रेलवे का लचर सुरक्षा प्रबंधन, रेलगाड़ियों में यात्रियों के सामानों की चोरी के 1.71 लाख मामले सामने आए attacknews.in

नयी दिल्ली, 28 अप्रैल । पिछले दस साल के दौरान रेल यात्रियों ने रेलगाड़ियों में चोरी के 1.71 लाख मामले दर्ज कराए है। रेल मंत्रालय के आंकड़ों में यह जानकारी मिली है।

इन आंकड़ों से पता चलता है कि रेलवे अपने यात्रियों के सामान की सुरक्षा करने की पुख्ता व्यवस्था नहीं कर पाया है। ये आंकड़े बताते हैं कि रेलवे के सुरक्षा प्रबंध में खामियां हैं।

पिछले एक दशक में चोरी के सबसे अधिक 36,584 मामले 2018 में दर्ज हुए हैं।

संवाददाता की ओर से सूचना के अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत मांगी गई जानकारी से यह खुलासा हुआ है। मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार 2017 में चोरी के 33,044 मामले दर्ज किये गये, वर्ष 2016 में 22,106 और 2015 में 19,215 मामले दर्ज किये गये।

इसी तरह 2014 में ट्रेनों में चोरी के 14,301, वर्ष 2013 में 12,261, वर्ष 2012 में 9,292, 2011 में 9,653, 2010 में 7,549 और 2009 में 7,010 मामले दर्ज हुए। वर्ष 2009 से 2018 के दौरान ट्रेनों में चारी के मामलों में पांच गुना वृद्धि हुई है। कुल मिलाकर 2009 से 2018 के दौरान ट्रेनों में चोरी के कुल 1,71,015 मामले दर्ज किये गये।

ये आंकड़े इस दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं कि रेल यात्री समय-समय पर सोशल मीडिया पर सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को लेकर चिंता जताते रहते हैं।

भारतीय रेल दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। अधिकारियों ने बताया कि रेलवे की ओर से प्रतिदिन 19,000 से अधिक ट्रेनों का परिचालन किया जाता है। रोजाना 1.3 करोड़ लोग रेल यात्रा करते हैं।

रेल मंत्रालय के मुताबिक, ‘‘दैनिक आधार पर औसतन 2,500 मेल..एक्सप्रेस ट्रेनों का रेलवे सुरक्षा बल, रेलवे सुरक्षा विशेष बल की सुरक्षा में परिचालन किया जाता है। इसके अलावा करीब 2,200 ट्रेनों का सरकारी रेलवे पुलिस स्टाफ की सुरक्षा में परिचालन होता है।’’

एक अन्य सवाल के जवाब में रेल मंत्रालय ने कहा कि पिछले चार साल के दौरान रेल यात्रियों से पैसे ऐंठने अथवा छीनने के मामले में 73,837 किन्नरों को गिरफ्तार किया गया।

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इन्कम टैक्स रिफंड लेने के मामले में नरेन्द्र मोदी से आगे निकले राहुल गांधी attacknews.in

नयी दिल्ली, 28 अप्रैल । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पिछले 18 साल में कम से कम पांच बार आयकर रिफंड मिला है। वहीं इसी अवधि में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को छह बार आयकर रिफंड मिला है।

वहीं मोदी के मामले में आकलन वर्ष 2015-16 और 2012-13 के रिफंड को बकाया मांग के बदले समायोजित किया गया। जबकि राहुल गांधी के मामले में 2011-12 के रिफंड को बकाया मांग के एवज में समायोजित कर लिया गया।

आयकर विभाग के कर सूचना नेटवर्क द्वारा रिफंड की स्थिति पर आनलाइन प्रदान की जाने वाली सेवा के जरिये यह जानकारी मिली है। कर सूचना नेटवर्क का प्रबंधन एनएसडीएल ई-गवर्नेंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लि. द्वारा किया जाता है।

इस मंच पर आकलन वर्ष 2001-02 के बाद से किसी व्यक्ति की स्थायी खाता संख्या (पैन) के आधार पर उसके रिफंड का ब्योरा जाना जा सकता है। ये पैन नंबर लोकसभा चुनाव के लिए इन नेताओं द्वारा दिए गए हलफनामे से हासिल किए गए।

राहुल गांधी की माता कांग्रेस की वरिष्ठ नेता सोनिया गांधी को भी 2001-02 से कम से कम पांच आकलन वर्षों के दौरान आयकर रिफंड मिला है। हालांकि, उनके मामले में रिफंड को किसी भी बकाया मांग के लिए समायोजित नहीं किया गया।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को इन 18 वर्षों के दौरान केवल एक बार रिफंड प्राप्त हुआ। उनके रिफड को आकलन वर्ष 2015-16 की बकाया मांग के लिए समायोजित किया गया।

हालांकि, इस पोर्टल पर रिफंड की राशि का उल्लेख नहीं है। लेकिन इसमें रिफंड या समायोजन की तारीख, चालान संख्या और भुगतान के माध्यम (चेक या सीधे खाते में स्थानांतरण) का उल्लेख है।

रिफंड की स्थिति पर रिकॉर्ड के अनुसार मोदी को 2018-19 के लिए रिफंड 26 सितंबर, 2018 को सीधे उनके खाते में मिला। इसी साल के लिए सोनिया गांधी को छह अक्टूबर, 2018 को और राहुल गांधी को 26 मार्च, 2019 को रिफंड मिला।

मोदी को आकलन वर्ष 2016-17 में 16 अगस्त, 2016 को सीधे खाते में राशि के हस्तांतरण के जरिये रिफंड मिला। 2013-14 के रिफंड का चेक उन्हें सात जनवरी, 2015 को मिला, 2010-11 के लिए नौ जनवरी, 2015 को 2006-07 के लिए 11 अक्टूबर, 2007 को मिला।

आकलन वर्ष 2015-16 और 2012-13 के लिए उनका रिफंड बकाया मांग को लेकर समायोजित किया गया। मोदी मई, 2014 में प्रधानमंत्री बने।

राहुल गांधी के मामले में उनका 2011-12 का रिफंड एक फरवरी, 2012 को बकाया मांग के लिए समायोजित किया गया। उसी साल के लिए उनका रिफंड चेक 13 फरवरी, 2012 को मिला। उनके अन्य रिफंड आकलन वर्ष 2017-18, 2016-17, 2012-13 और 2007-08 के लिए प्राप्त हुए।

सोनिया गांधी को आकलन वर्ष 2016-17, 2012-13, 2008-19,2007-08 और 2018-19 के लिए रिफंड मिले।

दिलचस्प तथ्य यह है कि राहुल और सोनिया गांधी ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने हलफनामे में कहा है कि आयकर विभाग ने आकलन वर्ष 2011-12 के लिए उनके खिलाफ पुन: आकलन की प्रक्रिया शुरू की है और विभाग ने 31 दिसंबर, 2018 को कर मांग के लिये पुन: आकलन का आदेश दिया है। आयकर विभाग की इस प्रक्रिया को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी गई है।

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कांग्रेस ने देशभर में पार्टी के दिग्गज नेताओं को प्रत्याशी बनाकर उतार दिया चुनाव मैदान में,ठाठ-बांट वाले घूम रहे हैं गली-गली attacknews.in

नयी दिल्ली, 28 अप्रैल । पिछले चुनाव में करारी शिकस्त का सामना करने वाली कांग्रेस ने इस बार बदली रणनीति और कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाने के लिए अपने कई दिग्गज नेताओं को चुनाव मैदान में उतारा है।

श्री राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष पद संभालने के बाद यह पहला आम चुनाव है और उसकी रणनीति में काफी बदलाव दिखायी दे रहा है। पार्टी ने लोकसभा चुनाव का कार्यक्रम घोषित होने से पहले ही अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी तथा दिग्गजों को चुनाव मैदान में उतारा गया ।

पार्टी के दिग्गज नेताओं की भूमिका आम तौर पर चुनाव प्रबंधन की होती थी। कांग्रेस मुख्यालय में बैठकर पूरे देश की चुनावी खबर और चुनाव संचालन से जुड़े रहने वाले इन नेताओं को इस इस बार जनता के बीच जाकर चुनाव में विरोधियों का सामना करने को कहा गया है।

पार्टी ने इस बार जिन दिग्गजों काे चुनाव में उतारा है उनमें मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, कई वर्षों तक पार्टी महासचिव रहे बी के हरिप्रसाद, दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशील कुमार शिंदे, सलमान खुर्शीद , अजय माकन, , मीरा कुमार, श्रीप्रकाश जायसवाल, भक्त चरणदास, भुवनेश्वर कलिता, रेणुका चौधरी, कुमारी शैलजा, आरपीएन सिंह, संजय सिंह, उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतमसिंह, उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर, जे पी अग्रवाल, संजय निरुपम, नवाम तुकी आदि शामिल है।

पार्टी नेतृत्व ने इन नेताओं को चुनाव मैदान में उतार कर एक तरह से उनके सामने अपनी सीट निकालने की चुनौती पेश कर दी है।

पार्टी के दो दिग्गज नेता मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटों काे लोकसभा चुनाव का टिकट दिया है । दाेनों नेता अब अपनी प्रतिष्ठा बचाने तथा बेटों का राजनीतिक भविष्य सुधारने के लिए जोर आजमा रहे हैं।

वर्ष 2004 के बाद कांग्रेस लगातार दो बार केंद्र की सत्ता में रही लेकिन 2014 की नरेंद्र मोदी की लहर में वह न केवल सत्ता से बाहर हो गई बल्कि उसे इतनी कम सीटें मिली कि लोकसभा में विपक्षी दल का दर्जा तक हासिल नहीं कर सकी ।

पिछले चुनाव में वह सिर्फ 44 सीट जीत सकी थी जो देश के संसदीय इतिहास में उसका अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन है। पार्टी हर हाल में इस स्थिति में बदलाव चाहती है और लोकसभा चुनाव में अपना प्रदर्शन सुधारना चाहती है। इसलिये उसने इस बार रणनीति में बड़ा फेरबदल किया है और पार्टी ने दिग्गज नेताओं को चुनाव मैदान में सक्रिय कर दिया है।

इस चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता अपनी और अपने चहेतों की जीत सुनिश्चित कर पाते हैं या नहीं यह तो 23 मई को चुनाव परिणाम आने पर ही पता चल पायेगा लेकिन इन दिग्गजों के चुनावी अखाड़े में सक्रिय होने से विपक्षी खेमे में हलचल बढ़ी है और उनके संसदीय क्षेत्रों में भी लोगों में खासा उत्साह है।

पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने ‘बैक फुट पर नहीं फ्रंट फुट’ पर यह चुनाव लड़ने की अपनी घोषणा के अनुरूप इस बार आम चुनाव की तारीख तय होने से पहले ही 15 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची जारी कर दी थी।

पार्टी ने इसी सूत्र पर काम करते हुए सात चरणों में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए पहले चरण के मतदान से पहले आठ अप्रैल तक 380 से ज्यादा सीटों के लिए प्रत्याशी घोषित कर दिए थे। श्री गांधी पहली बार दो जगह, उत्तर प्रदेश के अमेठी तथा केरल के वायनाड से चुनाव लड़ रहे हैं।

कांग्रेस ने इस बार जिन नेताओं को टिकट दिया है उनमें से कई ऐसे हैं जो पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। इनमें कई अब तक सिर्फ राज्य सभा के सहारे ही सांसद और मंत्री रहे हैं।

इस चुनाव में चार पूर्व मुख्यमंत्री मैदान में उतारे गये हैं जिनमें शीला दीक्षित नयी दिल्ली से, भूपेंद्र सिंह हुड्डा सोनीपत से , दिग्विजय सिंह भोपाल से और हरीश रावत नैनीताल संसदीय सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। लोकसभा की अध्यक्ष रहीं मीरा कुमार बिहार के सासाराम से चुनाव लड़ रही है।

पार्टी ने इस बार 423 सीटों पर अपने उम्मीदवार खड़े किए हैं। इनमें से 40 से ज्यादा सीटों पर महिला उम्मीदवार हैं। इनमें सुष्मिता देव तथा रंजिता रंजन दोबारा चुनाव जीतकर लोकसभा में पहुंचने की उम्मीद में हैं। पार्टी ने सबसे ज्यादा सात महिला उम्मीदवार पश्चिम बंगाल से चुनाव मैदान में उतारा हैं जबकि मुंबई से अभिनेत्री उर्मिला मातोंडकर तथा अभिनेता संजय दत्त की बहन प्रिया दत्त चुनाव लड़ रही हैं। पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष तथा संयुक्त प्रगितिशील गठबंधन की नेता सोनिया गांधी अपनी पंरपरागत सीट रायबरेली से चुनाव लड़ रही हैं जबकि पार्टी ने भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर पिछली बार लोकसभा में पहुंची सावित्री बाई फुले तथा रत्नासिंह जैसी वरिष्ठ नेता को उत्तर प्रदेश से चुनाव मैदान में उतारा है।

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नरेन्द्र मोदी की जाति पर राजनीति: विपक्ष ने उनकी जाति बताई और इसी बात पर चिदंबरम ने जनता को मूर्ख बोल दिया attacknews.in

नयी दिल्ली, 28 अप्रैल । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के एक चुनावी रैली में जाति संबंधी बयान को लेकर चल रही टीका-टिप्णाी के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने तीखा कटाक्ष करते हुए पूछा है कि क्या प्रधानमंत्री लोगों को ऐसे ‘मूर्खों का समूह’ समझते हैं जिनकी याददाशत खत्म हो गयी है।

श्री मोदी ने शनिवार को कन्नौज में एक जनसभा में कहा था कि वह जाति की राजनीति नहीं करते हैं, लेकिन यह बताना चाहते हैं कि वह पिछड़ी नहीं, अति पिछड़ी जाति से हैं और उनका मकसद अगड़ी तथा पिछड़ी जाति के लोगों को आगे ले जाना है ताकि देश का विकास हो सके।

इस बयान के बाद विपक्षी दलों के नेता उन पर हमलावर हो गये और कहा कि प्रधानमंत्री राजनीतिक लाभ के लिए जाति का इस्तेमाल कर रहे हैं।

बहुजन समाज पार्टी नेता सुश्री मायावती और समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव के बाद आज श्री चिदम्बरम ने भी श्री मोदी पर निशाना साधते हुए टि्वट किया, “ 2014 और उसके बाद उन्होंने बार-बार कहा कि उन्हें इस बात पर गर्व है कि लोगों ने एक चायवाले को प्रधानमंत्री चुना। अब वह कहते हैं कि उन्होंने कभी उनके चायवाला होने की बात नहीं कही। प्रधानमंत्री हमें क्या समझते हैं। ‘ऐसे मूर्खों का समूह’ जिनकी याददाश्त चली गयी है।

एक अन्य टि्वट में उन्होंने लिखा, “ श्री नरेन्द्र मोदी ऐसे पहले व्यक्ति हैं जो प्रधानमंत्री बनें और 2014 के प्रचार में हाथ में तख्ती लहराते हुए चले जिस पर लिखा था , ‘ मैं ओबीसी हूं’।

श्री मोदी ने अपनी चुनावी जनसभा में कहा था, “ मैं कभी भी जाति के नाम पर राजनीति का पक्षधर नहीं रहा। जब तक मेरे विरोधियों ने मुझे गाली नहीं दी, इस देश को पता ही नहीं था कि मेरी जाति कौन सी है लेकिन अब मैं बहन जी,अखिलेश जी और कांग्रेस का आभारी हूं कि वे मेरे पिछड़ेपन की चर्चा कर रहे हैं। आपके लिए पिछड़ी जाति में पैदा होना राजनीति का खेल होगा, मेरे लिए मां भारती की सेवा करने का सौभाग्य है। मेरी जाति इतनी छोटी है कि गांव में इस जाति का एक आध घर भी नहीं होता है। मैं तो सिर्फ इतना चाहता हूं कि पूरे देश के अगड़ी और पिछड़ी जाति के लोग आगे हो ताकि देश का विकास संभव हो सके। ”

सुश्री मायावती ने इस पर कहा “ श्री नरेन्द्र मोदी को मैने कभी नीच नहीं कहा। बल्कि मैने कहा था कि श्री मोदी राजनीतिक लाभ के लिए ओबीसी बन गए हैं। हम उन्हें पूरा सम्मान देते हैं और ये कहते रहे हैं कि वो ऊंची जाति से आते हैं। हमें यह बात समझनी चाहिए कि वो मानते हैं कि वास्तव में सवर्ण ही पिछड़े हुए हैं। यहां तक कि कांग्रेस भी दलित और पिछड़ों के विरोध में थी इसी वजह से उन्होंने मंडल कमीशन की रिपोर्ट नहीं लागू होने दी थी। दोनो दलों का समझना चाहिये कि दलित कार्ड उनकी मदद नहीं करने वाला है।”

श्री यादव ने भी श्री मोदी पर जवाबी हमला करते हुए पूछा ,“ जब सुश्री मायावती का अपमान किया गया उस समय प्रधानमंत्री कहां थे। जब श्री योगी आदित्यनाथ ने महांगठबंधन को ‘कीड़ा मकौड़ा’ कहा तब प्रधानमंत्री चुप क्यों थे।

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केरल में आतंकी ठिकानों पर छापामारी में ISIS के 3 आतंकियों के घरों से जाकिर नाइक के भाषणों की CD और कई डिजिटल उपकरण बरामद attacknews.in

नयी दिल्ली, 28 अप्रैल । राष्ट्रीय जांच एजेन्सी (एनआईए) ने केरल के कासरगोड़ और पलक्कड़ में आज आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट से जुड़े तीन संदिग्धों के घरों में छापेमारी की जिसमें फरार इस्लामिक उपदेशक जाकिर नाइक के भाषणों की सीडी और कई अन्य डिजिटल उपकरण बरामद किये गये।

एनआईए के अनुसार आज सुबह कासरगोड़ में दो और पलक्कड़ में एक संदिग्ध के घरों में छापेमारी की गयी। यह छापेमारी इस्लामिक स्टेड के कासरगोड़ माड्यूल मामले के संबंध में की गयी और इस दौरान मोबालइ फोन, सिम कार्ड, मेमोरी कार्ड, पेन ड्रावइ , अरबी और मलयालम में नोट लिखी डायरी तथा जाकिर नाइक के भाषणों की डीवीडी तथा सीडी मिली। इसके अलावा नाइक और सैयद कुतेब की कुछ किताबें भी छापेमारी में मिली। इन सभी चीजों की फारेन्सिक जांच की जायेगी। एनआईए इन तीनों संदिग्धों से गहन पूछताछ कर रही है।

एनआईए के अनुसार संदिग्धों के इस्लामिक स्टेट के कासरगोड़ माड्यूल के आरोपियों के साथ संबंधों की भी बात सामने आयी है । इनमें से कुुछ लाेग इस्लामिक स्टेट में शामिल होने के लिए देश से फरार हो गये थे।

देश की एजेन्सियों को नाइक की धन शोधन , घृणित भाषण देने और विभिन्न धार्मिक समुदायों के बीच दुश्मनी तथा वैमनस्य बढाने के मामलों में तलाश है। बंगलादेश की राजधानी ढाका में वर्ष 2016 में एक कॉफी हाऊस में विस्फोट के बाद उनकी संदिग्ध भूमिका के मद्देनजर नाइक देश छोड़कर भाग गया था। भारतीय एजेन्सियां उसके प्रत्यर्पण का प्रयास कर रही हैं। सरकार ने उसकी संस्था इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर भी प्रतिबंध लगा रखा है।

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संसदीय इतिहास में 7 बार लोकसभा अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और एक बार कार्यकाल 1 साल अधिक रहा attacknews.in

नयी दिल्ली, 28 अप्रैल । लोकसभा का कार्यकाल यूं तो पांच वर्ष निर्धारित है लेकिन राजनीतिक परिस्थितयों के चलते वह सात बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी जबकि एक बार तय समय से एक वर्ष अधिक चली।

देश के संसदीय इतिहास पर नजर डाली जाये तो दो बार तत्कालीन प्रधानमंत्रियों के समय से पहले चुनाव कराने के फैसले के कारण लोकसभा का कार्यकाल पूरा नहीं हो सका जबकि पांच बार कोई सरकार नहीं बन सकने की स्थिति में लोकसभा के नये चुनाव कराने पड़े। एक बार लोकसभा का कार्यकाल एक वर्ष के लिए बढ़ाया गया और वह छह वर्ष तक चली।

आजादी के बाद 1952 में पहली लोकसभा का गठन हुआ और पहली, दूसरी तथा तीसरी लोकसभा ने अपना पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा किया। वर्ष 1967 में गठित लोकसभा का कार्यकाल 1972 तक था लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांंधी ने एक वर्ष पहले ही 1971 में आम चुनाव करा दिया जिससे चाैथी लाेकसभा अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी। इसके बाद बनी पांचवीं लाेकसभा के साथ एक दिलचस्प बात यह जुड़ी है कि इसका गठन निर्धारित समय से एक वर्ष पहले हुआ और यह तय समय से एक वर्ष अधिक चली।

पांचवीं लोकसभा के छह वर्ष चलने का कारण देश में आपातकाल लगाया जाना था। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने 1975 में देश में आपातकाल लगा दिया था जिसके चलते लोकसभा का कार्यकाल एक वर्ष के लिए बढ़ाया गया। आपातकाल उठाने के बाद 1977 में आम चुनाव हुये जिसमें कांग्रेस सत्ता से बाहर हाे गयी और जनता पार्टी की सरकार बनी। जनता पार्टी में उठापटक के कारण 1977 में बनी छठी लोकसभा अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सकी और 1980 में नये चुनाव कराये गये। सातवीं और आठवीं लोकसभा पूरे कार्यकाल तक चली।

वर्ष 1989 में गठित नौवीं लोकसभा राजनीतिक अस्थिरता का शिकार बनी और दो वर्ष के अंदर ही नये चुनाव कराने पड़े जिसके बाद 1991 मेें बनी दसवीं लोकसभा अपना कार्यकाल पूरा करने में सफल रही। इस दौरान पहली बार एक अल्पमत सरकार पांच वर्ष तक चली। इसके बाद केंद्र में फिर से राजनीतिक अस्थिरता का दौर शुरु हुआ और तीन वर्ष में तीन बार आम चुनाव कराये गये। ग्यारहवीं लोकसभा 1996 में बनी जो करीब दो वर्ष चली। नये चुनाव के बाद 1998 में गठित 12वीं लोकसभा तेरह माह ही चल पायी।

वर्ष 1999 में तेरहवीं लोकसभा का गठन हुआ और श्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बनीं। इस लोकसभा का कार्यकाल अगस्त 2004 तक था लेकिन तत्कालीन सरकार ने छह माह पहले ही लोकसभा भंग कर नये चुनाव कराये जिसमें उसे हार का सामना करना पड़ा। वर्ष 2004 में गठित 14वीं , 2009 में बनी 15वीं और 2014 में गठित वर्तमान (16वीं) लोकसभा ने अपना निर्धारित कार्यकाल पूरा किया।

यह दूसरा मौका है जब लोकसभा ने लगातार तीन बार अपना कार्यकाल पूरा किया। इससे पूर्व पहली, दूसरी और तीसरी लोकसभा ने लगातार तीन बार अपना कार्यकाल पूरा किया था।

तीसरी लोकसभा का कार्यकाल बहुत दुखद रहा। इस कार्यकाल के दौरान दो प्रधानमंत्रियों की पद पर रहते मृत्यु हो गयी। तीसरी लोकसभा का गठन 1962 के आम चुनाव के बाद हुआ था और पंडित जवाहर लाल नेहरु चौथी बार प्रधानमंत्री बने। उनका मई 1964 में निधन हो गया था। उनकी जगह प्रधानमंत्री बने लाल बहादुर शास्त्री का जनवरी 1966 में निधन हो गया।

इन दाेनों नेताओं की मृत्यु के चलते गुलजारी लाल नंदा दो बार कार्यवाहक प्रधानमंत्री बने। कार्यवाहक प्रधानमंत्री बनने वाले वह देश के एक मात्र नेता थे। सातवीं लोकसभा के कार्यकाल में इंदिरा गांधी की प्रधानमंत्री पद पर रहते हत्या कर दी गयी थी।

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ISIS ( इस्लामिक स्टेट ) ने श्रीलंका में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में खुद को विस्फोटकों से उड़ाने वाले आतंकवादियों की पुष्टि की attacknews.in

कोलंबो, 28 अप्रैल । इस्लामिक स्टेट ने दावा किया कि श्रीलंका के पूर्वी प्रांत में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान उसके तीन आतंकवादी मारे गए हैं, जिन्होंने खुद को उड़ा लिया था।

मुठभेड़ शुक्रवार को उस समय हुई, जब सुरक्षा बल ईस्टर के मौके पर गिरजाघरों और होटलों को निशाना बनाकर किए गए धमाकों के लिए जिम्मेदार स्थानीय आतंकवादी समूह नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) के सदस्यों की तलाश कर रहे थे। इन धमाकों में 253 लोग मारे गए थे और 500 से अधिक घायल हो गए थे।

‘कोलंबो गजट’ की एक रिपोर्ट के अनुसार आईएस की संवाद समिति ‘अमाक’ के जरिए आईएस ने एक बयान में कहा कि अबू हमाद, अबू सूफयान और अबू अल-का’का मारे गए।

उसने कहा गया है कि उन्होंने स्वचालित हथियारों से गोलाबारी की और ‘‘ गोला-बारूद खत्म होने के बाद, विस्फोटक बेल्ट के जरिए खुद को उड़ा लिया।’’

गौरतलब है कि पुलिस के विशेष कार्य बल (एसटीएफ) और सेना के जवानों ने एक खुफिया सूचना के आधार पर कोलंबो से करीब 360 किलोमीटर दूर स्थित कलमुनई शहर में एक मकान पर छापा मारा था, जिसके बाद सशस्त्र समूह के साथ भीषण मुठभेड़ हुई।

सशस्त्र लोगों ने जवानों पर गोलियां चलाईं। मुठभेड़ की चपेट में आए एक नागरिक की भी मौत हो गई।

हिंसक झड़पों के दौरान माना जाता है कि तीन लोगों ने विस्फोटकों से खुद को उड़ा लिया।

मौके से छह बच्चों और तीन महिलाओं सहित कुल 15 शव बरामद हुए थे।

पुलिस प्रवक्ता ने बताया था कि तीन संदिग्ध आत्मघाती हमलावर भी इन 15 लोगों में शामिल हैं।

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केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने अरविंद केजरीवाल को संदिग्ध चरित्र वाला बताकर, दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं देने की बात बताई attacknews.in

नयी दिल्ली, 28 अप्रैल । दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने की, आम आदमी पार्टी की मांग को सिरे से खारिज करते हुए केन्द्रीय मंत्री एवं भाजपा के चांदनी चौक से उम्मीदवार हर्षवर्धन ने इस बात पर हैरत जताई कि सवालिया चिह्न एवं संदिग्ध चरित्र वाले अरविंद केजरीवाल जैसे मुख्यमंत्री को कैसे पूर्ण राज्य का अधिकार दिया जा सकता है।

हर्षवर्धन ने एक साक्षात्कार में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी को आप सरकार की नकारात्मक मानसिकता की वजह से परेशानी उठानी पड़ी है।

दूसरी बार चांदनी चौक लोकसभा सीट से सांसद बनने की तैयारी कर रहे हर्षवर्धन ने कहा कि केजरीवाल के नेतृत्व वाली सरकार ने लोगों के लिए कुछ नहीं किया है … सिवाय प्रधानमंत्री को गालियां देने के … ।

मंत्री ने कहा, ‘‘ दिल्ली उनकी सरकार और विशेषतौर पर, मुख्यमंत्री की नकारात्मक मानसिकता की वजह से परेशान हो रही है। उन्होंने पिछले चार साल में शायद ही कुछ किया है। आप उनके 70 वादों को देख सकते हैं और उनमें से शायद ही कोई वादा पूरा हुआ है।’’

हर्षवर्धन ने कहा, ‘‘ उन्होंने दिन-रात प्रधानमंत्री को गालियां देने के अलावा कुछ नहीं किया है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आखिर किया क्या है? कुछ भी नहीं । यह वही मुख्यमंत्री हैं जो कुछ वर्ष पूर्व गणतंत्र दिवस परेड से पहले खुद को ‘‘अराजकतावादी’’ बताने में गर्व महसूस कर रहे थे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ अब वह पूर्ण राज्य की मांग कर रहे हैं। क्या आपको लगता है कि ऐसे सवालिया चिह्न एवं संदिग्ध चरित्र वाले मुख्यमंत्री को पूर्ण राज्य का अधिकार दिया जा सकता है?’’

आप प्रमुख ने 20 जनवरी 2014 को एक प्रदर्शन के दौरान खुद को ‘‘अराजकतावादी’’ बताया था। तब उन्होंने दिल्ली पुलिस को शहर की सरकार के अंतर्गत लाने की मांग की थी।

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी तथा पृथ्वी विज्ञान मंत्रालयों का प्रभार संभाल रहे हर्षवर्धन ने आप सरकार पर विकास की कई परियोजनाओं में सहयोग नहीं करने का आरोप भी लगाया। इनमें शाहजहांनाबाद पुनर्विकास परियोजना भी शामिल है।

दिल्ली के चांदनी चौक से मौजूदा सांसद हर्षवर्धन का मुकाबला आप के पंकज गुप्ता और कांग्रेस के जे.पी. अग्रवाल से है। उन्हें विश्वास है कि 2014 के लोकसभा चुनाव की तरह ही इस बार भी भाजपा को राष्ट्रीय राजधानी में एकतरफा जीत हासिल होगी।

दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर 12 मई को मतदान होगा। मतगणना 23 मई को होगी।

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7 चरण वाले लोकसभा चुनाव के लिए देशभर में अर्द्धसैनिक बलों की 2,710 कंपनियां और 20 लाख से अधिक राज्यों की पुलिस व होमगार्ड जवानों की तैनाती attacknews.in

नयी दिल्ली, 28 अप्रैल । लोकसभा चुनाव के लिए सात चरणों में मतदान को सुचारू रूप से संपन्न कराने के लिए देश में 20 लाख से अधिक राज्य पुलिसकर्मी और होमगार्ड के साथ ही अर्धसैनिक बलों के 2.7 लाख से अधिक जवान तैनात किए गए हैं।

गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि भारत में पहली बार चुनाव के दौरान इतनी बड़ी संख्या सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं।

मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि चुनाव आयोग के सुझाव के बाद लोकसभा चुनाव में अर्धसैनिक बलों की 2,710 कंपनियां तैनात की गईं।

अर्धसैनिक बलों की एक कंपनी में 100 कर्मी होते हैं।

इसके अलावा 20 लाख से अधिक पुलिसकर्मी और होमगार्ड भी मतदान केन्द्रों, मतदान कर्मियों के वाहनों और ‘स्ट्रांग रूम’ की निगरानी के लिए तैनात किए गए हैं।

‘स्ट्रांग रूम’ में ईवीएम को कड़ी सुरक्षा में रखा जाता है।

इस संबंध में अन्य एक अधिकारी ने बताया कि अर्धसैनिक बल के अधिकतर जवान केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), सीमा सुरक्षाबल (बीएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षाबल (सीआईएसएफ) और भारतीय रिजर्व बटालियन (आईआरबी) से लिए गए हैं।

लोकसभा चुनाव के लिए मतदान 11 अप्रैल को शुरू हुआ था और यह 19 अप्रैल को सम्पन्न होगा। मतगणना 23 मई को होगी।

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प्रियंका गांधी वाड्रा को नरेन्द्र मोदी का राष्ट्रवाद समझ में नहीं आया, देशभक्ति और देशप्रेम इन्हें दिखाई नहीं दिया attacknews.in

अमेठी (उप्र), 28 अप्रैल । कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने भाजपा के राष्ट्रवाद पर सवाल उठाते हुए रविवार को कहा कि भाजपा प्रत्याशियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नाम पर वोट मांगना आखिर किस तरह का राष्ट्रवाद है ?

अमेठी लोकसभा सीट के गांवों के दौरे पर प्रियंका ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा ‘‘मैं ही मोदी’ में कौन सा राष्ट्रवाद है ? राष्ट्रवाद का क्या मतलब है…. इसका मतलब है देशभक्ति और देशप्रेम । देश कौन है…. देश की जनता और उसका प्रेम है। अगर आपको सिर्फ अपना ही मोह है तो यह कैसा राष्ट्रवाद है ?’

प्रियंका से पूछा गया था कि लोकसभा चुनाव में ज्यादातर भाजपा प्रत्याशी व्यक्तिगत छवि के बजाय मोदी के नाम पर वोट मांगते हुए ‘मैं ही मोदी’ नारे का सहारा ले रहे हैं। क्या राष्ट्रवाद से इसका कोई लेना—देना है?

कांग्रेस महासचिव ने मोदी की रैलियों में भीड़ उमड़ने पर कहा कि पैसे के बलबूते जीप और बसों में भरकर लाखों की भीड़ इकट्ठा करके उनके सामने भाषण देना या प्रचार वाले संदेश देना बहुत आसान है। मगर लोगों की समस्याओं को हल करना ही असली बात है।

उन्होंने कहा ‘‘जमीन पर सचाई बिल्कुल अलग है। जब आप लोगों से मिलेंगे, लोगों से बातचीत करेंगे तो उससे दूसरा संदेश निकलता है। वह संदेश मैंने ना तो कभी प्रधानमंत्री जी और ना ही भाजपा के नेताओं द्वारा ग्रहण करते हुए देखा। प्रधानमंत्री अपने ही क्षेत्र में एक भी गांव में नहीं गये, किसी से यह नहीं पूछा कि आपकी क्या समस्याएं हैं। ’’

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार की नीतियां जनविरोधी, युवा विरोधी और किसान विरोधी रही हैं। यहां आवारा पशुओं की बहुत समस्या है। किसान रात—रात भर बैठकर फसल की चौकीदारी करते हैं। अब भी कई जगहों पर बिजली नहीं आती है।

प्रियंका शनिवार की रात अचानक संजय गांधी अस्पताल मुंशीगंज के गेस्ट हाउस पहुंचीं। रात्रि विश्राम के बाद वह सुबह 8 बजे बिना किसी घोषित कार्यक्रम के क्षेत्र में निकल गयीं। प्रियंका अमेठी के गांवों में घूम—घूम कर अपने भाई कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का प्रचार कर रही हैं।

राहुल अमेठी से चौथी बार चुनाव मैदान में हैं। राहुल का मुकाबला भाजपा उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से है। अमेठी मे 6 मई को मतदान होना है।

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महबूबा मुफ्ती ने अनुच्छेद 370 से छेड़छाड़ पर भारत को कश्मीर से अलग होने के लिए कह दिया वही उमर अब्दुल्ला ने भाजपा और आरएसएस को पाकिस्तान से ज्यादा खतरनाक बताया attacknews.in

श्रीनगर, 27 अप्रैल । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अनुच्छेद 370 को निरस्त करने को लेकर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की प्रमुख एवं जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शनिवार को कहा कि यदि उन्हें (श्री मोदी) लगता है कि अनुच्छेद 370 से राज्य को नुकसान हुआ है तो वह कश्मीर छोड़ दें।

उन्होंने नेशनल काॅन्फ्रेंस (नेकां) और कांग्रेस पर अनुच्छेद-370 को कमजोर करने को लेकर निशाना साधा। सुश्री महबूबा ने प्रधानमंत्री के अनुच्छेद-370 को हटाने को लेकर दिए गए बयान पर कहा कि अगर इसके कारण राज्य का नुकसान हुआ है तो वह कश्मीर क्यों नहीं छोड़ देते हैं।

कुलगाम में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ दो वर्ष की गठबंधन सरकार के दैरान वह अनुच्छेद -370 को खत्म करने की तमाम कोशिशों के खिलाफ मोदी सरकार से लड़ती रहीं।

गौरतलब है कि पिछले वर्ष जून में भाजपा ने महबूबा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था जिसके बाद गठबंधन सरकार गिर गई थी।

उन्होंने दावा किया कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से साफ कहा था कि अगर वह अनुच्छेद-370 से छेड़छाड़ करेंगे तो वह सरकार से अलग हो जाएंगी।

इससे पहले श्री मोदी ने शुक्रवार को कहा था कि भाजपा सरकार में वापस आने के बाद राज्य से अनुच्छेद-370 हटा देगी। भाजपा के चुनावी घोषणापत्र और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने भी कहा है कि पार्टी भारत के संविधान से अनुच्छेद-370 और अनुच्छेद-35 ए को निरस्त कर देगी।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने मुख्यमंत्री रहते हुए अमरनाथ श्राइन बोर्ड को हजारों कनाल जमीन दी थी तब उन्होंने अनुच्छेद-370 के बारे में क्यों नहीं सोचा।

उन्होंने कहा कि नेकां के संरक्षक मोहम्मद अब्दुल्ला ने वर्ष 1975 में भारत-शेख समझौते के बाद राज्य का प्रधानमंत्री पद छोड़ते हुए मुख्यमंत्री पद स्वीकार कर लिया था तब उन्होंने अनुच्छेद-370 के बारे में नहीं सोचा।

कश्मीर के लिए पाकिस्तान से अधिक खतरनाक आरएसएस-भाजपा : उमर

अनंतनाग में नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि जम्मू-कश्मीर को पड़ोसी देश पाकिस्तान अथवा बंदूक की नोक से उतना खतरा नहीं है जितना कि राज्य के विशेष दर्जे को समाप्त करने की कोशिश करने वाली ताकतों से है।

श्री अब्दुल्ला ने अपने इस बयान के जरिये अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधा है।

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रिजल्ट देने में यूपी बोर्ड ने बनाया नया रिकार्ड, 10वी में कानपुर के गौतम रघुवंशी और 12वी में बागपत की तनु तोमर ने प्रथम स्थान प्राप्त किया attacknews.in

प्रयागराज/बागपत/कानपुर ,27 अप्रैल । एशिया के सबसे बड़े परीक्षा आयोजक उत्तर प्रदेश माध्यामिक शिक्षा परिषद(यूपी बोर्ड) ने 2019 का हाईस्कूल और इन्टरमीड़िएट दोनो का परीक्षा परिणाम 2018 की तुलना मे दो दिन पहले 27 अप्रैल को घोषित कर एक नया कीर्तिमान कायम किया है।

पिछले वर्ष हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा छह फरवरी से शुरू होकर 12 मार्च तक चली थी। इसका परीक्षाफल 29 अप्रैल को घोषित किया गया था। बोर्ड के इतिहास में न तो इतना पहले कभी परीक्षाएं शुरू हुई और न/न ही परीक्षाफल घोषित हुआ।

बागपत की बेटी तनु तोमर बनी 12वी टापर :

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद बोर्ड के घोषित परीक्षा परिणाम में बागपत की बेटी ने इंटरमीडिएट परीक्षा में सूबे में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। छात्रा की इस उपलब्धि से जिले में खुशी का माहौल बना हुआ है।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों के अनुसार, उत्तर प्रदेश इंटरमीडिएट बोर्ड परीक्षा में बड़ौत स्थित श्रीराम इंटर कॉलेज की छात्रा तनु तोमर निवासी फतेहपुर पुट्ठी ने 97.8 प्रतिशत अंक प्राप्त करके यूपी में टॉप किया। उनकी इस उपलब्धि से जिले में खुशी का माहौल बना हुआ है।

मेधावी छात्रा तनु तोमर और उसके पिता हरेंद्र तोमर ने ‘यूनीवार्ता’ को बताया कि वह डॉक्टर बनकर समाज एवं देश की सेवा करना चाहती है।

जिलाधिकारी पवन कुमार और पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार पांडेय ने भी प्रदेश की मेधावी छात्रा को बधाई दी है। मेधावी छात्रा के घर पर बधाई देने वालो का तांता लगा हुआ है।

दसवीं कक्षा के टाॅपर बने कानपुर के गौतम रघुवंशी:

उत्तर प्रदेश माध्यिमक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की दसवीं की परीक्षा में सवोच्च स्थान पाने वाले कानपुर के गौतम रघुवंशी ने कहा कि नियमित अध्य्यन और काम को कल पर नहीं टालने की आदत ने उन्हे टापर बनाने में मदद की।
कानपुर के ओंकारेश्वर एसबीएन इंटर कालेज के छात्र गौतम रघुवंशी ने हाईस्कूल की परीक्षा में 97.17 प्रतिशत अंक हसिल कर सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया है।

गौतम ने पत्रकारों में कहा “ किसी भी चीज को पाने की इच्छा अगर आपके अंदर है और लगन के साथ उसको पाने में लग जाते हैं तो वह चीज जरूर से जरूर पूरी होती है। कोई पर परिणाम बिना मेहनत के नहीं मिलता है। यदि आप कुछ पाना चाहते हैं तो आपको जीतोड़ मेहनत करनी होगी। ”
उन्होने बताया कि उसने शुरुआत से ही बहुत मेहनत की थी। सभी विषयों को उन्होंने नियमित रूप से पढ़ा। पढ़ाई के साथ वो खेल में भी रुचि रखते हैं। गौतम ने कहा कि राजनीति में उनकी कोई रुचि नहीं है बल्कि 12वीं के बाद आईआईटी से इंजीनियर बनना चाहते हैं।

मेधावी छात्र ने कहा “ मैं उन छात्रों से आपके माध्यम से कुछ कहना चाहता हूं कि जो छात्र 10 में अच्छा प्रदर्शन करना चाहते हैं तो किसी भी काम को कल के लिए मत टाले और आखिरी समय के लिए कुछ नहीं छोड़ना चाहिए।यदि आप बेहतर अंक लाना चाहते हैं तो शुरुआत से ही सभी विषयों को समय से पढ़ें। उन्हें समझने की कोशिश करें। विषयों को समझ कर पढ़ना चाहिए। कभी रटना नहीं चाहिए। क्योंकि रटने से परीक्षा तो पास कर सकते हैं लेकिन बेहतर भविष्य आपको नहीं मिलेगा। ”

गौरतलब है कि शनिवार को घोषित परीक्षा परिणामों में हाईस्कूल में 80.07 फीसदी छात्र पास हुए, वहीं इंटरमीडिएट में 70.06 प्रतिशत छात्रों ने बाजी मारी है।

यूपी बोर्ड हाईस्कूल की परीक्षा में 67,29,540 छात्र-छात्राएं और इंटर की परीक्षाओं में 30,17,032 छात्र-छात्राओं ने पंजीकृत कराया था। 2018 की बात करें तो हाई स्कूल में कुल 75.16 प्रतिशत छात्र उत्तीर्ण हुए थे। इलाहाबाद जिले के बृज बिहारी सहाय इंटर कॉलेज की छात्रा अंजलि वर्मा ने 96.33 फीसदी अंक पाकर पूरे प्रदेश में पहला स्थान हासिल किया था। वहीं फतेहपुर की यशस्वी ने 94.50 प्रतिशत अंक पाकर दूसरा स्थान और 94.1 फीसदी अंक पाकर सीतापुर के विनय कुमार और गोंडा की शानी वर्मा ने तीसरा स्थान हासिल किया था।

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गुना से कांग्रेस प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया के अनुसार: मोदी सरकार ने 5 सालों तक जनता की आंखों में धूल झोंकी attacknews.in

गुना (म़ प्र) 27 अप्रैल । कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और गुना शिवपुरी संसदीय क्षेत्र के प्रत्याशी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने केन्द्र की मोदी सरकार पर आज निशाना साधते हुए कहा कि इस सरकार ने पांच साल में देश की जनता की आंखों में धूल झोंकने का काम किया है, लेकिन अब जनता की बारी है।
उन्होंने कहा कि जनता को भी मोदी सरकार को धूल चटाने का काम करना चाहिए।

श्री सिंधिया बमोरी विधानसभा क्षेत्र के गांवों का दौरा करने के बाद खेरीखता गांव में एक चुनावी सभा को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि मोदी सरकार के पांच साल के कार्यकाल में किसानों से लेकर आदिवासी और हर ग्रामीण परेशान रहा है।

उन्होंने आरोप लगाया कि आदिवासियों की वन अधिकार भूमि के पट्टों के मामले में केंद्र की मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में वकील तक खड़ा नहीं किया। जब आदिवासियों के खिलाफ ऑर्डर पास हुआ तो कांग्रेस ने अपने स्तर से कोर्ट में वकील भेज कर आदिवासियों के हक की लड़ाई लड़ी है।
उन्होंने कहा कि किसानों से केंद्र सरकार ने वादा किया था कि खेती-किसानी की लागत कम की जाएगी और उत्पादन बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा लेकिन आज किसानों को उनकी उपज का सही दाम तक नहीं मिल रहा है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि केन्द्र में मोदी और मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार ने किसानों को गेहूं के समर्थन मूल्य पर मिलने वाला बोनस तक बंद कर दिया, लेकिन अब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आने के बाद गेहूं पर दिए जाने वाला यह बोनस फिर से शुरू किया गया है।

उन्होंने किसानों को भरोसा दिलाया कि कांग्रेस की सरकार ने किसानों से जो वादे किए हैं वह हर हाल में पूरे किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि 40 हजार से ज्यादा किसानों के ऋण माफ हो चुके हैं और जो किसान शेष रह गए हैं उनके भी ऋण माफ होंगे। इस मौके पर प्रदेश सरकार में मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया भी श्री सिंधिया सिंधिया के साथ मौजूद रहे।

श्री सिंधिया ने ग्रामीणों को संबोधित करते हुए अपील की कि आने वाली 12 मई को सभी लोगों को अपने घरों से निकलकर वोट डालने के लिए एक घंटे का समय देना है। इसके बाद उनकी बारी रहेगी और वह क्षेत्र में विकास के लिए सतत प्रयत्नशील रहेंगे।उन्होंने कहा कि क्षेत्र की जनता से उनके पारिवारिक रिश्ते हैं और उनका संवाद और संबंध केवल पांच साल के लिए नहीं रहता।

इससे पूर्व श्री सिंधिया ने ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत ढोल बाजाकर नृत्यकर ग्रामीणों को मोहित किया।

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पश्चिम बंगाल के संत चैतन्य महाप्रभु की भूमि, कृष्णनगर संसदीय सीट पर इस बार हिंदुत्व के उभार और तृणमूल कांग्रेस की हिंसा से मुक्ति का चुनाव हो गया attacknews.in

कृष्णनगर, 27 अप्रैल। हिंदुत्व उभार और स्थानीय मुद्दों पर राष्ट्रीय मुद्दों के हावी होने के बीच पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने नदिया जिले के कृष्णनगर में कड़े मुकाबले के लिए कमर कस ली है।

भाजपा ने कृष्णनगर को लक्ष्य बनाया है जो कि 15वीं सदी के बंगाली संत चैतन्य महाप्रभु की धरती है। भाजपा पिछले लोकसभा चुनाव में मिले वोट प्रतिशत और 2018 के विधानसभा चुनावों में बनाई अपनी पैठ के आधार पर भरोसा कर रही है। यह सीट राज्य की उन कुछ चुनिंदा सीटों में से एक है जिस पर पार्टी ने कभी जीत हासिल की है।

1999 के आम चुनाव में भाजपा के सत्यव्रत मुखर्जी ने तब हाल में बनी तृणमूल कांग्रेस के साथ गठबंधन में यह सीट जीती थी। वह तब अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री भी बने थे और राज्य में पार्टी का नेतृत्व भी किया था।

भाजपा ने इस बार भारतीय फुटबाल टीम के पूर्व कप्तान कल्याण चौबे को मैदान में उतारा है जिनकी नजर यह सीट तृणमूल कांग्रेस से अपने खाते में करने पर है। यह क्षेत्र दक्षिण बंगाल में आता है जिसे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का गढ़ माना जाता है।

इस बार इस सीट पर चतुष्कोणीय मुकाबला हो रहा है।

जिला कलेक्ट्रेट के बाहर चाय की एक दुकान पर चाय पी रहे एक व्यक्ति ने कहा, ‘‘भाजपा का उम्मीदवार एक बाहरी है। यदि उन्होंने जलू बाबू (सत्यब्रत मुखर्जी को स्थानीय तौर पर इसी नाम से जाना जाता है) को उतारा होता तो उनके लिए यह सीट जीतना आसान होता।’’

यह सुनते ही दिन का अखबार पढ़ रहे एक व्यक्ति ने कहा, ‘‘भाजपा ने प्रज्ञा ठाकुर जैसे किसी को टिकट दिया है। लोग अब सब कुछ जानते हैं और सब कुछ देखते हैं। आप उन्हें मूर्ख नहीं बना सकते।’’

कृष्णनगर नगर और आसपास के क्षेत्रों में ईसाइयों की अच्छी जनसंख्या है और सड़कों पर औपनिवेशिक काल के गिरजाघर हैं। यद्यपि जिला हिंदू बहुल है जहां मुस्लिमों की थोड़ी बहुत जनसंख्या है।

धुबुलिया बस स्टैंड पर एक दुकानदार ने कहा, ‘‘यह हिंदू मुस्लिम का मामला नहीं है, यह हिंसा से छुटकारा पाने का है जो हमने पिछले कुछ वर्षों में झेला है। हमने पूर्व में माकपा को वोट किया लेकिन अब महसूस करते हैं कि तृणमूल को केवल भाजपा ही रोक सकती है।’’

माकपा का हालांकि कहना है कि भाजपा कहीं भी मुकाबले में नहीं है, यह सब ‘‘मीडिया द्वारा बनाया गया है’’ और तृणमूल कांग्रेस से माकपा ही मुकाबला कर सकती है।

माकपा उम्मीदवार शांतनू झा ने कहा, ‘‘यह कल्पना की बात है कि मुकाबला तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच है। लोगों को उनके बीच झूठी लड़ाई समझनी होगी। आप देख सकते हैं जो भूमिका मुकुल रॉय निभा रहे हैं, वह तृणमूल कांग्रेस में नम्बर दो थे और अब भाजपा में यहां सर्वोच्च नेता हैं, क्या यह कहीं और होता है?’’

हालांकि भाजपा के चौबे इसको लेकर आश्चस्त हैं कि वह चुनाव जीतेंगे क्योंकि वह केवल ‘‘भाजपा है जिसमें तृणमूल कांग्रेस को रोकने की क्षमता है।’’

उन्होंने कहा,‘‘लोग सत्ताधारी पार्टी द्वारा की जाने वाली हिंसा से छुटकारा पाना चाहते हैं और यह काम भाजपा ही कर सकती है। यह केवल दो पार्टियों के बीच लड़ाई नहीं है बल्कि यह हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों को बरकरार रखने की लड़ाई है।’’

कांग्रेस ने इंताज अली शाह को अपना उम्मीदवार बनाया है। शाह ने कहा, ‘‘लोगों का जो भी फैसला होगा मैं उसे स्वीकार करूंगा लेकिन मैं चाहता हूं कि चुनाव निष्पक्ष हो। हमने छपरा में कई बूथों की संवेदनशीलता का मुद्दा चुनाव आयोग से उठाया है। हमें उम्मीद है कि वे उसे देखेंगे।’’

वहीं तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार महुआ मोइत्रा ने अपनी जीत का भरोसा जताते हुए कहा,‘‘भाजपा ने यह सीट अपने दम पर कभी नहीं जीती। वे एक बार यह सीट ममता बनर्जी के समर्थन से जीते थे। यहां तक की उनके सबसे बड़े उम्मीदवार (सत्यव्रत मुखर्जी) को दो बार तपस पॉल और माकपा के ज्योतिर्मयी सिकदर ने हराया। 2014 में मोदी लहर में वे तीसरे नम्बर पर थे।’’

पिछले लोकसभा चुनाव में तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार तपस पॉल ने दूसरी बार सीट पर जीत दर्ज की थी और 35 प्रतिशत वोट हासिल किये थे। उन्होंने माकपा के शांतनु झा को हराया था जिन्हें करीब 29 प्रतिशत वोट मिले थे जबकि भाजपा को करीब 26 प्रतिशत वोट मिले थे। कांग्रेस को मात्र छह प्रतिशत वोट मिले थे।

कृष्णनगर में मतदान चौथे चरण में 29 अप्रैल को होगा।

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कांग्रेस नेता शशि थरुर को नरेन्द्र मोदी की तुलना शिवलिंग पर बैठे बिच्छू से करने पर अदालत में पेश होने का समन जारी किया attacknews.in

नयी दिल्ली, 27 अप्रैल । अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट समर विशाल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तुलना कथित तौर पर शिवलिंग पर बैठे बिच्छू से करने को लेकर कांग्रेस नेता शशि थरूर को समन जारी करते हुए उन्हें सात जून को अदालत में पेश होने के लिए कहा है।

श्री थरूर पर आरोप है कि उन्होंने कहा था कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक नेता ने प्रधानमंत्री की तुलना शिवलिंग पर बैठे बिच्छू से की थी।

इस बयान के बाद दिल्ली के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता राजीव बब्बर ने श्री थरूर के खिलाफ धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप लगाते हुए आपराधिक मानहानि का मामला दर्ज कराया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस नेता ने दावा किया था कि किसी अज्ञात आरएसएस नेता ने श्री मोदी की तुलना शिवलिंग पर बैठे बिच्छू से की थी।

उन्होंने कहा, “ मैं भगवान शिव का भक्त हूं और श्री थरूर ने मेरे जैसे करोड़ों शिव भक्तों की भावनाओं को आहत किया है। उनके द्वारा दिए गए बयान से देश और देश के बाहर शिव जी के जितने भी भक्त हैं उनकी भावनाएं आहत हुईं हैं।” उन्होंने कहा, “अभियुक्त ने जान-बूझकर ऐसा किया है जो दुर्भाग्यपूर्ण है, उन्होंने धार्मिक भावनाएं आहत की है और शिव भक्तों का मजाक बनाया है।”

श्री बब्बर ने भारतीय दंड संहिता की धारा 499 और 500 के तहत श्री थरूर पर मामला दर्ज कराया है और उन्होंने इसे करोड़ों लोगों की आस्था पर असहनीय बयान करार दिया है।

उन्होंने कहा, “कांग्रेस नेता ने कहा कि श्री मोदी शिवलिंग पर बैठे बिच्छू की तरह हैं जिसे आप न तो हाथ से हटा सकते और न ही उसे चप्पल से हटा सकते हैं।”

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