मध्यप्रदेश के धार में नरेन्द्र मोदी की हुंकार: आतंकियों और उनके सरपरस्तों को बता दिया है कि, अगर वे नहीं सुधरेंगें तो क्या हश्र होगा attacknews.in

धार : मध्य प्रदेश :, पांच मार्च : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पुलवामा आतंकवादी हमले की पृष्ठभूमि में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश ए मोहम्मद के खिलाफ की गई कार्रवाई को लेकर आज कहा कि आतंकियों और उनके सरपरस्तों को बता दिया गया है कि अगर वे नहीं सुधरेंगे तो क्या हश्र होगा।

मध्य प्रदेश के धार में भाजपा की ‘विजय संकल्प रैली’ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा,‘‘ – पुलवामा आतंकी हमले का जवाब भारतीय वायुसेना ने आतंकियों के घर में घुसकर दिया। आतंकियों और उनके सरपरस्तों को बता दिया गया है कि अगर वे नहीं सुधरेंगे तो क्या हश्र होगा।’’ मोदी ने कहा,‘‘- देश-दुनिया को लगता है कि हमने पुलवामा आतंकी हमले का जवाब देकर सही किया।’’ मोदी ने कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह का नाम लिए बगैर उन पर तंज कसते हुए कहा कि वह पुलवामा हमले को महज हादसा बता रहे हैं। उन्हें (दिग्विजय को) ओसामा बिन लादेन भी ‘‘शांति दूत’’ लगता था।

मोदी ने कहा – एक आतंकी की मौत पर जिस पार्टी के नेताओं के आंसू नहीं थमते थे, उस कांग्रेस से आतंकवादियों के खात्मे की उम्मीद नहीं की जा सकती।

प्रधानमंत्री ने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार हर आतंकी हमले के बाद चुप बैठ जाती थी। भारतीय वायुसेना का एयर स्ट्राइक पाकिस्तान में हुआ, लेकिन सदमा भारत में बैठे लोगों को लगा।

पीएम मोदी ने आरोप लगाया कि विपक्षी नेता पाकिस्तान के साथ मिलकर ‘‘महामिलावट’’ कर रहे हैं।

मोदी ने कहा – ‘‘महामिलावटी’’ लोग पाकिस्तान के ‘‘पोस्टर बॉय’’ बन गए हैं। वे पाकिस्तान को शांति दूत बता रहे हैं।

मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा,‘‘- ये लोग आतंकवाद के खिलाफ हमारी लड़ाई के मामले में देश की जनता को भ्रमित कर रहे हैं और पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर वायुसेना के हालिया हमले के सबूत मांगकर सेना का मनोबल तोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।

मोदी ने मध्य प्रदेश में सत्ताधारी कांग्रेस पर आरोप लगाया कि भोपाल में बैठी कांग्रेस सरकार को किसानों की चिंता नहीं। केंद्र की योजना के लाभार्थी किसानों की सूची नहीं भेज रही कमलाथ सरकार।

उन्होंने कहा कि राहुल ने विधानसभा चुनावों से पहले कहा था कि अगर सूबे में कांग्रेस की सरकार आने पर 10 दिन में किसानों का कर्जा माफ नहीं हुआ तो वह मुख्यमंत्री बदल देंगे। लेकिन किसानों का कर्जा अब तक माफ नहीं हुआ और मुख्यमंत्री (कमलनाथ) अब भी पद पर बरकरार हैं

सेना के पराक्रम पर सबूत मांगने वाले महामिलावटी

पाकिस्तान के पोस्टर बॉय बन गए है :

प्रधानमंत्री ने आज धार में देशवासियों से पूंछा कि आप बताइए आतंकियों को सजा देना जरूरी था या नहीं ? इनके आकाओं को दो टूक संदेश देना जरूरी था या नहीं ? हमें अपनी सेना के पराक्रम पर गर्व है या नहीं ? उपस्थित जनसमुदाय ने एक साथ भारत माता की जयकारे के साथ प्रधानमंत्री के निर्णय का समर्थन एक स्वर में किया। मोदी ने तब कहा कि भारत की सेना के पराक्रम का जो लोग लगातार अपमान करते है, जिन्हें मोदी विरोध के अलावा कुछ सूझता नहीं है, जो निरंतर मोदी को गाली दें रहे है, उन्हें पाकिस्तान में तालियां मिल रही है। ये महामिलावटी लोग पाकिस्तान में पोस्टर बॉय बन गए है।

श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत ने आतंकियों के सरपरस्तों को डंके की चोट पर कह दिया है कि अब उनके सामने सुधरने के अलावा कोई चारा नहीं। फिर भी नहीं सुधरेंगे, तो क्या किया जाएगा, क्या होगा ये भी उन्हें बता दिया गया है। आप बताइये आतंकियों को सजा देना जरूरी था या नहीं ? आकाओं को दो टूक संदेश देना जरूरी था या नहीं ? हमारे सैनिकों ने सही जगह वार किया कि नहीं किया ? क्या आपको हमारी सेना का जो पराक्रम है,उस पर गर्व है या नहीं ? आपको लगता है कि हमारे वीर जवानों ने सही किया। पूरे देश को और दुनिया को सही लगा, लेकिन हमारे देश का दुर्भाग्य है, यहां कुछ ऐसे लोग हैं जिस पार्टी ने देश पर सबसे लंबे समय तक शासन किया, जिस पार्टी के नेताओं ने हमारी सेनाओं के हाथ बांधकर रखे, उसके नेता अब हमारे जवानों के पराक्रम पर सवाल उठा रहे हैं। मध्यप्रदेश के एक नेता तो और आगे नजर आते हैं। आज सुबह ही उन्होंने पुलवामा हमले को दुर्घटना कहा है। यानी एक हादसा, जो बस हो गया। देशवासी समझ लें ये ऐसे ही नहीं बोले, ये इनकी मानसिकता है। ये इनकी रंगों में पड़ा है। आतंकियों को बचाने के लिए, उनका पक्ष लेने के लिए अब ये उनके द्वारा किए गए हमले को एक हादसा बता रहे हैं। आप बताइये क्या पुलवामा में जो हुआ वो हादसा था क्या ? क्या ये आतंकी हमले के राक्षसी कृत्य की गंभीरता को कम करने की कोशिश है या नहीं।

नामदार परिवार के सिपहसालार को ओसामा बिन लादेन भी शांतिदूत लगता था:

उन्होंने कहा कि नामदार परिवार के ये वही खास सिपहसालार हैं, जिन्हें अब आतंक को बढ़ावा देने वाले शांतिदूत नजर आने लगे हैं। ये वही महोदय हैं, जिनको दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी ओसामा बिन लादेन शांतिदूत लगता था, जिन्होंने मुंबई हमले में पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी थी और जांच को भटकाने की कोशिश की थी। बाटला हाउस एनकाउंटर के समय ऐसे ही एक और राजदरबारी ने दुनिया को बताया था। तब रिमोट से सरकार चलाने वालों के आंसू रुकते नहीं थे। ये कौन थे जिनके आतंकियों के लिए आंसू रुकते नहीं थे। क्या ऐसी कांग्रेस से आतंक के खिलाफ कार्रवाई की उम्मीद की जा सकती है। क्या ये आतंक के सरपरस्तों को खत्म कर सकते हैं, उनमें दम है, माद्दा है, इरादा है। कौन कर सकता है आतंकवादियों का मुकाबला, उनका खात्मा कौन कर सकता है। मोदी नहीं……सवा सौ करोड़ देशवासी कर सकते हैं। ये ताकत हिंदुस्तान में है। आतंक के प्रति इसी कांग्रेसी रवैये के कारण आतंक को मुंहतोड़ जवाब नहीं मिल पाता। आज ये स्ट्राइक पर सवाल उठा रहे हैं, लेकिन जब इनकी सरकार थी तब क्या होता था। ये हर आतंकी हमले के बाद चुप बैठ जाते थे, या फिर हमारी जवानों की कार्रवाई पर आंसू बहाते थे। इनका वही चेहरा एक बार फिर सामने आया है। एयर स्ट्राइक पाकिस्तान में हुई,लेकिन सदमा भारत में। विपक्ष के लोगों का चेहरा देखिए एक हफ्ते से ऐसा मुंह लटकाए हैं मानो दुखों का पहाड़़ टूट गया हो।

मोदी को गाली बदले इन्हें पाकिस्तान में ताली मिलती है:

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत भर में महामिलावट करने वाले लोग अब अंतरराष्ट्रीय महामिलावट कर रहे हैं। यहां ये मोदी को गाली देते हैं वहां पाकिस्तान में इनके लिए तालियां बजती हैं। अखबारों की हैडलाइंस भरी पड़ी हैं। चैनलों पर इनके ही चेहरे दिखाई पड़ते हैं। आजकल ये महामिलावटी लोग पाकिस्तान के पोस्टर बॉय बन गए हैं। आपने देखा होगा, एयर स्ट्राइक के बाद पाक की बोलती बंद हो गई, अलग-थलग पड़ गया, तो उसकी इज्जत बचाने के लिए यही मिलावटी सामने आ गए। कोई सबूत मांगने लगा, कोई आतंकियों की लाशों की संख्या पूछने लगा। ये लोग पाकिस्तान को ही शांति का दूत बताने लगे। यह अतरराष्ट्रीय महामिलावट एक सुर में राग अलाप रही है। एक तरफ देश भर में देश को प्यार करने वाले लोग एक हो रहे हैं, तो दूसरी तरफ मोदी की नफरत में सारे मिलावटी कूं कूं कर रहे हैं। भारत के बाहर भी सहारा ढूंढ रहे हैं। जब आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में देश एकमत हो रहा है, तब ये देश को भ्रमित कर इस लड़ाई को कमजोर करना चाहते हैं। हमारी सेना का पराक्रम पूरा विश्व मान रहा है, ये सेना से ही सबूत मांगकर उसका मनोबल तोड़ रहे हैं।

श्री मोदी ने कहा कि जब पूरी दुनिया भारत के साथ है। तब ये प्रश्न करके भारत को कमजोर करने का हीन प्रयास कर रहे हैं। कड़े से कड़ा और बड़े से बड़ा फैसला तब आता है, फैसले का हौसला भी तब आता है, जब राष्ट्रहित सर्वोपरि हो, सिर्फ अपने परिवार का हित नहीं। भाजपा के लिए व्यक्ति से बड़ा दल और दल से बड़ा देश होता है। इसलिए हर फैसला सिर्फ और सिर्फ देश हित में लिया जा रहा है।

देश की सुरक्षा और गरीब का कल्याण दोनों ईमानदारी से:

देश की सुरक्षा हो या फिर गरीब का कल्याण हमारी सरकार पूरी ईमानदारी से काम कर रही हे। 5 लाख तक मुफ्त इलाज करने वाली आयुष्मान भारत योजना हमारी सरकार ने लागू की। पहली बार हर गरीब को मुफ्त गैस सिलेंडर देने की योजना गरीब के दरवाजे तक पहुंच चुकी है। धुएं में जिंदगी गुजारने वाली मां को धुएं से मुक्ति मिल चुकी है। गरीब परिवारों को अपना शौचालय देने के लिए स्वच्छ भारत हमने शुरू किया। जन-धन योजना हमारी सरकार ने शुरू की।

प्रधानमंत्री श्रम योगी मान धन योजना का शुभारंभ, 42 करोड़ को पेंशन मिलेगी:

आज श्रमिकों के लिए सबसे बड़ी योजना का शुभारंभ हुआ है। टेक्नोलॉजी के माध्यम से इस कार्यक्रम से एक करोड़ लोग जुड़े। प्रधानमंत्री श्रमयोगी मानधन योजना। अलग-अलग क्षेत्रों में काम करने वाले श्रमिको, कामगारों को इसका लाभ मिलेगा। ऐसे लगभग 42 करोड़ कामगार बहन-भाइयों को साठ वर्ष के बाद पेंशन मिलेगी। हर महीने 3 हजार पेंशन मिलेगी। इस योजना से जुड़ने के लिए औसतन 100 रुपए का अंशदान देना होगा। जितना ये अंशदान देंगे, उतना ही केंद्र की मोदी सकरार जमा करेगी। आज इस योजना का पहला दिन है। अब तक 14 लाख बहन भाई इससे जुड़ चुके हैं। उन्होंने जितना पैसा जमा किया, उतना मोदी सरकार ने भी जोड़ दिया। ये दूसरी योजना है, जो इतिहास में दर्ज होगी। 24फरवरी को किसान सम्मान निधि की शुरुआत हुई थी। देश के 12करोड़ किसान परिवारों को इसका लाभ मिलेगा। हर वर्ष 75 हजार करोड़ रुपया सीधा किसानों के खाते में जमा होगा।

भोपाल में ऐसी सरकार जिसने गरीब किसानों को पैसा नहीं मिलने दिया:

श्री मोदी ने कहा कि मुझे दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि भोपाल में ऐसी सरकार बैठी है, जिसे न गरीबों की न किसानों की चिंता है। इतने सारे लोगों को पहली किश्त मिल गई, लेकिन इनमें मध्यप्रदेश का एक भी किसान शामिल नहीं। इसलिए नहीं कि मोदी देना नहीं चाहता। लेकिन सूची तो सरकार दे। यदि सूची मिल जाती तो पैसे देने को हम तैयार हैं सूची उनको देना है, पर उनको लग रहा है कि यदि ये दो हजार रुपया लाखों किसानों के खातों में चला गया, तो नाक कट जाएगी। पहले शीशे में देखो नाक बची है क्या। ये है किसानों के प्रति इनका दोहरा रवैया। किसानों के नाम पर गांव-गांव जाकर वोट मांगे। जिनको पौधों और पेड़ में फर्क नहीं मालूम, वे यहां आकर बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे। कह रहे थे मुख्यमंत्री बदल दूंगा अगर 10 दिनों में कर्ज माफ नहीं हुआ तो। क्या बदल गया मुख्यमंत्री। बताइये वही है न जिसने वादा किया था। आपकी आंखों में धूल झौंकी या नहीं, ये झूठ बोलने में माहिर हैं या नहीं। इन्हें न गरीबों की, न किसानों की न नौजवानों की चिंता है। आप बताईये इंदौर-दाहोद रेल लाइन का भूमिपूजन 2008 में हुआ था, उसके बाद भूल गए। अब हमारी सरकार इस काम को पूरा कर रही है। शिवराज सरकार के समय बहुत कम हुए। उनके जाने के बाद अब क्या स्थिति है, आप महसूस कर रहे होंगे। सिर्फ सरकार नहीं आई, एक कांग्रेस कल्चर भी आ गया है। एक तरफ प्रदेश के विकास पर ब्रेक लगाने वाला कल्चर है, दूसरी तरफ धार और मध्यप्रदेश के विकास के लिए काम करने वाली भाजपा। धार को दो-दो हाईवे से जोड़ने का काम हमारी सरकार ने किया। सिंचाई सुविधाओं का काम हमारी सरकार ने किया। वन-धन योजना के माध्यम से जो सुनिश्चित किया जा रहा है कि आप जंगल से जो उपज लेते हैं, उसका बेहतर मूल्य मिले। वनोपजों का समर्थन मूल्य तीन बार बढ़ाया। फसलों का एमएसपी बढ़ाया। अब 50 उपजों पर एमएसपी मिल रहा है। धार की चित्रकला और बांसकला दुनिया में मशहूर है। यहां के उत्पादों को बड़ा बाजार मिले, इसके लिए तकनीकी का सहारा लिया जा रहा है। ऑनलाइन कारोबार में वृद्धि की गई है। शिक्षा के प्रयास किए जा रहे हैं। एकलव्य मॉडल स्कूल खोले जा रहे हैं। देश की आजादी से लेकर अब तक के विकास में आदिवासी जननायकों का बड़ा योगदान रहा। भाजपा सरकार इस योगदान को सम्मान देने का काम कर रही है। जिन बहन-बेटियों ने बलिदान दिया है, उनके सम्मान में स्मारक बन रहे हैं। ये चौकीदार आदिवासी, किसान, के सम्मान के लिए उनके हितों के लिए काम कर रहा है, वहीं कांग्रेसी इस चौकीदार को गालियां देने में लगा है। देश कह रहा है आतंक को मिटाओ, वो कह रहे हैं मोदी को मिटाओ, देश कह रहा है गरीबी हटाओ, वो कह रहे हैं मोदी को हटाओ, देश कह रहा है मजबूत सरकार बनाओ, वे कह रहे हैं मजबूर सरकार बनाओ।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को आदिवासी परंपरा से साफा पहनाकर, तीर कमान सौंपकर स्वागत किया।

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पाकिस्तान के बालाकोट में वायुसेना के हमले में मारे गए आतंकवादियों की संख्या आज- कल में सामने आ जाने की बात गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कही attacknews.in

ढुबरी (असम), पांच मार्च । केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के प्रशिक्षण अड्डे पर भारतीय वायु सेना के हमले में मरे आतंकवादियों की संख्या ‘आज या कल’ सबको मालूम हो जाएगी।

सिंह ने दावा किया कि राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी शोध संगठन (एनटीआरओ) प्रणाली ने बताया है कि भारत के हवाई हमले से पहले स्थल पर करीब 300 मोबाइल फोन सक्रिय थे।

विपक्ष पर हवाई हमले को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए गृह मंत्री ने कहा कि अगर कांग्रेस यह जानना चाहती है कि कितने आतंकवादी मारे गए हैं तो वह पाकिस्तान जाकर शवों को गिन सकती है।

बीएसएफ की एक सीमा परियोजना का उद्घाटन करने के बाद जनता को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा, ‘‘ अन्य राजनीतिक दलों के कुछ नेता पूछ रहे हैं कि भारतीय वायु सेना के हमले में कितने आतंकवादी मारे गए हैं। यह आज या कल सबको मालूम हो जाएगा। पाकिस्तान और उसके नेताओं के दिल जानते हैं कि कितने आतंकवादी मारे गए हैं।’’

मारे गए आतंकवादियों की संख्या पर सवाल करने के लिए विपक्ष पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि पार्टियां पूछ रही हैं कि ‘कितने मरे, कितने मरे?’

सिंह ने कहा, ‘‘ एनटीआरओ की प्रमाणिक प्रणाली है जो कहती है कि (बालाकोट स्थल पर) 300 मोबाइल फोन सक्रिय थे। क्या ये मोबाइल फोन पेड़ उपयोग कर रहे थे? अब क्या आप (विपक्ष) एनटीआरओ पर भी यकीन नहीं करेंगे?’’

उन्होंने कहा कि सिर्फ सरकार बनाने के लिए राजनीति नहीं करनी चाहिए लेकिन यह देश निर्माण के लिए करनी चाहिए।

सिंह ने कहा, ‘‘ अगर कांग्रेस के मेरे मित्रों को लगता है कि संख्या के बारे में उन्हें बताना चाहिए तो मैं कहना चाहूंगा कि आप पाकिस्तान जाना चाहते हैं तो जाएं, लोगों से पूछें कि हमारी वायुसेना के जवानों ने कितने मारे तथा (शव) गिनें।’’

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पाकिस्तान ने भारत द्वारा सौंपे गए डोजियर पर कार्रवाई की; मसूद अजहर के भाईयों समेत 44 आतंकवादियों को किया गिरफ्तार, 7 दिनों तक अभियान चलेगा attacknews.in

इस्लामाबाद, पांच मार्च । पाकिस्तान में, भारत के पुलवामा में आतंकवादी हमले के लिए जिम्मेदार संगठन जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर के भाई सहित विभिन्न प्रतिबंधित संगठनों के 44 सदस्यों को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया।

पाकिस्तान ने उसकी सरजमीं पर सक्रिय आतंकी संगठनों पर लगाम कसने तथा उन्हें मिलने वाले धन पर रोक लगाने के लिए वैश्विक समुदाय के बढ़ते दबाव के बीच यह कार्रवाई की है।

गृह राज्यमंत्री शहरयार खान अफरीदी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि कार्रवाई में पकड़े गये 44 सदस्यों में अजहर का भाई मुफ्ती अब्दुर रऊफ और एक अन्य हम्माद अजहर शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि भारत द्वारा पिछले सप्ताह पाकिस्तान को सौंपे गये डॉजियर में मुफ्ती अब्दुर रऊफ और हम्माद अजहर के नाम शामिल थे।

प्रतिबंधित संगठनों के खिलाफ यह कार्रवाई ऐसे समय की गई है जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव का माहौल है। जम्मू कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी को जैश ए मोहम्मद आतंकी संगठन के आत्मघाती हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गये थे।

भारत ने जैश ए मोहम्मद के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पाकिस्तान को एक डॉजियर सौंपा था जिसके बाद इस्लामाबाद पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा आतंकवादी के रूप में चिन्हित व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ कार्रवाई का दबाव बना।

हालांकि मंत्री ने कहा कि यह कार्रवाई किसी दबाव में नहीं की गई है।

मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय कार्रवाई योजना के तहत सभी प्रतिबंधित संगठनों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

उन्होंने कहा कि दो सप्ताह तक अभियान जारी रहेगा और साक्ष्यों के आधार पर गिरफ्तार लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी।

मंत्री ने कहा कि उनकी सरकार की नीति यह है कि पाकिस्तान की जमीन को किसी के खिलाफ आतंकी गतिविधियों के लिए इस्तेमाल की अनुमति नहीं दी जाएगी।

इससे एक दिन पहले, पाकिस्तान में सोमवार को व्यक्तियों और संगठनों के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के प्रतिबंधों को लागू करने हेतु प्रक्रिया को सुचारू बनाने के लिए एक कानून लाया गया था।

इस आदेश की व्याख्या करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता मोहम्मद फैसल ने कहा कि इसका मतलब यह हुआ कि सरकार ने देश में सक्रिय सभी प्रतिबंधित संगठनों की संपत्तियों को अपने नियंत्रण में ले लिया है

मंत्रालय की ओर  से जारी एक बयान के मुताबिक राष्ट्रीय कार्य योजना लागू करने के मकसद से एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गयी। राष्ट्रीय सुरक्षा समिति में लिये गये फैसलों के आधार पर इस तरह की कार्रवाइयां जारी रहेंगी।

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जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद फैलाने और आतंकवादियों के पनाहगाह बने संगठन जमात- ए- इस्लामी के बाद अब हुर्रियत की बारी; जाने इनका इतिहास और गतिविधियां attacknews.in

नईदिल्ली/ श्रीनगर 5 मार्च ।  पुलवामा में हुए आतंकवादी हमले के  बाद केंद्र सरकार आतंकवाद को समाप्त कसने के लिए कई बड़े कदम  उठा रही है।पुलवामा हमले से तार जुड़े होने के सबूत मिलने के बाद जम्मू-कश्मीर में काम कर रहे संगठन जमात- ए- इस्लामी  पर आतंकवाद निरोधक कानून  के तहत 5 साल तक के लिए प्रतिबंध लगाया है ।अब बारी हुर्रियत को प्रतिबंधित करने की है ।

रविवार को जमात  संगठन के 15 और सदस्यों को गिरफ्त में लिया गया है और इसकी 52 करोड़ की संपत्ति जब्त कर जांच की जा रही है. प्राप्त जानकारी मुताबिक 1 मार्च से अभी तक जमात  से जुड़े 370 से ज्यादा लोगों को गिरफ्त में लेकर पूछताछ की जा रही है. रविवार सुबह भी संगठन से जुड़े 15 अहम लोगों को हिरासत में लिया गया है.

किस-किस की हुई गिरफ्तारी:

जम्मू-कश्मीर पुलिस के मुताबिक रविवार को जमात-ए-इस्लामी (जम्मू कश्मीर) से जुड़े सैयदपुरा के पूर्व जिला अध्यक्ष बशीर अहमद लोन के साथ उनके अन्य साथियों अब्दुल हामिद फयाज, जाहिद अली, मुदस्सिर अहमद, गुलाम कादिर, मुदासिर कादिर, फयाज वानी, जहूर हकाक, अफजल मीर, शौकत शाहिद, शेख जाहिद, इमरान अली, मुश्ताक अहमद और अजक्स रसूल को गिरफ्तार किया गया. जांच एजेंसी अब तक इस संगठन की करीब 52 करोड़ की संपत्ति जब्त कर चुकी है. बता दें कि इस संगठन के जिन बड़े नेताओं की गिरफ्तारी हुई है, उनसे फिलहाल पूछताछ की जा रही है.

क्यों लगा बैन:

गृह मंत्रालय के सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक जमात-ए-इस्लामी (जेएंडके) पर आरोप है कि ये जम्मू कश्मीर में अलगाववादी विचारधारा और आतंकवादी मानसिकता के प्रसार के लिए जिम्मेदार प्रमुख संगठन है. जमात-ए-इस्लामी आतंकियों को ट्रेंड करना, उन्हें फंड करना, शरण देना, लॉजिस्टिक मुहैया करना आदि काम कर रहा था. इसे जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर का मिलिटेंट विंग माना जाता है. वहीं इसे आतंकवादी घटनाओं के लिए जिम्मेदार माना जाता है. ये संगठन अलगाववादी, आतंकवादी तत्वों का वैचारिक समर्थन करता है. उनकी राष्ट्र विरोधी गतिविधियों में भी भरपूर मदद देता रहा है.

जमात का इतिहास

जमात-ए-इस्लामी की नींव 1942 में पीर सैदउद्दीन ने रखी थी। कश्मीर में जमात और नेशनल कांफ्रेंस का ही सबसे बड़ा जनाधार माना जाता है। इसलिए खुद को सामाजिक और धार्मिक संगठन बताने वाले जमात की कश्मीर की सियायसत में भी महत्वपूर्ण भूमिका है। वर्ष 1971 में जमात ने कश्मीर में चुनाव लड़ा, लेकिन एक भी सीट नहीं जीत सकी थी। इसके बाद 1972 में जमात के पांच प्रत्याशी पहली बार विधायक बने थे। इनमें कट्टरपंथी नेता सैय्यद अली शाह गिलानी भी शामिल थे।

जमात ने 1975 में इंदिरा-शेख समझौते का खुलेआम विरोध किया था। इतना ही नहीं जमात को कश्मीर में युवाओं को देश विरोधी गतिविधियों के लिए बरगलाने और पाकिस्तानी नारों के समर्थक के तौर पर भी देखा जाता है। 1987 में जमात ने अन्य मजहबी संगठनों संग मिलकर मुस्लिम यूनाइटेड फ्रंट कश्मीर (मफ) बनाया था। आपातकाल के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख मुहम्मद अब्दुल्ला ने भी जमात देश विरोधी गैर कानूनी गतिविधियों में शामिल होने की वजह से प्रतिबंध लगाया था।

क्या है जमात-ए-इस्लामी

आजादी से पहले  एक संगठन का गठन किया गया, जिसका नाम जमात-ए-इस्लामी था. जमात-ए-इस्लामी का गठन इस्लामी धर्मशास्त्री मौलाना अबुल अला मौदूदी ने किया था और यह इस्लाम की विचारधारा को लेकर काम करता था. हालांकि आजादी के बाद यह कई अलग-अलग संगठनों में बंट गया, जिसमें जमात-ए-इस्लामी पाकिस्तान और जमात-ए-इस्लामी हिंद शामिल है. हालांकि जमात-ए-इस्लामी से प्रभावित होकर कई और संगठन भी बने, जिसमें जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश, कश्मीर, ब्रिटेन और अफगानिस्तान आदि प्रमुख हैं. जमात-ए-इस्लामी पार्टियां अन्य मुस्लिम समूहों के साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संबंध बनाए रखती हैं.

जमात-ए-इस्लामी (जम्मू-कश्मीर) की घाटी की राजनीति अहम भूमिका है और साल 1971 से इसने सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया।पहले चुनाव में एक भी सीट हासिल नहीं करने के बाद आगे के चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया और जम्मू-कश्मीर की राजनीति में अहम जगह बनाई. हालांकि अब इसे जम्मू कश्मीर में अलगाववादी विचारधारा और आतंकवादी मानसिकता के प्रसार के लिए प्रमुख जिम्मेदार संगठन माना जाता है.

माना जाता है कि यह आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का दाहिना हाथ है और हिजबुल मुजाहिदीन को जमात-ए-इस्लामी जम्मू कश्मीर ने ही खड़ा किया है. हिज्बुल मुजाहिदीन को इस संगठन ने हर तरह की सहायता की।

जमात-ए-इस्लामी कश्मीर घाटी में अलगावादियों और कट्टरपंथियों का प्रचार-प्रसार करता है। वह सैयद सलाहुद्दीन के आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के लिए आतंकियों की भर्ती, धन और साजो-सामान में मदद करता है। अधिकारियों के मुताबिक,  दक्षिण कश्मीर में जमात-ए-इस्लामी के बड़ी संख्या में कार्यकर्ता हैं। हिजबुल मुजाहिदीन पाकिस्तान के सहयोग से प्रशिक्षण देने के साथ ही हथियारों की आपूर्ति कर रहा है। जमात-ए-इस्लामी पर कश्मीर घाटी में आतंकवादी गतिविधियों की सक्रिय अगुआई करने का आरोप है।

पाकिस्तान में छिपा सैयद सलाहुद्दीन पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों के संगठन यूनाइटेड जेहाद काउंसिल का सरगना है। जमात-ए-इस्लामी जेके पर पहले भी दो बार प्रतिबंध लगाया गया था। पहली बार 1975 में जम्मू-कश्मीर सरकार ने दो साल के लिए और दूसरी बार अप्रैल 1990 में केंद्र सरकार ने तीन साल के लिए प्रतिबंध लगाया था। दूसरी बार प्रतिबंध लगने के समय मुफ्ती मोहम्मद सईद केंद्रीय गृह मंत्री थे। वो बैन दिसंबर 1993 तक जारी रहा था.

4500 करोड़ की संपत्ति का मालिक

जमात घाटी के अंदर कई सारे स्कूल, मदरसे और मस्जिद को संचालित करती है. जमात के पास फिलहाल 4500 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति है. इस संपत्ति में 400 स्कूल, 350 मस्जिद और एक हजार से अधिक मदरसे शामिल हैं. इन सबको चलाने के लिए पाकिस्तान, हुर्रियत कांफ्रेस के अलावा स्थानीय लोग चंदे के जरिए इसकी मदद करते हैं. जमात-ए-इस्लामी काफी लंबे समय से कश्मीर को पाकिस्तान में मिलाने की मुहिम भी चला रही है. उसका मानना है कि कश्मीर का विकास भारत के साथ रहकर नहीं हो सकता है. सूत्रों के मुताबिक, घाटी में कार्यरत कई आतंकी संगठन जमात के इन मदरसों व मस्जिदों में पनाह लेते रहे हैं।

महबूबा और उमर ने जताई नाखुशी

पीडीपी नेता और सूबे की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने केंद्र सरकार द्वारा जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाए जाने के फैसले की आलोचना की थी. महबूबा ने कहा था कि सरकार जमात पर प्रतिबंध लगाने से पहले हिंदूवादी संगठनों पर बैन लगाए. क्या भाजपा का विरोध करना अब राष्ट्रद्रोह भी हो गया है. उधर नेशनल कान्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को कहा कि केंद्र सरकार को जमात-ए-इस्लामी पर पाबंदी लगाने के फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए क्योंकि इस कदम से संगठन की गतिविधियां भूमिगत होने के अलावा कोई मकसद हल नहीं होगा.

उमर ने ट्वीट किया, “केंद्र सरकार को अपने हालिया फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए. जम्मू कश्मीर में 1996 से 2014/15 के बीच बिना इस तरह के प्रतिबंधों के भी हालात में तेजी से सुधार हुआ है. यह प्रतिबंध जमीनी स्तर पर किसी तरह का सुधार करेगा, इस बात का कोई आधार नहीं दिखता.” जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में अशांति फैलने के बाद 1990 में पांच साल से अधिक समय के लिए संगठन पर प्रतिबंध लगाया गया था, लेकिन इस तरह की पाबंदी से कोई मकसद हल नहीं हुआ और कुछ हासिल नहीं हुआ.

जमात-ए-इस्लामी हिंद है अलग संगठन

बता दें कि ये जमात-ए-इस्लामी हिंद से बिल्कुल अलग संगठन है. इसका उस संगठन से कोई लेना देना नहीं है. साल 1953 में जमात-ए-इस्लामी ने अपना अलग संविधान भी बना लिया था. जमात-ए-इस्लामी (जम्मू-कश्मीर) घाटी में चुनाव लड़ता है, लेकिन जमात-ए-इस्लामी हिंद ऐसा संगठन है जो वेलफेयर के लिए काम करता है. जमात-ए-इस्लामी हिंद के देश में स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़े भी कई कार्य करता रहा है.

केंद्र सरकार ने भारत में आतंक को बढ़ावा देने वाले संगठनों पर शिकंजा कसना शुरू करने के अभियान मेंकट्टरपंथी संगठन जमात-ए-इस्लामी के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है।

सरकार ने शुक्रवार को इंस्पेक्टर जनरल और जिला मजिस्ट्रेटों को जमात-ए-इस्लामी के कार्यकर्ताओं को हिरासत में लेने की इजाजत दे दी थी। 350 से ज्यादा सदस्यों को शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया था। एक अनुमान के मुताबिक, यह अलगाववादी संगठन कश्मीर घाटी में 400 स्कूल, 350 मस्जिदें और 1000 सेमिनरी चलाता है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि संगठन के पास 4,500 करोड़ रुपये की संपत्ति होने की संभावना है जिसकी जांच के बाद यह पता चलेगा कि यह वैध है या अवैध।

केंद्र सरकार ने जम्‍मू कश्‍मीर के अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्‍लामी पर पांच साल के लिए प्रतिबंध लगाया  है। जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर को कथित रूप से राष्ट्र विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों के लिए गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत प्रतिबंधित किया गया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा पर एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद गृह मंत्रालय द्वारा प्रतिबंध को लेकर अधिसूचना जारी की गई।

जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर पर देश में राष्ट्र विरोधी और विध्वंसकारी गतिविधियों में शामिल होने और आतंकवादी संगठनों के साथ संपर्क में होने का आरोप है।सुरक्षा बलों ने पुलवामा में 14 फरवरी को हुए आतंकवादी हमले के बाद अलगाववादी ताकतों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी तथा जमात-ए-इस्लामी जम्मू-कश्मीर के कई नेताओं और समर्थकों को गिरफ्तार किया था।

केंद्र सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, जमात-ए-इस्लामी अलगाववादी और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल है। अधिसूचना में उसे नफरत फैलाने के इरादे से काम करने वाला एक संगठन बताया गया है। यही वजह है कि गृह मंत्रालय ने कानून-व्यवस्था और सुरक्षा को देखते हुए इस संगठन को प्रतिबंधित करने के आदेश दिए हैं।

पिछले दो सप्ताह से देश में बने आतंकी और युद्ध जैसे माहौल का स्थायी समाधान करने के लिए केंद्र सरकार ने देश के अंदर और बाहर दोनों मोर्चों पर सख्त रुख अख्तियार किया हुआ है।

भारत एक तरफ जहां पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घेरे हुए है, वहीं पुलवामा हमले के बाद से लगातार आतंकी संगठनों और उन्हें बढ़ावा देने वाले अलगवादियों पर भी शिकंजा कस रहा है। जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगाने के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि केंद्र सरकार अब ऐसे कुछ और संगठनों पर जल्द कार्रवाई कर सकती है।

केंद्र द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद अब गिरफ्तारियों का सिलसिला और तेज होने के साथ ही जमात के संस्थानों पर तालाबंदी भी शुरू हो गई है ।

22 फरवरी को गिरफ्तार हुए थे अलगाववादी नेता

पुलवामा हमले के बाद कश्मीर के अलगाववादी नेताओं के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार करते हुए पिछले सप्ताह (22 फरवरी 2019) को पुलिस ने जम्मू-कश्मीर लिब्रेशन फ्रंट और जमात-ए-इस्लामी के 150 से अधिक कार्यकर्ताओं को हिरासत में ले लिया था। जमात पर ये अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई रही थी । इस कार्रवाई में जमात-ए-इस्लामी प्रमुख अब्दुल हामिद फयाज सहित दर्जनों नेता शामिल थे।

हिजबुल का दाहिना हाथ माना जाता है जमात-ए-इस्लामी

1990 के दशक में जब कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था। उस समय अलगाववादी संगठन जमात-ए-इस्लामी को आतंकी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन का दाहिना हाथ माना जाता था। उस वक्त जमात-ए-इस्लामी, हिजबुल की राजनीतिक शाखा के तौर पर काम करता था। इसके विपरीत जमात-ए-इस्लामी खुद को हमेशा सामाजिक और धार्मिक संगठन बताता रहा है। आज भी जमात का एक एक बड़ा कैडर, हिजबुल से जुड़ा हुआ है।

इसलिए जमात पर लगा प्रतिबंध

जमात ने ही कश्मीरी युवाओं में अलगाववाद और मजहबी कट्टरता के बीज बोए हैं। बीते चार सालों के दौरान जमात के कई नेता कश्मीर के विभिन्न जगहों पर आतंकियों का महिमामंडन करते भी पकड़े गए हैं।

कट्टरपंथी सैय्यद अली शाह गिलानी, मोहम्मद अशरफ सहराई, मसर्रत आलम, शब्बीर शाह, नईम खान समेत शायद ही ऐसा कोई अलगाववादी होगा, जो जमात के कैडर में न रहा हो। यही बात कश्मीर में सक्रिय मुख्यधारा के कई वरिष्ठ नेताओं पर भी लागू होती है। कई पूर्व सुरक्षा अधिकारी और कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ भी मानते हैं कि कश्मीर में आतंकवाद की रीड़ के तौर पर जमायत-ए-इस्लामी किसी न किसी तरीके से काम करती है। इसीलिए केंद्र सरकार ने जमात पर प्रतिबंध लगाया है।

जमात के बाद अब बारी हुर्रियत की

जमात की तरह ही ऑल पार्टीज हुर्रियत कांफ्रेंस (एपीएससी) यानी हुर्रियत पर भी घाटी में अलगाववाद को बढ़ावा देने और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल रहने के आरोप हमेशा से लगते रहे हैं। प्रमुख हुर्रियत और अलगाववादी नेता सैय्यद अली शाह गिलानी भी जमात से जुड़े रहे हैं और उससे चुनाव भी लड़ चुके हैं। अब वह इससे अलग हो चुके हैं।

माना जा रहा है कि जमात पर शिकंजा करने के बाद अब बारी हुर्रियत की है। हुर्रियत का गठन 13 जुलाई 1993 को हुआ था। हुर्रियत, उन सभी पार्टियों का एक संगठन है जिन्होंने 1987 में नेशनल कांफ्रेंस व कांग्रेस गठबंधन के खिलाफ चुनाव लड़ा था। आरोप है कि हुर्रियत घाटी में पनप रहे आतंकी आंदोलन को राजनीतिक चेहरा देती रही है। इसके नेता कश्मीर की आजादी या कश्मीर को पाकिस्तान का हिस्सा बनाने के लिए आंदोलन करते रहे हैं।

हुर्रियत का हिस्सा हैं ये संगठन

हुर्रियत में सात अलग-अलग पार्टियां जमात-ए-इस्लामी, आवामी एक्शन कमेटी, पीपुल्स लीग, इत्तेहाद-उल-मुस्लिमीन, मुस्लिम कांफ्रेंस, जेकेएलएफ और पीपुल्स कांफ्रेंस शामिल हैं। सातों संगठनों के प्रमुख या प्रतिनिधि को हुर्रियत की एग्जिक्यूटिव काउंसिल में बतौर सदस्य शामिल किया गया है। हुर्रियत की एक 21 सदस्यीय वर्किंग कमेटी और 23 सदस्यों वाली जनरल काउंसिल भी है। इसके दो सदस्यों की पूर्व में हत्या भी हो चुकी है। मई 2002 में पीपुल्स कांफ्रेंस के मुखिया रहे अब्दुली गनी लोन को आतंकियों ने मार दिया था। वह पीपुल्स कांफ्रेंस के वर्तमान मुखिया सज्जाद लोन के पिता थे। सज्जाद, भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी के समर्थक माने जाते हैं। अगस्त 2008 में शेख अजीज भी पुलिस फायरिंग में मारे गए थे।

हुर्रियत पर इसलिए लगेगा प्रतिबंध:

इसे ध्यान में रखते हुए केंद्र  सरकार जम्मू-कश्मीर में फिर बड़ा कदम उठा सकती है। जमात-ए-इस्लामी को बैन करने के बाद हुर्रियत पर भी बैन लगा सकती है।

सूत्रों के हवाले से खबर आ रही है कि मोदी सरकार हुर्रियत को बैन करने पर विचार कर रही है।

गौरतलब है कि पुलवामा आतंकी हमले के बाद पिछले दिनों सरकार ने यासीन मलिक, गिलानी समेत 18 अलगाववादी नेताओं की सुरक्षा वापस ले ली थी।

जम्मू-कश्मीर सरकार ने घाटी के 18 हुर्रियत नेताओं और 160 राजनीतिज्ञों को दी गई सुरक्षा वापस ली है। इसके साथ ही 160 से ज्यादा राजनीतिज्ञों का सुरक्षा कवच भी छीन लिया गया है।

जमात-ए-इस्लामी संगठन हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों को कश्मीर घाटी में बड़े स्तर पर फंडिंग करता था। ऐसी तमाम जानकारियों के बाद गृह मंत्रालय ने कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक के बाद जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया।

क्‍या है हुर्रियत कांफ्रेंस

13 जुलाई 1993 को कश्‍मीर में अलगाववादी आंदोलन को राजनीतिक रंग देने के मकसद से ऑल पार्टीज हुर्रियत कांफ्रेंस एपीएससी का गठन हुआ था। यह संगठन उन तमाम पार्टियों का एक समूह था, जिसने 1987 में हुए चुनावों में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन के खिलाफ आए थे। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस मुख्यत: जम्मू-कश्मीर में चरमपंथी संगठनों से संघर्ष कर रही भारतीय सेना की भूमिका पर सवाल उठाने के अलावा मानवाधिकार की बात करती है।

यह गठबंधन भारतीय सेना की कार्रवाई को सरकारी आतंकवाद का नाम देती है। 15 अगस्त को भारत के स्वतंत्रता दिवस और 26 जनवरी को भारत के गणतंत्र दिवस के समारोहों का बहिष्कार भी करती आई है। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ने अभी तक एक भी विधानसभा या लोकसभा चुनाव में हिस्सा नहीं लिया है। हुर्रियत कॉन्फ्रेंस ख़ुद को कश्मीरी जनता का असली प्रतिनिधि बताती है।

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पाकिस्तान ने अपने यहाँ पल रहे आतंकवादी संगठनों के खिलाफ कार्रवाई करने का फैसला लिया attacknews.in

इस्लामाबाद, 04 फरवरी । पुलवामा हमले के बाद चौतरफा अंतरराष्ट्रीय दबाव पड़ने के कारण पाकिस्तान ने आतंकवादी संगठनों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई करने का फैसला लिया है।

एक सूत्र ने  कहा कि जल्द ही इस सिलसिले में कार्रवाई शुरू हो जाएगी।

पाकिस्तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने डॉन अखबार से बात करते हुए इस खबर की पुष्टि की। उन्होंने कहा कि सरकार ने एक कड़ा फैसला लिया है, जिसके तहत सभी आतंकवादी समूहों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई ‘नेशनल एक्शन प्लान’ के अनुसार की जायेगी।

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राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कहा: क्या आपको झूठ बोलने में शर्म नहीं आती; स्मृति ईरानी ने पलटवार किया: राहुल गांधी तो आदतन झूठ बोलते है attacknews.in

नयी दिल्ली, 05 मार्च । कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए सोमवार को अभद्र शब्दों का इस्तेमाल किया और आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश के अमेठी में आर्डिनेंस फैक्टरी के बारे में श्री मोदी ने रविवार को झूठ बोला था।

श्री गांधी ने ट्वीट किया “प्रधानमंत्री जी, अमेठी की ऑर्डिनेंस फैक्ट्री का शिलान्यास 2010 में मैंने खुद किया था। पिछले कई सालों से वहां छोटे हथियारों का उत्पादन चल रहा है। कल आप अमेठी गए और अपनी आदत से मजबूर होकर आपने फिर झूठ बोला।”

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इस फैक्ट्री में कई सालो से छोटे हथियारों का निर्माण किया जा रहा है लेकिन श्री मोदी ने वहां भी गलत बयानी की है। उन्होंने प्रधानमंत्री के लिए आपत्तिजनक शब्द का भ इस्तेमाल किया और कहा “क्या आपको बिल्कुल शर्म नहीं आती?”

केंद्रीय मंत्रियों स्मृति ईरानी और किरेन रिजिजू ने अमेठी में आयुुद्ध कारखाने के संबंध में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर की गयी टिप्पणी को लेकर सोमवार को तीखी आलोचना करते हुए कहा, “वह (श्री गांधी) आदतन झूठ बोलते हैं।”

केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरेन रिजिजू ने ट्वीट कर कहा, “राहुल गांधी जी एक जिम्मेदार पद पर हैं। कांग्रेस पार्टी में मौजूद कुछ संवेदनशील लोग क्यों नहीं उन्हें (श्री गांधी को) समझाते कि जो झूठ बोलने का आदि  हो जाता है वह अपनी आदत से बाहर जाकर झूठ बोलने लगता है। कभी-कभी बिना कारण भी बोलते हैं।”

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पाकिस्तानी वायुसेना को सतर्क किया गया, हमले के लिए तैयार रखा वही पाकिस्तान ने भारत के बीकानेर में कर दी हरकत attacknews.in

इस्लामाबाद/ नईदिल्ली , 04 मार्च । पाकिस्तानी वायु सेना के एयर चीफ मार्शल मुजाहिद अनवर खान ने वायु सेना को चेताया है कि अभी खतरा टला नहीं है और उन्हें किसी भी तरह की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

समाचार पत्र द डान के मुताबिक वायु सेना प्रमुख ने कहा,“हम पूरी विनम्रता के साथ अपने सिर झुकाते हैं अौर उस सर्व शक्तिमान ताकत के प्रति आभार व्यक्त करते हैं जिसने उस कठिन समय में हमें मजबूती दी।”

उनका संकेत पिछले सप्ताह भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव की तरफ था।

उन्होंने कहा,“यह चुनौती अभी तक पूरी तरह खत्म नहीं हुई है और हमें अपनी पूरी तैयारी रखनी है तथा सीमा पार से होने वाले किसी भी तरह के हमले के लिए पूर्ण रूप से सतर्क रहना है।”

गौरतलब है कि कश्मीर के पुलवामा जिले में 14 फरवरी को भारतीय सशस्त्र बल सीआरपीएफ के जवानों पर हुए आत्मघाती हमले के बाद दोनों देशाें के बीच तनाव चरम सीमा पर पहुंच गया था और इसी के मद्देनजर एयर चीफ मार्शल खान ने कहा था कि पाकिस्तानी वायु सेना दुश्मन के किसी हमले का जवाब देने के लिए पूरी तरह तैयार है।

एयरफोर्स ने बीकानेर बॉर्डर पर पाकिस्तान के यूएवी को मार गिराया

उधर नईदिल्ली सेे खबर है कि,पाकिस्तान ने एक बार फिर नापाक हरतक की है। बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की तरफ से बीकानेर इलाके में यूएवी ने घुसने की कोशिश की थी, लेकिन यूएवी को मार गिराया गया। यूएवी बहावलपुर के फोर्ट अब्बास इलाके में गिरा।

बताया जा रहा है कि पाकिस्तान की तरफ से सोमवार को फिर से भारतीय वायु क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश की गई। पाक सेना का एक मानव रहित विमान (यूएवी) बीकानेर सीमा पर उड़ान भर रहा था, जिसे भारतीय वायुसेना ने मिसाइल छोड़कर सुबह करीब 11.30 बजे मार गिराया।

इसके बाद पाकिस्तान के एक यूएवी को गुजरात के कच्छ में मार गिराया गया था। पाकिस्तान की इस हरकत से साफ है कि उसकी शांति की पहल सिर्फ दुनिया के सामने एक दिखावा है। वह किसी भी सूरत में अपनी प्रवृति से बाज नहीं आ सकता है।

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कांग्रेस पार्टी कहती हैं कि, बालाकोट में मारे गए आतंकवादियों की संख्या गिन कर बताओं तो भाजपा 250 के मरने का आंकड़ा बता रही हैं फिर भी वह नहीं मान रही हैं attacknews.in

नयी दिल्ली, 04 मार्च । पाकिस्तान में बालाकोट के जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी ठिकाने पर भारतीय वायुसेना की कार्रवाई में हताहतों की संख्या को लेकर सोमवार को सियासत गर्मा गयी। पूर्व केंद्रीय मंत्री पी. चिदम्बरम समेत कई कांग्रेस नेताओं ने इस कार्रवाई में मारे गए लोगों की संख्या को लेकर सवाल खड़े करते हुए नरेंद्र मोदी सरकार से जवाब मांगा है।

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता श्री चिदम्बरम ने कहा कि भारतीय वायुसेना के वाइस एयर मार्शल ने हताहतों पर टिप्पणी करने से इन्कार कर दिया है। विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि कोई नागरिक या सैनिक हताहत नहीं हुआ। तो हताहतों की संख्या 300..350 किसने बताई?

श्री चिदम्बरम ने कहा, “एक गौरवशाली नागरिक के तौर पर मैं अपनी सरकार पर भरोसा करने के लिए तैयार हूं, लेकिन अगर हम ये चाहते हैं कि दुनिया को भी भरोसा हो, तो सरकार को विपक्ष को कोसने की बजाय इसके लिए प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वायुसेना को उनकी शानदार उपलब्धि के लिए सलाम करने वाले सबसे पहले व्यक्ति कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी थे। मोदी जी ये क्यों भूल गए?

कांग्रेस के ही एक अन्य वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने ट्वीट करते हुए कई विदेशी अखबारों और एजेंसियों की खबरों का उल्लेख किया है जिनमें कहा गया है कि बालाकोट में आतंकवादियों को किसी प्रकार का नुकसान नहीं हुआ है।

श्री सिब्बल ने सरकार पर आतंकवाद के राजनीतिकरण का दोषी होने का आरोप लगाते हुए कहा,“मैं प्रधानमंत्री से यह पूछना चाहता हूं कि क्या इंटरनेशनल मीडिया पाकिस्तान का समर्थन कर रही है? जब अंतरराष्ट्रीय मीडिया पाकिस्तान के खिलाफ बोलती है तो आप खुश होते हैं। क्या उनका सवाल पूछना पाकिस्तान के समर्थन के कारण है?

गौरतलब है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से टेलीफोन पर हुई बातचीत का हवाला देते हुए कहा था कि उन्हें बताया गया है कि इस कार्रवाई में 200 से 250 आतंकवादी मारे गए हैं। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अध्यक्ष अमित शाह ने भी रविवार को गुजरात में कहा कि इस कार्रवाई में 250 आतंकवादी मारे गए हैं।

पंजाब सरकार में मंत्री और अपने बयानों को लेकर लगातार विवादों में बने रहने वाले श्री नवजोत सिंह सिद्धू ने भी ट्वीट कर सवाल किया है कि 300 आतंकवादी मरे, हां या नहीं?

श्री सिद्धू ने कहा, “तब आपका मकसद क्या था, क्या आप आतंकवादियों को खत्म कर रहे थे, अथवा पेड़ उखाड़ रहे थे, क्या यह एक चुनावों काे देखते हुए नाटक तो नहीं था। सेना का राजनीतिकरण बंद करें। यह वैसी ही पवित्र है जैसे राष्ट्र। ऊंची दुकान फीका पकवान।”

इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी आैर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह भी बालाकोट आतंकवादी शिविर पर हुई हवाई कार्रवाई के सबूत मांग चुके हैं।

वायुसेना प्रमुख बी. एस. धनोआ ने कहा है कि हमारा काम लक्ष्य भेदना है और मारे जाने वालों की गिनती करना नहीं है।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने दावा किया है कि पाकिस्तान के आतंकी कैंपों पर हाल में भारतीय वायु सेना की कार्रवाई में 250 से ज्यादा आतंकी मारे गये हैं।

श्री शाह ने कल अहमदाबाद में  एक कार्यक्रम में कहा कि पुलवामा हमले के 13 दिन बाद ही वायु सेना ने आतंकियों के शिविर पर हमला किया जिसमें 250 से अधिक आतंकी मारे गये। सेना का एक भी जवान इस दौरान हताहत नहीं हुआ।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान को हमारे विंग कमांडर अभिनंदन को भी लौटाना पड़ा। यह इस तरह से सैन्य अधिकारी को लौटाने की विश्व की सबसे कम समय वाली बात है।

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जम्मू-कश्मीर में चुनाव जल्द करवाए जाएंगे attacknews.in

श्रीनगर 04 मार्च । मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने जम्मू कश्मीर के पुलिस और नागरिक प्रशासन की तैयारियों की समीक्षा करने के बाद सोमवार को कहा कि लोकतंत्र के सिद्धांतों को बनाये रखने के लिए राज्य में चुनाव जल्द करवाये जाएंगे।

श्री अरोड़ा ने यहां कहा, “लोकतंत्र के सिद्धांतों को बनाये रखने के लिए राज्य में चुनाव जल्द करवाये जाएंगे। आयोग चाहता है कि राज्य के आगामी चुनाव पूरी तरह से समग्र और तटस्थ चुनावों का आयोजन हो। भारत के किसी भी हिस्से में चुनाव आयोजन करवाना एक चुनौती इसलिए है क्योंकि यहां भौगोलिक स्थिति, जनसंख्या घनत्व और छुट्टियां जैसे कई कारक एक साथ काम करते हैं।”

श्री अरोड़ा के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल सोमवार को दो दिवसीय दौरे के लिए श्रीनगर पहुंचा।

प्रतिनिधिमंडल आगामी वर्ष 2019 के चुनाव को लेकर यहां के सभी राजनीतिक दलों, राज्य प्रशासन और अन्य हितधारकों के साथ विचार विमर्श करेगा।

चुनाव आयोग के दल ने जम्मू-कश्मीर में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करवाने के लिए राज्य के पुलिस और नागरिक प्रशासन के विभिन्न विभागों की तैयारियों की समीक्षा की। आयोग ने राज्य प्रशासन से सभी मतदाता केंद्रों पर मतदाताओं के लिए आवश्यक सुविधाएं मुहैया कराने की बात कही। आयोग ने कहा कि साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि मतदाता बिना किसी भय और बाधा के मतदान केंद्रों पर पहुंचे।

आयोग ने जोर देकर कहा कि राज्य प्रशासन चुनावों में उम्मीदवारों के खर्च पर नजर रखे। उप चुनाव आयुक्त संदीप सक्सेना ने कहा, “लोकसभा चुनाव के लिए 70 लाख और विधानसभा चुनाव के लिए 28 लाख के खर्च की सीमा तय की गयी है।”

आयोग ने कहा राज्य प्रशासन इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) और वीवीपैट मशीनों का संचालन सभी हितधारकों जैसे राजनीतिक दल और उम्मीदवारों के समक्ष करे ताकि चुनावों में पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सके।

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नरेन्द्र मोदी ने कहा: 2019 के बाद भी मैं ही प्रधानमंत्री रहूंगा, चिंता नहीं करना attacknews.in

अहमदाबाद, 04 मार्च । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज यहां कहा आगामी लोकसभा चुनाव के बाद भी वहीं प्रधानमंत्री रहेंगे।

श्री मोदी ने यहां जासपुर में पाटीदार समुदाय की देवी उमिया के एक विशाल मंदिर के भूमिपूजन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में कहा, ‘2019 के बाद भी मै ही रहूंगा चिंता नहीं करना।’

अपने संबोधन के दौरान जब वह उन्होंने प्रस्तावित मंदिर के मामले में सरकारी सहायता के संदर्भ में कुछ कहना चाहा तो थोड़ी देर के लिए रूक गये। फिर वहां मौजूद पाटीदार समाज की भारी भीड़ को संबोधित करते हुए कहा कि 2019 के बाद भी वहीं रहेंगे इसलिए उन्हें चिंता नहीं करनी चाहिए। फिर भीड़ ने मोदी मोदी के नारे लगाये और इसके बाद उन्होंने कहा कि भारत सरकार को इसमें कुछ भी करने की जरूरत हो तो दिल्ली में जो मेरा घर है वह आपका ही है।

इससे पहले उन्होंने अपने संबोधन में देश की प्रगति में अध्यात्मिक वर्ग की भागीदारी को जरूरी बताया और कहा कि 1857 की क्रांति के पहले भी ऐसे परिबलों ने भूमिका तैयार की थी। बाद में दुर्भाग्य से इनकी उपेक्षा होती रही लेकिन सौभाग्य से अब फिर से ऐसे अध्यात्मिक सुधारक आगे आ रहे हैं।

उन्होंने कन्याओं की कमी वाले पाटीदार समुदाय को कन्या भ्रूण हत्या से बचने की शपथ भी दिलायी।

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प्रयागराज कुम्भ मेला पूर्ण हुआ,अंतिम स्नान संपन्न, 1.10 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाई attacknews.in

कुम्भनगर, 04 मार्च । सम्पूर्ण विश्व में अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले कुम्भ के आखिरी दिन महाशिवरात्रि के पर्व पर एक करोड़ 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने पतित पावनी गंगा, श्यामल यमुना और अन्त: सलिला स्वरूप में प्रवाहित हो रही सरस्वती में आस्था की डुबकी लगाई।

आधिकारिक सूत्रो ने सोमवार को यहां बताया कि कुम्भ के अंतिम स्नान के लिए विभिन्न घाटों पर मध्यरात्रि के बाद से लगातार स्नान होता रहा।  शाम पांच बजे तक एक करोड़ 10 लाख से अधिक श्रद्वालुओं ने त्रिवेणी के संगम में आस्था एवं पुण्य की डुबकी लगाई।

महाशिवरात्रि के स्नान के लिए श्रद्वालुओं का आगमन शनिवार से ही शुरू हो गया था। रविवार प्रातः से शुरू हुआ श्रद्वालुओं का रेला कुम्भ के विभिन्न मार्गो पर आगमन देर शाम तक अनवरत जारी रहा। संयोग से इस बार महाशिवरात्रि पर्व सोमवार को था तथा इस भव्य और दिव्य कुम्भ के आखिरी स्नान पर्व होने के कारण भी श्रद्वालुओं की भीड कुम्भ क्षेत्र में पहुंची।

पिछले डेढ़ महीने से चल रहे कुंभ मेले में महाशिवरात्रि के अवसर पर अंतिम पवित्र स्नान के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में आए श्रद्धालुओं ने आज हर-हर महादेव के जयकारे के साथ संगम में डुबकी लगाई । ये श्रद्धालु एक दिन पहले से ही संगम नगरी में पहुंचना शुरू हो गए थे । मेले का आज अंतिम स्नान था ।

हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाशिवरात्रि उन कल्पवासियों के अंतिम पवित्र स्नान का प्रतीक है- जो माघ के महीने को कल्पवास के रूप में बिताते हैं। कल्पवास तपस्या की वह अवधि है, जिसमें लोग सांसारिक मोह-माया त्याग कर अति संयमित और आध्यात्मिक जीवन जीते हैं।

पवित्र शहर के कुछ हिस्सों में देर रात आयी बारिश के बावजूद तीर्थयात्रियों का उत्साह कम नहीं हुआ।

लखनऊ से आए धनंजय सिंह ने कहा, ‘‘बारिश के बावजूद मैं और मेरे दोस्त स्नान घाट गये और डुबकी लगाई।’’

कुंभ नगरी के सेक्टर-6 में एक शिविर लगाने वाले ज्योतिषी आशुतोष वार्ष्णेय ने कहा, ‘‘महाशिवरात्रि कुंभ की परिणति और प्रमुख स्नान दिवस के रूप में चिह्नित है। लंबे समय बाद इस साल, शिवरात्रि सोमवार को है, जो दिन भगवान शिव को ही समर्पित है।’’

कुंभ में कुल छह प्रमुख पवित्र स्नान होते हैं, जिनमें मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी पर शाही स्नान का तथा पौष पूर्णिमा और माघी पूर्णिमा पर पर्व स्नान का आयोजन किया गया।

छठा व अंतिम स्नान आज महाशिवरात्रि के अवसर पर हुआ ।

दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागमों में से एक कुंभ का शुभारंभ मकर संक्रांति पर 15 जनवरी को हुआ था।

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नरेंद्र मोदी का देश को तबाह करने वाले आतंकियों और उनके सीमापार बैठे आकाओं को नहीं छोड़ने का संकल्प, आतंकवाद की बीमारी की जड़ पाकिस्तान है attacknews.in

जामनगर, चार मार्च । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को उनके उस बयान पर सवाल खड़े करने के लिए विपक्ष पर निशाना साधा जिसमें उन्होंने कहा था कि राफेल लड़ाकू विमान होने से पाकिस्तान के साथ 27 फरवरी को विमानों के बीच लड़ाई के दौरान आईएएफ को अधिक मारक क्षमता मिल जाती।

मोदी ने कहा कि भारत आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में चुप नहीं बैठेगा और आतंकवाद की जड़ पाकिस्तान में है और इसका जड़ से इलाज किया जायेगा।

उन्होंने यहां लोगों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘मैंने कहा था कि अगर राफेल समय पर मिल जाता तो (27 फरवरी को डॉगफाइट (विमानों के बीच लड़ाई) के दौरान) स्थिति अलग होती, लेकिन उन्होंने (विपक्ष) कहा कि मोदी हमारी वायु सेना के हवाई हमले पर सवाल खड़ा कर रहे हैं।’’

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘कृपया समझदारी का इस्तेमाल करें, मैंने कहा था कि अगर (विमानों के बीच लड़ाई) के दौरान हमारे पास राफेल होता, तो न हमारा कोई विमान गिरता और न उनका कोई विमान बचता।’’

पाकिस्तान के बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादी शिविर पर 26 फरवरी को किये गये हवाई हमले का सबूत मांगने वाले विपक्षी पार्टी के नेताओं के बयानों पर नाराजगी जाहिर करते हुए मोदी ने कहा कि उनका उद्देश्य आतंकवाद को खत्म करना है, जबकि विपक्ष का उद्देश्य उन्हें (मोदी को) हटाना है।

उन्होंने कहा, ‘‘आतंकवाद की बीमारी की जड़ पड़ोसी देश में है, क्या हमें इस बीमारी का इलाज जड़ से नहीं करना चाहिए।’’

यहां गुरु गोविंद सिंह अस्पताल के एनेक्सी भवन और विभिन्न अन्य विकास कार्यों का उद्घाटन करने के बाद मोदी ने कहा, ‘‘अगर भारत को तबाह करने की मंशा रखने वालों के ‘सरगना’ बाहर हैं, तो यह देश शांत नहीं बैठेगा।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद की बीमारी की जड़ पड़ोस (पाकिस्तान) में है और इसे जड़मूल से खत्म किया जाना चाहिए।

उन्होंने हाल में पाकिस्तान में आतंकी कैंपों पर हुई भारतीय वायु सेना की कार्रवाई के बारे में विपक्ष के बयानों पर भी कड़ा प्रहार किया और कहा कि विपक्षी दलों का लक्ष्य केवल मोदी को खत्म करने का है जबकि उनका लक्ष्य आतंकवाद को खत्म करने में हैं।

श्री मोदी ने आज कहा कि कोई भी देश शक्ति सार्मथ्य के बिना चल नहीं सकता। गुजरात में ही आये दिन सांप्रदायिक दंगे होते रहते थे पर जब वैमनस्य फैलाने वाले लोगों को ठिकाने लगाया गया तो यह सब थम गया।

उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि इस देश में जमी हुई आतंकवाद की बीमारी को जड़ मूल से उखाड़ा जाना चाहिए अथवा नहीं। जैसे बीमारी की जड़ का पता लगाने के बाद ही उसके हिसाब से इलाज होता है वैसे ही आतंकवाद के मूल का इलाज होना चाहिए। आतंकवाद की मूल पड़ोस में है।

श्री मोदी ने विपक्ष पर प्रहार करते हुए कहा कि इसे अपनी देश की सेना के बयान पर भरोसा नहीं है। उन्होंने कहा, ‘ तुम्हे अपने देश की सेना जो कहे उस पर भरोसा है कि नहीं। सच को मानना पड़ेगा। पर कितने लोगों को पेट में दुखता है ऐसे समय में जब देश को गर्व होना चाहिए कि सेना ताकत दिखा रहीं है। दिल्ली के एक भाषण में मैने जब कहा कि सेना ने अदभुत पराक्रम दिखाया और इस पर हमे गर्व है पर आज वायुसेना के पास राफेल विमान होता तो परिणाम अलग होता। अब जिसको जो समझ आये वह बोलेगा। उन्होंने कहा कि मोदी ने सेना ने जो किया उस पर सवाल खड़ा किया है। अरे भाई सामान्य बुद्धि इस्तेमाल करो। मेरे कहने का मतलब है कि एयर स्ट्राइक यानी हवाई हमले के समय राफेल होता तो हम एक भी गंवाते नहीं और उनका एक भी बचता नहीं।’

श्री मोदी ने कहा कि उनका संकल्प है कि देश को तबाह करने वाले आतंकियों और उनके सीमापार बैठे आकाओं को छोड़ेंगे नहीं।

उन्होंने कहा, ‘मेरे विरोधियों को इस पर आपति है कि मोदी क्या करता है। देख लो ना भाई मोदी क्या करता है। उनका मंत्र है़ आओ साथ मिलो मोदी को खत्म करो। देश का मंत्र आओ एक साथ मिलो आतंकवाद को खत्म करो। उन्हें मोदी को खत्म करना है मुझे आतंकवाद करना है। देश के लोग आतंकवाद खत्म करने वाले के साथ जायेंगे कि नहीं।’ श्री मोदी ने इससे पहले अपने लंबे संबोधन में आयुष्मान भारत योजना की चर्चा के दौरान अचानक भूल से पाकिस्तान के कराची शहर का नाम ले लिया। इस पर उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि उनके दिमाग में आज कल यह सब भरा हुआ है क्योंकि यह सब करना पड़ता है। उन्होंने लोगों से पूछा कि यह सही है या नहीं।

प्रधानमंत्री ने आज से शुरू हुए अपने दो दिवसीय गुजरात दौरे के इस पहले कार्यक्रम के दौरान कई योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण भी किया।

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वायुसेना प्रमुख धनोआ ने बालाकोट में आतंकी ठिकानों को तबाह करने और बमों से सटीक हमला करने की जानकारी देकर कहा: हम मरने वालों की गिनती नहीं करते attacknews.in

कोयम्बटूर, चार मार्च । वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ ने बालाकोट हवाई हमले में मारे जाने वाले लोगों की संख्या के बारे में कोई टिप्पणी करने से सोमवार को इंकार किया और कहा कि इस बारे में जानकारी सरकार देगी और वायुसेना केवल यह देखती है कि निशाना लगा या नहीं।

इस सवाल पर कि पाकिस्तान द्वारा गिरफ्तार किए गए विंग कमांडर अभिनंदन वर्द्धमान क्या भविष्य में फिर लड़ाकू विमान उड़ाएंगे , उन्होंने कहा, ‘‘ अगर वह स्वस्थ होंगे तो विमान उडांएगे।’’

वायुसेना प्रमुख ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हम पायलट के स्वास्थ्य के साथ किसी तरह का समझौता नहीं कर सकते । 26 फरवरी को बालाकोट स्थित जैश ए मोहम्मद के आतंकी शिविर पर भारतीय वायुसेना के हमले के बाद आई यह उनकी पहली टिप्पणी है।

गौरतलब है कि पाकिस्तानी सेना ने 27 फरवरी को विंग कमांडर अभिनंदन को तब हिरासत में ले लिया था जब पाकिस्तान के एफ-16 विमान को मार गिराने के बाद उनका मिग-21 भी गिर पड़ा और वह गलती से पैराशूट के जरिए पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में उतर गए थे। पाकिस्तान ने एक मार्च को ही अभिनंदन को रिहा किया है।

वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘ हम किसी पायलट के स्वास्थ्य को लेकर कोई समझौता नहीं करते।’’

उन्होंने कहा कि वायु सेना यह बताने की स्थिति में नहीं है कि कितने लोग मारे गए।

धनोआ ने कहा, ‘‘ हम मरने वालों की गिनती नहीं करते। हम बस इतना गिनते हैं कि कितने ठिकानों पर निशाने लगे और कितनों पर नहीं। ’’

वायुसेना प्रमुख ने कहा कि अभियान के बाद क्षति आकलन में केवल उन लक्ष्यों की गिनती की जाती है जिनपर निशाना लगा और जिनपर नहीं ।

धनोआ ने कहा, ‘‘ हम मरने वाले लोगों की गिनती नहीं करते। यह इस बात पर निर्भर करता है कि वहां कितने लोग मौजूद थे।’’

उन्होंने कहा कि मारे गए आतंकवादियों की संख्या के संबंध में बयान सरकार जारी करेगी।

बम के निशानों से दूर गिरने के सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी रिपोर्ट इससे इतर है।’’

पाकिस्तान के पिछले सप्ताह भारत के खिलाफ एफ16 विमान का इस्तेमाल करने के सवाल पर धनोआ ने कहा कि मुझे नहीं पता कि इसके इस्तेमाल को लेकर अमेरिका और पाकिस्तान के बीच क्या समझौता है। अगर समझौता यह है कि उसका आक्रामक उद्देश्य के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता तो मुझे लगता है कि उन्होंने समझौते का उल्लंघन किया है।

उन्होंने कि भारत के पास एएमआरएएम मिसाइल के टुकड़े हैं, जो उसने दिखाए हैं।

धनोआ ने कहा, ‘‘ निश्चित रूप से, मुझे लगता है कि वह संघर्ष में एफ16 विमान गवां बैठा हैं। तो निश्चित रूप से वह विमान का इस्तेमाल कर रहे थे।’’

उनके अनुसार भारतीय वायु सेना ने बालाकोट के जंगल में बम गिराए तो पाकिस्तान को इसका जवाब देने की जरूरत नहीं थी।

उन्होंने कहा, ‘‘ विदेश सचिव ने अपने बयान में निशाने की स्पष्ट व्याख्या की है। और अगर हमारी योजना लक्ष्य को निशाना बनाने की थी तो हमने उसे निशाना बनाया। अन्यथा पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई क्यों करता। ’’

साथ ही उन्होंने कहा कि राफेल लड़ाकू विमान को सितंबर तक भारत के शस्त्र भंडार में आ जाना चाहिए।

राफेल विमान के मौजूद होने पर स्थिति कुछ और होने के प्रधानमंत्री के बयान पर उन्होंने कहा, ‘‘ माननीय प्रधानमंत्री ने बयान दिया है। मैं उस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।’’

धनोआ ने कहा कि जब शत्रु हमला करता है तो जवाब देने के लिए हर मौजूद विमान का इस्तेमाल किया जाता है।

उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी विमान का मुकाबला करने के लिए इस्तेमाल किया गया मिग-21 विमान आधुनिक हथियार प्रणाली से लैस एक उन्नत विमान था।

धनोआ ने पत्रकारों से कहा, ‘‘ मिग21 बाइसन हमारे शस्त्र भंडार का हिस्सा है, तो उसका इस्तेमाल क्यों ना हो? मैं मौजूदा अभियानों पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा क्योंकि वे जारी हैं। मिग 21 सक्षम है। वह उन्नत और आधुनिक हथियार प्रणाली, बेहतर रडार, बेहतर हवा से हवा में वार करने वाली मिसाइल… उन सभी से लैस है जो इसे तीसरी पीढ़ी से 3.5 पीढ़ी का विमान बनाता है।’’

उन्होंने कहा कि वह राजनीति पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते लेकिन अभिनंदन की घर वापसी से खुश हैं।

धनोआ ने कहा, ‘‘ वह दोबारा विमान उड़ा पाएंगे या नहीं यह उनके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। इसलिए ही वापसी के बाद उनकी चिकित्सीय जांच की गई। इसके लिए जो भी उपचार आवश्यक है, हमने उन्हें दिया है। स्वस्थ होने पर ही वह दोबारा लड़ाकू विमान उड़ा पाएंगे ।’’

धनोआ ने यह भी कहा कि वायुसेना को 19 फरवरी को बेंगलुरु में एअर शो के शुरू होने से पहले हवा में हुई दुर्घटना और पिछले सप्ताह कश्मीर में हुई हेलीकॉप्टर दुर्घटना के कारणों का पता लगाना

वायुसेना प्रमुख बी एस धनोआ ने पाकिस्तान के बालाकोट पर हवाई कार्रवाई पर सोमवार को स्पष्ट करते हुए कहा कि लक्ष्य को भेदा गया है। वायुसेना प्रमुख ने यह भी कहा कि अगर जंगलों पर बम गिराये गये होते तो पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई क्यों करता।

उन्होंने कहा कि यदि लक्ष्य पर निशाना नहीं होता तो फिर विदेश सचिव इस पर आधिकारिक बयान क्यों जारी करते। यदि जंगल में बम गिरे होते तो विदेश सचिव इस पर बयान क्यों देते और पाकिस्तान जबाबी कार्रवाई क्यों करता।

पाकिस्तान के बालाकोट में आतंकवादियों के ठिकानों को निशाना बनाये जाने से इंकार किए जाने पर श्री धनोआ ने कहा, “यदि हमने लक्ष्य को हिट करने की योजना बनाई थी तो उसे हिट किया है ।’

श्री धनोआ ने पाकिस्तान की हवाई कार्रवाई का जबाव देने के लिए मिग 21 बाइसन का इस्तेमाल किए जाने पर कहा “ यह उन्नत विमान है,इसका राडार बेहतर है, इसमें हवा से हवा।’’ उन्होंने मिग 21 बाइसन के इस कार्रवाई में इस्तेमाल के संबंध में कहा,“ जब इस तरह की स्थिति आती है तो हर किस्म के लड़ाकू विमानों को उपयोग में लाया जाता है । यह योजनाबद्ध आपरेशन नहीं था ”

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F-16 विमान के भारत के खिलाफ उपयोग पर पाकिस्तान पर संकट गहराया, अमेरिका ने दिये कार्रवाई के संकेत attacknews.in

नयी दिल्ली / वाशिंगटन, 04 मार्च । अमेरिका ने कहा है कि वह 27 फरवरी को भारत के खिलाफ हमले के लिए प्रयोग में लाये गये ‘एफ-16’ विमान मसले को गंभीरता से लिया है और वह इसके इस्तेमाल को लकर पुख्ता सबूत जुटा रहा है। इस मुद्दे को लेकर दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय और सामरिक संबंधों में संकट और गहरा सकता है।

अमेरिका इस विमान को लेकर हुए समझौते के उल्लंघन पर बेहद गंभीर है और पाकिस्तान एफ-16 के मसले में ‘स्वयं के जाल’ में फंसता जा रहा है। वह लगातार इस बात से इंकार करता रहा है कि उसने भारत के खिलाफ इस विमान का इस्तेमाल किया है।

पश्चिम देशों की एक महत्पूर्ण समाचार एजेंसी ने पाकिस्तान स्थित अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता के हवाले से यह खबर दी है। प्रवक्ता ने कहा,“ हमने रक्षा समझौते के उल्लंघन को गंभीरता से लिया है और हम पाकिस्तान द्वारा भारत के खिलाफ इसके उपयोग को लेकर पुख्ता सबूत जुटा रहे हैं।”

उन्होंने कहा,“ हमें इसके उपयोग के बारे में जो रिपोर्टें मिली हैं, उनसे हम अच्छी तरह बाकिफ हैं। इस संबंध में हम और साक्ष्य और सूचनाएं एकत्र कर रहे हैं।”

इधर, दिल्ली में सत्तारुढ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सूत्रों ने कहा है कि भारत सरकार ने इस विमान के उपयोग के संबंध में जो साक्ष्य पेश किये गये हैं उसी के अनुरुप चीजें आगे बढ़ रहीं हैं। इस मसले पर बारीक नजर रखी जा रही है।

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Video- महाशिवरात्रि पर शिवमय हुआ उज्जैन, 5 मार्च को घटाटोप दर्शन के साथ दोपहर में होगी श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की भस्मार्ती attacknews.in

 

उज्जैन 04 मार्च। महाशिवरात्रि पर्व पर 4 मार्च को भगवान महाकालेश्वर मन्दिर में हजारों लोगों ने कतार में लगकर भगवान महाकाल के दर्शन किये।

महाकाल मन्दिर के आसपास के क्षेत्र के साथ-साथ सम्पूर्ण शहर महाशिवरात्रि पर शिवमय हो गया। स्थान-स्थान पर लोगों ने पांडाल लगाकर शिवभक्ति के गीत बजाकर क्षेत्र को भक्तिरस से सराबोर कर दिया।

गत 3 मार्च की रात्रि से ही लोग लाईन में लगकर भगवान शिव के दर्शन करने के लिये लालायित नजर आये। महाशिवरात्रि पर्व पर 3 मार्च की रात्रि 2 बजे से गर्भगृह के पट खुले और भस्म आरती के पश्चात आम दर्शनार्थियों के लिये दर्शन व्यवस्था प्रारम्भ कर दी गई।

शासकीय पूजन

महाशिवरात्रि पर प्रतिवर्ष होने वाला शासकीय पूजन दोपहर 12 बजे गर्भगृह में संभागायुक्त श्री अजीत कुमार, आईजी श्री राकेश गुप्ता, कलेक्टर श्री शशांक मिश्र, पुलिस अधीक्षक श्री सचिन अतुलकर ने किया। पूजन विधि-विधान से शासकीय पुजारी श्री घनश्याम शर्मा द्वारा कराया गया।

5 माार्च  को दोपहर में होगी भस्म आरती

भगवान महाकाल महाशिवरात्रि के दूसरे दिन सवा मन का पुष्प मुकुट धारण कर भक्तों को दिव्यरूप में दर्शन देंगे। महाशिवरात्रि के दूसरे दिन 5 मार्च को दोपहर में भस्म आरती होगी। भस्म आरती के बाद ब्राह्मणों को पारणा भोजन कराया जायेगा और इसी के साथ महाशिवरात्रि पर्व का समापन होगा।

सुलभ दर्शन व्यवस्था

महाशिवरात्रि पर्व पर सुगम दर्शन की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की गई। दर्शनार्थियों से बात करने पर ज्ञात हुआ कि 40 से 45 मिनिट में आम दर्शनार्थियों को बैरिकेट में लगने के बाद दर्शन लाभ आसानी से हो गया, किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हुई। बैरिकेट्स के आसपास दर्शनार्थियों के पीने के पानी एवं प्रसाधन आदि की व्यवस्था प्रशासन द्वारा की गई थी। गणेश मण्डप, कार्तिकेय मण्डप से निरन्तर दर्शनार्थियों की लाईन को चलायमान रखा गया। इससे दर्शन में समय कम लगा। सम्पूर्ण व्यवस्था पर कलेक्टर , पुलिस अधीक्षक एवं श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति के प्रशासक निरन्तर नजर रखे हुए थे।

इस बार लगा ही नहीं लाईन में लगे हैं,पहले भी लगे थे:

महाशिवरात्रि पर्व पर दर्शन के लिये आये कई दर्शनार्थियों ने लाईन में लगकर बहुत ही कम समय में दर्शन का लाभ लिया। इस व्यवस्था से वे अत्यधिक प्रसन्न भी नजर आये।

आगर जिले से परिवार सहित आये श्री रामविलास शर्मा ने चर्चा में बताया कि वे इससे पहले भी कई बार शिवरात्रि पर उज्जैन आते रहे हैं किन्तु उन्हें लम्बे समय तक लाईन में लगे रहना पड़ता था, तभी दर्शन हो पाते थे, किन्तु इस बार बहुत ही आसानी से दर्शन पाकर वे अत्यन्त प्रसन्न हैं।

इसी तरह से रतलाम से आये श्री भागीरथ कारपेंटर ने कहा कि इस बार के दर्शन का अनुभव उनके लिये अदभुत है। न तो कहीं भीड़भाड़ में धक्के खाना पड़े, न ही लाईन में ज्यादा समय बिताना पड़ा। उन्होंने कहा कि इसी तरह की व्यवस्था यदि आगामी श्रावण मास में भी हो जाये तो दर्शनार्थियों को बहुत लाभ होगा।

इन्दौर से दर्शन के लिये आई श्रीमती सविता वर्मा ने भी दर्शन व्यवस्था की सराहना करते हुए कहा कि महाशिवरात्रि पर्व पर जब वे अपने घर से चली थी, तो सोचा था कि बहुत लम्बा समय उन्हें लाईन में बिताना पड़ेगा, किन्तु यहां आकर उनकी धारण बदल गई। उन्होंने कहा कि झटपट दर्शन से शिवरात्रि का आनन्द और बढ़ गया है। मंदसौर के सीतामऊ से आये कृषक श्री किशनलाल ने बताया कि उनका परिवार लगभग हर शिवरात्रि पर उज्जैन आता है, किन्तु इस बार की व्यवस्था इतनी अच्छी थी कि उन्हें लगा भगवान महाकाल ने उनकी सुन ली है।

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