मायावती ने मुलायम सिंह यादव के समर्थन में मैनपुरी में सभा करते हुए सन् 1995 के गेस्ट हाउस कांड के दर्द का उल्लेख करते हुए कह दिया: राजनीति में ऐसे कड़वे फैसले लेने पड़ते हैं attacknews.in

मैनपुरी, 19 अप्रैल । उत्तर प्रदेश का मैनपुरी जिला शुक्रवार को भारतीय राजनीति में करीब 24 सालों तक एक दूसरे के कट्टर प्रतिद्धंदी रहे समाजवादी पार्टी (सपा) संस्थापक मुलायम सिंह यादव और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती के मंच साझा किये जाने का गवाह बना।

वर्ष 1995 में उत्तर प्रदेश की राजनीति में भूचाल लाने वाले गेस्ट हाउस कांड के बाद यह पहला मौका था जब इन दोनो नेताओं ने मंच साझा किया। इस ऐतिहासिक नजारे का गवाह बनने के लिये क्रिश्चियन ग्राउंड हजारों लोग की भीड़ से खचाखच भरा था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को केन्द्र की सत्ता से बेदखल करने के इरादे से सपा-बसपा की संयुक्त रैली में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, मायावती के भतीजे आकाश आनंद और बसपा महासचिव सतीश चन्द्र मिश्रा समेत कई दिग्गज मौजूद थे।

इस मौके पर मैनपुरी से सपा उम्मीदवार मुलायम सिंह यादव ने भरी सभा में बसपा सुप्रीमो के प्रति आभार जताया जबकि मंच पर श्री मुलायम के आते ही सुश्री मायावती ने खड़े होकर उनका अभिवादन कर एक दूरगामी संदेश दिया।

बसपा अध्यक्ष ने अपने संबोधन में गेस्ट हाउस कांड का जिक्र करते हुये कहा “ दो जून 1995 को हुए गेस्ट हाउस कांड के बाद भी लोकसभा चुनाव में गठबंधन का जवाब आप सभी चाहते होंगे। गेस्ट हाउस कांड के बाद भी सपा बसपा गठबंधन हुआ। कभी-कभी देशहित में ऐसे फैसले लेने पड़ते हैं। हम सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए एक साथ आए हैं। मैं आप लोगों से अपील करती हूं कि मुलायम सिंह यादव को वोट देे। ”

बरसों पुरानी दुश्मनी भूल कर बसपा प्रमुख मायावती और सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी में शुक्रवार को चुनावी रैली के दौरान मंच साझा किया और मायावती ने मुलायम को जिताने की अपील करते हुए उन्हें ‘‘असली नेता’’ करार दिया।

1995 में हुए बहुचर्चित गेस्टहाउस कांड के बाद सपा से रिश्ते तोड़ चुकीं मायावती आज जब रैली के लिए क्रिश्चियन कॉलेज के मैदान में पहुंचीं तो उनका जोरदार स्वागत किया गया। सपा के गढ़ मैनपुरी में मायावती का स्वागत करने वालों में बड़ी संख्या सपा कार्यकर्ताओं की थी।

मायावती ने मैनपुरी लोकसभा सीट से सपा प्रत्याशी मुलायम सिंह यादव को जिताने की अपील करते हुये कहा ‘‘इस गठबंधन के तहत मैं मैनपुरी में खुद मुलायम के समर्थन में वोट मांगने आई हूं। जनहित में कभी-कभी हमें कुछ कठिन फैसले लेने पड़ते हैं। देश के वर्तमान हालत को देखते हुए यह फैसला लिया गया है।’’

उन्होंने कहा ‘‘ आप मुझसे जानना चाहेंगे कि 2 जून 1995 के गेस्टहाउस कांड के बाद भी सपा-बसपा गठबंधन कर चुनाव क्यों लड़ रहे हैं ? इस गठबंधन के तहत मैं मैनपुरी में खुद मुलायम के समर्थन में वोट मांगने आई हूं। जनहित तथा पार्टी के मूवमेंट के लिए कभी-कभी हमें कुछ कठिन फैसले लेने पड़ते हैं। देश के वर्तमान हालत को देखते हुए यह फैसला लिया गया है। मेरी अपील है कि पिछड़ों के वास्तविक नेता मुलायम सिंह यादव को चुनकर आप संसद भेजें। उनके उत्तराधिकारी अखिलेश यादव अपनी जिम्मेदारी पूरी निष्ठा से निभा रहे हैं ।’’

मंच पर मुलायम सिंह के पहुंचने पर मायावती ने खड़े होकर उनका स्‍वागत किया।

मायावती ने कहा कि मैनपुरी के लोग मुलायम को ‘‘असली नेता’’ मानते हैं, खासकर पिछड़े वर्ग के लोग। ‘‘मुलायम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह फर्जी पिछड़े वर्ग के नहीं हैं। मुलायम सिंह असली पिछड़े वर्ग के हैं, वह मोदी की तरह फर्जी पिछड़े वर्ग के नहीं हैं।’’

इस अवसर पर सपा सरक्षंक मुलायम सिंह यादव ने कहा ‘‘बहुत दिनों के बाद हम और मायावती एक मंच पर हैं।’’

सपा को जिताने तथा कार्यकर्ताओं से मायावती का हमेशा सम्मान करने की अपील करते हुए मुलायम ने कहा ‘‘आज महिलाओं का शोषण हो रहा है। इसके लिए हमने लोकसभा में सवाल उठाया। संकल्प लिया गया कि महिलाओं का शोषण नहीं होने दिया जाएगा। आज हमारी आदरणीय मायावती जी आई हैं। हम उनका स्वागत करते हैं। मैं आपके इस अहसान को कभी नहीं भूलूंगा। मायावती जी का हमेशा बहुत सम्मान करना। समय-समय पर उन्होंने हमारा साथ दिया है।’’

इस अवसर पर सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी मौजूद थे ।

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कांग्रेस की प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी ने बताई पार्टी में उनके साथ होने वाले अत्याचार की कहानी और शिवसेना में शामिल होने की जानकारी

मुंबई, 19 अप्रैल । कांग्रेस की पूर्व प्रवक्ता प्रियंका चतुर्वेदी शुक्रवार को शिवसेना में शामिल हो गईं। उन्होंने राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस पर हाल ही में उनसे दुर्व्यवहार करने वाले कार्यकर्ताओं को फिर से पार्टी में शामिल करने का आरोप लगाया था।

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे के साथ एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए चतुर्वेदी ने कहा कि वह उनके साथ दुर्व्यवहार करने वाले पार्टी कार्यकर्ताओं को फिर से पार्टी में शामिल करने को लेकर परेशान थीं जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी।

चतुर्वेदी ने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘यह सच नहीं है कि लोकसभा टिकट ना दिए जाने के बाद मैंने कांग्रेस छोड़ी।’’

पार्टी में उनका स्वागत करते हुए ठाकरे ने कहा कि शिवसेना को चतुर्वेदी के रूप में एक ‘‘अच्छी बहन’’ मिल गई है।

चतुर्वेदी बृहस्पतिवार को सार्वजनिक रूप से पार्टी पर बरसीं और उन्होंने पार्टी पर उन लोगों के बजाय गुंडों को प्राथमिकता देने का आरोप लगाया जिन्होंने कांग्रेस के लिए खून-पसीना बहाया।

उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण एवं दुखद है कि जिन लोगों ने उन्हें धमकी दी उन्हें फटकार भी नहीं लगाई गई। तीन कार्यकर्ताओं को निलंबित करने वाली कांग्रेस ने 15 अप्रैल को उन्हें फिर से शामिल कर लिया।

शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में चतुर्वेदी का स्वागत किया। ठाकरे ने कहा कि शिवसेना कार्यकर्ताओं को चतुर्वेदी के रूप में एक ‘‘अच्छी बहन’’ मिल गई है।

इससे पहले कांग्रेस की मीडिया सेल की संयोजक रहीं चतुर्वेदी ने उत्तर प्रदेश में कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं को पार्टी में वापस लिए जाने को लेकर नाराजगी जताई थी, जिन्होंने कुछ दिन पहले मथुरा में उनके संवाददाता सम्मेलन में उनसे ‘‘दुर्व्यवहार’’ किया था और उन्हें ‘‘धमकी’’ दी थी।

उन्होंने उपनगर बांद्रा में ठाकरे के आवास ‘मातोश्री’ में कहा कि उनके खिलाफ टिप्पणी करने वाले कुछ कांग्रेस कार्यकर्ताओं को पार्टी ने फिर से शामिल कर लिया, जिससे वह दुखी थीं।

कांग्रेस का नाम लिए बगैर चतुर्वेदी ने कहा कि उन्होंने उस पार्टी को दस साल दिए जहां उन्हें लगा कि वह सोशल मीडिया पर ट्रोल होने के बावजूद महिलाओं के मुद्दों पर बोल सकती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘लगातार दुर्व्यवहार और ट्रोल होने के बावजूद मैं ‘बिंदास’ बोलते रही। मुझे दुख हुआ जब कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं ने मेरे बारे में टिप्पणियां कीं। निलंबित करने के बाद उन्हें फिर से पार्टी में शामिल कर लिया गया।’’

चतुर्वेदी ने कहा कि ‘व्यक्तिगत नुकसान’’ पर और औपचारिक रूप से राजनीति में आए बगैर 10 साल तक बोलने के बावजूद पार्टी ने उनके खिलाफ की गई टिप्पणियों को नजरअंदाज किया।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं बहुत दुखी हुई। मुझे लगा कि अगर मैं अपने आत्मसम्मान के लिए नहीं लड़ सकती तो मैं अन्य महिलाओं को निराश करूंगी। काफी सोचने और महिलाओं के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझने के बाद मैं शिवसेना में शामिल हुई।’’

उन्होंने इस बात को खारिज कर दिया कि लोकसभा चुनाव के लिए टिकट ना दिए जाने के बाद उन्होंने कांग्रेस से इस्तीफा दिया।

ठाकरे ने कहा, ‘‘पार्टियां चुनाव लड़ती रहती हैं। केवल लड़ना और जीतना ही जीवन नहीं है। पार्टी कार्यकर्ताओं का काम एक विचारधारा को स्वीकार करना और किसी उद्देश्य के लिये काम करना चाहिए।’’

यह पूछे जाने पर कि पार्टी में चतुर्वेदी को क्या पद दिया जाएगा, इस पर ठाकरे ने कहा, ‘‘मैं उन्हें उनकी क्षमताओं के अनुसार पद दूंगा और ऐसा पद दूंगा जिसमें वह शिवसेना के लिए फायदेमंद सााबित होंगी।’’

चतुर्वेदी ने कहा कि वह ना केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश में शिवसेना को मजबूत करने की ओर काम करेंगी।

यह पूछे जाने पर कि वह शिवसेना में क्यों शामिल हुई, भाजपा में क्यों नहीं, इस पर चतुर्वेदी ने कहा कि वह अपनी ‘‘कर्मभूमि’’ मुंबई से ताल्लुक रखती हैं इसलिए वह हमेशा शिवसेना से जुड़ी हुई महसूस करती हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं लोगों की सेवा करने ना कि राजनीतिक पदों के लिए पार्टी में शामिल हुई। मैं अपनी जड़ों की ओर लौटना चाहती हूं। जब मैंने वापस आने के बारे में सोचा तो मुझे इससे बेहतर कोई संगठन नहीं मिला और इससे बेहतर कोई अन्य प्लेटफॉर्म नहीं मिला

मथुरा में कार्यकर्ताओं को लिखित में माफीनामा लेकर वापस लिया गया कांग्रेस में – सिंधिया

शिवपुरी ( मध्यप्रदेश) में  कांग्रेस महासचिव एवं उत्तरप्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने आज कहा कि मथुरा में श्रीमती प्रियंका चतुर्वेदी के साथ दुर्व्यवहार के मामले में निकाले गए कार्यकर्ताओं को पार्टी प्रत्याशी की राय के आधार पर लिखित में माफीनामा लेकर वापस लिया गया है।

मध्यप्रदेश के गुना शिवपुरी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी श्री सिंधिया ने यहां पत्रकारों के सवालों के जवाब में यह जानकारी दी। पत्रकारों ने श्रीमती प्रियंका चतुर्वेदी द्वारा मथुरा मामले को लेकर पार्टी छोड़ने से जुड़े सवाल पूछे थे।

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साध्वी प्रज्ञा सिंह ने यह बात कही थी:जांच में सुरक्षा आयोग के सदस्य ने सबूत नहीं होने पर मुझे छोड़ने को कहा तो हेमंत करकरे ने नहीं छोड़ने की बात कही और मेरे साथ शुरू हो गया अत्याचार attacknews.in

भोपाल/नईदिल्ली , 19 अप्रैल । मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरोपी और भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने मुम्बई के आतंकी हमले में शहीद हुए पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे पर यातना देने का आरोप लगाया।

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के महाराष्ट्र के शहीद एवं वरिष्ठ पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे को लेकर दिए गए बयान को लेकर विवाद शुरू हो गया है।

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का इस संबंध में वीडियाे आज सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें वे महाराष्ट्र के आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के तत्कालीन प्रमुख एवं मुंबई आतंकवादी हमले में शहीद हुए अधिकारी हेमंत करकरे को लेकर बोल रही हैं।

प्रज्ञा ठाकुर एक दशक से अधिक समय पहले महाराष्ट्र के मालेगांव विस्फोट मामले में महाराष्ट्र एटीएस की हिरासत में काफी समय तक रही हैं। उस समय श्री करकरे ने भी उनसे रिमांड के दौरान पूछताछ की थी।

बुधवार को यहां भोपाल से भाजपा प्रत्याशी घोषित होने के बाद से ही वे हिरासत में उनसे हुयी पूछताछ को लेकर काफी बयान दे रही हैं। इसी कड़ी में कल देर शाम उन्होंने यहां भाजपा कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में कहा कि श्री करकरे ने पूछताछ के दौरान उन्हें काफी परेशान किया था, इसलिए उन्होंने उनसे कहा था कि ‘तेरा सर्वनाश होगा।’

यह कहा साध्वी प्रज्ञा सिंह ने:

प्रज्ञा ने बृहस्पतिवार शाम को शहर के लालघाटी क्षेत्र में भोपाल उत्तर विधानसभा क्षेत्र के भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक में मुंबई एटीएस के दिवंगत प्रमुख का नाम लेते हुए कहा, ‘‘मैं मुंबई जेल में थी उस समय। जांच जो बिठाई थी, सुरक्षा आयोग के सदस्य ने हेमंत करकरे को बुलाया और कहा कि जब सबूत नहीं है तो साध्वीजी को छोड़ दो। सबूत नहीं है तो इनको रखना गलत है, गैरकानूनी है। लेकिन उसने (करकरे) कहा कि मैं साध्वी को नहीं छोड़ूंगा।’’

साध्वी ने हिरासत के दौरान यातना देने का आरोप लगाते हुए कहा, ‘’इतनी यातनाएं दीं, इतनी गंदी गालियां दीं जो असहनीय थी, मेरे लिए और मेरे लिए नहीं, किसी के लिए भी। मैंने कहा तेरा सर्वनाश होगा। ठीक सवा महीने में सूतक लगता है। जब किसी के यहां मृत्यु होती है या जन्म होता है। जिस दिन मैं गई थी, उस दिन इसके सूतक लग गया था। ठीक सवा महीने में जिस दिन उसको आतंकवादियों ने मारा उस दिन सूतक का अंत हो गया।’’

साध्वी ने कांग्रेस नेताओं पर उनके खिलाफ साजिश रचने का आरोप लगाया।

उन्होंने कहा, ‘‘संन्यासियों को जेल के अंदर डाला गया, बेगुनाह को अंदर डाला गया, उस दिन मैंने कहा इस शासन का अंत हो जाएगा, सर्वनाश हो जाएगा और आज वह प्रत्यक्ष उदाहरण आपके सामने है।’’

वर्ष 2008 में मालेगांव बम विस्फोट मामले में प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ गैर-कानूनी गतिविधियों की रोकथाम अधिनियम (यूएपीए एक्ट) के तहत मामला अदालत में विचाराधीन है। हालांकि, इस मामले में मकोका के तहत उन्हें क्लीनचिट मिली हुई है।

भाजपा कार्यकर्ताओं के अलावा इस कार्यक्रम में भोपाल लोकसभा सीट के सांसद आलोक संजर, महापौर आलोक शर्मा, भोपाल लोकसभा सीट के भाजपा के चुनाव प्रभारी जसवंत सिंह हाड़ा, भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता दु्र्गेश केसवानी उपस्थित थे।

भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार दिग्विजय सिंह के खिलाफ भाजपा ने कट्टर हिन्दुत्व छवि की भगवाधारी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को उम्मीदवार बनाया है। इसके बाद इस लोकसभा सीट का चुनाव पूरे देश में चर्चित हो गया है।

दिग्विजय सिंह ने ऐतराज जताया:

शहीद हेमंत करकरे पर साध्वी के बयान पर ऐतराज जताते हुए भोपाल से कांग्रेस के उम्मीदवार और वरिष्ठ कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा, ‘‘हेमंत करकरे कर्त्तव्यनिष्ठ अधिकारी थे जिन्होंने देश की सुरक्षा के लिये शहादत दी और उनकी शहादत पर हमें गर्व होना चाहिये। जिसने देश के लिये शहादत दी उसके बारे में हमें विवादित टिप्पणी नहीं करना चाहिये।’’

भाजपा ने साध्वी के बयान को पार्टी का नहीं माना:

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने भोपाल से पार्टी की प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के शहीद पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे के बारे में दिये गये बयान से पल्ला झाड़ लिया है और साफतौर पर कहा है कि श्री करकरे आतंकवादियों से लड़ते हुए वीरगति से प्राप्त हुए थे और भाजपा उन्हें शहीद मानती है।

भाजपा के केन्द्रीय मुख्यालय ने शुक्रवार को एक विज्ञप्ति जारी करके यह स्पष्टीकरण दिया। विज्ञप्ति में कहा गया कि भाजपा का स्पष्ट मानना है कि स्वर्गीय श्री हेमंत करकरे आतंकवादियों से बहादुरी से लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए थे। भाजपा ने हमेशा उन्हें शहीद माना है।

कांग्रेस पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मांग की:

कांग्रेस ने भोपाल लोकसभा सीट से भाजपा उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की, मुंबई हमले में शहीद हुए पुलिस अधिकारी हेमंत करकरे के संदर्भ में की गई विवादित टिप्पणी को लेकर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से माफी की मांग की और कहा कि वह प्रज्ञा के खिलाफ कार्रवाई करें।

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रज्ञा के कथित विवादित बयान से जुड़े वीडियो शेयर करते हुए कहा, ‘‘मोदी जी, केवल भाजपाई ही 26/11 के शहीद हेमंत करकरे को देशद्रोही घोषित करने का जुर्म कर सकते हैं। यह देश के हर सैनिक का अपमान है जो आतंकवाद से लड़ते हुए भारत माँ के लिए प्राणों की क़ुर्बानी देता है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘ आप देश से माफ़ी माँगिए और प्रज्ञा पर कार्यवाही कीजिए।’’

सुरजेवाला ने जो वीडियो शेयर किया है कि उसमें प्रज्ञा यह कहती नजर आ रही हैं कि उन्होंने महाराष्ट्र में एटीएस प्रमुख रहे करकरे से कहा था कि ‘ तुम्हारा सर्वनाश होगा।’

प्रज्ञा मालेगांव विस्फोट मामले में आरोपी हैं। इस मामले की जांच करकरे के नेतृत्व में हुई थी।

गौरतलब है कि 26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से आए आतंकवादियों ने मुंबई के कई स्थानों पर स्थानों पर हमले किए थे। उसी दौरान करकरे और मुंबई पुलिस के कुछ अन्य अधिकारी शहीद हुए थे।

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साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए मालेगाँव विस्फोट मामले को जिंदा किया गया, साथ ही पढ़िये साध्वी का वह शपथ पत्र जिसमें इन्हें प्रताड़ना दी गई थी attacknews.in

मुंबई, 18 अप्रैल । मालेगांव विस्फोट में अपने बेटे को खोने वाले एक पिता ने बृहस्पतिवार को यहां विशेष एनआईए अदालत का रुख कर साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के लोकसभा चुनाव लड़ने पर रोक लगाने का अनुरोध किया।

विस्फोट की इस घटना में अपने बेटे को खोने वाले निसार सईद नाम के व्यक्ति ने अदालत में यह अर्जी दी है। दरअसल, एक दिन पहले ही बुधवार को भाजपा ने प्रज्ञा को मध्य प्रदेश की भोपाल लोकसभा सीट पर कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा है।

उत्तर महाराष्ट्र के मालेगांव शहर में यह विस्फोट सितंबर 2008 में हुआ था, जिसमें छह लोगों की मौत हो गई थी जबकि सौ से अधिक लोग घायल हो गए थे।

विशेष एनआईए मामलों के न्यायाधीश वी एस पाडलकर ने एनआईए और प्रज्ञा, दोनों से इस पर जवाब मांगा है तथा मामले को सोमवार के लिए निर्धारित कर दिया।

मृतक के पिता ने अर्जी में प्रज्ञा (फिलहाल जमानत पर रिहा) को मुंबई में अदालत की कार्यवाही में शामिल होने के लिए निर्देश देने और मामले में मुकदमे के प्रगति पर रहने को लेकर उनके चुनाव लड़ने पर रोक लगाने की मांग की है।

अर्जी में यह भी कहा गया कि प्रज्ञा स्वास्थ्य आधार पर जमानत पर हैं। यदि वह इस भीषण गर्मी में भी चुनाव लड़ने के लिए स्वस्थ हैं, तो फिर उन्होंने अदालत को गुमराह किया है।

इसमें कहा गया है कि प्रज्ञा की जमानत रद्द करने की मांग करने वाली एक याचिका उच्चतम न्यायालय में लंबित है।

उल्लेखनीय है कि मालेगांव विस्फोट मामले में महाराष्ट्र आतंकवाद रोधी दस्ता (एटीएस) ने प्रज्ञा और अन्य को गिरफ्तार किया था। उन पर आरोप है कि वे एक हिंदू चरमपंथी संगठन का हिस्सा थे, जिसने इस विस्फोट को अंजाम दिया था।

हालांकि, एनआईए ने बाद में प्रज्ञा को क्लीन चिट दे दी थी, लेकिन अदालत ने उन्हें आरोप मुक्त नहीं किया था।

अदालत ने प्रज्ञा के खिलाफ मकोका के तहत आरोप हटा दिए लेकिन वह अब भी गैर कानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून और भारतीय दंड संहिता के प्रावधानों के तहत मुकदमे का सामना कर रही हैं।

साध्वी प्रज्ञा काा परिचय

मध्यप्रदेश के एक मध्यम वर्गीय परिवार से है परिवारिक पृष्ठ भूमि के चलते वे संघ व विहिप से जुड़ी व किसी समय सन्यास ले लिया 2008 में हुए मालेगांव बमविस्फोट में उन्हें शक के आधार पर गिरफ्तार किया गया 2017 में बिना किसी सबूत उन्हें बैल दी गई उन्हें वैसे ग्वालियर का निवासी माना जाता है, उन्होंने शुरुआत की पढ़ाई में साधारण रुप से करने के बाद उच्च शिक्षा हासिल की। भोपाल में ए बी वी पी,आरएसएस से जुड़ी रही,अध्यात्म अध्ययन में झुकाव था और स्वामी अवधेशानंद से प्रभावित थी और उन्होंने सन्यास ले लिया,प्रज्ञा ठाकुर मध्य प्रदेश के चंबल इलाके में स्थित भिंड जिले में पली बढ़ीं. वे राजावत राजपूत हैं। उनके पिता आरएसएस के स्वयंसेवक और पेशे से आयुर्वेदिक डॉक्टर थे।

इतिहास में पोस्ट ग्रैजुएट प्रज्ञा हमेशा से ही दक्षिणपंथी संगठनों से जुड़ी रहीं। वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की सक्रिय सदस्य थीं और विश्व हिन्दू परिषद की महिला विंग दुर्गा वाहिनी से जुड़ी थीं।

वे कई बार अपने भड़काऊ भाषणों के लिए सुर्खियों में रहीं। 2002 में उन्होंने जय वंदे मातरम जन कल्याण समिति बनाई। स्वामी अवधेशानंद गिरि के संपर्क में आने के बाद प्रज्ञा नए अवतार में नजर आईं. अवधेशानंद का राजीनितिक गलियारे में खासा प्रभाव था। इसके बाद उन्होंने एक राष्ट्रीय जागरण मंच बनाया और इस दौरान वह एमपी और गुजरात के एक शहर से दूसरे शहर जाती रहीं।

मालेगांव मैं 2008 में बम विस्फोट हुआ उसमें एक गाड़ी जो उन्होंने एक साल पूर्व बेंच थी पुलिस उन्हें पूछताछ के लिए बुलाया और गिरफ्तार कर लिया यह पूछताछ चलती रही और अत्याचार बढ़ता रहा ।

मालेगांव बमकांड के संदेह में गिरफ्तार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर द्वारा नासिक कोर्ट में दिये गये शपथपत्र दिया जो हूबहू इस प्रकार है

मंगलवार, 25 नवंबर 2008

14 अक्टूबर को सुबह मुझे कुछ जांच के लिए एटीएस कार्यालय से काफी दूर ले जाया गया जहां से दोपहर में मेरी वापसी हुई। उस दिन मेरी पसरीचा से कोई मुलाकात नहीं हुई। मुझे यह भी पता नहीं था कि वे (पसरीचा) कहां है। 15 अक्टूबर को दोपहर बाद मुझे और पसरीचा को एटीएस के वाहनों में नागपाड़ा स्थित राजदूत होटल ले जाया गया जहां कमरा नंबर 315 और 314 में हमे क्रमशः बंद कर दिया गया। यहां होटल में हमने कोई पैसा जमा नहीं कराया और न ही यहां ठहरने के लिए कोई खानापूर्ति की। सारा काम एटीएस के लोगों ने ही किया।

मुझे होटल में रखने के बाद एटीएस के लोगों ने मुझे एक मोबाईल फोन दिया। एटीएस ने मुझे इसी फोन से अपने कुछ रिश्तेदारों और शिष्यों (जिसमें मेरी एक महिला शिष्य भी शामिल थी) को फोन करने के लिए कहा और कहा कि मैं फोन करके लोगों को बताऊं कि मैं एक होटल में रूकी हूं और सकुशल हूं. मैंने उनसे पहली बार यह पूछा कि आप मुझसे यह सब क्यों कहलाना चाह रहे हैं। समय आनेपर मैं उस महिला शिष्य का नाम भी सार्वजनिक कर दूंगी.

एटीएस की इस प्रताड़ना के बाद मेरे पेट और किडनी में दर्द शुरू हो गया। मुझे भूख लगनी बंद हो गयी। मेरी हालत बिगड़ रही थी। होटल राजदूत में लाने के कुछ ही घण्टे बाद मुझे एक अस्पताल में भर्ती करा दिया गया जिसका नाम सुश्रुसा हास्पिटल था। मुझे आईसीयू में रखा गया। इसके आधे घण्टे के अंदर ही भीमाभाई पसरीचा भी अस्पताल में लाये गये और मेरे लिए जो कुछ जरूरी कागजी कार्यवाही थी वह एटीएस ने भीमाभाई से पूरी करवाई. जैसा कि भीमाभाई ने मुझे बताया कि श्रीमान खानविलकर ने हास्पिटल में पैसे जमा करवाये. इसके बाद पसरीचा को एटीएस वहां से लेकर चली गयी जिसके बाद से मेरा उनसे किसी प्रकार का कोई संपर्क नहीं हो पाया है।

इस अस्पताल में कोई 3-4 दिन मेरा इलाज किया गया। यहां मेरी स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा था तो मुझे यहां से एक अन्य अस्पताल में ले जाया गया जिसका नाम मुझे याद नहीं है। यह एक ऊंची ईमारत वाला अस्पताल था जहां दो-तीन दिन मेरा ईलाज किया गया। इस दौरान मेरे साथ कोई महिला पुलिसकर्मी नहीं रखी गयी। न ही होटल राजदूत में और न ही इन दोनो अस्पतालों में. होटल राजदूत और दोनों अस्पताल में मुझे स्ट्रेचर पर लाया गया, इस दौरान मेरे चेहरे को एक काले कपड़े से ढंककर रखा गया। दूसरे अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद मुझे फिर एटीएस के आफिस कालाचौकी लाया गया।

इसके बाद 23-10-2008 को मुझे गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारी के अगले दिन 24-10-2008 को मुझे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, नासिक की कोर्ट में प्रस्तुत किया गया जहां मुझे 3-11-2008 तक पुलिस कस्टडी में रखने का आदेश हुआ। 24 तारीख तक मुझे वकील तो छोड़िये अपने परिवारवालों से भी मिलने की इजाजत नहीं दी गयी। मुझे बिना कानूनी रूप से गिरफ्तार किये ही 23-10-2008 के पहले ही पालीग्रैफिक टेस्ट किया गया। इसके बाद 1-11-2008 को दूसरा पालिग्राफिक टेस्ट किया गया। इसी के साथ मेरा नार्को टेस्ट भी किया गया।

मैं कहना चाहती हूं कि मेरा लाई डिटेक्टर टेस्ट और नार्को एनेल्सिस टेस्ट बिना मेरी अनुमति के किये गये। सभी परीक्षणों के बाद भी मालेगांव विस्फोट में मेरे शामिल होने का कोई सबूत नहीं मिल रहा था। आखिरकार 2 नवंबर को मुझे मेरी बहन प्रतिभा भगवान झा से मिलने की इजाजत दी गयी। मेरी बहन अपने साथ वकालतनामा लेकर आयी थी जो उसने और उसके पति ने वकील गणेश सोवानी से तैयार करवाया था। हम लोग कोई निजी बातचीत नहीं कर पाये क्योंकि एटीएस को लोग मेरी बातचीत सुन रहे थे। आखिरकार 3 नवंबर को ही सम्माननीय अदालत के कोर्ट रूम में मैं चार-पांच मिनट के लिए अपने वकील गणेश सोवानी से मिल पायी.

10 अक्टूबर के बाद से लगातार मेरे साथ जो कुछ किया गया उसे अपने वकील को मैं चार-पांच मिनट में ही कैसे बता पाती? इसलिए हाथ से लिखकर माननीय अदालत को मेरा जो बयान दिया था उसमें विस्तार से पूरी बात नहीं आ सकी। इसके बाद 11 नवंबर को भायखला जेल में एक महिला कांस्टेबल की मौजूदगी में मुझे अपने वकील गणेश सोवानी से एक बार फिर 4-5 मिनट के लिए मिलने का मौका दिया गया। इसके अगले दिन 13 नवंबर को मुझे फिर से 8-10 मिनट के लिए वकील से मिलने की इजाजत दी गयी। इसके बाद शुक्रवार 14 नवंबर को शाम 4.30 मिनट पर मुझे मेरे वकील से बात करने के लिए 20 मिनट का वक्त दिया गया जिसमें मैंने अपने साथ हुई सारी घटनाएं सिलसिलेवार उन्हें बताई, जिसे यहां प्रस्तुत किया गया है।

2016 17 में भोपाल के खुशि लाल शर्मा आयुर्वेद औषधालय में उपचार कराती रही 2017 में कोर्ट से अनुमति के बाद उन्होंने उज्जैन सिंहस्थ में स्नान किया 25 अप्रैल 2017 को उन्हें बैल पर रिहा कर दिया गया।

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राजीव गांधी के सलाहकार रहे टेक्नोक्रेट कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा ने लोकसभा चुनाव में EVM मशीनों में गडबडी की बात कह दी attacknews.in

अहमदाबाद, 18 अप्रैल । टेक्नोक्रेट से राजनीतिक नेता बने सैम पित्रोदा ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह महसूस करते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों(ईवीएम) में कुछ गड़बड़ है।

इस कांग्रेस नेता ने कहा वह फिलहाल इस गड़बड़ी की ओर ठीक ठीक इशारा नहीं कर सकते और इसके लिए इस मशीन का अध्ययन करने की जरूरत है।

पित्रोदा ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘बतौर अभियंता, एक तकनीकी विशेषज्ञ के रूप में, मैं ईवीएम से संतुष्ट नहीं हूं।’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन मैं साफ साफ कुछ कहने की स्थिति में नहीं हूं क्योंकि मेरे पास ईवीएम नहीं है। अगर कोई मुझे एक साल के लिए ईवीएम अध्ययन के लिए दे दे, तब ही मैं कुछ कह सकता हूं।’’

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के सलाहकार पित्रोदा ने कहा, ‘‘आपको डिजाइन और सॉफ्टवेयर समझना होगा।..लेकिन एक बात बहुत निश्चित है कि इसके साथ कुछ तो गड़बड़ है। हमें नहीं पता कि क्या गलत है।’’

ज्ञातव्य है कि विपक्षी दलों ने ईवीएम की विश्वसनीयता को संदेहास्पद होने का दावा करते हुये लोकसभा चुनावों में कम से कम 50 प्रतिशत वीवीपैट पर्ची की गणना करने की मांग की है।

उन्होंने कांग्रेस की न्याय योजना के बारे में भी चर्चा की।

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अंतर्राष्ट्रीय प्रेस को लेकर सालाना रिपोर्ट में भारत के लोकसभा चुनाव को पत्रकारों के लिए खतरनाक समय के रुप मे चिन्हित किया attacknews.in

लंदन, 18 अप्रैल । ‘रिपोर्ट्स विदआउट बॉर्ड्स्’ की सालाना रिपोर्ट में भारत प्रेस की आजादी के मामले में दो पायदान खिसक गया है। 180 देशों में भारत का स्थान 140वां है। बृहस्पतिवार को जारी रिपोर्ट में भारत में चल रहे चुनाव प्रचार के दौर को पत्रकारों के लिए खासतौर पर सबसे खतरनाक वक्त के तौर पर चिन्हित किया है।

‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक 2019’ में नॉर्वे शीर्ष पर है। इसमें पाया गया है कि दुनिया भर में पत्रकारों के प्रति दुश्मनी की भावना बढ़ी है। इस वजह से भारत में बीते साल अपने काम के कारण कम से कम छह पत्रकारों की हत्या कर दी गई।

सूचकांक में कहा गया है कि भारत में प्रेस स्वतंत्रता की वर्तमान स्थिति में से एक पत्रकारों के खिलाफ हिंसा है जिसमें पुलिस की हिंसा, माओवादियों के हमले, अपराधी समूहों या भ्रष्ट राजनीतिज्ञों का प्रतिशोध शामिल है। 2018 में अपने काम की वजह से भारत में कम से कम छह पत्रकारों की जान गई है। सातवें मामले पर भी यही संदेह है।

इसमें कहा गया है कि ये हत्याएं बताती हैं कि भारतीय पत्रकार कई खतरों का सामना करते हैं, खासतौर पर, ग्रामीण इलाकों में गैर अंग्रेजी भाषी मीडिया के लिए काम करने वाले पत्रकार।

विश्लेषण में आरोप लगाया गया है कि 2019 के आम चुनाव के दौरान सत्तारूढ़ भाजपा के समर्थकों द्वारा पत्रकारों पर हमले बढ़े हैं।

पेरिस स्थित रिपोर्ट्स सैन्स फ्रंटियर्स (आरएसएफ) या रिपोर्ट्स विदआउट बॉर्ड्स एक गैर लाभकारी संगठन है जो दुनिया भर के पत्रकारों पर हमलों का दस्तावेजीकरण करने और मुकाबला करने के लिए काम करता है। 2019 के सूचकांक में रिपोर्ट्स विदआउट बॉर्ड्स ने पाया कि पत्रकारों के खिलाफ घृणा हिंसा में बदल गई है जिससे दुनिया भर में डर बढ़ा है।

भारत के संदर्भ में, इसने हिन्दुत्व को नाराज करने वाले विषयों पर बोलने या लिखने वाले पत्रकारों के खिलाफ सोशल मीडिया पर समन्वित घृणित अभियानों पर चिंता जताई है।

इसने रेखांकित किया है कि जब महिलाओं को निशाना बनाया जाता है तो अभियान खासतौर पर उग्र हो जाता है। 2018 में मीडिया में ‘मी टू’ अभियान के शुरू होने से महिला संवाददाताओं के संबंध में उत्पीड़न और यौन हमले के कई मामलों पर से पर्दा हटा।

इसमें कहा गया है कि जिन क्षेत्रों को प्रशासन संवेदनशील मानता है वहां रिपोर्टिंग करना बहुत मुश्किल है जैसे कश्मीर। कश्मीर में विदेशी पत्रकारों को जाने की इजाजत नहीं है और वहां अक्सर इंटरनेट काट दिया जाता है।

दक्षिण एशिया से, प्रेस की आजादी के मामले में पाकिस्तान तीन पायदान लुढ़कर 142 वें स्थान पर है जबकि बांग्लादेश चार पायदान लुढ़कर 150वें स्थान पर है।

नॉर्वे लगातार तीसरे साल पहले पायदान पर है जबकि फिनलैंड दूसरे स्थान पर है।

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पाकिस्तान में फिर एक और हिंदू लड़की का अपहरण कर जबरन मुस्लिम बनाया गया, लड़की की रिहाई को लेकर धरना-प्रदर्शन attacknews.in

लाहौर, 18 अप्रैल । पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक दबंग मुस्लिम शख्स द्वारा एक हिन्दू किशोरी के अपहरण के बाद अल्पसंख्यक समुदाय में आक्रोश फैल गया है। लड़की की सुरक्षित रिहाई को लेकर दबाव बनाने के लिए हिन्दू समुदाय के लोग बृहस्पतिवार को धरना पर बैठ गए और शहर की मुख्य सड़क को अवरूद्ध कर दिया।

बैनर और तख्तियां लिए हुए हिन्दू समुदाय के लोग लाहौर से करीब 400 किलोमीटर दूर रहीम यार खान में धरना पर बैठ गए और 17 वर्षीय लड़की को रिहा कराने की मांग करते हुए जबरन धर्मांतरण के खिलाफ नारेबाजी की ।

प्राथमिकी के मुताबिक ताहिर ताम्री ने अपने पिता और भाई की मदद से पिछले महीने नैना का अपहरण कर लिया। अपहरण करने वाले लड़की को कराची लेकर गए और उससे शादी करके उसे इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया।

उसका नाम बदलकर नूर फातिमा कर दिया गया। संदिग्धों ने उसके विवाह और इस्लाम अपनाने के बारे में सोशल मीडिया पर अपलोड किया।

हिन्दू समुदाय के लोग बृहस्पतिवार को लगातार दूसरे दिन सड़कों पर उतरे और नैना के अपहरण तथा जबरन धर्मांतरण के खिलाफ अपना विरोध जताया ।

प्रदर्शन के दौरान लड़की के पिता रघु राम ने धमकी दी कि अगर न्याय नहीं मिला तो वह खुद को आग लगा लेंगे। रहीम यार खान जिले में हिंदुओं के 1,50,000 घर हैं ।

पुलिस के आला अधिकारियों ने आश्वस्त किया कि इंसाफ होगा जिसके बाद यह प्रदर्शन खत्म हुआ ।

रहीम यार खान के पुलिस प्रमुख उमर फारूक सलामत ने कहा कि लड़की को लाने के लिए पुलिस की एक टीम कराची गयी है।

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भारत ने पाकिस्तान के साथ LOC के जरिए व्यापार रोका, अवैध हथियारों, ड्रग्स और नकली नोटों की तस्करी पर हुआ यह निर्णय attacknews.in

नयी दिल्ली, 18 अप्रैल । भारत ने पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा (एलओसी) के जरिए व्यापार को स्थगित कर दिया है। बृहस्पतिवार को एक सरकारी आदेश में कहा गया है कि जांच एजेंसियों को पता चला था कि पड़ोसी देश के तत्वों द्वारा अवैध हथियार, मादक पदार्थों और नकली मुद्रा की तस्करी के लिए इस मार्ग का दुरुपयोग किया जा रहा है। इसके बाद यह कदम उठाया गया।

बयान में कहा गया है कि एक सख्त विनियामक और प्रवर्तन तंत्र तैयार किया जा रहा है और उसके लागू होने के बाद व्यापार मार्गों को फिर से खोलने के मुद्दे पर विचार किया जाएगा।

केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश में कहा गया है कि भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर के चकन-दा-बाग और सलामाबाद में एलओसी व्यापार को स्थगित करने का निर्णय लिया गया है।

इसमें कहा गया है कि यह कार्रवाई उन रिपोर्टों के आधार पर की गई है कि पाकिस्तान स्थित तत्वों द्वारा अवैध हथियारों, नशीले पदार्थों और नकली नोटों को फैलाने के लिए व्यापार मार्गों का दुरुपयोग किया जा रहा है।

एलओसी व्यापार अभी बारामूला जिले के उरी के सलामाबाद में और पुंछ जिले के चकन-दा-बाग में दो व्यापार केंद्रों से संचालित होता है।

यह व्यापार सप्ताह में चार दिन होता है और यह वस्तु विनिमय प्रणाली और शुल्क मुक्त पर आधारित होता है।

सरकार ने बयान में कहा कि एक सख्त विनियामक और प्रवर्तन तंत्र पर काम किया जा रहा है और इसे विभिन्न एजेंसियों के परामर्श से लागू किया जाएगा।

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दूसरे चरण में लोकसभा की 95 सीटों पर 66% मतदान, सबसे ज्यादा 76.43%पश्चिम बंगाल, सबसे कम 45.58% जम्मू-कश्मीर और श्रीनगर में केवल 13.63%मतदान हुआ attacknews.in

नयी दिल्ली, 18 अप्रैल । लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में 11 राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश में 95 लोकसभा सीटों के लिए गुरुवार को मतदान कुल मिलाकर शांतिपूर्ण रहा और औसतन 66 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया।

उप चुनाव आयुक्त उमेश सिन्हा ने यहां संवादाताओं को बताया कि हिंसा की कुछेक छिटपुट घटनाओं को छोड़कर दूसरे चरण का मतदान शांतिपूर्ण रहा। सर्वाधिक 76.43 प्रतिशत मतदान पश्चिम बंगाल में, जबकि सबसे कम करीब 45.58 प्रतिशत जम्मू कश्मीर में हुआ।

जम्मू कश्मीर के श्रीनगर में केवल 13.63 मतदान हुआ, जबकि उधमपुर में 66.67 प्रतिशत मतदाताओं ने वोट डाले। श्रीनगर निर्वाचन क्षेत्र में 2017 में हुए उपचुनाव में सिर्फ 7.12 प्रतिशत मतदाताओं ने ही अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। मणिपुर में 76.15 प्रतिशत तथा असम में 76.22 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का इस्तेमाल किया।

पुड्डुचेरी में 76.19 प्रतिशत, छत्तीसगढ में 71.40 प्रतिशत, कर्नाटक में 67.76 प्रतिशत, तमिलनाडु में 72 प्रतिशत ओडिशा में 57.97 प्रतिशत, बिहार में 62.38 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 62.06 प्रतिशत और महाराष्ट्र में 61.22 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। ओडिशा में लोकसभा की पांच सीटों के साथ ही विधानसभा की 35 सीटों के लिए भी वोट डाले गये।

इस चरण में दो ईवीएम को क्षतिग्रस्त किये जाने की खबर है, जिसमें मणिपुर और पश्चिम बंगाल की एक-एक ईवीएम शामिल है। तकनीकी खराबी के कारण 2766 वीवीपैट बदले गये। ओडिशा में नक्सली हमले में एक महिला मतदान अधिकारी की मौत हो गयी, जबकि एक और व्यक्ति की मौत चुनावी हिंसा में हुई। राज्य में एक मतदाता की मृत्यु दिल का दौरा पड़ने से हुई। इस चरण में पेड न्यूज के 91 मामले सामने आये और पहले चरण को मिलाकर ऐसे मामलों की संख्या 107 हो गयी। इस चरण को मिलाकर अब तक कुल 2632 करोड़ रुपये की नकदी, शराब एवं आभूषण आदि जब्ती हो चुकी है।

सभी 95 सीटों के लिए मतदान सुबह सात बजे शुरू हुआ था और कुछ क्षेत्रों में सुरक्षा की दृष्टि से अपराह्न तीन बजे तक तथा कुछ में चार बजे तक ही वोट डालने का समय निश्चित था। कुछ सीटों पर शाम पांच बजे मतदान समाप्त हो गया जबकि कुछ पर छह बजे तक मत डाले गये।

दूसरे चरण में कुल 1596 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे और करीब 15.5 करोड़ मतदाता थे। इस चरण के लिए एक लाख 80 हजार से अधिक मतदान केंद्र बनाये गये थे।

मतदान संपन्न होने के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौडा, भाजपा नेता हेमा मालिनी, द्रमुक नेता कनिमोझी एवं दयानिधि मारन, कांग्रेस नेता राज बब्बर एवं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण जैसे कई प्रमुख नेताओं की चुनावी किस्मत इलेक्ट्रोनिक वोटिंग मशीनों में बंद हो गयीं।

इस चरण में तमिलनाडु की 38 सीटों, कर्नाटक की 14, महाराष्ट्र की 10, उत्तर प्रदेश की आठ तथा बिहार, ओडिशा और असम की पाँच-पाँच, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल की तीन-तीन, जम्मू-कश्मीर की दो तथा मणिपुर और पुड्डुचेरी की एक-एक सीट के लिए चुनाव हुआ।

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार दूसरे चरण में 13 राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों की 97 लोकसभा सीटों पर मतदान होना था लेकिन, तमिलनाडु के वेल्लूर में आयकर छापे में 11 करोड़ रुपये से अधिक की नकदी बरामद होने के बाद इस सीट पर मतदान रद्द कर दिया गया था। इसके अलावा त्रिपुरा में सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर पूर्वी त्रिपुरा सीट पर चुनाव स्थगित कर दिया गया था और वहाँ तीसरे चरण में 23 अप्रैल को मतदान होगा।

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मालेगाँव विस्फोट मामले में भोपाल से भाजपा प्रत्याशी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से NIA अदालत ने जवाब तलब किया attacknews.in

मुंबई, 18 अप्रैल । विशेष राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अदालत ने वर्ष 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में आरोपी एवं भोपाल लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर से जवाब तलब किया है।

मालेगांव विस्फोट के पीड़ित के पिता ने गुरुवार को यहां विशेष अदालत में साध्वी प्रज्ञा के खिलाफ अदालत में गुहार लगायी जिसे ध्यान में रखते हुए अदालत ने साध्वी प्रज्ञा को जवाब देने का निर्देश दिया है।

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जेट एयरवेज की बंद स्लाटों का आवंटन अन्य विमान कंपनियों को, मुंबई के 280 और दिल्ली के 163 स्लाटों को शामिल किया गया है attacknews.in

नयी दिल्ली 18 अप्रैल । सरकार ने निजी विमान सेवा कंपनी जेट एयरवेज के अस्थायी रूप से सेवाएँ बंद करने के बाद दिल्ली और मुंबई में खाली हुये उसके 443 स्लॉटों का आवंटन अन्य विमान सेवा कंपनियों को करने का फैसला किया है।

नागर विमानन सचिव प्रदीप सिंह खरोला ने गुरुवार को हवाई अड्डा संचालकों और विमान सेवा कंपनियों के साथ अलग-अलग बैठकें की। बैठकों के बाद देर शाम उन्होंने संवाददाताओं को बताया कि मुंबई में 280 और दिल्ली में 163 स्लॉट खाली हुये हैं। यात्रियों को परेशानी से बचाने और किराये को नियंत्रण में रखने के उद्देश्य से ये स्लॉट दूसरी विमान सेवा कंपनियों को देने का फैसला किया गया है।

उन्होंने कहा “आरंभ में यह आवंटन तीन महीने के लिए किया जायेगा, लेकिन उसके बाद एक-एक महीना करके आवंटन की अवधि बढ़ाई जा सकती है। जेट एयरवेज की बोली प्रक्रिया पूरी होने के बाद कंपनी जब परिचालन दुबारा शुरू करेगी तो जैसे-जैसे उसके विमानों की संख्या बढ़ती जायेगी उसे पुराने स्लॉटों का आवंटन प्राथमिकता के आधार पर किया जायेगा।

श्री खरोला ने बताया कि एयरलाइनों ने आज की बैठक में बताया कि मई से जुलाई के दौरान वे कुल 30 अतिरिक्त विमान अपने बेड़े में जोड़ने वाले हैं। सभी एयरलाइन को कहा गया है कि वे अपने स्तर पर विमान हासिल करने की प्रक्रिया में गति लाने का प्रयास करें ताकि नये शामिल होने वाले अतिरिक्त विमानों की संख्या 30 से ज्यादा हो सके।

सरकारी विमान सेवा कंपनी एयर इंडिया तथा कुछ अन्य विमान सेवा कंपनियों ने कहा है कि वे विमान पट्टे पर देने वाली कंपनियों से उन विमानों को हासिल करने का भी प्रयास कर रहे हैं जिन्हें किराया नहीं मिलने के कारण पट्टेदारों ने ग्राउंड कर दिया है। ऐसे 20 से 30 विमानों के बारे में एक-दो सप्ताह में फैसला हो सकता है। ये विमान अभी देश में ही हैं और इसलिए इन्हें परिचालन में लाने में कम समय लगेगा।

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कर्नाटक में नरेंद्र मोदी ने कहा: आपका वोट तय करेगा, भारत माता की जय बोलने वालों का सम्मान होगा या टुकड़े- टुकड़े नारे लगाने वालों का attacknews.in

बागलकोट / चिक्कोडी (कर्नाटक), 18 अप्रैल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरूवार को दावा किया कि कांग्रेस देश में एक ‘‘मजबूर’’ प्रधानमंत्री बनवाना चाहती है। उन्होंने लोगों से केंद्र में राष्ट्रीय सुरक्षा पर जोर देने वाली मजबूत सरकार बनवाने की अपील भी की।

उत्तर कर्नाटक में दो रैलियों को संबोधित करते हुए मोदी ने राज्य में एच डी कुमारस्वामी की अगुवाई वाली कांग्रेस-जेडीएस सरकार के ‘‘कभी न खत्म होने वाले ड्रामा’’ का मजाक उड़ाया।

मोदी ने रैली में कहा, ‘‘…यदि आप मजबूत सरकार देखना चाहते हैं तो दिल्ली में देखें; यदि आप मजबूर सरकार देखना चाहते हैं तो कर्नाटक में देखें।’’

गौरतलब है कि आज कर्नाटक में लोकसभा चुनाव के पहले चरण के तहत राज्य की 14 सीटों पर जारी मतदान के बीच मोदी ने यह बातें कही।

भाजपा ने कर्नाटक की 28 में से 14 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का लक्ष्य तय किया है।

साल 2014 के चुनावों में भाजपा ने राज्य की 17 सीटें जीती थीं।

मोदी ने कर्नाटक के हर क्षेत्र में रैलियां की हैं । प्रदेश भाजपा ने 23 अप्रैल को राज्य में दूसरे चरण के मतदान से पहले उनकी अन्य किसी रैली की घोषणा नहीं की है।

कर्नाटक में नेताओं के ‘‘नाटक’’ पर मोदी ने कहा कि उनके ड्रामे में भावुकता और बदले की भावना होती है और ‘‘भावुकता तो कभी खत्म नहीं होने वाली है।’’

मोदी ने रैली में आए लोगों से पूछा, ‘‘कुछ-कुछ दिनों, कुछ-कुछ हफ्तों के बाद किसी रैली या किसी प्रेस कांफ्रेंस में भावनाएं बह रही हैं। क्या आप कर्नाटक के बारे में ऐसा सोचते हैं?’’

पीएम मोदी ने संभवत: कुमारस्वामी की तरफ इशारा करते हुए यह बात कही, क्योंकि वह अक्सर भावुक हो जाते हैं।

बागलकोट में रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘कांग्रेस को मजबूर सरकारें पसंद हैं। वे मजबूर मुख्यमंत्री और मजबूर प्रधानमंत्री बनवाना चाहते हैं।’’

मोदी ने मनमोहन सिंह की अगुवाई वाली पिछली यूपीए सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि 2014 से पहले कोई प्रधानमंत्री के बारे में बात तक नहीं करता था। उन्होंने कहा, ‘‘क्या वह फैसला ले सकते थे, हर बात देश का बच्चा-बच्चा जानता है। सरकार रिमोट कंट्रोल के जरिए चलाई जा रही थी।’’

उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने अपने घोषणा-पत्र में दावा किया था कि उसने पाकिस्तान को यह मानने पर मजबूर कर दिया कि उसके नागरिक मुंबई आतंकी हमले में शामिल थे और यह बड़ी उपलब्धि थी।

मोदी ने कहा कि पाकिस्तान ने दोषियों को अपना नागरिक मान लिया, लेकिन फिर भी उसने बम धमाके किए और भारत को परमाणु बम हमले की धमकी दी।

मोदी ने कहा कि कांग्रेस सर्जिकल स्ट्राइक और पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकी शिविरों पर वायुसेना के हमले को ‘‘हमारी जीत’’ मानने के लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस और उसके सहयोगी राष्ट्रहित के बारे में नहीं, सिर्फ अपने हित के बारे में सोचते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘…..विरोधियों ने गूगल पर खोजा कि बालाकोट कहां है और यह साबित करने में लग गए कि यह भारत में ही है। वे विश्वास ही नहीं कर सके कि भारत पाकिस्तान की सीमा में घुसकर हमला भी कर सकता है।’’

मोदी ने कहा कि 2008 के मुंबई हमलों के बाद कांग्रेस की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ‘‘रोती फिर रही थी’’, लेकिन अब हालात बदल गए हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘….अब पाकिस्तान जहां भी जाता है, आप उसकी चीख सुनते हैं कि मोदी उन पर हमला कर रहा है।’’

मोदी ने दावा किया कि जब भी कांग्रेस के वजूद पर खतरा मंडराता है तो वह समाज को बांटने की कोशिश करती है।

चिक्कोडी में रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि कर्नाटक में सत्तारूढ़ कांग्रेस और जेडीएस के हर मुद्दे पर मतभेद हैं, लेकिन एक-दूसरे के वंशवाद और भ्रष्टाचार का समर्थन करने को लेकर वे एकजुट हैं और दोनों पार्टियां राष्ट्रवाद एवं उनके बारे में बुरी बातें कहती हैं।

मोदी ने जेडीएस नेता एवं मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी की उस कथित टिप्पणी के लिए उन्हें आड़ हाथ लिया कि दो जून की रोटी का इंतजाम नहीं कर पाने वाले सैन्य बलों में जाते हैं।

मोदी ने कहा, ‘‘….मुख्यमंत्री कहते हैं कि जो भूखे होते हैं, वे ही सैन्य बलों में जाते हैं। इस परिवार (देवगौड़ा परिवार) को सार्वजनिक जीवन से बाहर कर दिया चाहिए।’’ उन्होंने रैली में कहा, ‘‘आपका वोट तय करेगा कि ‘भारत माता की जय’ बोलने वालों का सम्मान होगा या ‘टुकड़े-टुकड़े’ के नारे लगाने वालों का।

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जौनपुर लोकसभा सीट से चुनाव हारे भाजपा के पितृ पुरुष पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने विरोधी प्रत्याशी की लोकप्रियता देखकर पहले ही हार की बात कह दी थी और आज यह सीट भाजपा का गढ़ हैं attacknews.in

जौनपुर, 18 अप्रैल । नाम के बजाय काम को तरजीह देने वाले उत्तर प्रदेश में जौनपुर संसदीय क्षेत्र के वाशिंदो ने जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जगह जमीनी नेता राजदेव को लोकसभा पहुंचा कर दशकों पहले अपने इरादे जाहिर कर दिये थे।

इस सीट पर किसी खास राजनीतिक दल का एकतरफा वर्चस्व कभी नहीं रहा है। यहां से राजा से लेकर रंक तक सांसद चुने गये है। यहां की जनता ने कांग्रेस और भाजपा समेत सभी पार्टियों को मौका दिया है। अब तक हुए चुनाव को देखा जाये तो यहां पर छह बार कांग्रेस का परचम लहराया है जबकि इतनी ही बार कमल का फूल खिला है। दो बार साइकिल दौड़ी है, तो एक बार बसपा दिल्ली पहुंची है। जनता पार्टी और जनता दल भी एक-एक बार यहां जीत दर्ज कर चुका है।

शिक्षा के मामले में अग्रणी जौनपुर शहर को शिराज ए हिन्द का खिताब मिल चुका है। इस शहर के बीच से बहने वाली आदि गंगा गोमती की हर लहर पर गंगा जमुुनी तहजीब लिखी गयी है। यहां की पढ़ी लिखी जनता हर चुनाव में समझ बूझकर अपना सांसद चुनती रही है। इस संसदीय सीट पर 1963 में हुये उप चुनाव में जनसंघ के संस्थापक दीनदयाल उपाध्याय पहली बार चुनाव लड़ने के लिए आये थे।

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, जौनपुर के पूर्व राजा यादवेंद्र दत्त समेत जनसंघ के कई संस्थापक सदस्यों ने पंडित दीनदयाल के पक्ष में प्रचार किया था लेकिन यहां की जनता ने उन्हें नकारते हुए स्थानीय जमीनी नेता राजदेव सिंह को अपना सांसद चुना।

इस चुनाव का सबसे महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि जब पंडित दीनदयाल और उनके समर्थक नगर में चुनाव प्रचार करने निकले तो ओलंदगंज मोहल्ले में सड़क के किनारे कांग्रेस प्रत्याशी राजदेव सिंह कुछ रिक्शा वालों के साथ गुफ्तगू करते दिखे। पंडित जी ने पूछा कि ये कौन है। साथ चल रहे यादवेन्द्र दत्त ने बताया कि यही कांग्रेस प्रत्याशी राजदेव है, उसी समय पंडित दीनदयाल जी ने कहा, “मैं चुनाव हार गया। जब हमारा प्रतिद्वन्दी इस तरह लोकप्रिय है तो उसे कौन हरा सकता है।” यह चुनाव लड़ने के बाद दीनदयाल जी कभी कोई चुनाव नहीं लड़े। उधर राजदेव सिंह ने इस सीट पर जीत की हैट्रिक लगायी।

जौनपुर लोकसभा के अब तक के हुए चुनावों पर नजर डाली जाये तो 1952 और 1957 के आम चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी बीरबल सिंह सांसद चुने गये। वर्ष 1962 में जनसंघ के ब्रम्मजीत सिंह चुनाव जीते। एक वर्ष बाद उनके निधन के बाद उपचुनाव में जनसंघ के संस्थापक पंडित दीनदयाल उपाध्याय चुनाव मैदान में उतरे लेकिन जनता ने उन्हें पूरी तरह से नकारते हुए राजदेव सिंह को अपना सांसद चुना।
राजदेव सिंह ने 1967 और 1971 में भी चुनाव जीतकर जीत की हैट्रिक लगायी। वर्ष 1977 में भारतीय लोकदल से यादवेन्द्र दत्त दुबे पहली बार सांसद चुने गये। वर्ष 1980 में जनता पार्टी सेक्यूलर के अजीजउल्लाह आजमी ने इस सीट पर कब्जा किया। वर्ष 1984 में यह सीट कमला प्रसाद सिंह ने जीतकर पुनः कांग्रेस की खाते डाल दी। वर्ष 1991 के चुनाव में जनता दल के अर्जुन यादव सांसद चुने गये।
वर्ष 1996 चुनाव में भाजपा के राजकेशर सिंह चुनाव जीते थे तो 1998 में सपा के पारसनाथ यादव सांसद चुने गये। अगली बार 1999 में भाजपा के स्वामी चिन्मयानंद सांसद चुने गये। वर्ष 2004 में सपा के पारसनाथ यादव दूसरी बार सांसद बने। वर्ष 2009 में बसपा प्रत्याशी बाहुबली धनंजय सिंह सांसद चुने गये तो 2014 के लोकसभा चुनाव में यह सीट पुनः भाजपा के खाते में आ गयी। यहां से भाजपा प्रत्याशी के पी सिंह सांसद बने।

दिलचस्प है कि इस सीट पर कांग्रेस 35 साल से वनवास काट रही है। इस चुनाव में भाजपा ने अपने सांसद डॉ. के पी सिंह को पुनः मैदान में उतारा है जबकि सपा-बसपा गठबंधन में यह सीट बसपा के खाते में गई और बसपा ने यहाँ से पी सी एस अधिकारी रहे श्याम सिंह यादव को और कांग्रेस ने देवव्रत मिश्रा को अपना प्रत्याशी बनाया है ।

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अब तक हुए लोकसभा चुनाव में सबसे कडी टक्कर में दो बार प्रत्याशियों को कम से कम 9 मतों से जीत हासिल हुई attacknews.in

नयी दिल्ली 18 अप्रैल । देश में आम चुनाव के दाैरान कई बार मुकाबले कितने कांटे के हो जाते हैं इसका अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि दो अवसरों पर सिर्फ नौ मतों से हार जीत हुयी।

पहली बार 1989 के चुनाव में आन्ध्र प्रदेश के अनाकापल्ली सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के रामकृष्ण तेलगू देशम पार्टी के अप्पाला नरसिंहघम से केवल नौ मतों से जीत दर्ज की थी। श्री रामकृषण को 299109 और श्री नरसिंहघम को 299100 वोट मिले थे । इस चुनाव में केवल तीन उम्मीदवारों ने चुनाव मैदान में थे।

वर्ष 1998 में बिहार के राजमहल सीट पर भारतीय जनता पार्टी के सोम मरांडी भी नौ वोट से निर्वाचित हुये थे । श्री मरांडी ने कांग्रेस उम्मीदवार थोमस हंसदा को पारजित किया था । श्री मरांडी को 198889 तथा श्री हंसदा को 198880 वोट आये थे । इस चुनाव में कुल 11 प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे ।

वर्ष 1962 के आम चुनाव में हुए हार जीत का सबसे कम अंतर 42 रहा था। उस चुनाव में बाहरी मणिपुर क्षेत्र से सोसलिस्ट पार्टी के रिसांग कांग्रेस के सिवो लारहो से 42 मतों से पराजित किया था। श्री रिसांग को 35621 तथा श्री लारहो को 35579 वोट मिले थे । इस चुनाव में कुल पांच उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था । इसके बाद 1967 में हुये चुनाव में हरियाणा के करनाल सीट पर कांग्रेस के एम राम ने भाजपा के आर नंद को 203 वोट से हराया था । श्री राम को 168204 तथा श्री नंद को 168001 वोट आये थे ।

वर्ष 1971 के आम चुनाव में तमिलनाडु के तिरुचेंदुर सीट से द्रविड़ मुनेत्र कषगम के नेता एम एस सिवासामी ने स्वतंत्र पार्टी के एम मटियास से 26 मतों के अंतर से विजयी हुये थे । श्री सिवासामी को 202783 और श्री मटियास को 202757 वोट मिले थे । इस चुनाव में केवल तीन उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे ।

इसी तरह से 1977 के जनता लहर वाले चुनाव में महाराष्ट्र के कोल्हापुर लोकसभा सीट से पीजेंट एंड वर्कर पार्टी के वलवंत राव देसाई कांग्रेस के शंकरराव दत्तात्रेय से 165 मतो से विजयी हुये थे । श्री देसाई को 186077 तथा श्री दत्तात्रेय को 185912 वोट मिले थे । इस चुनाव में तीन उम्मीदवारों के बीच संघर्ष हुआ था।

वर्ष 1980 के चुनाव में उत्तर प्रदेश के देवरिया क्षेत्र से कांग्रेस (आई) के उम्मीदवार रामायण राय और जनता पार्टी (एस) के रामाधार शास्त्री के बीच कांटे की टक्कर में 77 वोट सेे हार जीत का फैसला हुआ था । श्री राय को 110014 तथा श्री शास्त्री को 109937 वोट आये थे । इस चुनाव में कुल आठ प्रत्याशी चुनाव मैदान में थे । पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में हुये चुनाव में पंजाब के लुधियाना से शिरोमणि अकाली दल के मेवा सिंह 140 मतों से विजयी हुये थे ।

वर्ष 1991 के आम चुनाव में उत्तर प्रदेश के अकबरपुर लोकसभा क्षेत्र से जनता दल के राम अवध 156 मतों से निर्वाचित हुये थे । श्री राम अवध ने भाजपा के बेचन राम को पराजित किया था । श्री राम अवध को 133060 तथा श्री राम को 132904 वोट आये थे । इस चुनाव में कुल 14 उम्मीदवार थे ।

वर्ष 1996 के चुनाव में गुजरात के बरोदा सीट पर कांग्रेस के सत्यजीतसिह दिलीपसिंह गायकवाड ने भाजपा के रतिलाल सुखाड़िया से केवल 17 मतों से पराजित किया था। श्री गायकवाड़ को 131248 तथा श्री सुखाड़िया को 131231 वोट आये थे । इस चुनाव में कुल 24 उम्मीदवार थे।

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छत्तीसगढ़ में महिला प्रत्याशियों को पुरूष प्रत्याशियों ने मात दी हैं, इस बार भी भाजपा और कांग्रेस ने बराबरी से टिकट देकर दांव खेला है attacknews.in

बिलासपुर 18 अप्रैल । लोकसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ में महिलाओं को उम्मीदवार बनाने के मामले में कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) बराबरी पर है।

छत्तीसगढ़ में 11 लोकसभा सीटों के लिए कांग्रेस और भाजपा ने दो-दो सीटों पर महिला उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने कोरबा सीट से श्रीमती ज्योत्सना महंत और दुर्ग सीट से श्रीमती प्रतिमा चंद्राकर को टिकट दिया है जबकि भाजपा ने रायगढ़ लोकसभा सीट से श्रीमती गोमती साय तथा सरगुजा से श्रीमती रेणुका सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है।

पिछले लोकसभा चुनावाें पर नजर डाली जाये तो राज्य में आधी आबादी को मौका देने में कांग्रेस आगे रही है तथा भाजपा दूसरे क्रम पर है। अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा रहे जांजगीर लोकसभा सीट से 1957 में कांग्रेस ने सबसे पहले मिनी माता अगम को अपना उम्मीदवार बनाया था। मिनी माता ने यह चुनाव जीता और इसके बाद 1962 , 1967 तथा 1971 के आम चुनाव में इसी सीट से कांग्रेस की टिकट पर लगातार चुनाव लड़ा और जीत की चौकड़ी बनायी।
कांग्रेस ने 1960 से 1990 के दशक में हुये आम चुनावों में रायगढ़ लोकसभा सीट से राजपरिवार की महिलाओं को राजनीति में उतरने का मौका दिया। वर्ष 1967 में कांग्रेस ने सुश्री रजनी देवी को टिकट दिया जिन्होंने यह चुनाव जीता। इसके बाद 1980 , 1984 और 1991 में कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में सुश्री पुष्पा देवी ने जीत का परचम लहराया।

भाजपा ने 2004 के आम चुनाव में जांजगीर-चांपा सीट से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की भतीजी करुणा शुक्ला (अब कांग्रेस में ) को उम्मीदवार बनाया और वह चुनाव जीत गयी। इसके बाद भाजपा ने यहां से महिलाओं को प्रतिनिधित्व का अवसर देते हुए 2009 और 2014 में श्रीमती कमला पाटले को टिकट दिया । श्रीमती पाटले दोनों बार यहां से निर्वाचित हुई।

वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 1996 से भाजपा के कब्जे वाली बिलासपुर लोकसभा सीट से छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री की पत्नी डॉ. रेणु जोगी को चुनाव मैदान में उतारा। बिलासपुर से महिला उम्मीदवार खड़े कर चुनाव परिणाम अपने पक्ष में करने की कांग्रेस की रणनीति विफल रही और डॉ. जोगी भाजपा के कद्दावर नेता दिलीप सिंह जूदेव के हाथों परास्त हो गयी।

कांग्रेस ने 2014 के चुनाव में भी बिलासपुर सीट से महिला उम्मीदवार खड़े करने की रणनीति अपनायी और श्रीमती करुणा शुक्ला को उम्मीदवार बनाया , लेकिन तब भी कांग्रेस को विफलता हाथ लगी। वर्ष 2014 के आम चुनाव में मोदी लहर का फायदा भाजपा को मिला। भाजपा के श्री लखन साहू ने बाहरी होने के बावजूद श्रीमती शुक्ला को पराजित किया ।

वर्ष 2014 के आम चुनाव में आम आदमी पार्टी ने नक्सली बहुल बस्तर लोकसभा सीट से सोनी सोरी को उम्मीदवार बनाया। सुश्री सोरी के चुनाव लड़ने से तब काफी विवाद का माहौल बना। उन पर नक्सलियों के प्रति सहानुभूति रखने तथा उन्हें सहायता पहुंचाने का आरोप लगा। नक्सलियों ने भी उन पर चुनाव लड़कर सरकार और निजी उद्योग संस्थानों को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया। सुश्री सोरी को चुनाव में असफलता हाथ लगी और वह चौथे नंबर पर रही ।

कांग्रेस ने इस बार लोकसभा चुनाव के लिए कोरबा सीट से छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री एवं अविभाजित मध्यप्रदेश में गृहमंत्री रहे चरणदास महंत की पत्नी ज्योत्सना महंत और दुर्ग सीट से श्रीमती प्रतिमा चंद्राकर को टिकट दिया है जबकि भाजपा ने रायगढ़ सीट से जिला पंचायत अध्यक्ष गोमती साय तथा सरगुजा सीट से पूर्व विधायक रेणुका सिंह पर दांव आजमाया है। इसके अलावा बहुजन समाज पार्टी ने सरगुजा से माया भगत, दुर्ग से गीतांजलि सिंह और राजनांदगांव से रविता लकड़ा को उम्मीदवार बनाया है। इन महिला उम्मीदवारों से संबंधित सीटों में से राजनांदगांव में 18 अप्रैल को मतदान हो चुका है तथा अन्य सीटों पर 23 अप्रैल को मतदान होगा और इनके भाग्य का पिटारा ठीक एक महीने बाद 23 मई को खुलेगा ।

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