अमित शाह ने राज्यसभा में कहा : भारत के मुसलमानों को नागरिकता संशोधन विधेयक से चिंता करने की जरूरत नहीं है attacknews.in

नयी दिल्ली, 11 दिसम्बर ।गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन विधेयक को ऐतिहासिक बताते हुए बुधवार को कहा कि दशकों से जो करोड़ों लोग प्रताड़ना का जीवन जी रहे थे उनके जीवन में विधेयक के प्रावधानों से अब आशा की किरण दिखेगी।

श्री शाह ने बुधवार को राज्यसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक 2019 को चर्चा के लिए पेश करने के बाद कहा कि देश में बंगलादेश , पाकिस्तान और अफगानिस्तान से आने वाले करोड़ों हिन्दु , जैन , बौद्ध , सिख, ईसाई और पारसी समुदाय के लोगों को अब नागरिकता दी जा सकेगी और वे सम्मान का जीवन जी सकेंगे । वे मकान ले सकेगें , रोजगार हासिल कर सकेंगे और उन पर चल रहे मुकदमें समाप्त हो सकेंगे ।

उन्होंने कहा कि देश के विभाजन किये जाने के बाद कल्पना की गयी थी कि पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यक परिवार सम्मानपूर्ण जीवन जियेंगे । कई दशक गुजरने के बाद भी अफगानिस्तान , पाकिस्तान और बंगलादेश के अल्पसंख्यकों के अधिकार सुरक्षित नहीं रहे । बंगलादेश के बनने के बाद वहां अल्पसंख्यकों के अधिकारों कें सुरक्षा के प्रयास किये गये लेकिन बंगबंधु मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी गयी ।

उन्होंने कहा कि बंगलादेश में 20 प्रतिशत अल्पसंख्यक थे । इनमें से बहुत से मारे गये या उनका धर्म परिवर्तन कराया गया । काफी लोग भारत में आये लेकिन उन्हें नागरिकता नहीं मिली । ऐसे लोगों को नागरिकता देने के साथ ही कुछ विशेष रियायतें दी जायेगी ।

भारतीय मुस्लिम भारतीय थे, हैं और रहेंगे : शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार को नागरिकता संशोधन विधेयक चर्चा एवं पारित करने के लिए राज्यसभा में पेश करते हुए कहा कि भारत के मुसलमान भारतीय नागरिक थे, हैं और बने रहेंगे।

पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के प्रावधान वाले इस विधेयक को पेश करते हुए उच्च सदन में गृह मंत्री ने कहा कि इन तीनों देशों में अल्पसंख्यकों के पास समान अधिकार नहीं हैं।

उन्होंने कहा कि इन देशों में अल्पसंख्यकों की आबादी कम से कम 20 फीसदी कम हुई है। इसकी वजह उनका सफाया, भारत प्रवास तथा अन्य हैं।

शाह ने कहा कि इन प्रवासियों के पास रोजगार और शिक्षा के अधिकार नहीं थे।

शाह ने कहा कि विधेयक में उत्पीड़न का शिकार हुए अल्पसंख्यकों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान है।

इस विधेयक में अफगानिस्तान, बांग्लादेश एवं पाकिस्तान से आये हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी एवं ईसाई शरणार्थियों को नागरिकता देने का प्रावधान है। इस विधेयक को सोमवार को लोकसभा ने पारित किया।

उच्च सदन में कई विपक्षी सदस्यों ने इस विधेयक को प्रवर समिति में भेजने के लिए प्रस्ताव दिया है।

विधेयक पर चर्चा होने के बाद इसे पारित करते समय इन प्रस्तावों के बारे में निर्णय किया जायेगा।

शाह ने इस विधेयक के मकसदों को लेकर वोट बैंक की राजनीति के विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भाजपा ने 2019 के आम चुनाव के लिए अपने घोषणा पत्र में इसकी घोषणा की थी और पार्टी को इसी पर जीत मिली थी।

उन्होंने कहा कि मुस्लिमों को चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि वे भारत के नागरिक हैं और बने रहेंगे।

शाह ने कहा कि भाजपा असम के लोगों के हितों की रक्षा करेगी।

गृह मंत्री जब असमी लोगों के हितों की रक्षा की बात कर रहे थे तो राज्यसभा का टीवी प्रसारण कुछ समय के लिए रोक दिया गया क्योंकि विपक्षी सदस्यों ने बीच में टोकाटोकी शुरू कर दी।

इस विधेयक में पड़ोसी देशों के मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान नहीं है जिसके कारण देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध हो रहा है।

नौ सौ वैज्ञानिकों एवं विद्वानों ने एक संयुक्त वक्तव्य जारी कर कहा है कि भारतीय नागरिकता के निर्धारण के लिए धर्म को कानूनी आधार बनाया जाना बहुत ही परेशान करने वाला है।

नागरिकता संशोधन विधेयक इस साल जनवरी में भी लाया गया था और लोकसभा में पारित हो गया था। किंतु 16वीं लोकसभा की अवधि समाप्त हो जाने के कारण यह राज्यसभा में पारित नहीं हो पाया था। मोदी सरकार अपने दूसरे कार्यकाल में अब इसे फिर ले कर आई है।

पाकिस्तानी अदालत ने मास्टर माइंड आतंकवादी हाफिज़ सईद को आतंकवादियों को धन मुहैया कराने का दोषी माना attacknews.in

इस्लामाबाद, 11 दिसंबर । पाकिस्तान में लाहौर की एक आतंकवाद निरोधक अदालत ने मुंबई आतंकवादी हमले के मास्टरमांइड एवं जमात-उद-दावा प्रमुख हाफिज सईद को आतंकवादियों को धन मुहैया कराने के मामले में बुधवार को दोषी ठहराया।

डाॅन न्यूज के अनुसार न्यायाधीश मलिक अर्शद भुट्टा ने सईद और जमात से जुड़े चार अन्य लोगों को इस मामले में दोषी करार दिया है। न्यायाधीश ने इस एलान के बाद अदालत की कार्यवाही कल तक के लिए स्थगित कर दी।

पंजाब पुलिस के आतंकवाद निरोधक विभाग ने 17 जुलाई को सईद और उसके सहयोगियों के खिलाफ पंजाब प्रांत के कई शहरों में आतंकवादियों को धन उपलब्ध कराने के आरोप में 23 मामले दर्ज किये थे। इसके बाद सईद को गिरफ्तार किया गया था।

अदालत ने शनिवार को इस मामले के एक आरोपी के उपलब्ध न होने के कारण अपना फैसला नहीं सुनाया था।

गुजरात के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों की नानावटी जांच आयोग की रिपोर्ट में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीनचिट attacknews.in

गांधीनगर,11 दिसंबर । गुजरात में 2002 के गोधरा कांड तथा उसके बाद भड़के राज्यव्यापी दंगे, जिसमेें 1000 से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी, की जांच करने वाले न्यायमूर्ति जी टी नानावती और न्यायमूर्ति अक्षय एच मेहता की रिपोर्ट का दूसरा और अंतिम भाग आज विधानसभा के पटल पर रखा गया जिसमें तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनके तत्कालीन राज्य मंत्रिमंडल के गृह मंत्री स्वर्गीय हरेन पंडया तथा दो अन्य मंत्रियों को क्लिन चिट दी गयी है।

इसमें दंगों के लिए सरकार पर आक्षेप लगाने वाले तीन तत्कालीन आईपीएस अधिकारियों सर्वश्री आर पी श्रीकुमार, संजीव भट्ट (फिलहाल जेल में) और राहुल शर्मा के आरोपों को नकार दिया गया है। रिपोर्ट में यह कहा गया है कि पुलिस का कामकाज कुछ स्थानों पर हालांकि अपेक्षा के अनुरूप नहीं था पर दंगे कोई सुनियोजित अथवा संगठित तरीके से नहीं हुए थे। रिपोर्ट में दो और तत्कालीन मंत्रियों भरत बारोट तथा अशोक भट्ट को भी क्लिन चिट दी गयी है। विरोधियों ने उन पर दंगे भड़काने और दंगाइयों की मदद करने के आरोप लगाये थे।

गृह मंत्री प्रदीपसिंह जाडेजा ने यह रिपोर्ट सदन के पटल पर आज रखा। इसे 18 नवंबर 2014 को ही तत्कालीन आनंदीबेन पटेल सरकार को सौंपा गया था पर सरकार ने इसे तब सार्वजनिक नहीं किया था। पूर्व आईपीएस अधिकारी श्रीकुमार ने गुजरात हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर इसे सार्वजनिक करने की मांग की थी जिसके बाद सरकार ने आज इसे सदन में पेश किया।

इससे पहले रिपोर्ट का पहला भाग 28 सितंबर 2009 को राज्य सरकार को सौंपा गया था। श्री मोदी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री के तौर पर वर्ष 2002 में ही इस आयोग का गठन किया था।

श्री जाडेजा ने कहा कि इसमें उक्त तीन पूर्व आईपीएस अधिकारियों की नकारात्मक भूमिका का खुलासा किया गया है। रिपोर्ट में इस बात को भ्री नकार दिया गया है कि श्री मोदी ने गोधरा में 27 फरवरी 2002 को साबरमती ट्रेन के जलाये गये कोच एस 6 का दौरा साक्ष्य मिटाने की नीयत से किया था। इसमें यह भी कहा गया है कि पूर्व आईपीएस अधिकारी श्री भट्ट ने आरोप लगाने के लिए कुछ गलत दस्तावेज भी पेश किये थे।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उच्च पुलिस अधिकारियों की ऐसी कोई बैठक तत्कालीन मुख्यमंत्री श्री मोदी ने नहीं की थी जिसमें उन्हें दंगे के दौरान निष्क्रिय रहने के निर्देश दिये गये हों। ज्ञातव्य है कि श्री भट्ट ने यह आरोप लगाया था कि श्री मोदी ने एक बैठक में ऐसे निर्देश दिये थे कि पुलिस दंगाई बहुसंख्यकों के प्रति नरमी बरते। हालांकि सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित विशेष जांच दल यानी एसआईटी ने इस मामले में श्री मोदी को पहले ही क्लिन चिट दे दी थी।

अचानक चर्चा में आया:महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का नाम बदला,अब परिवर्तित नाम उदय ठाकरे कर दिया attacknews.in

अजमेर 11 दिसम्बर । महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनने पर उन्हें बधाई एवं शुभकामना देने के लिए अजमेर शहर में पोस्टर लगाये हैं लेकिन उसमें उनका नाम उदय ठाकरे लिख देने से पोस्टर चर्चा का विषय बन गया है।

पोस्टर में ऊपर बाला साहब ठाकरे एवं दूसरी तरफ श्री उद्धव ठाकरे की फोटो भी छपी हैं और पोस्टर में लिखा है “महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बनने पर श्रीमान उदय ठाकरेजी को अजमेर शिव सेना परिवार की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई” पोस्टर में नीचे शिव सेना के पदाधिकारियों के नाम एवं फोटो भी लगी।

शहर में इन पोस्टरों के लगने के बाद श्री उद्धव ठाकरे के नाम को लेकर लोगों में चर्चा होने लगी है। पोस्टर में शिव सेना के पदाधिकारियों के फोटो एवं नाम है। उनमें जिलाध्यक्ष मनोहर सिंह राजावत तथा जिला महासचिव बिहारीलाल सहित शहर महानगर प्रमुख भूपेंद्र सिंह का नाम भी लिखा हुआ है। शहर के विभिन्न स्थानों पर दो दिन से ये पोस्टर लगे है।

इंदौर में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नागरिकता संशोधन विधेयक को भारत की सभ्यता और धर्म के बीच बांट दिया attacknews.in

इंदौर, 11 दिसंबर । कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ‘नागरिकता संशोधन विधेयक’ का विरोध करते हुए आज कहा कि यह भारत की सभ्यता के विपरीत है।

श्री सिंधिया यहां पत्रकारों से चर्चा में लोकसभा में पास हुए इस विधेयक पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत की सभ्यता सदैव सभी धर्मों, वर्गों के लोगों को अपने में समाहित करने की रही है, लेकिन यह विधेयक इसके विपरीत है, जिसके चलते पूर्वोत्तर के राज्यों में इसका विरोध हो रहा है। उन्होंने कहा कि केवल कांग्रेस ही नही अन्य कई राजनीतिक दल भी इसके विरोध में लामबंद हो रहे हैं।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र द्वारा राज्यों के हिस्से को दी जाने वाली राजस्व राशि तथा विभिन्न मदों में दी जाने वाली राशि नियमित रूप से राज्यों को नही मिल रही है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश ही नही पंजाब औऱ महाराष्ट्र की राज्य सरकारें लंबे समय से आवाज उठा रही है कि केंद्र उनके प्रति उदासीन रवैया अपना रहा है।

पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लागू करने के पूर्व केंद्र सरकार ने सभी राज्यों को विश्वास दिलाया था, कि आगामी पांच वर्षों तक राज्यों को दी जाने वाली उनके हिस्से की राशि की सुरक्षित व्यवस्था कर रखी है। लेकिन एक ओर केंद्र ने प्रत्येक तीन माह में दी जाने वाली जीएसटी राजस्व राशि को रोक रखा है, वहीं दूसरी ओर राज्यों को अनेक योजनाओं के तहत मिलने वाली राशि भी लंबे समय से लंबित है।

श्री सिंधिया ने कहा कि मध्यप्रदेश में हुयी अतिवृष्टि और ओलावृष्टि के तहत हुए नुकसान के एवज में भी अब तक केंद्र ने न्यूनतम एक हजार करोड़ रुपये की राशि अदा की है, जबकि केन्द्र में जब कांग्रेस की सरकार थी, तब मध्यप्रदेश को पर्याप्त सहायता मुहैया करायी गयी थी। उन्होंने कहा कि देश आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहा है। इन्हीं सब मुद्दों को लेकर 14 दिसंबर को दिल्ली में एक विशाल रैली निकाली जाएगी।

अमित शाह के सामने राज्यसभा में चिदंबरम ने नागरिकता संशोधन विधेयक पर अटार्नी जनरल से मांगा जवाब और सुप्रीम कोर्ट में देंगे चुनौती attacknews.in

नयी दिल्ली, 11 दिसंबर । कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य एवं पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने नागरिकता संशोधन विधेयक को पूरी तरह से असंवैधानिक बताते हुये बुधवार को राज्यसभा में कहा कि अब इस विधेयक को न्यायलय में चुनौती दी जायेगी तथा इस पर न्यायाधीश और वकील बहस के आधार पर फैसला करेंगे जो संसद के गाल पर तमाचा होगा।

श्री चिदंबरम ने गृह मंत्री अमित शाह द्वारा आज सदन में पेश इस विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुये कहा कि भारत में नागरिकता को लेकर कानून है। इस देश में किस तरह से नागरिकता दी जायेगी इसका पूरा प्रावधान है लेकिन इस सरकार ने सिर्फ तीन देशों को एक समूह बनाकर वहां के अल्पसंख्यकों विशेषकर हिन्दु, सिख, ईसाई, बौद्ध और अहमदिया को नागरिकता दिये जाने का प्रावधान किया जा रहा है।

उन्होंने सवाल किया कि श्रीलंका के हिन्दुओं और भूटान के ईसाई को इसमें क्यों शामिल नहीं किया गया है।

उन्होंने इस विधेयक की वैधानिकता पर सवाल उठाते हुये कहा कि यह विधेयक न्यायपालिका में टीक नहीं पायेगा। उन्होंने कहा कि जो काम विधायिका को करना चाहिए अब वह काम न्यायपालिका को करना होगा। जिनको कानून बनाने के लिए चुनकर भेजा गया है वे अपने कर्तव्यों से विमुक्त हो गये हैं। अब इस विधेयक को न्यायलय में चुनौती दी जायेगी और इस पर न्यायाधीश और वकील बहस के आधार पर फैसला करेंगे जो संसद के गाल पर तमाचा होगा।

पूर्व गृह मंत्री ने कहा कि इस विधेयक को लेकर वह सरकार से कुछ सवाल पूछना चाहते हैं जिसका जबाव कौन देगा। आॅर्टाेनी जनरल को सदन में बुलाकर इसका जबाव दिलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सिर्फ तीन देशों पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बंगलादेश के अल्पसंख्यकों को ही क्यों इसके लिए चुना गया है। इन तीनों देशों के सिर्फ हिन्दु, क्रिश्चन,सिख, बौद्ध, पारसी और अहमदिया को ही इसके लिए चयन किया गया है। इस्लाम और अन्य धर्माबंलियों का चयन क्यों नहीं किया गया है। भूटान के ईसाई और श्रीलंका के हिन्दुओं को इसमें क्यों नहीं शामिल किया गया है।

उन्होंने कहा कि इसके लिए धार्मिक उत्पीड़न को आधार क्यों बनाया गया है जबकि भाषा, राजनीतिक और कई अन्य कारणों से भी उत्पीड़न होता है। श्री चिदंबरम ने कहा कि यह संविधान के तीन अनुच्छेदों के विरूद्ध है। संविधान में समानता का अधिकार दिया गया है जबकि यह विधेयक पूरी तरह से इसके विरूद्ध है।

उन्होंने कहा कि इस विधेयक पर कार्यपालिका चुप है। विधायिका सहयोग कर रही है जबकि न्यायपालिका इसको खारिज करेगी।

नागरिकता विधेयक पर होगा जनांदोलन, अदालत भी जायेंगे: तृणमूल

तृणमूल कांग्रेस ने नागरिकता संशोधन विधेयक को भारत तथा बंगाल विरोधी और असंवैधानिक करार देते हुए कहा है कि इसे लेकर देश भर में संग्राम तथा जनांदोलन किया जायेगा और इसे देश की सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी जायेगी।

राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के नेता डेरेक ओ ब्रायन ने आज नागरिकता संशोधन विधेयक पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए खुदीराम बोस और बाघा जतिन जैसे क्रांतिकारियों की दिसम्बर में जयंती का उल्लेख किया और कहा कि यह महीना बंगालियों के लिए बड़ा पवित्र होता है। इस पवित्र महीने में सरकार भारत और बंगाल विरोधी विधेयक लेकर आयी है।

उन्होंने कहा कि अंडमान की जेल में बंद रहे क्रांतिकारियों में से 70 फीसदी बंगाली थे इसलिए सरकार बंगाल के लोगों को राष्ट्रभक्ति न सिखाये। इस विधेयक के खिलाफ संग्राम तथा जनांदोलन होगा और इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी जायेगी।

नये हथियार कानून पर लगी संसद की मुहर ,राज्यसभा में भी पारित, अब कड़ी सजा देने का रास्ता साफ हो गया attacknews.in

नयी दिल्ली 10 दिसम्बर ।नये हथियार कानून के तहत कोई भी व्यक्ति दो लाइसेंसी हथियारों के अलावा पूर्वजों से मिले तीसरे हथियार को निष्क्रिय करके उनकी निशानी के रूप में घरों में रख सकते हैं।

केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने आज राज्यसभा में आयुध संशोधन विधेयक 2019 पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए यह आश्वासन दिया । इसके साथ ही सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया जिससे इस पर संसद की मुहर लग गयी।

लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है।

इससे पहले सदन ने विधेयक को विचार विमर्श के लिए प्रवर समिति में भेजने के कांग्रेस के दिग्विजय सिंह के प्रस्ताव को खारिज कर दिया।

श्री रेड्डी ने कहा कि नये कानून के तहत एक पोर्टल तैयार किया जायेगा जिसमें देश भर के लाइसेंसी हथियारों का डाटा रहेगा और यहां तक कि बंदूकों की गोलियों पर सीरियल नंबर भी दर्ज किये जायेंगे जिससे यह पता चल सकेगा कि गोली किस फैक्ट्री में बनायी गयी है। इसके अलावा हथियारों के लिए ई लाइसेंस भी जारी किये जायेंगे।

उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति दो लाइसेंसी हथियार रख सकता है जिसमें बंदूक और पिस्तौल दोनों हो सकते हैं। पूर्वजों से मिले तीसरे हथियार को बिना लाइसेंस के निष्क्रिय करके रखा जा सकता है लेकिन यह सुनिश्चित करना होगा कि यह हथियार गोली दागने में सक्षम नहीं है।

विधेयक में यह प्रावधान किया गया है कि कोई भी व्यक्ति दो से अधिक लाइसेंसी हथियार नहीं रख सकेगा। हथियार कानूनों का उल्लंघन करने पर आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान किया गया है।

SC/ST आरक्षण 10 साल बढ़ाने वाला विधेयक लोकसभा में पारित

नयी दिल्ली 10 दिसंबर । अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आरक्षण की समयसीमा 2020 से दस साल और बढ़ाने तथा एंग्लो इंडियन समुदाय के लिए संसद एवं विधानसभाओं आरक्षण समाप्त करने संबंधी संविधान (126वां संशोधन) विधेयक 2019 को लोकसभा ने आज पारित कर दिया।

सदन में हुए मतदान में सदन में मौजूद सभी 352 सदस्यों ने पक्ष में मत दिया और विरोध में कोई वोट नहीं पड़ा।

इससे पहले सदन में करीब तीन घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आरक्षण के लिए प्रतिबद्ध है और इसे कभी नहीं हटाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि वह प्रधानमंत्री श्री मोदी की ओर से साफ करते हैं कि अनुसूचित जाति और जनजाति के आरक्षण में क्रीमीलेयर की बात करना गलत है।

उन्होंने कहा कि चुनाव के पहले जानबूझ कर आरक्षण को लेकर भ्रम फैलाया जाता है। पर वह प्रामाणिकता से बात कहते हैं कि ये सब गलत एवं भ्रामक है।

श्री प्रसाद ने चर्चा में भाग लेने वाली महिला सदस्याें खासतौर पर श्रीमती हिना गावित संघमित्रा मौर्य, शर्मिष्ठा सेठी आदि का जिक्र करते हुए कहा कि आरक्षण से आयीं इन सदस्यों ने आज अपने शानदार भाषण से साबित कर दिया है कि आरक्षण कितना उपयोगी है और इसका कितना लाभ है।

उन्होंने कहा कि उन्होंने न्यायाधीशों से अनुरोध किया है कि वे कॉलेजियम के माध्यम से अनुसूचित जाति और जनजाति, महिला एवं पिछड़े वर्ग के लोगों के नामों की सिफारिशें करें ताकि इन समुदायों के लोग भी न्यायाधीश बन कर आयें। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय न्यायिक सेवा में भी सरकार आरक्षण का प्रावधान करेगी। उन्होंने कहा कि उच्च न्यायालय के एक दलित जज को उच्चतम न्यायालय में लाया गया है और वह आगे चल कर मुख्य न्यायाधीश भी बनेंगे।

भाजपा की हिना गावित ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि केंद्र सरकार अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण तथा उत्थान के लिए काम कर रही है। इन समुदायों को राजनीति में प्रतिनिधित्व के लिए आरक्षण मिलने से पूरे समुदाय को लाभ मिलेगा।

उन्होंने कहा कि आदिवासी बहुल इलाकों में स्वास्थ्य को लेकर स्थिति बहुत खराब रही है लेकिन आयुष्मान योजना से इन समुदायों को न्याय मिला है।

गावित ने कहा कि एससी-एसटी समुदाय के लिए बजट हर साल बढ़ रहा है।

द्रमुक की कनिमोई ने सरकार से पूछा कि विधेयक में एंग्लो-इंडियन समुदाय के बारे में स्पष्ट उल्लेख क्यों नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि मंत्री यह क्यों नहीं कह रहे हैं कि इस समुदाय का आरक्षण भी बढ़ाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि सरकार ने एंग्लो-इंडियन समुदाय के सदस्यों की संख्या मात्र 296 बताई है जो पूरी तरह गलत है। अकेले तमिलनाडु में करीब 50 हजार लोग इस समुदाय के रहते हैं।

द्रमुक सांसद ने कहा कि सरकार बहुमत में है, इसलिए अल्पसंख्यकों को आहत नहीं कर सकती। कल नागरिकता संशोधन विधेयक पारित कराके मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कदम उठाया गया और आज का विधेयक ईसाई समुदाय के खिलाफ है।

उन्होंने सरकार पर ‘बौद्धिक अहंकार’ का आरोप लगाते हुए कहा कि यह देश को कहां ले जाएगा। तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने कहा कि वह और उनकी पार्टी संसद और राज्य विधानसभाओं में अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति के सदस्यों के आरक्षण को 10 साल बढ़ाये जाने का स्वागत करते हैं लेकिन एंग्लो-इंडियन समुदाय के प्रतिनिधित्व को समाप्त करने के सरकार के प्रयासों का पूरी तरह विरोध करते हैं।

उन्होंने कहा कि सरकार गलत आंकड़े दे रही है जबकि देश में लाखों की संख्या में एंग्लो-इंडियन हैं। राय ने आरोप लगाया कि डॉ भीमराव अंबेडकर ने जो अधिकार इस समुदाय को दिये, यह सरकार उन्हें ले रही है। वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की जी माधवी ने कहा कि एससी-एसटी समुदाय को आरक्षण मिलने से लोकतंत्र में उन्हें प्रतिनिधित्व मिलता है।

शिवसेना के कृपाल तुमाने ने इस विधेयक को ऐतिहासिक करार देते हुए इसका समर्थन किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए प्रयासरत है लेकिन इस दिशा में पर्याप्त निधि आवंटित नहीं की जाती।

जदयू के सुनील कुमार पिंटू ने विधेयक को समर्थन जताते हुए सरकार से मांग की कि एससी-एसटी समुदाय के खाली पड़े पदों को भी भरा जाए।

बीजू जनता दल के बी महताब ने कहा कि सरकार इस विधेयक के माध्यम से केवल एससी-एसटी समुदाय के आरक्षण का विस्तार कर रही है, लेकिन क्या मान लिया जाए कि एंग्लो-इंडियन समुदाय के प्रतिनिधित्व को नहीं बढ़ाया जा रहा है।

उन्होंने पूछा कि क्या सरकार एंग्लो-इंडियन समुदाय के सदस्यों के लिए दूसरा संशोधन इसी सत्र में लाएगी।

महताब ने कानून मंत्री से स्पष्ट करने को कहा कि सरकार एंग्लो-इंडियन समुदाय को आरक्षण का विस्तार करने वाली है या नहीं।

बसपा के गिरीश चंद्र ने एससी-एसटी के संसद और राज्य विधानसभाओं में आरक्षण को बढ़ाने का स्वागत किया। उन्होंने मांग की कि इन वर्गों के खाली पड़े पदों को भी निश्चित समयसीमा में भरा जाए। उन्होंने निजी क्षेत्र में नौकरियों में भी एससी-एसटी को आरक्षण दिये जाने की वकालत की।

तेलंगाना राष्ट्र समिति के नामा नागेश्वर राव ने विधेयक का समर्थन किया।

विधेयक पर चर्चा में भाग लेते हुए आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति के लिए आरक्षण की अवधि को बढ़ाते रहने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि एंग्लो-इंडियन समुदाय के लिए तय प्रतिनिधत्व की व्यवस्था बरकरार रखनी चाहिए।

भाजपा की संघमित्रा मौर्या ने कहा कि आरक्षण की अवधि 10 साल के लिए बढ़ाया जाना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व का प्रमाण है।

द्रमुक के डी. रविकुमार ने कहा कि अनुसूचित जाति और जनजाति का प्रतिनिधित्व बढ़ाया जाना चाहिए।

तेलुगू देसम पार्टी के राम मोहन नायडू ने निजी क्षेत्र में भी आरक्षण की व्यवस्था की मांग की।

बसपा की संगीता आजाद ने कहा कि सरकार को पदोन्नति में आरक्षण की व्यवस्था शुरू करनी चाहिए।

अन्नाद्रमुक के रवींद्रनाथ कुमार, बीजद की शर्मिष्ठा सेठी और कई अन्य सदस्यों ने भी चर्चा में भाग लिया

भाजपा के शाहनवाज हुसैन ने भारत के मुसलमानों को नागरिकता संशोधन विधेयक को उनके खिलाफ नहीं बताया attacknews.in

नयी दिल्ली, 10 दिसंबर ।भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने मंगलवार को पुनः स्पष्ट किया कि नागरिकता संशोधन विधेयक में मुस्लिम सहित देश के सभी समुदायों के लोगों के अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। भाजपा ने इस बात पर हैरानी जताई कि देश का कानून बनाने वाली कांग्रेस की नयी पीढ़ी के नेताओं को मौलिक अधिकारों की समझ तक नहीं है।

भाजपा के वरिष्ठ प्रवक्ता सैयद शाहनवाज हुसैन ने आज यूनीवार्ता से कहा, “मैं देश के सभी मुस्लिम भाइयों-बहनों से कहना चाहता हूं की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार द्वारा लाई गई नागरिकता संशोधन विधेयक 2019 में देश के मुसलमानों के खिलाफ कुछ भी नही है। इस देश का मुस्लिम उतना ही अधिकार रखता है जितना कोई हिन्दू, सिख, इसाई या जैन।”

उन्होंने कहा, “यह विधेयक उन लोगों को भारत में शरण देने के लिए है जो कट्टरवाद और धर्म के आधार पर प्रताड़ित हैं। खासकर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान में। यह तीनों देश इस्लामिक देश हैं और लाजमी है कि यहां पर मुसलमानों के साथ धर्म के आधार पर प्रताड़ना नही हो सकती इसलिए इन देशों के मुसलमानों को नागरिकता नही दी जा सकती।”

श्री शाहनवाज हुसैन ने कहा, “विपक्ष खासकर कांग्रेस जिसने पिछले 60 साल से देश के मुसलमानों के लिए कुछ नही किया अब सत्ता हाथ से जाने के बाद मुसलमानों को धर्म के नाम पर लड़ाने के मकसद से इस विधेयक को देश के मुसलमानों से जोड़कर दिखाने की कोशिश कर रही है। क्या कांग्रेस देश के मुसलमानों को विदेशी मानती है जो इस बिल को उनसे जोड़ रही है? कांग्रेस के मन में खोट है।”

उन्होंने कहा, “विपक्ष कह रहा है कि यह विधेयक अनुच्छेद 14 (समानता के अधिकार) का उल्लंघन करता है। अनुच्छेद 14 का नागरिकता संशोधन बिल से क्या संबंध है यह मुझे समझ में नही आ रहा है। अनुच्छेद देश के नागरिकों के बीच समानता के अधिकार की बात करता है और नागरिकता संशोधन विधेयक का देश के किसी भी नागरिक के अधिकार से कुछ लेना देना नही है। यह विधेयक तो दूसरे देशों में प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को रहने का अधिकार देने की बात करता है। यह विधेयक कैसे देश के नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन कर सकता है? बड़ी विडंबना है कि जिन्होंने देश का कानून बनाया उन्हें मौलिक अधिकारों के बारे में भी पता नहीं है।”

निर्भया का हत्यारा फांसी की सजा से बचने के लिए अजीबोग़रीब दलीलें देकर सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लेकर पहुंचा attacknews.in

नयी दिल्ली, 10 दिसम्बर । राजधानी दिल्ली के निर्भया सामूहिक दुष्कर्म कांड के दोषी अक्षय ने अजीबोगरीब दलीलों के साथ उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को पुनर्विचार याचिका दाखिल की।

अक्षय के वकील ए. पी. सिंह ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की। याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर है। दिल्ली गैस चेंबर में तब्दील हो चुकी है। यहां का पानी जहरीला हो चुका है और ऐसे में जब खराब हवा और पानी के चलते उम्र पहले से ही कम से कम होती जा रही है, फिर फांसी की सजा की जरूरत क्यों है?

यही नहीं पुनर्विचार अर्जी में वेद, पुराण और उपनिषद में लोगों को हजारों साल तक जीने का हवाला भी दिया गया है। अर्जी में कहा गया है कि इन धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक सतयुग में लोग हजारों साल तक जीते थे, त्रेता युग में भी एक-एक आदमी हजार साल तक जीता था, लेकिन अब कलयुग में आदमी की उम्र 50 से साल तक सीमित रह गई है, तो फिर फांसी की सजा देने की जरूरत ही नहीं है।

श्री सिंह ने बाद में न्यायालय परिसर में मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा, “अक्षय गरीब और कमजोर तबके से है और उसकी ओर से पुनरीक्षण याचिका दायर करने में हुई देरी को मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।” श्री सिंह ने कहा कि उनकी कोशिश बेगुनाह को बचाने की है और याचिका में कई तथ्य प्रस्तुत किये गये हैं।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय नौ जुलाई 2018 को विनय, पवन और मुकेश की पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर चुका है, लेकिन अक्षय ने अभी तक पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की थी। श्री सिंह अन्य अपराधी पवन और विनय के भी वकील हैं।

गौरतलब है कि 16 दिसम्बर 2012 को निर्भया को सामूहिक दुष्कर्म के बाद गम्भीर हालत में फेंक दिया गया था। कई दिनों के इलाज के बाद उसे एयरलिफ्ट करके सिंगापुर के महारानी एलिजाबेथ अस्पताल में भर्ती कराया गया था, लेकिन उसे बचाया न जा सका और उसने वहीं दिनों के बाद उसने दम तोड़ दिया था।
इस मामले में छह आरोपी पकड़े गये थे, जिसमें से एक नाबालिग था और उसे किशोर सुधार गृह भेज दिया गया था, जहां से उसने अपनी सजा पूरी कर ली थी, जबकि एक अभियुक्त ने आत्महत्या कर ली थी। शेष चारों को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनायी थी, जिसे दिल्ली उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय ने बरकरार रखा था।

अक्षय के वकील ए. पी. सिंह ने बाद में न्यायालय परिसर में मीडियाकर्मियों से बातचीत में कहा, “अक्षय गरीब और कमजोर तबके से है और उसकी ओर से पुनरीक्षण याचिका दायर करने में हुई देरी को मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए।”

श्री सिंह ने कहा कि उनकी कोशिश बेगुनाह को बचाने की है और याचिका में कई तथ्य प्रस्तुत किये गये हैं।

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय नौ जुलाई 2018 को विनय, पवन और मुकेश की पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कर चुका है, लेकिन अक्षय ने अभी तक पुनर्विचार याचिका दाखिल नहीं की थी।

श्री सिंह अन्य अपराधी पवन और विनय के भी वकील हैं।

CRPF के जवान ने दो अधिकारियों को गोलियों से छलनी कर दिया, घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया attacknews.in

बोकारो 10 दिसम्बर ।झारखंड में उग्रवाद प्रभावित बोकारो जिले के चतरो चट्टी थाना क्षेत्र के कुर्क नालो पंचायत स्थित एक विद्यालय में चुनाव संपन्न कराने के लिए ठहराये गये केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के एक जवान ने अपने दो अधिकारियों की गोली मारकर हत्या कर दी तथा तीन जवानों को गंभीर रूप से घायल कर दिया।

पुलिस अधीक्षक पी. मुरुगन ने आज यहां बताया कि झारखंड विधान सभा का चुनाव संपन्न कराने के लिए सीआरपीएफ 226 बटालियन के जवान छत्तीसगढ़ से आये हुये थे जिन्हें गोमिया प्रखंड के कुर्क नालो गांव स्थित उच्च विद्यालय एवं मध्य विद्यालय में ठहराया गया था। उन्होंने बताया कि कल रात्रि करीब 10 बजे जवान तपेन्द्र यादव ने गोलीबारी की जिसमे सहायक कमांडेंट साहुल हसन और टी. भुइयां की मौके पर ही मौत हो गयी तथा हरिश्चंद्र गोकाई, जीतेन्द्र यादव और एक अन्य जवान गंभीर रूप से घायल हो गये।

श्री मुरुगन ने बताया कि गोलीबारी में आरोपी जवान तपेन्द्र भी घायल है जिसे गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्होंने बताया कि संभवत: छुट्टी को लेकर हुए विवाद में जवान ने इस घटना को अंजाम दिया है। घायल जवानों को हेलीकाप्टर से रांची के मेडिका में इलाज के लिए भेजा गया है। आरोपी जवान से पूछताछ की जा रही है।

मध्यप्रदेश में भाजपा सांसद हिमाद्रि के निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका खारिज attacknews.in

जबलपुर, 10 दिसंबर ।मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय से शहडोल लोकसभा सीट से भाजपा की उम्मीदवार हिमाद्रि सिंह को राहत मिली है।

न्यायाधीश अतुल श्रीधरन की एकलपीठ ने उनके निर्वाचन को चुनौती देने वाली याचिका को हाईकोर्ट जस्टिस खारिज कर दिया। एकलपीठ ने सुनवाई के पाया कि कई अवसर देेने के बावजूद भी याचिकाकर्ता गवाही के लिए न्यायालय में उपस्थित नहीं हो रही है।

शहडोल लोकसभा से कांग्रेस की प्रत्याशी प्रमिला सिंह ने हिमाद्रि सिंह के निर्वाचन को चुनौती दी थी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि चुनाव प्रक्रिया में निर्वाचन आयोग द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन नहीं किया गया, लिहाजा हिमाद्रि सिंह का निर्वाचन रद्द घोषित किया जाए।

एकलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि 24 सितंबर 2019 को विचारण के मुद्दे तय होने के बाद 14 अक्टूबर को पक्षकारों ने गवाहों की सूची प्रदान की। इसके बाद 5 नवम्बर को प्रमिला सिंह की गवाही होना थी, लेकिन वे बीमारी की वजह से हाजिर नहीं हो सकीं। इसके बाद 13 नवम्बर को पुन: प्रमिला सिंह गवाही के लिए न्यायालय में उपस्थित नहीं हुई। याचिका पर 23 नवम्बर को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से जिला अस्पताल शहडोल का एक मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन पेश कर गवाही के लिए समय प्रदान करने आग्रह किया था।

एकलपीठ ने याचिकाकर्ता के रवैये को गंभीरता से लेते हुए कहा था कि कानूनी प्रावधान के अनुसार चुनाव याचिकाओं के निराकरण की समयसीमा 6 माह है। अधिकांश मामलों में ऐसा तब संभव होता है, जब पक्षकारों द्वारा सहयोग किया जाता है। दुर्भाग्य से इस मामले में याचिकाकर्ता खुद पीछे हट रहीं हैं। इस मत के साथ न्यायालय ने प्रमिला सिंह की गवाही का अधिकार समाप्त कर दिया।

आज सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की तरफ से गवाही के लिए समय प्रदान करने का निवेदन किया गया।

शिवसेना द्वारा नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन करने से कांग्रेस की त्योरियां चढने पर राज्यसभा में समर्थन से किया इंकार attacknews.in

मुंबई, 10 दिसंबर । महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि पार्टी राज्यसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक का तब तक समर्थन नहीं करेगी जब तक कि उनके सवालों का जवाब नहीं दिया जाता।

श्री ठाकरे ने कहा कि उनकी पार्टी तब तक नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन नहीं करेगी जब तक कि चीजें स्पष्ट नहीं होती हैं। उन्होंने एक टी वी चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि अगर कोई भी नागरिक इस विधेयक से डरता है तो उसकी शंकाओं को दूर किया जाना चाहिए। वे हमारे नागरिक हैं, इसलिए उनके सवालों का जवाब देना चाहिए।

नागरिकता (संशोधन) विधेयक का समर्थन करने पर कांग्रेस ने की शिव सेना की आलोचना:

कांग्रेस ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन करने के लिए शिवसेना की आज आलोचना की।

कांग्रेस नेता मोहम्मद आरिफ नसीम खान ने यहां जारी एक बयान में कहा कि महाराष्ट्र में कांग्रेस ने शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को सरकार बनाने के लिए समर्थन दिया है, शिवसेना ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से नाता तोड़ लिया है और न्यूनतम साझा कार्यकम के आधार पर महाराष्ट्र के विकास के लिए भाजपा को सत्ता से दूर रखा गया है।

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा पार्टी सांसदों को दिये रात्रिभोज में राहुल गांधी सहित कुछ सांसद रहे नदारद attacknews.in

नयी दिल्ली, 10 दिसंबर ।कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मंगलवार को पार्टी सांसदों को रात्रिभोज दिया।

सूत्रों का कहना है कि इस भोज में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तथा कुछ अन्य सांसद मौजूद नहीं थे।

सोनिया ने संसद शीतकालीन सत्र के बीच में पार्टी सांसदों को ऐसे समय में रात्रिभोज दिया है जब नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर सियासी सरगर्मी तेज है।

बुधवार को इस विधेयक को चर्चा और पारित कराने के मकसद से राज्यसभा में लाया जाएगा।

कांग्रेस इस विधेयक को ‘असंवैधानिक’ करार देते हुए इसका विरोध कर रही है।

गौरतलब है कि लोकसभा ने सोमवार रात नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी जिसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण भारत आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन करने का पात्र बनाने का प्रावधान है।

काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्कृत विभाग में डाॅ फिरोज खान की नियुक्ति का विवाद संकाय बदलने से थमा attacknews.in

वाराणसी 10 दिसंबर । काशी हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में असिस्टेंट प्रोफेसर पद पर नियुक्ति के बाद यहां के विद्यार्थियों के विरोध का सामना कर रहे डॉ0 फिरोज खान ने कला संकाय के संस्कृत विभाग में पदभार ग्रहण किया है।

विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ0 राजेश सिंह ने बताया कि डॉ0 खान ने कला संकाय के संस्कृत विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर का पदभार ग्रहण किया है। उन्होंने डॉ0 खान के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय से इस्तीफे संबंधी सवाल पर कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। साथ ही उन्होंने कहा कि डॉ0 खान का यह निजी फैसला हो सकता है। इस मामले में विश्वविद्यालय की ओर से नियमानुसार आगे की कार्रवाही की जाएगी।

डॉ0 खान के संस्कृत विभाग में पदभार ग्रहण करने की खबरें आने के बाद यहां के छात्रों ने कहा कि अब वे अपना आंदोलन समाप्त कर सकते हैं।

यहां के छात्र संतोष झा ने बताया कि उनका विरोध डॉ0 खान के संस्कृत के ज्ञान पर नही था बल्कि कर्मकांड को लेकर था। अब उनकी प्रमुख मांग पूरी हो गई है। संस्कृत विद्या धर्म से इस्तीफा मंजूर होने के बारे में विश्वविद्यालय की घोषणा के बाद वे अपने आंदोलन समाप्त करने की घोषणा करेंगे।

गौरतलब है कि बीएचयू के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय में करीब एक माह पूर्व डॉ0 खान की असिस्टेंट प्रोफेसर के तौर नियुक्ति हुई थी। इसके विरोध में यहां के छात्र तब से लगातर धरना-प्रदर्शन कर रहे थे।

कई आंदोलकारियों का आरोप है कि विश्वविद्यालय के संस्थापक पंडित मदन मोहन मालवीय एवं सनातन धर्म की भावनाओं के खिलाफ गलत तरीके डॉ0 खान की नियुक्ति की गई थी।