहा कि यदि 650 किलोमीटर केबल अगर भूमिगत कर दी गई होती तो आज इतनी बड़ी संख्या में लोगों को असमय जान नहीं गंवानी पड़ती।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर निशाना साधते हुए श्री चोपड़ा ने कहा कि पूर्व केंद्रीय ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल ने लोकसभा चुनाव से स्थानीय सांसद और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डाक्टर हर्षवर्धन के साथ दौरा करते वक्त यह घोषणा की थी कि मंत्रालय 600 करोड़ रुपए खर्च कर पुरानी दिल्ली में तारों को भूमिगत करेगा लेकिन यह मात्र चुनावी घोषणा रह गई। दिल्ली नगर निगम में 18 सालों से भाजपा का शासन है और पार्टी में व्याप्त भ्रष्टाचार भी इन हादसों के पीछे एक बड़ा कारण है।

श्री शर्मा ने आरोप लगाया कि बिजली कंपनियां ने इन क्षेत्रों में सभी कनेक्शनों पर मिस यूज लगाकर और लोड बढ़ाकर हजारों करोड़ रुपए का चूना दिल्ली की जनता को लगाया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि जितनी राशि एकत्रित की गई उसका एक प्रतिशत भी इन इलाकों में सिस्टम को मजबूत करने पर खर्च नहीं किया गया, जो पूरी तरह केवल बेइमानी नहीं है अपितु एक बड़ा घोटाला है जिसकी जांच होनी चाहिए।

एनएनजेपी में 17 मृतकों की शिनाख्त: 17 शवों की पहचान के प्रयास जारी

दिल्ली के रानी झांसी रोड के निकट अनाज मंडी इलाके में फैक्ट्रियों में लगी भयानक आग में मारे गए 43 लोगों में से 34 की मौत लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल (एलएनजेपी) में हुई। अस्पताल में मृत 34 में से अब तक 17 की ही शिनाख्त हो पाई है।

अस्पताल सूत्रों ने सोमवार को बताया कि अग्निकांड से प्रभावित यहां कुल 54 लोगों को लाया गया जिनमें से 34 की मौत हो गई।

अनाज मंडी में फिर से लगी आग

दिल्ली के रानी झांसी रोड के निकट अनाज मंडी में रविवार सुबह एक चार मंजिला इमारत में चल रही फैक्टरी में आग लगने से 43 लोगों की मौत के बाद सोमवार को फिर से उसी इमारत में आग लग गयी।
दमकल विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि सुबह सात बजकर 39 मिनट एक कार्डबोर्ड में अचानक से आग गयी थी। आग पर काबू पा लिया गया।

उन्होंने बताया कि आग लगने की सूचना मिलने के बाद दमकल की तीन गाड़ियों को घटनास्थल पर भेजा गया।

अब किसी को भी हथियार रखना आसान नहीं होगा,आजीवन कारावास तक की सजा का विधेयक पेश attacknews.in

नयी दिल्ली, 09 दिसंबर ।हथियार कानून का उल्लंघन करने पर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान करने तथा कुछ नये तरह के अपराधों को इस कानून के दायरे में लाने वाला विधेयक सोमवार को लोकसभा में ध्वनिमत से पारित हो गया।

सदन में करीब ढाई घंटे तक विधेयक पर चली चर्चा के बाद सरकार ने विधेयक में पाँच संशोधन किये। सरकार की ओर से गृहमंत्री अमित शाह द्वारा प्रस्तुत सभी पाँच संशोधनों को सदन ने मंजूरी प्रदान की जबकि विपक्ष की ओर से प्रस्तुत 17 संशोधन अस्वीकृत हो गये।

श्री शाह ने चर्चा का जवाब देते हुये कहा कि इसमें खिलाड़ियों और सेना के वर्तमान या सेवानिवृत्त अधिकारियों के हथियार रखने अधिकारों में कोई बदलाव नहीं किया गया है। खिलाड़ियों के लिए हथियारों की संख्या, असलहों की मात्रा और लाइसेंस के प्रकार में वृद्धि की गयी है। पूर्व तथा मौजूदा सैन्य अधिकारियों के लिए कोई बदलाव नहीं किया गया है। साथ ही एक व्यक्ति को दो हथियारों के लिए लाइसेंस लेने का अधिकार होगा।

उन्होंने बताया कि पुलिस तथा सशस्त्र बलों से हथियार छीनने या चुराने, हथियारों के अवैध निर्माण, बिक्री एवं गैर-कानूनी आयात-निर्यात, तस्करी और सिंडिकेट को हथियारों की अवैध रूप से आपूर्ति करने वालों के लिए अधिकतम जीवन भर के कारावास का प्रावधान किया गया है।

इसके अलावा लाइसेंस की वैधता की अवधि तीन साल से बढ़ाकर पाँच साल की गयी है। साथ ही ऑनलाइन लाइसेंसे प्राप्त करने यानी ई-लाइसेंस की भी व्यवस्था की जायेगी।

प्रतिबंधित शस्त्र और गोला-बारूद रखने वालों के लिए पाँच से दस तक के कारावास की सजा होगी। छोटे अपराधों के लिए सजा की अवधि पहले एक से तीन साल तक थी, जिसे बढ़ाकर पाँच साल किया गया है।

शादी-विवाह तथा अन्य किसी विशेष मौकों पर की लाइसेंसी हथियारों से की जाने वाली हर्ष फायरिंग को इन संशोधनों के जरिये विनियमित करने के बारे में श्री शाह ने कहा कि यह गलत धारणा है कि ऐसे मौकों पर लाइसेंसी हथियारों से किसी की जान नहीं जाती।

उन्होंने बताया कि वर्ष 2016 उत्तर प्रदेश में 191, बिहार में 12 और झारखंड में 14 लोगों की जान लाइसेंसी हथियारों से की गयी हर्ष फायरिंग में गयी है। अब ऐसे मामलों में भी अपराधियों को जेल जाना होगा।

उन्होंने कहा कि अब फोन करने के बाद ग्रामीण इलाकों में पुलिस को मौके पर पहुँचने में औसतन 30 मिनट और शहरी इलाकों में 10 मिनट का समय लगता है, इसलिए लोगों को हथियार रखने की जरूरत नहीं है।

बक्सर की केन्द्रीय जेल में तैयार हुए 10 फांसी के फंदे,14 दिसम्बर का है अल्टीमेटम attacknews.in

बक्सर 09 दिसंबर ।तेलंगाना के हैदराबाद में दुष्कर्म और हत्या मामले के आरोपियों के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद दिल्ली निर्भया कांड के आरोपियों को फांसी पर लटकाए जाने की जोर पकड़ती मांग के बीच बिहार के बक्सर केंद्रीय कारा को इस वर्ष 14 दिसंबर तक फांसी के दस फंदे तैयार करने के निर्देश से कयास और अटकलें तेज हो गई हैं लेकिन अभी तक जेल प्रशासन को भी नहीं पता है कि ये फंदे क्यों बनवाए जा रहे हैं।

आधिकारिक सूत्रों ने आज यहां बताया कि कारा प्रशासन को जेल निदेशालय से पिछले सप्ताह फांसी के दस फंदे तैयार करने का निर्देश प्राप्त हुआ है। निर्देश में इन फंदों को 14 दिसंबर 2019 तक तैयार करने को कहा गया है। हालांकि जेल प्रशासन को भी अभी तक नहीं पता है कि इन फंदों का इस्तेमाल कहां और किसके लिए किया जाएगा।

सूत्रों ने बताया कि बक्सर केंद्रीय कारा में काफी लंबे समय से फांसी के फंदे बनाए जाते रहे हैं। पांच-छह कैदियों की दो-तीन दिन की कड़ी मशक्कत के बाद एक फंदा तैयार होता है। इसे बनाने में 7200 कच्चे धागों का इस्तेमाल किया जाता है। इससे पूर्व संसद हमले के मामले में अफजल गुरु को मौत की सजा देने के लिए इस जेल में तैयार किये गये फांसी के फंदे का इस्तेमाल किया गया था।

गौरतलब है कि अटकलें लगाई जा रही है कि 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में एक चलती बस में एक युवती से दुष्कर्म के चार दोषियों को इस महीने के अंत में फांसी दी जा सकती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शुक्रवार को इन आरोपियों की दया याचिका की फाइल अंतिम निर्णय के लिए राष्ट्रपति को भेज दी है। वहीं, दो दिन पहले दिल्ली के उप राज्यपाल अनिल बैजल ने भी केंद्रीय गृह मंत्रालय को रिपोर्ट भेजी थी, जिसमें कहा गया था कि दोषी की सजा किसी भी सूरत में माफ किए जाने योग्य नहीं है।

पाकिस्तान,बांग्लादेश,अफगानिस्तान में धार्मिक प्रताड़ना से भारत आने वाले अल्पसंख्यकों को नागरिकता के लिए पात्रता के यह हैं नियम attacknews.in

नईदिल्ली 9 दिसम्बर ।नागरिकता संशोधन विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान हे ।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में कहा गया है कि ऐसे अवैध प्रवासियों को जिन्होंने 31 दिसंबर 2014 की निर्णायक तारीख तक भारत में प्रवेश कर लिया है, उन्हें अपनी नागरिकता संबंधी विषयों के लिए एक विशेष शासन व्यवस्था की जरूरत है ।

विधेयक में हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के प्रवासियों को भारतीय नागरिकता के लिये आवेदन करने से नहीं वंचित करने की बात कही गई है ।

इसमें कहा गया है कि यदि कोई ऐसा व्यक्ति नागरिकता प्रदान करने की सभी शर्तो को पूरा करता है तब अधिनियम के अधीन निर्धारित किये जाने वाला सक्षम प्राधिकारी, अधिनियम की धारा 5 या धारा 6 के अधीन ऐसे व्यक्तियों के आवेदन पर विचार करते समय उनके विरूद्ध अवैध प्रवासी के रूप में उनकी परिस्थिति या उनकी नागरिकता संबंधी विषय पर विचार नहीं करेगा ।

भारतीय मूल के बहुत से व्यक्ति जिनमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश, पाकिस्तान के उक्त अल्पसंख्यक समुदायों के व्यक्ति भी शामिल हैं, वे नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 5 के अधीन नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं। किंतु यदि वे अपने भारतीय मूल का सबूत देने में असमर्थ है, तो उन्हें उक्त अधिनियम की धारा 6 के तहत ‘‘देशीयकरण’’ द्वारा नागरिकता के लिये आवेदन करने को कहा जाता है । यह उनको बहुत से अवसरों एवं लाभों से वंचित करता है ।

इसमें कहा गया कि इसलिए अधिनियम की तीसरी अनुसूची का संशोधन करने का प्रस्ताव किया गया है जिसमें इन देशों के उक्त समुदायों के आवेदकों को ‘‘देशीयकरण द्वारा नागरिकता के लिये पात्र बनाया जा सके’’। इसके लिए ऐसे लोगों मौजूदा 11 वर्ष के स्थान पर पांच वर्षो के लिए अपनी निवास की अवधि को प्रमाणित करना होगा ।

इसमें वर्तमान में भारत के कार्डधारक विदेशी नागरिक के कार्ड को रद्दे करने से पूर्व उन्हें सुनवाई का अवसर प्रदान करने का प्रस्ताव किया गया है ।

विधेयक में संविधान की छठी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले पूर्वोत्तर राज्यों की स्थानीय आबादी को प्रदान की गई संवैधानिक गारंटी की संरक्षा करने और बंगाल पूर्वी सीमांत विनियम 1973 की ‘‘आंतरिक रेखा’’ प्रणाली के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों को प्रदान किये गए कानूनी संरक्षण को बरकरार रखने के मकसद से है ।

इसमें कहा गया है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान से सीमापार लोगों का आना निरंतर होता रहा है । वर्ष 1947 में भारत का विभाजन होने के समय विभिन्न धर्मो से संबंध रखने वाले अविभाजित भारत के लाखों नागरिक पाकिस्तान सहित इन क्षेत्रों में ठहरे हुए थे । पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के संविधान में राज्य धर्म का उपबंध किया गया है । इसके परिणामस्वरूप हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के बहुत से व्यक्तियों ने इन देशों में धर्म के आधार पर अत्याचार का सामना किया । बहुत से ऐसे व्यक्ति भारत में शरण के लिये घुसे और ठहरे हुए हैं, भले ही उनके यात्रा दस्तावेज समाप्त हो गए हों।

ऐसे लोगों को अवैध प्रवासी समझा जाता है और वे अधिनियम की धारा 5 और 6 के अधीन भारतीय नागरिकता के लिये आवेदन करने के लिये अपात्र हैं ।

भारी हंगामे के बीच नागरिकता संशोधन विधेयक हुआ लोकसभा में पेश:

विपक्ष के तीखे विरोध के बीच गृह मंत्री अमित शाह ने लाेकसभा में आज नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 पेश किया जिसमें अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बंगलादेश से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत में शरण लेने वाले हिन्दू, सिख, ईसाई, पारसी, बौद्ध और जैन समुदाय के लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।

हंगामें के बीच इस बिल के पेश होने के लिए जो वोटिंग हुई उसमें 293 हां के पक्ष में और 82 विरोध में वोट पड़े. लोकसभा में इस दौरान कुल 375 सांसदों ने वोट किया. वोटिंग के दौरान सबसे दिलचस्प बात यह रही कि शिवसेना ने बिल पेश करने के समर्थन में वोट किया. बता दें कि हाल में ही महाराष्ट्र में हुए सियासी उठापटक में शिवसेना ने बीजेपी से नाता तोड़ लिया था और NDA से अलग हो गई थी।

इसके बाद उसने महाराष्ट में राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस की मदद से गठबंधन की सरकार बनाई. जहां एक ओर कांग्रेस की अगुआई में अधिकांश विपक्षी दलों ने भी नागरिकता संशोधन बिल के वर्तमान स्वरूप को देश के लिए खतरनाक बताते हुई इसका विरोध किया तो वहीं शिवसेना ने इसका समर्थन कर दिया है।

कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग आदि विपक्षी दलों ने इस विधेयक को धार्मिक आधार पर नागरिकता तय करके संविधान की मूल भावना को आहत करने का आरोप लगाया और कहा कि इससे संविधान के अनुच्छेद पांच, दस, 14, 15, 25 एवं 26 का उल्लंघन होता है।

गृह मंत्री अमित शाह ने इसका जवाब देते हुए कहा कि इससे संविधान के किसी भी अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं हुआ है। इन तीन देशों में इस्लाम राज्य का धर्म है और धार्मिक उत्पीड़न गैर इस्लामिक समुदायों का ही होता आया है। इसलिए ऐसे छह समुदायों को ‘तर्कसंगत वर्गीकरण’ के अंतर्गत नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है जबकि मुस्लिम समुदाय के लोग वर्तमान नियमों के अनुसार ही नागरिकता का आवेदन कर सकेंगे और उन पर उसी के अनुरूप विचार भी किया जाएगा।

गृह मंत्री के जवाब से विपक्ष संतुष्ट नहीं हुआ और उसने विधेयक पेश करने के प्रस्ताव पर मतविभाजन की मांग की जिसे 82 के मुकाबले 293 मतों से मंजूर कर लिया गया और श्री शाह ने विधेयक पेश किया।

नागरिकता संशोधन विधेयक के पेश जाने पर विपक्ष का हंगामा:

लोकसभा में गृह मंत्री अमित शाह नागरिकता संशोधन विधेयक को पेश किए जाने के दौरान विपक्षी सदस्यों ने संविधान की मूल भावना एवं देश के लोकतांत्रिक ढांचे को आहत करने वाला बताते हुए जमकर हंगामा किया और कहा कि यह इतिहास का काला दिन है और देश को मुस्लिम एवं गैर मुस्लिम में बांटने का प्रयास किया जा रहा है।

कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह विधेयक एक लक्षित विधेयक है जिसमें एक खास समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है और यह पंड़ित जवाहर लाल नेहरू और डा़ भीमराव अंबेडकर के सपनों का उल्लंघन हैं। यह संविधान के अनुच्छेद 14 की आत्मा का उल्लंघन है और हमारे लोकतंत्र के ढांचे को बर्बाद करेगा। यह संविधान की प्रस्तावना पर हमला है।

रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के एन के प्रेमचंद्रन ने कहा कि हम इस विधेयक की विधायिका क्षमता का विरोध कर रहे हैं और धर्म के अाधार पर बनाए गए इस विधेयक विरोध कर रहे हैं। यह अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन हैं जो प्रस्तावना के ढांचे पर हमला है और इसके कईं प्रावधान एक दूसरे के विरोधी है।

अाईयूएमएल के पीके कुनहालीकुट्टी ने कहा कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन है जिसे वापिस लिया जाना चाहिए और इसमें एक समुदाय का नाम लिया जा रहा है। पार्टी के सांसद ई टी मोहम्मद बशीर ने कहा कि आज का दिन संसद के इतिहास का काला दिन है और इस विधेयक के जरिए लोगों को मुस्लिम और गैर मुस्लिम में बांटा जा रहा है।
तृणमूल के सौगत राय ने विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि गृह मंत्री अमित शाह को सदन के नियम कायदे कानून का पता नहीं है क्योंकि वह इस सदन में नए हैं। संविधान संकट में है और डां अंबेडकर ने जो प्रावधान किए थे भारतीय जनता पार्टी इस उल्लंघन हैं। यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन हैं ।

इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के ई टी मोहम्मद बशीर ने कहा कि यह सदन के इतिहास का एक काला दिन है। देश को मुस्लिम एवं गैर मुस्लिम में बांटने का प्रयास किया जा रहा है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है। कांग्रेस के गौरव गोगोई ने कहा कि यह असम समझौते का उल्लंघन हैं।

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कहा कि यह हमारे गणराज्य को विभाजित करने का प्रयास है और देश को धार्मिक अाधार पर बांटा जा रहा है और पंड़ित नेहरू तथा महात्मा गांधी ने जिस आधार पर भारत राष्ट्र का निर्माण किया था ,यह विधेयक उसके मूल ढांचे पर हमला है और हम इसकी विधाायिका क्षमता का विरोध करते हैं।

एआईआईएमएल नेता असददुीन औवेसी ने कहा कि यह देश के धर्मनिरपेक्षता के ढांचे पर हमला है और मूल ढांचे का उल्लंघन करता है । इस कानून के पारित हाेने से देश का नुकसान होगा।

अमित शाह ने कहा कि यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन नहीं करता है और मैं इस सदन और देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि यह यह समानता के अधिकार का विरोधी नहीं है और इससे समानता का अधिकार आहत नहीं होगा । लेकिन तर्कसंगत वर्गीकरण के आधार पर कोई हमें कानून बनाने से नहीं रोक सकता है।

उन्होंने कहा कि तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1971 में बंगलादेश से आए लोगों को भारत में शरण दी थी और युगांडा से आए लोगों को भी कांग्रेस के शासनकाल में शरण दी गई थी। श्री राजीव गांधी ने असम समझौते में 1971 तक के लोगों काे ही स्वीकार किया था।

द्रमुक के टीआर बालू ने कहा कि वह इस विधेयक की उपयुक्तता पर चर्चा करना चाहते हैं और यह सदन की सक्षमता का सवाल है। इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्षी दलोें के सदस्यों ने जोरदार हंगामा शुरू कर दिया जिस पर लोकसभा अध्यक्ष आेम बिरला ने कहा कि हम सबकों सदन की मर्यादा का ध्यान रखना है और सबसे अपील है कि वे सदन की गरिमा को बनाए रखे।

उन्होंने कहा ‘मैं जहां भी विश्व के देशों के संसदीय सम्मेलनों में जाता हूं वहां सबको बताता हूं कि भारत एक मजबूत निर्णायक लोकतंत्र है और मैं सदन का संरक्षक हूं लेकिन हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि सदस्य एक दूसरे का सम्मान करें और एक दूसरे के प्रति अमर्यादित भाषा के इस्तेमाल से बचें।

कांग्रेस ने किया था धर्म के आधार पर देश का विभाजन : शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्षी दल कांग्रेस पर धर्म के आधार पर देश के विभाजन का आरोप लगाते हुये सोमवार को लोकसभा में कहा कि यदि वह ऐसा नहीं करती तो सरकार को नागरिकता (संशोधन) विधेयक आज सदन में नहीं लाना पड़ता।

श्री शाह ने विधेयक सदन में पेश करने से पहले विपक्षी दलों की आपत्तियों को खारिज करते हुये कहा “जब आजादी मिली तब धर्म के आधार पर कांग्रेस पार्टी देश का विभाजन नहीं करती तो इस विधेयक की जरूरत नहीं होती।”

उनके इतना कहते कांग्रेस तथा कई अन्य दलों के सदस्य अपने-अपने स्थान पर खड़े होकर जोर-जोर से कुछ बोलने लगे। इस पर श्री शाह ने अपना आरोप एक बार फिर दुहराते हुये कहा “हाँ, धर्म के आधार पर देश का विभाजन कांग्रेस पार्टी ने किया।”

उन्होंने कहा कि यह विधेयक तर्कसंगत वर्गीकरण के आधार पर लाया गया है। इसमें पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी और ईसाई संप्रदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का विशेष प्रावधान इसलिए किया गया है क्योंकि ये तीनों देशों में संविधान के तहत इस्लाम को राष्ट्रीय धर्म घोषित किया गया है और वहाँ अन्य संप्रदायों के लोगों को प्रताड़ित किया जाता है।

गृह मंत्री ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ था जिसमें दोनों देशों ने अपने यहाँ अल्पसंख्यकों के संरक्षण का आश्वासन दिया था। हमारे यहाँ उसका पालन किया गया लेकिन पाकिस्तान और बाद में पाकिस्तान से बने बंगलादेश में उन पर अत्याचार किया गया।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान और बंगलादेश में आज भी धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार जारी है। इसलिए “धार्मिक रूप से प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने के लिए” यह विधेयक लाया गया है।

श्री शाह ने सदन को आश्वस्त किया कि इन देशों के मुसलमान भी कानून के आधार पर नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं और उनके आवेदनों पर भी प्रक्रिया के तहत विचार किया जायेगा।

नागरिकता विधेयक: 2015 से पहले से भारत में रहने वालों को मिलेगी नागरिकता

सरकार द्वारा संसद में सोमवार को पेश नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2019 में वर्ष 2015 से पहले से अवैध रूप से देश में रह रहे पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी और ईसाई संप्रदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रस्ताव किया गया है।

गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सोमवार को लोकसभा में पेश विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों में बताया गया है कि विधेयक के जरिये नागरिकता अधिनियम की अनुसूचि तीन में संशोधन कर इन तीनों देशों के उपरोक्त छह संप्रदायों के लोगों के लिए स्थायी नागरिकता के आवेदन की शर्तों को आसान बनाया गया है। पहले कम से कम 11 साल देश में रहने के बाद इन्हें नागरिकता के लिए आवेदन का अधिकार था। अब इस समय सीमा को घटाकर पाँच साल किया जा रहा है।

इसमें कहा गया है कि 31 दिसंबर 2014 तक बिना वैध दस्तावेजों के इन तीन देशों से भारत में प्रवेश करने वाले या इस तिथि से पहले वैध रूप से देश में प्रवेश करने और दस्तावेजों की अवधि चूक जाने के बाद भी अवैध रूप से यहीं रहने वाले छह संप्रदायों के लोग नागरिकता के आवेदन के पात्र होंगे।

साथ ही यह भी व्यवस्था की गयी है कि उनके विस्थापन या देश में अवैध निवास को लेकर उन पर पहले से चल रही कोई भी कानूनी कार्रवाई स्थायी नागरिकता के लिए उनकी पात्रता को प्रभावित नहीं करेगी तथा नागरिकता आवेदन पर विचार करने वाले अधिकारी इन मामलों पर ध्यान दिये बिना आवेदन पर विचार करेंगे।

इस विधेयक के जरिये ‘ओवरसीज सिटीजन ऑफ इंडिया’ (ओसीआई) कार्डधारकों द्वारा अधिनियम की शर्तों या किसी अन्य भारतीय नियम का उल्लंघन करने की स्थिति में उनका कार्ड रद्द करने का अधिकार केंद्र सरकार को मिल जायेगा। साथ ही कार्ड रद्द करने से पहले कार्डधारक को उसकी बात रखने का मौका देने का भी प्रस्ताव विधेयक में किया गया है।

विधेयक के उद्देश्यों एवं कारणों के अनुसार, पाकिस्तान, बंगलादेश और अफगानिस्तान में राष्ट्रीय धर्म है जिसे वहाँ के संविधान द्वारा मान्यता दी गयी है। इन देशों में हिंदू, बौद्ध, जैन, सिख, पारसी एवं ईसाई धर्म के लोगों पर अत्याचार किया जाता है। इनमें से कई लोगों ने भारत आकर शरण ली है और लंबे समय से अवैध रूप से यहीं रह रहे हैं तथा उन्हें अवैध प्रवासी माना जाता है। अब उन्हें भारतीय नागरिकता के योग्य बनाने के लिए यह विधेयक लाया गया है।

उड़ान- ‘उड़े देश का आम नागरिक ‘ योजना के चौथे चरण का टिकट सबसे महंगा होगा attacknews.in

नयी दिल्ली 08 दिसंबर ।छोटे तथा मझौले शहरों को हवाई नेटवर्क से जोड़ने के लिए शुरू की गयी सरकार की क्षेत्रीय संपर्क योजना ‘उड़ान’ (उड़े देश का आम नागरिक) के चौथे चरण का टिकट सबसे महँगा होगा।

‘उड़ान-4’ के निविदा दस्तावेज में बताया गया है कि 500 किलोमीटर की विमान यात्रा के टिकट का अधिकतम मूल्य 2,925 रुपये का होगा। उल्लेखनीय है कि जब ‘उड़ान’ योजना शुरू की गयी थी उस समय ‘ढाई हजार रुपये में 500 किलोमीटर की विमान यात्रा’ वाली योजना के नाम से इसका प्रचार किया गया था। ‘उड़ान’ के पहले चरण में 500 किलोमीटर का अधिकतम किराया 2,500 रुपये रखा गया था। दूसरे चरण में इसे घटाकर 2,480 रुपये किया गया जबकि तीसरे चरण में इसे बढ़ाकर 2,645 रुपये कर दिया गया।