तिब्बती धर्म गुरु दलाईलामा ने दोहराया: वह चीन से तिब्बत की स्वतंत्रता नहीं चाहते जबकि चीन चाहता है कि, मैं तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए लडूं attacknews.in

नयी दिल्ली, चार अप्रैल। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा ने गुरुवार को कहा कि तिब्बत के लोग 1974 से तिब्बत के मुद्दे पर चीन के साथ एक आपसी सहमति वाले समाधान के इच्छुक हैं लेकिन बीजिंग उन्हें ‘विखंडनवादी’ मानता है जबकि वह नहीं हैं।

तिब्बती आध्यात्मिक गुरु ने यहां संवाददाता सम्मेलन में पूछे गए एक सवाल के जवाब में यह बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि तिब्बत के लोग ऐसे समाधान पर विचार के लिए तैयार हैं। हालांकि, उन्होंने दोहराया कि वह चीन से तिब्बत की स्वतंत्रता के इच्छुक नहीं हैं।

दलाई लामा ने कहा कि 1974 में हमने स्वतंत्रता मांगने के बजाय आपसी सहमति वाले समाधान को पाने का निश्चय किया था। 1979 में हमने चीन सरकार के साथ सीधा संवाद स्थापित किया। इसलिये बुनियादी तौर पर हमारा रुख स्पष्ट है।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं विखंडनवादी नहीं हूं, लेकिन चीन सरकार मुझे विखंडनवादी मानती है।’’

उन्होंने कहा कि ऐसे में चीन सरकार चाहती है कि मैं तिब्बत की स्वतंत्रता के लिए लड़ूं।

दलाई लामा ने कहा कि एक तरह के पुनर्मिलन के तहत उन्होंने तिब्बत के चीन के साथ रहने को तरजीह दिया।

तिब्बत के आध्यात्मिक नेता ने कहा कि दोनों पक्ष अपनी समृद्ध विरासत से एक दूसरे को लाभान्वित कर सकते हैं। चीन तिब्बत की आर्थिक रूप से मदद कर सकता सकता है जबकि तिब्बत अपना ज्ञान चीन को प्रदान कर सकता है।

दलाई लामा ने यूरोपीय संघ की भावना की भी सराहना की।

उन्होंने कहा कि द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान फ्रांस और जर्मनी एक-दूसरे के दुश्मन थे, लेकिन युद्ध के बाद उन्होंने अपने-अपने हितों से ऊपर साझा हितों को रखा…ईयू का निर्माण शानदार था।

अगले दलाई लामा को लेकर चीन के रुख पर पूछे गये सवाल पर तिब्बत के आध्यात्मिक धर्मगुरु ने कहा कि ‘अगर मैं और 10-15 वर्षों तक जीवित रहा तब चीन में राजनीतिक स्थिति जरूर बदलेगी, लेकिन अगर अगले कुछ सालों में मेरी मृत्यु हो गई तो चीनी सरकार अवश्य यह दिखाएगी कि पुनर्जन्म चीन में हुआ। ‘

चीन ने कहा है कि दलाई लामा का उत्तराधिकारी धार्मिक रीतियों और ऐतिहासिक परंपराओं के साथ-साथ सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के समर्थन से चुना जाना चाहिये।

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बीएसएनएल और एमटीएनएल को संकट से बाहर लाने के लिए PMO के हस्तक्षेप के बाद कर्मचारियों और उपभोक्ताओं के हितों की योजनाओं पर काम शुरू attacknews.in

नयी दिल्ली, चार अप्रैल। घाटे में चल रही सार्वजनिक क्षेत्र की दूरसंचार कंपनियों के पुनरोद्धार के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने हस्तक्षेप किया है। समझा जाता है कि पीएमओ ने इन कंपनियों के तीन परेशान करने वाले मुद्दों के हल के लिए कदम उठाने को कहा है।

एक आधिकारिक सूत्र ने कहा कि कुछ दिन पहले दूरसंचार और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों, नीति आयोग के साथ बैठक में दूरसंचार विभाग से दोनों कंपनियों को 4जी स्पेक्ट्रम आवंटन की रूपरेखा तेजी से भेजने को कहा। साथ ही उससे स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) तथा तत्काल वित्तीय सहायता पर भी कदम उठाने को कहा।

दूरसंचार क्षेत्र में गलाकाट प्रतिस्पर्धा के दौर में संकट में फंसी दूरसंचार कंपनियां परिचालन में बने रहे के लिए ये तीन उपाय चाहती हैं।

सूत्र ने कहा, ‘‘सरकार ने तय किया है कि एमटीएनएल और बीएसएनएल दोनों का पुनरोद्धार किया जाएगा जिससे ये स्वस्थ तरीके से टिकी रहें। पीएमओ के वरिष्ठ अधिकारी ने दूरसंचार विभाग, वित्त मंत्रालय और नीति आयोग के साथ बैठक में तय किया गया कि विभाग जल्द से जल्द एमटीएनएल और बीएसएनएल के पुनरोद्धार के लिए विस्तृत रूपरेखा भेजेगा।

दोनों कंपनियों ने सरकार की ओर से इक्विटी निवेश के लिए 4जी सेवाओं के लिए स्पेक्ट्रम भी मांगा है।

सभी दूरसंचार कंपनियों में बीएसएनएल का कर्ज सबसे कम 14,000 करोड़ रुपये का है। कंपनी ने 7,000 करोड़ रुपये के इक्विटी निवेश के लिए देशभर में 4जी स्पेक्ट्रम मांगा है। कंपनी के लिए स्पेक्ट्रम की कुल लागत 14,000 करोड़ रुपये बैठेगी।

इन कंपनियों की स्थापना के समय दूरसंचार विभाग ने बड़ी संख्या में सरकारी कर्मचारी इनमें स्थानांतरित किए थे। इस वजह से ऊंचे राजस्व से ऋण अनुपात के चलते भी कंपनियां संकट में हैं। देशभर में बीएसएनएल के कर्मचारियो की संख्या 1.76 लाख और एमटीएनएल के कर्मचारियों की संख्या 22,000 है।

एमटीएनएल ने सरकार की ओर से दिए गए ब्रॉडबैंड वायरलेस एक्सेस स्पेक्ट्रम के लिए किए गए ब्याज के भुगतान को वापस करने की मांग की है। सरकार ने कंपनी से 2010 में नीलामी से निकले मूल्य का भुगतान करने को कहा था।

दोनों ही कंपनियों ने कंपनियों ने अपनी संपत्तियों के मौद्रिकरण की अनुमति मांगी है। साथ ही दोनों ने गुजरात मॉडल पर कर्मचारियों के लिए वीआरएस की भी अनुमति मांगी है।

बीएसएनएल के लिए वीआरएस योजना का राजस्व प्रभाव 6,365 करोड़ रुपये और एमटीएनएल के लिए 2,120 करोड़ रुपये होगा।

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शरद पवार का नरेन्द्र मोदी को पलटवार: वह पहले किसी से पंगा नहीं लेते लेकिन ऐसा करने वाले को उसकी औकात दिखा देते हैं attacknews.in

उस्मानाबाद, चार अप्रैल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर परोक्ष हमला करते हुए राकांपा प्रमुख शरद पवार ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह खुद किसी से पहले से पंगा नहीं लेते हैं, लेकिन ऐसा करने वाले को ‘‘उसकी जगह दिखा देते हैं।’’

पवार ने पुलवामा आतंकी हमले के बाद मोदी पर सेना के पराक्रम का राजनीतिक लाभ उठाने का भी आरोप लगाया।

मोदी ने बुधवार को गोंडिया में एक चुनाव रैली में कहा था कि राकांपा नेताओं की नींद उड़ गई है। उन्होंने सोमवार को वर्धा में एक अन्य रैली में राकांपा प्रमुख पर यह कहकर हमला किया था कि पवार ने अपनी पार्टी पर पकड़ खो दी है और इसके भीतर ‘‘पारिवारिक कलह’’ चल रही है।

मध्य महाराष्ट्र में यहां एक रैली को संबोधित करते हुए पवार ने मोदी पर परोक्ष हमला करते हुए कहा, ‘‘हम उस मिट्टी से हैं जहां छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म हुआ। हम खुद पहले से किसी पंगा नहीं लेते, लेकिन कोई यदि ऐसा करता है तो उसे उसकी जगह दिखा देते हैं।’’

पवार यहां राकांपा उम्मीदवार राणा जगजीत सिंह पाटिल के लिए प्रचार करने पहुंचे थे।

राकांपा प्रमुख ने कहा कि मोदी पूछते हैं कि उन्होंने रक्षामंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान क्या किया।

उल्लेखनीय है कि पवार 1991 से 1993 तक देश के रक्षामंत्री थे। उस समय वह कांग्रेस में थे।

पवार ने जवाबी हमला करते हुए कहा कि उन्होंने देश में हमले नहीं होने दिए जैसा कि मोदी की सरकार के दौरान हो रहा है।

उन्होंने कहा कि मोदी कहते रहे हैं कि देश में पिछले 70 साल में पूर्ववर्ती सरकारों के दौरान कोई विकास नहीं हुआ, लेकिन मोदी को बताना चाहिए कि क्या उन्होंने इसमें अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकारों (1998 से 2004) के कार्यकाल को भी जोड़ा है।

पवार ने राष्ट्र निर्माण में योगदान के लिए पूर्व प्रधानमंत्री- जवाहर लाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री और राजीव गांधी की सराहना की।

उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान प्रधानमंत्री सुरक्षाबलों के शौर्य का अपने प्रचार के लिए इस्तेमाल करते हैं। यह सरकार यहां तक कि कुलभूषण जाधव तक की रिहाई कराने में असफल रही है। 56 इंच का सीना कहां चला गया?’’

उस्मानाबाद निर्वाचन क्षेत्र में लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 18 अप्रैल को मतदान होगा।

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विदेश मंत्रालय की संयुक्त सचिव जोया खान ने अनैतिक कार्यों को अंजाम देकर कई लोगों को ठगा, पति सहित पकड़ी गई तो हुआ बड़ा खुलासा attacknews.in

नोएडा, चार अप्रैल । थाना बिसरख पुलिस ने फर्जी आईएफएस अफसर जोया खान और उसके पति हर्ष प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया है।

पुलिस के मुताबिक जोया खुद को विदेश मंत्रालय का संयुक्त सचिव बताकर नोएडा मेरठ सहित कई जनपदों की पुलिस से एस्कॉर्ट हासिल करती थी। वही कई बार वह खुद को यूनाइटेड नेशन ऑर्गेनाइजेशन सिक्योरिटी काउंसिल की अधिकारी बता कर अपना प्रभाव दिखाती थी, तथा दिल्ली एनसीआर में अनुचित कार्यों को अंजाम देती थी।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक वैभव कृष्ण ने बताया कि गुरुवार को एक सूचना के आधार पर थाना बिसरख पुलिस ने फर्जी आईएफएस अफसर बन कर अनैतिक कार्य करने वाली महिला जोया खान व उसके पति हर्ष प्रताप सिंह को गिरफ्तार किया है।

उन्होंने बताया कि पूछताछ के दौरान पुलिस को पता चला है कि महिला अपने आप को आईएफएस अधिकारी बताकर तथा यूनाइटेड नेशन ऑर्गेनाइजेशन सिक्योरिटी काउंसिल कि अधिकारी बताकर दिल्ली, बागपत, मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा व गुड़गांव पुलिस का एस्कॉर्ट हासिल करती थी। उन्होंने बताया कि इसके पास से बरामद मर्सिडीज कार पर यूएन का स्टीकर भी लगा है।

उन्होंने बताया कि यह महिला कुछ समय पूर्व गौतम बुद्ध नगर में उनसे मिलने आई। इसके साथ एस्कॉर्ट लगा था। शक होने पर जब जांच की गई तो पता चला कि यह महिला फर्जी अधिकारी बन कर घूम रही है। उन्होंने बताया कि इस बात की जांच की जा रही है कि उक्त महिला ने फर्जी अधिकारी बनकर कितने लोगों के साथ ठगी की है।

उन्होंने बताया कि महिला से एक फोन बरामद हुआ है, जिसमें एक एप डाउन लोड है, जिसके माध्यम से यह वॉइस चेंज करके खुद फोन करती थी। वह आईएफएस अधिकारी के पीए अनिल शर्मा बनकर पुलिस अफसरों से बात करती थी, तथा पुलिस अफसरों पर प्रभाव डाल कर एस्कॉर्ट हासिल करती थी।

वैभव कृष्ण ने बताया कि उक्त महिला ने यूनाइटेड नेशन ऑर्गेनाइजेशन सिक्योरिटी काउंसिल के नाम से एक फर्जी ई-मेल आईडी बना रखी है। जिसके माध्यम से यह विभिन्न जनपदों के पुलिस कप्तानों को मेल करती है, तथा उसके आधार पर एस्कॉर्ट प्राप्त किया जाता है।

एसएसपी ने बताया कि मेरठ में प्रधानमंत्री के कार्यक्रम के दौरान महिला का वहां उपस्थित होना तथा भारत की गोपनीय सूचना विदेश मैं उपलब्ध कराने का अभी तक कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिला है। गिरफ्तार पति पत्नी से गहनता से पूछताछ की जा रही है।

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4 साल बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने लिखा ब्लाग और असहमति को राष्ट्र विरोधी नहीं माना attacknews.in

नयी दिल्ली, चार अप्रैल । भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने लम्बे समय बाद अपनी चुप्पी तोड़ते हुए गुरूवार को कहा कि उनकी पार्टी ने राजनीतिक रूप से असहमत होने वाले को कभी ‘‘राष्ट्र विरोधी’’ नहीं माना है ।

सरकार का विरोध करने वाले राजनीतिक स्वरों को ‘राष्ट्र विरोधी’ करार देने के चलन को लेकर छिड़ी बहस के बीच भाजपा के इस वरिष्ठ नेता की यह टिप्पणी काफी महत्व रखती है। ‘नेशन फर्स्ट, पार्टी नेक्स्ट, सेल्फ लास्ट (राष्ट्र प्रथम, फिर पार्टी, स्वयं अंत में)’’ शीर्षक से अपने ब्लाग में आडवाणी ने कहा, ‘‘ भारतीय लोकतंत्र का सार विविधता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिये सम्मान है । अपनी स्थापना के समय से ही भाजपा ने राजनीतिक रूप से असहमत होने वालों को कभी ‘दुश्मन’ नहीं माना बल्कि प्रतिद्वन्द्वी ही माना । ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ इसी प्रकार से राष्ट्रवाद की हमारी धारणा में हमने राजनीतिक रूप से असहमत होने वालों को ‘राष्ट्र विरोधी’ नहीं माना । पार्टी :भाजपा: व्यक्तिगत एवं राजनीतिक स्तर पर प्रत्येक नागरिक की पसंद की स्वतंत्रता को प्रतिबद्ध रही है । ’’

आडवाणी ने अपना यह ब्लाग ऐसे समय में लिखा है जब छह अप्रैल को भाजपा का स्थापना दिवस मनाया जायेगा और 11 अप्रैल से लोकसभा चुनाव के पहले चरण के लिये मतदान होना है ।

लालकृष्ण आडवाणी को इस बार लोकसभा चुनाव में पार्टी ने टिकट नहीं दिया है और उनकी पारंपरिक गांधीनगर सीट से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह चुनाव लड़ रहे हैं ।

आडवाणी ने 1991 से छह बार लोकसभा में निर्वाचित करने के लिये गांधीनगर के मतदाताओं के प्रति आभार प्रकट किया ।

वरिष्ठ भाजपा नेता ने कहा कि पार्टी के भीतर और वृहद राष्ट्रीय परिदृश्य में लोकतंत्र एवं लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा भाजपा की विशिष्टता रही है । इसलिये भाजपा हमेशा मीडिया समेत सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता, निष्पक्षता और उनकी मजबूती को बनाये रखने की मांग में सबसे आगे रही है।

पूर्व उपप्रधानमंत्री ने कहा कि राजनीतिक एवं चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता सहित चुनाव सुधार भ्रष्टाचार मुक्त राजनीति के लिये उनकी पार्टी की एक अन्य प्राथमिकता रही है ।

उन्होंने कहा, ‘‘ संक्षेप में पार्टी के भीतर और बाहर सत्य, निष्ठा और लोकतंत्र के तीन स्तम्भ संघर्ष से मेरी पार्टी के उद्भव के मार्गदर्शक रहे हैं । इन मूल्यों का सार सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और सुराज में निहित है जिस पर मेरी पार्टी अडिग रही है । ’’

आडवाणी ने कहा कि आपातकाल के खिलाफ अभूतपूर्व संघर्ष इन मूल्यों का प्रतीक रहे हैं ।

उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा है कि सभ समग्र रूप से भारत के लोकतांत्रिक ढांचे को मजबूती प्रदान करें ।

आडवाणी ने 2015 के बाद पहली बार अपने ब्लाग पर कोई पोस्ट डाली है।

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भगौड़े नीरव मोदी की कंपनियों के खिलाफ जांच रिपोर्ट के लिए समय मांगा attacknews.in

मुंबई, चार अप्रैल । कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने गीतांजलि जेम्स और नीरव मोदी की कंपनियों के खिलाफ मौजूदा समय में जारी जांच पर प्रगति रिपोर्ट देने के लिए राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) से और समय मांगा है।

ये कंपनियां 14,000 करोड़ रुपये के पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले में शामिल हैं और फिलहाल केंद्रीय विधि प्रवर्तन एजेंसियों की जांच के घेरे में हैं।

मंत्रालय ने प्रवर्तन निदेशालय और गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय (एसएफआईओ) द्वारा देश के सबसे बड़े वित्तीय घोटाले की जांच पर प्रगति रिपोर्ट देने के लिए और समय मांगा है।

एनसीएलटी की वी पी सिंह और रविकुमार दुरईसामी की दो सदस्यीय पीठ ने इसके लिए और समय देते हुए सुनवाई की अगली तारीख 25 अप्रैल तय की है।

गीतांजलि जेम्स के मेहुल चोकसी और उसका भांजा हीरा कारोबारी नीरव मोदी फरार हैं और अब उनके भारत प्रत्यर्पण का प्रयास चल रहा है।

इससे पहले मंत्रालय ने मोदी, उसकी पत्नी एमी, भाई निशाल और मामा चोकसी की दुनियाभर में संपत्तियों को कुर्क करने के लिए न्यायाधिकरण से हस्तक्षेप को कहा था। मोदी और चोकसी तथा उनके परिवार के लोगों के पास करीब 114 कंपनियों का स्वामित्व या नियंत्रण है।

मंत्रालय के संयुक्त विधि निदेशक संजय शोरे ने इससे पहले अपनी दलील रखते हुए कहा कि इस मामले में जितना दिख रहा है उससे अधिक लोगों का हाथ हो सकता है।

उन्होंने कहा कि एसएफआईओ इस मामले की जांच करेगा और इसके लिए वह इन चारों लोगों तथा उनकी कंपनियों की संपत्तियां कुर्क करना चाहता है।

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रिजर्व बैंक ने रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती की, बैंको से मकान, वाहन और व्यक्तिगत ॠण सस्ते हुए attacknews.in

मुंबई, चार अप्रैल । आम चुनाव के लिये मतदान शुरू होने से एक सप्ताह पहले रिजर्व बैंक ने अर्थव्यवस्था को और गति देने के लिये अपनी मुख्य नीतिगत दर ‘रेपो’ में 0.25 प्रतिशत कटौती कर दी। गत दो माह में यह लगातार दूसरा मौका है जब रेपो दर कम की गई है। रेपो दर घटने से बैंकों की लागत कम होगी और इसके परिणामस्वरूप वह अपने ग्राहकों को वाहन, मकान और व्यक्तिगत जरूरतों के लिये सस्ती दर पर कर्ज उपलब्ध करा सकेंगे।

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अध्यक्षता वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने तीन दिन चली बैठक के अंत में बृहस्पतिवार को रेपो दर को तुरंत प्रभाव से 6.25 प्रतिशत से घटाकर 6 प्रतिशत कर दिया। इसके साथ ही बैंकों के लिये रिवर्स रेपो दर भी इसी अनुपात में घटकर 5.75 प्रतिशत रह गई। सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) अथवा बैंक दर भी 0.25 प्रतिशत घटकर 6.25 प्रतिशत रह गई।

रेपो दर वह दर होती है जिसपर वाणिज्यक बैंक अपनी फौरी जरूरतों के लिये रिजर्व बैंक से नकदी उठाते हैं जबकि रिवर्स रेपो दर पर रिजर्व बैंक बैंकिंग तंत्र से नकदी समेटता है। सीमांत स्थायी सुविधा के तहत बैंक अपनी एक-दो दिन की जरूरत के लिये मंजूरी प्राप्त सरकारी प्रतिभूतियों के एवज में रिजर्व बैंक से नकदी प्राप्त करते हैं। इसकी दर रेपो से ऊंची होती है।

मौद्रिक नीति समिति के छह सदस्यों में से चार ने रेपो दर में कटौती का समर्थन किया जबकि रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य और सदस्य चेतन घाटे ने यथास्थिति बनाये रखने के पक्ष में अपना मत दिया। इसी प्रकार छह में से पांच सदस्यों ने मौद्रिक नीति का रुख तटस्थ बनाये रखने पर सहमति जताई जबकि एक सदस्य रविन्द्र ढोलकिया ने इसे नरम रखने के पख में अपनी राय दी।

अप्रैल से शुरू हुये नये वित्त वर्ष 2019- 20 की यह पहली मौद्रिक नीति समीक्षा है। इससे पहले फरवरी में हुई मौद्रिक नीति समीक्षा में भी रेपो दर में इतनी ही कटौती की गई थी। ठीक एक साल पहले अप्रैल 2018 में भी रेपो दर छह प्रतिशत पर थी। उसके बाद यह लगातार बढ़ती चली गई।

रिजर्व बैंक हर दो महीने में मौद्रिक नीति की समीक्षा करता है। यह समीक्षा आम चुनाव के लिये मतदान शुरू होने से एक सप्ताह पहले हुई है। लोकसभा चुनावों के लिये पहले चरण का मतदान 11 अप्रैल को होगा।

रिजर्व बैंक ने समीक्षा में कहा है कि घरेलू अर्थव्यवस्था के समक्ष चुनौतियां बरकरार हैं। खासकर वैश्विक स्तर पर आर्थिक मोर्चे पर अनिश्चितता बनी हुई है। यही वजह है कि केन्द्रीय बैंक ने नये वित्त वर्ष 2019- 20 के लिये आर्थिक वृद्धि का अनुमान पहले के 7.4 प्रतिशत से घटाकर 7.2 प्रतिशत कर दिया। इससे पहले पिछले वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि का आंकड़ा कम होकर 6.6 प्रतिशत पर पहुंच गया था। वर्ष 2018- 19 के लिये केन्द्रीय साख्यिकी कार्यालय ने अपने दूसरे अग्रिम अनुमान में आर्थिक वृद्धि 7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।

मौद्रिक नीति की समीक्षा की घोषणा के बाद शेयर बाजार में असमंजस की स्थिति देखी गई। बैंकों के शेयरों में मिला जुला रुख रहा। आमतौर पर रेपो दर में कटौती से बैंक शेयरों में उछाल आता है लेकिन बृहस्पतिवार को शेयर बाजार की प्रतिक्रिया इसके उलट रही और बीएसई का संवेदी सूचकांक 192.40 घटकर 38,684.72 अंक रह गया। निफ्टी में भी गिरावट रही।

वाणिज्य एवं उद्योग मंडलों ने हालांकि, रेपो दर में कटौती का स्वागत किया और इसे आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने वाला बताया। उद्योगों ने हालांकि यह भी कहा कि मुद्रास्फीति के निम्न स्तर को देखते हुये उन्हें और ज्यादा कटौती की उम्मीद थी।

रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने समीक्षा की घोषणा करने के बाद संवाददाताओं को संबोधित करते हुये कहा कि जनवरी, फरवरी में निर्यात वृद्धि की रफ्तार धीमी रही है जबकि गैर-तेल और सोने का आयात भी घटा है।

समीक्षा में कहा गया है, ‘‘अर्थव्यवस्था में निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ाने की आवश्यकता है। इससे घरेलू वृद्धि को मजबूत बनाया जा सकेगा। एमपीसी ने इस बात पर गौर किया है कि उत्पादन का फासला नकारात्मक बना हुआ है और खासतौर से वैश्विक मोर्चे पर घरेलू अर्थव्यवस्था अड़चनों का सामना कर रही है।

एमपीसी ने रेपो दर में कटौती का फैसला करने से पहले मुद्रास्फीति पर भी गौर किया। चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से सितंबर के बीच खुदरा मुद्रास्फीति के 2.9 से 3 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान लगाया है जबकि इससे पहले फरवरी की समीक्षा में इसके 3.2 से 3.4 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान लगाया गया था।

फरवरी 2019 में खुदर मुद्रास्फीति 2.57 प्रतिशत पर रही है और अगले साल जनवरी- मार्च अवधि में इसके 3.5 से 3.8 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान लगाया गया है। रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति को चार प्रतिशत के दायरे में दो प्रतिशत ऊपर, नीचे की सीमा में रखने का लक्ष्य रखा हुआ है। हालांकि, केन्द्रीय बैंक ने चेतावनी देते हुये कहा है कि यदि खाद्य पदार्थों और ईंधन के दाम अचानक बढ़ते हैं और राजकोषीय घाटा बढ़ता है तो मूल्यों पर दबाव बढ़ सकता है।

रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि वह अर्थतंत्र में नकदी की स्थिति को बेहतर बनाये रखने पर बराबर ध्यान रखेंगे और इसके लिये सभी उपलब्ध उपायों का इसतेमाल किया जायेगा। इसमें खुले बाजार में बॉंउ खरीदने से लेकर मुद्रा विनिमय उपायों का भी इस्तेमाल में लाया जायेगा।

मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक 3- 6 जून को होगी।

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राहुल गांधी का वायनाड की पाप नाशिनी नदी से बहुत ही भावनात्मक संबंध है, चुनावी जनसम्पर्क में यहाँ फिर जाएंगे attacknews.in

वायनाड(केरल), चार अप्रैल । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का केरल के वायनाड से एक भावनात्मक संबंध भी है। वह उत्तर प्रदेश की अमेठी लोकसभा सीट के साथ इस संसदीय सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं। पार्टी नेताओं ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्नीथला ने एक घटना को याद करते हुये बताया, ‘‘1991 में उनके पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का अस्थि कलश यहां लाया गया था। उनकी अस्थियां यहां के थिरूनेली गांव में भगवान महाविष्णु को समर्पित एक मंदिर तक जाने वाली नदी पापनाशिनी में विसर्जित की गईं थीं।’’

चेन्नीथला ने  कहा, ‘‘तत्कालीन मुख्यमंत्री के. करूणाकरन, मैं स्वयं, मुल्लापल्ली रामचंद्रन और केसी वेणुगोपाल राजीव जी की पापनाशिनी नदी में अस्थि विसर्जन समय उपस्थित थे।

राजीव गांधी की 21 मई 1991 में, तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में हुये बम धमाके में मौत हो गई थी।

कांग्रेस नेता ने संकेत दिया कि राहुल गांधी जब अगली बार यहां प्रचार के लिए आयेंगे तो वह इस धार्मिक जगह का दौरा कर सकते है।

पापनाशिनी का अर्थ है-पाप का नाश करने वाली। थिरूनेली मंदिर के पुजारियों के अनुसार, अगर पापनाशिनी में मृत व्यक्ति की अस्थियां विसर्जित की जाती हैं तो इसे गया में मिलने वाले पुण्य के समकक्ष माना जाता है।

कांग्रेस अध्यक्ष ने  नामांकन पत्र दाखिल किया:

कालपेट्टा (केरल), से रिपोर्ट है कि, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को वायनाड लोकसभा सीट से नामांकन दाखिल किया।

गांधी यहां अपनी बहन प्रियंका गांधी, के सी वेणुगोपाल तथा मुकुल वासनिक सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ पहुंचे।

जिला मुख्यालय में उन्होंने जिला कलेक्टर ए आर अजयकुमार को दस्तावेज सौंपें।

कांग्रेस प्रमुख की हाई प्रोफाइल यात्रा के मद्देनजर कलक्ट्रेट कार्यालय के आसपास कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गई थी।

इससे पहले गांधी, प्रियंका और अन्य नेता यहां एक विशेष हेलीकॉप्टर के जरिए पहुंचे थे, जिसे नजदीक एक स्कूल के ग्राउंड मे उतारा गया था।

चिलचिलाती गर्मी के बीच, यहां महिलाओं और युवाओं सहित पार्टी के हजारों कार्यकर्ताओं ने पार्टी के झंडे लहराए और नारे लगाए।

नामांकन दाखिल करने के बाद राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी के साथ एक खुले वाहन में रोडशो  किया।

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कांग्रेस ने मध्यप्रदेश से कमलनाथ और बेटे नकुलनाथ को छिंदवाड़ा से प्रत्याशी घोषित किया, अब तक 12 प्रत्याशियों सहित 21 की घोषणा, 8 सीटों पर पत्ते नहीं खोले attacknews.in

भोपाल, 04 अप्रैल । लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के मध्यप्रदेश के प्रत्याशियों की बहुप्रतीक्षित सूची में आज मुख्यमंत्री कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ को श्री कमलनाथ की परंपरागत सीट छिंदवाड़ा से प्रत्याशी बनाया गया है, वहीं कमलनाथ को उप चुनाव के लिए छिंदवाड़ा सीट के लिए विधानसभा प्रत्याशी घोषित किया हैं ।

कांग्रेस की ओर से आज जारी सूची में नकुलनाथ को छिंदवाड़ा की कमान सौंपी गई है। वहीं जबलपुर से राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा, खंडवा से पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव, सीधी से पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह और सागर से प्रभु सिंह ठाकुर को प्रत्याशी बनाया गया है।

कांग्रेस ने देवास से भजन गायक और पद्मश्री पुरस्कार प्राप्त प्रहलाद टिपानिया पर दांव खेला है। दमोह से प्रताप सिंह लोधी, सतना से राजाराम त्रिपाठी, रीवा से सिद्धार्थ तिवारी, मंडला से कमल मरावी, उज्जैन से बाबूलाल मालवीय और खरगोन से डॉ गोविंद मुजाल्दा को अपना अधिकृत प्रत्याशी बनाया है।

कांग्रेस की आज जारी सूची में 12 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित किए हैं। इसके पहले कांग्रेस ने नौ सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित किए थे।

हालांकि प्रदेश की हाईप्रोफाइल सीट इंदौर, विदिशा, ग्वालियर और गुना-शिवपुरी समेत आठ संसदीय क्षेत्रों पर कांग्रेस ने अब तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। इन्हीं सब सीटों पर अब तक भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों के नाम भी सामने नहीं आए हैं

कमलनाथ छिंदवाड़ा से विधानसभा चुनाव लडेंगे:

कांग्रेस ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ को छिंदवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उपचुनाव के लिए प्रत्याशी घोषित किया है।

कांग्रेस के चुनाव प्रभारी मुकुल वासनिक में गुरुवार को बताया कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी ने श्री कमलनाथ के नाम को मंजूरी दी है। इस सीट से पिछला विधानसभा चुनाव कांग्रेस के ही दीपक सक्सेना ने जीता था।

गौरतलब है कि छिंदवाड़ा लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद कमलनाथ ने पिछले वर्ष दिसम्बर में राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। छिंदवाड़ा लोकसभा सीट के लिए चौथे चरण में 29 अप्रैल को मतदान होना है और उसी दिन इस विधानसभा सीट के लिए उपचुनाव भी होंगे।

मध्यप्रदेश की कई सीटों पर पेंच फंसा

मध्यप्रदेश में पहले चरण की लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद भी कई सीटें ऐसी हैं, जिन पर दोनों प्रमुख राजनीतिक दल अब तक अपने प्रत्याशी नहीं चुन पाए हैं।

मध्यप्रदेश की इंदौर, विदिशा, गुना-शिवपुरी और ग्वालियर सीटें ऐसी हैं, जहां अब तक दोनों ही दल कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी अब तक अपने प्रत्याशियों पर मुहर नहीं लगा पाए हैं।

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उतराखण्ड की पहाड़ी महिलाओं की लोकसभा चुनाव में राजनीतिक दलों के खिलाफ नाराजगी चुनावी समीकरण बिगाड़ सकती हैं attacknews.in

देहरादून, 4 अप्रैल । उत्तराखण्ड में इस चुनाव में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए सियासी दलों की उन पर विशेष नजर है लेकिन उनसे जुड़े राजनीतिक दलों के एजेंडे से नदारद नजर आ रहे है।

राज्य में चुनाव प्रचार के लिए अब दो हफ्ते ही बचे हैं और राजनीतिक दल पूरे जोर-शोर के साथ पार्टी का प्रचार करने में लगे हैं लेकिन उनके एजेंडे में महिलाओं की समस्याओं से जुड़े मुद्दे नहीं होने से पहाड़ की महिलाओं में बेहद नाराजगी है।

उत्तराखंड की रीढ़ आज भी महिलाएं ही हैं। वे यहां खेत से लेकर सर्विस सेक्टर तक में काम कर रही हैं। चुनावाें के समय राजनीतिक दलों ने पहाड़ में महिलाओं की जिंदगी को आसान और बेहतर बनाने के लिए वादे तो खूब किये गये पर जमीन पर काम नहीं हुआ ।

चमोली की महिलाओं का कहना है कि चुनाव के वक्त राजनेता जो वायदे करते हैं सत्ता मिलने पर अगर उन पर काम होता तो महिलाओं की न सिर्फ स्थिति में सुधार होता बल्कि यहां से पलायन भी रुकता। अंजू और कमला ने कहा कि पहाड़ की महिलाओं के लिए रोजगार का इंतजाम किया जाना चाहिए ताकि जरूरतें यहीं पूरी हो सकें और पलायन न करना पड़े। पहली बार वोट करने वाली अनु और मधु को पहाड़ों में स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करना सबसे जरूरी लगता है। अपने मताधिकार के प्रति जागरूक युवा मतदाता कहती हैं कि वोट उसी को देंगीं जो रोजगार के साथ ही उत्तराखंड की महिलाओं के लिए स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाएगा।

उत्तराखण्ड की आधी आबादी मतदान महापर्व में पूरे उत्साह के भागीदारी करती आयी है जिसकी वजह से महिलाओं को वोट प्रतिशत किसी भी प्रत्यााशी को संसद की दहलीज पर ले जाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका रखता है । यहां के पुरूषों के सेना और अर्द्ध सुरक्षा बलों में होने के साथ रोजगार कर तलाश में प्रदेश से बाहर रहने पर कई इलाकों में महिला ही निर्णायक भमिका में दिखाई देती है । उत्तराखण्ड गठन के बाद हुए विधानसभा और लोकसभा चुनावों के आंकडों पर गौेर किया जाए तो महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरषों के अपेक्षा ज्यादा नजर आता है ।

इस बार भी महिलाओं का वोट निर्णायक होने के कारण लिए सियासी दलों को 36,45,047 महिला मतदाताओं को फोकस करना हेागा । राज्य में 2002 के पहले विधानसभा चुनाव में 52.64 महिलाओं ने मतदान किया था जबकि 2017 में उनका मतदान प्रत्शित बढ़ कर 69.30 फीसदी हो गया । इसी प्रकार 2004 के लोकसभा चुनाव में लगभग 45 प्रतिशत महिलाओं ने ही अपने मताघिकार का प्रयोग किया जो 2014 में बढ़कर 63.05 फीसदी पहुच गया । कांग्रेस जहां महिलाओं के लिए कई योजनायें लागू करने का दावा कर रही है वहीं भाजपा उज्जवला येाजना के माध्यम से महिलाओं के वोट जुटाने की कोई कसर नहीं छोड़ रही है ।

उत्तराखण्ड की पांच संसदीय सीटों पर महिला मतदाताओं की कुल 36,45,047 जबकि पुरूष मतदाता 40,71,849 है। टिहरी जिले में महिला मतदाता की संख्या 691899 तथा पुरूष मतदाताओं की संख्या 773527 है। पौड़ी जिले में महिला मतदाता की संख्या 638311 तथा पुरूष मतदाता 698981 है। इसी प्रकार अल्मोड़ा जिले में महिला मतदाता की संख्या 635996 तथा पुरूषो की संख्या 685655 है। नैनीताल जिले में महिला मतदाता की संख्या 841601 तथा पुरूषों की संख्या 947110 है। हरिद्वार जिले में महिला मतदाता की संख्या 837240 तथा पुरूषों की संख्या 966576 है।

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अगस्ता वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर खरीदी घोटाले में कमलनाथ के भांजे हिंदुस्तान लिमिटेड के अध्यक्ष रतुल पुरी से पूछताछ attacknews.in

नयी दिल्ली, चार अप्रैल । मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी अगस्तावेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर धनशोधन मामले में बृहस्पतिवार को प्रवर्तन निदेशालय के समक्ष पेश हुए।

अधिकारियों ने बताया कि पुरी मामले के जांच अधिकारी से पूर्वाह्न करीब 11 बजे मिले।

ऐसा माना जा रहा है कि पुरी का बयान धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमएलए) के तहत दर्ज किया जाएगा।

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को दिल्ली की एक अदालत को जानकारी दी थी कि उसने अगस्तावेस्टलैंड वीवीआईपी हेलीकॉप्टर धनशोधन मामले में पुरी को पूछताछ के लिए बुलाया है।

पुरी हिंदुस्तान पॉवर प्रोजेक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के अध्यक्ष हैं। पुरी की मां नीता कमलनाथ की बहन हैं।

ईडी ने बताया था कि पुरी को इस मामले के कथित बिचौलिये सुशेन मोहन गुप्ता का सामना कराने के लिए तलब किया गया है।

अदालत ने गुप्ता की हिरासत में पूछताछ की अवधि बुधवार को तीन दिन बढ़ा दी थी।

गुप्ता की हिरासत अवधि बढ़ाने की मांग करते हुए ईडी ने अदालत से कहा था कि उसका इस मामले में पुरी सहित विभिन्न लोगों से आमना-सामना कराया जाना है। यह मामला अब रद्द हो चुके 3,600 करोड़ रुपये के हेलीकॉप्टर सौदे से जुड़ा है।

बुधवार को जांच में शामिल होने के लिए तलब किये गये पुरी ने इस मामले में किसी तरह की संलिप्तता से इंकार किया है।

उनकी कंपनी ने अपने बयान में कहा था, ‘‘वह ईडी के साथ जांच में पूरी तरह से सहयोग करेंगे और जरूरत पड़ने पर कोई भी स्पष्टीकरण या जानकारी देंगे।

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पाकिस्तान कंगाल होने वाला है, वित्त मंत्री ने देश के दिवालिया होने की बात स्वीकारी attacknews.in

इस्लामाबाद 04 अप्रैल । पाकिस्तानी वित्त मंत्री असद अमर ने कहा है कि पाकिस्तान का मूल्य रिण इतनी खतरनाक ऊंचाई पर पहुंच चुका है कि देश दिवालिया होने के कगार के निकट आ गया है।

सोशल मीडिया के साथ देश की अर्थव्यवस्था के संबंध में सवाल जवाब के विशेष सत्र में श्री उमर ने बुधवार को कहा,“ आप इतने भारी रिण के बोझ के साथ अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के पास जा रहे हैं। हमें भारी अंतर को पाटना है।”

उन्होंने कहा,“अगर पीएमएलएन समय के नंबर को देखें तो मंहगाई दहाई अंक में थी, हम शुक्रगुजार हैं कि अभी यह उस स्तर को नहीं छू पाई है।”

जियो न्यूज के मुताबिक वित्त मंत्री ने कहा कि पूर्व की भांति मंहगाई अभी दहाई अंक नहीं छू पाई है।

उन्होंने कहा,“पहले देखें तो मंहगाई ने समाज के हर तबके को समान रूप से प्रभावित किया। यह सही है कि मंहगाई ने गरीबों पर अधिक असर डाला, हमारे शासन में यह स्थिति भिन्न है, उच्च आय वर्ग की तुलना में गरीब पर महंगाई का अपेक्षाकृत कम प्रभाव हुआ है।”

श्री उमर ने माना अर्थव्यवस्था में मंदी है जिसके परिणामस्वरूप रोजगार की दर धीमी है।

उन्होंने कहा,“आप कह रहे हैं मेरी सारी नीतियां इशाक डार की तरह ही हैं, इशाक डार का कहना है कि मैंनें अर्थव्यवस्था को चौपट कर डाला। उनके कार्यकाल के दौरान पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार निर्यात नहीं बढ़ा। डालर मजबूत हुआ पहले की आर्थिक नीतियों की वजह से और इस कारण एक देश के नाते हमें इतना अधिक नुकसान हुआ। यह मांग और आपूर्ति का मूल्य है।”

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को संयुक्त अरब अमीरात द्वारा देश का सर्वोच्च सम्मान `जायद ʼ देने की घोषणा attacknews.in

अबु धाबी, 04 अप्रैल । संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को राष्ट्र प्रमुखों, राजाओं तथा राष्ट्रपतियों को दिये जाने वाले देश के सर्वाेच्च सम्मान ‘जायद’ मेडल से सम्मानित करने का एलान किया है।

यूएई के शहजादे और देश की सशस्त्र बलों के उप प्रमुख शेख मोहम्मद बिन जायद अल नाहयन ने ट्वीट कर यह जानकारी दी है। उन्होंने लिखा कि श्री मोदी ने द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ करते हुए इन्हें रणनीतिक स्तर पर व्यापक स्वरूप देने में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने कहा,“हम अपने प्रिय मित्र श्री नरेंद्र मोदी को यह सम्मान देकर दोस्ताना संबंधों को नयी ऊंचाई पर ले जाने तथा विभिन्न क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच संबंधों काे प्रगाढ़ करने में उनकी अहम भूमिका एवं प्रयासों की सराहना करते हैं।”

उन्होंने कहा,“भारत के साथ हमारे ऐतिहासिक और व्यापक रणनीतिक रिश्ते हैं, जो मेरे प्रिय मित्र, प्रधानमंत्री मोदी की महत्वपूर्ण भूमिका से इन संबंधों को और बढ़ावा मिला।” शहजादे ने श्री मोदी के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि उनके दोनों देशों के बीच संबंधों को प्रगाढ़ करने के अथक प्रयासों को देखते हुए राष्ट्रपति ने उन्हें जायद पदक प्रदान करने का फैसला किया है।

मोहम्मद बिन जायद ने बताया कि भारत के साथ यूएई के ऐतिहासिक रिश्ते को नए सिरे से साझा और भविष्य में इसे और मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है। उन्होंने उन मूल्यों की प्रशंसा की जो भारतीय समाज की विविधता में, विशेष रूप से सहिष्णुता और सम्मान की विशेषता रखते हैं।

शेख मोहम्मद ने यूएई और भारत के बीच मजबूत दोस्ती और सहयोग पर गर्व व्यक्त करते हुए देश और इसके लोगों की प्रगति, समृद्धि, सुरक्षा और स्थिरता जारी रहने की कामना की।

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आजमगढ़ से भाजपा प्रत्याशी भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ़ निरहुआ कभी अखिलेश यादव से मिलने का समय मांगा करते थे और सपा का स्टार प्रचारक भी बनना चाहते थे attacknews.in

लखनऊ 3 अप्रैल ।समाजवादी पार्टी (सपा) अध्‍यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ आजमगढ़ (यूपी) से चुनाव लड़ने वाले भोजपुरी फिल्‍मों के सुपर स्‍टार और बीजेपी नेता दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ ने कहा है कि अखिलेश मेरे बड़े भाई हैं. यहां ‘यादव’ का कोई सवाल नहीं है. लोग आपको केवल एक यादव के रूप में नहीं चुनते हैं. यदि आप यादव के मुद्दे पर चुनाव लड़ते हैं, तो आप बुरी तरह हार जाएंगे,आज देश अन्य मुद्दों के बारे में सोच रहा है।

‘निरहुआ’ ने कहा कि हर ‘यादव’ ‘अखिलेश भक्त’ नहीं हैं. हमारे अपने विचार हैं. हम जानते हैं कि राष्ट्र के हित में क्या है. हमें जातिगत राजनीति से ऊपर उठना होगा।

राजनीति में कब किसके सितारे बुलंद हो जाए। इसका अनुमान लगाना बेहद मुश्किल होता है।कुछ यूं ही दिनेश लाल यादव उर्फ़ निरहुआ  के साथ हुआ जब भोजपुरी कलाकार दिनेश लाल यादव को बीजेपी ने पूर्वी यूपी की आज़मगढ़ लोकसभा सीट से प्रत्याशी घोषित किया क्योंकि इसी सीट से अखिलेश यादव भी लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।

बताते चलें कि बीजेपी ने बुधवार को यूपी की पांच सीटों से प्रत्याशियों के नामों का ऐलान किया ।इसी के साथ अब तक भाजपा  66 प्रत्याशियों के नामों का ऐलान कर दिया । बुधवार को जिन सीटों से प्रत्याशियों का ऐलान हुआ है उसमें मैनपुरी से प्रेम सिंह शाक्य, आजमगढ़ से दिनेश लाल यादव उर्फ़ निरहुआ, मछलीशहर से वीपी सरोज, फिरोजाबाद से चंद्रसेन जादौन और रायबरेली से दिनेश प्रताप सिंह को टिकट दिया गया ।

इस लिस्ट में सबसे दिलचस्प नाम आजमगढ़ सीट से भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ का है. अभी मंगलवार को ही सरकार ने निरहुआ को वाई श्रेणी की सुरक्षा मुहैया करवाई है. निरहुआ के चुनाव लड़ने की चर्चा उसी वक्त शुरू हो गई थी जब वे एक्टर रवि किशन के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ से मिलने पहुंचे थे।मुलाकात के बाद उन्होंने कहा था कि वे बीजेपी ज्वाइन कर रहे हैं और पार्टी जहां से कहेगी वहां से चुनाव लड़ेंगे।

भोजपुरी स्टार दिनेश लाल यादव एक ज़माने में समाजवादी पार्टी के नेताओं के बेहद करीबी माने जाते थे। निरहुआ सपा के लिए चुनाव प्रचार भी कर चुके हैं।निरहुआ सपा नेता सुभाष पाषी के बेहद अजीज़ दोस्त माने जाते हैं।

यूपी की सियासत से जुड़े कई महत्वपूर्ण लोगों ने बताया कि यही निरहुआ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने का जुगाड़ लगाया करते थे। बीजेपी में शामिल होने से कुछ महीनों पहले भी निरहुआ सपा नेता सुभाष पासी के माध्यम से अखिलेश से मिलने का समय मांग रहे थे. यही नहीं एक वक्त ऐसा भी था जब निरहुआ सपा का स्टाक प्रचारक भी बनना चाह रहे थे।

अब वक्त का पहिया कुछ यूं घूमा कि दिनेश लाल यादव उसी नेता के ख़िलाफ़ चुनावी मैदान में उतर रहे हैं, जिनसे मिलने का समय मांगा करते थे, हालांकि निरहुआ के लिए आज़मगढ़ सीट से चुनाव लड़ना बेहद चुनौती भरा होगा. क्योंकि ये सीट सपा की परंपरागत सीट मानी जाती है. फिलहाल आज़मगढ़ लोकसभा सीट से मुलायम सिंह यादव सांसद हैं. पूर्वांचल में आज़मगढ़ को समाजवादियों का गढ़ भी कहा जाता है।

निरहुआ के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती बीजेपी के स्थानीय नेता होंगे. पिछली बार रमाकांत यादव आज़मगढ़ से लोकसभा का चुनाव लड़े थे और हार गए थे. रमाकांत का आज़मगढ़ में अच्छा दबदबा है. इस बार भी रमाकांत आज़मगढ़ से चुनाव लड़ना चाह रहे थे लेकिन बीजेपी ने रमाकांत को टिकट नहीं दिया, रमाकांत की नाराज़गी निरहुआ पर भारी पड़ सकती है. कांग्रेस अखिलेश यादव के ख़िलाफ़ अपना प्रत्याशी नहीं उतारेगी, इससे मुस्लिम वोटों में बंटवारा नहीं होगा।2017 के विधानसभा चुनाव में आज़मगढ़ की 10 विधानसभा सीट में से सपा- 5, बीएसपी- 4 और बीजेपी सिर्फ 1 सीट जीती थी. आज़मगढ़ लोकसभा सीट का जातीय समीकरण देखें तो यह सीट यादव-मुस्लिम बाहुल्य मानी जाती है.

आज़मगढ़ का जातीय समीकरण:

यादव- 3.5 लाख
मुस्लिम- 3 लाख
दलित- 2.5 लाख
ठाकुर- 1.5 लाख
ब्राह्मण- 1 लाख
राजभर- 1 लाख
विश्वकर्मा- 70 हज़ार
भूमिहार- 50 हज़ार
निषाद- 50 हज़ार
चौहान- 75 हज़ार
वैश्य- 1 लाख
प्रजापति- 60 हज़ार
पटेल- 60 हज़ार

अगर आज़मगढ़ के इस जातीय समीकरण का विश्लेषण करें तो यादव, मुस्लिम, दलित, विश्वकर्मा, चौहान और प्रजापति सपा का वोट माना जाता है और ठाकुर, ब्राह्मण, भूमिहार, निषाद, वैश्य, पटेल बीजेपी के परंपरागत वोटर माने जाते हैं।

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वेगूसराय सीट से कम्युनिस्ट प्रत्याशी और छात्र नेता कन्हैया कुमार के रोड़ शो में जमकर मारपीट और हाथापाई attacknews.in

बेगूसराय तीन अप्रैल । बिहार के बेगूसराय जिले में बुधवार को जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष और भाकपा के उम्मीदवार कन्हैया कुमार के रोड शो का विरोध किए जाने के साथ उन्हें काले झंडे भी दिखाए गए।

बेगूसराय के कपसिया चौक से निकलकर लोहियानगर पहुंचने पर कन्हैया के रोड शो का विरोध किए जाने के साथ उन्हें काले झंडे दिखाए गए। विरोध करने वालों ने कन्हैया के समर्थकों के साथ धक्का-मुक्की, मारपीट किया और अभद्र भाषा का प्रयोग करने के साथ आपत्तिजनक नारेबाजी की।

लोहियानगर पुलिस चौकी में पदस्थापित सहायक आरक्षी निरीक्षक महेश प्रसाद सिंह ने इस संबंध में इस चौकी के थाना अध्यक्ष को लिखित आवेदन दिया है जिसमें अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ता गोलू कुमार पर अपने चार-पांच अन्य कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर ऐसा आचरण करने और उनके इस आचरण को चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन बताया है।

लोहियानगर पुलिस चौकी प्रभारी राम प्रताप पासवान ने बताया कि उन्हें मिली लिखित शिकायत में एक के विरुद्ध नामजद तथा चार अन्य को आरोपी बनाया गया है। बाकी अन्य की पहचान वीडियो देखकर किए जाने का प्रयास किया जा रहा है।

कन्हैया ने इसे दुखद स्थिति बताते हुए भाजपा प्रत्याशी और पूर्व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह पर हमला कराने का आरोप लगाते हुए कहा कि पता नहीं भाजपा कैसी परिपाटी की शुरूआत करना चाहती है। लोकतंत्र में चुनाव के दौरान जिसको भी विरोध करना है वोट देकर करें। इस तरह से रास्ता रोकना… अगर यह चलन शुरू हो जाए तो अलग अलग पार्टी एक दूसरे का रास्ता रोकेंगी।

वहीं, बेगूसराय से भाजपा प्रत्याशी गिरिराज सिंह ने कन्हैया का नाम लिए बिना उनकी ओर इशारा करते हुए कहा कि यहां उनकी सीधी लडाई विकृत मानसिकता, विकृत राष्ट्रवाद की सोच, देश को तोडने वालों, आतंकवाद को गले लगाने वालों, भारत के शौर्य एवं एयर स्ट्राइक को नकारने वालों, भारत में कौन सा चाहिए सबूत वाला या सपूत वाला और बेगूसराय में विकास को रोकने वालों से है।

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