शिवराज सिंह चौहान ने दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव लड़ने से इंकार किया, राहुल गांधी को झूठ बोलने वाला राजनेता करार दिया, कमलनाथ सरकार को अंदरूनी कलह वाली बताया attacknews.in

नयी दिल्ली 01 अप्रैल । मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से कांग्रेस के दिग्गज दिग्विजय सिंह के विरुद्ध भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा मजबूत उम्मीदवार उतारने की अटकलों के बीच पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने चुनाव लड़ने से इन्कार करते हुए कहा कि वह विधानसभा में निर्वाचित हो चुके हैं।

श्री चौहान ने यहां संवाददाताओं से कहा, “मैं एक निर्वाचित विधायक हूं, मैं तीन महीने पहले ही चुनाव जीत कर आया हूं इसलिए दोबारा लड़ने का क्या मतलब है।” उन्होंने कहा कि अगर उनसे पूछा जाये तो वह राज्य के लिए काम करना चाहेंगे। लेकिन उनके बारे में सभी निर्णय लेने का अधिकार पार्टी नेतृत्व को ही है।

शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को ‘आदतन झूठ बाेलने वाला राजनेता’ करार दिया और मध्यप्रदेश सहित विभिन्न राज्यों में किसानों की कर्ज़ माफी को लेकर उनके वादे को नहीं निभाने का आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि कांग्रेस के न्यूनतम आय योजना के वादे का भी ऐसा ही हश्र होने वाला है।

भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां संवाददाताओं से कहा कि श्री गांधी आदतन झूठ बोलने वाले नेता हैं और वह बहुत बेशर्मी एवं आत्मविश्वास से झूठ बोलते हैं। श्री गांधी ने नवंबर 2018 में राजस्थान, छत्तीसगढ़ एवं मध्यप्रदेश विधानसभा के चुनावों में अनेक भाषणों में कहा था कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनते ही दस दिन के भीतर किसानों का ऋण माफ कर देंगे और किसी मुख्यमंत्री ने आनाकानी की तो मुख्यमंत्री बदल देंगे।

श्री चौहान ने कहा कि आज 104 दिन हो चुके हैं जबकि ना तो कर्ज़ माफ हुआ और ना ही मुख्यमंत्री बदला गया। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में दो लाख तक ऋण लेने वाले किसानों की कुल ऋण राशि करीब 48 हजार करोड़ रुपए है। लेकिन राज्य की कमलनाथ सरकार ने बजट में केवल पांच हजार करोड़ रुपए का आवंटन किया तथा सहकारी बैंकों को 600 करोड़ रुपए और अन्य बैंकों को 700 करोड़ रुपए जारी किये गये। उन्होंने कहा, “ 48 हजार करोड़ रुपए के एवज में केवल 1300 करोड़ रुपए जारी किये। पैसा ना धेला, सूरजकुंड का मेला।”

उन्होंने कहा कि दस मार्च को चुनाव आयोग द्वारा शाम पांच बजे लोकसभा चुनावों की घोषणा करने के साथ आदर्श आचार संहिता लागू हो गयी और दिन में एक बजे से ही किसानों के मोबाइल फोन पर बैंकों का संदेश आने लगा कि जय किसान फसल ऋण माफी योजना के तहत उनका ऋण आदर्श आचार संहिता समाप्त होने के बाद माफ किया जाएगा। इसी के साथ किसानों को बैंकों से ऋण वसूली की चिट्ठियां आने लगीं। उन्होंने कुछ किसानों के नाम एवं पते के साथ उदाहरण देते हुए कहा कि जिनके एक लाख रुपए के कर्ज़ थे, उन्हें 1042 और जिनमें डेढ़ लाख रुपए का ऋण था, उन्हें 1076 रुपए माफ किया गया। इससे किसान ना हंस पा रहा है और न ही रो पा रहा है। यानी इस प्रकार से कांंग्रेस ने किसानों को मूर्ख बनाने का काम किया है। उन्होंने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश सरकार ने प्रधानमंत्री किसान निधि योजना के लिए पात्र किसानों की सूची नहीं भेजी है।

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में कमलनाथ सरकार ने भाजपा सरकार के कार्यकाल में शुरु की गयीं अनेक कल्याणकारी योजनाओं को बंद कर दिया है। बेटियों को आर्थिक मदद से लेकर गरीबों के लिए सात सुविधाओं वाली संबल योजना, छात्रवृत्ति आदि योजनाओं को भी समाप्त कर दिया गया है।

श्री चौहान ने कहा कि श्री गांधी दूसरा झूठ बोल रहे हैं कि गरीबी पर सर्जिकल स्ट्राइक करेंगे। चाहे कलावती का मामला हो या भट्टा पारसौल का, राफेल हो या किसान कर्जमाफी का, उनके रिकॉर्ड से साफ है कि इस वादे का भी किसानों के कर्ज माफी वाले वादे जैसा हश्र होने वाला है। उन्होंने कहा कि वह पूरे देश में जा कर देश की जनता एवं किसानों को कांग्रेस के कर्ज़माफी के वादे का सच बताएंगे।

यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा कांग्रेस के न्यूनतम आय गारंटी के वादे से डरी हुई है, श्री चौहान ने कहा, “हम डरे नहीं, बल्कि आत्मविश्वास से भरे हैं।”

उन्होंने कहा कि भाजपा का संकल्प पत्र आएगा तो उसमें किसानों की आय दोगुना करने को लेकर आगे का कार्यक्रम लाया जाएगा।

कांग्रेस द्वारा भाजपा पर मध्यप्रदेश में उसकी सरकार गिराने की साजिश रचने के आरोपों को खारिज करते हुए श्री चौहान ने कहा कि अगर भाजपा को यही करना था तो वह सरकार बनने ही नहीं देती। उन्होंने कहा कि श्री कमलनाथ की सरकार तमाम अंदरूनी अंतर्विरोधों से घिरी है और वह खुद ही अपनी गति को प्राप्त करेगी।

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कांग्रेस पार्टी का पंजा चुनाव चिह्न इंदिरा गांधी ने संत देवरहा बाबा के कहने से गाय- बछड़ा को बदलकर रखा था attacknews.in

देवरिया, 01 अप्रैल । आपातकाल के बाद 1977 में हुये लोकसभा के चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा था। उस चुनाव में स्वयं इन्दिरा गांधी के साथ उनके सभी दिग्गजों को करारी हार का सामना करना पड़ा था और श्रीमती गांधी को जेल भी जाना पड़ा था।

पार्टी सूत्रों ने सोमवार को यहा बताया कि आपातकाल के बाद 1977 में हुये लोकसभा के चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस में मायूसी छायी हुई थी। हार के बाद आत्ममंथन में जुटी कांग्रेसी खेमा ने पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के मईल में सरयू किनारे प्रवास कर रहे सिद्ध संत देवरहा बाबा के दर्शन करने की सलाह दी।

श्रीमती इंदिरा गांधी सिद्ध संत देवरहा बाबा के दर्शन के लिये देवरिया से 40 किलोमीटर दूर उनके आश्रम पर पहुंची।

बाबा ने इंदिरा गांधी को दर्शन के बाद हाथ उठाते हुये आशीर्वाद दिया था और कहा कि यहीं हाथ तुम्हारा भला करेगा।

बताया जाता है कि इंदिरा गांधी ने बाबा के इस आशीर्वाद को मन से लगा लिया। वहां से वापस आने के बाद कांग्रेस ने चुनाव आयोग से चुनाव निशान गाय-बछड़ा के स्थान पर हाथ का पंजा आवंटित करने की मांग की। यह चुनाव चिन्ह आज तक चल रहा है।

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उत्तरप्रदेश की चर्चित कैराना संसदीय सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला जातीय समीकरणों में उलझा, भाजपा ने प्रदीप चौधरी को मैदान में उतारा है attacknews.in

सहारनपुर, 01 अप्रैल । चुनावों में मूलभूत समस्यायों को किनारे कर जातीय समीकरणों में उलझ कर रह जाने वाले पश्चिमी उत्तर के कैराना संसदीय क्षेत्र में इस बार त्रिकोणीय मुकाबले के आसार हैं।

पिछले आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हुकुम सिंह ने यहां से चुनाव जीता था लेकिन उनके निधन के बाद उनकी बेटी मृगांका सिंह 2018 के उप चुनाव में समाजवादी पार्टी (सपा) की तबस्सुम हसन से हार गयीं थीं। भाजपा ने इस बार उनका टिकट काटकर गंगोह के विधायक प्रदीप चौधरी काे मैदान में उतारा जबकि श्रीमती हसन राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) की प्रत्याशी के रुप में फिर चुनाव में उतरी हैं । कांग्रेस ने जाट नेता हरेंद्र मलिक को अपना प्रत्याशी बनाया है। इससे यहां इन तीनों के बीच मुकाबला होने की उम्मीद है।

सोलह लाख से अधिक मतदाताओं वाले इस क्षेत्र में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है मगर हर चुनाव की तरह इस बार भी यहां विकास का मुद्दा पटरी से उतर चुका है और लड़ाई जातिगत समीकरणों पर सध गयी है। कैराना में मुस्लिम आबादी 38.10 फीसदी है और परिसीमन के बाद सहारनपुर की गंगोह और नकुड़ विधानसभा सीटें कैराना में शामिल होने से गुर्जर और जाट मतदाताओं की भी अच्छी-खासी तादाद है।

इस सीट से श्रीमती हसन अपने पति मुनव्वर हसन के निधन के बाद 2009 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर सांसद चुनी गयी थीं लेकिन 2014 में उनके बेटे नाहिद हसन ने भाजपा के हुकुम सिंह का चुनावों में मुकाबला किया था। तब भाजपा को 5,65,909 वोट मिले थे। श्री सिंह के निधन के बाद 2018 में हुये उपचुनाव में श्रीमती हसन ने मृगांका को 44,618 वोटों से पराजित किया था। उप चुनाव में तबस्सुम की जीत इसलिये भी मायने रखती है कि यहां उस वक्त मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूरी ताकत झोंक दी थी लेकिन भाजपा को जीत नहीं दिला सके थे।

क्षेत्र के प्रमुख गुर्जर नेता चौधरी वीरेंद्र सिंह गत शनिवार को भाजपा में शामिल हो गये हैं। उनके बेटे और शामली के जिला पंचायत अध्यक्ष मनीष चौहान भी भाजपा में आ गये हैं। ऐसे में गुर्जर वोटों के एक बड़ा हिस्सा भाजपा के पक्ष में जा सकता हैं।

अगर बात रालोद प्रत्याशी तबस्सुम हसन की करें तो सियासत उनके परिवार का स्थायी हिस्सा रहा है। उनके ससुर अख्तर हसन कैराना लोकसभा सीट से 1984 में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीते थे। उन्होंने तब बसपा सुप्रीमो मायावती को दो लाख वोटों के अंतर से हराया था।

वर्ष 1996 में तबस्सुम हसन के पति मुनव्वर हसन लोकसभा सदस्य चुने गए थे। बाद में वह सपा से 1998 में राज्यसभा के सदस्य निर्वाचित हुए थे। वहीं , 1980 में इस सीट से तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की पत्नी गायत्री देवी लोकसभा चुनाव जीती थीं। वर्ष 1971 में चौधरी शफक्कत जंग कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा के लिए चुने गए थे। कैराना से 1999 में आमिर आलम रालोद के टिकट पर सांसद बने और 2004 में अनुराधा चौधरी रालोद के टिकट पर ही सांसद चुनी गयी। वर्ष 1989 और 1991 में जनता दल के हरपाल पांवार सांसद चुने गये थे।

भाजपा 1998 में पहली बार यहां चुनाव जीती थी। तब भाजपा के उम्मीदवार वीरेंद्र वर्मा ने सपा के मुनव्वर हसन को पराजित किया था। दूसरी बार भाजपा को इस सीट पर जीत 2014 में हुकुम सिंह ने दिलाई थी।

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उत्तरप्रदेश की सहारनपुर संसदीय सीट पर त्रिकोणीय मुकाबला पिछले चुनाव के प्रत्याशियों द्वारा वर्तमान प्रत्याशियों को समर्थन देने से कांटे की टक्कर वाला हुआ attacknews.in

सहारनपुर, 30 मार्च । देश के बड़े गन्ना उत्पादकों की फेहरिस्त में शामिल पश्चिमी उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और महागठबंधन की ओर से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) उम्मीदवार के बीच कड़ा संघर्ष होने के आसार हैं।

इस सीट पर कुल 11 उम्मीदवार हैं लेकिन मुख्य मुकाबला भाजपा के मौजूदा सांसद राघव लखनपाल शर्मा और पिछले लोकसभा चुनाव में दूसरे नंबर पर रहे कांग्रेस उम्मीदवार इमरान मसूद एवं बसपा उम्मीदवार फजलुर्ररहमान कुरैशी के बीच है। यहां पहले चरण में 11 अप्रैल को मतदान होगा।

यहां पिछले लोकसभा चुनाव में 74.2 प्रतिशत मतदान हुआ था और करीब 12 लाख मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। राघव लखनपाल शर्मा को चार लाख 72 हजार 999 वोट हासिल हुये थे जबकि दूसरे स्थान पर रहे इमरान मसूद को चार लाख सात हजार 909 ,बसपा उम्मीदवार ठाकुर जगदीश सिंह राणा को दो लाख 35 हजार 33 और सपा उम्मीदवार साजान मसूद को 52 हजार 65 वोट मिले थे। इस बार बसपा के पिछले हारे प्रत्याशी जगदीश राणा भाजपा उम्मीदवार राघव लखनपाल शर्मा के साथ हैं और सपा के साजान मसूद अपने चचेरे भाई इमरान मसूद के साथ हैं जिससे यहां मुकाबला त्रिकोणीय और कांटे का हो गया है।

सहारनपुर सीट पर 39 प्रतिशत से ज्यादा मुस्लिम मतदाता हैं जबकि 21-22 फीसदी के करीब अनुसूचित जाति के मतदाता हैं। सपा-बसपा का गठबंधन होने के कारण बसपा उम्मीदवार फजलुर्ररहमान कुरैशी भाजपा उम्मीदवार राघव लखनपाल शर्मा को तगड़ी चुनौती दे रहे हैं जबकि कांग्रेस उम्मीदवार एवं प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष इमरान मसूद इस लड़ाई को तिकोना बना रहे हैं। इस सीट पर कुल 17 लाख 12 हजार 580 कुल मतदाता हैं।

सहारनपुर शक्तिपीठ मां शाकुम्बरी देवी, काष्ठ कला उद्योग और देवबंद स्थित दारूल उलूम के लिए विश्वविख्यात है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की गन्ना पट्टी के जिले सहारनपुर में पांच चीनी मिलें हैं। गन्ना किसानों की समस्या प्रमुख हैं। किसानों की शिकायत है कि 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने पापुलर की खेती करने वाले किसानों को पक्का भरोसा दिया था कि उन्हें अपने पापुलर के पेड़ बेचने के लिए हरियाणा जाने को मजबूर नहीं होना पड़ेगा। जिले में ही पापुलर लकड़ी पर आधारित प्लाईवुड की फैक्टरियां स्थापित की जाएंगी लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।

सपा विधायक संजय गर्ग का आरोप है कि योगी सरकार ने इस बार गन्ना मूल्य में कोई बढोत्तरी नहीं की और सहारनपुर मंडल की चीनी मिलों पर मौजूदा पेराई सत्र का करोड़ों रुपया बकाया है। सहारनपुर जिले में पिछले पांच साल के दौरान कोई भी नया उद्योग नहीं लगा और ना ही कोई रोजगार के नए अवसर नजर आए। सहारनपुर से मुजफ्फरनगर की रेलवे लाइन का दोहरी करण भी मोदी सरकार अभी तक नहीं करा पाई है। दूसरी तरफ यहां के बड़े व्यापारी नेता शीतल टंडन का कहना है कि योगी सरकार में कानून व्यवस्था जरूर बेहतर हुई है। व्यापारी वर्ग जीएसटी की परेशानियों के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक मौका और दिए जाने के पक्ष में है।

लोकसभा चुनाव के इतिहास में नजर डालें तो 1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस के अजित प्रसाद जैन और 1957 के दूसरे चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता महावीर त्यागी यहां से जीते थे। वर्ष 1971 के चुनाव में कांग्रेस के मुलकीराज सैनी जीते थे। कांग्रेस 1977 में पहली बार इस सीट पर हारी थी जब जनता पार्टी उम्मीदवार रशीद मसूद जीते थे। वह 1980 में जनता पार्टी सेकुलर चुनाव जीते लेकिन 1984 में इंदिरा गांधी हत्या से उपजी सहानभूति के कारण उन्हें कांग्रेस के नेता चौधरी यशपाल सिंह गुर्जर के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

वी पी सिंह की भ्रष्टाचार के खिलाफ चली मुहिम के चलते कांग्रेस के खिलाफ बने माहौल में जनता दल के टिकट पर रशीद मसूद ने 1989 में कांग्रेस उम्मीदवार यशपाल को हराकर पिछली हार का बदला लिया था। वह 1991 के चुनाव में फिर से रशीद मसूद जीते। श्री मसूद को 1996 और 1998 में भाजपा के चौधरी नकली सिंह गुर्जर ने पराजित किया। वर्ष 1999 में बसपा के मंसूर अली खान जीते जबकि 2004 के लोकसभा चुनाव में रशीद मसूद ने भाजपा के चौ यशपाल सिंह को पराजित किया था।

2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा के जगदीश राणा ने सपा उम्मीदवार रशीद मसूद को पराजित किया था और पिछले 2014 के लोकसभा चुनाव में इस सीट पर भाजपा जीती थी। इस तरह से इस सीट पर तीन बार भाजपा, दो बार बसपा और 1977 के बाद एक बार कांग्रेस चुनाव जीती। श्री रशीद मसूद 1977 से लेकर अब तक 11 चुनाव में से छह बार जीते हैं।

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पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों का धर्म परिवर्तन करवाने की जिम्मेदारी पूर्व सांसद मियां मिठ्ठू के पास, हर साल 300 लड़कियों का अपहरण, अत्याचारों के आगे बेबस पाक हिंदू कौम attacknews.in

इस्लामाबाद 1 अप्रैल ।कुछ दिनों पहले पाकिस्तान में 2 नाबालिक हिंदू लड़कियों को अगवा करके धर्म परिवर्तन करके उनका निकाह कराया गया और इसके बाद एक ओर हिंदू लड़की का धर्म परिवर्तन करवाया गया ।

ऐसा मामला पाकिस्तान में पहली बार नहीं बल्कि पहले भी कई बार सामने आया है क्योंकि पाकिस्तान में यह बात होना आम है।

सिंध प्रांत से कुछ समय पहले दो नाबालिग हिंदू लड़कियां रीना और रवीना को अगवा कर लिया गया था, जिसके बाद उनका धर्म परिवर्तन किया गया और फिर उनका निकाह करा दिया गया। यह मामला सामने आने के बाद पाकिस्तान की बहुत बेइज्जती हुई, जिसके बाद पाकिस्तान ने इस मामले को लेकर कार्रवाई शुरू की। वर्तमान में मामला कोर्ट में पहुंच गया है।

ऐसे मामलों की सूची काफी लंबी है। पहले समय में हिंदू लड़कियों को अगवा किया जाता था और उनको डरा धमकाकर झूठे बयानों के लिए उकसाया जाता था।

जानकारी के लिए बता दें कि पाकिस्तान में सबसे ज्यादा धर्म परिवर्तन करवाने की जिम्मेदारी  मियां मिट्ठू के पास  हैं। इस मामले में उनका नाम बहुत फेमस है, इनका पूरा नाम पीर अब्दुल हक है, जो पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के पूर्व सांसद रह चुके हैं, वही मियां मिट्ठू है।

यह मियां मिठ्ठू पाकिस्तान के निवासी हिंदुओं से बहुत नफरत करते हैं। पाकिस्तान की रिपोर्ट की मानें तो इस शख्स के पास ही पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों का धर्म परिवर्तन कराने का ठेका है। साल 2016 में इसके खिलाफ 117 केस दर्ज हो चुके हैं।

कई बार सड़कों पर पाकिस्तानी अल्पसंख्यक कम्युनिटी के लोग उसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर चुके हैं। लेकिन इसके बावजूद भी उसके लोग बिना भय के इस्लामिक कट्टरता फैलाते हैं।

मियां मिट्ठू की पहुंच सरकार तक है।उसकी तस्वीरें प्रधानमंत्री इमरान खान और आर्मी जनरल चीफ कमर जावेद बाजवा के साथ देख सकते हैं।

जनता कई बार मियां मिट्ठू के खिलाफ पाकिस्तान सरकार से अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए  सख्त कदम उठाने की मांग कर चुकी है। संसद में इस मामले को लेकर असेंबली के सदस्य और इमरान खान की पार्टी के सांसद डॉ रमेश कुमार वांकवानी ने वहां पर हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ विरोध किया और आवाज उठाई।

पाकिस्तान की भरचंडी शरीफ स्थित दरगाह है, लेकिन इसकी असली पहचान उस दरगाह के तौर पर होती है, जहां हिंदू लड़कियों का जबरन मुस्लिम में धर्म परिवर्तन किया जाता है।

पाकिस्तान में आए दिनों हिंदुओं पर अत्याचार बढ़ते जा रहे हैं। हिंदुओं के पूजा स्थल और मंदिरों को खत्म किया जा रहा है। उनकी संपत्ति छीन ली जाती है। हिंदू लड़कियों का अपहरण करके उनका धर्म परिवर्तन किया जाता है और उनका निकाह करवा दिया जाता है।

इस बात का अंदाजा इस रिपोर्ट से लगाया जा सकता हैं कि पाकिस्तान में हर साल 300 हिंदू लड़कियों का अपहरण होता है। पाकिस्तान की संस्था मूवमेंट फॉर सोलिडेटरी एंड पीस ने रिपोर्ट को जारी किया था।

इस रिपोर्ट में बताया गया कि जिन लड़कियों को अगवा किया जाता है, उनकी उम्र 12 से 15 साल की होती है। लड़कियों को जबरदस्ती इस्लाम धर्म कबूल करवाया  जाता है. और उनकी शादी की जाती है।

पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या कुल जनसंख्या का 1.6% है। पाकिस्तान में 36 लाख हिंदू है। मानवाधिकार संगठनों का मानना है कि बीते 50 सालों में 90% हिंदुओं ने पाकिस्तान छोड़ दिया।

सिंध और बलूचिस्तान में हिंदुओं पर अत्याचार:

पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से इस तरीके की खबरें अब सामने आ रही है कि लगातार सिंध इलाके में हिंदुओं की संख्या गिर रही है. यहां पर जबरन धर्म परिवर्तन का इतना बड़ा गंदा खेल हो रहा है कि जल्दी आपको सिंध बलूचिस्तान इलाके से हिंदू गायब नजर आएंगे।

बता दें कि आजादी के समय सिंध में 25% हिंदुओं की आबादी थी जो यहां पर अपनी इच्छा से रह रहे थे क्योंकि  सिंध और बलूचिस्तान के लोगों ने  ना तो आजादी के समय पाकिस्तान से जाना स्वीकार किया था और ना ही इन्होंने भारत में आना सही समझा था. इनको लगता था कि यह अपने मुल्क में रहकर ही अपना एक आजाद मुल्क प्राप्त कर लेंगे,लेकिन जिस तरीके से यहां पर अत्याचार हो रहे हैं और अल्पसंख्यक लोगों के ऊपर बर्बर पूर्ण कार्यवाही हो रही है तो उसको देखकर बोला जा सकता है कि जल्दी बलूचिस्तान और सिंध से आपको हिंदू पूरी तरीके से गायब होते हुए नजर आएंगे.

सिंध इलाके में हर महीने 25 हिन्दू लड़कियों का हो रहा है धर्मपरिवर्तन:

खुद पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से रिपोर्ट सामने आई है जिसमें यह दावा किया गया है कि सिंध इलाके में हर महीने लगभग 25 हिन्दू लड़कियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराया जा रहा है।

आपको बता दें कि जिस दिन हिंदुस्तान में होली मनाई जा रही थी और सिंध के हिंदू भी रंगों में रंगे हुए थे उसी दिन इलाके में दो नाबालिग लड़की को उठा लिया गया था और इनका जबरन धर्म परिवर्तन कराकर मुस्लिम लड़कों से शादी करा दी गई थी।

रीना और रवीना नाम की यह लड़कियां हैं जो अभी तक अपनी लड़ाई लड़ती हुई नजर आ रही हैं, जब इन लड़कियों के मां-बाप ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी तो इनकी शिकायत किसी ने भी दर्ज नहीं की थी बाद में जब यह मामला मीडिया में आ गया और तूल पकड़ने लगा तभी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने यह बात बोली है कि वह एक कठोर कार्यवाही करके दिखाएंगे।

इन लड़कियों की पिता का एक वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ ।  यह वीडियो देखकर समझ जाएंगे कि तरह से सिंध इलाके में अल्पसंख्यको के ऊपर अत्याचार किए जा रहे हैं।

पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट के अनुसार भी यहां पर जबरन धर्म परिवर्तन का खेल चल रहा है।2016 में पाकिस्तान आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी थी और उसने यह बात साफ-साफ लिखी हुई थी कि पाकिस्तान के सिंध इलाके में लगातार हिंदुओं की संख्या कम करने के लिए धर्म परिवर्तन का गंदा खेल चल रहा है।

अब वह दिन दूर नहीं लग रहा है कि जब सिंध से बचे हुए 5 प्रतिशत हिन्दू भी जल्दी गायब हो जाए, लगातार पाकिस्तान के अंदर भी धर्म का गन्दा खेल चल रहा है और अल्संख्यक लोगों को मारा जा रहा है और लड़कियों को जबरन उठाकर उनका धर्मपरिवर्तन कराया जा रहा है. इमरान खान को जिन लोगों ने समर्थन किया है वह लोग बिना कानून के डर के यह काम पाकिस्तान में भी कर रहे हैं।

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नोटबंदी के बाद भारत में संदिग्ध लेनदेन 1,400 प्रतिशत बढ़ा , इस अपराध के यह अब तक के सबसे उंचे आंकड़े attacknews.in

नयी दिल्ली, 31 मार्च । नोटबंदी के बाद संदिग्ध लेनदेन की संख्या में अब तक की सर्वाधिक वृद्धि दर्ज की गई। एक रिपोर्ट के मुताबिक 2016 में तत्कालीन 500 और 1,000 रुपये के नोट का प्रचलन बंद करने के कदम से संदिग्ध लेनदेन की संख्या सर्वाधिक तेजी से बढ़कर 14 लाख तक पहुंच गई। बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों की तरफ से बताई गई यह संख्या पहले के मुकाबले 1,400 प्रतिशत यानी 14 गुणा बढ़ गई। वित्तीय आसूचना इकाई (एफआईयू) ने रिपोर्ट में यह खुलासा किया है।

देश में वित्तीय लेनदेन पर नजर रखने वाली इस खुफिया वित्तीय इकाई ने 2017- 18 के दौरान इस तरह के लेनदेन और जमा राशि से संबंधित व्यापक आंकड़ों को जुटाया है। एक दशक पहले एफआईयू शुरू होने से लेकर अब तक संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट के यह अब तक के सबसे ऊंचे आंकड़े हैं।

एफआईयू केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के तहत आने वाले एजेंसी है। एजेंसी मनी लांड्रिंग, आतंकवाद वित्तपोषण और गंभीर प्रकृति की कर धोखाधड़ी से जुड़े लेनदेन पर नजर रखती है और उनका आकलन करती है।

वर्ष 2017- 18 के दौरान बैंक और वित्तीय संस्थानों सहित विभिन्न रिपोर्टिंग इकाइयों ने नोटबंदी के दौरान हुये लेनदेन की जांच के फलस्वरूप 14 लाख से अधिक संदिग्ध लेनदेन की रिपोर्ट एफआईयू- इंड के पास पहुंचाई।

एजेंसी के निदेशक पंकज कुमार मिश्रा ने इस रिपोर्ट में कहा है, ‘‘एक साल पहले के मुकाबले प्राप्त संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) के मुकाबले इस रिपोर्ट में तीन गुणा अधिक वृद्धि हुई जबकि नोटबंदी से पहले प्राप्त एसटीआर के मुकाबले इसमें 14 गुणा तक वृद्धि दर्ज की गई।’’

इस रिपोर्ट की जानकारी उपलब्ध हुई है। सरकार को सौंपी गई इस रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017- 18 में प्राप्त एसटीआर रिपोर्ट की संख्या एक साल पहले के मुकाबले तीन गुणा से अधिक बढ़कर 4.73 लाख तक पहुंच गई।

उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठ नवंबर 2016 को उस समय चलन में रहे 500 और 1,000 रुपये के नोट को निरस्त कर दिया था। इस घोषणा के बाद बैंकों और अंतर बैंकिंग लेनदेन में काफी मात्रा में नकदी जमा की गई।

मनी लांड्रिग रोधी कानून (पीएमएलए) के तहत एफआईयू ही एकमात्र एजेंसी है जो इस तरह की रिपोर्ट प्राप्त कर सकती है। बैंकों तथा वित्तीय संस्थानों को बड़ी राशि के लेनदेन, नकदी मुद्रा को जमा करने और एसटीआर के बारे में रिपोर्ट करना होता है। इन कदमों को आतंकवादियों को वित्तीय संसाधन पहुंचाने और कालेधन को सफेद करने के प्रयासों के खिलाफ भारत की लड़ाई के रूप में देखा जाता है।

रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी से पहले के तीन साल में इस तरह की एसटीआर की संख्या 2013-14 में 61,953, वर्ष 2014- 15 में 58,646 और 2015- 16 में 1,05,973 रही।

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देशभर में रेलवे परिसरों से सभी तरह के राजनीतिक विज्ञापनों को हटाया जाएगा attacknews.in

नयी दिल्ली, 31 मार्च । रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने रविवार को रेलवे के सभी जोनों को पत्र लिखकर उनसे रेलवे परिसरों से सभी तरह के राजनीतिक विज्ञापनों को हटाने का निर्देश दिया है।

रेलवे से जुड़ी आचार संहिता उल्लंघन की कुछ घटनाओं के बाद यह कदम उठाया गया है।

रेलवे परिसरों से राजनीतिक विज्ञापन हटाने का संदेश सभी जोनल महाप्रबंधक और संभागीय रेलवे को भेजा गया है। इससे कुछ दिन पहले ही रेलवे को आचार संहिता लागू होने के बाद भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तस्वीर वाली टिकट यात्रियों को देने के मामले में स्पष्टीकरण देना पड़ा था।

दो दिन पहले चाय के कप पर भाजपा का चुनाव प्रचार वाला नारा ‘मैं भी चौकीदार’ लिखा हुआ देखकर हंगामा खड़ा हो गया था।

यादव की ओर से जीएम और डीआरएम को संबोधित संदेश में लिखा है, ‘‘ रेलवे की टिकट, रेलवे की स्टेशनरी, रेलवे कोचों, रेलवे स्टेशन और रेलवे के किसी भी परिसर से नेताओं की तस्वीर वाला कोई विज्ञापन तत्काल हटा दिया जाना चाहिए और इस संबंध में विज्ञापन करने वाली एजेंसियों को उपयुक्त जानकारी देनी चाहिए।’’

चुनाव आयोग के सूत्रों ने शनिवार को बताया कि रेलवे से आचार संहिता के प्रथम दृष्टया उल्लंघन को लेकर जवाब मांगा गया है। इसके अलावा ‘चौकीदार’ नारे वाले कप बनाने वाले व्यक्ति के बारे में भी जानकारी मांगी है।

यह कप 12040 काठगोदाम शताब्दी एक्सप्रेस में मिला था।

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भगौड़े विजय माल्या ने देनदारी 9,000 करोड़ से अधिक 14,000 करोड़ चुका दिया, ऐसा सबूत माल्या ने प्रधानमंत्री के इंटरव्यू से दिया attacknews.in

लंदन, 31 मार्च । देश छोड़कर भाग चुके शराब कारोबारी विजय माल्या ने रविवार को दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल में एक साक्षात्कार में उनकी (माल्या) 14,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त होने की बात स्वीकार की है।

माल्या ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान उनसे पूरी वसूली कर लिये जाने और भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा उनका ‘पोस्टर बॉय’ की तरह इस्तेमाल किये जाने के उनके दावे की पुष्टि करता है।

माल्या, 62 वर्ष, ने ट्विटर पर जारी बयान में कहा कि प्रधानमंत्री ने खुद यह स्वीकार किया कि वसूली गई संपत्ति उसकी (माल्या की) 9,000 करोड़ रुपये की कथित देनदारी से अधिक है। माल्या पर बैंकों के साथ धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। वह ब्रिटेन में है और भारतीय एजेंसियों की ओर से प्रत्यर्पण मामले का सामना कर रहे हैं।

माल्या ने कहा, ‘‘मुझे पोस्टर बॉय की तरह इस्तेमाल किया गया, मेरे इस बयान की पुष्टि स्वयं प्रधानमंत्री का यह वक्तव्य करता है कि उनकी सरकार ने मुझसे उससे ज्यादा वसूल कर लिया है जितना कि कथित तौर पर मुझपर बैंकों का बकाया बताया गया।’’

उन्होंने कहा कि ‘‘इस तथ्य को नजरअंदाज कर दिया गया कि मैं 1992 से ही ब्रिटेन का निवासी हूं, क्योंकि मुझे भगोड़ा कहना भाजपा को उसके लिहाज से सही लगता है।’’

माल्या की यह टिप्पणी प्रधानमंत्री मोदी के एक हालिया साक्षात्कार के बाद आयी है। मोदी ने कहा था कि माल्या ने जितने रुपये की धोखाधड़ी की, उससे ज्यादा की वसूली कर ली गयी और यह भारत की एक बड़ी जीत है।

मोदी ने कहा साक्षात्कार में कहा, ‘‘यदि आप विजय माल्या के मामले में देखें तो उन पर बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये बकाया था लेकिन सरकार ने उसकी दुनियाभर में 14,000 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति जब्त की है। अब उनकी परेशानी है कि हम उनसे दोगुना वसूल कर रहे हैं।’’

इस बयान पर टिप्पणी करते हूए माल्या ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी का साक्षात्कार मैंने देखा जिसमें उन्होंने मेरा नाम लिया और कहा कि भले ही मेरे ऊपर बैंकों का 9,000 करोड़ रुपये का बकाया था लेकिन उनकी सरकार ने मेरी 14,000 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त की हैं। अब जबकि सरकार के शीर्ष नेतृत्व ने पूरी वसूली होने की पुष्टि कर दी है तो फिर भाजपा के प्रवक्ता अभी भी उनके नाम की रट लगाये बैठे हैं।’’

गौरतलब है कि माल्या पर उनकी अब बंद हो चुकी एयरलाइंस कंपनी किंगफिशर को लेकर बैंकों के साथ धोखाधड़ी का आरोप है।

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रिजर्व बैंक आर्थिक गतिविधियों को बढावा देने के लिए नीतिगत दर रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती करेगा attacknews.in

नयी दिल्ली, 31 मार्च। वैश्विक नरमी से घरेलू आर्थिक वृद्धि संभावनाओं पर असर पड़ने की आशंकाओं के बीच आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिये रिजर्व बैंक बृहस्पतिवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की एक और कटौती कर सकता है। विशेषज्ञों ने यह अनुमान व्यक्त किया है।

रिजर्व बैंक ने 18 महीने के अंतराल के बाद फरवरी में ही रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की थी। ब्याज दर में एक के बाद एक कटौती से मौजूदा चुनावी मौसम में कर्ज लेने वालों को राहत मिल सकती है।

मौद्रिक नीति की समीक्षा बैठक के बाद सात फरवरी 2019 को मुख्य नीतिगत दर रेपो को 0.25 प्रतिशत घटाकर 6.25 प्रतिशत कर दिया गया। दिसंबर 2018 में रिजर्व बैंक गवर्नर का पद संभालने के बाद शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में हुई मौद्रिक नीति समिति की पहली बैठक में यह फैसला लिया गया।

इस सप्ताह रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता में छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति की तीन दिवसीय बैठक होने वाली है। समिति मुंबई में बैठक के बाद चार अप्रैल को निर्णय की घोषणा करेगी। यह नये वित्त वर्ष की पहली द्वैमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक होगी। इसमें भी यदि नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत कटौती होती है तो यह लगातार दूसरी समीक्षा बैठक में की गई कटौती होगी।

गवर्नर दास पहले ही उद्योग संगठनों, जमाकर्ताओं के संगठन, एमएसएमई के प्रतिनिधियों तथा बैंक अधिकारियों समेत विभिन्न पक्षों के साथ बैठक कर चुके हैं। मुद्रास्फीति रिजर्व बैंक के चार प्रतिशत के दायरे में बनी हुई है इससे उद्योग जगत एक और बार आधार दर कम करने की वकालत कर रहा है।

एचडीएफसी सिक्योरिटीज के प्रमुख (पीसीजी एवं पूंजी बाजार रणनीति) वी.के.शर्मा ने कहा कि बाजार रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती तथा परिदृश्य बदलकर सामान्य करने के अनुकूल है। तरलता में अनुमानित सुधार तथा ब्याज दर में कटौती बाजार के लिये अच्छी होगी।

कोटक महिंद्रा बैंक के अध्यक्ष (उपभोक्ता बैंकिंग) पीएफबी शांति एकमबरम ने कहा कि आने वाले समय में नीतिगत कदम को घरेलू एवं वैश्विक कारक प्रभावित करेंगे। उपभोग कुछ नरम पड़ा है और निवेश का चक्र भी धीमा हुआ है। उन्होंने कहा, ‘‘इस साल बाद में नीतिगत दर में 0.25 प्रतिशत की एक और कटौती संभव है लेकिन यह मुद्रास्फीति और आर्थिक वृद्धि के आंकड़े पर निर्भर करेगा।’’

सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने भी कहा कि मुद्रास्फीति नियंत्रण में बनी हुई है जो ब्याज दर में और कटौती का समर्थन करती है।

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